Flourish

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Flourish

Martin E.P. Seligman
खुशी को एक नए नज़रिए से देखना सीखिए।

दो लफ़्ज़ों में 
फ्लोरिश (Flourish) हर उस इंसान के लिए एक बहुत ही उपयोगी किताब है जो रोज़ की भाग दौड़ और तनाव भरी ज़िन्दगी से छुटकारा पाना चाहता है। इस किताब में बताया गया है कि साइंटिफिक तरीकों का इस्तेमाल कर आप कैसे अपने आप को खुश रख सकते हैं और एक अच्छी ज़िन्दगी जी सकते हैं।

यह किसके लिए है
- वे जो तनाव से छुटकारा पाना चाहते हैं और हर माहौल में हर तरह से खुश रहना चाहते हैं।
- वे स्कूल्स जो अपने छात्रों को एक अच्छा नागरिक बनता हुआ देखना चाहते हैं।
- वे साइकोलॉजिस्ट जो अपने मरीजों का ईलाज नए तरीके से करना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
मार्टिन ई. पी. सेलिग्मैन (Martin E.P. Seligman) अमेरिकन राईटर, साइकोलॉजिस्ट और प्रोफेसर हैं। इन्होंने साइकोलॉजी पर बहुत सी किताबें लिखी हैं और बहुत सारे साइकोलॉजीकल सेण्टर के फाउंडर और डाइरेक्टर भी हैं। 1990 से ही सेलिग्मैन साइकोलॉजी के फील्ड में अपना योगदान दे रहे हैं और लोगों को तनाव से छुटकारा दिला रहे हैं। एक जनरल साइकोलॉजी सर्वे में उनका दुनिया के सभी नामी साइकोलॉजिस्ट्स में 31वाँ रैंक है।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए? साइंटिफिक तरीकों से अपने आप को खुश रखिये।
क्या आप भी रोज़ की तनाव भरी ज़िन्दगी से तंग आ चुके हैं? क्या आप तनाव से पीछा छुड़ाने के लिए कोई आसान सा रास्ता खोज रहे हैं? अगर हाँ तो आने वाले सबक आप के लिए बिलकुल सही हैं। 

इस किताब की मदद से आप जानेंगे कि पॉजिटिव साइकोलॉजी क्या होती है और कैसे आप इसका इस्तेमाल कर खुद को खुश रख सकते हैं। इसे पढ़कर आप जानेंगे कि एक सुखी ज़िन्दगी जीने के लिए आपको किन चीज़ों की ज़रूरत है।

इस किताब में दिए गए आसान से एक्सरसाइजेज को कर के आप अपने आप को और अपने आस पास के लोगों को खुश रख सकते हैं। यह किताब आपको बताएगी कि पैसों से आप सुविधाएँ तो खरीद सकते हैं पर सुख नहीं।

 

- किस तरह आप खुद को लम्बे समय तक खुश रख सकते हैं।

- किस तरह हम साइंटिफिक तरीकों से तनाव को दूर कर सकते हैं।

- सफलता पाने के लिए आपको कौन सी चार चीज़ों की ज़रूरत है।

पॉजिटिव साइकोलॉजी से आप लंबे समय तक खुश और सेहतमंद रह सकते हैं।
दुनिया भर के साइकोलॉजिस्ट ने अपनी अपनी स्टडी में पाया कि तनाव की दवाइयों का हम पर थोड़े समय के लिए अच्छा असर होता है, लेकिन बाद में ये सभी दवाइयां हमें नुक्सान पहुंचाती हैं। जो लोग गंभीर तनाव के शिकार थे उनके लिए ये दवाइयां वरदान साबित हुईं। लेकिन बाकियों के लिए ये उतनी फायदेमंद नहीं रहीं।

इससे एक बात साफ़ है। इन दवाइयों से सभी लोगों का फायदा नहीं हो रहा है। कुछ लोगों को इनसे तुरंत फायदा मिल जा रहा है लेकिन लंबे समय तक फायदा नहीं मिल रहा।

अगर हमें लम्बे समय तक सेहतमंद रहना है और लंबे समय तक तनाव से दूर रहना है तो हमें दवाइयों को छोड़कर कोई दूसरा रास्ता अपनाना होगा। आइये देखें कि वो दूसरा रास्ता कौन सा है।

उस दूसरे रास्ते का नाम है- पॉजिटिव सायकोलॉजी।

पॉजिटिव साइकोलॉजी का लोगों पर बहुत अच्छा असर पड़ा है। जिन लोगों ने इसे सिर्फ कुछ दिन के लिए ही अपनाया उन्हें भी लम्बे समय तक इससे फायदा हुआ है। पोस्टिव सायकोलॉजी का अभ्यास करने के बाद बहुत सारे लोगों ने कहा कि वे अच्छा महसूस कर रहे हैं। हर कोई इसका इस्तेमाल कर अपनी ज़िन्दगी से तनाव को निकाल सकता है।   

तो आखिर ये पॉजिटिव साइकोलॉजी और इसके अभ्यास हैं क्या? आने वाले सबक़ में हम इन सवालों पर गौर करेंगे।

 

पॉजिटिव साइकोलॉजी की जड़ें साइंस है जिसकी वजह से यह इतनी कामयाब है।
ख़ुशी क्या है? हमें ख़ुशी कैसे मिल सकती है? सुनने में ये बहुत ही आसान से सवाल लगते हैं। लेकिन इनका जवाब देने में लोगों ने सदियाँ लगा दीं।  हर कोई खुशी पाना चाहता है। लेकिन हम अब भी इन दो सवालों का सही जवाब नहीं खोज पाये हैं। आइये देखें कि दुनिया भर के लोग ख़ुशी के बारे में कौन सी बातें कहते हैं।  

अलग अलग लोगों को अलग अलग कामों में ख़ुशी मिलती है। आज कोई धन दौलत के पीछे भाग रहा है तो कोई अपने सपनों के पीछे। किसी को दुनिया का सबसे शक्तिशाली आदमी बनना है तो कोई सिर्फ एक सुकून भरी ज़िन्दगी चाहता है। अलग अलग लोगों की अलग अलग ज़रूरतें हो सकती है लेकिन आखिरकार सब लोग ख़ुशी ही पाना चाहते हैं। इंसान की ज़िन्दगी का मकसद ख़ुशी पाना ही है।

अब तक हमें ऐसा एक भी काम नहीं मिला जिसे करने में सभी लोगों को ख़ुशी मिलती हो और न ही हमें कोई ऐसी चीज़ मिली जिसे पाकर सभी खुश हो जाएँ। इसलिए ऊपर दिए गए दो सवालों का जवाब देना इतना मुश्किल है।

पॉजिटिव साइकोलॉजिस्ट ने कुछ ऐसे तरीके खोजे हैं जिनकी मदद से लोग ख़ुशी पा सकते हैं। ये तरीके साइंटिफिक स्टडीज़ पर आधारित हैं। पॉजिटिव साइकोलॉजी इतनी सफ़ल इसलिए है क्योंकि इसमें हम बहुत सारे साइंटिफिक तरीकों को आजमा कर तनाव को दूर करते हैं।

अब आइये देखें कि वे तरीके कौन से हैं और किस तरह ये आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं। 

 

खुश रहने के लिए आपके पास पॉजिटिव साइकोलॉजी की पांच चीज़ें होनी चाहिए।
आईये देखे कि वो कौन कौन सी पांच चीजें है जिन्हें पाकर आप अंदर और बहार से खुश रह सकते हैं।  

- पॉजिटिव एमोशन-: पॉजिटिव इमोशन में हर वो एहसास आते हैं जिसे महसूस करना आप पसंद करते हैं। जैसे कि प्यार, कॉन्फिडेंस, आराम या सुकून। इन इमोशंस से आपको शान्ति मिलती है। इन्ही एमोशन्स की वजह से आप ख़ुशी को महसूस कर पाते हैं। इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि आप इन एमोशन्स को हासिल करें। 

एंगेजमेंट-: एंगेजमेंट का मतलब है किसी काम या चीज़ से लगाव या जुड़ाव। एंगेजमेंट में आपकी हॉबी आती है। अक्सर लोगों को गाने गुनगुनाना, स्पोर्ट्स खेलना, कहानियां पढ़ना या वर्कआउट करना पसंद होता है। इन कामों को करने से उन्हें ख़ुशी मिलती है। तनाव में होने पर या दुखी होने पर आप इन कामों को कर के ख़ुशी पा सकते हैं।  

मीनिंग-: हम में से हर किसी के जीने की एक वजह होती है। अब चाहे वो वजह कोई इंसान हो, कोई जिम्मेदारी हो या फिर कोई लोगों की भलाई करने की चाहत। अगर आपके पास आपके जीने की वजह है तो आपको ये एहसास होगा कि आपकी ज़िन्दगी का एक मकसद है और आपको उस मकसद के लिए अभी और जीना है।  

एकॅाम्प्लिश्मेंट-: एकॅाम्प्लिश्मेंट का मतलब है जीत। हर कोई अपनी ज़िन्दगी में जीतना चाहता है और सफल होना चाहता है। सफलता से सभी को ख़ुशी मिलती है। सफल होने पर हम लंबे समय तक खुश रहते है। इसलिए ये ज़रूरी है कि आपके अंदर जीतने की एक ख्वाहिश हो क्योंकि जीत का अपना अलग मज़ा है। 

पॉजिटिव रेलशनशिप-: रिश्ते ही आपकी ज़िन्दगी को खूबसूरत बनते हैं। दुखी या परेशान होने पर आप जब भी अपने किसी दोस्त से बात करते हैं तो आपको अपनी परेशानी से राहत मिलती है। इसलिए आपके पास कुछ अच्छे दोस्त होने चाहिए। परिवार और अच्छे दोस्त हमेशा आपका साथ देंगे और आपको हौसला देंगे।

पॉजिटिव इमोशंस और मीनिंग हमें अंदर से खुश रखते हैं जबकि पॉजिटिव रिलेशनशिप और एंगेजमेंट हमारे दुखी होने पर हमें बाहर से सहारा देखकर खुश करते हैं। एकॅाम्प्लिश्मेंट से हमें एक अच्छी ज़िन्दगी जीने में मदद मिलती है। इस तरह से ये पांच चीज़ें आपको हमेशा और हर तरह से खुश रख सकने में सक्षम हैं।

 

पॉजिटिव साइकोलॉजी का इस्तेमाल कर स्टूडेंट्स भी फायदा पा सकते हैं।
स्टूडेंट्स ही हमारे देश का भविष्य हैं। तो क्यों न हम अपने भविष्य को सुनहरा बनाएँ?  स्टूडेंट्स अगर पॉजिटिव साइकोलॉजी का इस्तेमाल करें तो वे बड़े होकर एक अच्छे नागरिक और एक अच्छे पैरेंट बन सकते हैं।

स्कूल्ज में स्टूडेंट्स को पॉजिटिव साइकोलॉजी की बातें सिखानी चाहिये। लिटरेचर, स्पोर्ट्स और आर्ट्स की मदद से हम स्टूडेंट्स को खुश रहने के तरीके सिखा सकते हैं। इनकी मदद से हम उन्हें पॉजिटिव रहना भी सिखा सकते हैं। 

स्कूल्ज में बच्चों को पॉजिटिव रहने के तरीके नीचे दिए गए है।

पॉजिटिव सायकोलॉजी में स्टूडेंट्स के लिए बहुत सारे अभ्यास हैं। इन में से एक अभ्यास का नाम है - व्हाट वेंट वेल (What went well )। 

इस अभ्यास में स्टूडेंट्स रात को सोने से पहले उस दिन की तीन अची घटनाएँ लिखते हैं। वे लिखते हैं कि आज उनके साथ कौन सी तीन बातें अच्छी हुई। और फिर वे खुद से सवाल पूछते हैं कि ऐसा क्यों हुआ? ऐसा करने से उन्हें ये बात पता चलती है कि क्या करने से उनके साथ अच्छा होगा और क्या करने से बुरा। इससे वे खुद ही अच्छे और बुरे में पहचान करना सीख कर अपनी ख़ुशी खोजने में सक्षम हो सकते हैं।

एक और अभ्यास है- काइंडनेस ऐक्ट (Kindness act)। इस अभ्यास में स्टूडेंट्स रात को सोने से पहले ये फैसला करते है कि वो अगले दिन अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार को खुश करेंगे। जब वे किसी को खुश करने की कोशिश करते हैं तो अनजाने में ही वे खुद को भी खुश कर देते हैं।

बहुत सारे स्टूडेंट्स ने ये एक्सरसाइजेज कर फर्क को महसूस किया है। उन्होंने ये बात मानी कि इन एक्सरसाइजेज को करने के बाद वे अच्छा महसूस करते हैं और पॉजिटिव रहते हैं। स्कूल्स अपने स्टूडेंट्स को इस तरह के एक्सरसाइज करवा कर उन्हें एक अच्छा इंसान बना सकते हैं। साथ ही साथ वे उन्हें खुश और संतुष्ट रहने के बहुत से तरीके भी सिखा सकते हैं। 

 

सफलता को पाने के लिए हमें चार चीज़ों की ज़रूरत होती है।
आज ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि जिसके पास ज़्यादा IQ है उसके सफल होने के चांसेस भी ज़्यादा हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सिर्फ तेज़ IQ होना ही आपको सफल नहीं बना सकता।  

सफलता पाने के लिए आपके पास चार चीज़ें होनी चाहिए-

- तेज़ सोचने की क्षमता

- किसी काम को तेज़ी से प्लान और  रिवाइज़ करने की क्षमता

- तेज़ सीखने की क्षमता 

- काम में ज़्यादा से ज़्यादा मेहनत करना। 

IQ टेस्ट सिर्फ हमारे सोचने की क्षमता पर ध्यान देते हैं। इस टेस्ट में आपसे ऐसे सवाल पूछे जाएंगे जिसके जवाब से आपके सोचमे की क्षमता के बारे में पता चलेगा। आप इन सवालों के जवाब जितने कम समय में देंगे आपके सोचने की क्षमता उतनी ज़्यादा होगी। लेकिन जैसा कि पहले ही कहा गया- सिर्फ सोचने की क्षमता ही सफलता दिलाने के लिए काफी नहीं है।

 तो आखिर वे कौन से तरीके हैं जिनकी मदद से हम दूसरी तीन चीज़ों के बारे में जान सकते हैं। आइये देखते हैं।

साइकोलॉजिस्ट एंजेला डकवर्थ (Angella Duckworth) ने आइसेंक जूनियर इम्पल्सिवनेस स्केल ( Eysenck Junior Impulsiveness Scale) बनाया। इसमें बच्चों के पैरेंट्स और उनके टीचर्स के लिए 54 हाँ और ना के सवाल होते हैं। ये सवाल कुछ इस तरह के होते हैं -:

क्या बच्चे के अंदर खुद पर काबू करने की क्षमता है?

क्या बच्चा कल की बड़ी ज़रूरतों के लिए अपनी आज की छोटी ज़रूरतों को छोड़ सकता है?

क्या वो किसी की मदद के लिए उसका आभार जताता है?

इस स्केल में बच्चे को 1 और 7 के बीच नंबर दिए जाते हैं। अगर बच्चा अपने आप पर पूरी तरह काबू पा सकता है तो उसे 1 और अगर बिलकुल नहीं पा सकता तो 7 की स्केल पर रखा जाता है। इस स्केल का इस्तेमाल कर आप अपने बच्चे की हरकतों को काबू कर सकते हैं और उसे भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं।

इस टेस्ट में जिन बच्चों ने अच्छा परफॉर्म किया उनके मार्क्स भी अच्छे रहे, वे स्कूल में रोज़ आते थे और ज़्यादा झगड़ा या बड़ों से बदतमीजी नहीं करते थे। 

आप पैसों से खुशियाँ नहीं खरीद सकते।
आज हर किसी को लगता है कि अगर उनके पास ज़्यादा पैसा हो तो वे लोग खुद के लिए सारी सुख सुविधाएं खरीद कर खुद को खुश रख सकते हैं। लेकिन क्या वाकई पैसे होने से आपको खुशी मिल सकती है? आइये देखते हैं कि एक सर्वे का इस मुद्दे पर क्या कहना है।  

लैटिन देशों की GDP बहुत कम होती है जो कि दिखाती है की उन देशों में ज़्यादा सामान नहीं बनते और न ही ज़्यादा सुविधाएं इस्तेमाल की जाती हैं। लेकिन इन जगहों पर जब सर्वे किया गया तो पाया गया की यहाँ के लोग खुश रहते हैं।  

जब अमेरिका में यही सर्वे किया गया तो पाया गया  कि पिछले 50 सालों में अमेरिका की GDP तीन गुना बढ़ गयी है लेकिन वहाँ के लोग अब भी खुश नहीं रहते। अमेरिका में एंटी डेप्रेस्सेंट सेंटर्स की संख्या बढ़ती जा रही है जो कि एक तनाव भरी सोसाइटी की निशानी है।

इससे एक तो साफ़ है। आप पैसों और सुख सुविधाओं से अपने आप को खुश नहीं रख सकते। गरीब के बच्चे अक्सर सड़कों पर नाचते हुए दिखते हैं जबकि अमीर लोगों को हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां होती है।

लेकिन ऐसा क्यों होता है? सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी आप खुश क्यों नहीं रह सकते। इसका सीधा सा जवाब है कि सुविधाएं आपके शरीर को आराम दे सकती है लेकिन दिमाग को नहीं। दिमाग को आराम देने के लिए आपके पास पॉजिटिव साइकोलॉजी की पांच चीज़ें होनी चाहिये।  

अब वक़्त आ चूका है कि आप चुन लें कि आपको अपने शरीर को सुख देना है या अपने मन को। ये ज़िन्दगी आपको सिर्फ एक ही बार मिलती है इसलिए ये ज़रूरी है की आप इसको हंसी ख़ुशी बिताएँ। मन को खुश रखकर आप हर माहौल में खुश रह सकते हैं और पॉजिटिव साइकोलॉजी इसमें आपकी मदद करती है। 

कुल मिला कर
पॉजिटिव साइकोलॉजी आज के इस तनाव भरी ज़िन्दगी में लोगों को खुश करने का एक बहुत ही अच्छा साइंटिफिक तरीका है। इसके आसान से अभ्यास को कर के बच्चे और बड़े दोनों ही फायदा पा सकते हैं। पॉजिटिव साइकोलॉजी हमें बताती है कि किस तरह हम अपनी ज़िन्दगी को एक नया और सुंदर आकार दे सकते हैं।

 


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