Karl Pillemer
टूटी हुई फैमिली और इसे कैसे सही किया जाए?
दो लफ्जों में
फॉल्ट लाइन्स (2020) उस कॉमन प्रॉब्लम पर बेस्ड है जिसके बारे में हममें से कोई बात ही नहीं करना चाहता- परिवार के लोगों के बीच से दोस्ताना रिश्ते का खत्म हो जाना. करोड़ों लोग अपनी जिंदगी में अपने परिवार और दोस्तों से दूरी सहते हैं, जिसका उनके साइकोलॉजिकल स्टेट पर बहुत बुरा असर पड़ता है. फॉल्ट लाइंस इस प्रॉब्लम की कॉमन वजह के बारे में बात करते हुए इसे ठीक करने के तरीके बताती है.
किन के लिए है
- कोई भी शख्स जिसने परिवार बिखरने का दर्द महसूस किया हो.
- फ्यूचर के सोशलिस्ट जो ह्यूमन रिलेशनशिप में इंटरेस्टेड हैं
- उन पेरेंट्स के लिए जो अपने बच्चों के साथ तनाव को कम करना चाहते हैं
लेखक के बारे में
कार्ल पिलेमर अमेरिकी सोशलिस्ट, गेरोन्टोलॉजिस्ट, और कॉर्नल यूनिवर्सिटी में ह्यूमन डेवलपमेंट के हैज़ल ई रीड प्रोफेसर हैं. वह कॉर्नल लेगसी प्रोजेक्ट के डायरेक्टर भी हैं. उनके पिछले पब्लिकेशन में फेमस किताब 30 लेसंस फॉर लिविंग शामिल है.
छ: कॉमन रास्ते फैमिली को बिखेर देते हैं
क्या आपकी कभी किसी फैमिली मेंबर के साथ इतनी बुरी तरीके से लड़ाई हुई है कि आपने उनसे कभी ना बात करने की कसम खा ली? या आप अपने पेरेंट्स और भाई बहनों से पूरी तरह कट गए हैं? अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो यकीन मानिए आप अकेले नहीं है. फैमिली प्रॉब्लम हर किसी के साथ होती है, लेकिन इसके बारे में बात करना हम लोग अच्छा ही नहीं समझते. वह लोग जो अपने फैमिली से दूर हो गए हैं अक्सर अकेलपन और शर्मिंदगी महसूस करते हैं. वह दोबारा जूड़ना भी चाहते हैं लेकिन उन्हें मालूम नहीं कि यह काम कैसे किया जाए. और इसी चीज ने लेखक कार्ल को अपना पहला डीप रिसर्च इसी टॉपिक पर ऑर्गेनाइज करने के लिए मोटिवेट किया, और उन्होंने यह काम अमेरिका के सैकड़ों लोगों का इंटरव्यू लेकर किया है. उन्होंने वह स्ट्रैटेजीज़ और फिनोमिना के बारे में जाना, जिसका इस्तेमाल कर लोग अपनी फैमिली से दुबारा जुड़ते हैं. यह समरी इंटरव्यू के दौरान हासिल किए गए टिप्स और लेसंस पर बेस्ड है, जो बताते हैं कि जब बात रिश्तो की आती है तो हमें हमेशा दूसरा मौका मिल जाता है. इस समरी में आप जानेंगे, कि क्यों आपको अपनो से दुबारा जुड़ने से पहले माफी का इंतजार नहीं करना चाहिए? कैसे अपने रिश्तो का नैरेटिव बदला जाए, और क्यों परिवार के बिखरने का हमारे ऊपर इतना ज्यादा असर होता है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
ऐसी क्या चीज है जिनकी वजह से लोग यह सोच लेते हैं कि अब उनके रिश्ते में कुछ नहीं बचा? या फिर वह इससे ज्यादा कोशिश नहीं कर सकते? आमतौर पर ऐसे फैसले किसी बड़े झगड़े के बाद ही लिए जाते हैं. एक औरत अपनी मां से इसलिए बातें करना बंद कर देती है क्योंकि जब वह अपनी मां को अपने गे होने की बात बताती है, तो उसकी मां उसे बहुत डांटती/चिल्लाती और यहां तक कि उस पर हाथ भी उठा देती हैं. एक आदमी अपनी बहन से इसलिए दूरी बना लेता है क्योंकि एक फैमिली रियूनियन में उसकी बहन ने उसकी अडॉप्टेड बेटे से बुरा बर्ताव किया था. इस तरह के हादसे की वजह से ही आप रिश्ता खत्म करने का फैसला लेते हैं कि यह रिश्ता बहुत कॉम्प्लिकेटेड या नुकसानदायक है इसलिए मैं इसके बिना ही अच्छा हूं. हालांकि बड़े झगड़े या कुछ बड़ा जिसकी वजह से रिश्ते टूट जाते हैं वह ताबूत की आखिरी कील जरूर होते हैं, लेकिन अचानक से नहीं हो जाते. इसके पीछे की अपनी वजह होती है, जिसे लेखक "परिवार बिखरने का रास्ता" कहते हैं.
तो किस तरह के हालात फैमिली को तोड़ सकते हैं? लेखक ने सैकड़ों लोगों का इंटरव्यू लिया और रियलाइज़ किया कि कुछ वजहें बार-बार सामने आ रही हैं. सबसे पहले यह कि अगर बचपन में कोई ट्रॉमा देने वाला हादसा होता है तो हो सकता है कि लोग अपने परिवार से दूर हो जाएं. मिसाल के तौर पर अगर पेरेंट्स बच्चे को नजरअंदाज कर देते हैं या दूसरे बच्चों को ज्यादा तवज्जो देते हैं. परिवार बिखरने की दूसरी सबसे बड़ी वजह डिवोर्स है. अक्सर बच्चे अपने मां-बाप के झगड़े में फंस कर किसी एक पेरेंट से दूर हो जाते हैं. तीसरा इन-लॉज यानि ससुराल वाले कभी-कभी फैमिली प्रॉब्लम की वजह बन जाते हैं. मिसाल के तौर पर, अगर नया सन इन-लॉ फैमिली के साथ नहीं बैठता या वक्त नहीं गुजरता तो परिवार में झगड़े पैदा हो सकते हैं. परिवार बिखरने की चौथी वजह खासकर के भाई बहनों के बीच पैसों को लेकर झगड़ा या फिर प्रॉपर्टी का मामला होता है. अक्सर बच्चों के बीच प्रॉपर्टी बराबर से बटने के बावजूद झगड़ा इस बात पर हो जाता है की बिजनेस बेचा जाए या फैमिली होम. मिसाल के तौर पर, अगर किसी बच्चे ने अपने मां-बाप के आखिरी वक्त में उनका ख्याल रखा है तो वह उम्मीद करती है कि उसे प्रॉपर्टी में ज्यादा हिस्सा मिले.
पांचवी वजह, उम्मीदों का ना पूरा होना है. फॉर एग्जांपल पेरेंट्स उम्मीद करते हैं कि उनके बच्चे आखिरी वक्त में उनका ख्याल रखेंगे लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो वह अपसेट हो जाते हैं. फैमिली टूटने की आखिरी वजह किसी एक का अलग वैल्यू अपना लेना है जैसे कि किसी भी कोई अलग रिलीजन अपना लिया या पॉलीटिकल पार्टी जॉइन कर ली. यह वजहें बड़ी आसानी से कोई भी बड़ा झगड़ा करा सकती हैं. फैमिली टूटने का फैमिली के हर मेंबर पर काफी ज्यादा असर पड़ता है.
फैमिली टूटने का हर मेंबर पर गहरा असर होता है
मान लीजिए कि आपके पेरेंट्स कहते हैं कि आप उनके लिए मर गए हैं क्योंकि आपने उनकी इजाजत के बिना तलाक ले लिया या फिर बहन आपसे इसलिए बात नहीं कर रही क्योंकि आप उसके बेटे की शादी पर नहीं गए. फैमिली का टूटना या बिखरना हमारी जिंदगी में होने वाले सबसे दर्दनाक हादसों में से एक है. जिसका असर हम सालों तक झेलते हैं. 80 की उम्र को पहुंच चुकी एक औरत जब भी अपने बेटे के दूर होने की बात करती है पूरी तरीके से टूट जाती है, हालांकि उन्हें अलग हुए सदियां गुजर गयीं। हम इस बारे में बहुत कुछ सुनते हैं कि कैसे परिवार बदलते जा रहे हैं, लोग अब अक्सर अपनी ओरिजिनल फैमिली से दूर रहते हैं या फिर दूसरी तरह के नेटवर्किंग सपोर्ट ढूंढते हैं. लेकिन फैमिली से अलग होने का असर बताता है कि फैमिली नेटवर्क आज भी सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा बचपन कितना अलग या डिस्फंक्शनल रहा हो, हमें पेरेंट्स से अटैचमेंट होती है क्योंकि हम उनसे बायोलॉजिकली जुड़े होते हैं. हमारा उनसे सिक्योरिटी और कंफर्ट का रिश्ता होता है उनके होने से हम सेफ महसूस करते हैं. ऐसे में जब कभी यह रिश्ता टूट जाता है तो हमें बहुत तकलीफ होती है. इस तरह के रिश्ते को खो देना पर्सनल रिजेक्शन सा भी महसूस हो सकता है. आखिरकार हमारी फैमिली ही हमें सबसे बेहतर तरीके से जानती है. अगर वह आपके साथ रिश्ता नहीं रखना चाहते तो इसका क्या मतलब होता है? यकीनन, यह पर्सनल रिजेक्शन ही है. ष साइकोलॉजिस्ट जॉर्ज स्लैविश का कहना है जो लोग इस तरह का रिजेक्शन एक्सपीरियंस करते हैं उनके डिप्रेस्ड होने के चांसेस ज्यादा है. इस तरह का रिजेक्शन खुद की नजरों में गिरा देता है, इंसान अपनी वैल्यू को लेकर ही क्वेश्चन करने लगता है. किसी फैमिली मेंबर से अलग हो जाने की तकलीफ किसी फैमिली मेंबर के मर जाने से ज्यादा होती है और इससे डील कर पाना काफी मुश्किल होता है. जब कोई इस दुनिया से चला जाता है तो आप उसके जाने का खम मनाते हैं और किसी ना किसी तरह का क्लोजर ढूंढ लेते हैं. लेकिन रिश्तों का टूट जाना काफी ज्यादा उलझाऊ है. आप अपने फैमिली मेंबर से दुबारा जुड़ सकते हैं और हो सकता है वह दोबारा आप को रिजेक्ट कर दें. या हो सकता है कि आपको बार-बार कांटेक्ट करने वाले अब्यूजिव फैमिली मेंबर से लगातार बाउंड्रीज सेट करनी पड़ रही हों. यह बहुत दर्दनाक और इमोशनली असर करने वाला हो सकता है, जिसके चलते आप स्ट्रेस का भी शिकार हो सकते हैं. फैमिली टूटने का असर सिर्फ झगड़े में इंवॉल्व होने वालों पर नहीं होता, बल्कि बाकी फैमिली मेंबर पर भी होता है. यहां पर फैमिली टूटने के और दूसरे असर भी हो सकते हैं. हो सकता है, भाई बहनों को किसी का साइड लेना पड़ जाए, ग्रैंडपेरेंट्स का अपने बच्चों से कांटेक्ट खत्म हो जाए या फिर यह भी हो सकता है कि अचानक से कज़िन्स को आपस में खेलने से मना कर दिया जाए. और यह दूरी फैमिलीज़ पर बरसों असर डालती है.
जरूरी नहीं है एक बार झगड़ा हो गया तो दूरी हमेशा के लिए बरकरार रहे
क्लिफ के रिश्ते अपने छोटे भाई के साथ हमेशा खराब थे, उसे लगता था कि उसका छोटा भाई हैरी सेल्फिश है और वह बिल्कुल भी केयरिंग नहीं है. एक शाम को दोनों ड्रिंक के लिए बाहर गए और उनकी वहां किसी पॉलिटिकल मुद्दे पर लड़ाई हो गई. क्लिफ ने डिसाइड किया कि अब वह अपने भाई के साथ यह रिश्ता खत्म कर देगा. उसने सारे नाते खत्म कर दिए और 8 सालों तक अपने भाई से बात नहीं की. लेकिन फिर कुछ बदला. क्लिफ की आंखें तब खुली जब उसकी उम्र बढ़ने लगी और वह बीमार पड़ कर मरने लगा. उस एहसास हुआ अगर उसे अपने भाई के साथ रिश्ते बेहतर करने हैं तो तेजी से कदम बढ़ाने होंगे. उसने इमोशनल होकर अपने भाई को कॉल किया और हैरी में बड़ी खुशी से जवाब दिया. अब वह दोनों लगातार कांटैक्ट में है और साल भर में एक दूसरे से कई बार मुलाकात कर लेते हैं. उनका रिश्ता अभी कॉम्प्लिकेटेड है, लेकिन कम से कम एक दूसरे की जिंदगी में हैं तो. क्लिफ ने सभी मनमुटाव के बावजूद अपने भाई के साथ दुबारा जुड़ने का फैसला किया. वह उन लोगों में से एक बन गया जिन्होंने अपने टूटे हुए रिश्ते को दुबारा जोड़ने की हिम्मत दिखाई. लेकिन उसने दुबारा जुड़ने के लिए ऐसा क्यों किया? क्लिफ के मामले में जवाब बहुत सिंपल है, उसने यह अपने खुद के लिए किया. उन दोनों भाइयों के अलग होने की वजह से पूरे परिवार में दरार सी आ गई थी जिसकी वजह से क्लिफ का माइंडपीस इफेक्ट हुआ. अपने भाई के साथ रिश्ते दुबारा जोड़ लेने के एहसास ने उसका बोझ कम कर दिया था. अब वह खुद को रिश्ते टूटने का जिम्मेदार नहीं मानता, और उसे लगने लगा कि उसने कोई सही काम किया है.
हालांकि अपनों से दुबारा रिश्ते बना लेने की बहुत सारी वजह हैं, लेकिन उनमें से सबसे बड़ी वजह सेल्फिशनेस है. मेंटल पीस हासिल कर लेने और फ़्यूचर रिग्रेट से बचने के साथ ही जब आप किसी के साथ दुबारा रिश्ते सही कर लेते हैं तो पूरी फैमिली के साथ आप नेटवर्क स्टैबलिश कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर, आप अपने अंकल आंटी से दुबारा जुड़ सकते हैं जिनसे आप पेरेंट्स के साथ हुए झगड़े की वजह से दूर हो गए थे. फैमिली नेटवर्क का हिस्सा होने का मतलब है, कि आप के पास बहुत सारे रिसोर्सेज तक पहुंच होगी जिसे हम सोशल कैपिटल कहते हैं. मिसाल के तौर पर आपको बच्चे या किसी बुजुर्ग की केयर करने में मदद मिल सकती है. जब फैमिलीज अपने रिसोर्सेज, यहां पर रिसोर्सेज़ का मतलब पैसे, कार या फिर किसी काम करने में मदद मिल जाना है, कंबाइन करती हैं तो सभी को फायदा होता है. बच्चे कम से कम 50 साल अपने पैरंट्स से दूर रहते हैं. इसलिए बेहतर है कि जो कुछ बरस गुजारने हैं वह साथ में ही गुजार लिए जाएं. आगे हम कुछ ऐसी स्ट्रैटेजीज़ के बारे में बात करेंगे जो कनफ्लिक्ट सॉल्व करने में हमारी मदद कर सकती हैं.
अपनों से दुबारा जुड़ने के लिए आपको यह भूलना होगा कि क्या हुआ था
उस वक्त को याद कीजिए जब आपकी किसी के साथ बहुत बड़ी लड़ाई हो गई थी और वह मामला अभी तक सुलझा नहीं है. मुमकिन है कि चीजें अभी आपके दिमाग में ताजा हों, आप उस माहौल को रिप्ले करते हैं, याद करते हैं कि किसने क्या कहा था, आपके साथ कितना बुरा किया गया. झगड़ा या कोई बड़ा हादसा हमारे दिमाग में ताजा रहता है क्योंकि हम उन्हें सोचने में काफी वक्त गुजारते हैं. हम अपनी रोजमर्रा के कामों के दौरान उस झगड़े की डिटेल्स को याद करते रहते हैं और जस्टिफाई करते हैं कि हमने रिश्ता खत्म करके कुछ गलत नहीं किया. ब हम झगड़ों या हादसों को बार-बार अपने दिमाग में रिपीट करते रहते हैं तो यह हमें दुबारा जुड़ने नहीं देते. जो कुछ भी हुआ उस पर अपनी साइड की स्टोरी को लेकर हम इतना ज़्यादा ऑब्सेस्ड हो जाते हैं कि सामने वाले के पॉइंट ऑफ व्यू को जानना ही नहीं चाहते. आगे बढ़ने के लिए हमें पूरे झगड़े को क्रिटिकल नजर से देखना होगा और अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेनी होगी. आखिरकार, कोई भी बड़ा हादसा इमोशन में बह जाने की वजह से नहीं होता. यह रिश्ते में चल रहे किसी खटास का ही नतीजा होता है. इसलिए किसी झगड़े या हादसे को अचानक से हुए इंसिडेंट की तौर पर देखने के बजाय, एनालाइज कर उसके असल मायने ढूंढने की जरूरत है.
मिसाल के तौर पर सूशी कि अपने बेटे राफेल के साथ इसलिए लड़ाई हो गई क्योंकि उसने अपने बेटे को दोस्तों के साथ हैंग आउट करने के लिए ले जाने से मना कर दिया था. जवाब में वह अपना बैग पैक करके चला गया, जिसके चलते उन दोनों मां-बेटे में काफी दूरी आ गई. सूशी को उसकी इस हरकत से बहुत तकलीफ हुई उसे लगा कि उसने यह काम बिना वजह ही किया है. लेकिन जब उसने पूरे मामले को गहराई से समझा तो समझ में आया कि यह सब कुछ हद तक उसके ओवरप्रोटेक्टिव मां होने की वजह से हुआ. इस बात को जान कर वह अपने बेटे और इस रिश्ते को दूसरे नजरिए से निभाने की कोशिश कर सकती थी. सिर्फ बेटे का इंतजार करते रहने के बजाए उनके अंदर अपने बेटे को करीब लाने की हिम्मत आ गई थी. किसी भी झगड़े या दूरी पैदा हो जाने वाली सिचुएशन में डिफेंसिव हो जाना, या फिर ऐसे बिहेव करना कि आपको मालूम ही नहीं यह सब क्यों हुआ बहुत नॉर्मल है. आपको यह सोचना छोड़ना होगा कि आप सही हैं और इस पूरी सिचुएशन में आपको ब्लेम नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन अगर आप अपने पॉइंट ऑफ व्यू से आगे बढ़ते हैं तो सामने वाले के पॉइंट ऑफ व्यू को समझने के लिए तैयार हो जाएंगे और अपने रिश्ते को दुबारा सही कर सकेंगे.
अपने रिश्ते को सही करने के लिए आपको बीती बात छोड़ कर आगे की सोचनी चाहिए। टोनी जब अपना बचपन याद करती है तो उसे इमोशनल अब्यूज़ेज़ से और नजरअंदाज कर देने वाले मां-बाप याद आते हैं. मार्शा जब घर याद करती है तो उसे एक खुशहाल और स्टेबल फैमिली याद आती है. दोनों बहने हैं लेकिन दोनों की यादें बहुत अलग है. बचपन को लेकर हमारी यादों में यह फर्क बहुत कॉमन है और दुबारा एक होने के बीच रुकावट बन सकता है. अक्सर लोग कहते हैं कि वह तभी अपना रिश्ता कायम करेंगे जब फैमिली मेंबर मान लें कि असल में हुआ क्या था. यहां प्रॉब्लम यह है कि किसी एक इंसान की नजर में वह इंसिडेंट दूसरे इंसान की सोच से काफी अलग हो सकता है. अगर हम इस बात का इंतजार करते हैं कि फैमिली मेंबर्स हमारे नजरिया से पूरे मामले को देखें तो हमें लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. बीती बात को भूल जाने का यह मतलब नहीं है, कि आप अपना नजरिया गलत समझ लें, खुद को हुयी तकलीफ को नजरअंदाज कर दें. आपको यह एक्सेप्ट करने की जरूरत नहीं है कि आप या आपका फैमिली मेंबर कभी भी जो कुछ हुआ उस पर एग्री नहीं कर सकते. अच्छी बात यह है कि दुबारा अपनी फैमिली पाने के लिए आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं. जब रिश्ते बिखरते हैं तो वह जम से जाते हैं, दूसरे इंसान को लेकर आपका जो एक्सपीरियंस रहा है वह दिमाग में फंसा रह जाता है, कभी कभी आप इन यादों में सालों गुज़ार देते हैं. लोग बदल सकते हैं और बदलते हैं. रिकॉसिलेशन यानी रिश्तो से दोबारा जुड़ना नए रिश्ते बनाने जैसा है जिसमें आप मौजूदा वक्त में एक दूसरे का साथ इंजॉय करते हैं, ना कि गुजरे वक्त में क्या हुआ उसी पर अटके रहें. एक मां बेटी ने बुनाई के क्लास के जरिए अपना नया रिश्ता बनाया. उनके रिश्ते में कुछ खटास आ गई थी जिसकी वजह से वह सालों तक दूर रहीं. लेकिन बुनाई के अपने इंटरेस्ट को फॉलो करने के फैसले ने उन्हें एक नया रिश्ता बनाने का मौका दिया. दो बुजुर्ग हो रही बहनों के लिए स्लॉट मशीन पर खेलना एक दूसरे के पास रहने के मौके के तौर पर आया. यह सारे एग्जांपल्स आपको सतही लग सकते हैं आपको लग रहा होगा कि चीज़ें पेंट की गई है. कुछ हद तक है भी और नहीं भी क्योंकि जिसे आप प्यार करते हैं और सालों तक दूर रहे हैं दुबारा उसे पाकर उसके साथ खुश रहना कोई बनावटी बात नहीं है. और एक बार जब रिश्ता दोबारा बन जाए तो पास्ट में हुए उस इंसिडेंट पर अच्छे से बात करने के चांसेस भी होते हैं. दरअसल बहुत से ऐसे लोग जिन्होंने अपनो के साथ दोबारा रिश्ता बना लिया उन्होंने पाया कि जिस माफी का वह इंतजार कर रहे थे वह माफी रिश्ता बन जाने के बाद मांग ली जाती है.
हमें अपने फैमिली मेंबर की उम्मीदों के लिए एडजस्ट करना पड़ेगा और उनकी असल आईडेंटिटी के साथ उन्हें एक्सेप्ट करना पड़ेगा
टीवी पर हो या सोशल मीडिया पर हमें सिर्फ खुशहाल फैमिली की तस्वीरें ही दिखती हैं. लेकिन हम सबको पता है, टीवी पर जो दिखता है वह हकीकत से कहीं अलग होता है. असल में फैमिली कॉम्प्लिकेटेड होती है, कभी कभी हो सकता है आपकी फैमिली ब्रांडी बंच नाम के शो से बिल्कुल अलग हो. हम सब बस इसी उम्मीद में लगे रहते हैं कि फैमिली को ऐसा होना चाहिए. हम यह उम्मीद करते हैं कि हमारे बच्चों को उसी रिलिजन पर यकीन करना चाहिए जिस पर हम करते हैं या हमारे भाई बहनों को हमेशा हमारा साथ देना चाहिए. जब यह उम्मीदें पूरी नहीं होती तो रिश्तो में दूरी आ जाती है. अगर कोई हमें ना उम्मीद करता है या तकलीफ देता है तो उससे दूर हो जाना नेचुरल लगता है. लेकिन रिश्तो में आई दूरी का हमारे साइक्लोजिकल स्टेट पर जो असर होता है उसे देखते हुए यही बेहतर है कि अपनी उम्मीदों को थोड़ा सा एडजस्ट करके रिश्तो को संभाले रखा जाए. डीना ने अपने भाई के साथ रिश्तो को बेहतर करने के लिए यही तरीका अपनाया. जब डीना के भाई ने उनके बीमार मां-बाप का ख्याल रखने से मना कर दिया तो उसे बहुत ना उम्मीदी हुई वह अपनी जिंदगी में बिजी था और काम में अपनी हिस्सेदारी नहीं निभाता था, जिसकी वजह से नाराज होकर डीना ने अपने भाई से सारे रिश्ते खत्म कर दिए. सालों तक ऐसा ही रहा, फिर उसने अपने फैसले पर एक बार दुबारा गौर किया और उसे समझ आया की रिश्तो को टूटने से बचाने के लिए उसे अपनी उम्मीदों से एडजस्टमेंट कर लेना चाहिए. यह सच है कि उसका भाई खुद में बिजी था, लेकिन वह अपने भाई से बहुत प्यार करती थी और उसके साथ रहना भी पसंद करती थी. इसलिए उसकी गलतियों को जानने के बावजूद उसने अपने भाई को उसकी गलतियों के साथ एक्सेप्ट किया. हालांकि अपनी उम्मीदों को कम करने का मतलब यह नहीं है कि आप ना चाहते हुए कुछ भी एक्सेप्ट कर ले. किसी भी तरह की तकलीफ पहुंचाने वाले रिश्तो को एक्सेप्ट नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन बहुत सारे झगड़ों में ऐसा कोई तरीका नहीं अपनाया जाता जिसे आप तकलीफदेह कह सकें. अक्सर अलग-अलग वैल्यूज़ या सोच के आपस में भिड़ जाने की वजह से झगड़े हो जाते हैं. मिसाल के तौर पर 2 बुजुर्गों ने अपने पोते या पोती के पैदा हो जाने के बाद भी अपने बेटे और बहू के साथ रहने की उम्मीद जताई. जब उन्हें होटल में रुकने के लिए कहा गया वह बहुत नाराज हुए और पूरे परिवार से नाते तोड़ दिए. उनके लिए कहीं और रहने के लिए कहा जाना रिजेक्शन जैसा था, इन दोनों कपल्स के बीच में फैमिली को कैसे ट्रीट किया जाना चाहिए, "इस सोच" का फर्क था. लेकिन अच्छी बात यह रही कि उन्होंने अपने फैसले को एक और मौका दिया और अपने रिश्ते बेहतर कर लिए. नहीं तो रहने को लेकर इस झगड़े की वजह से उन्हें पोते पोतियों के साथ अपने रिश्ते दांव पर लगाने पड़ते.
रिश्तों को दुबारा सही करना तभी पॉसिबल है जब उनमें बाउंड्रीज़ हों। सोच कर देखिए कि आपने अपनी मां के साथ रिश्तों को बेहतर करने के लिए बहुत मेहनत की, जो अक्सर आप के खिलाफ गलत शब्दों का इस्तेमाल करती हैं, बिना वजह सुनाती हैं. पास्ट में जो कुछ भी हुआ आप उसे बहुत ध्यान से सोचती हैं और अपनी उम्मीदों से समझौता करके रिश्ते को दुबारा मजबूत करती हैं. लेकिन उसके बावजूद वह आपके साथ वैसा ही रवैया रखती हैं और बिना वजह आप पर फट पड़ती हैं. इस तरह के हालात दुबारा हो जाने के डर से लोग रिश्तो को बेहतर करने की कोशिश तक नहीं करते. अगर आपका फैमिली मेंबर वही हरकत दोबारा करे जिसकी वजह से आपने रिश्ते तोड़ दिए थे तो? रिश्तो की दूरी अनकंफरटेबल होती है लेकिन ऐसे रिश्तो से पूरी तरह कट जाना ही आपको सिक्योर रख सकता है. जब आप दुबारा शुरू करें तो क्या पता क्या हो जाए? इस तरह का डर जायज है. कभी-कभी फैमिली मेंबर्स पर ट्रस्ट नहीं किया जा सकता, वह आपको इमोशनली अनसेफ महसूस कराते हैं. इसीलिए रिश्तो के बीच बाउंड्रीज़ होना रिश्तो को दोबारा सही करने के लिए बहुत जरूरी है. तो आप यह बाउंड्रीज कैसे बनाएंगे? थेरेपी एक अच्छा कदम हो सकता है. एक अच्छा थैरेपिस्ट आपको अपनी बाउंड्रीज बनाने में मदद करेगा, और रिश्तों को दुबारा सही करने के लिए नेगोशिएशन करते वक्त कुछ अच्छे रीज़न्स दे देगा जिन पर आप अड़े रह सकते हैं. आप सामने वाले से क्या एक्सेप्ट करेंगे इसे वेरीफाई करना और साफ तौर पर फैमिली मेंबर से कह देना बहुत जरूरी है. अगर आपके पैरेंट्स बिना वजह आप पर चीखते चिल्लाते हैं तो आप उनसे दुबारा रिश्ता बनाने से पहले यह क्लियर कर सकते हैं कि अगर उन्होंने दुबारा वैसा करना शुरू किया तो आप उनसे दूर हो जाएंगे. नाम भर का रिश्ता या वह रिश्ता जिसमें एक दूसरे पर ज्यादा हक ना हो, आपका पेरेंट्स के साथ जैसा रिलेशन पहले था मौजूदा रिश्ता उससे बहुत अलग हो सकता है, लेकिन कोई भी रिश्ता ना रखने से बेहतर है. आपके लिए अपनी बाउंड्रीज सेट करना बहुत जरूरी है, यह आप को मजबूती देता है. हालांकि अगर आपके फैमिली मेंबर आपकी शर्तों को मान भी लेते हैं तो आपको इस बात का पता होना चाहिए कि वह आप की लिमिट जरूर चेक करेंगे. इसलिए अपनी बाउंड्री दुबारा सेट ज़रूर करना चाहिए. जब संजय ने अपने फादर के साथ रिश्ते बेहतर कर लिए तो उनके साथ कुछ ऐसा ही हुआ. हालांकि उसके फादर बहुत अच्छे दादा थे लेकिन फिर भी सेल्फिश और हर चीज में नुक्स निकालने वाले थे. संजय ने इस शर्त के साथ अपने फादर से दुबारा रिश्ता स्टैबलिश्ड किया था कि वह अपने ओपिनियन खुद तक ही रखेंगे. जब उसके फादर ने दुबारा वैसा किया तो संजय ने बातचीत करनी बंद कर दी. या फिर यह कहा कि "अगर आपने अपना रवैया ऐसे बनाए रखा तो हमें यहां से जाना पड़ेगा," उसके फादर को एहसास हुआ कि संजय सीरियस है और उन्होंने फौरन अपने बिहेवियर में बदलाव कर लिया. संजय को एहसास हुआ कि अपने फादर के साथ सख्ति बरत के उसने अच्छा किया क्योंकि उसी सख्ति की वजह से उनका रिश्ता बरकरार है.
आपको ही पता है कि आप कब अपने रिश्तो को दुबारा सही करने के लिए तैयार हैं
आर्लन माफी के बारे में सीख रहा था तभी उसे एक बात का एहसास हुआ. उसने फैसला किया कि वह अपने भाई के साथ हुए झगड़े को भूल कर उसके साथ अपने रिश्ते को बेहतर करेगा. जैसे कोई बड़ा झगड़ा या हादसा आप के रिश्ते को खत्म कर सकता है, वैसे ही रिश्तो की अहमियत का एहसास फौरन ही रिश्तो को बेहतर करने की तरफ कदम बढ़ाने के लिए इंकरेज कर सकता है. जिस पल आपको चीजें समझ में आने लगती हैं उसी पल आप फैसला लेते हैं कि आप अपनी फैमिली को एक और मौका देंगे. कभी-कभी रिश्तों को बेहतर करने का फैसला लेने में बहुत वक्त लग जाता है. फैमिली के बीच आई दूरी के बारे में लोग कुछ ज्यादा ही सोचने लगते हैं, वह सोचते हैं, कि अगर उन्होंने दुबारा किसी को अपनी जिंदगी में जगह दी तो हालात कैसे होंगे. उन हालातों के बारे में सोचने में वक्त लेना बहुत जरूरी भी है. इससे आप अपने रिश्ते और उस रिश्ते में अपने रोल को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे, और सब कुछ दुबारा सही करने में जो अच्छाइयां और बुराइयां है वह आप बेहतर तरीके से जान सकेंगे. यकीनन, किसी भी टूटे रिश्ते को सही करने के लिए दो तरफा कोशिशों की जरूरत होती है. तो आपको यह भी सोचने की जरूरत होती है कि अगर आपने आगे कदम बढ़ाएं और आपकी फैमिली ने रिजेक्ट कर दिया तो. क्या आप वह बर्दाश्त कर सकेंगे? अगर आप दुबारा कांटेक्ट करने का फैसला करते हैं, तो एक एक्शन प्लान बनाइए. सोचिए क्या आप सामने वाले को कॉल करना चाहेंगे या उससे पर्सनली मिलना चाहेंगे. यहां पर आपको यह भी सोचना है कि आपका यह नया रिश्ता कैसा होगा. क्या आप छुट्टियों में सिर्फ दोस्ताना कांटेक्ट रखना चाहेंगे या आप और करीबी रिश्ता चाहते हैं? इंश्योर कीजिए कि आपके रिश्ते रीजनेबल हैं मतलब आप बिना वजह की उम्मीदें नहीं रख रहे हैं. अगर आपके रिश्ते अपनी डॉटरइनलॉ से अच्छे नहीं रहे हैं तो आप अचानक से बेस्ट फ्रेंड बन जाने की उम्मीद नहीं रख सकते. अगर आपको समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए इस दौरान कोई अच्छा दोस्त याथेरेपिस्ट आपकी मदद कर सकता है. एक बार आपने प्लान तैयार कर लिया तो आप आगे बढ़ने के लिए भी तैयार हैं. याद रखिए दुबारा कांटेक्ट करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसमें नुकसान से ज्यादा फायदा है. अगर आपकी फैमिली दुबारा जुड़ने के लिए तैयार भी नहीं होती तो कम से कम आप को इस बात का सुकून तो होगा कि आपने कोशिश की थी.
कुल मिलाकर
फैमिली प्रॉब्लम बहुत कॉमन चीज है लेकिन इसके बारे में बात किया जाना अच्छा नहीं समझा जाता. किसी भी तरह के बड़े झगड़े आपके साइकोलॉजिकल स्टेज पर बहुत बुरा असर डालते हैं और आपकी पूरी फैमिली बिखर जाती है. अच्छी बात यह है कि अगर आप पास्ट में हुए हादसे को भूल जाएं, और बिना वजह की उम्मीदें ना रखें तो रिश्तो को दुबारा बेहतर किया जा सकता है. एक साथ मिलकर आप नया रिश्ता बना सकते हैं. जिसमें हर किसी की अपनी बाउंड्रीज होगी और बिना वजह की उम्मीद नहीं होगी.
क्या करें
अगर आप अपना कोई भी फैमिली प्रॉब्लम सॉल्व करना चाहते हैं, तो जल्दी कीजिए
जितनी जल्दी किसी झगड़े के बाद आप सामने वाले से कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं, रिश्तो के बेहतर हो जाने की उतनी ही ज्यादा पॉसिबिलिटी होती है. क्योंकि जितना वक्त गुजरता जाता है, लोग अपने साइड की कहानी को लेकर उतना सेंसिटिव होते जाते हैं. अगर आप किसी झगड़े के तुरंत बाद चीजें ठीक करने की कोशिश करते हैं तो हो सकता है रिश्तो में दूरी आए ही ना.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Fault Lines by Karl Pillemer
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.
