Marianne Williamson
यूनिवर्स के हायर पॉवर से रूबरू करवाने वाली एक किताब
दो लफ्जों में
साल 1992 में रिलीज हुई किताब “A Return to Love” रीडर्स को इस यूनिवर्स के हायर पॉवर से रूबरू करवाने का काम करती है. इसी के साथ इस किताब के माध्यम से रीडर्स जान पायेंगे कि वो कैसे अपनी स्प्रिचुअल जर्नी को बेहतर बना सकते हैं. आज के दौर में अधिकांश लोगों को तो ये पता भी नहीं होता है कि वो अपने अंदर कितना सारा प्यार लेकर बैठे हुए हैं. पता नहीं वो कौन सा डर है? जिसके कारण लोग प्यार को नज़र अंदाज़ कर देते हैं. इस किताब के ज़रिये राइटर ने पूरी कोशिश की है कि वो आपके अंदर से उस डर को दूर कर सकें.
ये किताब किसके लिए है?
· ऐसे लोग जिन्हें धार्मिक ज्ञान की ज़रूरत है
· धर्म के ज्ञान के लिए
· ऐसे लोग जिन्हें सुकून और प्यार को समझना हो
लेखक के बारे में
लेखन की दुनिया में मशहूर Marianne Williamsonइस किताब की लेखिका हैं. राइटर होने के साथ ही साथ Marianne Williamsonस्प्रिचुअल गुरु भी हैं. लेखिका की कई सारी किताबें न्यू यॉर्क टाइम्स की बेस्ट सेलर हैं. “The Age of Miracles” और “Healing the Soul of America” जैसी किताबों का लेखन भी लेखिका ने ही किया है.
अगर आप खुश नहीं हैं तो आपके अंदर डर है
अगर आपको स्प्रिचुअल जर्नी में इंटरेस्ट है. अगर आप ये जानना चाहते हैं कि प्योर फॉर्म ऑफ़ लव क्या होता है? तो फिर ये किताब आपके लिए बिल्कुल सही है. इस किताब में लेखिका ने बताया है कि कैसे इस यूनिवर्स के बॉस ने सभी की जिंदगी में प्यार को भरपूर भरा है. देर है तो बस उस बात की, कि लोग उस प्यार को समझ लें. इस किताब के अध्यायों में आपको ये भी पता चलेगा कि अगर आप खुद को उस शक्ति को सौप दें तो कैसे आपकी पूरी जिंदगी में बदलाव आ सकता है.
एक सवाल यहां आपसे पूछना बहुत ज़रूरी है. वो सवाल ये है कि क्या इस दुनिया में सभी चीज़ें बहुत अच्छी हैं? इस सवाल का जवाब है कि नहीं. इस दुनिया में कुछ चीज़ें खराब भी हैं. अब एक और सवाल खुद से करिए कि क्या आप खुश हैं? अगर इसका जवाब आपको मिले कि आप खुश नहीं हैं. तो इसके पीछे का रीजन क्या है?
अगर हमारे दुखी होने का कारण बीमारी है या फिर कोई घटना है. तो हमें उसके पीछे छुपे हुए डर को भी देखने की कोशिश करनी चाहिए. आज के दौर में कुछ ऐसा होने लगा है कि हम अपने ऊपर डर को कुछ ज्यादा ही हावी होने देते हैं.
डर की शुरुआत कहां से होती है? कई बार तो इस डर की शुरुआत सोसाइटी से होती है. ये हालात खराब तब हो जाते हैं. जब इस डर की शुरुआत बचपन से होने लगती हैं. बच्चे को स्कूल में ही ग्रेड्स का डर होता है. उसके अंदर ये भी डर होता है कि अगर मैंने अच्छा नहीं किया तो मेरे साथ ये होगा.
स्कूल के दौर में जो डर का बीज बो दिया जाता है. वो एक पेड़ का रूप ले लेता है. जब हम बड़े होते हैं. जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं. ये डर भी विशाल और बड़ा होता जाता है. जवानी में जॉब का डर. फिर घर बसाने का डर. आज कल तो एक नए तरीके का डर भी देखा जाता है. ये डर है जवानी में ब्रेक अप का डर. महबूब या फिर महबूबा के भाग जाने का डर. बुढ़ापे में बच्चों का डर. याद रखिये, हर पीढ़ी में इस डर की नींव को बचपन में ही डाला जाता है.
ज़्यादातर लोगों की ज़िन्दगी में डर ने एक गहरा घर बना लिया है. ये डर एक साइकिल के तौर पर आपकी जिंदगी पर बैठ गया है. अब समय आ गया है कि आप इस डर से बाहर आयें.
क्या आप जानते हैं कि ‘भगवान’ या ‘खुदा’ क्या होता है?
भले ही आज का दौर खुद को कितना भी मॉडर्न क्यों ना मानता हो? लेकिन एक सच्चाई को कोई नकार नहीं सकता है कि हम सभी एक दूसरे से इंटर कनेक्टेड हैं. एक प्यार भरे रिश्ते से और उस रिश्ते की डोर इश्वर के हाथों में है. इन्ही को हर मजहब में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
दिक्कत ये है कि हमने अपनी जिंदगी को डर से इतना जोड़ लिया है कि हमने इस ओर ध्यान ही देना बंद कर दिया है. इस दुनिया में एक प्यार फैला हुआ है. जिसका आकार समुद्र से भी बड़ा है. इसी प्यार को लोग अलग-अलग नामों से पुकारते हैं.
साइकोलोजिस्ट कार्ल जंग मानते हैं कि इस दुनिया में सभी लोग एक ही तरह के दिमाग से कनेक्ट हैं. कार्ल जंग ये कहते हैं कि ये हम सब लोगों की गलत फहमी है कि हम सब अलग-अलग हैं. उनके हिसाब से इस दुनिया में कोई एक शक्ति ही निवास कर रही है. बस शरीर अलग-अलग हैं.
आज के समय के लोग खुद को शरीर समझने लगे हैं. इसलिए वो डिप्रेशन में भी जाते हैं और दुखी भी रहते हैं. बल्कि हमें खुद को आत्मा से कनेक्ट करना चाहिए. हम शरीर बस नहीं हैं. शरीर तो एक बहुत छोटी चीज़ है जो कि आज तो हमारे पास है लेकिन कल इसे ख़त्म जाना है. इसलिए अब समय आ गया है. जब आप इश्वर की शक्ति को पहचानिए.
अपने आपको जब आप इश्वर को सौंप देंगे. तब आप असल जीवन के दर्शन करने लायक भी बन जाएंगे.
इसी के साथ इस किताब में लेखिका ये भी बताती हैं कि आज के समय में लोग ‘गॉड’ शब्द को बड़ा नेगेटिव लेते हैं. कई लोग तो इस शब्द को अलग-अलग जाति और धर्म से जोड़कर देखने लगते हैं. लेकिन अगर आप भगवान को मानते हैं तो इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आप किसी भी धर्म को मानते हों. लेखिका कहती हैं कि अगर आप इस दुनिया में प्यार को मानते हैं तो आप भगवान या फिर गॉड या फिर इश्वर को मानते हैं.
प्यार की परिभाषा भी लोग जिस्म से लगाने लगते हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. प्यार तो आत्मा का खेल होता है. अगर आप इसे जिस्म में तलाश करने की कोशिश करेंगे तो निराशा ही आपके हांथो में लगेगी.
खुद को ऊपर वाले के हाथों में सौपना ही बेहतर है
कई लोगों को ऐसा लगता है कि ‘गॉड’ के ऊपर खुद को सौपने का मतलब होता है कि आप कमजोर हो गये हैं. लेकिन अगर आप प्यार पर भरोसा करते हैं. तो फिर आप आज़ादी का अनुभव करेंगे. ये आज़ादी आपको तभी मिलेगी जब आपके अंदर से डर मिटेगा. डर कैसे मिटेगा?
डर खत्म करने का तरीका है कि ऊपर वाले की शक्ति को पहचानिए. उस शक्ति के प्रति खुद को न्योछावर कर दीजिये. जब आप खुद की जिंदगी को उसके ऊपर छोड़ेंगे तभी तो ‘गॉड’ भी आपकी मदद करने के लिए आयेंगे.
अगर आपने कभी ऐसी कहानियां सुनी होंगी या फिर देखी होंगी. क्या आपने कभी किसी को नशा छोड़ते हुए देखा है? अगर देखा है तो आपने ये भी देखा होगा कि कैसे स्प्रिचुअल जर्नी से लोगों ने फर्श से अर्श तक के सफर को तय किया है. मतलब साफ़ है कि जब आप ऊपर वाले के ऊपर ध्यान लगाओगे तब आपको शांति और सुकून अपने आप मिल जाएगा.
एक बात और कभी नहीं भूलनी चाहिए कि जब चीज़ें इंसान के हाथों से निकल जाती हैं. तभी ईश्वर का करिश्मा शुरू होता है. जहाँ करिश्मा होता है वहीं तो इश्वर का वास होता है. इसलिए अब समय आ गया है खुद को सरेंडर करने का. उस शक्ति के सामने खुद को सरेंडर कर दीजिये. जिस शक्ति के सामने आपका बस ही ना चलता हो.
जितनी जल्दी आप इस बात को समझ जाएंगे. जिंदगी में खुशियों का रास्ता भी आपको उतनी ही ज़ल्दी मिल जाएगा.
अगर अभी आपको ऐसा लगता हो कि आपका समय अच्छा नहीं चल रहा है. तो फिर ये सही समय है कि आप ऊपर वाले को करने दीजिये जो उसे करना है. कर्म प्रधान इस दुनिया में करिश्मे होते हैं. जब करिश्मे होते हैं ना तब विज्ञान भी फेल हो जाता है.
विश्वास रखिये उस शक्ति के ऊपर. वो शक्ति आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगी. अब आपके सामने सवाल आ रहा होगा कि खुद को सरेंडर कैसे करें?
सबसे पहले तो अपने दिमाग में भरे हुए कचड़े को साफ़ करिए, जितनी जल्दी आप इस धर्म के रंग में रंगे हुए कचड़े को साफ़ करेंगे. उतनी ही जल्दी आप ‘गॉड’ से कनेक्ट हो सकेंगे. अपने दिमाग को हर विचार से ऊपर ले जाने की कोशिश करिए. उसके बाद बस प्राथना करिए कि ऊपर वाला आपको सही रास्ते पर चलने की शक्ति दे.
अपने प्राथना में ये दुआ करिए कि वो आपको गाइड करे. इतना समझ लीजिये कि भले ही आप अपने अच्छे समय में उसे भूल जाएँ. लेकिन वो आपको आपके बुरे समय से ज़रूर बाहर निकालने के लिए आएगा. विश्वास में ही आपकी जीत है. जीत के साथ ही ख़ुशी भी आपको उसी मार्ग में मिलेगी.
‘गॉड’ तुस्सी ग्रेट हो
आज के दौर के युवाओं की एक कॉमन दिक्कत है. उस दिक्कत का नाम है कंफ्यूजन. आज के समय का युवा कन्फ्यूज है कि उसे आखिर करना क्या है? अपने करियर को लेकर भी और अपनी जिंदगी को लेकर भी, इस सवाल का जवाब सभी ढूंढ रहे हैं.
इसी के साथ ईगो का खेल भी शुरू होता है. हम सब के अंदर पता नहीं किस चीज़ का ईगो है? लेकिन है ज़रूर. इसी कारण कई बार ये देखने को मिलता है कि हम अपनी जिंदगी में काफी गलत फैसले करते हैं. कई फैसले तो इतने गलत होते हैं कि उसका खामियाजा बहुत बुरा होता है.
इसी के साथ इसी ईगो की वजह से आज के समय में लोग एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं. एक बात ध्यान रखियेगा कि ईगो की वजह से आपको जॉब में प्रमोशन तो मिल सकता है. लेकिन जिंदगी में ख़ुशी नहीं मिलेगी. अब फैसला आपको करना है कि ख़ुशी चाहिए या फिर ईगो चाहिये.
समाज का एक सर्कल है जिसे बुद्धिमान लोग चलाते हैं. इसी सर्कल के कारण लोगों के अंदर ईगो का जन्म होता है. अगर आपने एक बार इस सर्कल की झूठी मान्यताओं को तोड़ दिया ना तो फिर जिंदगी के राजा आप ही हो.
इन मान्यताओं के उस पार जिंदगी है. इस पार है तो बस ईगो. कृपा करिए और गॉड की तरफ चलिए. यानी जिंदगी आपका इंतज़ार कर रही है.
याद रखिये, खुशियाँ ज्यादा समय तक किसी का इंतज़ार नहीं करती हैं. इसलिए अब समय आ गया है. लाइफ को एक मीनिंगफुल उद्देश्य देने का.
इस किताब में लेखिका बताती हैं कि अध्यात्म के आने से आपकी ज़िन्दगी को आज़ादी मिलेगी. लाइफ को इतना आज़ाद बना दीजिये कि छोटी-मोटी दिक्कतों की तरफ तो आपका ध्यान ही नहीं जाना चाहिए.
रिलेशनशिप और इमोशनल हीलिंग
एक सवाल खुद से पूछिए कि जिंदगी को लेकर आपका नज़रिया कैसा है? क्या आपके पास शेर जैसा एटीट्यूड है? अगर आपके पास मेमने यानी बकरी के बच्चे की तरह एटीटयूड है तो फिर आपकी जिंदगी जंगल के शेर की तरह कैसे होगी?
हम अपने सम्बंधों में कठिनाइयाँ झेलते हैं क्योंकि हमारा नजरिया ही दूसरे के प्रति सही नहीं रहता है. पूछियेगा खुद से कि क्या आपकी ख़ुशी आपके पार्टनर की मोहताज है? या फिर किसी भी दोस्त या परिवार की मोहताज़ है?
अपनी ख़ुशी का व्यवहार बदलिए. आपकी ख़ुशी का ठिकाना भी अपने आप ही बदल जाएगा.
अगर रोमांटिक रिलेशनशिप की वजह से आप परेशान हैं. तो क्या आपने सही इंसान का चुनाव किया है. अगर आपने सही इंसान का चुनाव नहीं किया है तो परेशानी तो लाज़मी है. इसलिए अपनी ख़ुशी का रास्ता अध्यात्म को बनाइए. बाकी ये सब छोटी-छोटी बातें हैं. जब आप अध्यात्मिक राह में चलने की शुरुआत कर देंगे तो इन सब बातों की तरफ आपका ध्यान ही नहीं जाएगा.
अब आप सोचिये कि आपको कितनी शांति मिलेगी जब ये सब दिक्कतें आपके पास नहीं होंगी. अगर कोई बोले कि आओ अपनी सभी दिक्कतें मुझे दे दो और ले जाओ भरपूर खुशियाँ. कुछ ऐसा ही होता है जब गॉड के सामने खुद को सरेंडर करते हो.
एक बात और ध्यान रखियेगा कि अध्यात्म ये कभी नहीं कहता है कि आप लोगों से रिलेशनशिप ना बनाओ. लेकिन एक बार खोजी तो बनो खुद की जिंदगी के लिए. ये देखिए तो कि जिसे आप चुन रहे हैं क्या वो इसका लायक भी है कि नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि जिसे आप आत्मा समझ रहे हैं. वो आपको बस एक शरीर ही समझता हो. ऐसा लेखिका इसलिए कह रही हैं क्योंकि ज्यादातर ब्रेक अप में यही होता है.
अगर आपको किसी ने धोखा दिया है. अगर आपके पार्टनर ने आपको किसी और के लिए छोड़ दिया है. तो सबसे पहले तो आप इस चीज़ को एक्सेप्ट कर लीजिये. इसके बाद कभी भी किसी के लिए भी कोई गुस्सा अपने अंदर मत रखियेगा. जब आप खुद को गॉड के सामने सरेंडर करते हैं. तो गॉड आपसे यही कहते हैं कि सबको माफ़ करो और आगे बढ़ते रहो. जिंदगी का दूसरा नाम ही आगे बढ़ना है.
अपनी जिंदगी को आप नई उचाईयों से भरिये. पीछे जो कूड़ा छूट गया उसे जल्द से जल्द अपने दिमाग से बाहर का रास्ता दिखा दीजिये. जब आपको गॉड से प्यार हो जायेगा ना तब आपकी जिंदगी में इन सब बातों के लिए समय ही नहीं बचेगा.
आपकी जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आयेंगे. जब सिचुएशन आपके विरोध में खड़ी होंगी. कई ऐसे लोग आपको मिलेंगे जो सिर्फ और सिर्फ दुःख ही देकर जाएंगे. अगर आप अपने आपको अध्यात्मिक कहते हैं. तो सबसे पहले तो माफ़ करना सीखिए. जब आप लोगों को माफ़ करने लगेंगे तो आपका दिमाग भी हल्का होने लगेगा.
इसके लिए सबसे पहला कदम तो आप ये उठाइये कि जिन लोगों ने भी आपको हर्ट किया है. उनसे आप जब भी मिलिएगा तो बड़े प्रेम से मिलिएगा. ऐसे मिलिएगा कि जैसे आप उनसे बहुत प्रेम करते हों.
दूसरा तरीका ये है कि हमेशा याद रखिये कि आपके पास जो भी समय है. वो अभी का है. पास्ट और फ्यूचर बस कल्पनाओं तक ही रह सकते हैं. खुद को एक बड़े लक्ष्य की तरफ केन्द्रित कर दीजिये. जितना बड़ा आपका लक्ष्य होगा. उतना ही कम समय आपके पास होगा.
जब आपके पास समय ही नहीं होगा. तो फिर आपको पुरानी यादों से ही रूबरू नहीं होना पड़ेगा. खुद को तैयार करिए. इसलिए कहा गया है कि खुद के शरीर को मज़बूत बनाने से पहले खुद के मन को मज़बूत बनाइए. जब आपका मन मजबूत हो जाएगा. तो आपके लिए ये सब बातें एक मजाक के तौर पर हो जायेंगी.
अब एक सवाल आपके मन में आ सकता है कि अभी के समय में कैसे रहें? क्या उसका भी कोई तरीका है? इसके लिए आप मैडिटेशन का उपयोग कर सकते हैं. मैडिटेशन से आपको बहुत ज्यादा मदद मिलेगी. उस मैडिटेशन में आप गॉड से कहियेगा कि वो आपको लाइफ में आगे के लिए रास्ता दिखाएँ.
आपकी प्रेयर में जितनी शिद्दत होगी. भगवान आपकी बात उतनी ही जल्दी सुनेंगे. ईश्वर से कहियेगा कि अब ये जिंदगी आपकी ही है. जैसा आप चाहेंगे. वैसी ही राह में हम चलेंगे.
अपनी समझ से दुःख की साइकिल को तोड़ दीजिये
जिन लोगों का बचपन ही दुख से भरा हुआ होता है. उन लोगों के लिए हमेशा ख़ुशी से जी पाना मुश्किल होता है. काफी कठिन डगर होती है. ये भी देखा गया है कि जिनका बचपन दुःख से भरा होता है. उन्हें उम्र भर उस दुःख की पीड़ा रहती है. उन्हें इस बात का डर भी बना रहता है कि कहीं वो गम फिर से उनकी जिंदगी में ना आ जाए.
एक बात याद रखिये कि इस जिंदगी में समय आपके पास ज्यादा नहीं है. अधिकत्तर समय इंसान सोते हुए ही निकाल देता है. फिर अगर आप इतने बड़े बोझ के साथ जिन्दगी को आगे ले जाने की कोशिश करेंगे तो कभी आप ज़िन्दगी के असली रंग को देख ही नहीं पायेंगे.
कई केस में ये भी देखा गया है कि लोग पास्ट के ट्रामा को भूल ही नहीं पाते हैं. अगर कभी किसी ने हर्ट किया था तो उन्हें वो दर्द आज भी होता है. लोग अपना समय ये सोचने में लगाते रहते हैं कि आखिर उस इंसान ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया?
उस ट्रामा से ना निकल पाना सिर्फ और सिर्फ समझ को पैदा ना कर पाने के कारण होता है. कई बार तो दिक्कत उतनी बड़ी होती भी नहीं है. जितनी बड़ी आप उसे अपने दिमाग में बना लेते हैं. अगर आपने वो समझ पैदा नहीं की तो दर्द की एक साइकिल बन जायेगी. अधिकत्तर केस में वो साइकिल बन जाती है. जब एक ऐसी साइकिल बन जाती है तो उसे तोड़ने में काफी दिक्कत होती है.
एक बात को याद कर लीजिये कि दर्द से ही और दर्द का जन्म होता है. इसलिए खुद को उन यादों में डालकर परेशान करना बंद कर दीजिये. अब उन यादों की जगह इस जिंदगी में तो बिल्कुल नहीं है.
इसलिए खुद से हमेशा पूछते रहा करिए कि क्या सही जिंदगी जी रहें हैं? जब ये सवाल आप खुद से करते रहेंगे तो जवाब भी आपको अध्यात्म की तरफ लेकर जाएगा.
ईश्वर से पूछेंगे तो एक ही जवाब मिलेगा कि मेरी इस दुनिया में चारों तरफ प्यार ही प्यार है. इस प्यार के सागर में तुमने दुःख को क्यों अपने पास जगह दी हुई है. थोड़ा बहुत दुःख झेलकर उसे भगा दिया करो.
इस दुनिया को प्यार की निगाहों से देखने की कोशिश करिए. जितना प्यार दे सकते हैं. उतना लोगों को दीजिये.
कुल मिलाकर
ये दुनिया बहुत बेहतर हो जायेगी. जब हम खुद दर्द लेना और दूसरों को दर्द देना बंद कर देंगे. हमको समझ लेना चाहिए कि हमारे ऊपर एक कम्प्लीट फ़ोर्स है. उस फ़ोर्स से जुड़ने के लिए आपको किसी भी धर्म से जुड़ने की ज़रूरत नहीं है. अगर किसी से जुड़ना है ही तो इंसानियत से जुड़िये. खुद को ऊपर वाले की तरफ सरेंडर कर दीजिये. ख़ुदा से इश्क करिए वो कभी भी बेवफ़ाई नहीं करेगा. इंसानियत और प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं है.
अपने दिन की शुरुआत प्यार और अध्यात्म के साथ करिए.
दिन में जब भी आप उठें तो भगवान से कहिये कि वो आपको रास्ता दिखाएँ. ज़िन्दगी में खुशियों की दस्तक अपने आप ही हो जायेगी.
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