Disney U

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Doug Lipp
How Disney University Develops the World’s Most Engaged, Loyal, and Customer-Centric Employees

दो लफ्ज़ों में 
साल 2013 में रिलीज़ हुई किताब “Disney U” प्रसिद्ध डिज़्नी थीम पार्क के मैसिव सक्सेस के पीछे की कहानी बताती है. इस किताब में बताया गया है कि अपने स्टाफ की केयर करके कैसे डिज़्नी ने सफलता के नए मुकाम हासिल किए हैं? इन चैप्टर्स की मदद से आपको पता चलेगा कि डिज़्नी की फिलॉसफ़ी आपके बिज़नेस के लिए कैसे मददगार साबित हो सकती है? 

ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसे लोग जो अपने बिजनेस को अलग मुकाम पर ले जाना चाहते हों 
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
- नए आंत्रप्रेंयोर्स के लिए 
- ऐसे लोग जिन्हें डिज़्नी थीम पार्क की सफलता के बारे में जानना हो 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन Doug Lipp ने किया है. टोक्यो डिज़्नीलैंड में डिज़्नी यूनिवर्सिटी की स्थापना में इनका महत्वपूर्ण योगदान था. इन्होंने अपने सालों के अनुभव का सार इस किताब में लिख दिया है.

कंपनी के वैल्यूज़ ऐसे होने चाहिए जिससे स्टाफ को मोटिवेशन मिलती रहे
आज के समय में कई बच्चों का सपना डिज़्नी लैंड और डिज़्नी वर्ल्ड में जाने का रहता है. जहाँ पर वो अपने हीरोज़ Peter Pan , Snow White और  Cinderella से मिलना चाहते हैं. सभी के मन में सवाल उठता है कि एक कंपनी पूरे विश्व के बच्चों के मन में राज़ कैसे कर सकती है? आखिर डिज़्नी ने ऐसा अलग क्या किया कि उसे इतनी बड़ी सफलता मिली? 

इसका जवाब उनके स्टाफ की ट्रेनिंग में छुपा हुआ है. आपको जानकार हैरानी हो सकती है कि वो अपने कर्मचारियों की ट्रेनिंग डिज़्नी यूनिवर्सिटी में करवाते हैं. आपको इन चैप्टर्स में डिज़्नी की सफलता का करिश्माई राज़ जानने को मिलेगा. जिसकी मदद से आप अपने बिजनेस को भी बाकी लोगों से अलग बना सकते हैं. इस समरी में आप यह भी सीखेंगे कि  ग्रेट कस्टमर सर्विस भी एक आर्ट है, इसलिए आपके लिए इसे सीखना भी ज़रूरी है और  सफल बिजनेसमैन बनने के मूलमंत्र। 

तो चलिए शुरू करते हैं!

किसी भी बिजनेस की सफलता में वहां काम करने वालों का रोल काफी ज्यादा रहता है. बिना वेल ट्रेंड, मोटिवेटेड और हैप्पी स्टाफ के आपका बिजनेस सफल नहीं हो सकता है. 

इसलिए एक सफल बिजनेस चलाने के लिए ज़रूरी है कि आप वहां का माहौल पॉजिटिव और मोटीवेटेड रख सकें. ये केवल सैलरी और बोनस देने से नहीं हो सकता है. कई कम्पनियां सोचती हैं कि वर्कप्लेस को बेहतर केवल बोनस देकर रख सकती हैं. लेकिन ये सोच पूरी तरह से गलत है. 

अगर आपको आज के समय में सर्वाइव करना है तो आपको अपने कर्मचारियों का ख्याल रखना होगा. 

कर्मचारियों को ऐसा लगना चाहिए कि उनकी सोच कम्पनी की वैल्यू सिस्टम से मिलती है. अगर उन्हें ऐसा लगेगा तो वो कंपनी की तरक्की के लिए पूरे दिल से काम करेंगे. 

कर्मचारी डिज़्नी की वैल्यू सिस्टम से कनेक्ट हो सकें, इसलिए डिज्नी ने कर्मचारियों की ट्रेनिंग की व्यवस्था यूनिवर्सिटी में की है. जहाँ की विचारधारा ही डिज़्नी की फिलॉसफ़ी है. वहां से ट्रेनिंग लेने के बाद कर्मचारियों को ऐसा लगता है कि उनकी सोच भी इसी तरह से है. 

इसलिए कर्मचारी डिज़्नी कंपनी से खुद को ज्यादा कनेक्ट मानते हैं. इसका फायदा कंपनी की ग्रोथ में देखने को मिलता है. 

इस चैप्टर का सार यही है कि आपके कर्मचारी का कनेक्शन आपकी कंपनी से होना चाहिए. उसे ऐसा लगना चाहिए कि वो अपनी ग्रोथ के लिए काम कर रहा है. जब उसे अपनेपन का एहसास होगा तो वो कंपनी के लिए भी पूरी शिद्दत से काम करेगा.

बिजनेस में साइंस और आर्ट दोनों के गुण छुपे हैं
आपको पता होना चाहिए कि बिजनेस साइंस और आर्ट का मिक्सचर है. इसमें दोनों के गुण छुपे हुए हैं. 

किसी भी आर्गेनाईजेशन की फिजिकल एबिलिटी जैसे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर उसकी साइंस साइड में आती है. डिज़्नी की सफलता के पीछे भी साइंस का बहुत बड़ा हाँथ है. डिज़्नी थीम पार्क की सुन्दरता उसकी साइंस की वजह से है. 

लेकिन ग्रेट और मज़बूत इन्फ्रास्ट्रक्चर बस से कुछ नहीं होता है. यहीं पर डिज़्नी के आर्ट का रोल आता है. किसी भी बिजनेस का आर्ट साइड उसे स्पेशल बनाता है. 

ज्यादातर बिजनेस का आर्ट साइड वहां पर काम करने वालों के हाथों में होता है. क्योंकि भूलना नहीं चाहिए कि बिजनेस कस्टमर के दम पर ही चलता है. और कस्टमर को स्पेशल ट्रीटमेंट वहां काम करने वाले लोग ही दे सकते हैं. 

इसलिए किसी भी बिजनेस की सफलता में वहां काम करने वाले लोगों का बहुत बड़ा हाँथ होता है. 

डिज़्नी ने अपने स्टाफ के ऊपर काफी मेहनत की है. जिसकी वजह से वहां पहुँचने वाला कस्टमर वहीं का हो जाता है. 

डिज़्नी ने अपने स्टाफ की प्रॉपर ट्रेनिंग करवाई है कि उन्हें कस्टमर के साथ कैसे बिहेव करना है? बच्चों को डिज़्नी लैंड में आना काफी पसंद रहता है. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण वो आर्टिस्ट होते हैं जो उनके सुपर हीरोज़ का किरदार निभाते हैं. उन आर्टिस्टस को भी डिज़्नी प्रॉपर ट्रेनिंग प्रोवाइड करवाता है.

मजबूत कंपनियां एक ही समय में भविष्य और अतीत को देखती हैं
आपको ऐसी बहुत सी कम्पनियां मिल जाएंगी जिन्होंने मार्केट में एक समय पर दबदबा बनाया था. लेकिन फिर समय के साथ उनकी सफलता खत्म हो गई. इसके पीछे के क्या कारण हो सकते हैं? 

अधिकत्तर कम्पनियां तब बिखर जाती हैं, जब वो खुद के प्रोडक्ट्स के अंदर चेंज लाना एक्सेप्ट नहीं करती हैं. इसकी सबसे बड़ी उदाहरण एक दौर की कार की रानी कहे जाने वाली फोर्ड कंपनी है. उस कंपनी की बर्बादी का कारण ही चेंज ना लाना है. 

इसी के साथ-साथ वो कम्पनियां भी फेल हो जाती हैं. जो बहुत जल्दी जल्दी अपने प्रोडक्ट्स में बदलाव करती रहती हैं. 

इसलिए सफल बिजनेस वही चला सकता है. जिसे बदलाव और ठहराव के बीच बैलेंस करते आता हो. बिना बैलेंस के आप ज़िन्दगी के सफर को एन्जॉय नहीं कर सकते हैं. 

आप चाहें तो इसी बैलेंस की तकनीक को डिज़्नी कंपनी से सीख सकते हैं. डिज़्नी समय के साथ तकनीक में तो एडवांस हो रही है लेकिन वो अपने वैल्यूज़ के इतिहास को भी नहीं भूलती है. उसे मालुम है कि उसके बिजनेस की रीढ़ की हड्डी वहां काम करने वाले कर्मचारी हैं. इसलिए वो उनका ध्यान रखना कभी नहीं भूलती है. 

वाल्ट डिज़्नी की मौत के बाद, कंपनी की वैल्यूज जिन्दा रहे, इसलिए कंपनी ने नया प्रोग्राम लॉन्च लिया था. जिसका नाम डिज़्नी ट्रेडिशन था. इसमें कंपनी से जुड़े नए मेम्बर्स को कम्पनी की पालिसी के बारे में बताया जा रहा था. इसी के साथ ये भी बताया जा रहा था कि कंपनी का विज़न क्या है.

लैंग्वेज ऑफ़ सक्सेस के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है
इंसानों के पास एक सबसे बड़ी शक्ति है, जिसे बातचीत करना या भाषा की शक्ति कहते हैं. लेकिन इसी शक्ति को ज्यादातर बिजनेस समझ नहीं पा रहे हैं. और यही कारण है कि ज्यादातर स्टार्टअप्स फ्लॉप हो जाते हैं. 

वो आज भी उसी घिसी पिटी बिजनेस को लैंग्वेज के पीछे पड़े हुए हैं. लेकिन वो भूल गए हैं कि आज के युवा दिलों की भाषा को समझते हैं. इसलिए बिजनेस लैंग्वेज को भी बदलने की ज़रूरत आ गई है. 

यहीं पर लैंग्वेज ऑफ़ सक्सेस का रोल आता है. इस लैंग्वेज की मदद से आपके कस्टमर और कर्मचारियों को ज्यादा वैल्यू का एहसास होता है. उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी कुछ वैल्यू है और जिसका एहसास कंपनी को भी है. 

डिज़्नी ने भी कॉर्पोरेट लैंग्वेज में थोड़े से बदलाव करके उसे लैंग्वेज ऑफ़ सक्सेस में बदला है. जैसे कि पार्क में आने वाले कस्टमर को डिज़्नी कभी भी भीड़ या फिर क्राउड नहीं कहती है. वो अपने कस्टमर को ऑडियंस कहकर बुलाती है. जिससे कस्टमर को ज्यादा अच्छा फील होता है. 

इसी तरह डिज़्नी ने अपने कर्मचारियों के भी काफी क्रिएटिव नाम रखे हुए हैं. इस कांसेप्ट से फील गुड का जन्म होता है. जिससे बिजनेस में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं. 

इसी तरह डिज़्नी ने अपने नियमों को भी जगह-जगह के हिसाब से अलग अलग बनाया है. डिज़्नी ने इस बात का ख्याल रखा है कि किस जगह की गवर्नमेंट क्या एलाऊ करती है और क्या नहीं? 

जैसे कि डिज़्नी के यूएस के किसी भी पार्क में अल्कोहल नहीं सर्व की जाती है. वहीं पेरीस के पार्क में वाइन सर्व की जाती है. 

इसलिए अगर आप भी अपने बिजनेस को अलग-अलग जगह फैलाने वाले हैं. तो इस बात का ख्याल रखियेगा कि हर जगह के नियम अलग अलग होते हैं. आपको अपने नियमों को लेकर फ्लेक्सिबल रहना होगा.

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कभी ना हार मानने वाला एटीट्यूड पैदा करिए, तभी बिजनेस सफल हो सकता है 

किसी भी बिजनेस या कंपनी को चलाना शादी की तरह होता है. ये सुनकर आपको अजीब लग सकता है. लेकिन ये काफी हद तक सच है. जिस तरह शादी में कई तरह के उतार चढ़ाव आते हैं. उसी तरह से बिजनेस की जर्नी में भी काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. 

इसलिए आपको तैयार रहना चाहिए कि बिजनेस में बुरा वक्त भी आएगा. ऐसा नहीं हो सकता है कि किसी भी बिजनेस में केवल अच्छा ही अच्छा समय देखने को मिले. इसलिए पहले से ही अपने आपको तैयार रखिएगा. 

यहाँ तक दुनिया की जानी मानी कंपनी डिज़्नी को भी बुरे वक्त का सामना करना पड़ा था. ये बात साल 1971 की है, वाल्ट डिज़्नी के मौत के 2 महीने के अंदर ही डिज़्नी के इन्स्पिरेश्न्ल लीडर रॉय डिज़्नी की भी अचानक मौत हो गई थी. जिससे कंपनी के लोगों को काफी आघात पहुंचा था. 

उस दौर में कंपनी के सभी शीर्ष अधिकारी रॉय के घनिष्ठ मित्र हुआ करता थे. रॉय के जाने से कंपनी की पूरी टीम को काफी दुःख हुआ था. जिसकी वजह से लोगों के लिए काम पर फोकस कर पाना भी मुश्किल हो रहा था. 

जब भी आपकी कंपनी को इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़े. तो सबसे अच्छा तरीका होता है कि सभी लोग एक साथ आकर काम करें. एक साथ काम करने से इंसान किसी भी मुश्किल का सामना कर सकता है. 

जब भी कोई भी कंपनी मुश्किल में हो, तो वहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो कंपनी का साथ ना छोड़ें. और साथ में आकर ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव काम करने की कोशिश करें. 

इसी के साथ हमेशा अपनी टीम को बताते रहिए कि नेवर गिव अप एटीट्यूड होना ही चाहिए. बिजनेस की दुनिया में जो हार नहीं मानेगा, वही आगे तक जाएगा. ये एटीट्यूड एक घंटे या एक दिन में नहीं आएगा. इस खूबी को लाने के लिए आपको एक लीडर के तौर पर टीम के साथ काम करना होगा. 

बिजनेस की तुलना शादी से इसलिए भी की गई है. क्योंकि शादी में आप केवल खुद के बारे में ही नहीं सोचते रहते हैं. आपकी ज़िम्मेदारी दूसरों को खुश करने की भी होती है. इसी तरह बिजनेस में भी केवल प्रॉफिट के बारे में ही नहीं सोचा जाता है. प्रॉफिट कमाना अच्छी बात है. वो मेन मोटिव भी होना चाहिए, लेकिन उस डेस्टिनेशन तक पहुँचने से पहले अपने साथ काम करने वालों को खुश रखना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है. 

इसलिए अच्छे बिजनेस को चलाने के गुण डिज़्नी से सीखते रहिए. वाल्ट डिज़्नी एक रूल फॉलो किया करते थे. वो रूल था कि “Work hard, play hard,”.. काम मेहनत से करिए और फिर दिल लगाकर खेलिए. वो जानते थे कि कर्मचारी फ्रेश रहेंगे तभी वो दिल से काम कर पाएंगे. इसलिए वो अपने साथ काम करने वालों का ख्याल भी पूरे मन से रखते थे. 

आपको भी वाल्ट डिज़्नी से इस खूबी को सीख लेना चाहिए. इसलिए इस समरी को सुनने के बाद अपने आंत्रप्रेन्योर की जर्नी को शुरू करिए. 

कुल मिलाकर
डिज़्नी कंपनी जानती है कि कर्मचारी हैं तो कंपनी है. नहीं तो कंपनी कुछ भी नहीं.. आपको भी इस कांसेप्ट को याद रखना चाहिए और अपने साथ काम करने वालों का ख्याल रखना चाहिए. 

क्या करें? 

Van France, ने कहा था कि “जब तक हम एन्जॉय नहीं करेंगे. तो हम उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं कि पब्लिक हमारे पार्क में एन्जॉय करेगी?” इस लाइन को अपने बिजनेस का सिद्धांत बनाइए और आज से ही अपने काम को एन्जॉय करने की शुरुआत कर दीजिए. 

 

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