Building Your Business the Right-Brain Way

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Building Your Business the Right-Brain Way

Jennifer Lee
क्रिएटिव एंटरप्रेन्योर के लिए सस्टेनेबल सक्सेस का रास्ता

दो लफ़्ज़ों में 
बिल्डिंग योर बिज़नस द राईट ब्रेन वे, 2014 में आई ये किताब बेसिक इंटरप्रेन्योरशिप को क्रिएटिव लैंग्वेज में ट्रांसलेट करती है, जिसे हर कोई आसानी से समझ सकता है. इस किताब का मेन फोकस हमारे ब्रेन के राईट हेमिस्फेयर की स्ट्रेंथ पर है जो कि इमोशन, क्रिएटिविटी और विजुअलाइजेशन का सेंटर है. इस किताब को पढ़कर आप ये समझ सकते हैं कि क्यूँ एक सस्टेनेबल बिज़नस के लिए लेफ्ट ब्रेन और राईट ब्रेन का बैलेंस होना जरुरी है.

  ये किताब किसके लिए है?
- जो लोग क्रिएटिव सेक्टर में अपना करियर बनाना चाहते हैं.
- क्रिएटिव लोग जो बिज़नस वर्ल्ड समझना चाहते हैं.
- नए बिज़नस मॉडल की तलाश कर रहे एंटरप्रेन्योर.

लेखक के बारे में
जेनिफर ली, ‘द राईट ब्रेन बिज़नस प्लान’ नाम की बेस्टसेलर बिज़नस गाइडबुक की लेखिका हैं. बतौर कंसलटेंट उन्होंने कई सालों तक फार्च्यून 500 कम्पनीज में काम किया. आज उनका अपना कोचिंग इंस्टिट्यूट है जहाँ वो क्रिएटिव यंगस्टर्स और आर्टिस्टों को अपने फुल क्रिएटिव पोटेंशियल तक पहुँचे का रास्ता दिखाती है.

एक सक्सेसफुल बिज़नस के लिए अपने दिमाग के दोनों हिस्सों का इस्तेमाल करें.
क्या आप ज्यादातर लेफ्ट ब्रेन का इस्तेमाल करते हैं, या आपका राईट ब्रेन ज्यादा एक्टिव है? आप अपनी प्रॉब्लमों को एनालिटिकल और रैशनल तरीके से सौल्व करते हैं या क्रिएटिव और इमोशनल तरीके से?

चाहे आप लेफ्ट-ब्रेन का इस्तेमाल ज्यादा करते हों या राईट का, सक्सेस पाने का मेन फंडा ये है कि अपने ब्रेन के किसी एक साइड को सारे फैसले ना लेने दें. चाहे वो बिज़नस ही क्यूँ ना हो जहाँ लेफ्ट ब्रेन से सोचने वाले लोगों  कि संख्या ज्यादा है, पर वहाँ भी इनट्यूशन, क्रिएटिविटी और अंडरस्टैंडिंग के बिना सक्सेस हासिल नहीं की जाती और ये तीनों ही चीज़ें राईट ब्रेन कंट्रोल करता है इसलिए लेफ्ट और राईट का बैलेंस बहुत जरुरी है.

आने वाले अध्यायों में आप ना केवल ये सीखेंगे कि कैसे आप अपने राईट-ब्रेन की बातें सुन कर अपने बिज़नस में अप्लाई कर सकते हैं बल्कि आप ये भी जानेंगे कि क्रिएटिव लोग लेफ्ट ब्रेन वाले कामों को कैसे हैंडल करते हैं. ताकि आप बोरिंग से एडमिनिस्ट्रेटिव कामों के साथ-साथ अपने नए प्रोजेक्ट के बारे में भी क्रिएटिवली सोच सकें.

मार्केट में ना जाने कितनी ही बिज़नस बुक्स है जो एनालिटिकल स्किल्स, स्ट्रेटेजिक थिंकिंग और डिटेल्ड प्लानिंग के बारे में बात करती है, जो कि सही भी है. लेकिन, इंटरप्रेन्योरशिप केवल सेंसिबल और लॉजिकल होने का नाम नहीं है इसके लिए क्रिएटिविटी, इनट्यूशन और कनेक्शन मेकिंग भी चाहिए. हम केवल लेफ्ट-ब्रेन की बातों पर क्यों भरोसा करते रहे, जबकि राईट-ब्रेन की सलाह भी उतनी ही इम्पोर्टेन्ट है.

जैसे एक आर्टिस्ट अपने मास्टर पीस को दिल से बनाता है वैसे ही एक इंटरप्रेन्योर अपने बिज़नस मॉडल को बनाता है. किसी भी नए प्रोडक्ट या सर्विस को डिजाईन करने में बहुत सारी  इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी की जरुरत पड़ती है. क्रिएटिविटी एक लीनियर प्रोसेस नहीं है उसमें कई बार ट्रायल एंड एरर जैसे मोमेंट्स भी आते हैं और कभी अचानक से इन्स्पीरेशन मिलने पर कुछ यूरेका मोमेंट्स भी आते हैं.  इसलिए हमें इस प्रोसेस में राईट-ब्रेन की मदद लेनी पड़ती है क्यूंकि लेफ्ट ब्रेन केवल लीनियर इनफार्मेशन ही प्रोसेस कर सकता है.

इमेजिन कीजिये कैसे एक पेंटर अपनी पेंटिंग बनाता है. पहले वो पेंटिंग उसके दिमाग में होती है जिसे वो बड़ी ही शिद्दत से रंगों के सहारे अपने कैनवास पर उतारता है. कभी कोई रंग उसकी इमेजिनेशन से मैच नहीं होता तो उसे दुबारा करता है, ऐसे ही धीरे-धीरे आखिर उसकी पेंटिंग पूरी हो जाती है. कई बार फाइनल पेंटिंग उसके इमेजिनेशन से बिलकुल अलग और बेहतरीन बन जाती है. बिलकुल, ऐसा ही होता है जब आप अपने बिज़नस में कोई चेंज ला रहे हों या नया बिज़नस स्टार्ट करने वाले हों.

न्यूरोलॉजिकल स्टडीज से ये साबित हो चुका है कि क्रिएटिविटी, इनट्यूशन, नॉन-लीनियर थिंकिग, इमेजिनेशन और अंडरस्टैंडिंग ये सब राईट-ब्रेन के काम हैं जबकि लेफ-ब्रेन लॉजिकल, स्ट्रक्चरल और लीनियर-थिंकिंग का काम करता है.

हालाँकि, अकाउंटिंग, शिड्यूलिंग और प्लानिंग की अपनी जगह है बिज़नस में लेकिन राईट ब्रेन के कामों को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. आप मार्केटिंग मैसेज और ऐड को ही ले लीजिये जो कि पूरी तरह क्रिएटिविटी और पोटेंशियल कस्टमर्स के साथ इमोशनल बांड बनाने पर बेस्ड है, और ये सब राईट ब्रेन का ही टैलेंट है.

अपने पैशन के दिखाए रास्ते पर चलकर अपने कस्टमर्स को अट्रैक्ट करें.
चलिए आपके राईट ब्रेन की इमेजिनेशन को थोडा जगाते हैं. आप अपने बिज़नस को किसी खिलते हुए फूल की तरह इमेजिन कीजिये और अपने पोटेंशियल कस्टमर्स को भवरों की तरह जो आपके शहद जैसे प्रोडक्ट को लेने के लिए आपके पास आते है. जिस तरह एक फूल अपने ही बीज से उगे पौधे पर खिलता है उसी तरह एक सक्सेसफुल बिज़नस वही है जो आपके अन्दर के पैशन से बना हो.

कई बार अपने पैशन को अपना बिज़नस बनाने का आईडिया हमें अचानक ही आ जाता है. जैसे आर्टिस्ट मेल्लिसा जब बच्चों को इंग्लिश पढ़ाने में अपनी माँ की मदद करने बाली गयीं तो उन्हें एहसास हुआ कि बच्चों के साथ टाइम बिताना उन्हें अच्छा लग रहा है. बच्चों को भी उनके आर्ट एंड क्राफ्ट से पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद आ रहा था. जैसे-जैसे मेल्लिसा बच्चों के साथ टाइम बिताती गयीं वो अपने पैशन के बारे में सीरियस होती गयीं और उन्होंने इसे ही अपना बिज़नस बना लिया.

उन्होंने वेस्ट मटेरियल को रीसायकल करके बैग्स बनाये. गरीब और बेसहारा बच्चों को क्रिएटिविटी और क्राफ्ट सिखाने के लिए फण्ड-रेजिंग शुरू की. और देखते ही देखते वो एक आर्टिस्ट के साथ-साथ सोशल इन्फ्लूएंसर भी बन गयीं. मेल्लिसा की तरह आप भी जब अपने पैशन को पहचान लें तो धेरे-धीरे उसे अपने बिज़नस मॉडल में बदलने के बारे में सोचें.

अब जब आपने अपने बिज़नस के फूल को खिलाने का तरीका ढूँढ लिया है तो अब बारी आती है भवरों को अट्रैक्ट करने की. ये भी आसान है बस आपको अपने पैशन को अपने अन्दर के कोर आईडिया से मिलाना होगा और उसे अपने बिज़नस का मेन मोटो बनाना होगा. यानी आपका कोर मेसेज आपके काम में ये झलकना चाहिए. आपके कस्टमर्स तक ये बात पहुँचना चाहिए कि आप कौन है, आप क्या चाहते हैं. जैसे मेल्लिसा का कोर मेसेज था ‘रीपर्पस फॉर अ पर्पस’ जिससे ये साफ़ झलकता था कि दूसरों की मदद करना और रीसाइक्लिंग उनके बिज़नस का मेन मोटीवेटिंग एलिमेंट था.

लेकिन अगर आपके कोर मेसेज को कोई सुन ही ना पाए या देख ना पाए तो उसका क्या फायेदा. इसलिए आपने पैशन और मेसेज को प्रोडक्ट के जरिये अपने कस्टमर्स तक पहुँचाना बहुत जरुरी है. अब ये आप कैसे करने वाले हैं इसका पता तो आपको अपने राईट ब्रेन के इस्तेमाल से लगेगा. बस बात इतनी सी है कि आपका प्रोडक्ट या सर्विस इतना यूनिक होनी चाहिए की आपका मेसेज आपके कस्टमर्स तक साफ़ तौर पर पहुँच सके.

अगर आपको इस बात की टेंशन है कि आपका प्रोडक्ट सारी दुनिया में नहीं फ़ैल पा रहा तो टेंशन ना लें  क्यूंकि  सारी दुनिया के भंवरों को अट्रैक्ट करना जरुरी नहीं आपको बस उनसे ही मतलब होना चाहिए जिनकी जरूरतें और सोच आपके कोर मेसेज से मेल खाती हो. क्यूंकि, यही वो कस्टमर्स होंगे जो आपके प्रोडक्ट की असल वैल्यू समझ पाएंगे.

अपने कम्युनिकेशन नेटवर्क को कुछ ऐसा डिजाईन करें कि आप अपने कस्टमर्स के साथ सीधा कनेक्ट हो सकें.
फूलों को तो भंवरों के आने का इंतज़ार करना पड़ता है लकिन एक इंटरप्रेन्योर तो अपना बिज़नस आईडिया लेकर सीधा अपने कस्टमर्स तक जा सकता है. उनके बीच जाकर उनसे कनेक्शन बना सकता है.

आपके कनेक्शन नेटवर्क में हर किसी की अपनी वैल्यू है, हो सकता है कोई आपका कस्टमर बने, कोई आपको बिज़नस डिसिशन लेने में हेल्प करे तो कोई आपके बिज़नस मेसेज को स्प्रेड करे.

लेकिन सवाल ये उठता है कि हम ये कनेक्शन नेटवर्क बनाएं कैसे?

अगर आप चाहते हैं कि लोग आपको सुनें तो पर्सनल और डायरेक्ट कम्युनिकेशन बहुत जरुरी है. आपको अपने कस्टमर्स को ऐसे मनाना है जैसे आप अपने गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड को मनाते हैं. हर ईमेल, हर न्यूज़ लैटर की शुरुवाती कुछ लाइन्स इतनी टची और इमोशनल होनी चाहिए कि उनके दिल को छू जाये. आपके शब्दों का सिलेक्शन ऐसा होना चाहिए जैसे आप उनकी प्रॉब्लम समझते हैं.

जैसे जब भी कोई पेंटिंग वेबसाइट का ईमेल आता है तो उसके शुरुवात में लिखा होता डिअर हार्ड वर्किंग पेरेंट्स, हम जानते है कि पैरेंटिंग अपने आप में एक बहुत, बहुत, बहुत हार्ड वर्क है. बस इतनी लाइन पढ़ कर कस्टमर्स को लगता है आप उनके दर्द को समझते हैं और वो बड़े ही इंटरेस्ट से आपका पूरा मेल पढ़ते हैं. हो सकता है इनमें से कुछ लोग आपके प्रोडक्ट को खरीद भी लें. 

लोगों से बात कर के अपना मेसेज देना तो जरुरी है ही पर सबसे जरुरी है सही व्यक्ति को सही समय पर सही इनफार्मेशन देना.

जैसे मान लें आप एक कोचिंग प्रोग्राम लांच करने वाले हैं. ऐसे में अपने पोटेंशियल कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए आप एक बहुत ही इंटरेस्टिंग सा टीज़र लांच कर सकते हैं, जिसमें आप कोर्स की तैयारी के बिहाइंड द सीन ऑडियो और विडियो रिकॉर्ड कर के दिखा सकते हैं.

आप अपनी वेबसाइट बनाकर वहाँ एक Q एंड A लिस्ट पब्लिश कर सकते हैं जो आपके प्रोग्राम से जुड़े FAQ को सौल्व करता हो. उसके साथ आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी अपनी वेबसाइट पर डाल सकते हैं.

पहला सेशन होने के बाद आप लोगों को वीकली रिमाइंडर डाल सकते हैं ताकि आपके कोर्स के लिए साईन-अप करना उन्हें याद रहे और साथ ही इससे आप उन लोगों को भी अपने कोर्स के साथ जोड़ सकते हैं जो पहले नहीं जुड़ पाए. इस तरह से आप अपने कोर्स के हर स्टेज पर कस्टमर्स के नंबर बढ़ा सकते हैं.

बेचना छोड़ कर सर्व करना शुरू करें और अपने प्रोडक्ट को कुछ ऐसा डिजाईन करें कि जैसे वो आपके कस्टमर्स के लिए एक गिफ्ट हो.
क्या आपको लगता है कि आप किसी सेल्समेन की तरह अपना प्रोडक्ट बेच रहे हैं तो बेचना छोड़ कर सर्व करना शुरू कर दें आईये देखते हैं कैसे?

याद कीजिये उस सरप्राइज को जो आपको आखरी बार मिला था? याद कीजिये आपको कैसा फील हुआ था? सरप्राइज और गिफ्ट्स हमेशा ख़ुशी और एक्साइटमेंट लेकर आते हैं क्यूंकि ये हमेशा दिल से निकलते है और दिल तक पहुँचते हैं. सोचिये, अगर आप भी अपने प्रोडक्ट को बेचने की जगह किसी सरप्राइज गिफ्ट की तरह अपने कस्टमर्स को दें तो कितना मजेदार और सैटिसफायिंग होगा. 

लाइफ कोच केरी रिचर्डस को लम्बे समय तक अपने काम को लेकर बुरा महसूस होता था कि उन्हें पैसों के लिए लोगों से उनका सेशन अटेंड करने की भीख मंगनी पड़ी थी. फिर अचानक एक दिन अपने काम को लेकर उनका नजरिया बदल गया और उन्होंने ये सोचना शुरू किया कि वो अपने सेशंस बेच नहीं रहीं बल्कि इसके जरिये वो लोगों को मौका दे रही है कि वो अपने जैसे माइंड-सेट वाले लोगों से मिल सकें, अपना नेटवर्क बढ़ा सकें. ऐसा करते हुए वो कई लोगों की लाइफ को बेहतर बना रही हैं. और बस उसके बाद उन्हें अपने काम से प्यार हो गया.

लेखिका नें अपने कॉलेज के दिनों में अपने एक फ्रेंड से कहा कि उन्हें गिफ्ट्स लेने और देने का बहुत शौक है. उसके बाद से लेखिका और उनके दोस्त को जब भी कोई अच्छा गिफ्ट दिखता था तो वो एक दुसरे के लिए ले लिए करते थे ताकि सामने वाले के चेहरे पर स्माइल आ सके. लेखिका का कहना है कि गिफ्ट्स के लेन-देन से उन्हें अपने फ्रेंड को समझने में बहुत हेल्प मिली.

अगर आप भी अपने प्रोडक्ट को किसी गिफ्ट की तरह तैयार करेंगे तो इस तरह का माइंड सेट आपको अपने कस्टमर्स की जरूरतों और ख्वाइशों को समझने में मदद करेगा.

जब आप किसी को गिफ्ट देते हैं तो आपके मन में क्या सवाल आते हैं? किसके लिए खरीदना है? उसे क्या पसंद है? ये गिफ्ट उसके लिए क्यूँ खास है? ये गिफ्ट उसके क्या काम आएगा? क्या इसकी कीमत सही है? इसे कैसे पैक करें कि ये और अट्रैक्टिव लगे?

बस यही सवाल अपने प्रोडक्ट को बनाते समय भी आपको खुद से पूछने हैं. जैसे अपने गिफ्ट को पैक करते समय आप हर डिटेल ध्यान रखते हैं ऐसा ही आपको अपने प्रोडक्ट के साथ भी करना है.

जैसे अगर आप एक हैण्डमेड लेदर बैग बेच रहे है तो आप उसके साथ कुछ एक्सेसरीज गिफ्ट के तौर पर दे सकते हैं.

ये सच है कि आजकल ज्यादातर इंटरप्रेन्योर अपने पैशन को ध्यान में रख कर बिज़नस स्टार्ट करते हैं, लेकिन एक सच ये भी है कि बिज़नस को लम्बे समय तक चलाने के लिए और लाइफ जीने के लिए पैसा भी कमाना जरुरी है. अपने पैशन से प्रॉफिट कमाने में कोई बुराई नहीं है.

चाहे आपका बिज़नस मॉडल सर्विस ओरिएंटेड हैं जैसे कोचिंग, जहाँ आप सर्विस देकर पैस कमाते हैं या आप एक कलाकार हैं और अपनी कला से पैसे कमाते हैं. दोनों ही बिज़नस मॉडल जब एक फाइनेंसियल सीलिंग तक पहुचंते हैं तो इनकम को उसके आगे लेकर जाना थोडा मुश्किल लगने लगता है.

इन सभी टाइम-फॉर-मनी मॉडल में इनकम को बढ़ाने के तीन ही तरीके हैं, नए कस्टमर्स को अट्रैक्ट करना, पहले से बने हुए कस्टमर्स को ज्यादा प्रोडक्ट या सर्विसेज प्रोवाइड करना या फिर प्राइस बढ़ाना.

जैसे, अगर आप एक कोच है और फेस टू फेस सेशंस लेते हैं, उसके बाद आपको पेमेंट मिलती है. ऐसे में दिन भर में आप एक मैक्सिमम लिमिट तक ही सेशन ले सकते हैं क्यूंकि दिन में 24 ही घंटे होते हैं उसमें से आपको अपने लिए और फॅमिली के लिए भी तो समय निकालना है.साथ ही इस बात की भी एक लिमिट है कि आप अपने सेशंस के लिए अपने कस्टमर्स को कितना चार्ज करेंगे. तो अब किया जाए? सोचिये-सोचिये  जरा अपनी क्रिएटिविटी के घोड़े दौड़ाईये.

आप इंडीविजुअल सेशन की जगह ग्रुप सेशंस ले सकते हैं ताकि उतने ही समय में आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ जुड़ पाएं. इस केस में आपको लिमिटेड टाइम में ज्यादा इनकम मिलेगी. आप चाहें तो ग्रुप सेशन के प्राइस कम भी कर सकते हैं ताकि और नए कस्टमर्स आपके साथ जुड़ सकें.

कई कंसलटेंट आजकल अपना ऑनलाइन स्टडी मोड्यूल तैयार करते है जिसे खरीद कर लोग अपने घरों में ही स्किल्स सीख सकते हैं. इन मोड्यूल को बेच कर बिना किसी एक्स्ट्रा मेहनत और टाइम के आप एक्स्ट्रा इनकम कमा सकते हैं.

लेकिन अगर आप सर्विसेज न बेचते हुए प्रोडक्ट्स बेचते हैं, तब आप क्या कर सकते हैं? तब भी करने के लिए बहुत कुछ है. जैसे अगर आप एक लेदर आर्टिस्ट है तो आप भी ऑनलाइन ग्रुप सेशन लेकर लोगों तक अपने आर्ट की नॉलेज को पहुँचा सकते हैं. या पैटर्न्स और डिजाईन का मोड्यूल बना कर के ऑनलाइन इनकम कम सकते हैं.

जो काम आपको पसंद है आप बस वो करें और बाकियों के लिए हेल्प ले लें.
अगर आप अपना टैलेंट और पैशन दुनिया को दिखाने के लिए बेताब हैं, तो वो क्या चीज़ है जो आपको अब तक रोक रही है? जरा दिमाग पर जोर डालिए.

वो है बोरिंग सा एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क जिसे करने में बहुत से लोग झिझकते हैं लेकिन करना जरुरी भी है. इसमें टेंशन की क्या बात, कौन कहता है कि किसी भी बिज़नस में सारा काम आपको खुद ही करना है, आप किसी की हेल्प भी ले सकते हैं. एडमिनिस्ट्रेटिव कामों की जिम्मेदारी आप किसी और के कन्धों पर भी डाल सकते हैं.

हर कोई चाहता है कि अपने सपनों के बिज़नस में सबकुछ वो खुद कंट्रोल करे, शुरू-शुर में तो सब कंट्रोल हो भी जाता है लेकिन धीरे-धीरे वो खुद को काम के बोझ तले दबा हुआ पाता है. इस बोझ के कारण उसकी क्रिएटिव एनर्जी भी ख़त्म हो जाती है और वो कुछ नया नहीं सोच पाता.

इससे पहले कि ऐसा हो आप ये तय कर लें कि क्या काम आपको करना है और क्या आउटसोर्स करवाना है. खुद से ये सवाल पूछ लें. कौनसा काम आपका सबसे ज्यादा टाइम खाता है? वो कौनसा काम है जो जल्दी तो हो जाता है पर आपको बोरिंग लगता है? वो कौनसा काम है जो आपको अच्छे से नहीं आता? वो कौनसा काम है जिसे करने में आपका दिमाग ख़राब हो जाता है? जब आप इन सवालों के जवाब ढूँढ लेंगे तो आपको लिस्ट मिल जाएगी कि किन कामों के लिए आपको आउट-सोर्सिंग करनी है.

फिक्शन राइटर बेन भी अपना सारा काम खुद करना पसंद करती थीं, लेकिन जब काम का बोझ बढ़ने लगा तो वो परेशान हो गयीं वो ठीक से लिख भी नहीं पा रही थी. इसलिए उन्होंने एक असिस्टेंट रखने का फैसला किया जो उनके सभी ऑनलाइन कामों को देखती थी. उसके बाद से बेन आराम से अपने राइटिंग वर्क पर फोकस करने लगीं.

अपने कामों के लिए सपोर्ट हायर करने के बहुत से तरीके हैं. एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क, वेब मैनेजमेंट या बुक कीपिंग जैसे काम आप ऑनलाइन फ्री लैंसिंग प्लेटफार्म (freelancing platform) से फेयर प्राइस पर स्पेशलिस्ट से करवा सकते हैं. आप अपनी खुद की टीम बना सकते हैं जिसमें हर फ़ील्ड के लिए पैशनेट लोग हों और सभी अपना काम पैशन से करें. इस केस में जो प्रोडक्ट निकल कर आएगा वो अपने आप में बेहतरीन होगा क्यूंकि वो एक टीम ऑफ़ स्पेशलिस्ट द्वारा बनाया गया होगा.

एक टीम बनाने से आपका मार्केटिंग लोड भी कम होता है, आपका नेटवर्क भी बड़ा होता है और आपका प्रोडक्ट भी ज्यादा अच्छा और अट्रैक्टिव बन कर निकलता है.

आगे हम बात करेंगे प्लानिंग की. प्लानिंग का बोरिंग होना जरुरी नहीं, लॉन्ग टर्म-प्लान्स करें, पैटर्न समझें और किसी भी अनेक्स्पेक्टेड रिजल्ट के लिए खुद को तैयार रखें.

इनता सबकुछ पढ़ का यकीनन ही नए सलूशन, नए आर्ट पीस और नए आईडिया आपके दिमाग में उफान मार रहे होंगे. अपने क्रिएटिव सफर पर निकलने से पहले ये भी जान लें कि हो सकता है इस सफर में कभी-कभी आप अपना फोकस खो दें और इसमें कोई हर्ज़ भी नहीं. लेकिन, अगर आपकी गाड़ी बार-बार ट्रैक से उतर रही हो तो आपको जरुरत है लॉन्ग-टर्म प्लानिंग की.

दरिये मत, लॉन्ग-टर्म प्लानिंग करने का ये मतलब नहीं कि आप एक्सेल की स्प्रेड शीट के साथ  कुश्ती लडें. प्लानिंग थोड़ी रंगीन और मजेदार भी हो सकती है जरा अपने राईट ब्रेन का इस्तेमाल तो कीजिये अपनी प्लानिंग को मजेदार बनाने का आईडिया आपको खुद-ब-खुद आ जायेगा. उठाईये कलरफुल मार्कर और हो जाएगी शुरू अपने इनकम और ग्रोथ का मास्टर प्लान तैयार करने के लिए.

लेखिका नें अपना उदाहरण देते हुए बताया है कि साल के हर क्वार्टर में उनका एक सेमिनार होता है. उस सेमिनार के लिए जरुरी काम, उसकी डेडलाइन और उससे होने वाली इनकम का पूरा लेखा-झोका लेखिका अपनी दिवार पर लिख कर रखती हैं ताकि सबकुछ उनकी नज़र में हो.

आप अपने बिज़नस के जरुरी कामों को प्लान करने के लिए माइंड मैप्स का भी इस्तेमाल क्र सकते हैं  इसे बनाने के लिए अपने काम के सबसे जरुरी टास्क को सेंटर में रखा जाता है और उसके इर्द-गिर्द उस काम से जुड़े छोटे-छोटे कामों को रखा जाता हैं और साथ ही सेंटर पॉइंट से  निकलने वाली ब्रांचों में उस काम से जुड़े लोगों और सवालों के बारे में लिखा जाता है. इस तरह के माइंड मैप्स का इस्तेमाल करके आप अपने काम के लिए जरुरी हर एक चीज़ का ख्याल रख सकते हैं और हर जरुरत का समय से पहले बंदोबस्त कर सकते हैं.

अपने बिज़नस के हर काम को इस तरह से मैप करने से आपको पैटर्न्स का पता चलेगा आप देखेंगे कि कई काम ऐसे हैं जो समय-समय पर आपको रिपीट करने पड़ रहे हैं. आप कोशिश कर सकते हैं कि उन कामों को अगली बार जल्दी कर सकें, जैसे एक बार लिखा गया डॉक्यूमेंट अगली बार के लिए टेम्पलेट का काम कर सकता है. इससे आपका काम आसान हो जायेगा और आप बिना किसी स्ट्रेस के अपने सेंट्रल काम पर फोकस कर पाएंगे.

प्लानिंग के साथ-साथ खुद को किसी सरप्राइज और अनेक्स्पेक्टेड चीज़ों के लिए भी तैयार रखना चाहिए. जैसे लेखिका को अचानक एक बार एक पोपुलर लाइव ब्रॉडकास्ट शो में अपनी वर्कशॉप का अनाउंसमेंट करने का मौका मिला. लेखिका को अचानक मिला ये ऑफर बहुत अच्छा तो लगा पर इस काम को करना उनके लिए बहुत मुश्किल था. तभी उन्हें अपनी एक स्केच बुक याद आई जिसकी मदद से उन्होंने अपना अनाउंसमेंट तैयार  किया और बिना किसी एक्स्ट्रा मेहनत के उन्हें ज्यादा इनकम और ज्यादा कस्टमर्स मिल गए.

अपनी प्लानिंग के लिए किसी हार्ड एंड फ़ास्ट रूल को फॉलो करने की कोई जरुरत नहीं है. अपनी प्लानिंग को आप अपने हिसाब से अपना क्रिएटिव ट्विस्ट दे सकते हैं. एक बार आपने  सही प्लानिंग शुरू कर दी तो आप देखेंगे कि आपके दिमाग के दोनों साइड्स खुश और सैटिसफाइड हैं.

अपनी केयर करें और अपनी सक्सेस को बरक़रार रखें.
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘व्हेन इट्स रेन, इट पौर’ (when it’s rains, it pours) कि जब बारिश आती है तभी छत भी टपकने लगती है. यानी एक के बाद एक बुरा होना. जैसे जब लेखिका नें अपने नए घर में शिफ्ट होने का प्लान किया तभी उनके बॉयफ्रेंड का एक्सीडेंट हो गया और कुछ ही दिन बाद उनके पिता भी बिमारी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती हो गए.

इसी तरह हर एक की ज़िन्दगी में जब मुश्किल वक़्त आता है तो अपने साथ कई बुरी खबरें लाता  है. लेकिन बुरा वक़्त भी है तो वक़्त ही है एक दिन ये भी गुज़र जायेगा. पर हमारे लॉजिकल लेफ्ट ब्रेन को ये बात अच्छी नहीं लगती क्यूंकि उसे हर चीज़ अपने कंट्रोल में रखना पसंद है.वहीँ दूसरी ओर हमारा राईट हर चीज़ को इजी गोइंग तरीके से लेता है.

इसलिए जब भी आपके बिज़नस पर मुश्किलों के बादल छायें तो अपने राईट ब्रेन का सहारा लें ताकि इतनी मेहनत से खड़े किये अपने बिज़नस को आप सस्टेन कर सकें.

अगर आप सोच रहे हैं कि भला बिज़नस जैसी चीज़ में कोई इजी गोइंग कैसे ले सकता है तो आपके लिए कुछ सिंपल स्ट्रेटेजी हैं.

पहली स्ट्रेटेजी है अपनी हर प्रॉब्लम के लिए सिंपल सलूशन ढूँढना. हम सब कई बार अपने ही बनाये हुए काम्प्लेक्स प्लान में फँस कर रह जाते हैं उससे निकलने का एक ही आसान तरीका है  कि अपनी सब प्रॉब्लमों को नोट डाउन करें और जो सबसे आसान रास्ता है उस पर चलें ओवरथिंकिंग करना बिलकुल छोड़ दें.

दूसरी स्ट्रेटेजी है काम से छुट्टी लेना. अपने बिजी शिड्यूल से रिलैक्स करने के लिए थोडा समय जरुर निकालें इससे न केवल आपके दिमाग को रेस्ट मिलेगा बल्कि आपको अपनी प्रॉब्लम का कोई आसान सलूशन भी मिल सकता है. क्यूंकि रिलैक्स करते समय लेफ्ट से ज्यादा राईट ब्रेन  रोल प्ले करता है.

तीसरी स्ट्रेटेजी है कि अपने वर्किंग एनवायरनमेंट को कुछ ऐसे क्रिएट करें कि वहाँ काम करना आपको सुकून दे सके. अपनी वर्क टेबल पर कुछ पॉजिटिव नोट्स लगा दें, आप थोड़ी ग्रीनरी का सहारा भी ले सकते हैं. इसके साथ-साथ आप अपना वर्किंग रूटीन ऐसा बनाएं जिसमें आपका काम भी अच्छे से हो और आप महसूस भी अच्छा करें.

जैसे अगर आप योगा या वर्क आउट लवर हैं तो आप अपने ईमेल और एडमिनिस्ट्रेटिव कामों में घुसने से पहले थोडा योगा या वर्कआउट कर सकते है. इससे आपकी बॉडी की बैटरी चार्ज हो जाएगी और आपकी एफिशिएंसी बढ़ जाएगी.

हमेशा याद रखें कि आपके बिज़नस में सबसे जरुरी व्यक्ति आप खुद है इसलिए अपना ध्यान रखना बहुत जरुरी है. सेल्फ-केयर को हमेशा टॉप प्रायोरिटी का बिज़नस एजेंडा बनाएं. अब सेल्फ-केयर कैसे करनी है वो काफी हद तक आपके ऊपर है.

कुल मिलाकर
क्रिएटिव लोग जो अपने पैशन को अपना बिज़नस मॉडल बनाना चाहते हैं उनके लिए सबसे बेहतर है कि वो अपने राईट ब्रेन की स्ट्रेंथ का सहारा लें. अपने बिज़नस आईडिया को थोडा मजेदार बनाएं और उसमें दूसरों को सर्व करने की भावना लायें. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके अन्दर का क्रिएटिव स्पार्क हमेशा जिंदा रहेगा.आप कुछ न कुछ नया करते जायेंगे और एक दिन आपका बिज़नस सफलता की ऊँचाईयों पर होगा.

 

अपने प्लान में सही रंग भरें.

अगली बार जब आप अपने किसी नए प्रोडक्ट या नए कैंपेन का मास्टर प्लान तैयार कर रहे हों तो बोल्ड कलरफुल मार्कर पेनों का इस्तेमाल करें. अपने बॉल पॉइंट पेन को छोटी-छोटी डिटेल्स भरने के लिए बचा कर रखें. बोल्ड वर्ड्स को नज़रंदाज़ करना मुश्किल होगा और जब भी आप अपने प्लान को देखेंगे को आपकी नज़र सबसे पहले आपके प्लान के मेन कांसेप्ट पर जाएगी.

 

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