Blue Ocean Shift

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Blue Ocean Shift

W. Chan Kim and Renée Mauborgne
Beyond Competing - Proven Steps to Inspire Confidence and Seize New Growth

दो लफ्जों में
ब्लू ओशियन शिफ्ट ( Blue Ocean Shift ) में हम देखेंगे कि किस तरह से आप मार्केट में ब्लू ओशियन बना सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम मार्केट में कंपनियों के बीच चल रही खतरनाम प्रतियोगिता से बाहर निकल कर उस ब्लू ओशियन को खोज सकते हैं जहां पर प्रतियोगिता का नामों-निशान नहीं है। 

यह किसके लिए है
-वे जो एक ब्लू ओशियन बनाना चाहते हैं।
-वे जो मार्केट की प्रतियोगिता से तंग आ चुके हैं और खुद को उससे अलग करना चाहते हैं।
-वे जो हर बिजनेस की तरह नहीं बनना चाहते बल्कि अपने बिजनेस की एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं।

लेखक के बारे में
डब्लू चैन किम ( W. Chan Kim ) साउथ कोरिया के एक बिजनेस थियोरिस्ट हैं। वे INSEAD में स्ट्रैटेजी और मैनेजमेंट के प्रोफेसर हैं। साथ ही वे INSEAD ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी इंस्टिट्यूट के को-डाइरेक्टर भी हैं। वे 2005 में लिखी गई अपनी किताब ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी के लिए जानें जाते हैं।
रिने मौबोर्न  ( Renée Mauborgne ) ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी इंस्टिट्यूट की को-फाउंडर हैं और ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी किताब की को-राइटर हैं। वे INSEAD में स्ट्रैटेजी की प्रोफेसर हैं।

मार्केट में ब्लू ओशियन शिफ्ट की मदद से काम्पिटिशन को खत्म कीजिए।
ज्यादातर बिजनेस सिर्फ इसलिए नाकाम होते हैं क्योंकि वे खुद को काम्पिटिशन से अलग नहीं कर पाते हैं। आज मार्केट बहुत से "नकली बिजनेस" से भरा पड़ा है, जिसमें हर कोई अपने प्रतियोगी की नकल करने में लगा हुआ है। लोग यह देख रहे हैं कि बिजनेस में उनका काम्पटीटर किन तरीकों का इस्तेमाल कर के कामयाबी हासिल कर रहा है और फिर वे भी उसकी नकल करने लगता है।

इसी वजह से आज मार्केट में इतने सारे एक जैसे बिजनेस हो गए हैं कि ग्राहक उनमें से एक को चुन ही नहीं पाता। ऐसे में कंपनियां खुद को बेहतर और अपने प्रतियोगी को बद्तर दिखाने की पूरी कोशिश करती हैं। वे एक दूसरे को ही मारने में लगी रहती हैं ताकि वे ग्राहकों को अपनी तरफ खींच सकें। इस तरह से वे रेड ओशियन में फँस जाती हैं।

यह किताब बताती है कि किस तरह से आप इस रेड ओशियन से बाहर निकल कर ब्लू ओशियन में जा सकते हैं। यह किताब हमें काम्पिटिशन को खत्म करने के बहुत से तरीके बताती है। इसकी मदद से आप नए प्रोडक्ट्स के बारे में या फिर समस्या को सुलझाने को नए तरीकों के बारे में सोच पाएंगे और अपने बिजनेस की मार्केट में एक अलग पहचान बना पाएंगे।

इस समरी में आप ये भी जानेंगे कि किन तरीकों की मदद से आप मार्केट में ब्लू ओशियन बना सकते हैं। वो 4 तरीके जिनकी मदद से आप समस्या को सुलझाने का नया नजरिया पा सकते हैं। और किस तरह से आप मार्केट की खतरनाक काम्पिटिशन से बाहर निकल कर अपने कंपनी की जान बचा सकते हैं।

तो चलिए शुरू करते हैं!

मार्केट में दो तरह के बिजनेस पाए जाते हैं - एक वो होते हैं जो कि बहुत अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट और सर्विस लोगों तक पहुंचाते हैं और उसे मनचाहे दाम पर बेचकर अच्छे पैसो कमाते हैं। और एक वो जो कम पैसे में ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच कर फायदा कमाने की कोशिश करते हैं। 

लेकिन इन दोनों ही मार्केट्स में काम्पिटिशन इतनी ज्यादा है कि इनमें हमेशा ग्रो कर पाना बहुत मुश्किल काम है। यह मार्केट्स अब एक रेड ओशियन बन गए हैं, जहाँ पर कंपनियां एक दूसरे का खून कर के फायदे कमाने की कोशिश कर रही हैं।

लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप भी यही दो रास्ते अपना कर मार्केट में उतरें। ब्लू ओशियन शिफ्ट की मदद से आप काम्पिटिशन को खत्म कर सकते हैं। इस तरीके की मदद से आप उन प्रोडक्ट्स के बारे में सोच सकते हैं जिसके बारे में पहले किसी ने नहीं सोचा था, और उसे मार्केट में लाकर अपनी मोनोपाली बना सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए Groupe SEB को ले लीजिए जो कि फ्रेंच फ्राई बनाने का काम करती है। फ्रेंच फ्राई को हमेशा से ही बहुत ज्यादा तेल में डीप फ्राई कर के बनाया जाता था। इसे खाना लोगों के लिए सेहतमंद नहीं होता था और इसे बनाने में भी बहुत मेहनत हुआ करती थी। लोगों को इसी तरीके से काम करने की आदत हो गई थी।

लेकिन 2006 में Groupe SEB ने एक नए तरीके को खोजा। उन्होंने एक ऐसा तरीका निकाला जिसकी मदद से फ्रेंच फ्राई को बिना फ्राई किए सिर्फ एक चम्मच तेल में बनाया जा सकता था। जब उन्होंने इस आइडिया पर काम कर के उसे मार्केट में उतारा, वे बहुत जल्दी कामयाब हो गए।

ब्लू ओशियन शिफ्ट में 3 स्टेप्स होते हैं। सबसे पहले आपको पहले से मौजूद प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाने के बारे में ना सोचकर नए तरह के प्रोडक्ट्स को मार्केट में लाने के बारे में सोचना होगा। आपको एक नए नजरिए से चीजों को देखना शुरू करना होगा। 

इसके बाद आपको अपनी टीम को मोटिवेट करना होगा ताकि वे भी आपकी तरह सोचकर अपने नजरिए को बदल सकें। अंत में आपको अपने इस आइडिया पर काम कर के इसे हकीकत में बदलना होगा, ताकि आप मार्केट में कुछ नया ला सकें।

आने वाले सबक में हम देखेंगे कि किस तरह से आप यह काम कर सकते हैं।

तीन तरीकों को मदद से आप नए मार्केट को खोज सकते हैं।
इससे पहले हम यह देखें कि किस तरह से आप पिछले सबक में बताए गए तीन तरीकों का इस्तेमाल कर के नए तरह के मार्केट को बना सकते हैं, हमें यह समझ लेना चाहिए कि कितने तरीकों से नए प्रोडक्ट्स की मदद से नए मार्केट बनाए जा सकते हैं।

तीन तरीकों से नए मार्केट बनाए जाते हैं। इनमें से सबसे पहला है - डिस्रप्टिव इनोवेशन। 20वीं सदी के इकोनामिस्ट जोसेफ शुम्पिटर ने इसे क्रीएटिव डेस्ट्रक्शन नाम दिया था।

इसका मतलब होता है कि आप एक ऐसी टेक्नोलॉजी को मार्केट में लाते हैं जो कि पुरानी इंडस्ट्री का खात्मा कर देती है। ईमेल इसका अच्छा एक्साम्पल है। पहले के वक्त में लोग चिट्ठियां भेजा करते थे। लेकिन बाद में ईमेल को खोज किया गया जिससे पोस्ट-आफिस इंडस्ट्री खत्म हो गई। 

इसके बाद आता है नॅान-डिस्रप्टिव इनोवेशन, जिसमें एक नया प्रोडक्ट मार्केट में आता है, लेकिन उससे पुराने प्रोडक्ट्स को कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। इस तरह के प्रोडक्ट कुछ ऐसी समस्याएं सुलझाते हैं जिसके बारे में पहले किसी ने नहीं सोचा था। एक्साम्पल के लिए वाइग्रा को ले लीजिए। 1996 में जब यह नया ड्रग मार्केट में आया, तो इसने किसी दूसरे ड्रग के ग्राहकों को नहीं छीना। इसने सिर्फ एक ऐसी समस्या का इलाज किया जिसपर अब तक कोई नहीं ध्यान दे रहा था - इरेक्टाइल डिस्फंक्शन।

तीसरा तरीका इन दोनों तरीकों के बीच में कहीं आता है। यह वो तरीका होता है जो कि नई टेक्नोलॉजी की मदद से पुरानी इंडस्ट्री को नुकसान तो पहुंचाती है, लेकिन उसका खात्मा नहीं करती। एक्साम्पल के लिए गूगल एडवर्टाइमेंट को ले लीजिए।

गूगल के आ जाने से एडवर्टाइमेंट इंडस्ट्री को एक बड़ा धक्का लगा है। इससे पहले बैनर ऐड्स, टीवी ऐड्स और पोस्टर्स मशहूर हुआ करते थे। लेकिन आजकल बहुत से लोग डिजिटल मार्केटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मार्केटिंग के पुराने तरीके पूरी तरह से खत्म हो गए हैं। 

तो इन तीन तरीकों से आप एक नया मार्केट बना सकते हैं।

4 तरीकों की मदद से आप अपने नजरिए को बदलकर एक समस्या का अलग समाधान खोज सकते हैं।
अब हम देखेंगे कि किस तरह से आप अपने नजरिए को बदलकर एक नया आइडिया मार्केट में ला सकते हैं। इसके लिए हम एक्साम्पल लेंगे कामिक रिलीफ का, जो कि यूके की एक कैंसर चैरिटी है।

चैरिटी की इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा काम्पिटिशन है। सिर्फ लंदन में ही लगभग 600 कैंसर चैरिटी है और वो सारी चैरिटीज़ एक जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर के लोगों से फंड इकट्ठा करने की कोशिश करती हैं। कामिक रिलीफ ने ब्लू ओशियन शिफ्ट को अपनाया और एक नए तरीके की मदद से फंड इकट्ठा करने लगे।

वो साल में एक बार रेड नोज़ डे सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन उनकी कंपनी का हर एक व्यक्ति एक जोकर की तरह लाल नाक लगाकर फंड इकट्ठा करने निकल पड़ता है। वे यह काम 1980 से ही कर रहे हैं और अब रेड नोज़ डे एक त्योहार जैसा बन गया है। इस दिन वे सेलिब्रेशन करते हैं और खूब सारे खेल खेलते हैं। उनके सेलिब्रेशन में दूर-दूर से लोग आते हैं और उनसे जो भी हो सके, वो डोनेट करते हैं। इस तरह से उन्होंने 2017 में 73 मिनियन पाउंड इकट्ठा किए थे। 

उन्होंने इन 4 तरीकों की मदद से यह ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी बनाई।

सबसे पहले तो वो हर किसी की नकल नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक बिल्कुल अलग तरीके से फंड इकट्ठा कर रहे हैं।

दूसरा, वो काम्पिटिशन को हराने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि वो खुद की ही रेस में भाग रहे हैं। वे वही पुराने तरीकों में उलझ कर सबसे ज्यादा फंड इक्ट्ठा नहीं कर रहे, जिससे उन्होंने काम्पिटिशन को खत्म ही कर दिया।

तीसरा, वे सिर्फ अमीर लोगों को टार्गेट नहीं कर रहे हैं। उनके रेड नोज़ डे में अमीर-गरीब कोई भी आ सकता है और उससे जितना हो सके उतना डोनेट कर सकता है।

चौथा, उनका तरीका सस्ता और अलग दोनों है। इसकी मदद से वे आसानी से इस इवेंट को आर्गनाइज़ कर के ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान खींच पाते हैं।

इन चार तरीकों से सोचकर आप भी नए नया नजरिया पा सकते हैं और एक नए तरीके से काम कर के अपने लिए एक ब्लू ओशियन स्ट्रैटेजी बना सकते हैं।

अपनी टीम को ब्लू ओशियन शिफ्ट के लिए तैयार करना बहुत जरूरी है।
किसी भी काम को अंजाम देने के लिए एक मोटिवेटेड टीम की जरूरत पड़ती है। इससे पहले आप अपनी कंपनी में ब्लू ओशियन शिफ्ट ला सकें, आपको Humanness के कान्सेप्ट को समझना होगा। Humanness का मतलब है लोगों के डर, तकलीफ और इज्जत की चाहत को समझना ताकि आप उनकी इन भावनाओं का इस्तेमाल अपने मकसद को पूरा करने के लिए कर सकें।

Humanness की मदद से आप अपनी टीम के अंदर यह विश्वास पैदा कर पाएंगे कि वे इस ब्लू ओशियन शिफ्ट को ला सकते हैं। इसमें तीन चीजें आती हैं।

सबसे पहला है बड़े काम को छोटे छोटे भागों में बाँटना। एक नया मार्केट बनाना कोई छोटा काम नहीं है और ऐसे में आपकी टीम के बहुत से लोग यह जरूर सोचेंगे कि यह काम हो भी सकता है या नहीं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने प्लान को छोटे छोटे स्टेप्ट में बाँट दीजिए और एक बार में एक स्टेप पर फोकस कीजिए।

इसके बाद दूसरी चीज़ है एक ऐसी खोज जो आप से पहले किसी ने की हो। यह जरूरी है कि आपकी टीम का हर व्यक्ति खुद से बदलाव की जरूरत को महसूस करे और एक अलग तरह से सोचकर एक नया आइडिया पैदा कर सके। 

अंत में आपको ब्लू ओशियन बनाने के लिए एक अच्छे प्रासेस की जरूरत होगी। इस प्रासेस में 3 स्टेप्स आते हैं -: एंगेजमेंट, एक्सप्लानेशन और एक्सेपेक्टेशन। 

एंगेजमेंट का मतलब आप अपनी टीम के हर व्यक्ति की राय लेकर एक फैसला लेंगे, ताकि उस फैसले में सबका योगदान रहे। एक्सप्लानेशन में आप अपने लोगों को यह समझाएंगे कि आप ने जो फैसला लिया है वो क्यों और कैसे काम करेगा। एक्सेपेक्टेशन में आप लोगों को बताते हैं कि उनकी जिम्मेदारियां क्या हैं और उनसे किस तरह की उम्मीदें रखी जा रही हैं।

इस तरह से आप अपनी टीम को इस ब्लू ओशियन शिफ्ट के लिए तैयार कर सकते हैं।

ब्लू ओशियन बनाने से पहले यह देखिए कि आप इस समय मार्केट में कहाँ पर हैं।
आने वाले सबक में हम उन 5 टूल्स के बारे में जानेंगे जिनकी मदद से आप ब्लू ओशियन बनाने में कामयाब हो सकते हैं। इसमें से सबसे पहला टूल है पायोनीर-माइग्रेटर-सेटलर मैप।

इस टूल की मदद से आप यह देख पाएंगे कि आपके जितने भी प्रोडक्ट्स हैं, वे इस समय मार्केट में कहाँ पर मौजूद हैं। साथ ही इससे आप यह भी पता कर पाएंगे कि भविष्य में आपकी कंपनी के ग्रो करने की संभावना कितनी है। इसके लिए आप अपनी कंपनी के हर प्रोडक्ट को इन तीन कैटेगरी में बाँटना शुरू कीजिए-:

पायोनीर प्रोडक्ट वो होते हैं जो कि दूसरों से बिल्कुल अलग होते हैं। ऐसे प्रोडक्ट मार्केट में आपके अलावा कोई नहीं बना रहा होता और आपके ग्राहकों को यह प्रोडक्ट बहुत पसंद आता है। अगर आपके पास बहुत से पायोनीर प्रोडक्ट्स हैं, तो भविष्य में आपकी कंपनी के फायदे कमाने की संभावना बहुत ज्यादा है।

इसके बाद आते हैं सेटलर प्रोडक्ट। यह वो प्रोडक्ट होते हैं जो कि आपके प्रतियोगी के प्रोडक्ट से मिलते हैं। इनके जैसे मार्केट में बहुत से दूसरे प्रोडक्ट मौजूद होते हैं और ग्राहक के पास आप से ही इस प्रोडक्ट को खरीदने की कोई खास वजह नहीं होती। वो इसे कहीं से भी खरीद सकता है। अगर आपके ज्यादातर प्रोडक्ट्स इस कैटेगरी में आते हैं, तो आज आपकी कंपनी चाहे जितना फायदा कमा रही हो, उसका भविष्य में कामयाब रह पाना नामुमकिन है।

अंत में आते हैं माइग्रेटर, जो कि इन दोनों प्रोडक्ट्स के बीच में आते हैं। यह प्रोडक्ट्स आपके प्रतियोगी से काफी हद तक अच्छे होते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से अलग नहीं होते। इनकी नकल आसानी से की जा सकती है। अगर आपके पास बहुत से माइग्रेटर प्रोडक्ट्स हैं, तो भविष्य में आपकी कंपनी रेड ओशियन में फँस जाएगी और उसे फायदे कमाने के लिए बहुत लड़ाई लड़नी होगी।

अपनी कंपनी के हर प्रोडक्ट्स को इन तीन कैटेगरी में बाँटिए और यह देखिए कि आपके पास कितने पायोनीर, माइग्रेटर और सेटलर हैं। ज्यादा पायोनीर मतलब सुनहरा भविष्य और ज्यादा सेटलर मतलब आपको जल्दी से बदलाव लाने की जरूरत है।

अपने प्रतियोगी की तुलना खुद से कीजिए ताकि आपको यह पता लगे कि किस तरह से आप खुद को उससे अलग बना सकते हैं।
अब हम अपने दूसरे टूल के बारे में जानेंगे जिसका नाम स्ट्रैटेजी कैनवस है। इसकी मदद से आप यह देख पाएंगे कि मार्केट में किन पहलुओं पर काम्पिटिशन होती है और किस तरह से आप खुद को उसमें सबसे अलग बना सकते हैं।

इसमें सबसे पहले आप एक पेज पर एक ग्राफ बनाते हैं। हारिजान्टल लाइन में आप उन पहलुओं का नाम लिखते हैं जिनके आधार पर मार्केट में काम्पिटिशन होती है। एक्साम्पल के लिए अगर आप मोबाइल की कंपनी चला रहे हैं, तो आपके मार्केट में काम्पिटिशन कीमत, कैमरा, प्रासेसर, स्टोरेज स्पेस के आधार पर हो सकती है। 

इसके बाद वर्टिकल लाइन पर यह लिखिए कि उस पहलुओं पर आप कहाँ पर हैं। अगर आप उसमें सबसे आगे हैं, तो खुद को 5 नंबर दीजिए। अगर आप उसमें सबसे पीछे हैं, तो खुद को 1 नंबर दीजिए। एक्साम्पल के लिए अगर आप मार्केट में सबसे अच्छा कैमेरा दे रहा है, तो कैमेरा के मामले में आपको 5 नंबर मिलेंगे, और अगर आप सबसे कम प्रोसोसर दे रहे हैं, तो इस मामले में आपको 1 नंबर मिलेगा।

अपने कैनवस बना लेने के बाद अपने प्रतियोगी का कैनवस बनाइए। यह देखिए कि वो किस पहलू में कहाँ पर है। अगर आपके प्रतियोगी का कैनवस आपके कैनवस से मिल रहा है, तो इसका मतलब है कि आप एक रेड ओशियन में फँसे हुए हैं।

साथ ही अपनी इंडस्ट्री की सबसे बड़ी कंपनी को लीजिए और उसका स्ट्रैटेजी कैनवस बनाइए। यह देखिए कि वो किस पहलू में कहाँ पर हैं। उससे खुद की तुलना करने पर आप यह पता कर पाएंगे कि मार्केट में आप कितने ताकतवर या कमजोर हैं।

ब्लू ओशियन बनाने के लिए आपको अपने स्ट्रैटेजी कैनवस को अलग बनाना होगा। आपको कुछ ऐसा प्रोडक्ट लाना होगा जो कि दूसरों के मुकाबले सबसे अलग हो।

युटिलिटी मैप की मदद से आप अपने प्रोडक्ट को लोगों के लिए आसान बना सकते हैं।
अब हम जिस टूल के बारे में जानेंगे उससे आप यह पता लगा पाएंगे कि आपके ग्राहक को आपका प्रोडक्ट इस्तेमाल करने में कहाँ पर परेशानी आ रही है। इसका नाम है युटिलिटी मैप। इसकी मदद से आप अपने ग्राहक की समस्याओं को पहचान कर उनका समाधान निकाल सकते हैं। 

इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक पेज पर 6 रो ( Row ) और 6 कालम ( Column ) का एक टेबल बनाइए। 

6 कालम में आप यह लिखिए कि आपके प्रोडक्ट को खरीदना कितना आसान है, उसे घर तक डिलिवर करना कितना आसान है, उसका इस्तेमाल करना कितना आसान है, उसके साथ दूसरी कौन सी चीजें लेनी पड़ती हैं, उसे मेनटेन करना कितना आसान है और जब उसका काम हो जाता है, तो उसे फेकना कितना आसान है।

6 रो में आप लिखते हैं कि हर एक स्टेज पर आपके ग्राहक की प्रोडक्टिविटी क्या है, उसे इस्तेमाल करना कितना आसान है, उससे कितना फायदा होता है, उसमें रिस्क कितना है, उसमें मज़ा कितना आता है और वो पर्यावरण या सेहत के लिए कितना फायदेमंद है।

इस तरह से आपके पास कुछ मिलाकर 36 बाक्स बन जाते हैं। अब इन बाक्सेस को भरिए और यह पता कीजिए कि आपके प्रोडक्ट को खरीदने से लेकर उसे फेकने तक, आपके ग्राहक को किस किस तरह की तकलीफें आती हैं। साथ ही यह भी लिखिए कि किस तरह से आप उस समस्या अपने प्रोडक्ट की मदद से आसान बना सकते हैं।

अगर आप कोल्ड-ड्रिंक बेचते हैं, तो यह देखिए कि ग्राहक को उसे खरीदने के लिए कहाँ जाना पड़ता है, उसे बोतल को खोलने में कितनी आसानी होती है, उसे पीने में और लोगों से बाँटने में कितनी आसानी होती है और अंत में उस बोतल को फेकने में कितनी आसानी होती है। आप खुद से यह सवाल पूछकर अपने कोल्ड-ड्रिंक को बेहतर बना सकते हैं -:

किस वजह से मेरा ग्राहक उसे आसानी से इस्तेमाल नहीं कर पाता? क्या किया जाए कि मेरा प्रोडक्ट उसे मज़ेदार लगने लगे? क्या इससे उसकी सेहत या वातावरण पर असर पड़ रहा है? इसे इस्तेमाल करने में उसका रिस्क क्या है? इसे खरीदने में उसे कहाँ पर समस्या आती है।

एक एक कर के यह सवाल पूछते जाइए और अपने युटिलिटी मैप को भरते जाइए। फिर अपने ग्राहक की हर तकलीफ को खत्म करने की और अपने प्रोडक्ट को उसके लिए मजेदार बनाने की कोशिश कीजिए।

ब्लू ओशियन बनाने के मौके को खोजने के लिए आपके 6 अलग अलग रास्ते हैं।
अब हम अपने चौथे टूल के बारे में जानेंगे जिसका नाम है 6 पाथ फ्रेमवर्क। इसकी मदद से आप यह पता कर पाएंगे कि किस तरह से आप अलग अलग तरह की सर्विस और ग्राहकों को मिला कर नए ब्लू ओशियन बना सकते हैं।

सबसे पहला रास्ता है कि आप एक तरह की समस्या सुलझाने वाले अलग अलग इंडस्ट्री को देखिए। एक्साम्पल के लिए, कुछ लोग कहीं पर जाने के लिए टैक्सी चुनते हैं, कुछ लोग बस और कुछ लोग अपने साधन का इस्तेमाल करते हैं। वो कौन सी चीज़ है जिससे प्रभावित होकर लोग अपनी एक ही तरह की जरूरत को पूरा करने के लिए अलग अलग इंडस्ट्री के अलग अलग प्रोडक्ट को चुनते हैं?

दूसरा रास्ता है कि आप अपनी इंडस्ट्री के स्ट्रैटेजिक ग्रुप्स को देखिए। एक्साम्पल के लिए कुछ लोग एक सर्विस को लेने के लिए बहुत ज्यादा पैसे देते हैं तो कुछ लोग उसी के लिए कम पैसे खर्च करते हैं। गाड़ी मारूती भी है और गाड़ी मर्सिडीज भी। फिर क्यों कुछ लोग एक को चुनते हैं और दूसरे को नहीं? इसे जानने के बाद यह देखिए कि किस तरह से आप दोनों को एक में मिला कर एक ब्लू ओशियन बना सकते हैं।

तीसरा तरीका है कि आप अपने ग्राहकों से जुड़े लोगों पर ध्यान दीजिए। यह जरूरी नहीं है कि जो व्यक्ति आपका प्रोडक्ट खरीदे वही उसे इस्तेमाल भी करे। एक्साम्पल के लिए एक खिलौना बच्चे के लिए खरीदा जाता है, लेकिन एक बच्चा उसे नहीं खरीदता। वो बच्चा सुपरमैन की मूवी से प्रभावित होता है और जिद्द कर के अपने पिता से वो खिलौना खरिदवाता है। उनके माता-पिता पर ध्यान देकर आप अपनी मार्केटिंग को बदल सकते हैं और एक नया ब्लू ओशियन बना सकते हैं।

चौथा तरीक है उन प्रोडक्ट्स पर ध्यान दीजिए जो कि आपके प्रोडक्ट के साथ खरीदे जाते हैं। एक्साम्पल के लिए मोबइल के साथ चार्जर खरीदा जाता है। कॅाफी के साथ एस्प्रेसो मशीन ली जाती है। फिर यह सोचिए कि किस तरह से आप इन सप्लिमेंटरी प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाकर ग्राहकों का दिल जीत सकते हैं। एक्साम्पल के लिए, बहुत से पैरेट्स मूवी देखने नहीं जाते क्योंकि उनके बगैर उनके बच्चों को देखने वाला कोई नहीं होगा। अगर मूवी थिएटर्स में बेबी-सिटिंग सर्विस दी जाने लग जाए, तो इससे बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को वहाँ पर सेफ रखकर मूवी देखने जा सकते हैं।

पाँचवा तरीका है लाजिक और इमोशन के बैलेंस के बारे में सोचिए। सिमेंट हमेशा लाजिक के आधार पर बेचा जाता है, जबकि मोबाइल फोन्स लाजिक के आधार पर बेचे जाते हैं। अगर आप अपने लाजिक के आधार पर बेचे जाने वाले प्रोडक्ट में इमोशन या फिर इमोशन के आधार पर बेचे जाने वाले प्रोडक्ट में लाजिक पैदा कर सकें, तो आप ब्लू ओशियन बना सकते हैं। एप्पल अपने प्रोडक्ट को इमोशन के आधार पर बेचता है, जबकि दूसरे सारे फोन्स उसे लाजिक के आधार पर।

आखरी तरीका है कि आप यह देखिए वो कौन सी इंडस्ट्री है जो आपकी इंडस्ट्री पर असर डाल रही है। एक्साम्पल के लिए मौसम के बदलाव से किसानों को समस्या हो सकती है। इस तरह की चीजों पर ध्यान देकर आप ट्रेंड को पहचान सकते हैं और नए मौके खोज सकते हैं।

अपनी इंडस्ट्री के पुराने नियमों को तोड़कर आप ब्लू ओशियन बना सकते हैं।
अब हम अपने आखिरी टूल के बारे में जानेंगे जिसका नाम है 4 एक्शन फ्रेमवर्क। इसमें आप खुद से अलग अलग तरह के सवाल पूछते हैं और अपनी इंडस्ट्री के पुराने नियमों को तोड़ने की कोशिश करते हैं।

इसमें सबसे पहला सवाल आता है - वो कौन सी चीज़ है जो कि आपकी इंडस्ट्री में हर कोई करता है, लेकिन उसे करने की कोई जरूरत नहीं है? सर्कस में लगभग सारे सर्कस वाले जानवरों का खेल दिखाता करते थे। आडिएंस इससे ऊब गई थी, लेकिन फिर भी सारे सर्कस वाले यह काम किए जा रहे थे। सर्कीक-डी-सोलील ने इस तरीके को अपनाना छोड़ दिया और उन्होंने अपने बिजनेस के कास्ट को काफी हद तक कम कर दिया।

दूसरा सवाल आपको खुद से यह पूछना है कि किस इंडस्ट्री स्टैंडर्ड को आप कम कर के भी अपना काम चला सकते हैं? मोबाइल फोन्स में आजकल हर कोई ज्यादा से ज्यादा RAM देने की कोशिश कर रहा है, जबकि एक फोन चलाने के लिए 2 GB का RAM काफी होता है। अगर आप इसे कम कर के बचे हुए पैसों से कुछ दूसरे फीचर ला सकें, तो आप ब्लू ओशियन बना सकते हैं।

तीसरा सवाल है - वो कौन सी चीज़ है जिसे अपने प्रोडक्ट में डालकर आप उपे बेहतर बना सकते हैं? सर्कीक-डी-सोलील ने जानवरों का खेल दिखाना बंद कर दिया, लेकिन उसने थिएटर, नाटक और दूसरे शहरी मनोरंजन के प्रोग्राम को ऐड कर दिया। इसकी मदद से उसने ग्राहकों को कुछ नया दिया जिससे ग्राहक उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।

अंत में, आखिरी सवाल आपको यह पूछना है- कि वो कौन सी सर्विस है जो लोगों को आज तक नहीं दी गई? आप लोगों को ऐसा क्या दे सकते हैं जो उन्होंने आज तक कभी नहीं देखा? एप्पल ने जब 2007 में अपने पहला आइफोन निकाला था, तो उसने ग्राहकों को वे दिया था जोड उन्होंने उससे पहले कभी नहीं देखा था।

अपनी टीम को एक साथ लेकर आइए और उन्हें सारे फ्रेमवर्क के बारे में बताकर ब्लू ओशियन शिफ्ट के लिए तैयार कीजिए।
अब तक अगर आप ने इन सारे फ्रेमवर्क्स का इस्तेमाल कर के ब्लू ओशियन बनाने के बारे में सोचने की कोशिश की है, तो आपके पास कुछ न कुछ आइडियाज़ जरूर आ गए होंगे। आपको एक हद तक यह पता लग गया होगा कि किस तरह से आप एक ब्लू ओशियन बना सकते हैं। अब वक्त आ गया है अपनी टीम के लोगों को इसके बारे में बता कर बदलाव लाने पर काम शुरू करने का।

सबसे पहले अपनी टीम के सारे काबिल लोगों को एक साथ मीटिंग में बुला लीजिए। अपने मार्केटिंग, प्रोडक्ट डेवेलप्में, HR, R&D और लाजिस्टिक्स के हेड को बुलाइए और मीटिंग की शुरुआत कीजिए।

सबसे पहले उन्हें यह बताइए कि ब्लू ओशियन को बनाना इतना जरूरी क्यों है। इसके बाद उन्हें उन सारे फ्रेमवर्क के बारे में बताइए जो आप ने चस किताब में पढ़ें हैं और उन्हें समझाइए कि किस तरह से आप उनका इस्तेमाल कर के नए मौके खोज रहे हैं।

हर फ्रेमवर्क के साथ अपने एक नए प्रोडक्ट के बारे में लोगों को बताइए। 6 पाथ फ्रेमवर्क, 4 एक्शन फ्रेमवर्क और स्ट्रैटेजी कैनवस के बारे में उन्हें बताइए और उनसे उनके आइडियाज़ के बारे में जानिए। 

एक बाद आप लोगों को सब कुछ समझा दें, तो उन्हें सोचने का कुछ समय दीजिए। फिर उनसे उनके आइडियाज़ मांगिए और सारे आइडियाज़ को सबसे सामने रखिए। फिर उनसे वोट करने को कहिए कि उनके हिसाब से कौन सा आइडिया सबसे बेहतर है उनमें से एक आइडिया को चुनिए।

इसके बाद अपनी टीम को प्रेरित कर के उन्हें इस आइडिया पर काम करने के लिए उत्साहित कीजिए। थोड़ी सी लगन और मेहनत के साथ आप बहुत जल्द ही ब्लू ओशियन के पानी में खुद को तैरता हुआ पाएंगे, जहाँ पर आप से काम्पिटिशन करने के लिए कोई भी नहीं होगा।

कुल मिलाकर
ब्लू ओशियन बनाना आज हर कंपनी के लिए बहुत जरूरी हो गया है। अपने प्रतियोगी की नकल कर के हम कभी अपने प्रतियोगी से आगे नहीं निकल सकते। हमें सबसे पहले अपने नजरिए को बदलना होगा ताकि हम समस्या को नए एंगल से देख पाएं। इसके बाद हमें अपनी टीम को प्रेरित करना होगा ताकि वे भी ब्लू ओशियन बनाने के मिशन में अपना योगदान दे सकें। अंत में इस किताब में बताए गए टूल्स का इस्तेमाल कर के हमें मार्केट में छिपे मौकों को खोजकर उसका फायदा उठाना सीखना होगा। इस तरह से हम ब्लू ओशियन बना कर खुद को काम्पिटिशन के परे ले जा सकते हैं।

 

क्या करें ?

एक ताकतवर ब्लू ओशियन टीम बनाइए।

ब्लू ओशियन शिफ्ट को अनजाम देने के लिए आपको एक ऐसी टीम की जरूरत होगी जिसमें अलग अलग टैलेंट के लोग मौजूद हों। यह टीम इतनी छोटी होनी चाहिए कि इसमें आसानी से बदलाव लाए जा सकें और यह तेजी से काम कर सकें। साथ ही यह इतनी बड़ी होनी चाहिए कि इसमें काम करने वाले लोग क्रीएटिव हों, उनके पास अनुभव हो और वे अपने काम को अच्छे से करना जानते हों। ऐसे में आप 10 से 15 लोगों की टीम तैयार कीजिए जो कि HR, IT, मार्केटिंग, फाइनेंस, मैनुफैक्चरिं, रीसर्च एन्ड डेवेलप्मेंट और सेल्स के डिपार्टमेंट को देख सकें।

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Blue Ocean Shift By W. Chan Kim and Renée Mauborgne

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आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे. 

अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं. 

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Keep reading, keep learning, keep growing.


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