Superhuman Innovation

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Superhuman Innovation

Chris Duffy
Transforming Business with Artificial Intelligence

दो लफ्जों में 
2019 में आई ये बुक हमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी कि AI की पावर के बारे में गाइड करती है। इस बुक में हम जानेंगे कि किस तरह से हम AI की हेल्प से अपने बिजनेस को,अपनी ऑर्गेनाइजेशन को ट्रांसफॉर्म कर सकते हैं। इस बुक में हम जानेंगे कि किस तरह से ह्यूमन और मशीन कोलैबोरेशन का सही यूज़ किया जा सकता है।

  ये बुक किसके लिए है?
ये बुक बिजनेस स्टूडेंट्स के लिए है जोकि AI के इम्पैक्ट के बारे में स्टडी कर रहे हैं। 
ये बुक उन एंटरप्रेन्योर्स के लिए है जो अपनी कम्पनी में AI को इनकॉरपोरेट करना चाहते हैं। 
ये बुक उन बिजनेस ओनर्स के लिए भी है जो AI की पावर से अपने बिजनेस को ट्रांसफॉर्म करना चाहते हैं। 

लेखक के बारे में 
Chris dufft एडोब क्रिएटिव क्लाउड कम्पनी में स्ट्रैटेजिक डेवलपमेंट मैनेजर हैं। वो AI टेक्नोलॉजिस्ट भी हैं। 100 से ज्यादा मीडिया आउटलेट्स में उनका वर्क फीचर हो चुका है। SUPERHUMAN INNOVATION उनकी पहली बुक है।

दुनिया में AI की इम्पोर्टेन्स काफी तेजी से बढ़ रही है और आने वाले टाइम में इसके बहुत ज्यादा बेनिफिट होने वाले हैं।
हिस्ट्री में ऐसी बहुत सी डिस्कवरी हुई है जिसनें फ्यूचर को चेंज करा है। अठारवीं सदी में हुए पहले इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन ने टेक्सटाइल के प्रति हमारी अप्रोच को चेंज किया जिसकी वजह से कोयले और स्टीम पावर प्रोसेस में आये। उसके बाद सेकंड इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन में टीवी और रेडियो जैसी चीजों ने हम सभी को अट्रैक्ट किया। उसके बाद थर्ड इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन के दौरान हमने इंटरनेट जैसी शानदार चीज को एक्वायर किया है। और अब टाइम है फोर्थ इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन का जिसमें हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की पावर को विटनेस कर रहे हैं। 2015 में हुए एक स्टडी के एकॉर्डिंग AI बहुत फास्ट तरीके से ह्यूमन को ओवरकम कर रहा है। 

इस बुक में हम जानेंगे कि किस तरह से AI बिजनेस को इम्पैक्ट करता है। और किस तरह से हम अपने बिजनेस के लिए AI का यूज़ कर सकते हैं।

इस बुक में हम पढ़ेंगे।

किस तरह से वर्ल्ड स्मार्ट बन सकता है? 

स्पेस एक्स ने किस तरह से AI का यूज़ करके अपने बिजनेस को मॉडल को सक्सेस बनाया।

तो चलिए शुरू करते हैं!

जरा एक सेकंड का पॉज लेकर सोचिये की AI आपकी डेली लाइफ में क्या रोल प्ले करता है। अमेजन के द्वारा बनाये गए अलेक्सा और एप्पल के द्वारा प्रोड्यूस किया गया सीरी AI का ही एग्जाम्पल है। आप इन दोनों की हेल्प से सिर्फ बोलकर कोई भी काम करवा सकते हैं। जब भी आप सीरी को कहते हैं कि आपके लिए एक यूट्यूब वीडियो प्ले करे,या फिर किसी दूसरे पर्सन को ईमेल सेंड करे तो समझ लीजिए कि आप AI से इंटरैक्ट कर रहे हैं। 

AI के यूज़ के साथ आने वाले बहुत सारे एप्पलीकेशन अब डेवलप हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हमने अभी तक AI का पूरा पोटेंशियल यूज़ नहीं किया है। AI आने वाले टाइम में हमारी डेली लाइफ का और भी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट पार्ट बनने वाला है। AI की टेक्नोलॉजी की हेल्प से बने हर ऑब्जेक्ट का काम यही है कि वो डाटा को कलेक्ट करके कम्पनी तक वापस पहुंचा सके। आने वाले टाइम में कुछ ऐसा हो जाएगा कि आपकी रेफ्रिजरेटर में अगर ग्रॉसरीज की नीड होगी तो रेफ्रिजरेटर की हेल्प से कम्पनी आपके लिए खुद ग्रॉसरीज आर्डर कर सकेंगीं।

सीरी और स्मार्ट रेफ्रिजरेटर के अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जोकि AI की बदौलत हमारी हेल्प कर सकती हैं। सेल्फ ड्राइविंग कार की हेल्प से रोड पर होने वाले एक्सीडेंट में कमी आएगी। स्मार्ट माइनिंग की हेल्प से दुनिया की सबसे खतरनाक जॉब माइनिंग  में सेफ्टी इनक्रीज हो पाएगी। इतना ही नहीं AI की हेल्प से डेंगू जैसे वायरस भी एलिमिनेट किये जा सकेंगे। माइक्रोसॉफ्ट ने अभी से इस पर काम करना शुरू कर दिया है कि वो AI की हेल्प से कुछ ऐसा क्रिएट कर सकें जिसकी हेल्प से डेंगू कैरी करने वाले मॉस्किटो को पहले ही खत्म किया जा सके। 

वैसे अभी तक हमने जो भी एग्जाम्पल AI को लेकर डिसकस किये हैं वो शायद आपको पहले की साइंस फिक्शन मूवीज में दिखाए जाने वाली चीजों से डिफरेंट लग रहे होंगे। दूसरे वर्ड्स में कहें तो AI का यूज़ अभी तक रोबोट को ग्रो करने में नहीं हुआ है। AI एक ऐसा टूल है जिसको इंसान ने ही क्रिएट किया है और इसलिए इसको रन करने के लिए इंसानों की नीड होती है। आजकल काफी लोग आपसे ये भी कहेंगे कि आने वाले टाइम में किसी काम के लिए इंसान की नीड ही नहीं पड़ा करेगी। ये गलत है। आपको ये बात ध्यान में रखनी चाहिए की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ह्यूमन इंटेलीजेंस की अपनी अपनी अलग स्ट्रेंथ है। दोनों की नीड कभी खत्म नहीं होगी। 

अब जब हमने ये समझ लिया है कि आने वाले टाइम में AI की क्या इम्पोर्टेन्स है और किस तरह से AI वर्ल्ड में चेंज ला रहा है। अब हम जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर AI जैसी डिजिटल टेक्नोलॉजी आने वाले टाइम में बिजनेस इंडस्ट्री के लिए क्या चैलेंज लेकर आएगी।

डिजिटल टेक्नोलॉजी की वजह से कस्टमर की एक्सपेक्टेशन और उनके बिहेवियर में चेंज आ चुका है।
याद करिये उन दिनों को जब हम लोग मोबाइल फोन की हेल्प से बस या तो किसी को कॉल कर सकते या फिर बस मैसेज कर सकते थे। और अब देखिए टाइम कितना चेंज हो गया है। आजकल ऑलमोस्ट हर इंसान  अपनी जेब में एक छोटा कम्प्यूटर लेकर चलता है। 

स्मार्टफोन ने जो सर्विस लोगों को प्रोवाइड की उसकी वजह से कस्टमर की एक्सपेक्टेशन में भी काफी चेंज आ गया है। आज अगर आपको पिज़्ज़ा खाना तो घर बैठे बैठे स्मार्टफोन की हेल्प से आप आर्डर कर सकते हैं,अपने आर्डर को ट्रैक कर सकते हैं और जब आर्डर आप तक पहुंच जाए तो पे कर सकते हैं। स्मार्टफोन ने लाइफ को इस हद तक आसान बना दिया है। 

आजकल कस्टमर को हाई स्पीड और क्वालिटी सर्विस की नीड है। और इसी वजह से उबर और ओला जैसी कम्पनीज़ सक्सेसफुल  हैं क्योंकि वो कस्टमर्स को सिर्फ सर्विस प्रोवाइड नहीं कर रही हैं बल्कि उन्हें एक्सपीरियंस प्रोवाइड करती हैं। 

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कस्टमर एक्सपीरियंस होता क्या है?कस्टमर एक्सपीरियंस का मतलब होता है कि लोग जब आपकी सर्विस से इंटरैक्ट करते हैं तो कैसा इम्प्रेशन देते हैं। कस्टमर एक्सपीरियंस की स्टार्टिंग होती है मार्केटिंग से। आजकल ऑनलाइन मॉर्केटिंग का दौर है। आज कल आप रोड के किनारे बड़े बड़े बैनर नहीं देखेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों को समझ आ चुका है कि वो जमाना गया जब बैनर देख कर लोग किसी प्रोडक्ट की तरफ अट्रैक्ट होते थे। 

आजकल कम्पनीज़ सोशल मीडिया पर अपने टारगेट कस्टमर्स पर फोकस करके अपने प्रोडक्ट प्रोमोट कर करती हैं। AI ने इन सब चीजों को और आसान बना दिया है। आजकल AI की हेल्प से कस्टमर का शॉपिंग एक्सपीरियंस काफी ज्यादा स्मूथ हो गया है। टेली मेडिसिन की फील्ड में भी AI ने अपना इफेक्ट दिखाना स्टार्ट कर दिया। आजकल पेशेंट को डॉक्टर के यहां जाकर लाइन में लगकर वेट नहीं करना पड़ता बल्कि वीडियो कॉल, टेक्स्ट मैसेज की हेल्प से घर बैठे बैठे पेशेंट को सजेशन मिल जाता है। 

AI का सबसे इम्पोर्टेन्ट रोल ये है कि वो यूजर के इंटरेस्ट को समझे और फिर उसके एकॉर्डिंग यूजर को चीजें सजेस्ट करे। एग्जाम्पल के लिए आप यूट्यूब या फिर नेटफ्लिक्स पर देखते होंगे कि वहां पर वही सब वीडियोज आपको शो होती हैं जिस तरह की वीडियोज आप जनरली देखते हैं। इसी तरह से बहुत जल्दी पूरा वर्ल्ड स्मार्ट हो जाएगा और AI इस वर्ल्ड को डॉमिनेट करेगा।

AI डाटा की लैंग्वेज को समझता है,और इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर का यूज़फुल होना जरूरी है।
अभी रिसेंटली अगर आपने ऑनलाइन कोई प्रोडक्ट आर्डर किया है तो उसके एक्सपीरियंस को रिकॉल करिये। आपके लिए उस प्रोडक्ट को ऑर्डर करना कितना इजी रहा होगा। आपको बस कुछ क्लिक्स करने की नीड रही होगी और फिर अगले कुछ दिनों में प्रोडक्ट आपके घर पर डिलीवर हो गया होगा। 

अब उस ऑनलाइन वेबसाइट के बारे में सोचिये जहाँ से आपने प्रोडक्ट आर्डर किया था। उनके लिए ये काम कितना ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड रहा होगा। सबसे पहले तो उन्हें आपके सामने कोई प्रोडक्ट पेश करने के लिए उस प्रोडक्ट को बारकोड से अटैच करना होगा और फिर प्रोडक्ट्स की डिटेल वेबसाइट के डाटाबेस में स्टोर करनी होगा। फिर जब आप  आर्डर प्लेस करते हैं तब प्रोडक्ट को वेयरहाउस से निकालकर, बॉक्स में पैक करके,डिलीवर सर्विस को प्रोवाइड किया जाता है। बॉक्स को उसका अपना अलग बारकोड असाइन किया जाता है और सारे शॉपिंग रिकॉर्ड क्रिएट किये जाते हैं। और जब प्रोडक्ट डिलीवर होता है तो आपको कन्फर्मेशन के लिए मैसेज और ईमेल भी आता है। 

अब आप सोचिये कि इस पूरे प्रोसेस में कितना डाटा यूज़ होता है। न सिर्फ डाटा बल्कि डिफरेंट सर्विस भी इस एक परचेज में इन्वॉल्व होती हैं। अब आपके माइंड में एक सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये सारा डाटा स्टोर कहाँ होता है?अमेज़न जैसी बड़ी वेबसाइट्स के लिए ये नार्मल है कि वो अपना खुद का डाटा मैनेजमेंट एप्पलीकेशन डेवलप करें और उसको यूज़ करें। लेकिन अगर छोटी छोटी वेबसाइट्स भी ऐसी एप्पलीकेशन डेवलप करने लगेंगी तो कोई सेंस नहीं बनेगा। इसलिए अमेज़न ऐसी कम्पनीज़ को अपनी सर्विस प्रोवाइड करता है। न सिर्फ अमेज़न बल्कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कम्पनी भी अपनी डाटा मैनेजमेंट एप्पलीकेशन का एक्सेस बाकियों को प्रोवाइड करती हैं। एग्जाम्पल के लिए आप गूगल के द्वारा प्रोवाइड की जाने वाली सर्विस गूगल फोटोज को कंसीडर कर सकते हैं। आप अपने फोटोज को यहां पर सेव कर सकते हैं। ये भी एक तरह का डाटा मैनेजमेंट एप्पलीकेशन ही है। 

AI का इन्वॉल्वमेंट तब स्टार्ट होता है जब आप ये डिसाइड कर लेते हैं कि आपको डाटा कैसे स्टोर करना है। क्योंकि AI इस सब डाटा को यूज़ करके आपके बिजनेस को स्मूथली रन करने में हेल्प करेगा। AI हमें ऐंडलेस पॉसिबिलिटी प्रोवाइड करता है। आगे समरी में हम जानेंगे कि किस तरह से हम अपने बिजनेस और कम्पनी की ग्रोथ को AI की हेल्प से फ़ास्ट कर सकते हैं।

वर्क प्रोसेस को फ़ास्ट और ऑप्टिमाइज करने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस काफी हेल्पफुल होता है।
बीसवीं सदी की स्टार्टिंग में हेनरी फोर्ड ने ये डिसाइड किया था कि वो मल्टीट्यूडस वाली कार्स प्रोड्यूस करेंगे। उस टाइम एक ऐसी कार बनाने में लेबर्स के ग्रुप को 12 घण्टे से भी ज्यादा का टाइम लगता था। साल 1913  में फोर्ड ने असेंबली लाइन इन्वेंट की और उनके प्रोडक्शन की स्पीड में काफी चेंज देखने को मिला। असेंबली लाइन की हेल्प से जो कार पहले 12 घण्टे में तैयार होती थी अब तो सिर्फ 2 घण्टे और 30 मिनट में रेडी हो जा रही थी। अब वर्कर्स का काम सिर्फ इतना रह गया था कि उनको कार का एक पार्ट इंस्टाल करना होता था। 

आखिर ये डेवलपमेंट इतना खास क्यों था? ये डेवलपमेंट खास और यूनिक इसलिए ही था क्योंकि कोई भी कम्पनी उतनी यूनिट ही सेल कर सकती है जितनी वो प्रोड्यूस करती है। और कोई भी कम्पनी यही चाहती है कि उनकी लेबर कॉस्ट कम रहे और उनका प्रोडक्शन ज्यादा हो। 

तो आखिर कम्पनी किस तरह से प्रोडक्शन इनक्रीज करके ज्यादा यूनिट सेल कर सकती है?कभी कभी कम्पनीज़ ऑर्गेनाइजेशनल प्रोसेस को फ़ास्ट करने की कोशिश करती हैं लेकिन इससे भी कोई प्रॉफिट नहीं होता क्योंकि ऑर्गेनाइजेशनल प्रोसेस को फ़ास्ट करने के लिए आपको किसी ऐसे टूल की नीड होगी जो आपके काम को आसान बनाये। और यहीं पर AI का रोल होता है। 

AI हमें प्रोवाइड करता है स्पीड। AI की हेल्प से कोई भी कम्पनी रिपीटिंग प्रोसेस को ऑटोमेट कर सकती है। रिपीटिंग प्रोसेस को ऑटोमेट करने से होता ये है कि वर्कर्स अपने फोकस को और इम्पोर्टेन्ट चीजों पर शिफ्ट कर सकते हैं। 

एग्जाम्पल के लिए बात करते हैं चैट बोट्स की। जैसे हम आजकल लोगों से मैसेज की हेल्प से चैटिंग करते हैं उसी तरह चैट बोट्स भी कस्टमर्स के साथ चैट करके उनकी छोटी मोटी प्रॉबलम्स का सॉल्यूशन उनको प्रोवाइड करते हैं। और इसकी वजह से इंसान और ज्यादा इम्पोर्टेन्ट काम पर फोकस कर सकते हैं। 

मेडिकल फील्ड में AI की इम्पोर्टेन्स और भी ज्यादा है। कभी कभी ऐसा होता है कि पेशेंट को हॉस्पिटल पहुंचने के बाद उसकी बीमारी की एक्चुअल पोजीशन पता चल पाती है लेकिन अब IBM कम्पनी एक ऐसे प्रोजेक्ट या फिर कहें कि रिसर्च प्रोग्राम को फाइनेंस कर रही है जिसमें एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर फोकस किया जा रहा जोकि पेशेंट के हेल्थ रिकॉर्ड का पूरा डाटा रखेगा और कुछ बीमारियों जैसे कि हार्ट अटैक का पहले ही पता लगा लेगा। इससे काफी जानें बचाई जा सकेंगी। 

स्पीड अप और लाइफ सेव करने के अलावा भी AI के बहुत सारे यूज़ हैं। इसका यूज़ प्रोसेस को इम्प्रूव करने में और प्रोडक्शन को इनक्रीज करने में किया जा सकता है। अब आइये देखते हैं कि किस तरह से AI कस्टमर्स को समझने में हमारी हेल्प कर सकता है।

AI अंडरस्टैंडिंग को इनक्रीज करता है और ऐसे इनसाइट रिवील करता है जिससे बिजनेस अच्छी सर्विस प्रोवाइड कर सकें।
याद करिये पुराने जमाने को जब सभी दुकानदार दुकान पर खड़े रहकर कस्टमर्स को आवाज लगा कर अपनी ओर अट्रैक्ट करने की कोशिश कर रहे होते थे। सबका मोटिव यही रहता था कि कस्टमर किसी और का नहीं बल्कि उनकी दुकान का ही प्रोडक्ट खरीदे। कस्टमर्स की डिजायर को समझकर और उसके एकॉर्डिंग अपनी आवाज में बदलाव लाकर वो दुकानदार कस्टमर्स को अट्रैक्ट करते थे। 

अपनी सेल्स को इनक्रीज करने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो है कि आप अपने कस्टमर्स की अंडरस्टैंडिंग को समझें। और आज कल कस्टमर्स को समझने के मेथड्स काफी चेंज हो चुके हैं। AI का यूज़ करके आप फीडबैक पा सकते हैं और फिर उनकी हेल्प से आप कस्टमर की वांट और उनकी नीड के एकॉर्डिंग वर्क कर सकते हैं। 

एग्जाम्पल के लिए बात करते हैं एडवरटाइजमेन्ट की। आजकल आपको सोशल मीडिया पर अलग अलग एड्स दिखते हैं ये सब AI की हेल्प से ही होता है। आपने जिस चीज के बारे में रीसेंट टाइम में सर्च किया है उसका डाटा कलेक्ट करके AI की हेल्प से कम्पनीज़ आप तक रेलिवेन्ट प्रोडक्ट पहुंचाती हैं।

सबसे बड़ा सवाल है कि कस्टमर्स को किस तरह से समझा जा सकता है?इसका आंसर काफी सिंपल है। अगर आपके पास कस्टमर्स से रिलेटेड डाटा है तो आप कस्टमर को और उनके नीड को आसानी से समझ सकते हैं। लेकिन परेशनी की बात ये है कि ये सब डाटा डिफरेंट डिफरेंट लोकेशन पर अवलेबल रहता है। मान लीजिए अगर अमेज़न को आपके सामने कस्टमाइएज्ड एड्स शो करने हैं तो अमेज़न को या तो गूगल से आपकी रीसेंट हिस्ट्री पता करनी होगी या फिर उन ऑनलाइन स्टोर्स से इन्फॉर्मेशन लेनी होगी जहां से आपने रिसेंटली शॉपिंग की होगी। 

इस तरह से इन्फॉर्मेशन केलक्ट करने में एक प्रॉब्लम आती है और वो है प्राइवेसी की। बिजनेसेज को शुरुआत से इस बात का ध्यान रखना होता है कि वो कस्टमर्स की प्राइवेसी की केअर करें। वैसे आजकल एक नई टेक्निक डेवलप की जा चुकी है जिसकी हेल्प से आप कस्टमर की पर्सनल इन्फॉर्मेशन को प्राइवेट रख सकते हैं और सिर्फ उन्हीं चीजों को कम्पनीज़ के साथ शेयर कर सकते हैं जिनसे कस्टमर की प्राइवेसी अफ़ेक्ट न हो। 

AI की हेल्प कम्युनिकेशन के फील्ड में भी ली जा सकती है। बात करते हैं क्विल की जोकि एक प्रोडक्ट है जिसको क्रिस्टियन हमन ने डेवलप किया है। इस टेक्निक की हेल्प से AI ह्यूमन लैंग्वेज को न्यूमेरिकल डेटाबेस में कन्वर्ट कर सकती है। कम्पनीज़ इसका यूज़ करके रिपोर्ट्स जनरेट करती हैं जिससे कम्पनी के एम्पलॉय सीधा उनको डिसकस कर सकते हैं। 

AI का पूरा पोटेंशियल यूज़ करने के लिए ये जरूरी है कि आप डाटा फीडबैक को भी माइंड में रखें। कस्टमर के बारे में लर्न करके और उनकी नीड्स को समझकर आप पॉजिटिव AI ड्रिवेन एक्सपीरियंस क्रिएट कर सकते हैं। और तो और आप इससे अपना प्रोडक्ट ऑप्टिमाइज़ और उसको ट्रांसफॉर्म भी कर सकते हैं।

AI परफॉरमेंस को मेजर और ऑप्टीआइज कर सकती हैं।
अगर आपने किसी बड़ी कम्पनी में वर्क किया हुआ है या फिर उनके वर्क प्रोसेस को एनालाइज किया तो आपने KPI के बारे में सुना होगा। की परफॉरमेंस इंडिकेटर। मान लीजिए अगर कोई कम्पनी चाहती है कि उनकी एनुअल ग्रोथ 100% हो तो फिर वो AI और दूसरे KPI की हेल्प से ये पता कर सकते हैं कि उनकी ऑर्गेनाइजेशन अपने ऑब्जेक्टिव को अचीव कर पाने में कितनी सक्सेसफुल रही है। हालांकि KPI कभी कभी एम्पलॉय के लिए स्ट्रेस का एक जरिया हो सकता है क्योंकि ये एम्पलॉय के मन में फेलियर का डर पैदा कर देता है। 

लेकिन एक कम्पनी के तौर पर ये जरूरी है कि आप KPI के बेसिस पर किसी को बहुत हार्श तरीके से जज न करें। इसकी जगह आप ये कर सकते हैं कि आप अपने एम्पलॉय को बताएं कि किस जगह पर और किस तरह से इम्प्रूव किया जा सकता है। कभी कभी कुछ गलत डाटा या कुछ और फैक्टर्स की वजह से ऐसा होता है कि एम्पलॉय उन चीजों पर  फोकस नहीं कर रहे होते हैं जिनपर उनको असल में करना चाहिए। 

ऐसे में आप AI की हेल्प ले सकते हैं। AI की हेल्प से आप न सिर्फ डाटा को मेजर कर सकते हैं बल्कि अपनी परफॉरमेंस को भी इम्प्रूव कर सकते हैं। एग्रीकल्चर की फील्ड में आजकल इसी वे में वर्क हो रहा है। पहले के टाइम में फार्मर्स पेस्टिसाइड्स और फर्टीलाइजर अप्लाई करने के लिए वन साइज फिट टेक्निक का यूज़ करते थे। लेकिन अब AI की हेल्प से वो सभी जमीन के अंदर सेंसर फिट करके वाटर लेवल और न्यूट्रिएंट्स के लेवल को एनालाइज कर सकते हैं और फिर उस डाटा का यूज़ करके जगह के एकॉर्डिंग पेस्टिसाइड्स और फर्टीलाइजर्स अपनी फसल को दे सकते हैं। 

लॉजिस्टिक की फील्ड में भी वर्क प्रोसेस काफी कॉम्प्लेक्स होता है। मल्टीनेशनल कम्पनीज़,सर्विस प्रोवाइडर और सप्लायर को साथ में कम्युनिकेट करके वर्क करना होता है। ऐसे देखा जाए तो सबका एक साथ कॉर्डिनेट कर पाना काफी मुश्किल हो सकता है। 

ऐसे में AI की हेल्प ली जा सकती है। IBM और वेदर चैनल ने मिलकर डीप थंडर नाम का एक प्रोजेक्ट डेवलप किया है। ये प्रोजेक्ट मशीन लर्निंग की हेल्प से 100 टेराबाईट डाटा को एक दिन में एनालाइज करता है और हइली एक्यूरेट रिजल्ट प्रोवाइड करता है। 

अब जब हमने ये जान लिया है कि किस तरह से हम AI को अलग अलग फील्ड में यूज़ कर सकते हैं तो हमें ये भी जान लेना चाहिए हम किस तरह से एक्सपेरिमेंट को कम्प्लीट कर सकते हैं और रिजल्ट्स पा सकते हैं।

AI की हेल्प से बिजनेसेज एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं,प्रॉबलम्स सॉल्व कर सकते हैं और अच्छे रिजल्ट्स पा सकते हैं।
इंसान हमेशा से एक्सपेरिमेंट और इमैजिनेशन की हेल्प से रियल वर्ल्ड प्रॉबलम्स को सॉल्व करने में सफल हुए हैं। जिस तरह से पहले के जमाने में हम सभी अलग अलग फील्ड में अवलेबल अलग अलग चीजों का यूज़ करके अपनी प्रॉब्लम सॉल्व करते थे उसी तरह से आज के टाइम में हम AI का यूज़ करके अपनी प्रॉबलम्स को टैकल कर सकते हैं। 

बात करते हैं स्पेस एक्स की। एक ऐसी कम्पनी जोकि पूरी तरह से AI बेस्ड है। इस कम्पनी ने राकेट बनाने के खर्च की काफी मिनिमाइज कर दिया है और ये भी फाइंड आउट किया है कि तरह से अगर कोई राकेट डैमेज हो जाये तो उसके बचे हुए पार्ट्स को कैसे यूटिलाइज किया जाए। ये कम्पनी ऐसा करने में सक्सेसफुल इसलिए हो पाई क्योंकि इनमें क्यूरियोसिटी थी। इन्होंने AI की हेल्प से ये हर रॉकेट के अन्दर एक ऐसा सिस्टम इंस्टाल किया है कि रॉकेट खुद किसी भी सिचुएशन में जमीन पर वापस आ सके। मान लीजिए कि किसी राकेट में फ्यूल की कमी हो गयी तो फिर उसमें मौजूद AI सिस्टम की हेल्प से रॉकेट जमीन तक पहुंचने के सबसे आसान और कम फ्यूल खर्च वाले रास्ते को फाइंड आउट करेगा और नीचे आएगा। 

ये बात तो हमें पता है कि इंसान क्यूरियस होते हैं लेकिन कभी कभी AI भी क्यूरियस हो सकती है। बात करते हैं एडोब प्रोजेक्ट सीन स्टिच की जहां पर हमें AI की इमैजिनेशन पावर देखने को मिलती है। मान लीजिए आप कोई फ़ोटो एडिट कर रहे हैं और उस फ़ोटो मे बहुत सारी अनवांटेड चीजें हैं जिनको आप रिप्लेस करना चाहते हैं। तो ऐसे में AI आपके लिए कुछ ऐसी सीनरी फाइंड आउट करके ले आएगी जोकि वाकई में उस फ़ोटो के साथ कॉम्प्लिकेट करेगा। 

AI की हेल्प से एक नई कम्पनी भी स्टार्ट की जा सकती है। ऐसी बहुत सी कम्पनीज़ हैं जोकि AI की बेसिस कर रह कर रही हैं। अगर AI न हो तो फिर उन कम्पनीज़ का भी कोई नाम नहीं रह जायेगा। 

आप मानें या न माने लेकिन हर कम्पनी AI की हेल्प ले रही है। AI की हेल्प से आप किसी भी तरह की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन फाइंड आउट कर सकते हैं।

कुल मिलाकर
र्टिफिशियल इंटेलीजेंस दुनिया भर में वर्क कल्चर और वर्क प्रोसेस को रेवोल्यूशनरी वे में चेंज कर रहा है। अगर किसी कम्पनी को आज के टाइम में रेलिवेन्ट रहना है तो जरूरी है कि वो स्मार्ट AI स्ट्रैटेजी डेवलप करें। सुपर फ्रेमवर्क का यूज़ करके कोई भी कम्पनी अपने बिजनेस स्ट्रैटजी को इम्प्रूव कर सकती है। 

 

क्या करें 

किसी भी AI प्रोजेक्ट को स्टार्ट करने से पहले ये डिसाइड कर लें कि उसको मैनेज कौन करेगा।

AI की वैल्यू समझने के बाद हो सकता है कि आप भी एक्साइटेड हो जाएं और अपना वर्क शुरू कर दें। लेकिन आपको याद रखना होगा कि AI को मैनेज करना भी काफी हार्ड है। इसलिए किसी भी AI बेस्ड वर्क को स्टार्ट करने से पहले ये डिसाइड कर लें कि उसको मैनेज कौन करेगा। अगर आप चाहते हैं कि आपकी कम्पनी का फाइनेंस AI की हेल्प से कंट्रोल हो तो उसके लिए एक टीम रेडी करें जोकि AI के डायरेक्शन और रिसोर्स को कंट्रोल करे।

 

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