Jordan B. Peterson
12 More Rules for Life
दो लफ्ज़ों में
साल 2021 में रिलीज़ हुई किताब “Beyond Order” ज़िन्दगी की सरल और सुखी एहसास से रूबरू करवाती है. ये किताब बताती है कि मॉडर्न लाइफ को भी सरल से सरल बनाया जा सकता है. अगर आपको भी लगता है कि “ज़िन्दगी की भाग दौर में ख़ुशियाँ कहीं पीछे छूट गई हैं” तो आपके लिए ही इस किताब के चैप्टर्स लिखे गए हैं.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसे लोग जिन्हें दिमागी शान्ति चाहिए हो
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स
- ऐसे लोग जिन्हें मोटिवेशन की ज़रूरत हो
लेखक के बारे में
इस किताब का लेखन “Jordan B. Peterson” ने किया है. जो कि क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और प्रोफेसर भी रह चुके हैं. इन सभी के साथ इन्होंने बेस्ट सेलिंग सेल्फ हेल्प बुक “12 Rules for Life” का भी लेखन किया है.
इस किताब में आप के लिए क्या है?
आज के दौर को मॉडर्न वर्ल्ड के रूप में जाना जाता है. लेकिन इस बदलते समय में इंसान के लिए खुद की आत्मा को ज़िन्दा रखना किसी टास्क से कम नहीं है.
इस किताब से पहले भी लेखक ने एक बुक लिखी थी. जिसका नाम “12 Rules for Life” था. उस किताब में लेखक ने बेहतर ज़िन्दगी जीने के तरीके बताए थे. साथ ही साथ ये भी बताया था कि अपनी लाइफ को ऑर्गेनाइज्ड कैसे करें? अपनी परेशानियों से कैसे दूर रहें और खुद के अकेलेपन से कैसे बचें?लेकिन वो कहानी आधी ही थी.
उसके आगे की कहानी आपको इस किताब के चैप्टर्स में जानने को मिलेगी. इसके अलावा आपको इन चैप्टर्स में ऐसी टिप्स और ट्रिक्स मिलेंगी. जिनकी मदद से आप अपने अंदर की एंग्जायटी को भी खत्म कर पाएंगे. इसके अलावा इस समरी में आप जानेंगे कि लाइफ में क्यों छोटी सोच नहीं रखनी चाहिए? और कैसे बड़े गोल्स को आसानी से अचीव कर सकते हैं?किसी व्यक्ति की सफलता के लिएसोशल इंस्टीट्यूशन ज़रूरी हैं
पहले के साइकोलॉजिस्ट जैसे कि “Sigmund Freud”और “Carl Jung”, इन लोगों को इंसानों के मन में समुद्र के तैराकों की तरह गोता लगाने में मज़ा आता था. ये इंसानी दिमाग और मन के ऊपर काफी गहरी रिसर्च करते थे. इनका मानना था कि हर इंसान के अंदर पावरफुल साइकोलॉजिकल फ़ोर्स होते हैं. जिन्हें ईगो, आईडी और सुपरईगो कहते हैं. इन्हीं फोर्सेस की वजह से किसी इंसान का स्वभाव बनता है. और इन्हीं फ़ोर्स के काम करने के तरीके से इंसान का मेंटल स्टेट भी तैयार होता है.
लेकिन इन फोर्सेस के अलावा भी कई ऐसी चीज़ें मौज़ूद हैं. जिनसे इंसान का मेंटल स्टेट और पर्सनालिटी बेहतर होती है. उन्हीं में से एक फैक्टर का नाम सोशल स्टेट्स है.
सच्चाई ये है कि आईसोलेशन में किसी भी इंसान की पर्सनालिटी पूरी तरह डेवलप नहीं हो सकती है. हम सभी सोशल क्रीएचर हैं.
हमारे आस-पास की दुनिया पूरी तरह से उथल पुथल से भरी हुई है. लेकिन फिर भी इस दुनिया में अवसरों की कोई कमी नहीं है. ये हमारे ऊपर है कि हम इन अवसरों का कैसे फायदा उठाते हैं. क्योंकि हमें पता होना चाहिए कि अवसरों का फायदा उठाने के लिए दूसरों से कनेक्शन तो बनाना ही पड़ेगा.
इसलिए खुद को आईसोलेट करना बंद करिए. ज़िन्दगी का असली मज़ा ही कनेक्शन में है. जितने बेहतर आपके कनेक्शन होंगे. आपकी ज़िन्दगी भी उतनी ही बेहतर होगी.
ऑथर कहते हैं कि सफलता के लिए आपको तीन खूबियों की ज़रूरत पड़ेगी-
क्षमता, कनेक्शन और कैरक्टर. इसको और आसान भाषा में समझें तो आपके अंदर लोगों से बात करने की काबिलियत होनी चाहिए कि आप उनसे कनेक्शन बिल्ड कर सकें. याद रखिएगा कि इंसान अपनी बोली के दम पर इज्ज़त भी पाता है और बेईज्ज़त भी हो सकता है. इसलिए बोलने की कला को बेहतर से बेहतरीन बनाने का काम शुरू कर दीजिए. लोगों से कनेक्शन बनने के बाद उन्हें आपके कैरक्टर में दम नज़र आना चाहिए. उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि ये इंसान फॉलो करने लायक नहीं है.
अगर आप खुद स्किल्स पर काम करते रहेंगे तो लोग भी आपकी छोटी- मोटी गलतियों को माफ़ कर देंगे. बस उन्हें नज़र आना चाहिए कि सामने वाला इंसान इंसान के तौर पर ग्रो कर रहा है.
लाइफ में खूबियों को एड ऑन करना कोई एक दिन का काम नहीं है. ये पूरी एक प्रोसेस है. आपको इस प्रोसेस का हिस्सा बनना होगा. बिना प्रोसेस का हिस्सा बने आप लाइफ में सफल होने के बारे में नहीं सोच सकते हैं. इसलिए आज से ही सीखने और बढ़ने की शुरुआत कर दीजिए.
जो आप बनना चाहते हैं, उसकी कल्पना करते रहिए मतलब कल्पनाओं में सपनों की उड़ान भरते रहिए
प्राचीन काल में, मॉडर्न साइंस के डेवलपमेंट से पहले, एक सभ्यता हुआ करती थी. जिसे alchemy कहते थे. इसे मानने वाले लोग Alchemists होते थे. वो किसी भी चीज़ को पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर दिया करते थे. इस ट्रांसफॉर्मेशन की प्रोसेस के लिए वो एक रैसिपी का उपयोग करते थे.
ट्रांसफॉर्मेशन रैसिपी को प्राइमा नाम से जाना जाता है. इस एलिमेंट और सही तकनीक की मदद से वो लोग किसी भी चीज़ को पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर देते थे.
आज के समय में ये सब सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन हम Alchemists की आस्था से बहुत कुछ सीख सकते हैं. हमारी लाइफ भी प्राइमा मटेरियल की तरह है. इसकी मदद से हम अपनी ज़िन्दगी को पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म कर सकते हैं.
आपको यकीन रखना होगा कि जो कुछ भी आप चाहते हैं. वो आपको ज़रूर मिलेगा. उसके लिए आपको बस शिद्दत के साथ मेहनत की ज़रूरत पड़ेगी. ऑथर कहते हैं कि “जो भी चीज आप पाना चाहते हैं, उसे पहले ही इमैजिन कर लीजिए. क्योंकि आइन्स्टीनने कहा था कि कल्पना ही शक्ति है.
इंसान और जानवरों में एक बड़ा अंतर ये है कि हम समय के साथ खुद को विकसित करते जाते हैं. लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर पाते हैं. जानवरों की पीढ़ी बदलती है, लेकिन उनमें कुछ नया पन नहीं आता. लेकिन इंसान अपने आस-पास से बहुत कुछ सीखता जाता है. इसलिए इंसानों में 4 सालों के अंतर में जनरेशन गैप आ जाता है.
हमारे अंदर अडॉप्ट करने की गज़ब की शक्ति है. हमें इस शक्ति का फायदा उठाते रहना चाहिए. हम लोगों को अपने आस-पास की दुनिया से बहुत कुछ सीखने की कोशिश करनी चाहिए.
यदि उन्हें ठीक किया जा सकता हो तो “डोंट सेटल फॉर स्मॉल पेन्स”
इस चैप्टर में आपको एक कहानी से रूबरू करवाते हैं. ये कहानी लेखक के ग्रैंड फादर Dell Roberts की है.
डेल को उनके शांत स्वभाव और दयालुता के लिए जाना जाता था. जब वो अपनी ज़िन्दगी के सबसे कठिन पड़ाव से गुज़र रहे थे. तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी और लाइफ से कोई शिकायत भी नहीं की थी.
लेखक बताते हैं कि डेल ऑफिस से लंच के लिए घर आया करते थे. लंच में उन्हें उनकी पत्नी के द्वारा होम मेड सैंडविच एक छोटी सी चाइना प्लेट में परोसा जाता. ये सेम स्केड्यूल 20 सालों से फॉलो किया जा रहा था. लेकिन डेल ने कभी कोई शिकायत नहीं की थी. आखिरकार एक दोपहर ऐसी भी आई, जब डेन को गुस्सा आ गया. उन्होंने अपने टेबल पर हाँथ मारते हुए कहा कि “मुझे इन छोटी चाइना प्लेट में खाना बिल्कुल पसंद नहीं है.”
20 सालों में इस तरह का गुस्सा आना अजीब सा था. लेकिन इससे एक सच पता चलता है. वो ये है कि अगर छोटी-छोटी दिक्कतों को तुरंत नहीं हटाया गया. तो उससे एक ना एक दिन बड़ी समस्या ज़रूर खड़ी होती है.
लेखक सलाह देते हैं कि “जैसे-जैसे आप ज़िन्दगी के सफर में आगे बढ़ते जाएंगे, कई मौके ऐसे आएंगे, जब आपको छोटी-छोटी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. आपको कई दिक्कतें काफी छोटी लगेंगी. उन्हें देखकर आपको लगेगा कि इनको कभी भी खत्म किया जा सकता है. लेकिन उस वक्त आपको ध्यान देना होगा कि जिन दिक्कतों को आज आप छोटा समझ रहे हैं. यही दिक्कतें कल बड़ी समस्या बनकर सामने आएँगी. इसलिए खुद की समझ को इतना बेहतर बनाइए कि आप छोटी-छोटी समस्याओं को तुरंत खत्म कर सकें.”
इस बात को बेहतर ढ़ंग से समझाने के लिए लेखक अपने दोस्त की कहानी शेयर करते हैं. वो बताते हैं कि उनकी एक दोस्त है, जिसकी शादी काफी ख़राब चल रही थी. कई सेशन लेने के बाद भी उनकी उसकी शादी में कोई बेहतरी नहीं आई. दरअसल, इसकी शुरुआत नज़र अंदाज़ी से हुई थी. दोस्त के हसबैंड को आर्ट वर्क की चीज़ों को इकट्ठा करने का बहुत शौक था. लेकिन पत्नी को उन आर्ट वर्क्स से इरिटेशन होती थी.
शुरूआती दौर में उसनें सोचा कि धीरे-धीरे पति की ये आदत कम हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि समय के साथ आर्ट वर्क कलेक्शन की आदत बढ़ती ही गई. कुछ सालों बाद पत्नी को वो घर अंजान सा लगने लगा. हर जगह आर्ट वर्क के सामान ही नज़र आते थे. अब उसनें पति की आदत छुड़वाने की कोशिश की, लेकिन काफी देर हो चुकी थी. अब सिर्फ दोनों की लड़ाई होती थी. समय के साथ बात डिवोर्स तक पहुँच गई और दोनों ने तलाक ले लिया.
अभी आपको ये दिक्कत सुनकर बहुत छोटी सी लग रही होगी. लेकिन यही छोटी-छोटी दिक्कतें, कब बड़ा रूप ले लेती हैं? पता ही नहीं चलता है. इसलिए अगर आपके रिश्ते में भी कभी कोई दिक्कत आए, तो उसे एक रात से ज्यादा मत रहने दीजिएगा. अपनी ज़िन्दगी का एक नियम बना लीजिए, सुबह की लड़ाई को रात तक में बातचीत करके सॉर्ट कर लेना है. इस नियम की मदद से आपके रिश्ते मज़बूत होते जाएंगे.
खुद को प्रोएक्टिव मोड में रखिए, अपने इमोशन्स को गौर से देखने और समझने की कोशिश किया करिए. आपको पता होना चाहिए कि कौन सी चीज़ें या बातें आपको परेशान कर रही हैं. आज से ही उन परेशानियों को खत्म करने की कोशिश शुरू कर दीजिए. दिक्कतों को बढ़ने से रोकने की ज़िम्मेदारी, आपकी ही है.
ज़िम्मेदारी लेना कठिन होता है, लेकिन इससे लाइफ को मीनिंग मिलती है
अब तस्वीर में दो फिक्शनल कैरेक्टर आ रहे हैं, एक का नाम पीटर और दूसरे का नाम कैप्टेन हुक है.
पीटर को बहुत दुलार से पाला गया है, उसनें जिस चीज़ के ऊपर हाँथ रख दिया, वो चीज़ उसे दिलवा दी गई. यहाँ शब्द दिलवाने को याद रखिएगा. पीटर ने कुछ भी अपने पैसों से नहीं खरीदा, उसे सब चीज़ें उसके पैरेंट्स ने दिलवाई है. बड़े होने के बाद भी पीटर हवा हवाई लाइफ ही जी रहा था. उसके ऊपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी. लाइफ जीने का उसका एटीट्यूड पूरा केयर फ्री था.
दूसरी ओर कैप्टेन हुक का कैरेक्टर पीटर से उलटा था. वो काफी स्ट्रिक्ट रहते थे. उनके अंदर एक एडल्ट वाली सारी खामियां मौज़ूद थीं.
अब अगर आप पीटर की तरह लाइफ जीना चाहेंगे तो आप मुश्किल में पड़ जाएंगे. लेकिन कैप्टेन हुक का एटीट्यूड भी पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता. इसलिए आपको समझना चाहिए कि लाइफ को बैलेंस करके जीना बहुत ज़रूरी होता है.
अगर आप अभी जवानी की दहलीज़ में हैं तो आपके सामने आपकी पूरी लाइफ खड़ी हुई है. आपको अपने सपनों को पूरा करना है. जिसके लिए आपके सामने कई सारे अवसर आएंगे. इसलिए अपनी काबिलियत को पहचानिए और सही दिशा में मेहनत की शुरुआत कर दीजिए.
इसलिए WRITER कहते हैं कि जीवन में सफल होने के लिए 2 वे कांसेप्ट को याद रखें. यानि इन दो चीज़ों से बचकर रहें-
1. Laziness: जीवन में अपने गोल्सको आसानी से पाने के लिए खुद को आलस्य से दूर रखें. इसके लिए हमेशा खुद को नई-नई चुनौतियाँ देते रहें. याद रखें कि आपकी मुश्किलें ही आपको मज़बूत और बेहतर इंसान बनाएंगी.
2. Flightiness: हम सोचते हैं कि हमारे ज्यादातर फैसले तार्किक होते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि हम अपनी भावनाओं में बहकर काम करते हैं, और उन्हीं भावनाओं से प्रभावित होकर हम जीवन जीते हैं. कहने का मतलब ये है कि हमारी भावनाएं हमारी सोच से ज्यादा ताकतवर होती हैं और हमारे काम पर भावनाओं का ज्यादा प्रभाव दिखता है. इसलिए आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें. जीवन के महत्वपूर्ण फैसले भावनाओं पर बहकर ना करें.
इन सभी के साथ लेखक कहते हैं कि “आज से ही जिम्मेदारियों से भागना बंद कर दीजिए. आपको याद रखना चाहिए कि जिम्मेदारियां अपने साथ कई तरह की खुशियाँ भी लेकर आती हैं. अगर आप जिम्मेदारियां लेना बंद कर देंगे तो आप आने वाली खुशियों को भी नकार देंगे. इसलिए खुद का और अपने आस पास के लोगों का ख्याल रखना शुरू कर दीजिए. जैसे-जैसे आप जिम्मेदारियां उठाते चले जाएंगे, वैसे-वैसे आपको एहसास होगा कि आपकी लाइफ में वैल्यू एड ऑन होने लगी है.”
आपको जो चीज़ें पसंद नहीं हैं, उन्हें झेलना बंद करिए
लेखक की क्लाइंट के साथ एक वाकया घटा था. वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया करती थीं. सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन कंपनी की पॉलिसी में कुछ बड़े बदलाव हो गए.
उन बदलावों को जल्द से जल्द लागु भी कर दिया गया, लेखक की क्लाइंट को उन बदलावों के साथ काम करना पसंद नहीं था. कुछ समय तक उन्होंने झेलने की कोशिश की, लेकिन फिर एक दिन उन्होंने खुद को समझाते हुए इस्तीफ़ा दे दिया.
उन्होंने खुद को समझाया कि जहाँ ख़ुशी ना मिले, वहां से निकल जाना ही बेहतर है.
शेक्सपियर का एक नामचीन प्ले है, जिसे हेलमेट नाम से जाना जाता है. उसमें एक कैरेक्टर है, जिसका नाम “Polonius” है. वो अपने बेटे से एक बात कहता है. जो कि आज के समय में भी सच नज़र आती है. वो कहता है कि “बेटा, कुछ भी हो लेकिन खुद से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए.”
इस बात में इतनी सच्चाई है कि अगर इसे हम लोग अपने ज़िन्दगी में लागु कर लें. तो हमारी कई सारी दिक्कतें खत्म हो सकती हैं.
इस चैप्टर के बीच में एक शख्सियत से आपको रूबरू करवा देते हैं. ये HARRIET TUBMAN हैं, जिन्होंने मैरीलैंड में रंगभेदी और औरतों के हक के लिए बड़ी लड़ाई लड़ी थी.
इन्होंने अपने बचपन से ही रंग भेद के साथ कई मुश्किलों का सामना किया था. 14 साल की उम्र से 30 साल की उम्र तक इन्होंने अपना जीवन एक ग़ुलाम की तरह बिताया था. बचपन से ही इन्होंने फटे पुराने कपड़े पहने, लेकिन इनके चेहरे की मुस्कान बता देती थी कि लड़की के अंदर आत्मविश्वास की कमी नहीं है.
HARRIET TUBMAN की बचपन में ही एक शराबी से शादी कर दी गई थी. फिर कैसे इन्होंने खुद रंगभेद और औरतों के हक की लड़ाई लड़ी. उस कहानी को तो मिसाल की तरह याद किया जाता है.
इन्होंने मैरीलैंड में नर्क से बदत्तर ज़िन्दगी से खुद को भी बाहर निकाला था और लाखों लोगों की भी मदद की थी.
इस कहानी से आपको सीखना चाहिए कि लाइफ में जो चीज़ें ग़लत हैं, उन्हें बर्दाश्त करने की कोई ज़रूरत नहीं है. इस छोटे से नियम को अपनी लाइफ में उतारकर आप अपनी ज़िन्दगी में बड़े बदलाव ला सकते हैं.
“IDEOLOGIES” यानि विचारधाराओं से सावधान रहें
लेखक अपनी कहानी बताते हुए कहते हैं कि “12 Rules for Life पब्लिश होने के बाद वो यूरोप और नार्थ अमेरिका की तरफ टूर के लिए निकल गए थे. वहां उन्होंने कई स्पीचेस भी डिलीवर की थीं. इसी के साथ कई कांफ्रेंस में भी हिस्सा लिया था.”
वहां उन्होंने ओब्सर्व किया कि यूथ पर्सनल रिसपॉन्सबिलिटी के ऊपर काफी चर्चा करना चाहता है. उन्हें इस टॉपिक के बारे में सुनकर आश्चर्य हुआ था. उन्हें लगा था कि आखिर यूथ इस टॉपिक को लेकर इतना सेंसिटिव क्यों है?
लेकिन कई लोगों से मिलने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि आज की पीढ़ी को ऐसा लगने लगा है कि आउटसाइड फ़ोर्स उनकी दिक्कतों का कारण हैं. इसी बिलीफ सिस्टम की वजह से लोग खुद को चैलेंज देना बंद कर दिए हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि वो खुद को चैलेंज करके अपनी लाइफ बदल सकते हैं. लेकिन उसके लिए उन्हें कई आइडियोलॉजी से बाहर निकलना होगा.
आप गौर कर सकते हैं कि आज के दौर में कई सारी आइडियोलॉजी मार्केट में फैली हुई हैं. सब ये दावा करने में लगे हुए हैं कि उनकी आइडियोलॉजी सामने वाले से बेहतर है. कई तो ये साबित करने के लिए हिंसा का भी सहारा ले लेते हैं.
लेकिन हमें समझना चाहिए कि आइडियोलॉजी का बाज़ार आज से नहीं बल्कि 19वीं शताब्दी से भी पहले से चला आ रहा है. कई विचारधाराएँ तो सामाज को क्लास, सेक्सिज्म और पॉवर में बांटने का काम कर रही हैं.
इसी के साथ रिसर्च भी कहती है कि बहुत ज्यादा आइडियोलॉजी को फॉलो करने से इंसान के अंदर असंतोष की भावना बढ़ती है. जिसकी वजह से उस इंसान की पर्सनल ग्रोथ रुक जाती है. इसलिए खुद की मानसिक ग्रोथ के लिए आइडियोलॉजीस से बचकर रहना चाहिए.
अपने लिए बढ़िया लक्ष्य बनाने का काम शुरू कर दीजिए
डायमंड यानि हीरा सभी को आकर्षित करता है. लेकिन उसे तैयार करने की एक प्रोसेस होती है. उस कड़ी मेहनत और नक्काशी के बाद एक हीरा तैयार होता है. इसलिए कहा भी जाता है कि हीरा बनने के लिए पहले कोयले जैसा तपना सीखो.
कई बार डायमंड के इंटरनल बांड को मज़बूत करने के बाद ही उसमें चमक देखने को मिलती है. इसलिए खुद के अंदर की चमक को निखारने के लिए मेहनत करना सीखिए.
इस बात का सार ये है कि कठिन मेहनत सामान्य सी चीज़ को भी अनमोल बना देती है. इसलिए याद रखिएगा कि मेहनत का कोई आसान तरीका नहीं होता है.
जीवन में सफल और खुश रहने का अगला पड़ाव इन्वेस्टमेंट है. यहाँ पैसों के इन्वेस्टमेंटकी बात नहीं होगी, जीवन को बेहतर बनाने के लिए आपको खुद के लिए समय निकालना होगा. जैसे आपको खुद की कमियों के बारे में पता चलता जाएगा. वैसे-वैसे आपको ये भी पता चलेगा कि उन कमियों को कैसे दूर करना है? उनके लिए कई बार आपको कई स्किल्स भी सीखने की ज़रूरत पड़ेगी. वही होगा खुद के ऊपर किया हुआ सही इन्वेस्टमेंट.
इसलिए अपने अंदर के इंटरेस्ट की पहचान करें और उसके लिए ज़रूरी स्किल्स को सीखने की शुरुआत कर दें. कभी भी किसी अच्छे सेमीनारया क्लासेज़को लेने में झिझक ना दिखाएँ. अपनी कला के ऊपर किया गया इन्वेस्टमेंट ही भविष्य में आपको सफल बनाएगा.
आपको बता दें कि लेखक ने भी ने भी कभी हार्ड वर्क से समझौता नहीं किया, उन्हें मालुम था कि अगर उन्हें कुछ अलग करना है. तो उन्हें मेहनत तो करनी होगी. इसलिए जब उन्हें एहसास हुआ कि कॉपी राइटिंग की फील्ड में वो अच्छा कर रहे हैं. लेकिन अगर वो डिसीप्लीन हो जाएँ तो और ज्यादा बेहतर कर सकते हैं. फिर उन्होंने अपनी प्रोडक्टीविटीके ऊपर ज्यादा काम शुरू किया और उन्हें ज्यादा बेहतर रिज़ल्ट भी मिलने लगे.
इसी के साथ उन्हें ये भी एहसास हो गया था कि उन्हें खुद के प्रति ज़िम्मेदार होना होगा, तभी वो दूसरों को प्रेरित कर पाएंगे.
इसमें कोई शक नहीं है कि ज़िम्मेदार बनकर प्रोडक्टीविटी को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन ज़िम्मेदारी लेने बस से काम नहीं चलने वाला है. आपके पास अपने लक्ष्य तक पहुँचने का PLAN भी होना चाहिए. उस प्लानको छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट लेना चाहिए, इसके लिए आप DAILY PLAN भी बना सकते हैं.
डेली प्लान के लिए स्केड्यूल तैयार करें, आपको पता होना चाहिए कि आपके लिए क्या-क्या काम ज़रूरी हैं. गैर ज़रूरी काम और टॉक्सिकलोगों को अपने जीवन से बाहर करें.
“Always make room for beauty” भले ही वह सिर्फ एक कमरे में ही क्यों न हो?
इस किताब के लेखक पीटरसन ने जब यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो ज्वाइन किया था. तो वहां पर काफी अजीब सा माहौल था. प्रोफेसर तो अच्छे थे, लेकिन काम करने वाले कमरे बिल्कुल उदासीन थे.
लेखक का मानना था कि उन कमरों की वजह से कोई भी डिप्रेशन में जा सकता था. हैरान करने वाली बात तो ये थी कि मैनेजमेंट भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा था. फिर पीटरसन ने मैनेजमेंट को नज़र अंदाज़ करके, खुद की अपने कमरे का मेक ओवर करने का फैसला किया.
उन्होंने अपने कमरे को काफी क्रिएटिव ढ़ंग से सजाने की शुरुआत की, कुछ समय बाद लेखक के कमरे का नज़ारा ही बदल चुका था.
लेखक ने एक ऐसे स्पेस को क्रिएट किया था, जिसे देखने में ही मन खुश हो जाता था. इसके बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट भी उस कमरे को लोगों को गर्व से दिखाता था.
12 Rules for Life, में लेखक ने इस पहलू को काफी बारीकी से समझाया है. उनके हिसाब से इंसान को सबसे पहले अपने कमरे की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए. इसके बाद अपने घर की और बाद में मोहल्ले और देश की.. अगर हर इंसान अपने घर को अच्छा रखने लगे. तो पूरा देश अपने आप साफ़ हो जाएगा.
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अगर आप अपने काम करने वाले कमरे को क्रिएटिव ढ़ंग से रखेंगे. तो आपके काम की प्रोडक्टीविटी भी कई गुना बढ़ जाएगी.
अपनी दर्द भरी यादों को खत्म करने की शुरुआत कर दीजिए
कई लोगों की रात में नींद खुल जाती है, उन्हें पुरानी यादें याद आने लगती हैं. उन्हें डर लगने लगता है. उन्हें वो सब याद आता है, जो भी उनके साथ बुरा हुआ होता है. या फिर उन्हें गिल्ट होता है, अगर उन्होंने किसी के साथ कुछ बुरा किया होता है.
कई लोगों को ऐसा भी लगता है कि उनका दिमाग उनके साथ बदला ले रहा है. उन्हें सोने नहीं दे रहा है. विश्वास कीजिये, इस तरह की सिचुएशन से कई लोग गुज़र रहे हैं और इस तरह की सिचुएशन बहुत खराब होती है.
आपको इस बात को मान लेना चाहिए कि अगर ज़िन्दगी में आगे की तरफ बढ़ना है. तो पीछे की यादों को लाइफ से बाहर निकालना ही होगा.
अगर वो यादें ट्रामा की तरह हैं, तो उन्हें आज से ही जांचने की शुरुआत कर दीजिए. जैसे जैसे आप उन यादों से बाहर आते जाएंगे. वैसे-वैसे ही आपकी लाइफ बेहतर होती जाएगी.
आपको पता होना चाहिए कि बुरी यादों से ही डर का जन्म होता है. वैसे डर हर व्यक्ति को होता है. लेकिन जब डर हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो यह मानसिक समस्या बन जाता है. डर हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में होने वाले बदलाव के कारण होता है. जो सीधे जाकर मष्तिष्क में असर करता है.
कभी- कभी व्यक्ति के साथ कुछ ऐसा घटित होता है जो उसके मन में हमेशा के लिए डर पैदा कर देता है. किसी भी परिस्थिति की वजह से फोबिया हो सकता है. बच्चों की यदि हम बात करें तो जो बच्चे दिमागी परेशानी या एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं, समय के साथ-साथ उनके अंदर फोबिया होने का डर अधिक हो जाता है.
इसलिए इस तरह की भयानक सिचुएशन से बचने के लिए, आज से ही अपने डर का सामना करिए. खुद को याद दिलाइए कि लाइफ को दिलेरी के साथ जीना है. आपको जिस भी सिचुएशन के बारे में डर है. उसके बारे में हर छोटी डिटेल लिखिए, इससे आपके विचार डेवलप होंगे. इस चैप्टर का सार यही है कि डर से भागना नहीं है और याद रखना है कि डर के आगे ही जीत है.
इन्टीमेट रिलेशनशिप को बेहतर बनाने के लिए एफर्ट्स और प्लानिंग का सहारा लीजिए
इंसानी समाज मर्द और औरत दोनों से मिलकर बनता है. एक दूसरे के साथ इन दोनों के रिश्तों के बहुत से नाम भी हैं. जैसे मां-बेटे का रिश्ता, भाई-बहन का रिश्ता, गर्ल फ़्रेंड-बॉय फ़्रेंड का रिश्ता, मियां बीवी का रिश्ता वगैरह.
इन सब रिश्तों में मियां-बीवी का रिश्ता ऐसा है कि अगर लंबे वक़्त तक ये दोनों साथ रहें तो वो एक दूसरे की पहचान बन जाते हैं. दोनों के मिज़ाज और किरदार की बहुत सी ख़ूबियां एक दूसरे से जुड़ जाती हैं. दोनों की ख़ासियतें एक दूसरे से इतनी मिलने लगती हैं कि कई बार वो ख़ुद हैरान रह जाते हैं, अपने अंदर आए बदलाव को देखकर.
ऐसा कई बार होता है कि कपल थैरेपिस्ट के पास आते हैं और दोनों ही दुखी होते हैं. दोनों में से किसी को ऐसा लगता है कि उसे इग्नोर किया जा रहा है. तो किसी को ऐसा लगता है कि उसे प्यार नहीं मिल पा रहा है. लेकिन रिज़ल्ट यही होता है कि दोनों ही दुखी रहते हैं.
तो अब यहाँ हर कपल के लिए एक सवाल है कि आखिरी बार आप दोनों डेट पर कब गए थे?
इसका जवाब थैरेपिस्ट को पता होता है कि बहुत पहले कभी गए थे. तब वो सलाह देता है कि कई बार डेट पर जाइए.
जब कपल पहली बार फिर से डेट पर जाते हैं. तो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, दूसरी बार जाते हैं तो किसी बात पर बहस हो जाती है. इस तरह उनकी कई डेट्स खराब ही जाती हैं. लेकिन 10-20 बार ट्राय करने के बाद, उन्हें फिर से एक दूसरे की कंपनी बेहतर लगने लगती है. कई बार तो दोनों एक दूसरे के साथ हंसी मज़ाक भी करने लगते हैं.
एक सफल रिश्ता एक दिन में तैयार नहीं हो सकता है. रिश्ते को सफल बनाने के लिए उसमें पैशन लव और सेक्स सब कुछ होना चाहिए. इसमें एफर्ट्स लगते हैं, आपको सामने वाले को एहसास दिलाना होता है कि वो आपके लिए इस दुनिया में सबसे ख़ास हैं.
इसलिए लेखक सलाह देते हैं कि अपने रिश्ते को बचाने के लिए इंटीमेसी को हेल्दी रखिएगा. इसके लिए आपको कई एफर्ट्स करने होंगे.
वैसे तो तलाक़ होने की बहुत सी वजहें हो सकती हैं लेकिन सबसे बड़ी वजह होती है दोनों पार्टनर के मिज़ाज का आपस में ना मिल पाना. बहुत सी रिसर्च ये साबित करती हैं कि जिन लोगों में इमोशनल कमज़ोरी होती है, उनका रिश्ता टूटने की आशंका बढ़ जाती हैं. और जिन लोगों में दूसरे के जज़्बात की क़द्र करने का हौसला और जज़्बा ज़्यादा होता है, उनके रिश्ते लंबे वक़्त तक चलते हैं. ऐसे लोगों का सामाजिक दायरा भी बड़ा होता है.
आपको पता होना चाहिए कि एक अच्छे रिश्ते की वजह से, आपकी पूरी ज़िन्दगी बेहतर बन सकती है. इसलिए अपने रिश्ते को मज़बूत और बेहतर बनाने की कोशिश करते रहिए.
ऐसी कहानियों के झांसे में न आएं जो आपको क्रोधी, धोखेबाज या अभिमानी बनाती हैं
कुछ देर के लिए लेखक आपको आपके बचपन में लेकर जाने वाले हैं. वो कहते हैं कि ज़रा अपने बचपन के दिनों को याद करिए. दिन भर आपका खेल में गुज़र जाया करता था. और शाम को आप अपने बड़े बुज़ुर्ग के पास बैठकर कहानियां सुना करते थे.
कई बार तो आपको सुलाने के लिए भी दादा-दादी ने कहानी सुनाई होगी? बच्चों का स्वभाव ही ऐसा होता है कि उन्हें कहानियां बहुत अच्छी लगती हैं. साइकोलॉजी कहती हैं कि बच्चे कहानियों की मदद से अपने आस-पास की दुनिया के बारे में जानते हैं. कहानियां उनके दिमाग में बहुत गहरा असर डालती हैं.
हम खुद को भी कई कहानियां सुनाते हैं. जिससे हमारे कैरेक्टर का निर्माण होता है. इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि हम खुद को अच्छी और सही कहानियां सुनाने की कोशिश करें.
लेखक सलाह देते हैं कि इंसान को कभी भी क्रोधी स्वभाव का नहीं बनना चाहिए और ना ही घमंड का सहारा लेना चाहिए. इसलिए जो कहानियां आपको क्रोधी, बेईमान और घमंडी बनाएं. उन्हें तुरंत नकार दीजिए.
ज़िन्दगी के सफर में इन सब चीज़ों की कोई ज़रूरत नहीं है. ये तीनों चीज़ें आपको सफलता से दूर करती जाएंगी. इसलिए हमेशा केवल नई खूबियों को सीखने की कोशिश करिए. खूबियाँ ही आपको बेहतर से बेहतरीन इंसान बनाएंगी.
आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपने आपको अच्छी और बेहतरीन कहानियों से रूबरू करवाएं. कहानियों से आपके कैरेक्टर का निर्माण होगा. याद रखिए कि आप अपनी ज़िन्दगी के हीरो हैं. आप ही को अपनी लाइफ बेहतर करनी है. इसलिए एफर्ट्स भी आपको ही लेने होंगे.
लाइफ में असली ख़ुशी चाहिए तो ग्रेटफुल बनने की कोशिश करिए
लेखक कहते हैं कि बाइबिल में एक ड्रामेटिक मोमेंट आता है. जब जीसस अपनी मृत्यु के करीब थे, और उन्हें भयानक कष्ट दिया जा रहा था. तब भी वो ग्रेटफुल थे और कष्ट देने वालों को माफ़ कर दिया था.
इससे एक बात साबित होती है कि जब जीसस जैसे डिवाइन फिगर को इतने कष्टों का सामना करना पड़ा था. तो मतलब लाइफ में कष्ट तो आएंगे ही, इसलिए हमें मान लेना चाहिए कि कोई भी इंसान बिना मुसीबत झेले इस दुनिया को अलविदा नहीं कहेगा.
ज़िन्दगी में खुशियाँ भी आयेंगी और दुःख भी, इसलिए हमें अपने आपको दोनों ही सिचुएशन के लिए तैयार कर लेना चाहिए.
लाइफ को एन्जॉय करने का एक तरीका तो ये है कि “मान लें कि सुख और दुःख जीवन का हिस्सा हैं और इनसे हमें डील करना ही होगा.”
साइकोलॉजिस्ट ने सफरिंग यानि दुःख के ऊपर कई रिसर्च की है. उनमें से कई रिसर्च में ये निकलकर सामने आया है कि इंसान खूद को ट्रामा से कई तरीकों से बाहर निकालता है. कई लोग प्रैक्टीकल अप्रोच अपनाते हैं और अपने स्वभाव को ही बदल देते हैं. वो अपने आपको उसी सिचुएशन के हिसाब से ढाल लेते हैं. वहीं कई लोग खुद को अंदर से मज़बूत करने की कोशिश करते हैं. वो अपने आपको एहसास दिलाते हैं कि अब हालात नहीं बदलने वाले हैं. इसलिए हमें अंदर से मज़बूत बनने की ज़रूरत है.
लाइफ में ट्रामा का सामना करने के लिए खुद को तैयार करें और किसी भी पहलू को बेहतर करने के लिए सबसे पहले खुद से सवाल करें कि “जो मैं करने वाला हूँ, अगर उसमे विफल हुआ तो क्या बुरा होगा? विश्वास रखें आपका दिमाग आपको worst-case scenarios के बारे में बता देगा. उसके बताए हुए रिजल्ट्स को देखकर घबराना नहीं है, बल्कि उसके लिए खुद को तैयार करना है. इस मेंटल एक्सरसाइज से आप दिमागी तौर पर काफी ज्यादा मज़बूत बनेंगे. इससे आपको ये एहसास हो जाएगा कि आप अपने जीवन को ठीक वैसा ही बना सकते हैं. जैसा आपने सपने में सोचा हुआ है.
इसी के साथ कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी पर्सनालिटी को खुद के चश्में से ही देखते रहते हैं. जिसकी वजह से हम खुद के पसंदीदा इंसान बन जाते हैं. हमें लगने लगता है कि हमसे बेहतर तो इस दुनिया में कोई इंसान ही नहीं है. लेकिन उस समय हमें एक रियलिटी चेक की ज़रूरत होती है. इससे हमें पता चल सकता है कि असल में हम कितने पानी में हैं?
इसलिए खुद के प्रति ईमानदार बनकर आप अपनी कमियों के बारे में जान सकते हैं. फिर उन्हें ठीक करने की कोशिश भी कर सकते हैं. हमारे पास समय ज्यादा नहीं है, इसलिए आज से ही खुद के बेहतरीन वर्जन बनने की कोशिश शुरू करें.
अभी आपके मन में एक सवाल आना चाहिए, वो ये कि अरबों की भीड़ में सभी चाहते हैं कि वो औरों से अलग नज़र आएं. तो मैं उनसे अलग क्या कर सकता हूँ? इसका जवाब है कि आप उनसे अलग किताबों को पढ़ने और सुनने की आदत डाल सकते हैं. उसके बाद उससे मिलने वाली जानकारी की नोट्स बनाएं. जिससे आपके अंदर ज्ञान का भंडार आने लगेगा. इससे अलग अगर कुछ सीखना चाहते हैं तो लोगों के चेहरों में हंसी लाने की कोशिश करें. जो दूसरों को हंसा सकता है, वो लोगों का दिल भी बड़ी आसानी से जीत सकता है.
याद रखिएगा कि ज़िन्दगी का असली मतलब ही, उसे खुलकर जीना है . अपनी लाइफ और अपने आस पास वालों के लिए हमेशा ग्रेटफुल रहें. अगर कभी मुसीबत का सामना करना भी पड़े तो खुद से सवाल करें कि ये मुसीबत क्यों आई है? इसकी जड़ क्या है? क्या उस मुसीबत की जड़ आपकी लापरवाही है? अगर ऐसा है तो अपनी गलतियों को सुधारने से पहले उनसे सीखने की कोशिश करिएगा. आपकी गलतियों से मिली सीख ही आपको बेहतर बनाने के लिए काफी हैं.
लेखक सलाह देते हैं कि “अपनी लाइफ से प्यार करने की शुरुआत कर दीजिए. लाइफ में कमी निकालने की बजाए, उससे प्यार करिए. ये बहुत खूबसूरत है. खुश रहिए और लोगों को खुश रखने का प्रयास करिए. इन सबके साथ ग्रेटफुल बनिए.”
कुल मिलाकर
ये वर्ल्ड बहुत कठिन है, इसलिए अपनी लाइफ को सरल और अच्छी बनाने की ज़िम्मेदारी आपकी ही है. इस किताब में बताए गए 12 रूल्स की मदद से आप अपनी लाइफ को बेहतर से बेहतरीन बना सकते हैं. उन रूल्स को आज से ही अपनी लाइफ में एड ऑन करने की शुरुआत कर दीजिए.
ऐसे बहुत से लोग हमेशा मौजूद रहेंगे, जिन्हें आपकी कामयाबी से जलन होती रहेगी. उनकी कोशिश रहेगी कि कैसे भी करके आपको नीचा दिखाया जाए. उस समय आपको ध्यान रखना है कि उन लोगों को आपसे जलन है. इसलिए वो ऐसी हरकतें कर रहे हैं. उन्होंने अभी तक अपनी कमियों के ऊपर काम नहीं किया है. इसलिए वो दूसरों की कामयाबी से बीमार होते जा रहे हैं. आपको कभी भी उनसे लड़ने की कोशिश नहीं करनी है. अगर हो सके तो उन्हें सही रास्ता दिखाने की कोशिश करिएगा.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Beyond Order By Jordan B. Peterson.
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