Selling the Ivisible

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Selling the Invisible
Harry Beckwith

मॉडर्न मार्केटिंग के गोल्डन रूल्स के साथ महत्वपूर्ण टूल्स
1. क्या आप इकॉनमी में सर्विस सेक्टर के योगदान को समझते हैं? (02:05)
2. सर्विसेज़ को मार्केट करना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें छुआ नहीं जा सकता है (02:23)
3. अपनी सर्विस के साथ कस्टमर एक्सपेक्टेशन को छूने की कोशिश करते रहिए (01:57)
4. अपनी सर्विस को दूसरों से अलग, मज़ेदार और इनोवेटिव बनाने की कोशिश करिए (02:01)
5. हमेशा प्लानिंग फेज़ में ही अटके मत रहिए, आगे बढ़िए और एक्शन मोड में आइए (01:32)
6. अपने बिजनेस के हर डिपार्टमेंट की मार्केटिंग को बेहतर से बेहतर बनाइए (01:54)
7. ग्राहक की पसंद हमेशा तर्कसंगत नहीं होती हैं, कई वजहों से उसके फैसले बदल सकते हैं (01:36)8. क्या अपनी सर्विस के फोकस को कम करके सक्सेस में कुछ मदद मिल सकती है? (01:44)
9. क्या आपको प्राइजिंग स्ट्रेटजी के बारे में मालुम है? ये भी जानिए कि सेफेस्ट स्ट्रेट्जी कौन सी है? (02:44)
10. अब बारी है सक्सेसफुल होने के गोल्डन रूल की, अपने आपको ब्रांड बनाने के लिए काम करिए (01:50)
11. कहानी से खूबसूरत कुछ भी नहीं होता है, अपनी सर्विस की कहानी लोगों की ज़बान पर चढ़ाने का काम करिए (01:30)
12. कुल मिलाकर (01:33)

दो लफ्ज़ों में
सर्विसेस (सेवाएं) बढ़ती हुई इकॉनमी का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. फिर भी उनकी मार्केटिंग कैसे की जाए? ये बात आज तक किसी मिस्ट्री से कम नहीं है? साल 1997 में रिलीज़ हुई किताब ‘सेलिंग द इनविजिबल’ बताती है कि बिना छुए जानी वाली चीज़ का प्रमोशन कैसे किया जाता है? इसी के साथ ही साथ ये किताब इस ओर भी ईशारा करती है कि एक मार्केटियर सर्विस कंपनी की स्थापना कैसे की जा सकती है? कंपनी को खड़ी करने के बाद, उस कंपनी का प्रमोशन कैसे करना है? इसका जवाब भी ये किताब देती है. 

ये किताब किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे सर्विस इंडस्ट्री में इंटरेस्ट हो 
- मार्केटिंग के स्टूडेंट्स 
- ऐसा कोई भी जिसे बिजनेस में इंटरेस्ट हो 
- एडवरटाइजिंग प्रोफेशनल 
- ऐसा कोई भी जिसे कुछ नया सीखना अच्छा लगता हो 

लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन “Harry Beckwith” ने किया है. आज के दौर में “Harry Beckwith”एक सक्सेसफुल पब्लिक स्पीकर हैं. लेकिन आपको बता दें कि स्पीकर होने से पहले उनका मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग में सफल करियर था. उन्होंने अपने मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग के विराट अनुभव को शब्दों के ज़रिए इस किताब में उतार दिया है. इसी के साथ ही आपको ये भी बता दें कि “Harry Beckwith”ने अब तक 5 बेस्ट सेलिंग किताबों का भी लेखन किया है.

क्या आप इकॉनमी में सर्विस सेक्टर के योगदान को समझते हैं?
अमेरिकी अर्थव्यवस्था इन दिनों कुछ बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है. नौकरियां जिन्हें कुछ दशक पहलेसुरक्षा के रूप में देखा जा रहा था. अब सभी गायब हो गई हैं. लेकिन इसी के साथ एक अच्छी खबर यही है कि नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं. 

एक और बदलाव देखने को मिल रहा ही कि धीरे ही सही लेकिन सर्विस सेक्टर में काफी ग्रोथ देखने को मिल रहा है. मुख्य तौर पर काफी ज्यादा सर्विस कम्पनियां उभरकर आ रही हैं. 

यहां तक कि अगर आप आज अमेरिका की फॉरच्यून 500 कम्पनियों के ऊपर नज़र घुमाएंगे तो उसमें 50 परसेंट सर्विस सेक्टर की ही कंपनियां नज़र आएंगी. इसी के साथ ही आपको बता दें कि आज के समय में 75 प्रतीशत से ज्यादा अमेरिकन पब्लिक इसी सेक्टर में काम कर रही है. 

आपको पता होना चाहिए कि सिर्फ और सिर्फ सर्विस सेक्टर ही नहीं बढ़ रहा है. बल्कि दूसरे सेक्टर की भी सर्विस की इकॉनमी में भी काफी ग्रोथ देखने को मिल रही है. 

हमेशा से रिटेल सेल्स को कस्टमर का सपोर्ट मिलता रहा है. किसी भी डिपार्टमेंट स्टोर में जिसमे कपड़ा बेचा जाता है. उसमे दिन के खत्म होने के बाद यही देखा जाता है कि किस सेल्स मैन ने कितना सेल किया है?

यहां तक कि मैकडोनल्ड की सक्सेस भी उसके एक्सीलेंट कस्टमर सर्विस से नापी जाती है. 

आज के दौर में प्रोडक्ट को सर्विस के साथ बेचा जाता है. जब कभी भी आप एक कंप्यूटर तक लेने जाते हैं. तो भी उसके साथ आपको बढ़िया सर्विस का वादा किया जाता है. 

आप उसी स्टोर में जाना पसंद करते हैं. जहाँ की कस्टमर सर्विस बेहतरीन होती है. 

अगर कोई ब्रांड अपनी सर्विस के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट्स लेता है. तो फिर उसका प्रोडक्ट भी ज्यादा डिज़ायरेबल हो जाता है. 

कोई भी ब्रांड अपनी सर्विस में ध्यान देकर कस्टमर को ब्रांड के प्रति लॉयल भी बना सकता है. ऐसा आपने भी कई बार ओब्सर्व किया होगा कि कुछ लोग बस चुनिंदा ब्रांड्स की चीज़ों को ही खरीदना पसंद करते हैं. 

इसके पीछे का महत्वपूर्ण कारण यही रहता है कि उन्हें उस ब्रांड की सर्विस काफी अच्छी लगती है.

सर्विसेज़ को मार्केट करना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें छुआ नहीं जा सकता है
ये आप जानते ही होंगे कि सर्विस और फिजिकल प्रोडक्ट में कोई भी समानता नहीं होती है. हम सर्विस को टच करके महसूस नहीं कर सकते हैं. इसी के साथ ही साथ वो नज़र भी नहीं आती हैं. ना ही उनका एक साथ बहुत ज्यादा प्रोडक्शन हो सकता है. 

यही रीज़न है कि सर्विस को मार्केट करना इतना कठिन है. 

अधिकांश किसी भी प्रोडक्ट की सेलिंग में उसकी मार्केटिंग का बहुत बड़ा योगदान रहता है. लेकिन सर्विस में ऐसा नहीं है. सर्विस की मार्केटिंग ही करना बहुत कठिन है क्योंकि सर्विस खुद में ही इनविजिबल चीज़ है. 

जैसा कि आप जानते ही हैं कि ऐसे प्रोडक्ट की मार्केटिंग आसान होती है. जिसे कस्टमर टच करके खरीद सकते हों, अगर कस्टमर प्रोडक्ट को जांच-परख नहीं पाते हैं. तो फिर उन्हें भी सैटिसफैक्शन नहीं होता है. 

इसलिए ज्यादातर कंपनियाँ भी ऐसे ही प्रोडक्ट की मार्केटिंग करना चाहती हैं. जिसे देखा जा सके, एग्जाम्पल के लिए पॉर्ष जैसी कंपनी भी ऐसे प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती है. जो स्टेज की सेंटर में आ सके. 

आखिर बिना दिखने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग कौन ही करना चाहेगा? 

लेकिन ये भी मानने वाली बात है कि जो कंपनी सर्विस बेचेगी, वो अपना प्रोडक्ट कैसे दिखाएगी? उदाहरण के लिए आप इंश्योरेंस सेक्टर की किसी भी कंपनी को देख सकते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि उनके पास मार्केटिंग के लिए कोई बेहतर तरीका होना ही चाहिए. 

एग्जाम्पल के लिए यूएस की ट्रेवल इंश्योरेंस कंपनी को देखिए. उनके पास कोई प्रोडक्ट तो था नहीं दिखाने के लिए, इसलिए उन्होंने अपने ‘लोगो’ यानी सिम्बल को ही प्रोडक्ट की तरह पेश कर दिया. उन्होंने अपनी कंपनी का बड़ा सा ‘लोगो’ तैयार करवाया. उस सिंबल में उन्होंने बंद छाते की तस्वीर लगवाई. उस छाते के सिंबल का मतलब सेक्योरिटी और प्रोटेक्शन से था. 

सर्विस की मार्केटिंग करने में एक और दिक्कत आती है. वो ये है कि प्रोडक्ट की क्वालिटी निश्चित नहीं रहती है. जैसे कि फिजिकल प्रोडक्ट की क्वालिटी की जांच करने के लिए कई अथॉरिटी हैं. लेकिन किसी भी सर्विस की क्वालिटी कई एलिमेंट्स पर डिपेंड करती है. जैसे कि किसने आपको वो सर्विस ऑफर की है? सीधी भाषा में आप कह सकते हैं कि सर्विस की क्वालिटी को जांचने के लिए कोई भी सटीक पैमाना नहीं है. इसकी वजह से सर्विस की मार्केटिंग में काफी ज्यादा दिक्कत देखने को मिलती है. 

एग्जाम्पल के लिए अगर सर्विस देने वाला स्टाफ आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेगा. तो भले ही उस सर्विस की कितनी भी अच्छी मार्केटिंग हो? आप उस सर्विस को कभी नहीं खरीदेंगे.

अपनी सर्विस के साथ कस्टमर एक्सपेक्टेशन को छूने की कोशिश करते रहिए
जिस तरह आज का दौर बदल रहा है. उसी तरह आज का कस्टमर भी चेंज हो रहा है. अब कस्टमर की उम्मीदें भी पहले से बेहतर हो चुकी हैं. आज के समय में हर कस्टमर को बेहतर सर्विस की उम्मीद रहती है. 

कई कंपनीयों ने भी अपने काम के स्टैण्डर्ड से इस उम्मीद को बढ़ा दिया है. एग्जाम्पल के तौर पर आप मैकडोनल्ड की सर्विस को देख ही सकते हैं. उनकी सर्विस इतनी अच्छी है कि हर कस्टमर वहां बार-बार जाना चाहता है. उन्होंने अपनी डिलीवरी से लेकर साफ़-सफाई तक में बहुत ज्यादा काम किया है. 

इसलिए आज के दौर में अच्छी सर्विस प्रोवाइड करना एक चैलेन्ज से कम नहीं है. आग आप इस चैलेन्ज में फेल होते हैं. तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि आपके कस्टमर भी आपसे दूर होते चले जाएंगे. 

इसलिए इंडस्ट्री के स्टैंडर्ड को मैच करने के लिए मेहनत करते रहिए. 

लेकिन यहां सवाल ये भी उठता है कि आप अपनी सर्विस की क्वालिटी की जांच कैसे कर सकते हैं? 

इसका सिंपल सा तरीका है कि क्या आप कस्टमर की उम्मीदों पर खड़े उतर रहे हैं? मतलब अगर आपका रेस्टोरेंट है. तो क्या हर कस्टमर के टेबल में टाइम से और अच्छा आर्डर पहुँच रहा है? इसका पता लगाना ही आपकी ज़िम्मेदारी है. 

आप इसका पता कैसे लगा सकते हैं?

इस चीज़ के बारे में पता लगाने के लिए आपको कस्टमर्स से रेगुलर बेसिस में फीडबैक लेना चाहिए. अधिकांश ये भी देखा गया है कि ज्यादातर कस्टमर अपने से नहीं बताते हैं. भले ही उनको किसी दिक्कत का सामना करना पड़ा हो. इसलिए यहां पर ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप उनसे पर्सनली सलाह लेने की कोशिश करिए. 

फीडबैक मिलने के बाद कभी भी उसे इग्नोर करने की कोशिश नहीं करिएगा. हर फीडबैक मैटर करता है. 

अगर फीडबैक नेगेटिव है तो उसे तुरंत सुधारने की कोशिश करिए. नेगेटिव कमेंट्स और फीडबैक से सीखने का प्रयास करिए. सर्विस सेक्टर में जितना आप सीखते जाएंगे,उतना ही आगे बढ़ते जाएंगे.

अपनी सर्विस को दूसरों से अलग, मज़ेदार और इनोवेटिव बनाने की कोशिश करिए
इस बात का अंदाज़ा तो आपको होगा ही कि जब भी कोई फिजिकल प्रोडक्ट खरीदता है. तो उसके सामने कई सारे आप्शन अवलेबल होते हैं. उन आप्शन में उसे मॉडल, कलर भी उसकी पसंद के मिल जाते हैं. उन्हें वो आपस में कम्पेयर भी कर सकता है. 

लेकिन जब बात सर्विस की आती है. तो फिर पूरी कहानी ही बदल जाती है. यहां पर विजुअल इफेक्ट्स नहीं मिलते हैं. इंसानी फितरत भी रही है कि उसे विज़ुअली चीज़ें ज्यादा आकर्षित करती हैं. 

आपकी कंपनी की सर्विस कम्पटीशन वालों से अलग है. ये बताने के लिए आपको कुछ अलग भी करना पड़ेगा. अगर आप ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं. तो फिर वाकई आप दूसरों की अपेक्षा अलग खड़े हुए नज़र आने लगेंगे. 

इसका एक सिंपल तरीका है कि अपने कम्पटीटर से कुछ अलग करिए. अगर आपको बेहतर बनकर सफलता नहीं मिल रही है. तो कुछ अलग करने की कोशिश करिए. 

एग्जाम्पल के लिए आप अमेरिका की लॉजिस्टिक कंपनी फेड एक्स की कहानी भी पढ़ सकते हैं. उसने अपने तरीके से सभी का दिल जीत लिया था. इसी के साथ ही साथ अपने कम्पटीशन को भी काफी पीछे छोड़ दिया था. 

अगर हम दूसरे तरीके की बात करें तो वो ये है कि आप अपने लिए एक अलग मैदान तैयार करिए. जिसे आप ट्रेंड सेटर के नाम से भी जान सकते हैं. इसके लिए आपको रिटेल जाइंट बन चुकी वॉल मार्ट का एग्जाम्पल देखना चाहिए. उन्होंने बहुत छोटे शहरों में स्टोर्स को ओपन करके एक ट्रेंड सेट किया था. 

जिसकी वजह से उन्होंने अपने सेक्टर में राज़ किया है. 

एक और तरीका है जिसका नाम ‘इनोवेशन’ है. भले ही आपका बिजनेस काफी पुराना हो, लेकिन उसमे भी इनोवेशन की गुंजाइश तो बनी ही रहती है. बिजनेस कितना भी पुराना क्यों ना हो? आपको आलसी नहीं बनना चाहिए. 

इसके जीते-जागते एग्जाम्प्ल्स बैंक्स हैं. उन्हें ऐसा लगने लगा था कि उनके कस्टमर कहीं नहीं जा सकते हैं. फिर देखिए कितनी प्राइवेट कम्पनियों का उदय हो गया. उन कम्पनियों के पास बैंक्स के काफी सारे कस्टमर भी चले गये.

हमेशा प्लानिंग फेज़ में ही अटके मत रहिए, आगे बढ़िए और एक्शन मोड में आइए
ऐसा कई बार देखा गया है कि कई बिजनेस मैन भले ही वो छोटे व्यापारी हों या फिर बड़े, अपने फ्यूचर गोल्स के लिए प्लानिंग बहुत बनाते हैं. उन्हें वो स्ट्रेटजिकल प्लानिंग का नाम भी देते हैं. 

कई बार उन्हें मीटिंग्स करते हुआ भी देखा जाता है. लेकिन बुरी बात ये है कि उनकी प्लानिंग सिर्फ और सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रहती हैं. 

इसलिए इस चैप्टर में लेखक ने कहा है कि प्लानिंग के आगे के बारे में भी सोचने की ज़रूरत आ चुकी है. 

यहां तक कि लेखक कहते हैं कि प्लानिंग से कुछ ज्यादा फायदा होता भी नहीं है. उनके हिसाब से प्लानिंग की कई लिमिटेशन भी हैं. 

जैसे कि फ्यूचर की प्लानिंग की जाती है. लेकिन इस दुनिया में कोई भी इंसान फ्यूचर को बता नहीं सकता है. इस तरह की प्लानिंग से कंपनी गलत दिशा में भी जा सकती है. एग्जाम्पल के लिए जब टीवी ने कदम रखा था. तब कई फ्यूचर वादी लोगों ने ये घोषणा कर दी थी कि अब तो किताबों की दुनिया का अंत हो गया है. अब कभी भी इस दुनिया में किताबों का जन्म नहीं हो पाएगा. कई लोगों ने तो पब्लिशिंग इंडस्ट्री को खत्म ही मान लिया था. 

लेकिन फिर क्या हुआ? ये आपके सामने है. इसलिए फ्यूचर को कंट्रोल करने की कोशिश ना ही करिए तो बेहतर है. 

लेखक कहते हैं कि पागलों की तरह प्लानिंग करने से बेहतर है कि आप अपनी सर्विस को सुधारने के लिए नई स्किल्स के ऊपर ध्यान दें. 

इसके साथ ही साथ आपको ये ध्यान देना चाहिए की आपका स्टाफ सबसे बेहतर होना चाहिए. इसके लिए स्किल की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए अपने और अपनी कंपनी की स्किल के ऊपर काम करने की कोशिश करते रहिए.

अपने बिजनेस के हर डिपार्टमेंट की मार्केटिंग को बेहतर से बेहतर बनाइए
ऐसा देखा गया है कि कंपनी रिसर्च के ऊपर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहती हैं. लेकिन उन्हें ऐसा करना चाहिए. उन्हें रिसर्च डिपार्टमेंट के ऊपर अलग से पैसा खर्च करना चाहिए. इससे उन्हें बेहतर मार्केटिंग तकनीक के बारे में भी पता चलेगा. 

अगर आपको मार्केट के बिहेवियर के बारे में पता लगाना है. तो फिर आपके पास एक मज़बूत रिसर्च टीम होनी ही चाहिए. 

रिसर्च की मदद से बेहतर मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाइए. इसी के साथ ही साथ उस स्ट्रेटजी को कस्टमर के हिसाब से इम्प्लीमेंट भी करवाइए. आपको पता होना चाहिए कि आपकी टारगेट ऑडियंस क्या चाहती है? 

आपको बता दें कि एक अच्छी मार्केटिंग स्ट्रेटजी कई एरिया की समस्या को खत्म कर देती है. 

आपको ये भी ध्यान रखना चाहिए कि आपकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी में कंपनी के हर डिपार्टमेंट का कुछ ना कुछ हिस्सा शामिल हो. 

इससे फायदा ये होगा कि कस्टमर को आपकी सभी सर्विस के बारे में पता चल जायेगा. 

कोशिश करिये कि आपकी कंपनी का पॉजिटिव मार्केटिंग मैसेज कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को भी पता होना चाहिए. उनकी पर्सनालिटी में आपकी कंपनी का मार्केटिंग मैसेज नज़र आना चाहिए. 

याद रखिएगा जितने बेहतर आपके कर्मचारी नज़र आएंगे, उतनी ही बेहतर कंपनी भी नज़र आएगी. 

आपकी कंपनी का फ्यूचर कस्टमर कंपनी को उसके कर्मचारी की पर्सनालिटी के हिसाब से जज करता है. इसलिए कहा गया है कि कंपनी के हर डिपार्टमेंट का ख्याल आपको रखना है. 

अगर कंपनी का मैसेज वहां काम करने वालों की पर्सनालिटी में नहीं नज़र आएगा तो इसका बुरा फल पूरी कंपनी को ही भुगतना पड़ सकता है. 

वो कैसे? 

अगर कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट में काम करने वाला आदमी क्लाइंट के साथ बुरा बर्ताव कर देता है. तो फिर क्लाइंट पूरी कंपनी को लाइन हाज़िर कर देगा. यानी वो बुरा रिव्यु पूरी कंपनी के खिलाफ देगा. फिर ये मैटर ही नहीं करेगा कि आपकी कंपनी के बाकी डिपार्टमेंट कितने अच्छे हैं?

ग्राहक की पसंद हमेशा तर्कसंगत नहीं होती हैं, कई वजहों से उसके फैसले बदल सकते हैं
आपने कभी क्या एक चीज़ सोची है? वो क्या वजह होती है जिससे कस्टमर कुछ खरीदता है?

अगर आप सोचते हों कि कस्टमर हर बार बड़ी समझदारी से फैसला लेता है और प्राइज़ या क्वालिटी देखकर चीज़ें खरीदता है. तो फिर आपको बता दें कि आप गलत हैं. 

आपको पता होना चाहिए कि कई बार कस्टमर अपने फैसले काफी इरेशनल तरीके से भी करता है. 

पहला इरेशनल फैक्टर “प्रेस्टीज़” है. कई बार कस्टमर बस किसी चीज़ को इसलिए खरीद लेते हैं क्योंकि वो स्टेट्स का सिंबल होता है. एग्जाम्पल के लिए कई लोग अमेरिकन एक्सप्रेस का क्रेडिट कार्ड बस इसलिए यूज़ करते हैं क्योंकि वो बाकी कार्ड्स से महंगा है. 

उस कार्ड को हर जगह एक्सेप्ट भी नहीं किया जाता है. इसके पीछे का कारण ये है कि अमेरिकन एक्सप्रेस खुद को एक क्लब की तरह पेश करता है. इसलिए लोग सोचते हैं कि ये एलीटनेस की पहचान है. 

एक और इरेशनल बिहेवियर होता है. जिसे फैमिलियरिटी कहते हैं. इसका मतलब ये है कि ज्यादातर लोग चीज़ों को इसलिए खरीद लेते हैं क्योंकि वो उसके बारे में सुने हुए रहते हैं. इसलिए कहा भी जाता है कि वर्ड ऑफ़ माउथ से बेहतर कोई मार्केटिंग नहीं होती है. इसलिए एक बिजनेस मैन को अपने बिजनेस के साथ हमेशा प्रेजेंट रहना चाहिए. आज के समय तो आप इसके लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 

किसी भी बिजनेस की लोकप्रियता में मीडिया कवरेज का भी बड़ा रोल रहता है. इसलिए आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आपके बिजनेस की पहचान मीडिया के कैमरों के साथ भी होती रहनी चाहिए.

क्या अपनी सर्विस के फोकस को कम करके सक्सेस में कुछ मदद मिल सकती है?
आप सर्विस इंडस्ट्री में सक्सेसफुल हों, इसके लिए ज़रूरी है कि आपका फोकस और पोजीशन  स्पेसिफिक होना चाहिए. इसको इस तरीके से समझा जा सकता है. 

उस पोजीशन के बारे में सोचिए कि लोग आपको कैसे देखते हैं. या फिर उस फोकस के बारे में सोचिए कि आप खुद के बारे में क्या सोचते हैं?

लेकिन आप ये दोनों नज़रिए पैदा कैसे करेंगे?

सबसे पहले अपने फोकस को जानने के लिए आपको अपने बिजनेस के लिए एक पर्टिकुलर एरिया को चुनना पड़ेगा. इससे आप अपने रिसोर्स को अच्छे से समझ सकेंगे. इसी के साथ ही साथ आपको ये पता चलेगा कि बिजनेस कैसे करना है?

दूसरा, अपने पोजीशन पर ध्यान लगाने की कोशिश करिए. अधिकांश ये देखने को मिलता है कि फोकस से ही पोजीशन का जन्म होता है. लेकिन दूसरे लोग आपकी कंपनी के बारे में क्या सोचते हैं? आप उस बात को चाहकर भी कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. 

बस, आप ये कंट्रोल कर सकते हैं कि आपको बिजनेस कैसे करना है? इसी के साथ ही साथ आप इस बात पर भी कंट्रोल कर सकते हैं कि आपके बिजनेस में कस्टमर सर्विस कैसी होगी? 

जैसा कि इस किताब को अभी तक सुनकर आपको ये पता ही चल गया होगा कि आने वाला दौर सर्विस सेक्टर का ही होने वाला है. इसलिए हमें भी अपने फ्यूचर के लिए सर्विस की मार्केटिंग के ऊपर काम शुरू कर देना चाहिए. 

अब तक आपको ये बात भी मालूम हो चुकी है कि सर्विस की मार्केटिंग करना सबसे कठिन है. लेकिन फिर भी आप इसे कुछ अलग तकनीक के इस्तेमाल से कर सकते हैं. 

सर्विसेस की मार्केटिंग को बेहतर ढ़ंग से करने के लिए ये ज़रूरी है कि आप सर्विस सेक्टर को अच्छे से समझ सकें? 

इस सेक्टर को और बेहतर तरीके से समझने के लिए आपको आगे के चैप्टर्स काफी ज्यादा मदद करेंगे.

क्या आपको प्राइजिंग स्ट्रेटजी के बारे में मालुम है? ये भी जानिए कि सेफेस्ट स्ट्रेट्जी कौन सी है?
किसी भी सर्विस की क्वालिटी और वैल्यू को बताने के लिए उसकी कीमत का रोल बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि आप अपनी सर्विस की कीमत कैसे तय करेंगे? 

लॉजिक के हिसाब से आपका दिमाग क्या कहता है? 

आपको बता दें कि लॉजिक ये कहता है कि कस्टमर हमेशा कम प्राइज़ के लिए जाता है. लेकिन ये सिर्फ रेयर केस में ही होता है. 

हालाँकि, प्राइजिंग को लेकर लो कॉस्ट प्रोवाइडर लोगों का ध्यान खींच सकता है. ऐसा भी हो कि कुछ देर के लिए लोगों की नज़रों में आपका प्राइज़ चढ़ जाए. ऐसा भी हो सकता है कि कुछ कम लागत को पसंद करने वाले ग्राहक भी आपके पास आ जाएँ. लेकिन सस्ती कीमत को मेंटेन करने के लिए आपको कई बलिदान भी देने पड़ेंगे. 

आपके सामने एक चैलेन्ज ये भी रहेगा कि सस्ती कीमत को मेंटेन कैसे रखा जाए? उसके लिए आपको कई बार अपने रेट डाउन करने पड़ सकते हैं. 

उदाहरण के लिए आप किसी बड़े स्टोर से कम्पीट करने के लिए अपने रेट्स कम किए हैं. आप लगातार उससे कम कीमत में सामान बेच रहे हैं. लेकिन आगे क्या होगा? उस स्टोर ने अपना विस्तार करने के लिए नई रेट लिस्ट लॉन्च कर दी. अब उसने कीमत और कम कर दी है. अब आप क्या करेंगे? अब आपको फिर से रेट डाउन करना पड़ेगा. जिससे आपका बिजनेस बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा. 

कई बार ऐसे ही खराब फैसलों की वजह से कोई भी बिजनेस बंद भी हो जाता है. 

इसलिए इस बात को समझना बहुत ज़रूरी है कि लो कॉस्ट स्ट्रेटजी में बहुत ज्यादा रिस्क है. इतना रिस्क है कि आप इससे मार्केट में टिक भी नहीं पायेंगे. 

अब आपके दिमाग में ये भी आ रहा होगा कि फिर सेफेस्ट प्राइजिंग स्ट्रेटजी क्या है? 

आपको एक बात समझनी बहुत ज़रूरी है कि लो और मिड रेंज की कीमत से आपके बिजनेस को फायदा नहीं होगा. जब लो और मिड रेन्ज सही नहीं है. तो फिर सही क्या है? 

आपको जानकर ताज्ज़ुब हो सकता है कि मार्केट में होल्ड बनाने के लिए आपको अपनी सर्विस का रेट कम्पटीटर से ज्यादा ही रखना चाहिए. 

लेकिन ऐसा क्यों?

इसके पीछे की थ्योरी लोगों की मानसिकता से मैच करती है. सामान्य तौर पर लोग ऐसा सोचते हैं कि ज्यादा कीमत वाले प्रोडक्ट की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है. इसलिए ऐसी स्ट्रेटजी से आपकी ब्रांड वैल्यू को काफी ज्यादा फायदा होगा. 

आपको अब तक कीमत की स्ट्रेटजी के बारे में भी पता चल गया है. साथ ही साथ आपको ये भी पता चल चुका है कि कौन सी स्ट्रेटजी सबसे सही होती है. इसलिए अब समय आ गया है कि आप अपनी सर्विस की कीमत को तय करें. लेकिन याद रखिएगा कि कम कीमत हर बार सही नहीं होती है.

अब बारी है सक्सेसफुल होने के गोल्डन रूल की, अपने आपको ब्रांड बनाने के लिए काम करिए
चलिए एक सफर में निकलने की कोशिश करते हैं. सोचिए कि आप सुबह से गाड़ी चला रहे हैं. अब शाम का समय भी हो गया है. आप काफी ज्यादा थक चुके हैं. आप एक ऐसे हाईवे पर हैं जिसे आप ज्यादा नहीं जानते हैं. 

आपको काफी ज्यादा भूख भी लगी हुई है. अब आप क्या करेंगे? कहीं कुछ खाने के लिए रुकेंगे. लेकिन हम लोगों में से ज्यादा तर लोग पहले ही रेस्टोरेंट में नहीं रुकेंगे. 

हम थोड़ी दूर और ड्राइव करेंगे और देखेंगे कि कहीं कोई ब्रांडेड रेस्टोरेंट दिख रहा है कि नहीं? अगर हमें कहीं बर्गर किंग या पिज़्ज़ा हट दिख जाएगा. तो फिर हम तुरंत वहां रुक जाएंगे. 

इसका मतलब साफ़ है कि हम लोगों का दिमाग ब्रांड की तरफ ज्यादा भागता है. 

इसलिए इस चैप्टर के माध्यम से लेखक कहना चाहते हैं कि, अब समय आ गया है कि आप भी खुद को ब्रांड बनाइए. 

जब आप ब्रांड बन जाएंगे तो आप खुद ही सफल भी हो जाएंगे.

लेकिन ऐसा कैसे होगा? 

किसी ब्रांड को विकसित करने में सबसे महत्वपूर्ण पहलू है खुद को आसानी से पहचानने योग्य बनाना. मज़बूत, यादगार नाम और एक आकर्षक ‘लोगो’ आपके ब्रांड को औरों से अलग करने में मदद करेगा.

सबसे पहले, एक ऐसा नाम खोजें जो यादगार हो जिससे आपको अलग दिखने में मदद मिल सके. फिर अपने बिजनेस के हिसाब से ‘लोगो’ विकसित करें. सुनिश्चित करें कि ये आपके बिजनेस के मोटिव को सूट करता हो. 

इसके साथ ही साथ अपना समय और एफर्ट्स लगाकर लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करें. अपने कस्टमर से पूरे प्रोफेशनलिज्म के साथ डील करें. उन्हें ऐसा लगना चाहिए कि वो किसी बड़े ब्रान्ड के साथ डील कर रहे हैं. 

अगर आप अपनी सर्विस को प्रोफेशनलिज्म के साथ पेश करने में कामयाब हो गये. इसी के साथ अगर आपका ब्रांड तैयार हो गया. तो फिर आपको सफलता ज़रूर मिलेगी.

कहानी से खूबसूरत कुछ भी नहीं होता है, अपनी सर्विस की कहानी लोगों की ज़बान पर चढ़ाने का काम करिए
कहानी सिर्फ और सिर्फ फिक्शन की ही नहीं होती है. किसी मैसेज को भी कहानी की तरह पेश किया जा सकता है. अपने ब्रांड के सर्विस की कहानी बनाकर लोगों के सामने पेश करने की कोशिश करिए. 

याद रखिएगा कि मैसेज में दम होना चाहिए. कहानी की एक ख़ास बात होती है. वो याद रह जाती है. 

इस तकनीक से लोगों के दिमाग में आपके ब्रांड का नाम छप सकता है. 

कहानी को दमदार बनाने के लिए आपके मैसेज में दम होना चाहिए. कोशिश करियेगा कि मैसेज में हर एंगल को कवर किया गया हो. 

मान लीजिये कि आपका रेस्टोरेंट है. तो फिर आपकी कहानी में प्रेम के साथ-साथ फ़ूड की बात भी होनी चाहिए. इस मैसेज को आप इमोशनल एंगल भी दे सकते हैं. इसी के साथ ही आप अपनी कहानी के माध्यम से कोई सामाजिक मैसेज भी दे सकते हैं. 

इससे लोगों के दिमाग में इम्पैक्ट पड़ेगा. 

आम तौर पर देखा गया है कि इस तरह के इम्पैक्ट को ग्राहक भूलते नहीं है. सर्विस को मार्केट करना बहुत कठिन है. लेकिन इनोवेशन की मदद से आप इस काम को बड़ी आसानी से भी कर सकते हैं. 

इस बात का ख्याल रखियेगा कि आपकी कहानी से लोगों को ये ना लगे कि आप बस कुछ बेचना चाहते हैं. उन्हें ये लगना चाहिए कि उन्हें इसकी ज़रूरत है. आपको बस उस ज़रूरत को याद दिलाना है.

आपको उन्हें एहसास दिलाना है कि वो कितनी अच्छी चीज़ मिस कर रहे हैं. उन्हें ये पता चलना चाहिए कि उन्हें आपकी सर्विस की ज़रूरत है.

कुल मिलाकर
सर्विसेस की मार्केटिंग करना बहुत मुश्किल है. लेकिन आज की इकॉनमी की ये ज़रूरत भी है. आपको पता होना चाहिए कि किसी भी सर्विस मार्केटिंग का दिल भी खुद सर्विस ही है. फोकस और पोजीशन इसके दो पहलू हैं. जिनकी मदद से आपका ब्रांड तैयार हो सकता है. 

इस किताब की समरी को सुनने के बाद आपको सर्विस सेक्टर से जुड़ी कई जानकारी मिल चुकी है. इसके साथ ही साथ आपको कई सवालों के जवाब भी मिल चुके हैं. 

जैसे कि सर्विस मार्केटिंग क्यों ज़रूरी है?, सर्विस सेक्टर के फायदे क्या हैं? आप अपने बिजनेस को आगे कैसे लेकर जा सकते हैं? ...

 

क्या करें?

अपने बिजनेस की सर्विस को ग्रेट बनाने के लिए मेहनत की शुरुआत कर दीजिये. आने वाला समय सर्विस सेक्टर का ही है. अमेरिका में ये दौर आ चुका है. 75 प्रतीशत से ज्यादा अमेरिकन्स सर्विस सेक्टर में काम करते हैं. सर्विस मार्केटिंग के लिए सर्विस क्वालिटी बहुत ज़रूरी है. इसलिए अपने बिजनेस की क्वालिटी के ऊपर काम करने की भी शुरुआत कर दीजिये. 

 

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