Mark Levy
अपनी सोच को एक सही ढंग से कागज़ पर उतारना सीखिए।
दो लफ़्ज़ों में
एक्सिडेंटल जीनियस (Accidental Genius) में हम देखेंगे कि किस तरह हम अपनी सोच को संभाल कर रख सकते हैं। इस किताब की मदद से आप अपने आइडिया को यादों के जंगल में खोने से बचा कर उसे हमेशा अपने साथ रखना सीख सकते हैं। रोज़ की जिन्दगी की समस्याओं को सुलझाने के लिए और अपनी सोच को विकसित करने के लिए यह एक उपयोगी किताब है।
यह किसके लिए है
- वे जो अपनी सोच को सही आकार देना सीखना चाहते हैं।
- वे जो एक सफल लेखक बनना चाहते हैं।
- वे जो अपनी लेखन कला को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
लेखक के बारे में
मार्क लेवी (Mark Levy) फ्लशिंग, क्वीन्स में पैदा हुए थे। उन्हें बचपन में जादू की किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। उन्होंने खुद के बहुत साड़ी ट्रिक्स बनाई हैं जो दुनिया भर के बहुत सारे चैनल्स पर दिखाई जा चुकी हैं। वे न्यूयार्क टाइम्स के बेस्ट सेलर रह चुके हैं। वे रुटयल्स यूनिवर्सिटी (Rutyers University) में लोगों को रीसर्च राइटिंग के बारे में पढ़ाते हैं। वे लेवी इनोवेशन के संस्थापक भी हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
अपनी सोच को एक सही ढंग से कागज़ पर उतारना सीखिए।
अक्सर ऐसा होता है कि हमारे अंदर बहुत सारे आइडियाज़ आते हैं लेकिन हम उन्हें दूसरों को समझा नहीं पाते हैं। कभी कभी ऐसा भी होता है कि हम अपने ही ख्यालों में कुछ इस तरह से उलझ जाते हैं कि हम खुद भूल जाते हैं कि हमने क्या सोचा था या हम क्या बोलने वाले थे।
फ्रीराइटिंग आपकी सभी समस्याओं का समाधान है। इसकी मदद से आप अपने सारे विचारों को एक जगह पर लिख कर उन्हें हमेशा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। लेकिन यह फ्रीराइटिंग क्या है और आप इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? इस किताब की मदद से आपको इन सवालों के जवाब मिलेंगे।
इस किताब की मदद से आप जानेंगे कि कैसे आप अपनी रोज़ की जिन्दगी में पैदा होने वाले विचारों को समेट कर रख सकते हैं और कैसे बाद में ये विचार आपको फायदा पहुंचा सकते हैं।
- किस तरह आप अपने आइडियाज़ को लम्बे समय तक अपने साथ रख सकते हैं।
- किस तरह आप लिखते वक्त अपने अंदर नए आइडियाज़ ला सकते हैं।
- किस तरह आप अपने लिखने के तरीके में सुधार कर सकते हैं।
फ्रीराइटिंग की मदद से आप अपनी सोच को सही ढंग से लिखना सीख सकते हैं।
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके अंदर कोई बहुत अच्छा आइडिया आया हो लेकिन जब आप उसे दूसरों को समझाने जाते हैं तो आपको शब्द ना मिलते हों? हम सभी के साथ ऐसा एक ना एक बार हुआ है जब हम अपनी बात को खुद अच्छे से समझते हैं पर दूसरों को नहीं समझा पाते।
इंसान का दिमाग ही एक ऐसा दिमाग है जो सही तरह से सोचना जानता है और अगर ऐसे में अगर आप कोई नई बात सोचते हैं तो ये आम बात ही है। हम सभी के अंदर बहुत सारे अच्छे और बुरे आइडियाज़ आते रहते हैं। हम सभी किसी एक समस्या के कई समाधान सोच सकते हैं। लेकिन जब इस सोच को एक सही ढाँचा दे कर अपने दिमाग से बाहर लाना होता है तो इसमें ज्यादातर लोग मात खाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है?
हमारा दिमाग आलसी होता है। यह हमारी सोच को सही ढंग से नहीं रखता बल्कि उन्हें आपस में ही उलझा देता है। इसे सुलझाने के लिए आप फ्रीराइटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
फ्रीराइटिंग एक ऐसा तरीका है जिसका इस्तेमाल हर कोई कर सकता है। ये सिर्फ लेखकों या बिजनेसमैन के लिए ही नहीं है बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो सोच सकता है। आप इसके इस्तेमाल से अपनी जिन्दगी के और साथ ही अपने काम के फैसलों को अच्छे से लेना सीख सकते हैं।
फ्रीराइटिंग एक ऐसा तरीका है जिसकी मदद से आप अपनी सोच को एक सही आकार देकर कागज पर लिख सकते हैं जिससे दूसरे आपकी बातों को अच्छे से समझ सकें। इसमें आप कुछ नियमों का इस्तेमाल कर अपनी सोच को लिखना सीखते हैं जिससे आपको बहुत फायदा मिल सकता है।
कुछ नियमों के इस्तेमाल से आप फ्रीराइटिंग आसानी से सीख सकते हैं।
फ्रीराइटिंग के कुछ नियम हैं, जिनका इस्तेमाल कर आप इसका फायदा पा सकते हैं।
- अपनी अपेक्षाओं को कम करें: आप एक साथ सब कुछ हासिल करने की कोशिश मत कीजिए। अगर आप कुछ लिखने बैठते हैं तो आप यहाँ वहाँ की चीजें मत लिखिए। आप सिर्फ वो लिखिए जो जरूरी है।
अगर आप ज्यादा लिखते हैं तो आप फिर से अपनी सोच को उलझा देंगे और ऐसे में फ्रीराइटिंग का कोई फायदा नहीं रह जाएगा। इसलिए आप आराम से बैठ जाइए और बिना ज़ोर लगाए अपने विचारों को आराम से लिखिए।
- जल्दी और लगातार लिखिए: तेज लिखने से आपका दिमाग भटकता नहीं है। दिमाग के काम करने की क्षमता हाथ के काम करने की क्षमता से ज्यादा है। इसलिए अगर आप धीरे लिखते हैं तो आपका दिमाग उस बीच कहीं और भटक सकता है और आप अपने आइडियाज़ भूल सकते हैं।
ऐसा हो सकता है कि जब आप तेज़ लिखें तो आपसे लिखने में कुछ ग्रामर या स्पेलिंग की गलतियाँ हो जाएं। आप फिलहाल इस पर ध्यान मत दीजिए। एक बार आपने अपनी सोच को लिख लिया तो आप अपनी बाकी की गलतियों पर ध्यान दे सकते हैं। आप सिर्फ लिखते जाइए।
- लिखने की एक समय सीमा तय कीजिए: हर काम के लिए एक डेडलाइन रखने से आपका दिमाग सिर्फ काम पर ही फोकस करता है। अगर आप अपने आप एक डेडलाइन तय कर देंगे तो इससे आपको लिखने में मदद मिलेगी।
फाइट क्लब के लेखक चक पलहन्यूक (Chuck Palahniuk) तभी तक लिखा करते थे जब तक उनके कपड़े वॅाशिंग मशीन में साफ हो रहे होते थे। जैसे ही उनके कपड़े साफ हो जाते वे लिखना बंद कर देते थे।
आप जैसा सोचते हैं वैसा ही लिखिए, अपनी सोच के साथ बहते रहिए और अपने ध्यान को एक सही रास्ता दीजिए।
फ्रीराइटिंग के और भी कुछ नियम हैं।
- अपनी सोच में बदलाव मत कीजिए: आप जब भी कुछ लिखने बैठें, आप सिर्फ अपने समझने के लिए लिखिए। आप इस तरह से लिखने कोशिश मत कीजिए जिससे आपका लिखा हुआ दूसरों को भी आसानी से समझ में आए। फिलहाल आप सिर्फ वो लिखते जाइए जो आपके दिमाग में आ रहा है। एक बार आपने अपनी सोच को लिख लिया तो आप वापस जा कर उसे अच्छा रूप दे सकते हैं।
अगर आप ग्रामर के बारे में या दूसरी बातों के बारे में सोचेंगे तो आप अपनी सोचने की कला को मार देंगे। इससे आपका दिमाग दूसरी ओर भटक सकता है।
अपनी सोच के साथ बहते रहिए: आप जैसे जैसे सोच रहे हैं वैसे वैसे ही लिखते जाइए। अगर बीच में लिखते वक्त आपको लगता है कि आप ऊपर लिखी गयी बातों को और अच्छे ढंग से लिख सकते हैं तो आप ऊपर जा कर सुधार मत कीजिए। आपके अंदर जो भी खयाल आएँ आप बन उन्हें लिखते जाइए।
एक बार आपने रास्ता तय कर लिया तो आप बस चलते रहिए। आप पीछे मुड़कर सुधार करने की कोशिश मत कीजिए बल्कि आपके अंदर जो भी आए बस उसे उसी धुन में लिखते चले जाइए। इससे आप अपने अंदर के सारे आइडियाज़ को बाहर निकाल सकते हैं और बाद में उन सभी को अपनी जरूरत के हिसाब से समेट सकते हैं।
- अपने ध्यान को एक सही रास्ता दीजिए: लिखते वक्त अक्सर ऐसा होता है कि आप तय नहीं कर पाते कि आपको क्या करना है। ऐसे में आप अपने आप से कुछ सवाल कीजिए जो आपको इस समस्या से निकलने में मदद कर सकें। जैसे आप अपने आप से पूछिए कि आप क्या गलत कर रहे हैं। या फिर आप पूछिए कि आप कैसे इसे सुधार सकते हैं।
फ्रीराइटिंग से आप अपनी सोच को अपने साथ लम्बे समय तक रख सकते हैं।
हमारा दिमाग हर वक्त कुछ ना कुछ सोचता रहता है। ऐसे में आपके अंदर बहुत सारी बातें आती रहती हैं जिनमें से कुछ आपकी ज़िन्दगी बदलने की ताकत रखती हैं। लेकिन यादों के इस समंदर में आपके काम की बात अगर खो जाए तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है।
इसलिए आप अपने आइडियाज़ को लिख कर रखिए। अगर आप लिखेंगे तो आप अपने आइडियाज़ को लम्बे समय तक अपने साथ रख पाएंगे। लिखने से आप अपने आइडियाज़ का रिकार्ड रख पाएंगे।
मान लीजिए आपको सामान लेना है। अगर आप अपने सामान की लिस्ट बना लेंगे तो आप कोई सामान नहीं भूलेंगे।
फ्रीराइटिंग से पहले आप कुछ प्रॅाम्प्ट लिखिए। प्रॅाम्प्ट छोटी छोटी लाइनें होती हैं जो आपकी सोच को एक दिशा दे सकती हैं। एक प्रॅाम्प्ट आपको रास्ता दिखाने में मदद कर सकती है। इसकी मदद से आप अपने आइडियाज़ की एक आउटलाइन तैयार कर सकते हैं और फिर उसकी मदद से एक सही दिशा में अपने आप को लेकर जा सकते हैं।
मान लीजिए आप एक कहानी लिख रहे हैं। कहानी की शुरुआत आप कुछ इस तरह से कर सकते हैं - "ये बात उस समय की है जब..." या फिर आप इसकी शुरुआत ये लिख कर कर सकते हैं - "मुझे अब भी वो दिन याद है जब... "। इस तरह की दूसरी लाइने आपको आपकी कहानी की शुरुआत करने में मदद कर सकती हैं।
प्रॅाम्प्ट लिखने से आपके अंदर कुछ नए आइडियाज़ आ सकते हैं। यह आपके लिखने में आपकी काफी हद तक मदद कर सकता है।
पुराने आइडियाज़ को छोड़कर आप नए और बेहतर आइडियाज़ के लिए जगह बना सकते हैं।
लिखते वक्त ज्यादा सोचने से आप अपने विचारों को उलझा सकते हैं। ऐसे में आपकी लिखी गयी बातों को समझ पाना मुश्किल हो सकता है। अपने आइडियाज़ को आसान से आसान शब्दों में लिखने के लिए आप ज्यादा मत सोचिए। ज्यादा सोचना हमेशा ही नुकसानदायक होता है।
आप समस्या की जड़ तक पहुँचने की कोशिश कीजिए। इसके लिए आप फैक्ट का सहारा ले सकते हैं।
मान लीजिए आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं जिसकी सेल्स में गिरावट आई है। आपने जब इसकी वजह जानने की कोशिश की तो आपको पता लगा कि प्रोडक्ट की क्वालिटी खराब है। क्वालिटी के खराब होने की वजह थी कि कर्मचारी अपना काम सही से नहीं कर रहे थे और उनके सही से काम ना करने की वजह थी कि उन्हें अच्छी सैलेरी नहीं मिल रही थी। इस तरह से एक फैक्ट आपके अंदर बहुत सारे विचार पैदा कर सकता है और आप समस्या की जड़ तक पहुँच सकते हैं।
समस्या से निकलने का दूसरा तरीका है कि आप पुराने आइडियाज़ को छोड़ दीजिए। अगर आपके पास हर बार कोई समस्या आ रही है तो इसका मतलब है कि आपके सोचने और काम करने का तरीका गलत है। आप पुराने आइडियाज़ को छोड़कर खुद से ये सवाल कीजिए कि उनमें कहाँ पर खराबी थी।
ऐसा करने से आप अपनी कमियों को जान सकेंगे। आपको पता लगेगा कि असल समस्या कहाँ है और उससे निपटने के लिए आप क्या कर सकते हैं। जब आप अपने अंदर नए आइडियाज़ लाने की कोशिश करेंगे तो आपके पास बहुत सारे आइडियाज़ हो जाएंगे और आप तब आसानी से चुन सकते हैं कि कौन सा आइडिया आपके लिए सही है।
आप तुरंत ही एक पर्फेक्ट आइडिया बनाने की कोशिश मत कीजिए। आप सबसे पहले समस्या को पहचानिए और फिर उससे निपटने के जितने हो सके उतने नए आइडियाज़ ले कर आइए। फिर आप उन आइडियाज़ में से सबसे अच्छे आईडिया को ढूंढिए। इससे आप अपनी परेशानी से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।
फ्रीराइटिंग में खुद से झूठ बोलना गलत बात नहीं है।
खुद से झूठ बोलने का मतलब है अपने आप को असलीयत से कहीं दूर किसी सपने की दुनिया में ले जाना। इस तरह से सोचने पर आपके अंदर नए नए आइडियाज़ आ सकते हैं। अगर आप लिखते वक्त सिर्फ असल दुनिया में रहेंगे तो आप अपने अंदर की सोचने की क्षमता को कभी बाहर नहीं ला सकेंगे।
ख्यालों की दुनिया में आप कुछ भी सोच सकते हैं जिससे आप हर कैद से आजाद हो जाते हैं और अपने आप को कुछ भी सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
अपनी सोच को बढ़ावा देने का दूसरा तरीका है कि आप सोचिए कि कोई आपके बगल में बैठ कर आपसे सवाल कर रहा है। वो आपको आइडियाज़ दे रहा है और आपके अंदर सुधार करने की कोशिश कर रहा है। उसकी सोच आपकी सोच से अलग और बेहतर है।
अगर आप ऐसा सोचेंगे तो आप अपने आप को उसके जैसा बनाने की कोशिश करेंगे। आप जब भी उससे बात करेंगे तो आप अपने आप को ऊपर उठा कर अपनी सोच को उसके लेवल में लाकर बात करने की कोशिश करेंगे जिससे आपके सोचने की क्षमता बढ़ जाएगी।
लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि आप उस सोच वाले व्यक्ति को पूरी तरह से पर्फेक्ट ना बना दें। आप यह मत सोचिए कि महात्मा गांधी या एपीजे अब्दुल कलाम आपके बगल में बैठ कर आपको मशवरा दे रहे हैं। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप अनजाने में ही अपनी कमियों को उनसे छुपाने की कोशिश करेंगे जिसकी वजह से आप कभी ऊपर नहीं उठ पाएंगे।
आपके खयालों का व्यक्ति आपके दोस्त जैसा होना चाहिए जिससे आप खुलकर सारी बातें कर सकें।
अपने लिखे गए आइडियाज़ को बाँटिए और लिखने के लिए खुद को ज्यादा समय दीजिए।
अगर आप अपने आइडियाज़ को अपने तक ही रखेंगे तो आपको कभी पता नहीं चलेगा कि क्या आपके आइडियाज़ वाकई अच्छे हैं या नहीं। आप दूसरे लोगों को अपनी लिखी हुई चीजें दिखाइए और उनसे पूछिए कि उन्हें ये कैसा लगा। इससे आप अपने विचारों के साथ साथ दूसरे के विचारों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ ही अपनी कमियों को समझ सकते हैं।
जब हम किसी चीज से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं तो हम उसकी बुराइयों को नहीं देख पाते हैं। इसलिए अगर आप अपने आइडियाज़ में खराबियाँ ढूँढ कर उन्हें और बेहतर बनाना चाहते हैं तो आप अपने किसी दोस्त को वे आइडियाज़ दिखाइए और उनसे सलाह लीजिए कि आपको क्या करना चाहिए जिससे आपका काम और अच्छा हो सके।
इसके अलावा आप रोज की जिन्दगी से भी काफी सारे आइडियाज़ पा सकते हैं। अगर आप अपने आस पास देखें तो आपको बहुत सारे ऐसी घटनाएँ मिलेंगी जिनसे प्रेरित हो कर आप अपने काम में सुधार कर सकते हैं।
आप अपनी आँखों को हमेशा कुछ ढूंढते रहने के काम पर लगाइए। आप अलग अलग लोगों से मिलकर उनके बारे में जानने की कोशिश कीजिए। अगर आपको कोई कहानी पसंद आती है तो आप उसे अपने आइडिया के साथ जोड़ने की कोशिश कीजिए।
अगर आप अपने आइडिय को अच्छे से नहीं लिख पा रहे हैं तो आप अपने आप को ज्यादा समय दीजिए। इस समय में आप ज्यादा सोच सकते हैं। आप किसी दूसरी किताब में अपने काम की कोई चीज़ ढूंढ भी सकते हैं।
आप इस लम्बे समय को कई भागों में बांटिए। आप कुछ समय तक लिखिए और फिर अपने लिखे हुए को पढ़िए जिससे आपको अपनी गलतियाँ मिल सकें और आप उसमें कुछ जरूरी बदलाव कर सकें। इसके बाद फिर से आप फिर से लिखिए और फिर उसमें सुधार कीजिए। धीरे धीरे आप अपने काम के पूरा कर लेंगे।
आप अपनी लिखी गई चीज़ों को संभाल कर रखिए।
आप जो भी लिखें, उसे कहीं न कहीं संभालकर जरूर रखिये। अपने आइडिया को कभी भी खोने मत दीजिए। ऐसा करने पर जब आप बाद में उसे पढ़ेंगे तो आप उन आइडियाज़ में छुपी हुई खराबी को पहचान कर उन्हें एक नया रुख दे सकते हैं।
अगर आप अपने सारे आइडियाज़ को संभाल कर रखें तो आप उन में से बहुत सारी काम की चीज़ों को निकाल कर कुछ नया और बेहतर बना सकते हैं। आपके आइडियाज़ किसी न किस मोड़ पर आपके काम जरूर आएंगे। उनका इस्तेमाल कर आप भविष्य में आने वाली परेशानियों से निपट सकते हैं या फिर भविष्य में उन आइडियाज़ पर फिर से काम शुरू कर सकते हैं।
इसलिए आप सभी की एक फाइल बना कर उन्हें अलग अलग भागों में बाँट कर अपने कंप्यूटर में सेव कर लीजिए। इनका इस्तेमाल आप प्रॅाम्प्ट की तरह कर सकते हैं।
लिखने से पहले आप टॅापिक के बारे में मत सोचिए। आपके अंदर जो भी बातें आती हैं आप बस उसे लिखते जाइए। बाद में आप अपने इन आइडियाज़ का इस्तेमाल कर के किसी खास टॅापिक पर कुछ लिख सकते हैं।
इसके साथ ही आप अपने कंप्यूटर में सभी आइडियाज़ को सेव करते रहिए। आप अपने ऊपर ज्यादा भार मत लीजिए। अपने सारे आइडियाज़ को एक साथ जोड़कर कुछ नया बनाने की कोशिश कीजिए। उसे बार बार पढ़िए और बार बार उसमें सुधार कीजिए।
इस तरह से रोज़ थोड़ा थोड़ा लिख कर आप अपनी सोच को एक नया और अच्छा आकार दे सकते हैं। शायद एक दिन आप एक किताब भी लिख दें।
कुल मिला कर
आपका दिमाग यादों और विचारों का समुद्र है। इस समुद्र में बहुत सारे विचार होते हैं जिन्हें संभाल कर रख पाना आसान काम नहीं है। आप अपने दिमाग में आए अच्छे विचारों को फ्रीराइटिंग की मदद से समेट कर रख सकते हैं और साथ ही उन्हें बार बार पढ़कर उनमें काफी हद तक सुधार भी कर सकते हैं।
अपने लिखने की प्रक्रिया में बदलाव करने की कोशिश कीजिए।
एक बार आपने फ्रीराइटिंग कर ली तो आप अपने लिखी हुई चीजों को पढ़िए। आप उसमें कुछ बदलाव कीजिए। अगर जरूरत हो तो आप फिर से एक नई शुरुआत कीजिए। देखते ही देखते आप अपने आप को एक नए रास्ते पर खड़ा पाएंगे।
