A Curious Mind

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A Curious Mind

Brian Grazer and Charles Fishman
ज़िन्दगी को बड़े पैमाने पर जीने का रहस्य

दो लफ़्ज़ों में
2015 में लिखी 'ए क्यूरियस माइंड' नाम की ये किताब जीवन में जिज्ञासा के महत्व को दर्शाती है। अक्सर लोग जिज्ञासा की अहमियत को नहीं समझ पाते हैं, जिसके कारण उनके ज्ञान और सफलता का मार्ग रुक सा जाता है। लेखक के अनुसार जीवन में सदा जिज्ञासा को बनाए रखना चाहिए क्योंकि इससे आपके बिज़नेस और ऑफिस में तो सफलता हासिल होती ही है साथ ही साथ आपके रिश्तों में भी मिठास आ जाती है।

ये किताब किसके लिए है?
- वो सभी लोग जो अपने पारिवारिक रिश्तों को और मजबूती देना चाहते हैं।
- बिज़नेस के ऊँचें पदों पर बैठे लीडर्स जो अपने कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध बना कर रखना चाहते हैं।
- हर वो व्यक्ति जिसे फिल्म या मानसिक तंदुरुस्ती के क्षेत्र में दिलचस्पी है।

लेखक के बारे में
ब्रायन ग्रेज़र (Brian Grazer) 90 के दशक के कुछ जाने माने हॉलीवुड निर्देशकों की सूची में शुमार रहे हैं, उनकी बनायीं फिल्मों में से अपोलो 13 और द ब्यूटीफुल माइंड को 2002 के अकादमी अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के अवार्ड से नवाजा गया था।
वहीँ दूसरी ओर लेखक और बिज़नेस पत्रकार चार्ल्स फिशमेन बिज़नेस की दुनिया के कुछ श्रेष्ठ लेखकों में से एक हैं, उनकी लिखी बेहतरीन किताबें हैं द वालमार्ट इफ़ेक्ट (The Walmart Effect) और द बिग थ्रस्ट (The Big Thirst)।

ये किताब आपको क्यों पढ़ना चाहिए?
अगर अपने कभी किसी छोटे बच्चे के साथ कुछ समय बिताया होगा तो आप इस तथ्य से भलीभांति अवगत होंगे कि बच्चे कितने सवाल पूछते हैं। उन्हें दुनिया की हर चीज़ में एक सवाल नज़र आता है। उनके इसी जिज्ञासु स्वाभाव के कारण वो दुनिया की बड़ी से बड़ी बातों को भी आसानी से सीख लेते हैं। लेकिन जैसे जैसे हम बड़े होते हैं उसके साथ साथ हम अपनी जिज्ञासा को ख़त्म करते जाते हैं और अपने आस पास की हर चीज़ को वैसे ही अपना लेते हैं जैसी वो है, जिसके कारण हमारा ज्ञान और विकास रुक जाता है। इसलिए लेखक ने अपनी इस किताब की मदद से हमारे ज्ञान और मानसिक विकास में जिज्ञासा का महत्त्व दर्शाते हुए कहा है कि बिना जिज्ञासा के जीवन में ठहराव सा आ जाता है और जीवन रसहीन हो जाता है।

 

- क्यूँ वालमार्ट के मालिक ने अपने प्रतिद्वंदी का आईडिया अपनाया।

- कैसे हमारे समाज के विकास में जिज्ञासा का बहुत बड़ा हाथ है।

- कैसे एक दुसरे के प्रति जिज्ञासा हमारे मुरझाये हुए रिश्तों में नयी जान डाल देती है।

 

ज्ञान पाने का सबसे सरल और सीधा तरीका है जिज्ञासा
अक्सर आपने सुना होगा कि ज्ञान में शक्ति है जो की हमें हमारी सफलता तक पहुँचने का मार्ग बताती है। लेकिन, आपने कभी ये सोचा है कि आखिर ज्ञान पाने का सबसे सरल और सीधा तरीका कौनसा है, वो तरीका है जिज्ञासा का जब इंसान जिज्ञासु होकर काम करता है तो उसके लिए ज्ञान अर्जित करना आसान हो जाता है। 

एक जिज्ञासु व्यक्ति आसानी से अपने आस पास के बदलावों को स्वीकार लेता है क्यूंकि उसके सवालिया स्वभाव के कारण अपने सवालों के जबाब ढूंढते हुए वो इतना अनुभवी हो जाता है कि कई बार तो वो आने वाले बदलावों का अनुमान पहले से ही लगा लेता है और उनके अनुसार अपनी योजना निर्धारित कर बड़ी ही आसानी से हर बदलाव का सामना करता है। वहीँ दूसरी तरफ आपकी जिज्ञासा कई बार आपको इतनी बातें सिखा जाती हैं कि आपके पास अपनी समस्यायों से लड़ने के लिए बहुत से विकल्प होते हैं।

लेखक ने वालमार्ट जैसी बड़ी होलसेल कंपनी के मालिक का उदहारण देते हुए बताया है कि कैसे उनकी जिज्ञासा ने उनकी कंपनी की तरक्की में चार चाँद लगा दिए। वालमार्ट के मालिक हर हफ्ते अपने टॉप 500 मैनेजर्स की मीटिंग लेकर उनसे ये जानते थे की उनके कॉम्पिटिटर अपने स्टोर में क्या अलग कर रहे हैं, ताकि उनकी योजनाओं से उन्हें भी कोई नयी दिशा मिल सके।

इस तरह से इनफार्मेशन और आइडिया को जमा कर के रखना बहुत ही फायेदेमंद हो सकता है क्यूंकि भले ही ये सारी बातें आपको तुरंत फायेदा न पहुंचाए पर कभी किसी मुसीबत में अचानक ही इनमें से कोई बात आपको अनदेखा फायेदा पहुंचा सकती है। ऐसे समय में ही हमें जिज्ञासा का असली महत्त्व पता चलता है।  

ऐसे ही रास्तों का लेखक भी अपने जीवन में कई बार इस्तेमाल करते थे। अक्सर लेखक किसी जाने माने व्यक्ति का इंटरव्यू लेते थे और अपनी जिज्ञासा अनुसार प्रश्न उस से पूछते थे जैसे की लेखक ने एक बार डरिल गेट्स (Daryl Gates) नाम के एल।ऐ।पी।डी। के चीफ का इंटरव्यू लिया। हालांकि उस समय लेखक को उस इंटरव्यू के दौरान हुई वार्तालाप का महत्त्व नहीं समझ लेकिन बाद में डायरेक्टर एडगर हुवर (Edgar Hoover) के साथ एफबीआई फिल्म पर काम करते हुए उन्हें डैरील के साथ हुए अपने इंटरव्यू की याद आ गयी और उस से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने फिल्म के पात्रों का चयन किया।

 

जिज्ञासा की मदद से आप अपने मन के सभी डर और भय को निकाल सकते हैं।
जब किसी चीज़ को जानने की अत्यंत गहरी जिज्ञासा आपके मन में जाग जाए तो आप किसी भी अड़चन या डर की परवाह किये बिना ही उस जिज्ञासा को शांत करने में जुट जाते हैं। अपने डर पर विजय पाते हुए व्यक्ति तब तक अपने सवालों का जवाब ढूंढता रहता है जब तक की उसे सही और सच्चे उत्तर न मिल जाएँ।

इस किताब के लेखकों में से एक ब्रायन ग्रेजर ने भी अपनी जिज्ञासा के दम पर हर प्रकार की अस्वीकृति को पार करते हुए आखिरकार सफलता को प्राप्त किया। हुआ यूँ कि जब वो अपनी फिल्म स्प्लैश का आईडिया लेकर डायरेक्टरों के पास गए तो एक जलपरी और मानव के प्रेम पर आधारित इस फिल्म को कोई नहीं बनाना चाहता था। लेकिन इस ना से निराश होकर इस प्रोजेक्ट को छोड़ने की बजाये लेखक आगे बढ़ते गए और सबको अलग अलग ढंग से तब तक मानते रहे जब तक कि उनकी फिल्म के लिए उन्हें हाँ नहीं मिली। उन्हें ये सब करने की प्रेरणा और शक्ति उनके मन की जिज्ञासा से मिली जो कि  देखना चाहती थी कि ये फिल्म कैसी बनती है। जब लेखक की फिल्म रिलीज़ हुई तो दर्शकों ने उसे खूब सराहा और वो हिट फिल्मों की सूची में शुमार हो गयी।

इसी तरह लेखक के जीवन की इस घटना से प्रेरणा लेते हुए आप भी अपनी जिज्ञासा की मदद से अपने मन के सभी डरों पर जीत हासिल कर सकते हैं।

लेखक ब्रायन ग्रेज़र कहते हैं कि चूँकि वो एक जाने माने फिल्म प्रोडूसर थे तो अक्सर उन्हें स्पीच और इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता था लेकिन उन्हें पब्लिक के सामने बोलने में बहुत डर लगता था। एक दिन उन्हें जिज्ञासा हुई कि आखिर उनके इस डर का कारण क्या है तब उन्हें पता चला की उन्हें स्पीच के लिए अच्छी तैयारी न होने का डर लगता है। उसके बाद लेखक ने खुद से सवाल जबाब करते हुए अपने स्पीच और इंटरव्यू की तयारी शुरू की और फिर उन्हें कभी डर नहीं लगा।

 

जिज्ञासा आपको जीवन के बड़े से बड़े तथ्य को जानने में आपकी मदद करती है और ये तथ्य आपकी जिज्ञासा को और बढ़ाते हैं।
ज़िन्दगी एक कहानी की तरह है और ये सच सिर्फ किसी लेखक या फिल्म डायरेक्टर के लिए नहीं बल्कि सबके लिए है। चाहे अपने दोस्तों से की गयी गपशप हो या अपने किसी प्रोडक्ट को बेचते हुए किसी ग्राहक से किया गया वार्तालाप। जीवन में ऐसे ही कई मौकों पर हम अपनी बातों को किसी कहानी की तरह पेश करते हैं।

जब बात कहानी सुनाने की आती है तो इस समय आपकी जिज्ञासा आपकी सोच से भी ज्यादा आपकी मदद कर सकती है। अपनी जिज्ञासा की मदद से आप अपनी कल्पनाओं को उड़ान देते हुए एक प्रेरक और रोचक कहानी बना सकते हैं।

जिज्ञासा आपको नयी नयी जानकारियां और तथ्य जुटाने के लिए प्रेरित करती है, और इन तथ्यों की मदद से आप कुछ ऐसी कहानियां बना सकते हैं जो कि आपके दर्शकों को लुभा सके। तो अपनी जिज्ञासा की मदद से दर्शकों की जिज्ञासा को जगाते हुए आप अपने काम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। 

ऐसा ही लेखक ब्रायन के साथ भी हुआ इंटेलिजेंस एजेंसीज के बारे में जानने की अपनी जिज्ञासा के कारण उन्होंने कई सीआईए डायरेक्टर्स और अलग अलग देशों के इंटेलिजेंस ऑफिसर्स का इंटरव्यू लिया उनकी बातों से मिली जानकारी के दम पर उन्होंने 24 नाम का एक बड़ा ही रोचक टी।वी। सीरियल बनाया। उनकी जिज्ञासा ने इस सीरियल को ऐसा रूप दिया कि ये दर्शकों के बीचबहुत चर्चित हो गया और एक हिट सीरियल बन गया। उस सीरियल भारतीय रूपांतर भी बनाया गया था जिसमें अनिल कपूर मुख्य भूमिका थे।

दर्शकों को बांधे रखने के लिए सबसे ज़रूरी है ये जानना कि उन्हें क्या नहीं पता और क्या बात आपके प्रोजेक्ट में उनकी दिलचस्पी को बढ़ा सकती है। जैसे कि अगर किसी किताब का शीर्षक बड़ा रोचक होगा तो अवश्य ही सबका मन उसे पढने का करेगा, या फिर अगर किसी सीरियल का एपिसोड किसी रोमांचक मोड़ पर आकर ख़तम हुआ है तो अगला एपिसोड देखने के लिए इंतज़ार करना मुश्किल हो जाता है। यह बात तो बिज़नेस के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि जब तक आपके प्रोडक्ट्स में ग्राहकों की रूचि नहीं बनेगी तब तक वो उसके बारे में जानने की कोशिश नहीं करेंगे। 

इसलिए लेखन हो या बिज़नेस या फिर जिंदगी का कोई भी क्षेत्र जिज्ञासा हर जगह महत्त्व रखती है।

 

बिज़नेस क्षेत्र में अपने सहकर्मियों और ग्राहकों से जुड़ने में भी जिज्ञासा आपकी मदद करती है।
जब भी हम एक सफल बिज़नेस की कुंजी की बात करते हैं तो शायद जिज्ञासा जैसा कोई शब्द किसी के दिमाग में नहीं आता, लेकिन असल में ये एक महत्वपूर्ण रोल अदा करती है, आईये देखें कैसे।

ऐसा इसलिए क्यूंकि जब आपके मन में इस बात की जिज्ञासा होगी की आखिर सामने वाला व्यक्ति क्या सोच रखता है उसकी क्या जरूरतें है, तो आप उस से आसानी से जुड़ सकते हैं और उनके मन की बात को समझ कर आप उस से अच्छे संबंध बना सकते हैं।

लेखक ग्रेज़र की रणनीति में भी ये शामिल था वो अपने सभी एम्प्लाइज को किसी बॉस की तरह आर्डर देने की बजाये उनसे अपने काम के बारे में सवाल करते और उन्हें भी सवाल पूछने के लिए प्रेरित करते। इस आपसी सवाल जवाब से लेखक को अपने काम के अच्छे और बुरे पहलुओं का पता चलता था और उन्हें अपने काम में सुधार करने का मौका मिल जाता था।

लेखक कहते हैं कि ऐसे आपसी ताल मेल और जिज्ञासा से भरे वार्तालाप का होना बड़े बड़े अविष्कारों की जननी है। जिज्ञासा के कारण ही मानव जाती का विकास संभव हो पाया है। जिज्ञासा जीवन के हर क्षेत्र में महत्त्व रखती है अब अपने ग्राहकों को अपना प्रोडक्ट बेचने की बात ही ले लीजिए, जब तक आप ये नहीं जान लेते कि आपके ग्राहक को क्या चाहिए तब तक आप एक अच्छे सेल्समैन नहीं बन सकते।

अपनी पसंद का प्रोडक्ट और ब्रांड ग्राहक के ऊपर थोपने से अच्छा है पहले आप उनकी जरूरतों को अच्छी तरह से समझ लें उसके बाद ही उन्हें सलाह दें। एक जिज्ञासु सेल्समैन अपने ग्राहकों को अच्छे से समझ लेते हैं और इसलिए वो दूसरों के मुकाबले ज्यादा प्रोडक्ट्स बेचने में सफल होते है।

 

अपने रिश्तों में नया निखार लाने में भी जिज्ञासा आपकी मदद कर सकती है।
हमने देखा कि कैसे जिज्ञासा हमें दुनिया के बारे में नयी नयी बातें सीखने का मौका देती है जो हमारे ज्ञान और अनुभवों को बढ़ाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी जिज्ञासा की मदद से हम केवल दुनिया के बारे में ही नहीं बल्कि अपने चाहने वालों के बारे में भी बहुत सी ऐसी बातें जान सकते हैं जो कि उनके साथ हमारे रिश्ते को और मजबूती प्रदान करती है।

अक्सर रोज़ की व्यस्त दिनचर्या में बंधकर रिश्ते भी बेजान और एकसार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए आपको अपने रिश्तों के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा और अपने करीबी लोगों की भावनाओं के प्रति जिज्ञासु बनकर रहना होगा। लेखक कहते है कि रोज़ किसी से एक जैसा सवाल पूछकर फिर वहीँ पुराना जबाब पाकर निराश होने से अच्छा है कि आप उस दिन का कोई विशेष सवाल सवाल पूछें जैसे की आपकी आज की मीटिंग कैसी हुई? ऐसे विशेष सवाल इस बात को दर्शाते हैं कि आप उनकी चिंता करते हैं और आपको याद था की आज उनकी मीटिंग थी, ये छोटी छोटी बातें अक्सर रिश्तों में बड़े बड़े बदलाव ला देती है।

जब कहीं किसी बार या डिस्को में दो नौजवान टकराते हैं तो एक दुसरे को जानने की जिज्ञासा ही उनके बीच वार्तालाप का कारण बनती है और उसी से उनका रिश्ता आगे बढ़ता है।

इसलिए अपने आपसी रिश्तों में हमेशा जिज्ञासा बनाये रखें, ताकि आपको उनके जीवन की हर छोटी बड़ी बात का पता हो कि वो क्या कहते है क्या महसूस करते है। ऐसा करने से आपके रिश्तों में एक नयी जान आ जाएगी और आपका रिश्ता एक अटूट बंधन की तरह बंध जाएगा।

 

लोकतंत्र के सुचारू रूप से चलने के लिए लोगों का जिज्ञासु होना बहुत जरुरी है।
जिज्ञासु होना केवल आपकी ज़िन्दगी या आपके बिज़नेस के लिए ही फायेदेमंद नहीं है बल्कि किसी लोकतंत्र के विकास के लिए भी ये बहुत ज़रूरी है। क्या आपको याद है कि अपने आखिरी बार वोट कब डाला था? और जब डाला भी था तो पहले उम्मीदवार की कोई जांच पड़ताल की थी? क्या आपको अपने फैसले पर विश्वास था? क्यूंकि ये सारे सवाल लोकतंत्र के लिए बहुत अहम् है।

यदि हम अपनी सरकार और सामाजिक संस्थाओं के प्रति जागरूक और जिज्ञासु नहीं रहेंगे तो हम उनसे अच्छा काम करने की आशा नहीं कर सकते। इलेक्शन का मतलब मात्र वोट डाल कर किसी भी एक पार्टी को जिताना ही नहीं बल्कि ये एक अवसर है अपनी जिज्ञासा को माध्यम से समाज कल्याण की ओर एक ठोस कदम उठाने का। पहले हर उम्मीदवार की जांच करें उसने क्या काम किया कैसा काम किया फिर वोट करें अगर समाज में हर व्यक्ति इतने ही जिज्ञासु तरीके से वोट डाले तो यक़ीनन लोकतंत्र का विकास संभव है।

यक़ीनन ऐसी जिज्ञासा को शांत करना इतना आसान नहीं है इसमें बहुत मेहनत और समय लगता है पर आप समाचार पत्र और टी।वी। जैसी चीज़ों की मदद से पत्रकारों के द्वारा एकत्रित जानकारियों को सुन कर काफी हद तक अपनी जिज्ञासा को शांत कर सकते हैं और देश में चल रहे विकास के बारे में जान सकते हैं।

इतिहास गवाह रहा है कि कैसे अपनी जिज्ञासा के दम पर महानायकों नें समाज की प्रगति में अपनी भागीदारी दी है। जैसे कि यूरोप को ही ले लीजिये यहाँ चर्च ने अपना शासन लागु किया हुआ था और किसी को भी चर्च के द्वारा सिखाये गए सबकों पर सवाल उठाने का या उस से अलग कुछ सोचने का हक़ नहीं था, लेकिन आइज़ेक न्यूटन और लियोनार्डो जैसे वैज्ञानिकों ने अपने आप से कठिन सवाल पूछने का साहस जुटाया और उन सवालों के जवाब ने समाज को एक नया रूप दिया। इसी तरह आज भी दुनिया के कई देशों में लोगों को स्थापित प्रणाली से हटकर सोचना मना है जैसे की चाइना को ले लें यहाँ सरकार पर सवाल उठाना सख्त मना है।

 

कभी कभी अपनी जिज्ञासा पर रोक लगाना भी जरुरी है।
जिज्ञासा और उस से होने वाले फायदों को तो आपने देख लिया लेकिन कभी कभी जरुरत से ज्यादा जिज्ञासा भी खतरनाक हो सकती है। जरुरत से ज़्यादा जिज्ञासा ज्ञान और इनफार्मेशन का ऐसा असीमित भंडार आपके सामने लाकर खड़ा कर सकती है जिससे आप अपने पथ से विचलित हो सकते हैं। हो सकता है कि जिज्ञासावश आपको कोई ऐसी जानकारी मिल जाए जो कि आपको अपने मूल उद्देश्य के ही खिलाफ कर दे तो इसलिए ऐसी सूरत में जरुरी है की आप अपनी जिज्ञासा पर काबू पाएं, तो आईये इस अंतिम सबक में देखते है कि कैसे हम अपने जीवन में जिज्ञासा को निर्धारित कर उसे असीमित होने से रोक सकते है।

कभी कभी खुद पर भरोसा रख दूसरों की सोच को नज़रंदाज़ करते हुए काम करने की जरुरत होती है। ऐसी सूरत में जिज्ञासा आपके मार्ग में अड़चन बन सकती है जैसे की लेखक ब्रायन ने कई ऐसी फिल्में बनाई जो आम कमर्शियल फिल्मों से थोड़ी हटकर थीं। कई लोगों के रोकने के बावजूद भी उन्होंने फ्रॉस्ट, निक्सन और रश जैसी फिल्में बनाईं, हालांकि इन फिल्मों ने उतना ज्यादा व्यापार नहीं किया लेकिन लोगों ने इन फिल्मों को सराहा और क्रिटिक ने भी इनकी काफी तारीफ की। जिसके कारण ये पाँच अकादमी अवार्ड्स के लिए नॉमिनेट हुई। इसलिए कब आपको लोगों का विचार जानने की जरुरत है और कब आपको अपने मन की सुननी है ये तय कर पाना थोडा मुश्किल है। लेकिन अगर आप अपने काम में अनुभवी हैं और आपको खुद पर विश्वास है तो अपनी जिज्ञासा को रोक दें और समाज और लोगों की परवाह किये बिना अपने लक्ष्य की ओर अपना कदम आगे बढायें।

 

कुल मिला कर
जिज्ञासा वो ताकत है जो कि हमें निरंतर ज्ञान अर्जित के लिए प्रेरित करती है। जिंदगी का चाहे कोई भी क्षेत्र क्यूँ न हो। चाहे बिज़नेस, पारिवारिक रिश्ते या फिर समाज, इन सबके विकास के लिए जिज्ञासा बहुत ही महत्वपुर्ण है। एक अच्छे और सार्थक जीवन के लिए जिज्ञासा का होना जरुरी है क्यूंकि ये ही हमें रोज़ मर्रा की एकसार जिंदगी में गुम होकर रह जाने से बचाती है और ज़िन्दगी को एक तरोराज़ा मोड़ देने में हमारी मदद करती है।

 

सवाल पूछने से न डरें। जब भी आप किसी अनजान व्यक्ति से मिलते हैं और उस से प्रभवित होकर दोस्ती बढ़ाना चाहते हैं तो ऐसे में उस से उसके जीवन के बारे में सवाल पूछने से न डरें। ये सवाल इस बात के गवाह होंगे की आपको उसमें दिलचस्पी है  और आप उसके बारे में जानना चाहते हैं। इससे आपको उसके करीब आने में मदद मिलेगी और हो सकता है की उसके साथ एक नया रिश्ता जुड़ जाए।

 


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