B.J Miller and Shoshana Berger
मौत के सच को स्वीकार करते हुए जिंदगी को खुलकर जीने की सलाह
दो लफ्जों में
दुख, बीमारी और मृत्यु कुछ ऐसे शब्द हैं जिनके बारे में बात करना तो दूर कोई इनको सुनना और बोलना भी नहीं चाहता। हालांकि ये हम सबके जीवन की सच्चाई है। साल 2019 में आई ये किताब जिंदगी की इसी सच्चाई को स्वीकार करना सिखाती है। लेखक बी जे मिलर और शोशना बर्जर लोगों की जिंदगियों से कुछ उदाहरण सामने रखकर आपको राह दिखाते हैं। एक बार इसे समझ लेने के बाद आपके लिए जिंदगी आसान हो जाती है भले ही आपका आखिरी वक्त ही नजदीक क्यों न हो। ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
• ऐसा कोई भी इंसान जो अपने अंत की तरफ बढ़ रहा हो
• ऐसे लोग जिनका कोई अपना जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर हो
• केयरगिवर का काम करने वाले लोग
• जो लोग किसी अपने के जाने के दुख से जूझ रहे हों
लेखकों के बारे में
बी जे मिलर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और पैलिएटिव मेडिसिन पढ़ाते और प्रेक्टिस करते हैं। उनके बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स मैग्जीन में लिखा जा चुका है। वे जाने माने टिम फेरिस शो और ऑन बीइंग विद क्रिस्टा टिपेट में भी आ चुके हैं। शोशना बर्जर एक ग्लोबल डिजाइन फर्म, IDEO की एडिटोरियल डायरेक्टर हैं। इससे पहले वे रेडीमेड मैग्जीन की एडिटर इन चीफ रह चुकी हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स, पॉपुलर साइंस और मैरी क्लेयर के लिए लिखा है।किसी लाइलाज बीमारी का पता चलना तकलीफदायक होता है और खुद को शांत करने में वक्त लगता है।
मृत्यु कहने को तो छोटा सा शब्द है पर हम सब इसके बारे में सोचने से बचते हैं। इसका नाम सुनकर खून जम जाता है। लगभग हर कल्चर में पॉजिटिविटी पर जोर देते हुए ऐसी बातें करना अशुभ समझा जाता है। इस वजह से मृत्यु नाम का शब्द हमारे दिल और दिमाग के किसी अंधेरे कोने में दबकर रह जाता है। शायद यही वजह है कि इसका सामना करना बहुत मुश्किल है। पर क्या ये नहीं हो सकता कि हम किसी तरह इसके डर को कम कर पाएं। ये भी सच है कि हम इसकी तकलीफ को पूरी तरह दूर नहीं कर सकते पर खुद को इतना मजबूत तो बना सकते हैं कि इस सच से दूर न भागें और समय आने पर इसे स्वीकार कर पाएं। अगर आपको आज से ही ये बात पता होगी कि कल क्या होने वाला है तो मृत्यु की तरफ बढ़ते हुए कदम आपको इतना परेशान नहीं करेंगे। अगर आपको कोई जानलेवा या लाइलाज बीमारी हो जाए तो आपको क्या करना चाहिए? आपके पार्टनर के साथ आपका रिश्ता कैसे बदलेगा? फियर और डिनायल क्या करते हैं? इस तरह के बहुत से सवालों के जवाब आपको ये किताब देती है। इसे पढ़ने के बाद आप किसी अपने को खोने के दुख का सामना बेहतर तरीके से करना सीख पाएंगे। इस समरी में आप जानेंगे कि अपनी चीजें बांटकर जाना उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जिन्हें आप अपने पीछे छोड़ जाते हैं। मृत्यु के डर के बारे में बौद्ध शिक्षक पेमा चोड्रोन क्या कहते हैं? और जीवन के आखिरी पायदान पर भी प्यार का साथ क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अगर आपको ऐसी कोई ऐसी खबर मिले तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। शायद यही वजह है कि इनका जिक्र करते हुए खुद ब खुद मुंह से "मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई" और "मुझ पर कहर टूट पड़ा" जैसे शब्द निकल आते हैं। कुछ देर पहले तक आप हँस खेल रहे होते हैं और अगले ही पल सब बदल जाता है। आपको सबसे पहले तो खुद को नॉर्मल करना है। पहले चौबीस घंटों में अपने पैरों को वापस जमीन पर मजबूती से टिका लें। इसमें कुछ चीजें आपकी मदद कर सकती हैं। उन जगहों पर जाएं जहां आप खुशी, सुकून और सुरक्षा महसूस करते हैं। जैसे किसी थिएटर या सिनेमा जाकर किसी मजेदार नाटक या फिल्म में डूब जाना या अपनी मनपसंद वेब सीरीज देखने लगना। हो सकता है आपका कोई पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट या पार्क हो। वहां जाकर प्रकृति की गोद में बैठ जाइए। इसके बाद उन लोगों से बात करें जो आपके दिल के सबसे नजदीक हैं। जैसे आपके हर अच्छे बुरे वक्त में साथ निभाने वाला परिवार और दोस्त। अपने दिल का बोझ बांटना जरूरी है। इसके लिए जो कुछ भी अच्छा लगता है उसे करने से न झिझकें। भले ही वो ढेर सारी बीयर पीना या आइस्क्रीम खाना ही क्यों न हो। बेहतर यही रहेगा कि इस वक्त आप इंटरनेट पर अपनी बीमारी के बारे में सर्च न करें। आपको ढेर सारी ऊटपटांग बातें पढ़ने को मिल सकती हैं जो आपका दिमाग खराब कर देंगी। थोड़ा समय बीत जाए तो धीरे-धीरे जरूर जानकारियां ढूंढते रहिए पर एकदम से नहीं। अब आती हैं वो बातें जो आपको बिल्कुल नहीं करनी हैं।
अगर सिगरेट या शराब जैसी कोई लत हो तो उसे एकदम से नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि ये आपके लिए अभी तक स्ट्रेस रिलीवर की तरह काम करते रहे हैं। आने वाले कल में तो इनसे दूरी बनानी ही है। पर अभी के लिए इसे एक शॉक एब्जार्बर की तरह अपने साथ रखें। किसी चीज में जल्दबाजी न करें। डॉक्टर के रूम से बाहर निकलते ही पार्टनर से अलग होने का या सारी बचत खत्म करने का फैसला न लें। अपनी बीमारी के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट न करें। खुद को थोड़ा स्पेस और समय दें। किसी भी नए, घरेलू या सुने सुनाए ट्रीटमेंट के लिए जल्दबाजी में हामी न भरें। इसके लिए ठंडे दिमाग से सोच समझकर आगे बढ़ना चाहिए जो कि इस वक्त करने की हालत में आप नहीं होंगे। इस वक्त का सामना करना किसी के लिए आसान नहीं होगा लेकिन ये छोटे-छोटे उपाय आपको टूटकर बिखरने से रोक देंगे। सबसे अच्छा होगा कि आप खुद को शांत रखने की कोशिश करें और चीजों को ज्यादा न उलझने दें।
अगर आप अपने जीवन के अंत की तरफ बढ़ रहे हैं तो अपनी चीजें बांटना शुरू कर दीजिए।
अपनी आखिरी यात्रा पर कोई भी एक जोड़ी कपड़ों से ज्यादा कुछ नहीं ले जाता। हां मिस्र के राजघरानों की बात और थी। इसलिए आखिरी सीढ़ियां चढ़ते हुए अपनी चीजों को सही तरीके से निपटाते जाना अच्छा रहेगा। हालांकि ये भी कोई आसान काम नहीं है। लेकिन ये शायद आपके जीवन का इकलौता ऐसा वक्त हो सकता है जब आप अपनी हर चीज पर गौर करेंगे और उसके महत्व को याद करेंगे। आप कोई डिप्लोमा या सर्टिफिकेट देखकर खुद पर गर्व करेंगे। कोई मजेदार निशानी मिलने पर फैमिली ट्रिप को याद करेंगे। ये क्लीयर आउट आपके अपनों के लिए भी वरदान से कम नहीं होगा। आपके जाने के बाद का कुछ वक्त वो शोक मनाने में बिता सकेंगे बजाए आपकी अल्मारी को साफ करने की जल्दबाजी के। अमेरिकन रब्बी सिडनी मिंट्ज का कहना है कि किसी की मृत्यु होने पर उन परिवारों के लिए हालात का सामना करना थोड़ा आसान हो जाता है जहां जाने वाले अपनी चीजें समेटकर गुजर गया। आपके सामान को छांटना सबके लिए मुश्किल होगा पर अगर आप पहले ही तैयारी कर दें तो इसमें बहुत सारा समय, पैसा और तकलीफ बच सकते हैं।
कुछ तरीके हैं जिनसे आप इस काम को आसान बना सकते हैं। आपके पास ढेरों चीजें होंगी।
किसी विरासत से लेकर वो सब जो आपके दिल से जुड़ी हैं। आपका परिवार इनको अपने पास रखना चाहेगा। आपको इन चीजों को समझदारी से बांटना होगा। किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए पहले ही तय कर लें कि आप कौन सी चीज किसे देंगे और क्यों। जब आप ये तय कर लें तो हर चीज के पीछे उस इंसान के नाम का लेबल लगा दें। किसे कौन सी चीज दी जाए इसका एक और तरीका है "राउंड-रॉबिन" से काम करना। अपने प्रियजनों को बुलाकर उनके सामने चीजें रख दें और सबसे एक-एक चुनने को कह दें। इस तरह का कदम आपकी तरफ से विदाई का तोहफा हो सकता है। आगे हम उन बातों को जाहिर करने का जिक्र करेंगे जो अभी तक आपने अपने मन में दबा कर रखी हैं।
जाने से पहले अपने सारे राज खोल देना समझदारी भरा कदम साबित हो सकता है।
दुनिया आपको किस तरह से याद रखेगी ये बात मायने रखती है। इसलिए कोई मनमुटाव, नफरत, गुस्सा या अपना कोई राज हो तो उसे दूर कर देना ही अच्छा होगा। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए वो सब कुछ कह देना चाहिए जो आपके मन में दबा रह गया है। अगर आपके बच्चे हैं तो उनसे बहुत प्यार और आराम से बात करें। एक बच्चे के लिए ये बात बहुत मायने रखती है कि उसके माता-पिता को उस पर गर्व है और वो उससे प्यार करते हैं। असल में "आई लव यू" ऐसी बात है जिसे लोग सबसे ज्यादा सुनना चाहते हैं। ये बात डॉक्टर इरा बायॉक ने अपनी पुस्तक द फोर थिंग्स दैट मैटर मोस्ट में लिखी है। एक बच्चे को ये बताना कि माता-पिता उसे प्यार करते हैं उसके लिए किसी रिवॉर्ड से कम नहीं होता और ये एहसास उसे जिंदगी के हर मोड़ पर ताकत देता है। जिन लोगों को प्यार की कमी महसूस होती है वे चिंता और तरह-तरह की मानसिक परेशानियों का शिकार हो सकते हैं। जिंदगी के इस मोड़ पर सुलह करना भी महत्वपूर्ण है। भले ही आपके जाने के बाद आपके सारे दर्द खत्म हो जाएं पर जिंदा रहने वालों के लिए ये हमेशा रहेंगे। सामने वाले से ज्यादा बड़ी-बड़ी बातें न करके बस "आई एम सॉरी" और "मुझे माफ कर दीजिए" जैसी आसान बातें बोल दें। भले ही वो आपको माफ न कर पाएं पर कोशिश करना जरूरी है। अगर कोई राज हो तो उससे पर्दा हटा दें। क्योंकि ये आपके न रहने पर सामने आए तो इनको समझाने वाला भी कोई नहीं होगा। अपनी पुरानी डायरी, डेस्क, मोबाइल या कंप्यूटर की फाइलों में ऐसा कुछ भी न छोड़ें जो आपके अपनों के मन में सवालों की झड़ी लगा दे। अगर अतीत का कोई ऐसा पन्ना है तो या तो समय रहते उसे जाहिर कर दें या किसी भरोसेमंद इंसान की मदद से उससे छुटकारा पा लें ताकि वो छिपा ही रहे। हालांकि कोई बहुत बड़ा राज हो तो उसे बता देना ठीक रहता है। जैसे आपने दूसरी शादी की है या और भी बच्चे हैं। आजकल डीएनए टेस्ट, शादी के रिकॉर्ड और कई तरह की ऑनलाइन सर्विस की मदद से इनका पता लगाना बहुत आसान हो गया है। ऐसी ही एक घटना देखिए। एक आदमी ने शादी की जिसमें उसे एक बेटा हुआ। उसका कहीं और भी रिश्ता था जिससे एक और बेटा पैदा हुआ। इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। उस आदमी की मृत्यु के बाद एक बेटे ने अपने सौतेले भाई को ढूंढा और वो इस दुख की घड़ी में बहुत नजदीक आ गए। बजाए गुस्सा होने के उन्हें इस बात का दुख हुआ कि वे अपने पिता के जीवित रहते ही एक दूसरे के साथ क्यों नहीं रह पाए। इससे पहले कि देर हो जाए हमें समय रहते सच बोलने की हिम्मत जुटा लेनी चाहिए क्योंकि सच्चाई अक्सर देर सवेर सामने आ ही जाती है और आपकी गैर मौजूदगी में आपके अपनों के लिए इसका सामना करना या सफाई देना मुश्किल हो सकता है।
अपने पीछे कुछ ऐसा छोड़कर जाएं जिससे लोग आपको याद रखें।
आपके जाने के बाद लोग आपको कैसे याद करेंगे? आप अपने मन की कौन सी बात अपने प्रियजनों को बताकर जाना चाहेंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो मौत की कागार पर खड़े ज्यादातर लोग खुद से पूछते हैं। उदाहरण के लिए जब उत्तरी अमेरिका की एलियांज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने सीनियर सिटीजन्स का सर्वे किया तो इनमें से बस 10 परसेंट ने कहा कि अपनी जायदाद का वारिस बनाना ज्यादा जरूरी है। 77 परसेंट ने "वेल्यूज और जिंदगी का सबक" देना ज्यादा जरूरी बताया। इसलिए ये देख लें कि आप भी धन-दौलत की जगह मॉरल वेल्यू वाली चीजों को पीछे छोड़कर जाने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। जैसे आपकी कविताएं, रेसिपी बुक, फोटो या फिर पेंटिंग। लाइब्रेरियन जेन का उदाहरण देखिए। जब जेन के परिवार वाले उनकी चीजें छांट रहे रहे थे तो उन्हें जेन की बनाई एक लिस्ट मिली जिसमें उनके पसंदीदा नॉवेल्स का नाम था। उनके परिवार ने इस लिस्ट को करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच बांट दिया। सबने एक-एक नॉवेल पढ़ने का चुनाव किया ताकि उनके मन में जेन की यादें ताजा रहें।
अगर आपने कभी डायरी नहीं लिखी है तो अपने बारे में कुछ लिखना शुरू करें। आपको ये ख्याल आ सकता है कि "मेरे जैसे मामूली से इंसान की कहानी कौन सुनना चाहेगा?" चलिए कोई बात नहीं। पर जरा सोचिए कि किसी दिन आपके हाथ आपके दादा या परदादा की डायरी लग जाती तो कैसा रहता? इसे पढ़ना बड़ा दिलचस्प होता है ना? आप कई दशकों पहले की उनकी जिंदगी और विचारों के बारे में पढ़ सकते थे। आप उनको और अच्छी तरह जान और समझ सकते थे। आप उनकी बिताई जिंदगी का अंदाजा लगा सकते थे। आपके साथ भी तो यही है। कोई तो होगा जो आपके बारे में जानना चाहेगा। आज न सही पर आने वाले कल में। आप इस रिकॉर्ड को कुछ सवालों के साथ शुरू कर सकते हैं। जैसे बड़े होने पर आपका कमरा कैसा था? आपको सबसे ज्यादा कौन पसंद था, आप सबसे ज्यादा खुश कहां रहते थे? इसके अलावा आप एक चिट्ठी छोड़ सकते हैं जिसे आपके प्रियजन भविष्य में पढ़ें। इस तरह शायद आप अपने बच्चों को किसी परेशानी में राह दिखाने के लिए सलाह दे सकते हैं। ये चिट्ठी सही हाथों में पहुंचे इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि इसे किसी नजदीकी दोस्त या रिश्तेदार के पास छोड़ दिया जाए जो इसे आपके जाने के बाद सही समय पर सही इंसान को दे देगा। जैसे किसी खास मौके या जन्मदिन पर।
मौत से डरना या उसको नकार देना बिल्कुल स्वाभाविक बाते हैं।
जैसे-जैसे हम मृत्यु के नजदीक आते हैं उससे डरना या उसे नकार देने जैसी भावनाएं हम पर हावी हो सकती हैं। हालांकि हमें ये याद रखना चाहिए कि ये दोनों ही बहुत आम तरह के रिस्पांस हैं। मृत्यु अपने साथ जो डर लाती है वो किसी भी दूसरे डर से अलग होता है। ये कोई फोबिया नहीं है जो बाहरी वजहों से हो सकता है जैसे कि सांप या अंधेरे का डर जो ऐसी सिचुएशन से दूर चले जाने पर खत्म हो जाए। ये डर इस बात से आता है कि अब जल्दी ही हम इस दुनिया में नहीं रहेंगे। बौद्ध शिक्षक पेमा चोड्रोन कहते हैं, "डर, सच्चाई के करीब आने की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।" लेकिन हकीकत में मरने का डर आखिर है क्या? मरना तो अक्सर ही एक शांति से होने वाली घटना होती है जो इसे देखने वालों के लिए मरने वाले इंसान की तुलना में बहुत मुश्किल होती है।
मरने की घटना के बजाय शायद ये अपनी जगह खो देने का डर है क्योंकि आप ये जान जाते हैं कि इस दुनिया में आपका समय खत्म होने को है। ये आपके पास अभी जिंदगी बाकी रहते हुए भी इसे खुलकर न जी पाने का डर है। लेकिन इसी वजह से ये डर हमें कमर कसके खुद को तैयार करने और जितना वक्त बच गया है उस पर ध्यान देने में मदद कर सकता है। मौत से पूरी तरह इनकार ही कर देना एक और नेचुरल रिस्पांस है। सच कहें तो ये हमारे लिए मददगार साबित हो सकता है। हमारी मृत्यु के कड़वे सच के खिलाफ एक बफर या कुशन हो सकता है। क्योंकि अगर हमें हर समय इसी सच के बीच रहना पड़े तो हमारे लिए जीना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। लांस का उदाहरण लीजिए। वो किसी कंपनी के प्रेसीडेंट थे। उनको जब तक अपने ब्रेन ट्यूमर का पता चला तब तक वो चौथी स्टेज पर पहुंच चुके थे। पर अपनी उम्मीद छोड़ देने या कहीं अकेले में मौत का इंतजार करने की जगह उन्होंने इस बात पर ध्यान देना ही बंद कर दिया। उन्होंने काम करना और अपने परिवार की देखभाल करना पहले की तरह जारी रखा। अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनके लिए सामान्य होकर जीना नामुमकिन हो जाता।
उसकी पत्नी नैन्सी इस बारे में जानती थी और उसने भी लांस के इस बर्ताव को सही समझा। असल में ये मौत से इनकार नहीं बल्कि जीने की चाहत थी। इसने लांस को इतना मजबूत किया जितना वो बीमारी से हारकर कभी नहीं बन पाते। डरना और नकार देना ऐसे रिस्पांस हैं जिनकी जड़ें गहरी हैं। इनको समझने से ये कम तो नहीं हो जाएंगे पर बचा हुआ वक्त काटना आसान जरूर बन जाएगा।
मौत का सामना करते हुए अपने रिश्तों को संभाले रखना बहुत जरूरी है।
जब आप बीमार पड़ जाते हैं तो आपका अपने पार्टनर से रिश्ता बिल्कुल बदल जाता है। अपनी जिम्मेदारियों, सपनों और पैशन के साथ कल तक आपने जो जिंदगी जी है आज वो वैसी नहीं रहती है। आप अब पार्टनर की जगह एक मरीज बन जाते हैं और सामने वाला आपका केयर टेकर। इस बदलाव की वजह से आपके रिश्ते पर आंच आ सकती है। आपका रिश्ता इम्तिहान से गुजर सकता है। सबसे पहले ये याद रखिए कि इस रिश्ते की शुरुआत हुई कैसे। चिंता और दुख के समंदर में डूबते जाने की जगह ये याद करें कि आपको पहली नजर में एक दूसरे में क्या अच्छा लगा। एक दूसरे को सुनाए गए पुराने चुटकुलों को याद करें। उन जगहों को याद करें जहां आप एक साथ घूमने गए और अच्छा वक्त बिताया। पसंदीदा भोजन, किताबें और वो सब कुछ जो आप दोनों को जोड़ता था। लेकिन अब कुछ नई यादें बनाने का भी वक्त है। देर रात तक कोई फिल्म या टीवी देखना, किताबें पढ़कर अपने पार्टनर को सुनाना या आइस्क्रीम खाने बाहर जाना। ऐसा जो भी कर सकें वो करें।
अगर आपकी कंडीशन इनमें से किसी चीज की इजाजत नहीं देती है तो दवाई के साथ शैरी का एक घूंट या फिर हर बार दवाई के साथ एक किस तो किया ही जा सकता है। मुश्किलों से दूर न भागें। लाइलाज बीमारी के तनाव से गुजरना आप दोनों के लिए बहुत तकलीफदायक हो सकता है। कभी-कभी आप में से एक या दोनों को ही गुस्सा, चिड़चिड़ापन या नाराजगी हो सकती है। लेकिन इनको नजरअंदाज न करें। इंसानों में ये भावनाएं कोई नई या हैरानी की बात नहीं हैं। कभी-कभी लड़ना या गुस्सा जाहिर कर देना भी सही है। लेकिन ये दिखावा करना कि सब कुछ ठीक है सबसे गलत कदम होगा। ऐसा करके आप सामने वाले का प्यार और भरोसा खो सकते हैं। जितनी इंसानी भावनाएं हैं उनका एहसास बने रहने दीजिए। आखिर यही सब तो आपको जोड़े रखता है। फिजिकल रिलेशन जारी रखना मुश्किल हो सकता है। चाहे इसकी वजह आपकी बीमारी हो या फिर दिमागी तनाव। लेकिन ये नामुमकिन नहीं है। सेक्स को प्यार का इकलौता जरिया मानना भी गलत है। गले लगना, एक-दूसरे के बगल में लेटना या एक-दूसरे के बालों से खेलना ये सब तरीके आपके रिश्ते को वही गर्माहट दे सकते हैं। मुद्दा बस ये है कि इस नई और दुखदाई सच्चाई को स्वीकार कर लिया जाए। इसे बस एक बीमारी का नाम न रहने दें। खुद को बस एक बीमार इंसान के तौर पर देखना बंद कर दें। जिंदगी में आपके हाथ में अभी बहुत कुछ है।
किसी अपने की मृत्यु के बाद खुद पर बहुत ज्यादा दबाव न डालें।
आखिरकार आपके किसी अपने का अंत समय आ जाता है तो आपके दिल को तसल्ली देने के लिए कोई कुछ नहीं कह या कर सकता। कल तक तो वो यहीं थे और अब कहीं नहीं हैं। अब क्या किया जा सकता है? इस समय आपको अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए। इस चोट से उबरने के लिए खुद को समय दें। अगर आप मरने वाले के अंतिम समय में उनके साथ थे तो कुछ कागजी कार्यवाही करनी होगी। जैसे अगर मृत्यु घर पर हुई तो आपको उनको मृत घोषित करने के लिए डॉक्टर को बुलाना होगा उसके बाद अंतिम संस्कार की तैयारी करनी होगी। इसी तरह अस्पताल में मृत्यु होने पर आपको कई तरह के बिलिंग और पेपर वर्क पूरे करने होते हैं। लेकिन सबसे जरूरी बात ये है कि आपके लिए ये इस दुख को खुद से गुजार देने का समय है।
अंतिम संस्कार करना कोई जल्दबाजी नहीं है खासतौर से तब जब जाने वाले का शरीर ठीक रहा हो और उनको किसी तरह की फैलने वाली बीमारी न रही हो। कुछ लोगों को इससे शोक की घड़ी का सामना करने और अलविदा कहने में मदद मिलती है। अगर आपकी संस्कृति इस बात की इजाजत देती हो तो ये कदम उठाया जा सकता है। लेखकों ने एक ऐसे आदमी से बात की जो अंतिम संस्कार के काम देखता था। उसने बताया कि ज्यादातर लोगों के लिए किसी अपने के चले जाने के बाद कुछ देर तक उसके साथ बिताया गया समय उनकी सबसे अच्छी यादों में से एक है। वो एक महिला को याद करते हैं जिसके पति को मरे हुए दो दिन हो गए थे। अंतिम विदाई के लिए परिवार ने उसे नहलाया, उसके सबसे अच्छे कपड़े पहनाए और उसके बालों में कंघी की थी। इस तरह उन्होंने उसे पूरी तरह से अलविदा कह दिया और उसकी अंतिम यात्रा के लिए खुद को तैयार किया।
इस बड़े हादसे के बाद अपने ऊपर कोई दबाव न डालें। आपने अभी-अभी किसी ऐसे इंसान को खो दिया है जिसे आप प्यार करते थे। जिसे आप अभी भी प्यार करते हैं। ये दुनिया पूरी तरह से अजनबी और घुटन भरी जगह लगेगी। इसलिए बस वही करें जो आपको सबसे ज्यादा राहत पहुंचाए। इसका मतलब ये भी हो सकता है कि बस अपने दुख के आगे हारकर घर के किसी कोने में छिप जाएं। ये भी हो सकता है कि बाहर टहलने से मदद मिले। शरीर चलता-फिरता रहे तो अच्छा महसूस होता है। ये भी हो सकता है कि ढेर सारी चॉकलेट ब्राउनी या आइसक्रीम खाना आपको राहत दे। किसी के साथ एक गिलास ड्रिंक लें या अपने लिए कोई ऐसी चीज खरीद लें जो आप कब से खरीदना चाहते थे। जो भी करके आपको अच्छा लगता है वो करें। अपने आप से बहुत ज्यादा उम्मीद न करें। बस इस झटके से वैसे निपटें जैसे आपको सही लगे। अभी आपको और भी बहुत कुछ करना है।
दुख सहना कोई पसंद नहीं करता पर कभी-कभी ये जरूरी हो जाता है।
इस गहरी चोट के बाद दुख और तकलीफ का एक लंबा दौर चलता है। आपके लिए इसका सामना करना भले ही बहुत मुश्किल हो पर इसका मुकाबला करने का दूसरा कोई रास्ता नहीं है। एक लहर की तरह इसे उतार चढ़ाव की तरह गुजरने दीजिए। न तो इसे हराने की कोशिश करिए और न ही इससे भागने की। किसी अपने का चले जाना हमेशा के लिए एक खाली जगह छोड़ जाता है पर पहले 6 महीने सबसे ज्यादा मुश्किल होते हैं। धीरे-धीरे आपको इसकी आदत पड़ने लगेगी। असल में इस दौरान आप सच को स्वीकार कर लेते हैं। दुख होना तो स्वाभाविक है। इससे छुटकारा पाने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये जाने वाले के लिए आपका प्यार जताने का ही एक तरीका है। आपने एक जाना पहचाना चेहरा खो दिया, उसकी आवाज और उसका स्पर्श खो दिया।
अधिकतर लोगों के लिए इस दुख में से गुजरना जरूरी बन जाता है। मिलर अपनी बहन की मृत्यु पर खुलकर रो नहीं पाए। शायद वो जल्द से जल्द इस दुख से निजात पाना चाहते थे। बाद में उन्हें इस बात का बहुत अफसोस हुआ कि उन्होंने उसके नजदीक आने का आखिरी मौका ही खो दिया। दरअसल इस दुखी होने या शोक मनाने में एक तरह की तसल्ली छिपी रहती है। खुल कर रो लिया जाए तो दिल का बोझ हल्का हो जाता है। इस समय को आराम से बीतने दें। अपनी पुरानी लाइफ में लौटने की जल्दबाजी न करें। अगर हो सके तो थोड़ा ब्रेक लें। हालांकि मेडिकल और मेटरनिटी लीव की तरह ऐसे माहौल में लंबी छुट्टी का प्रोविजन शायद ही कहीं सुनने को मिले पर आपको कुछ दिन का ऑफ तो मिल ही सकता है।
आपको अपनी सेहत पर ध्यान देना भी जरूरी है।खानपान समय पर जारी रखिए। किसी दोस्त के घर जाकर खा लीजिए या उनको कहिए कि वो खाना बनाकर आपके यहां ले आएं और दोनों साथ बैठकर खा लें। अगर आपके बच्चे हैं तो कम से कम एक या दो दिन के लिए उनको किसी दोस्त या रिश्तेदार के यहां भेज दीजिए। इससे आपको पूरी तरह से आराम करने का मौका मिलेगा। अपने दुख को जाहिर करना आपकी कमजोरी नहीं है। ये आपके उसी प्यार का एक रूप है जो आप अपनों से करते हैं।
कुल मिलाकर
दुनिया का कोई कोना मौत से अछूता नहीं है। हालांकि सबके लिए इसका दर्द अलग-अलग हो सकता है। कुछ ऐसे कदम हैं जिनकी मदद से आप अपनी बची हुई जिंदगी को भरपूर जी सकते हैं। अपने मन की बातें अपनों से कह दें। अधूरे काम निपटा लें। अपनी चीजें जिनमें और जैसे बांटनी हो उसका फैसला कर लें। अपनी जिंदगी के इस कड़वे सच का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लें। अपने रिश्तों में मिठास बनाए रखें। मृत्यु की दहलीज पर खड़े इंसान से ज्यादा तकलीफ उसके आसपास खड़े उसके अपनों को होती है। किसी के जाने पर दुख मनाने से पीछे न हटें। ये भी उनके लिए आपका प्यार ही है।
क्या करें
रोज खुद के दिए कुछ वक्त निकालें।
किसी ऐसी चीज पर ध्यान दें जो आपको अच्छी लगती है या खुशी देती है। भले ही दिन में कुछ ही पलों के लिए। ये कोई भी चीज हो सकती है जैसे किसी अपने से बात करना या मिलना, पसंदीदा नॉवेल पढ़ना, मनपसंद खाना, पार्क में घूमना या फिर या नंगे पैरों से गीली ओस पर चलना। ऐसा करके आप उन चीजों की तरफ झुकते हैं जो आपके जीवन में वास्तव में मायने रखती हैं और आपको खुशी देती हैं न कि आपको दुख पहुंचाने वाली इधर-उधर की बातों में भटकते हैं।
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