Sparten Up...... ____😊___👆

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Spartan Up!

Joe de Sena
मुश्किलों से उभरने का और बेहतर काम करने की क्षमता को हासिल करने की एक बेजोड़ गाइड।

दो लफ्जों में 
स्पार्टन अप (Spartan Up!) में हम पुराने समय के एक शक्तिशाली साम्राज्य स्पार्टा के लोगों की जिन्दगी से प्रेरणा लेकर खुद को पहले से ज्यादा काबिल बनाने के तरीकों के बारे में जानेंगे। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम खुद पर प्रेशर डालकर और मुश्किल हालात का सामना कर के एक स्पार्टन बन सकते हैं।

यह किसके लिए है 
-वे जो मुश्किलों का सामना करना सीखना चाहते हैं।
-वे जो प्रेरणा भरी किताबें पढ़ना चाहते हैं।
-वे जो अपनी सेहत का खयाल रखने के तरीकों के बारे में जानना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
जोई डी सीना (Joe de Sena) स्पार्टन और डेथ रेस के फाउंडर और सीईओ हैं। इसके अलावा वे न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलिंग लेखक भी हैं जो अपनी किताब स्पार्टन अप, स्पार्टन फिट और द स्पार्टन वे के लिए जाने जाते हैं।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
अगर आप ज्यादा से ज्यादा लोगों से पूछिए कि उन्हें जिन्दगी में क्या चाहिए, तो वे कहेंगे कि उन्हें खुशी और आराम चाहिए। जहाँ तक सवाल खुशी का है, हम यह जानते ही नहीं हैं कि खुशी असल में किन चीज़ों से मिलती है और हम जिन्दगी भर बाहर की चीज़ों को पाने के पीछे भागते रहते हैं।

इसके अलावा जहां तक बात आराम की है, तो हमें एक बात समझ लेनी चाहिए कि जिन्दगी में आराम आपको तभी मिलेगा जब आप खुद को मजबूत बना लेंगे। खुद को मजबूत बनाने के लिए आपको अपने आराम को छोड़कर बाहर निकलना होगा। 

बिना अपने डर का सामना किए आप कभी उससे आजाद नहीं हो सकते और बिना अपने आराम को छोड़े आप कभी आराम नहीं पा सकते।

यह किताब आपको खुद को बेहतर बनाने के तरीके बताती है। यह किताब आपको बताती है कि एक स्पार्टन होने का मतलब क्या है और किस तरह से आप खुद को मजबूत बना कर एक अच्छी जिन्दगी पा सकते हैं।

 

-स्पार्टन होने का मतलब क्या होता है।

-आराम में जिन्दगी बिताना क्यों गलत है।

-कामयाब होने का सबसे आसान नियम क्या है।

आराम कर के या अनुशासन में ना रहकर आप कभी कामयाब नहीं हो सकते।
अगर आप हालिवुड की मूवी "300 : राइज़ आफ एक एंपायर" देखें तो आपको पता लगेगा कि पहले के वक्त में स्पार्टा के लोग किस तरह से अपने देश की रक्षा करने के लिए ट्रेनिंग लिया करते थे। वे खुद पर इतना ज्यादा प्रेशर डालते थे कि समय के साथ उन्हें हराना लगभग नामुमकिन सा लगने लगता था। ठीक उसी तरह से कामयाब होने के लिए आपको खुद को ट्रेन करना होगा।

आराम कर के कोई भी व्यक्ति आज तक कामयाब नहीं हुआ। जब हम आराम की जिन्दगी अपना लेते हैं तो हम खुद को चुनौती से दूर कर लेते हैं। हमें पहले से पता होता है कि हमारे साथ आगे क्या होने वाला है और अगर गेम में आपको पता हो कि आपके साथ क्या होने वाला है, तो उसे खेलने का मजा नहीं आता।

जब आप जिन्दगी में कुछ बड़े कदम उठाते हैं तो आपको यह पता नहीं लगता कि आपके साथ क्या होने वाला है। आपको कुछ नया मिलता है और आप उसमें कामयाब होने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा देते हैं। इस किताब के लेखक कुछ इसी तरह का गेम लोगों को खेलने के लिए बुलाते हैं।

उनके इस गेम का नाम है डेथ रेस। इस गेम को खेलने वाले लोगों से पहले ही कह दिया जाता है कि इसमें उनकी मौत हो सकती है। इसमें उन्हें बर्फ़ीली जगहों पर सिक्के इकट्ठा करने होते हैं या फिर कई मील तक भागना होता है। बहुत से ललोग इस गेम को खेलने के बाद अपनी जिन्दगी को बदला हुआ पाते हैं क्योंकि इस गेम की चुनौतियां उन्हें एक स्पार्टन बन देती हैं।

लेकिन आपको एक स्पार्टन बनने के लिए अपनी जान की बाजी लगाने की जरूरत नहीं है। आपको सिर्फ खुद को ज्यादा अनुशासन में रखने की जरूरत है और खुद को आराम के घोसले से बाहर निकालने की जरूरत है। 

वाल्टर मिशेल के मार्शमैलो एक्सपेरिमेंट में कुछ बच्चों की इच्छा शक्ति पर रीसर्च किया गया। बच्चों से कहा गया कि अगर वे सिर्फ 15 मिनट तक खुद को मार्शमैलो खाने से रोक सकें तो उन्हें दो मार्शमैलो दिए जाएंगे।  10 में से 7 बच्चे खुद को नहीं रोक पाए और जब ये सात बच्चे बड़े हुए तो ये उन 3 बच्चों के मुकाबल हर मामले में पीछे थे जिन्होंने उस दिन खुद को मार्शमैलो खाने से रोक लिया था।

जिन्दगी कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाती है और अगर आप ऐसे में सब्र नहीं रख पाएंगे तो आप कभी कामयाब नहीं होंगे। इसके लिए आपको खुद को अभी से ट्रेन करना होगा। परेशानियों का सामना कीजिए और एक स्पार्टन बनिए।

किसी काम को अच्छे से कर पाने के लिए प्लान करना जरूरी है।
अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आपको जाना कहाँ है और वहाँ तक पहुंचने का रास्ता क्या है। रास्ते खोजने को ही प्लान करना कहते हैं और बिना इसके आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सकते।

अगर आप ने कुछ करने का फैसला किया है तो उसके लिए काम करना अभी से शुरू कर दीजिए। अगर आपने सोचा है कि आप म्यूजिक सीखेंगे या मार्शल आर्ट्स सीखेंगे,  तो उसके लिए क्लास बुक कर लीजिए। इस तरह से आप उसे जरूर करेंगे। 

एक स्पार्टा की जिन्दगी में ईमानदारी का बहुत महत्व होता है और ईमानदारी शब्द का जन्म इज्जत से हुआ है। इज्जत कमाने के लिए आपको वो करना होगा जो आप ने कहा है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने उस कहे गए काम के लिए कुछ करना अभी से शुरू कर दें।

इसके अलावा आप अपनी तरक्की देखने के लिए अपने साथ एक हार-जीत का जर्नल भी रखिए। यह जर्नल यह देखने में आपकी मदद करता है कि आप कितनी बार कामयाब हो रहे हैं और कितनी बार नाकाम।  

अपने प्लान में एक बाहरी व्यक्ति को भी शामिल कीजिए। यह व्यक्ति आपके लिए एक प्रेरणा का काम करेगा और आपको आगे बढ़ने के लिए उकसाता रहेगा। यह व्यक्ति कोई भी हो सकता है, जैसे कि आपका कोई दोस्त या फिर आपके साथ काम करने वाला कोई व्यक्ति। लेखक को उनके प्रोफेसर ने यह बात जब बताई थी, तो उन्होंने एक साफ सफाई करने वाली महिला को अपने प्लान का एक हिस्सा बनाया था। लेखक के प्रोफेसर ने कहा कि वे हर उस व्यक्ति की इज्जत करना सीखें जो उनकी दुनिया को एक अच्छी जगह बना रहा है। लेखक को उस महिला का नाम आज भी याद है - साराह।

इसके अलावा अपने खान पान का अच्छा खयाल रखिए क्योंकि कामयाब होने के लिए जिन्दा रहना बहुत जरूरी है। अगर आप सेहतमंद नहीं रहेंगे, तो भी आप कामयाब तो हो जाएंगे, लेकिन उस कामयाबी का असली मजा नहीं ले पाएंगे। जिस खाने को पाने के लिए आप जिन्दगी भर मेहनत करते रहे, जरा सोचिए अगर आपके पास मुँह ही ना बचे तो उसका क्या फायदा!

लेखक के हिसाब से खाने के लिए सिर्फ कुछ जरूरी चीजें ही अपनी लिस्ट में रखना चाहिए। एक्ज़ाम्पल के लिए फल, सब्जियां और पानी। 

यह जरूरी नहीं है कि आपको हर वक्त यह सारे खाने मिलते रहें, इसलिए आप इसकी भी प्लानिंग पहले से कर के रखिए। आप एक रेस्टोरेंट को खोजिए जहाँ पर इस तरह के खाने मिलते हों और अपने फ्रिज को इस तरह के खाने से भरे रखिए।

एक स्पार्टा अपनी जिन्दगी के हर पहलू को प्लान कर के रखता है,  ताकि वे अपनी जिन्दगी के होने वाली ज्यादा से ज्यादा घटनाओं पर काबू रख सकें।

खराब खाना खा कर और कसरत ना कर कर आप कभी एक स्पार्टन नहीं बन सकते।
एक स्पार्टन की सबसे खास बात होती है कि वो अपनी सेहत का खयाल रखता है। वो उस काम को बिल्कुल नहीं करता जो उसके लिए सेहतमंद नहीं है। अगर आपको एक स्पार्टन की तरह मजबूत बनना है तो आपको अपनी सेहत का खास खयाल रखना होगा।

कसरत करने के बहुत से फायदे हैं। जब हम कसरत करते हैं तो हमारा दिमाग ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फैक्टर पैदा करता है। इससे आपके स्ट्रेस हार्मोन कम हो जाते हैं, आप तनाव में नहीं रहते और अपने दिमाग का इस्तेमाल अच्छे से कर पाते हैं।

जिस तरह से हम बड़े होते हैं, हम समाज के हिसाब से रहने लगते हैं। यह समाज हमें सिखाने लगता है कि रिस्क लेना अच्छी बात नहीं है और हमें हमेशा वही करना चाहिए जो कि आसान लग रहा है। इस तरह से हम खेलना कूदना छोड़ देते हैं और हमेशा वही काम करते रहते हैं जो हमें पहले से आता है। बच्चे बड़ों के मुकाबले हमेशा ज्यादा खुश रहते हैं, क्योंकि वे समाज के हिसाब से नहीं, अपने हिसाब से रहते हैं। वे नए काम सीखते हैं, खेलते हैं और अनजाने में ही वो काम करते रहते हैं जो उनके सेहत के लिये फायदेमंद है। 

इसके अलावा आज हमें पैकेट के सामान खाने की आदत पड़ गई है। पैकेट का खाना खाने में आसान होता है, लेकिन आसान चीजें एक स्पार्टन की दुश्मन हैं। इस तरह के खानों का स्वाद अच्छा होता है क्योंकि इसमें जरूरत से ज्यादा शुगर मिलाया जाता है। 

 शुगर के खतरे के बारे आपके ना जाने कितनी बार सुना होगा। आप पैकेट का जो कुछ भी खाते हैं , उसमें शुगर सिर्फ और सिर्फ स्वाद के लिए मिलाया जाता है। उसे खाने से आपके दिमाग में डोपामीन नाम का एक हार्मोन निकलता है जिससे आपको अच्छा महसूस होता है और आप उसे बार बार खाने लगते हैं। समय के साथ यह लत में बदल जाता है और फिर डायबिटीज में।

2000 से लेकर अब तक , अमेरिका में डायबिटीज के रोगियों की संख्या 9% से बढ़कर 23% तक आ गई है। हमारे शरीर को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि हम प्राकृतिक चीज़ों को खा कर उसमें से मिलने वाले न्युट्रिशन को सोख सकते हैं। लेकिन पैकेट में मिलाए जाने वाले फ्लेवर हमारे शरीर की जरूरतों को देखकर नहीं बनाए जाते, वे हमारी जीभ की जरूरतों को देखकर बनाए जाते हैं। हमारा शरीर उन्हें अच्छे से सोख नहीं पाता, और समय के साथ हम कमजोर होते जाते हैं।

कामयाब होने का सबसे आसान तरीका है कभी हार ना मानना।
कभी कभी हम किसी काम को करने से पहले उसके बारे में इतना ज्यादा सोचने लगते हैं कि हम वो काम करते ही नहीं हैं। जब हम चीज़ों को कुछ ज्यादा बारीकी से देखने की कोशिश करते हैं तो हमें उसमें छिपी सारी मुश्किलें दिखाई देने लगती हैं और हम उसके फायदों को देख ही नहीं पाते।

किसी काम को करने का सबसे आसान तरीका है - उस काम को सोचे बिना करना। लेखक को जब दो दिन तक बिना सोए एक मैराथान दौड़ना था, तो उन्होंने सोचा नहीं, वे सिर्फ कूद गए। 

इसके अलावा अगर आप हार भी जाते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी जिन्दगी में फुलस्टाप लग गया। जब तक आप हार मानते नहीं, तब तक आपकी हार कभी नहीं होगी। जब आप एक ही काम को बार बार करने लगते हैं तो आपके दिमाग में उस काम को लेकर एक पैटर्न बनने लगता है जिससे अगली बार करने पर वो काम आपको आसान लगने लगता है। इस तरह से बार बार करने पर उस काम में आपको कामयाबी मिलती है।

केएफसी के फाउंडर कर्नल सैंडर्स जब घर घर अपने चिकन की रेसीपी लेकर उनसे आर्डर माँगने के लिए निकले थे, उन्हें उनका पहला आर्डर मिलने से पहले 1008 लोगों ने मना किया था। जे के रोलिंग की हैरी पॉटर को 12 पब्लिशर्स ने छापने से मना कर दिया था। जरा खुद से पूछिए, आप अब तक कितनी बार हारे हैं?

समाज हमें सिखाता है कि हमारी खुशी बाहर की चीज़ों पर निर्भर करती है। इसलिए हम जिन्दगी भर एक के बाद एक चीज़ को पाने के लिए भागते रहते हैं और क्योंकि हम एक झूठ को सच मानकर जीते हैं, हमें कभी खुशी नहीं मिलती। हम जिन्दगी की उन छोटी छोटी चीजों का मजा नहीं ले पाते और बड़ी चीज़ को पाने के लिए उन छोटी चीजों को कुर्बान कर देते हैं। 

यह जरूरी नहीं है कि एक मुश्किल समस्या का समाधान भी मुश्किल ही हो। बल्कि अक्सर एक मुश्किल समस्या का समाधान आसान होता है, लेकिन हम इस बात को समझते ही नहीं कि उस आसान से तरीके से हमारी समस्या सुलझ जाएगी। इसलिए हम उस तरीके को अपनाते नहीं और जिन्दगी भर दुखी रहते हैं।

अपनी सीमाओं को पहचानिए और उन्हें बढ़ाने की कोशिश हमेशा करते रहिए।
अब तक इस किताब को पढ़ते वक्त शायद आपके दिमाग में यह आया होगा कि आपको भी खुद पर बहुत ज्यादा प्रेशर डाल कर खुद को मजबूत बनाना चाहिए। लेकिन यहां पर आपको अपने "बहुत ज्यादा" को पहचान लेना चाहिए। जरूरी नहीं है कि जो आपका बहुत ज्यादा होगा, वही खली का बहुत ज्यादा हो। अगर आप जिम में जाकर सीधा 150 कीलो का भार उठाने की कोशिश करेंगे, तो शायद आप खुद उठ जाएंगे।

इसलिए खुद की सुरक्षा से समझौता मत कीजिए। प्रेरणा से बरे रहना जरूरी है, लेकिन अपनी सीमाओं को समझना और भी जरूरी है। आप खुद को थोड़ा थोड़ा कर के बेहतर बनाइए। एक दिन आप उस 150 कीलो के भार को उठाने के काबिल हो जाएंगे। 

डेथ रेस में भाग लेने वाले कुछ लोग बहुत लापरवाह होते हैं। उन्हें कभी कभी जानलेवा चोट आती है, लेकिन फिर भी वे रेस करने के लिए जिद्द करते हैं। इसे प्रेरणा से भरे होना नहीं, बल्कि पागलपन से भरे होना कहते हैं। इस तरह के लोगों को रेस से जल्दी से जल्दी बाहर निकाल दिया जाता है।

कुछ सीमाएं होती हैं जो कि सच में होती हैं और कुछ सीमाएं सिर्फ हमारे दिमाग में होती हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए, अगर आपको चाँद पर जाना है और अगर आप सोच रहे हैं कि आप नहीं जा सकते, तो यह आपके दिमाग की सीमा है। लेकिन अगर आप जिद्द कीजिए कि आप हर रोज कूदने की प्रैक्टिस करेंगे और एक दिन कूद कर चाँद पर पहुँचेंगे, तो यह संभव नहीं है। यह सीमा सच में एक सीमा है।

तो खुद को आगे बढ़ने के लिए धक्का दीजिए, लेकिन 24 घंटे काम मत कीजिए। ज्यादा काम कर पाने के लिए आपको ज्यादा एनर्जी की जरूरत होगी, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी सेहत का खयाल रखें। एनर्जी ड्रिंक से आपको एनर्जी नहीं मिलती, वे सिर्फ आपको कम समय के लिए हल्की सी एनर्जी देते हैं। अच्छा खाना खाने से ही आप ज्यादा समय के लिए सेहतमंद रह सकते हैं।

इसके बाद यह मान लीजिए कि आप अपनी जिन्दगी में होने वाली हर घटना को काबू नहीं कर सकते। इसलिए इन चीजों के बारे में चिंता कर के अपना समय बर्बाद मत कीजिए।

अपनी सीमाओं को पहचानिए और उन्हें बढ़ाने की कोशिश हमेशा करते रहिए।
अब तक इस किताब को पढ़ते वक्त शायद आपके दिमाग में यह आया होगा कि आपको भी खुद पर बहुत ज्यादा प्रेशर डाल कर खुद को मजबूत बनाना चाहिए। लेकिन यहां पर आपको अपने "बहुत ज्यादा" को पहचान लेना चाहिए। जरूरी नहीं है कि जो आपका बहुत ज्यादा होगा, वही खली का बहुत ज्यादा हो। अगर आप जिम में जाकर सीधा 150 कीलो का भार उठाने की कोशिश करेंगे, तो शायद आप खुद उठ जाएंगे।

इसलिए खुद की सुरक्षा से समझौता मत कीजिए। प्रेरणा से बरे रहना जरूरी है, लेकिन अपनी सीमाओं को समझना और भी जरूरी है। आप खुद को थोड़ा थोड़ा कर के बेहतर बनाइए। एक दिन आप उस 150 कीलो के भार को उठाने के काबिल हो जाएंगे। 

डेथ रेस में भाग लेने वाले कुछ लोग बहुत लापरवाह होते हैं। उन्हें कभी कभी जानलेवा चोट आती है, लेकिन फिर भी वे रेस करने के लिए जिद्द करते हैं। इसे प्रेरणा से भरे होना नहीं, बल्कि पागलपन से भरे होना कहते हैं। इस तरह के लोगों को रेस से जल्दी से जल्दी बाहर निकाल दिया जाता है।

कुछ सीमाएं होती हैं जो कि सच में होती हैं और कुछ सीमाएं सिर्फ हमारे दिमाग में होती हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए, अगर आपको चाँद पर जाना है और अगर आप सोच रहे हैं कि आप नहीं जा सकते, तो यह आपके दिमाग की सीमा है। लेकिन अगर आप जिद्द कीजिए कि आप हर रोज कूदने की प्रैक्टिस करेंगे और एक दिन कूद कर चाँद पर पहुँचेंगे, तो यह संभव नहीं है। यह सीमा सच में एक सीमा है।

तो खुद को आगे बढ़ने के लिए धक्का दीजिए, लेकिन 24 घंटे काम मत कीजिए। ज्यादा काम कर पाने के लिए आपको ज्यादा एनर्जी की जरूरत होगी, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी सेहत का खयाल रखें। एनर्जी ड्रिंक से आपको एनर्जी नहीं मिलती, वे सिर्फ आपको कम समय के लिए हल्की सी एनर्जी देते हैं। अच्छा खाना खाने से ही आप ज्यादा समय के लिए सेहतमंद रह सकते हैं।

इसके बाद यह मान लीजिए कि आप अपनी जिन्दगी में होने वाली हर घटना को काबू नहीं कर सकते। इसलिए इन चीजों के बारे में चिंता कर के अपना समय बर्बाद मत कीजिए।

कुल मिलाकर
एक स्पार्टन हमेशा खुद को चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर करता रहता है। वो अपनी जिन्दगी में कामयाबी हासिल करने के लिए अच्छी प्लानिंग करता है और अपनी सेहत का खयाल रखता है। वो कभी हार नहीं मानता। उसे पता होता है कि उसकी सीमाएँ क्या हैं और वो उन सीमाओं से आगे जाने की कोशिश हमेशा करता रहता है।

 

अपने आराम की जिन्दगी से बाहर निकलें।

खुद को कुछ बड़ा करने के लिए तैयार करें। अब भले ही वो खेल कूद हो, पढ़ाई हो , घूमना हो या कुछ और। खुद को अपनी सीमाओं से आगे लेकर जाइए और हमेशा याद रखिए, आराम आपका दुश्मन है।


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