Joseph A. Annibali, M.D.
कैसे अपने मन को शांत रख अपने दिमाग को बेहतर कर जिन्दगी को फिर से अपने काबू में ला सकते हैं।
दो लफ्जों में
रीक्लेम योर ब्रेन (Reclaim Your Brain) में हम देखेंगे कि हमारा दिमाग किस तरह से काम करता है और हम कैसे इसे अपने काबू में ला सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि हमारे दिमाग में क्या खराबियाँ हैं और किस तरह से वो खराबियां हमारी हर रोज की जिन्दगी पर असर डालती है। साथ ही यह किताब हमें उन खराबियों को दूर करने के तरीके भी बताती है।
यह किसके लिए है
-वे जो न्यूरोसाइंस पढ़ना पसंद करते हैं।
-वे जो अपने दिमाग को बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं।
-वे जो नेगेटिव विचारों से छुटकारा पाना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
जोसेफ ए अनिबली (Joseph A. Annibali) दुनिया के प्रसिद्ध अमेन क्लिनिक्स के चीफ साइकाइट्रिस्ट हैं। उन्होंने अब तक हजारों मरीजों के दिमाग का इलाज किया है और इस फील्ड में दुनिया के जाने माने लोगों में से एक हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
बहुत बार हम कुछ ऐसे काम करते हैं जिसे करने की वजह हमें नहीं पता होती। हमें कभी कभी किसी चीज़ की लत लग जाती है और हम उससे छुटकारा नहीं पा पाते। हम खुद को बहुत रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन नाकाम हो जाते हैं। हम सभी को नेगेटिव सोचने की आदत होती है। हम खूबसूरत लोगों को अच्छे स्वभाव का मानते हैं और उनपर ज्यादा भरोसा करते हैं, लेकिन खूबसूरती का मतलब अच्छाई नहीं होता।
यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हमारा दिमाग काम करता है जिससे हम सभी के अंदर कुछ इस तरह की चीजें देखने को मिलती है। साथ ही यह किताब हमें बताती है कि कैसे हम इसे काबू कर सकते हैं और अपनी जिन्दगी में बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।
-हम में से ज्यादातर लोग नेगेटिव क्यों सोचते हैं।
-हमारे दिमाग को कितने भागों में बाँटा गया है और उनका क्या काम है।
-हम किस तरह से अपने नेगेटिव विचारों से छुटकारा पा सकते हैं।
एक सेहतमंद दिमाग पाने के लिए आपको अपनी भावनाओं को काबू में रखना आना चाहिए।
हमारा दिमाग बहुत उलझा हुआ है, लेकिन आसान शब्दों में समझने के लिए हम इसे दो भागों में बाँट सकते हैं - प्रीफ्रंटल कार्टेक्स और लिम्बिक ब्रेन।
प्रीफ्रंटल कार्टेक्स हमारे दिमाग का वो हिस्सा होता है जो सोचने, समझने, चीजों को याद करने के लिए या समस्या को सुलझाने के लिए जिम्मेदार होता है। आप अपने किसी दोस्त से बात कर रहे हैं और उसने मजाक में आप से कुछ कह दिया तो आपको गुस्सा आएगा और आप उसे मारने लगेंगे। लेकिन ऐसा होता नहीं है क्योंकि हमारा प्रीफ्रंटल कार्टेक्स हमारी भावनाओं को काबू करता है और बेहतर फैसले लेने में हमारी मदद करता है।
लेकिन अगर यह हिस्सा आपके ऊपर हावी हो जाए तो आपके अंदर से भावनाएं गायब हो जाएंगी और आप एक रोबोट की तरह काम करने लगेंगे, जो सोच समझ कर काम तो बहुत अच्छे से कर सकता है, लेकिन कुछ भी महसूस नहीं कर सकता।
दूसरी तरफ हमारा लिम्बिक ब्रेन हमारी भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। इसे चार भागों में बाँटा गया है - बैसल गैंग्लिया, एंटीरियर सिंगुलेट, एमाइग्डाला और थैलमस। यह सभी भाग हमारी भावनाओं को और हमारी आदतों को काबू करते हैं। जब आप एक पटाखे की आवाज सुनते हैं तो आप डर जाते हैं और आपके दिमाग में भागने का खयाल आता है। लेकिन क्योंकि आपका प्रीफ्रंटल कार्टेक्स आपको समझाता है कि इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है, आप वहां से भागते नहीं हैं।
अगर आपको एक सेहतमंद दिमाग चाहिए तो आपको अपने प्रीफ्रंटल कार्टेक्स और लिम्बिक ब्रेन को बैलेंस में रखना होगा। हमारे लिम्बिक ब्रेन ने हमें हजारों सालों से जिन्दा रखा है और हमारे प्रीफ्रंटल कार्टेक्स ने हमें जंगलों से निकाल कर शहरों तक लाया है।
अपने दिमाग से अच्छे से काम करवाने के लिए आपको उसे समझना होगा।
हमने देखा कि हमारे दिमाग के दो हिस्से होते हैं - प्रीफ्रंटल कार्टेक्स और लिम्बिक ब्रेन। कभी कभी इन दो में से एक भाग दूसरे पर हावी होने लगता है और इस हालात में हम अच्छे से काम नहीं कर पाते हैं। इसके लिए आपको यह देखना होगा कि आपके दिमाग का कौन सा हिस्सा आपके ऊपर ज्यादा हावी है और फिर उसे काबू में करने के लिए आपको कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे।
एक्ज़ाम्पल के लिए अगर आपका प्रीफ्रंटल कार्टेक्स आपके ऊपर हावी है तो आप अनजान लोगों पर ज्यादा शक करेंगे और उन पर भरोसा नहीं करेंगे। आप हमेशा सोचते रहेंगे कि आपके साथ क्या बुरा हो सकता है। आप उबाऊ काम करने से पीछे नहीं हटेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि अपके दिमाग का वो हिस्सा आपके ऊपर हावी है जो सोचने समझने का काम करता है।
अगर ऐसा है तो आपको खुद को शांत करने के लिए शांति भरे माहौल में जाना होगा। आपको खुद को मुश्किल वक्त में शांत रखने के लिए अकेले रहना होगा।
दूसरी तरफ अगर आपका लिम्बिक ब्रेन आपके ऊपर हावी है तो आप अपने मूड के हिसाब से काम ज्यादा करेंगे। इसे एडीएचडी (ADHD) कहा जाता है जिसमें आपका लिम्बिक ब्रेन आपके उपर हावी रहता है और आप चीज़ों पर अच्छे से ध्यान नहीं लगा पाते।
बहुत से लोगों को पढ़ने का मन नहीं करता। इस तरह के लोग जब अपने स्कूल का होमवर्क करने बैठेंगे तो गाने सुनते हुए अपना काम करेंगे क्योंकि उन्हें खुद को खुश रखने के लिए कुछ चाहिए। अपने प्रीफ्रंटल कार्टेक्स को एक्टिवेट रखने के लिए उन्हें अलग अलग तरह के मनोरंजन की जरूरत होती है।
इसलिए आपको यह देखना होगा कि आपके दिमाग का कौन सा हिस्सा आपके ऊपर हावी है और उसे शांत करने के लिए आपको जरूरी कदम उठाने होंगे।
अगर आपका दिमाग बैलेंस में नहीं है तो इससे आपको लत लग सकती है।
बहुत से लोग खुद को शराब पीने से नहीं रोक पाते। जब भी वे तनाव महसूस करेंगे, वे शराब पीने लगेंगे, लेकिन उससे उनकी समस्या सुलझती नहीं है, बल्कि बढ़ जाती है। उन्हें भी यह बात अच्छे से पता है कि शराब उनकी समस्या का समाधान नहीं है। लेकिन वे फिर भी उसे पीते हैं। ऐसा तब होता है जब आपका लिम्बिक ब्रेन आपके ऊपर कुछ ज्यादा ही हावी हो जाता है और आपको अपने दिमाग को शांत रखने के लिए इस तरह की चीजों की जरूरत होती है।
लेखक के दो क्लाइंट, जिनका नाम जिल और बार्ट था, इस तरह की समस्या से जूझ रहे थे। जिल तनाव से राहत पाने के लिए मैरिजुआना का इस्तेमाल करती थी और बार्ट जुआ खेलता था जिससे उसके ऊपर कर्ज हो गया था। उन्होंने इस लत से छुटकारा पाने के लिए आपको खुद का मोटिवेशनल इंटरव्यू लेना होगा।
खुद से सवाल पूछिए कि इस समय आपके पास कितना मोटिवेशन है और उसे 1 से 10 के बीच नंबर दीजिए। अगर आपके पास बिल्कुल मोटिवेशन नहीं है तो खुद को 1 नंबर दीजिए और अगर बहुत ज्यादा मोटिवेशन है तो 10 नंबर दीजिए।
उसके बाद खुद से सवाल पूछिए के अगर आप खुद में बदलाव ले आएं तो आपकी जिन्दगी किस तरह से बेहतर बन जाएगी? इसके क्या फायदे और नुकसान होंगे? इसके बाद, आपको लगेगा कि आपका मोटिवेशन पहले के मुकाबले बढ़ गया है।
इसके बाद अपनी खूबियों की एक लिस्ट बनाइए और यह पता करने की कोशिश कीजिए कि आखिरी बार आप ने कब अपनी जिन्दगी में बदलाव लाए थे और उसका क्या फायदा हुआ था। फिर एक छोटे से कदम के साथ आप खुद में बदलाव लाने की कोशिश कीजिए। एक छोटा कदम भी आपको आपकी मंजिल के नजदीक ला सकता है।
ध्यान की मदद से आप अपने दिमाग को शांत कर सकते हैं।
जब आप ध्यान करते हैं तो आपका एमाइग्डाला शांत होने लगता है जिससे आपका तनाव और आपका डर कम होने लगता है। जब मैग्नेटिक इमेज इमेजिंग के जरिए दिमाग को स्कैन किया गया तो यह देखा गया कि जब आप ध्यान करते हैं तो आपका प्रीफ्रंटल कार्टेक्स कुछ ज्यादा एक्टिवेट हो जाता है जिससे आप अपने दिमाग को बेहतर तरीके से काबू कर पाते हैं और खुद को शांत रख पाते हैं।
ध्यान के इस्तेमाल से सिर्फ आप खुद को शांत ही नहीं रखते बल्कि अपने दिमाग में आने वाले नेगेटिव विचारों को काबू भी करते हैं। इसमें आप अपने विचारों को बिना अच्छा या बुरा कहे उसे पहचानने की कोशिश करते हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए सभी को इंटरव्यू से पहले डर लगता है। अगर ऐसा है तो आपको खुद से कहना चाहिए - मेरा इंटरव्यू होने वाला है और मुझे डर लग रहा है।
इस तरह से आप ने उसे अच्छा या बुरा नहीं कहा, सिर्फ उसे पहचाना। इससे आप खुद को शांत कर पाने के काबिल हो जाएंगे। जब आपको खुद को शांत करना हो तो एक जगह पर आराम से बैठ जाइए और अपनी आँखें बंद कर के अपनी साँस पर ध्यान दीजिए। आप चाहें तो कुछ शब्दों को दोहरा सकते हैं
अगर आपका दिमाग भटकने लगता है तो उसे आराम से बिना डाँटे वापस अपनी साँस पर ध्यान लगाने के लिए खींच लाइए। इस तरह से आप खुद को शांत कर खुद के ज्यादा अच्छे से समझ पाएंगे।
हमारा दिमाग नेगेटिव चीज़ों को ज्यादा अच्छे से याद रखता है।
आपको यह याद रहेगा कि किस व्यक्ति ने कब आपको गाली दी थी, लेकिन यह कम याद रहेगा कि उसी व्यक्ति ने कब आपकी मदद की थी। हमारा दिमाग नेगेटिव चीज़ों को ज्यादा याद रखता है और इसकी वजह बहुत ही मजेदार है।
हमारे दिमाग को दो भागों में बाँटा गया है - लेफ्ट हेमिस्फीयर और राइट हेमिस्फीयर। लेफ्ट हेमिस्फीयर सोचने समझने का काम करता है और राइट हेमिस्फीयर महसूस करने का काम करता है। राइट हेमिस्फीयर ही वो भाग है जो नेगेटिव चीज़ों को ज्यादा अच्छे से याद रखता है। जब लोगों का लेफ्ट हेमिस्फीयर खराब हो जाता है तो वे बहुत ज्यादा चिंता करने लगते हैं और बहुत ज्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि इस समय उन्हें उनका राइट हेमिस्फीयर काबू कर रहा है, जो कि नेगेटिव सोचता है । लेकिन जब उनका राइट हेमिस्फीयर खराब होता है तो वे बहुत ज्यादा खुश रहने लगते हैं या फिर पागल हो जाते हैं, क्योंकि उनका लेफ्ट हेमिस्फीयर शरीर को पूरी तरह से काबू करने लगता है।
जब हम छोटे होते हैं और हमारा दिमाग विकास कर रहा होता है, तो हमारा राइट हेमिस्फीयर पहले विकास करता है, जिसका मतलब यह है कि हम नेगेटिव बातों को अपनी जिन्दगी के शुरुआत से ही याद रखते हुए आते हैं। जब तक हमारा लेफ्ट हेमिस्फीयर विकास करना शुरू करता है, हमारा राइट हेमिस्फीयर हमारे ऊपर काबू पा चुका होता है जिससे हम जिन्दगी भर के लिए ज्यादा नेगेटिव सोचने लगते हैं।
इसलिए हम में से बहुत से लोग ब्लैक एंड वाइट सोचते हैं। हमें लगता है कि या तो हम बहुत समझदार हैं , या फिर बेवकूफ। हमें लगता है कि या तो हम बहुत खूबसूरत हैं या फिर बदसूरत। इसलिए जब हम सबसे अच्छा नहीं कर पाते, तो हमें लगता है कि हम बेकार हैं। हम यह नहीं सोचते कि हम बीच में भी हो सकते हैं।
इसके अलावा हमारा दिमाग बहुत सारे फिल्टर इस्तेमाल करता है। हम एक चीज़ को देखकर उसके बारे में सब कुछ बताने लगते हैं। अगर कोई व्यक्ति देखने में अच्छा नहीं है तो वो दिल का भी अच्छा नहीं है। अगर किसी व्यक्ति की आवाज भारी या मोटी है तो वो बहुत सख्त स्वभाव का होगा। लेकिन जरूरी नहीं है कि यह बातें सच हो।
अपनी कहानी को लिखकर अपने नेगेटिव विचारों से छुटकारा पाइए।
किस तरह से आप नेगेटिव विचारों से छुटकारा पा सकते हैं? इसके लिए सबसे पहले आपको अपने विचारों को लिखना होगा ताकि आप उसे अच्छे से समझ सकें। हमारे दिमाग में हर वक्त बहुत से खयाल आते रहते हैं और इससे पहले आप उन्हें अच्छे से समझ पाएं, वे खो जाते हैं। इसलिए अपने खयालों को लिखकर रखने से आप उन्हें समझ सकते हैं।
हम अपनी जिन्दगी को एक कहानी की तरह देखते हैं, लेकिन यह कहानियाँ अक्सर गलत होती हैं। हम सोचते हैं कि हमारी समस्या की वजह हम हैं, बल्कि असल में वजह कुछ और ही होती है। एक्ज़ाम्पल के लिए लेखक के एक क्लाइंट को ले लीजिए जिसका नाम कार्ल था।
कार्ल को लगता था कि वो अपनी जिन्दगी में कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि वो बेवकूफ है और अपने काम में अच्छा नहीं है। वो एक अकाउंटेंट था और अक्सर अपने क्लाइंट से पैसे लेना भूल जाता था। वो बहुत सी जरूरी जानकारी को भूल जाता था और उसे याद नहीं रहता था कि उसके जरूरी डाक्युमेंट कहाँ पर रखे गए हैं। इसलिए वो खुद को बेवकूफ समझता था।
लेकिन बाद में उसे पता लगा कि उसे एडीएचडी है। इस वजह से वो छोटी छोटी चीजों पर अच्छे से ध्यान नहीं दे पाता था और उन्हें भूल जाता था। उसकी परेशानी की वजह उसकी बीमारी थी, ना का वे खुद। जब उसने दवाइयां ली, तो उसे काफी हद तक राहत मिली।
इसलिए यह जरूरी है कि अपने खयाल को समझने के लिए आप उसे लिखें और उसके पीछे की असल वजह जानने की कोशिश करें। जब आप यह करेंगे तो आपको पता लगेगा कि आपकी परेशानी की वजह वो नहीं है जो आप सोच रहे हैं, बल्कि कुछ और ही है।
खुद को और अपने पार्टनर को एक लेवेल पर रख कर अपने रिश्तों को सुधारिए।
रिश्तों में दरार तब आती है जब दो में से कोई एक व्यक्ति अपने पार्टनर को दबाकर रखने की कोशिश करता है। जब कोई एक दूसरे को काबू करने की कोशिश करता है और उसे अपने हिसाब से रखता है। इस वजह से दूसरा पार्टनर अच्छा नहीं महसूस करता और वो इसका विरोध करने की कोशिश करता है, जिससे रिश्ते बिगड़ने लगते हैं।
जहाँ पर रिश्ते अच्छे होते हैं वहाँ दोनों पार्टनर्स का एक ही दर्जा होता है। उन में से कोई भी खुद को दूसरे से ऊपर नहीं रखता और ना ही उसे काबू करने की कोशिश करता है। अगर आपको लगता है कि आप अपने रोल से खुश नहीं हैं, तो उसे बदल दीजिए।
यहाँ पर ध्यान आपके काम आ सकता है। खुद से यह पूछिए कि आप ने अपने रिश्ते में दबकर रहने का फैसला क्यों किया। शायद आप ने इसलिए किया क्योंकि आप अपने पार्टनर को दबाकर नहीं रखना चाहते थे या फिर उससे प्यार करते थे और उसकी सारी बात मानते रहे। या फिर आप पहले उसका विरोध करने की कोशिश करते थे जिससे आप दोनों के बीच का झगड़ा बढ़ पाता था और इसलिए आप ने कोशिश करना छोड़ दिया।
वजह चाहे जो भी हो, सबसे पहले खुद को समझिए और फिर उससे निकलने की कोशिश कीजिए। ध्यान करने से आप अपने हालात को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं जिससे आप उसपर काबू पा सकते हैं। आप चाहें तो किसी थेरापिस्ट की मदद ले सकते हैं।
कुल मिलाकर
एक अच्छा दिमाग पाने के लिए आपको अपने प्रीफ्रंटल कार्टेक्स और लिम्बिक ब्रेन को बैलेंस में रखना होगा। हमारा दिमाग नेगेटिव इसलिए सोचता है क्योंकि हमारे राइट हेमिस्फीयर का विकास लेफ्ट हेमिस्फीयर से पहले होता है। नेगेटिव विचारों को काबू करने के लिए आपको अपने खयालों को लिखकर उन्हें समझने की कोशिश करनी होगी।
अपने दिमाग का चेक अप कराइए।
कभी कभी आपका दिमाग किसी छोटी सी चोट की वजह से ठीक नहीं रहता। हो सकता है आप बचपन में गिर गए हों जिससे आपको कुछ चोट आ गई हो। अगर आप हर रोज कुछ ऐसा काम कर रहे हैं जिसकी वजह आपको नहीं पता, तो एक बार अपने दिमाग का चेक अप कराइए, ताकि आपको यह पता लगे कि असल समस्या क्या है।