Sunny Bonnell and Ashleigh Hansberger
डिफरेंट, डेंजरस और बोल्ड आइडियाज वाले लोग कैसे सक्सेस तक पहुंच सकते हैं।
दो लफ्जों में
साल 2019 में आई ये बुक हमें पर्सनल और बिजनेस की सक्सेस की तरफ गाइड करती है और बताती है कि किस तरह हम अपने अलग अंदाज से उस सक्सेस को हांसिल कर सकते हैं। इस बुक से हम सीखेंगे की किस तरह हम अपने कम्फर्ट जोन से निकलकर उन क्वालिटी को अपने अंदर ला सकते हैं जो हमें दूसरों से अलग बनाती हैं।
ये बुक किसके लिए है
- ये बुक एंटरप्रेन्योर्स के लिए है जो खुद को दूसरों से अलग बनाना चाहते हैं।
- ये बुक उन क्रिएटिव थिंकिंग वाले लोगों के लिए भी है जो अपनी कैपेबिलिटी को यूज़ करना चाहते हैं।
- ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो अपनी यूनिक एबिलिटी को ऑनर करना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
Sunny Bonnell और Ashleigh Hansberger, मोटो जोकि अवार्ड विनिंग डिजिटल एजेंसी है उसके फाउंडर हैं। बिजनेस को लेके इनकी डायनामिक अप्रोच ने इनको पूरे वर्ल्ड में एक पॉजिटिव इमेज बना कर दी है।
किसी चीज के अगेंस्ट जाने से हो सकता है कि सक्सेस के नए रास्ते मिल जाएं।
बहुत सारे बिजनेस ऐसे हैं जो कुछ अलग करने से डरते हैं। वो अपनी सोच पर और खुद के आईडिया पर रिस्ट्रिक्शन लगा कर रखते हैं। इस बुक समरी में आप सीखेंगे की किस तरह से आप लोगों से अलग रहकर भी सक्सेस को अपनी तरफ ला सकते हैं। अगर आप थोड़े से वीयर्ड हैं, थोड़े ऑब्सेस्ड हैं तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।
दोनों लेखक के एक्सपीरियंस के एकॉर्डिंग ये बुक हमें बताती है कि क्यों एक ही चीज पर हमें रिस्ट्रिक्ट नहीं रहना चाहिए। इस बुक में मौजूद एग्जाम्पल से हम जान पाएंगे कि अपनी रियल इमेज को खोए बिना हम कैसे ऊपर उठ सकते हैं।इस समरी में आप जानेंगे किआखिर क्यों किसी स्किल को डेवलप करने के लिए 10,000 घण्टों की प्रैक्टिस भी कम है? किस तरह से रेड शूज आपको भीड़ में सबसे अलग बनाते हैं? और आखिर क्यों आपको कभी शर्त नहीं लगानी चाहिए?
तो चलिए शुरू करते हैं!
बात करते हैं इंग्लैंड की क्रिकेट टीम की। जब साल 2015 में इंग्लैंड की टीम बांग्लादेश से हारकर वर्ल्ड कप से बाहर हो गयी तो उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो उनको फायदा भी दे सकते थे और नुकसान भी। इंग्लैंड ने अपनी पूरी टीम बदल के रख दी। उन्होंने अपने क्रिकेट खेलने के अंदाज में भी चेंज किया। और उसका रिजल्ट ये हुआ है कि 2015 के बाद इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड की नंबर वन टीम तो बनी ही और साथ में उन्होंने साल 2019 में हुआ वर्ल्ड कप भी अपने नाम किया।
हम जिस सोसाइटी में रहते हैं वहां कुछ रूल्स हैं जिनको हमें फॉलो करना पड़ता है। बचपन से ही हम लोग उस रूल्स में सिमट से जाते हैं। बिल्कुल यही हाल आज कल की मॉडर्न वर्कप्लेसेस पर भी है। वहाँ पर भी सब कुछ रूल के एकॉर्डिंग होता है। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एक रिसर्च के एकॉर्डिंग सिर्फ 10% कम्पनी वर्ल्ड में ऐसी हैं जोकि अपने यहां काम करने वाले वर्कर्स के ऊपर रूल्स का एक्स्ट्रा बोझ नहीं डालती हैं।
हालांकि अगर आप किसी रूल के अगेंस्ट जाना चाहते हैं तो आपको जाना चाहिए। अगर आप स्ट्रैटजी के साथ किसी रूल के अगेंस्ट जाना चाहते हैं तो आपके लिए वो एक एसेट साबित हो सकता है। बात करते हैं एक टेलीविजन शो की जिसका नाम था गर्ल्स। ये शो न्यू यॉर्क सिटी में रहने वाली एक यंग वीमेन की स्टोरी के ऊपर था। लेकिन इस शो में उस लड़की की ग्लैमरस लाइफ के बदले उसकी मिस्टेक्स पर फोकस किया।।ये शो काफी हिट भी था। लोगों को ये अनकन्वेंशनल अप्रोच काफी पसन्द आई।
हालांकि बिना किसी रीज़न के रूल ब्रेक करना सही नहीं है। अगर आपको किसी चीज के अगेंस्ट जाना है तो उसको स्ट्रैटजी के साथ करें। सबसे पहले ये समझ लें कि कौन सा रूल आप ब्रेक करना चाहते हैं और क्यों। उसके बाद ये सोचें कि आप अलग क्या करेंगे और आपके कुछ अलग करने की वजह से क्या चेंज आएगा।
बात करें एंटरप्रेन्योर मैट स्कैनलैन की। ये मंगोलियन वुड इंडस्ट्री में चेंज चाहते थे। ओल्ड इंडस्ट्री मॉडल के एकॉर्डिंग वुड को मार्केट में ले जाने के लिए बहुत सारे लोगों की जरूरत होती थी जोकि एक्सपेंसिव था। मैट के पास बेटर प्लान था। उन्होंने एक नया सिस्टम सेट किया जिसके जरिये हर्डर्स को डायरेक्ट पे किया जा सके। इसका रिजल्ट ये हुआ की मैट की कम्पनी नादाम के साथ साथ मंगोलिया को भी लगभग 50% ज्यादा प्रॉफिट हुआ। रूल ब्रेक करने के लिए ऑडेसिटी यानी की साहस भी चाहिए होता है।
सक्सेस के रास्ते में सबसे बड़ा बैरियर ये है कि हम कभी ज्यादा बड़ी सोच रखते ही नहीं हैं।
साल 2007 में ऑथर सनी बोनल और अश्लेइ हँसबर्गर (Sunny Bonnell और Ashleigh Hansberger) की कम्पनी मोटो काफी लॉस में थी। और इसी बीच उन्होंने एक स्टार्ट अप कॉम्पिटीशन में पार्ट भी ले लिया था। लेकिन उनका ध्यान उस कॉम्पिटीशन पर से बिल्कुल ही हट गया था। और ऐसा लग रहा था कि ये उनका सबसे खराब डिसीजन होगा।
वो दोनों गिव अप कर सकते थे। और उस टाइम गिव अप करना ही सबसे ज्यादा लॉजिकल डिसीजन लग रहा था। लेकिन वो दोनों कुछ अलग ही सोच रहे थे। सारी रात जागकर उन्होंने राइटिंग की और अगले दिन शानदार स्पीच डिलीवर की। उनका ये करेजियस कमबैक काम आ गया। वो लोग कॉम्पिटीशन जीत गए। कई बार ऐसा होता है कि हम ज्यादा बड़ी सोच नहीं रख पाते जिसकी वजह से हमें सक्सेस नहीं मिलती। जब हम किसी प्लान पर वर्क कर रहे होते हैं तो हमारा फोकस रिस्ट्रिक्शन पर चला जाता है। लेकिन इस कंजरवेटिव माइंडसेट को ड्राप करके हमें कुछ करेजियस करना चाहिए। अगर हम ऐसा कर पाएंगे तो हमारी ग्रोथ बहुत फ़ास्ट होगी।
बात करते हैं इम्पॉसिबल फ़ूड के फाउंडर पैट्रिक ब्राउन की। जब उन्होंने वेजिटेरियन बर्गर बनाना शुरू किया था तो कई लोगों ने उनसे कहा कि ये प्लान बिल्कुल फ्लॉप रहने वाला है। लेकिन ब्राउन पीछे नहीं हटे। उन्होंने हर अलग अलग तरह की रेसिपी ट्राइ की, जब तक उनको राइट मिक्स नहीं मिला। और आज देखिए पूरे वर्ल्ड में उनके बर्गर्स को लोग एन्जॉय करते हैं। डेरिंग माइंडसेट को एडॉप्ट करने का तरीका ये है कि सोचिए कि क्या पॉसिबल है। आपने आप को रिस्ट्रिक्ट करने की जगह खुद से सवाल करें कि अगर आपके ऊपर कोई रोक न होती तो आप क्या क्या कर सकते थे । इससे आपकी थिंकिंग रिफ्रेम होगी और आपको अपॉरचुनिटी नजर आने लगेगी।
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि हर बार ऐसा करेजियस प्लान काम कर जाए। क्योंकि अगर हर बार सक्सेस की गारंटी ही होती तो आप और ज्यादा बड़ा सोचते ही नहीं। तो कोशिश करिए कि आपके पास एक इम्पॉसिबिलिटी ऐरबाग मौजूद हो। यानी की जब आप का प्लान फ्लॉप हो तब आपको संभालने के लिए कोई दूसरा प्लान मौजूद हो।
जरूरी चीज ये है कि फेल होने के बाद आप दोबारा ट्राई करें।
पूरी तरह से सफल होने के लिए आपको अपने गोल के साथ ऑब्सेस्ड होना पड़ेगा।
किसी भी चीज में मास्टर होने के लिए कितने घण्टों की प्रैक्टिस चाहिए होती है? मैलकम ग्लैडवेल के एकॉर्डिंग 10,000 घण्टों में आप किसी भी चीज में मास्टर हो सकते हैं। हालांकि रिसर्च के एकॉर्डिंग जो नम्बर ग्लैडवेल ने दिया था वो तो बहुत ज्यादा था।
चलिए मान लेते हैं कि 25,000 घण्टों में आप किसी भी स्किल में मास्टर हो सकते हैं। इसका मतलब 20 साल तक लगातार 3 घण्टे आपको उस चीज पर काम करना होगा। तो ये बात तो साफ है कि एकसिलेंस इतनी आसान नहीं होती। आपको बार बार गिरकर सम्भलना होगा, बार बार कोशिश करनी होगी तब कहीं जाके आप सफल हो सकेंगे। तो फिर ऑब्सेस्ड होने का क्या मतलब होता है। ऑब्सेशन का मतलब ये की आपको अपने गोल से इतना कनेक्शन होना चाहिए कि आप अपने गोल तक पहुंचने के लिए हमेशा एक्स्ट्रा एफर्ट डालते रहें। सचिन तेंदुलकर मैच से पहले डेली नेट में कई घण्टे बिताया करते थे ताकि मैच के समय वो अच्छी परफॉर्मेंस दे पाएं। इसी को ऑब्सेशन कहते हैं।
अपने गोल के साथ ऑब्सेसिव होने के लिए जरूरी है कि आप वो गोल चुनें जिससे आप प्यार करते हों। अगर आपको अपने गोल से ज्यादा किसी और चीज से प्यार होगा तो आप कभी सफल नहीं हो पाएंगे ये बात तय है। क्योंकि आप कभी अपने गोल को अचीव करने के लिए उतना टाइम इन्वेस्ट ही नहीं कर पाएंगे।
बात करते हैं विराट कोहली की जोकि इंडियन क्रिकेटर हैं। शुरू में उन्होंने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो उनको छोले भटूरे, और मसाले वाली चीजें खाना बहुत पसंद था। लेकिन जब उनका लेवल बढ़ता गया और जब वो इंटरनेशनल क्रिकेटर बनें तो उनको एहसास हुआ कि एक अच्छा क्रिकेटर बनने के लिए फिटनेस बहुत जरूरी है और फिट रहने के लिए वो सब चीजें खानी उनको छोड़नी पड़ेगी। उसके बाद उन्होंने आजतक यानी कि 10 साल से उन चीजों को हांथ तक नहीं लगाया और इसी वजह से आज वो दुनिया के बेस्ट प्लेयर हैं।
हालांकि कभी भी अपने गोल से इतना ऑब्सेस्ड नहीं होना चाहिए कि आप अपने आस पास की दुनिया को ही भूल जाएं। हमेशा अपने दोस्तों और परिवार वालों को भी समय दें।
अच्छा परफॉर्म करने के लिए वही करें जिससे आप प्यार करते हों।
अभी हाल में ही दिलीप कुमार साहब जोकि बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार थे उनकी डेथ हुई। उनके जाने के बाद देश की सभी बड़ी हस्तियों ने दुख जताया और बहुत से लोग तो उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए। आखिर क्यों एक इंसान के चले जाने से सभी को इतना ज्यादा दुख हुआ? ऐसा इसलिए क्योंकि उस इंसान ने अपनी पूरी लाइफ अपने गोल अपने कैरियर को डेडिकेट कर दी। दिलीप कुमार ने फ़िल्म इंडस्ट्री पर इतने सालों तक राज किया था।
अपने गोल के प्रति पैशिनेट होना सक्सेसफुल लाइफ का सीक्रेट इंग्रीडेन्ट होता है। आजकल कई लोग ऐसा कैरियर चूज कर लेते हैं जो उन्हें बिल्कुल पसन्द नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि उस कैरियर में हमें सेफ और रिलाइबल फील होता है। ये बहुत खराब चीज है क्योंकि ऐसे वर्क में पहले तो हम वीकेंड का वेट करते हैं और फिर वीकेंड्स पर मंडे का वेट करने लगते हैं।
हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें अपने पैशन को फॉलो करना चाहिए। बात करते हैं सारा मरक्विस की। उनको एडवेन्चर बहुत पसंद था। सारा 2010 में वो साइबेरिया से ऑस्ट्रेलिया तक चलके गईं। 12,500 मील ट्रेक करने के लिए उनको नेशनल जियोग्राफिक एडवेन्चरर का अवार्ड भी मिला।
हालांकि हर किसी को जन्म से ही खुद का पैशन नहीं पता होता है। आप हर तरह की अपॉरचुनिटी को हां कहकर इसका पता लगा सकते हैं। कभी भी नई चीजों को ट्राई करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। बात करते हैं डैनी बोनेल की। वो एक सोल्जर थे। एक बार उनको स्टेज पर गाने का मौका मिला। उन्होंने बिना किसी शर्म के दिल खोल कर परफॉर्म किया। इस स्माल एक्ट की वजह से उन्होंने एक परफ़ॉर्मर के तौर पर अपनी बाकी की लाइफ एन्जॉय की।
ये मैटर नहीं करता कि आपका पैशन आपके लिए क्या लेकर आता है। कई बार आपको खुशी मिलेगी। कई बार गुस्सा आएगा और फ्रस्ट्रेशन भी होगी। हां लेकिन आप ये सब एनर्जी को अपने वर्क में यूज़ करेंगे तो आपको सक्सेस जरूर मिलेगी।
सबसे अलग बनने की कोशिश करें और उस चीज को सेलीब्रेट करें जो आपको सबसे अलग बनाती है।
स्टीव पेटमन (Steve Pateman) की फैमिली पिछली चार जनरेशन से ट्रेडिशनल शूज बनाने का काम कर रही है। ये कम्पनी इंग्लैंड की है। 1990 के दशक में कुछ ऐसा हुआ कि शूज की कीमत में काफी गिरावट आ गयी। और स्टीव इस डाउनफॉल को कंट्रोल नहीं कर पाए। जो शूज स्टीव की कम्पनी बनाया करती थी वही शूज अब मार्केट में आधे प्राइस पर मिल रहे थे। उसके बाद स्टीव के दिमाग में एक ख्याल आया। उन्होंने ओल्ड डिज़ाइन को छोड़कर नए फ्लैशी और ग्लैमरस शूज बनाने शुरु कर दिए। उनका ये तरीका काफी हिट हुआ। 2000 आते आते उनकी कम्पनी ने खूब प्रॉफिट कमाया।
आज के वर्ल्ड में जहां सब लोग एक तरह से सोचते हैं उस वर्ल्ड में वीयर्ड होना कोई गलत बात नहीं है। चाहे वो टिम बर्टन हों या फिर डेविड बोवी, वो इसेंट्रिक इंडिविजुअल ही होते हैं जो सोसाइटी में नाम कमा पाते हैं।
जब आप अपनी अलग खूबियां इम्ब्रेस करते हैं यानी कि सबके सामने लाने की कोशिश करते हैं तो इससे पता चलता है कि आपके पास कुछ चीज है जो सबसे यूनिक है और आप उसको शो करने में कॉन्फिडेंस फील करते हैं। 2013 की एक स्टडी के एकॉर्डिंग इसको रेड स्नीकर्स इफ़ेक्ट का नाम दिया गया है।
वीयर्ड होना अच्छी बात है। इतनी भीड़ वाली मार्केट में ऐसा प्रोडक्ट और सर्विस प्रोवाइड करें जो कहीं और न मिलती हो। यही स्ट्रैटेजी प्रोहिबिशन बेकरी ने भी फॉलो की थी। ये छोटी सी शॉप पूरे न्यूयॉर्क में अपने अलग अलग फ्लेवर वाले कपकेक के लिए फेमस थी।
तो फिर आप वीयर्डनेस के सोर्स का पता कैसे लगाएंगे। सबसे अच्छी अप्रोच ये है कि आप स्ट्रैटेजी का यूज़ करें। पता करें कि क्या चीज ऐसी है जिसको आप अच्छी तरह से करते हैं और क्या चीज है जिसको आप डिफरेंट तरीके से करते हैं। क्या आपका सेंस ऑफ ह्यूमर ट्विस्टेड है।
आप अपनी रिमार्केबल स्किल्स और नॉलेज को अलग अलग जगह पर ट्राई कर सकते हैं। क्या पता ऐसा करने से आपके सामने कुछ नया प्रोडक्ट आ जाए।
अपनी ऑडियंस को चार्म करने का तरीका है कि उनकी इमेजिनेशन को कैप्चर करें।
कभी आपने कोई मैजिक होते हुए देखा है। अगर नहीं तो हम बताते हैं। एक बार मैजिशियन डेविड कॉपरफील्ड ने अपने मैजिक के दम पर लोगों की आंखों के सामने से स्टैचू ऑफ लिबर्टी ही गायब कर दिया था।
ऐसा असल में नहीं हुआ था। जब लाइट्स ऑफ हुईं तो ऑडियंस की सीट्स ही घुमा दी गईं जिससे सभी को लगा कि मैजिक हुआ है। और फिर सब ने चीयर किया। इसका मतलब ये हुआ कि जब आप अपनी ऑडियंस को राइट माइंडसेट में ले जाते हैं तो आप उनके साथ अपने एकॉर्डिंग कुछ भी कर सकते हैं।
एक और सच ये भी है कि आज तक किसी ने बिना किसी की हेल्प के कुछ अचीव नहीं किया है। अगर आप सेल्समैन हैं, या फिर मैजिशियन हैं या आपने कोई नया स्टार्टअप अभी स्टार्ट किया है, जबतक ऑडियंस आपके साथ नहीं है आप कुछ नहीं कर सकते।
चार्म को टर्न ऑन करने के लिए कुछ ट्रिक्स की जरूरत होती है। जब कई साईकोलॉजिस्ट ने क्लेरमाउंट कॉलेज से कैरिजमैटिक इंडिविजुअल के बारे में स्टडी की तो उनको पता चला कि उनके पास तीन एसेंसियल ट्रेट्स होते हैं। वो अपने इमोशन को लेकर काफी एक्सप्रेसिव होते हैं। अपने मूड को लेके सेंसिटिव होते हैं। और वो अपनी ऑडियंस के साथ एडॉप्ट कर लेने के काबिल होते हैं।
एक बार बराक ओबामा ने अपनी पूरी ऑडियंस को स्पीच से अपना फैन बना दिया था। वो इसलिए नहीं क्योंकि उनकी स्पीच काफी अच्छी थी बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने सभी को उस स्पीच का हिस्सा बना दिया था। ऐसे ही जब स्टीव जॉब्स ने जब अपने किसी नए प्रोडक्ट को इंट्रोड्यूस किया तो उन्होंने ऑडियंस को ऐसा फील कराया की सभी को उनके प्रोडक्ट की नीड है।
किसी स्किल की तरह ही कैरिजमैटिक स्पीकिंग को सीखने के लिए प्रैक्टिस चाहिए होती है। आप किसी जॉब इंटरव्यू में जाकर, किसी इवेंट में लेक्चर डिलीवर करके इसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
अगर आपको नर्वस फील होता है तो ये नार्मल है। हमेशा याद रखिये की आपका गोल अपनी ऑडियंस के साथ कनेक्ट होना है। आप सिर्फ स्पीच न डिलीवर करें बल्कि उसको एक कहानी की तरह प्रेजेंट करें। सबकी अटेंसन को कैप्चर करने की कोशिश करें। उसके बाद कॉन्फिडेंस के साथ ऑनेस्ट तरीके से अपनी बात कहें।
इमोशन, इम्पैथी और सिन्सियरटी असल में आपकी स्ट्रेंथ होती है।
साल 1969 को यूनाइटेड स्टेट में बजट के ऊपर बहस चल रही थी। उस साल बजट में काफी कॉस्ट कटिंग की गई थी और यूनाइटेड नेशंस के काफी सीनेट यानी की नेता इसके साथ थे। इस कॉस्ट कटिंग में पब्लिक टेलीविजन स्टेशन पर भी कॉस्ट कट करने की बात हो रही थी। लेकिन जब सबसे ज्यादा पसन्द किये जाने वाले टीवी शो मिस्टर रोजर्स का नेबरहुड सीनेट के सामने बोलने आया तो उन्होंने इकॉनमी के बारे में बात नहीं की बल्कि ये बताया कि किस तरह से टीवी की वजह से देश के कई लोगों के चेहरे पर हंसी आती है। उनकी ये इमोशनल अप्रोच काम आ गयी। और फिर सीनेट का फैसला बदला और उन्होंने टीवी स्टेशन को फण्ड प्रोवाइड करने का डिसीजन लिया।
हमें हर बार बोला जाता है कि दिमाग से सोचना चाहिए दिल से नहीं। लेकिन इंसान कोई रोबोट तो है नहीं। सबके पास इमोशन और फीलिंग्स होती हैं। लेकिन इस इमोशन और फीलिंग को सही तरह से एक्सप्रेस करना एक वैल्युएबल स्किल है।जब साईकोलॉजिस्ट इलेन एरोन ने हाइली सेंसिटिव लोगों के बारे में पढ़ा तो उन्होंने एक इंट्रेस्टिंग डिस्कवरी की। उन्होंने पाया कि हाइली सेंसिटिव लोग न सिर्फ क्रिएटिव होते हैं बल्कि दूसरों के इमोशन को भी अच्छे से समझ पाने में सफल होते हैं। और यही लोग हाइली इफेक्टिव लीडर भी बनते हैं।
स्टारबक्स के सीईओ होवार्ड स्कल्ट्ज़ अपने बिजनेस पार्टनर्स को फैमिली को तरह ट्रीट करते हैं। जब वो स्टेकहोल्डर्स को मैसेज करते हैं तो लास्ट में ये जरूर लिखते हैं कि ऑनवर्ड विथ लव।
कभी भी अपने प्रोफेशनल वर्क में अपनी कोई पर्सनल हैबिट ऐड करने में हिचकिचाएं नहीं। सिन्सियर बनें। इससे आपको हर काम करने में आसानी होगी।
कुल मिलाकर
बहुत सी क्वालिटी ऐसी होती है जो हमको लगता है की हार्मफुल हैं लेकिन वो काफी यूज़फुल होती हैं। वीयर्ड इंट्रेस्ट, स्ट्रांग पर्सनालिटी और बोल्ड सोचने का तरीका सबमें डिफरेंट होता है। अपनी यूनिक एबिलिटी को सही वे में यूज़ करने से आप खुद को सबसे अलग देख पाएंगे और रूल्स को दूर करके आप अपनी ऑडियंस के साथ अलग वे में कनेक्ट हो पाएंगे।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Rare Breedby Sunny Bonnell and Ashleigh Hansberger
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