Nico De Bruyn
डिजिटल मार्केटिंग के महत्वपूर्ण प्रिंसिपल्स, जिसकी मदद से आपका बिजनेस बनेगा “ब्रांड”
दो लफ्जों में
साल 2019 में रिलीज हुई किताब ‘We’re All Marketers’ डिजिटल मार्केटिंग से रूबरू करवाती है. भले ही आप एक छोटे व्यापार से जुड़े हुए हों या फिर आपका एक बड़ा कारपोरेशन हो. या फिर बस आपको ये जानने की उत्सुकता हो कि किसी भी आईडिया को ऑनलाइन कैसे बेचा जाता है? आपने अभी तक जितना भी मार्केटिंग के बारे में जाना या सोचा होगा. इस किताब में दी गयी टिप्स आपकी सोच को बदलकर रख देगी.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसे स्टूडेंट्स जिन्हें मार्केटिंग में इंटरेस्ट हो
- छोटे व्यापारी
- ऐसे लोग जिन्हें अपने आईडिया को इंटरनेट पर बेचना है
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन “Nico De Bruyn” ने किया है. लेखक “Nico De Bruyn” ने न्यूट्रीशन की फील्ड में डिग्री प्राप्त की है. इस फील्ड में डिग्री पूरी करने के बाद ही उनके दिल में मार्केटिंग के लिए उत्सुकता का जन्म हुआ था. इसके बाद ही उन्होंने मॉडर्न मार्केटिंग तकनीक को पढ़ने और समझने की कोशिश की शुरुआत की थी. तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें किताबों में डिजिटल मार्केटिंग के बारे में ज्यादा पढ़ने को नहीं मिला था. इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि अब वो इस फील्ड के प्रोफेशनल का इंटरव्यू लिया करेंगे. कई सारे प्रोफेशनल्स से मिलने के बाद उन्होंने ये किताब “We’re All Marketers”को लिखने का फैसला लिया था.
सोशल मीडिया और ऑनलाइन रिव्यु के दौर में हम सभी मार्केटीयर हैं
आपको बता दें कि वो दौर 2008 का था. जब दुनिया इकनॉमिक रिसेशन से गुज़र रही थी. उस समय बिजनेसमैन अपने पैसों को मार्केट में इन्वेस्ट करने से डरने लगे थे. समान्य बिजनेस में ही पैसों की आवाजाही कम थी. डिजिटल मार्केटिंग जैसी नई फील्ड में तो इन्वेस्टर्स कत्तई इन्वेस्ट करने में भरोसा नहीं दिखाते थे. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था. लोगों का ध्यान भी सोशल मीडिया की तरफ आ रहा था. धीरे-धीरे लोगों को ये पता चलता गया कि सोशल मीडिया में हल्के में लेने वाली चीज़ नहीं है. छोटे बिजनेसमैन से लेकर बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स को भी इस बात का अंदाज़ा हो चुका था कि सोशल मीडिया और इंटरनेट ही बिजनेस का फ्यूचर है. इस किताब के माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि डिजिटल मार्केटिंग की सबसे ख़ास बात यही है कि इसके लिए आपको बिलियन डॉलर के बजट की ज़रूरत नहीं होती है. अपने बिजनेस को इंटरनेट तक ले जाने के लिए बस आपके पास रिसर्च करने की क्षमता और टारगेट ऑडियंस की पहचान की कला होनी चाहिए. इस किताब के माध्यम से आपको पता चल जायेगा कि थोड़ी सी समझ के साथ कैसे आप अपने बिजनेस को ग्लोबली लेकर जा सकते हैं?
तो चलिए शुरू करते हैं!
क्या आपने गौर किया है कि जब कभी आप बाहर मूवी देखने जाते हैं? या फिर आप किसी अच्छी जगह डिनर करने जाते हैं? तो आप उसका रिव्यु चेक करते हैं या नहीं? कई बार तो ऐसा भी होता है कि ऑनलाइन रिव्यु ही फैसला करते हैं कि हम आउटिंग के लिए कहाँ जाने वाले हैं? हम लोगों में से अधिकत्तर लोग कहीं बाहर जाने से पहले कुछ आप्शन को सेलेक्ट कर लेते हैं. सिलेक्शन के बाद हम उन जगहों के ऑनलाइन रिव्यु को पढ़ते हैं.
इसी के साथ ही साथ अगर आप फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर एक्टिव हैं. तो बहुत ज्यादा चांस है कि आपके फैसले उन लोगों के ऊपर निर्भर करें जिन्हें आप फॉलो करते हैं. ठीक उसी तरह जिस तरह आपकी ओपिनियन आपको फॉलो करने वालों को इन्फ्लुएंस करेगी. इसका मतलब साफ़ है कि आज के दौर में हम सभी मार्केटीयर हैं.
पिछले एक दशक से इस बात को देखा गया है कि बिजनेस की सेल्स रेवेन्यू भी सोशल मीडिया की मदद से बढ़ी है. साल 2012 में फ़ोर्ब्स मैगजीन में एक रिपोर्ट छपी थी. इस रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि यूएस और यूके में 78 प्रतीशत लोग सोशल मीडिया से इन्फ्लुएंस होते हैं.
अगर आपको भी प्रभावशाली मार्किटीयर बनना है. तो फिर आपको इस बात को मानना पड़ेगा कि सोशल मीडिया में बहुत ताकत है. अगर आपके पास टारगेट ऑडियंस है तो फिर आप उन्हें इन्फ्लुएंस कर सकते हैं.
एक बात का आपको ख्याल रहना चाहिए कि इस तरह की सोशल मीडिया तकनीक को खरीदा नहीं जा सकता है. इसे हम बस अपनी रिलेशनशिप से बिल्ड कर सकते हैं.
डिजिटल मार्केटिंग में ट्रस्ट का भी बहुत बड़ा रोल होता है. ये वर्ड ऑफ़ माउथ जैसी तकनीक की तरह ही काम करती है. इसलिए आपको इस बात का ख्याल रखना है कि अगर आप डिजिटल मार्केटिंग को सीख रहे हैं तो सबसे पहले कस्टमर के विश्वास को बनाये रखने की कला को भी सीखिए.
आगे के अध्यायों में लेखक उन तकनीक के बारे में बात करेंगे जिनकी मदद से आप अपने बिजनेस को बेहतर बना सकते हैं.
किसी भी चीज़ की ऑनलाइन मार्केटिंग करने से पहले अपने ब्रांड को समझने की कोशिश करिए
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप क्या बेच रहे हैं? सबसे पहली चीज़ आपको समझने की कोशिश करनी है. वो ये है कि आपको अपने ब्रांड को समझने की कोशिश करनी है.
भले ही किसी भी ब्रांड की पहचान उसके ‘टैग’ और ‘नाम’ से होती होगी. लेकिन ब्रांड की आत्मा अपने नाम से कई आगे की बात है. आपको इस बात की समझ होनी चाहिए कि कोई भी ब्रांड किसी भी पर्सनालिटी से कम नहीं होता है.
एग्जाम्पल के तौर पर हम डॉलर शेव क्लब को देख सकते हैं. जब इस ब्रांड को लांच किया गया था. तब ये सिर्फ और सिर्फ एक रेज़र बनाने वाली कम्पनी थी. जिसका काम था कि मार्केट के कम्पटीशन के हिसाब से रेज़र की सप्लाई करे. लेकिन फिर कम्पनी ने एक एड कैम्पेन को डिजाईन किया. इस कैम्पेन में इस ब्रांड को एक पर्सनालिटी के रूप में दिखाया गया था. कैम्पेन काफी ज्यादा वायरल हुआ था. इसके बाद ये ब्रांड उस मुकाम में पहुंचा जहाँ इसे पहुंचना चाहिए था.
इसी तरह क्या आप बेड बाथ जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी को उसके स्लोगन के बिना इमेजिन कर सकते हैं? जवाब है, बिल्कुल नहीं, यही कारण है कि ये कम्पनी इतनी ज्यादा प्रभावशाली है. इसी के साथ ही साथ आपको बता दें कि डॉलर शेव क्लब ने जैसे ही उस एड को पोस्ट किया था. उसके 48 घंटे बाद ही उन्हें 12 हज़ार ऑर्डर्स रिसीव हुए थे.
इससे ये बात साबित होती है कि जब आपको आपके ब्रांड के बारे में पता चल जाता है. तभी लोगों को भी आपके ब्रांड के बारे में पता चलता है. इसलिए अपने ब्रांड की मार्केटिंग करने से पहले उसे जानने की कोशिश करिए.
आपके प्रोडक्ट की बीट क्या है? आपका प्रोडक्ट किस सेक्टर का है? इस बारे में भी आपको अच्छे से जानकारी होनी ही चाहिए. इसके पीछे का रीजन यही है कि बिग बजट और मास मार्केटिंग के इतर डिजिटल मार्केटिंग काम करती है. डिजिटल मार्केटिंग की मदद से सभी को जानकारी नहीं दी जाती है. ये स्पेसिफिक टारगेट ऑडियंस को लेकर काम करती है.
इसलिए अगर आपको अपनी टारगेट ऑडियंस के बारे में अच्छे से पता होगा तो फिर आप भी उन्हें अच्छे से अपने प्रोडक्ट के बारे में बता पाएंगे.
इसलिए इस अध्याय के माध्यम से लेखक ने बताया है कि अपने प्रोडक्ट के निश और बीट के ऊपर ध्यान देने की भी बहुत ज्यादा ज़रूरत होती है. आपका प्रोडक्ट जितना स्पेसिफिक होगा उसकी आप उतनी ही बेहतर डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं.
वैसे तो कई फैक्टर्स हैं जिससे कस्टमर की पर्चेसिंग डिसीजन पर फर्क पड़ता है. उन्ही में से एक फैक्टर कल्चरल रेलिवेंस भी है. ऐसा देखा गया है कि ग्राहक कल्चरली रेलीवेंट ब्रांड से काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं. कई रिसर्च रिपोर्ट्स में तो ये भी दावा किया गया है कि कल्चरली रेलीवेंट ब्रांड के प्रति कस्टमर की उत्सुकता इतनी ज्यादा रहती है कि वो उसका प्रीमियम वर्जन भी खरीद लेते हैं.
अगर हम एक दशक पहले के मार्केट की तरफ देखें तो हमें नज़र आएगा कि तब बस बड़े कारपोरेशन के पास इतनी शक्ति होती थी. तब कल्चरली रेलीवेंट ब्रांड बस बड़े कारपोरेशन ही बन पाते थे. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण क्या था? इसका सीधा सा जवाब है कि तब इंटरनेट का फैलाव इतना ज्यादा नहीं था. आपको बता दें कि अब सिचुएशन बदल चुकी है. इस सिचुएशन को बदलने के लिए हमें इंटरनेट का शुक्रिया भी अदा करना चाहिए.
आज वो समय आ चुका है जब इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से छोटे ब्रांड भी कल्चरली रेलीवेंट बन सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आपका स्टार्ट-अप रातों रात बड़ी कम्पनियों को पीछे छोड़ देगा.
इस किताब के माध्यम से लेखक कहते हैं कि अगर आप भी अपने स्टार्ट-अप से मार्केट को कैप्चर करना चाहते हैं? तो फिर आपको इस मार्केट में अपने गेम को एक अलग लेवल पर लेकर जाना पड़ेगा.
इसके लिए आप खुद से कुछ सवाल पूछिए. जैसे कि आपको पूछना चाहिए कि आपकी टारगेट ऑडियंस कौन है? आप अपनी ऑडियंस तक कैसे पहुँच सकते हैं? इसी के साथ ही साथ आपको खुद से ये भी पूछना चाहिए कि आप कहाँ पर लैक कर रहे हैं? आप खुद की गलतियों को पहचानने की कोशिश करिए.
इन सबके साथ आपको ये भी पूछना चाहिए कि आप अपनी ऑडियंस की अटेंशन कैसे पा सकते हैं? अटेंशन पाने के लिए आप किसी इवेंट को स्पॉन्सर या फिर होस्ट भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आपके ब्रांड के बारे में लोगों को पता चलेगा.
इस चैप्टर के माध्यम से लेखक ये बताना चाहते हैं कि डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में कस्टमर रिलेशनशिप का महत्व काफी ज्यादा है. इसी के साथ ही साथ लेखक ये भी कहते हैं कि इस रिलेशनशिप के लिए कम्युनिकेशन का रोल भी काफी ज्यादा है.
जब कभी भी आप अपनी टारगेट ऑडियंस से कम्यूनिकेट करने की कोशिश करें. तब आपकी पहली कोशिश रहनी चाहिए कि आप अथेंटिक रहें. ऐसे वादे कभी ना करें जिनको आप फ्यूचर में पूरा ना कर सकें. आनेस्टी, ट्रांसपरेंसी और अथेंटीसिटी ही वो तीन खम्बे हैं. जिन्हें पकड़कर आपको चलते रहना है.
जब तक आप अथेंटिक रहेंगे तब तक आपका मैसेज भी कस्टमर तक सही ढ़ंग से पहुँचता रहेगा. धीरे-धीरे आपकी टारगेट ऑडियंस का भी आपके फर्म के साथ अच्छा रिलेशनशिप डेवलप होगा.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि अपने मैसेज को कन्वे करने के लिए कंटेंट को कैसे क्रिएट करना है? आपको इसी सवाल का जवाब आने वाले अध्याय में मिलेगा.
मैसेज और स्टोरी टेलिंग के अंदाज़ के साथ सदाबहार कंटेंट क्रिएट करने की कोशिश करिए
अब तक आपको अपने ब्रांड के बारे में पता चल चुका है. इसी के साथ ही साथ आपको अपनी टारगेट ऑडियंस के बारे में भी पता है. आपको ये भी पता है कि उन्हें क्या अच्छा लगता है. इसी के साथ आपको ये भी पता है कि कंटेंट में क्या होना चाहिए. तो फिर अब समय आ गया है कि आपको ये भी पता चले कि कंटेंट को क्रिएट कैसे करना है?
इंटरनेट में जितने भी चैटर हैं. उनके पास अपने ब्रांड को पहुँचाने के लिए आप दो चीज़ कर सकते हैं. वो ये है कि उन्हें कहानी सुनाइये और वो भी ऐसे कि तरीका सदाबहार होना चाहिए.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये एवरग्रीन कंटेंट आखिर होता क्या है? इसका जवाब ये है कि ऐसा कंटेंट जिसकी उपयोगिता आज से दस साल बाद भी ऐसी ही रहे.
अब ये भी जानना ज़रूरी है कि आखिर टाइम लेस रहने का तरीका क्या है? इसके लिए आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आपका कंटेंट वीडियो या आर्टिकल फॉर्म में रहे. इसी के साथ ही साथ वो ऐसा होना चाहिए जो आपकी फर्म की वैल्यूज को मैच करता हो. कंटेंट में इमोशन और मोटिवेशन का सही ताल मेल होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो फिर आपकी ऑडियंस इससे बेहतर तरीके से कनेक्ट हो पायेगी.
एग्जाम्पल के तौर पर यहाँ पर लेखक आपको एक कॉस्मेटिक कम्पनी लश की कहानी बताना चाहते हैं. लश ने अपने ब्रांड को एक अलग ही तरीके से प्रमोट किया था. कम्पनी के अधिकारियों ने फैसला किया था कि अब हम ट्रेडिशनल तरीके से प्रमोशन नहीं करेंगे. अब हमारी कोशिश रहेगी कि हम एक ऐसा एडवरटीजमेंट तैयार करें, जिसमे हम अपनी ऑडियंस को एक कहानी बतायेंगे. उस कहानी में ये होगा कि आखिर उनका फेवरेट प्रोडक्ट तैयार कैसे होता है? इससे ऑडियंस को ये पता चलेगा कि हम उनके प्रोडक्ट को लाने के लिए कितनी मेहनत करते हैं?
इस एड का असर क्या हुआ था? आपको बता दें कि ये एड काफी ज्यादा वायरल हो गया था. इसे ऑडियंस ने काफी ज्यादा पसंद भी किया था. एड का ऐसा असर हुआ था कि देखते ही देखते ये कम्पनी कॉस्मेटिक इंडस्ट्री की लीड प्लेयर बन गयी थी.
इस एग्जाम्पल से हमें ये पता चलता है कि इंसान की जिंदगी में ज़ज्बात और कहानियों का महत्त्व कितना ज्यादा है?
कॉस्मेटिक कम्पनी लश की सफलता से हम क्या सीख सकते हैं? उसकी सफलता हमें ये सिखाती है कि अगर हम युनिवर्सल टॉपिक के साथ मैसेज क्रिएट करते हैं. तो फिर वो सालों साल तक पुराना नहीं हो सकता है. इसी के साथ ही साथ लश कम्पनी से हमें ये भी सीखना चाहिए कि स्टोरी टेलिंग का महत्व बहुत ज्यादा है.
उस स्टोरी में अगर इमोशन का मेल-जोल हो तो ऑडियंस आपके ब्रांड के साथ कनेक्ट ज़रूर करेगी. एक अच्छी स्टोरी का बेसिक प्रिंसिपल क्या है? वो ये है कि आपकी स्टोरी के शुरुआत में कोई स्ट्रगल हो और बाद में उसका समाधान निकल आये. इस बेसिक से कांसेप्ट को समझिये और एक प्यारा सा मैसेज अपनी ऑडियंस के साथ कन्वे करने की कोशिश करिए.
आने वाले चैप्टर में हम समझने की कोशिश करेंगे कि सोशल इंगेजमेंट से आप अपने बिजनेस की सेल्स को कैसे बढ़ा सकते हैं?
सोशल इंगेजमेंट के साथ रियल वैल्यू के मेल-जोल से रेवेन्यु भी निकल सकता है.
मान लीजिये कि आपको पता है कि आपका कस्टमर कौन है? इसी के साथ ही साथ आपको ये भी पता है कि वो ऑनलाइन कहाँ पर एक्टिव रहता है? लेकिन फिर भी ये काफी ज्यादा चैलेंजिग है कि आप उसका ध्यान खुद की तरफ खींच पायें. अगर आप उसका ध्यान खींचने में कामयाब भी हो गये. फिर भी वहां से सेल्स निकाल पाना बहुत मुश्किल है.
इस मुश्किल से बाहर निकलने के लिए कई बिजनेस वाले बड़े क्राउड को स्पैम करने लगते हैं. वो काफी ज्यादा लोगों को मैसेज करने लगते हैं. लेकिन आपको बता दें कि ये सही भी नहीं है और इससे ज्यादा फायदा भी नहीं होता है. इस तकनीक को सोशल सेलिंग भी नहीं कहा जाता है.
तो फिर अब सवाल उठता है कि सोशल सेलिंग क्या है? सोशल सेलिंग एक टेकनिक है, इसकी मदद से आप सोशल मीडिया पर अपनी टारगेट ऑडियंस से इंगेज होते हो. इस टेकनिक की मदद से आप उनके साथ बात करते हैं. इसी की मदद से आप उनके साथ एक रिलेशनशिप बिल्ड भी करते हैं. इसी रिलेशनशिप की मदद से आप अपने प्रोडक्ट को वैल्यूज के साथ सेल करते हैं.
ये वर्क करे इसके लिए आपको खुद को सही तरीके से प्रेजेंट करना चाहिए. इसमें तीन बेसिक गाइड लाइन आपकी मदद कर सकती हैं. पहली- रिलेशनशिप बिल्ड करिए और उन्हें वैल्यू प्रोवाइड करने की कोशिश करिए. दूसरी- मददगार बनिये और तीसरी- बी योर सेल्फ, सच्चाई के साथ खड़े रहिये.
जब कभी भी आप अपनी ऑडियंस के साथ इंटरेक्ट करें तो कोशिश करिए कि सीधे उन्हें अपने प्रोडक्ट के लिए पिच ना करें. शुरुआत आप अपनी किसी फ्री सर्विस से भी कर सकते हैं. आप उनकी ऑनलाइन एक्टिविटी को देखते हुए, उन्हें कोई नया आर्टिकल या वीडियो भी सजेस्ट कर सकते हैं. अपनी बात को इस तरह से रखने की कोशिश करिए कि उन्हें लगे कि आप उनकी मदद करना चाहते हैं. उन्हें ये बिल्कुल भी नहीं लगना चाहिए कि आपको बस अपने प्रोडक्ट को सेल करने से ही मतलब है.
फर्स्ट इंट्रेकशन के महत्व को समझने की कोशिश करिए. जब कभी भी किसी भी सोशल मीडिया कांटेक्ट से पहली बार बात हो तो वो एक दम आइस ब्रेकर की तरह होनी चाहिए. कस्टमर के सामने सीधे अपने प्रोडक्ट की सेल्स को पिच नहीं करना है. हमेशा उससे बातचीत करने की कोशिश करनी है. इससे रिलेशनशिप बिल्ड होगी और फ्यूचर में आपको नये कस्टमर भी मिलेंगे.
एग्जाम्पल के तौर पर आप लीडिंग ब्रांड नाइकी को देख सकते हैं. उसने अपने कस्टमर के लिए कई सारे फ्री टूल्स और सर्विस को जनरेट किया है. जिसको लाखों कस्टमर यूज भी करते हैं. इससे नाइकी की सेल्स भी बढ़ती है और उन्हें कस्टमर की वैल्युएबल जानकारी भी मिलती है. रिलेशनशिप बिल्ड करना सीखना हो तो नाइकी जैसे बिग ब्रांड से सीखिए.
कंटेंट में इंगेज,एजुकेट और इंटरटेन का महत्व क्या होता है?
अपने ब्रांड के लिए मार्केटिंग कंटेंट को बनाने के लिए आपके दिमाग में तीन चीज़े होनी चाहिए. वो हैं- इंगेज,एजुकेट और इंटरटेन.
आप कई तरीकों से अपने कस्टमर को वैल्यूज प्रोवाइड कर सकते हैं. अगर आप अपने कैम्पेन कंटेंट से ऑडियंस को इंटरटेन करना चाहते हैं. तब आप ह्यूमर वाले वीडियो कंटेंट के साथ आगे जा सकते हैं.
एजुकेशनल कंटेंट के साथ भी आप अपनी ऑडियंस के साथ एक बेहतर रिश्ता बना सकते हैं. इसके लिए आप अपनी लर्निंग को अपनी ऑडियंस के साथ साझा कर सकते हैं. कई बार देखा गया है कि लोगों ने एजुकेशनल कंटेंट वाले कैम्पेन को काफी ज्यादा पसंद किया है.
भले ही आप इंटरटेन करना चाहें या फिर एजुकेट करना चाहें, दोनों ही स्थति में आपको इंगेजमेंट के ऊपर ध्यान देना नहीं भूलना है. आपको याद रखना है कि आपका कंटेंट ऐसा होना चाहिए जिससे ऑडियंस खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर सके.
ऑडियंस को इंगेज करना किसी कैम्पेन या फिर एड की प्राथमिकता होनी चाहिए. आप ऑनलाइन कंटेंट जनरेशन में तब तक आगे नहीं जा सकते हैं. जब तक आपको ये नहीं पता रहेगा कि आखिर ऑडियंस को इंगेज कैसे रखते हैं?
सोशल मीडिया पर ऑडियंस को इंगेज रखने के कई तरीके हैं. उन्हीं में से एक बेस्ट तरीका है कि ऑडियंस के साथ बात-चीत करते रहिये. उनके कमेंट्स में भी रिप्लाई करना आपका ही काम है.
अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर आपकी ऑडियंस को ये पता चलेगा कि आपके ऊपर विश्वास किया जा सकता है.
जितना ज्यादा ट्रस्ट बिल्ड होगा उतना ही ज्यादा ब्रांड वैल्यू भी बढ़ेगी.
आपको भी ये बात पता होगी कि कई सारी कम्पनियां ऐसी होती हैं. जिनकी प्राथमिकता में कस्टमर सर्विस सबसे नीचे होती है. हालाँकि, बड़े कारपोरेशन कस्टमर सर्विस के ऊपर काफी ध्यान देते हैं. लेकिन आप बड़े कारपोरेशन की नकल तो नहीं कर सकते हैं.
लेकिन आप एक चीज़ कर सकते हैं? क्या है वो चीज़.
वो है ‘पर्सनल कस्टमर सर्विस’, अगर आप ऐसा करने में कामयाब रहते हैं. तो फिर आप अपने कम्पटीशन से काफी आगे निकल सकते हैं.
कई बार ऐसा भी होगा कि आप उदास हो जायेंगे जब कस्टमर आपके प्रोडक्ट में खामी निकालेगा. लेकिन उस समय आपको याद रखना है कि इसको लेकर उदास तभी हो सकते हैं. जब आप इसे इग्नोर करना चाहें. अगर आप इसको इग्नोर करना चाहते हैं. तो फिर उदासी आपकास्वागत है.लेकिन अगर आप लगातार सीखते और आगे बढ़ते रहना चाहते हैं. तो फिर इन कम्प्लेंट्स को सीरियसली लेते हुए इनके समाधान को खोजने की कोशिश करिए.
अगर आप कस्टमर की दिक्कत को इग्नोर करेंगे तो फिर सोशल मीडिया पर आपकी नेगेटिव पब्लिसिटी भी हो सकती है. जिससे आपके बिजनेस को काफी ज्यादा नुकसान होगा. लेकिन अगर आप इन्ही कम्प्लेंट्स को प्रोफेशनली सॉल्व करने की कोशिश करेंगे तो फिर कस्टमर आपकी कोशिश से खुश भी होगा.
जिसका फायदा आपको ऑनलाइन रिव्यु के माध्यम से मिलेगा. इसका सीधा असर आपकी सेल्स पर भी देखने को मिलेगा.
इंटरनेट की सुविधा भी आज के समय में कोई बहुत ज्यादा महंगी नहीं है. इसलिए अब समय आ गया है कि आप इस सुविधा का फायदा उठाइये और अपने कस्टमर से कनेक्ट करने की कोशिश करिए.
इस किताब की समरी के माध्यम से आपने डिजिटल मार्केटिंग के टूल्स के बारे में जानकारी हासिल कर ली है. अब देरी किस बात की है? बस शुरू हो जाइए, अपनी टारगेट ऑडियंस को एह्चानिये और उनके लिए शानदार कंटेंट को तैयार करने की कोशिश करिए.
कुल मिलाकर
डिजिटल मार्केटिंग को समझने के लिए आपको अपनी ऑडियंस को समझना बहुत ज़रूरी है. आपको पता होना चाहिए कि आपकी ऑडियंस क्या चाहती है? इसके साथ ही साथ आपको अपनी बीट के बारे में ज्ञान भी पूरा होना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि आपका प्रोडक्ट और सर्विस क्या है? इससे कस्टमर को क्या फायदे होंगे? डिजिटल मार्केटिंग की छोटी-छोटी तकनीक होती हैं. जिनके बारे में आपने इस किताब की समरी में पढ़ और सुन लिया है.
क्या करें?
अपने ब्रांड और ऑडियंस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करिए. कल के ऊपर कुछ नहीं छोड़ने की आदत डालिए. जितना काम आज कर सकते हैं. उतना आज खत्म करिए.
अपनी ऑडियंस और प्रोडक्ट के बारे में डेटा इकट्ठा करके उन्हें नोट डाउन करिए. इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से अपने प्रोडक्ट को एक ब्रांड में तब्दील करने की कोशिश करिए. डिजिटल की दुनिया और डिजिटल मार्केटिंग आपका इंतज़ार कर रही है.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे We’re All Marketers by Nico De Bruyn
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अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
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