Rohit Bhargava
Why Companies Lose Their Authenticity and How Great Brands Get it Back
दो लफ्ज़ों में
साल 2008 में रिलीज़ हुई किताब “Personality Not Included” बताती है कि आप अपनी कंपनी के साथ अच्छी रिलेशनशिप कैसे डेवलप कर सकते हैं? इस किताब के चैप्टर्स की मदद से आपको पता चलेगा कि अपने बिजनेस के लिए पर्सनालिटी को मज़बूत कैसे बनाना है? इसी के साथ ही साथ ये भी पता चलेगा कि ये फैक्टर इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
ये किताब किसके लिए है?
- आंत्रप्रेन्योर और लीडर्स के लिए
- ऐसे लोगों के लिए जिन्हें अपने बिजनेस को आगे बढ़ाना हो
- मार्केटिंग प्रोफेशनल के लिए
- सभी फील्ड्स के स्टूडेंट्स के लिए
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब के लेखक “Rohit Bhargava” हैं. ये “Influential Marketing Group” के फाउंडर भी हैं. इन्होने 5 बेस्ट सेलिंग किताब का लेखन भी किया है.
कंपनियां एक फेसलेस छवि का लक्ष्य रखती थीं, लेकिन अथेंटिक कनेक्शन अधिक प्रभावी होते हैं
इमैजिन करिए कि आपको कहीं बाहर जाना है. उसके लिए आपको एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़ना है. फ्लाइट के लिए आप टैक्सी बुलाते हैं. टैक्सी से आप एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे. तभी अचानक टैक्सी ड्राईवर आपसे बात करने की शुरुआत करता है. आपको उसकी पर्सनालिटी इंट्रेस्टिंग लगती है. आप बातचीत की शुरुआत कर देते हैं. उस ड्राईवर की बातचीत आपको इतनी अच्छी लगती है कि उतरते वक्त आप उसका नंबर ले लेते हैं. अगली बार जब भी एयरपोर्ट जाना होगा आप उसी को कॉल करेंगे. ऐसा आप उससे बोलते हुए उतरते हैं.
प्लेन में चढ़ने के बाद एयर होस्टेस मिलती है. उसके चेहरे में भी मुस्कान होती है. लेकिन वो आप से जो भी बात करती है. वो फाइल से पढ़-पढ़कर करती है.
अब आप किसकी पर्सनालिटी से ज्यादा इम्प्रेस हुए हैं? जब भी आप अपने दोस्त से बतायेंगे तो किसके बारे में बतायेंगे? आप अपने दोस्त से ड्राईवर के बारे में ही बात करेंगे. इसके पीछे का कारण ये है कि उसकी पर्सनालिटी ने आपके ऊपर छाप छोड़ी है.
बिजनेस कैसे भी हो, छोटा हो या फिर बड़ा हो, उसे आगे बढ़ाने के लिए पर्सनालिटी की ज़रूरत पड़ती है.
इस समरी से आपको पता चलेगा कि बिजनेस की फेस वैल्यू कैसे बनाई जाती है? इसी के साथ आपको ये भी पता चलेगा कि अपनी कंपनी के लिए मज़बूत पर्सनालिटी कैसे बनानी है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
आप विश्व के किसी भी शहर में सफर करिए, वहां पर आपको McDonald’s के आउट लेट मिल ही जाएंगे. ऐसा भी हो सकता है कि इनके आउट लेट्स आपके होम टाउन के लैंड मार्क भी रहें. McDonald’s फेस लेस कंपनी के प्राइम एग्जाम्पल के तौर पर जाने जाता हैं. उनके रेस्तरां की कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं है.
पहले के समय में McDonald’s के जैसी अप्रोच कई कम्पनियां अपनाया करती थीं. तब कम्पनियां कस्टमर के भरोसे पर चलती थीं. इसलिए वो किसी भी पर्सनालिटी को फेस नहीं बनाया करती थीं. उन्हें परिणाम भी उम्मीद के अनुसार ही मिलता था.
उस प्रोसेस में कभी भी कस्टमर पॉवर के साथ कंपनी के कर्मचारी से सीधे बात नहीं कर पाता था. लेकिन अब समय बदल चुका है. अब किसी भी कंपनी का सक्सेस इस बात पर डिपेंड करता है कि उसके और कस्टमर के बीच में संबंध कैसे हैं? हालांकि अभी भी कई कम्पनियां फेस लेस हैं. यही वजह है कि वो कस्टमर से डिसकनेक्टेड भी हैं.
आज के दौर में कम्पनियां एक और गलती करती हैं. वो ये है कि वो अपने नियम और पॉलिसी प्रैक्टिकल नहीं बनाती हैं. एग्जाम्पल के लिए लेखक एक एयरलाइन कंपनी के साथ हुए खुद के अनुभव को साझा करते हैं.
वो बताते हैं कि उन्हें कई बार एयरलाइन में यात्रा के लास्ट मिनट में टिकट नहीं मिला है. भले ही उस एयरलाइन में सीट खाली रही हो. इसके पीछे की वजह ये है कि एयरलाइन कंपनी की पॉलिसी थी कि वो 30 मिनट पहले टिकट इश्यु नहीं करती है.
अब आप ही सोचिए कि ये नियम कस्टमर के लिए कितना बुरा है?
कस्टमर को इस तरह से केवल फेस लेस कम्पनियां ही ट्रीट कर सकती हैं.
इसलिए लेखक सलाह देना चाहते हैं कि अगर आपकी कंपनी है या फिर आप किसी भी बिजनेस की शुरुआत करने वाले हैं. तब आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आप अपने कस्टमर से अच्छा बांड बना सकें.
एक स्पोक्सपर्सन आपके ब्रांड को हाईलाइट भी कर सकता है और खत्म भी कर सकता है
आपने देखा होगा कि कई कम्पनियों के स्पोक्स पर्सन होते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
वैसे अपने ब्रांड के लिए स्पोक्सपर्सन रखना कस्टमर से कनेक्ट करने का बेहतरीन तरीका है. इससे आपके ब्रांड की ह्यूमन वैल्यू कस्टमर के सामने आती है. इससे आप मैसेज दे सकते हैं कि मार्केट में बस आप पैसा ही कमाने के लिए नहीं हैं. अधिकांश किसी भी ब्रांड का स्पोक्स पर्सन पब्लिक के सामने उस ब्रांड की बात करता है. अगर आप अपने ब्रांड के ऑनर हैं. तो फिर आप खुद भी स्पोक्स पर्सन बन सकते हैं.
ऐसा इसलिए क्योंकि आप अपने ब्रांड के बारे में बेहतर जानते हैं. आपको किसी दूसरे इंसान से ज्यादा खुद के ब्रांड के विजन के बारे में पता रहता है. इसलिए इस तकनीक की मदद से आप अच्छी पोजीशन हासिल कर सकते हैं. लोगों से अपने विज़न के बारे में बात करके आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं. इस तरीके से आपकी कंपनी लोगों का विश्वास भी जीत सकती है.
आपको पता होना चाहिए कि स्पोक्स पर्सन भी कई तरह के होते हैं. उसी में एक प्रकार एक्सीडेंटल स्पोक्स पर्सन का भी होता है. ये भी आपके ब्रांड के लिए रियल आवाज़ बन सकते हैं. इसके सबसे फेमस एग्जाम्पल Jared Fogle हैं. जिन्हें सैंडविच कंपनी सबवे ने स्पोक्स पर्सन बनाया था. इन्होने 3 महीनों में इतने ज्यादा पैसों का सबवे आर्डर किया था कि इनका नाम न्यूज़ पेपर में छप गया था. जिसका फायद सबवे कंपनी ने उठाया और इन्हें स्पोक्स पर्सन ही नियुक्त कर दिया था.
लेकिन आप जब भी अपनी कंपनी के लिए स्पोक्स पर्सन का चुनाव करिएगा तो बड़ी सावधानी के साथ करिएगा. आपको पता होना चाहिए कि स्पोक्स पर्सन आपकी कंपनी को ब्रांड बना भी सकते हैं और वो आपकी कंपनी का नाम गिरा भी सकते हैं.
सेलेब्रिटी को भी स्पोक्स पर्सन बनाया जा सकता है. इसका एक फायदा ये होता है कि उनके पास पहले से एक बड़ी ऑडियंस होती है. लेकिन इससे आपको एक नुकसान भी हो सकता है? वो क्या है? इससे आपको फेक ऑडियंस भी मिल सकती है.
इसलिए अपने ब्रांड के लिए किसी को भी स्पोक्स पर्सन चुनने से पहले काफी रिसर्च कर लीजिएगा.
कई कम्पनियां सेलेब्रिटी के चारों तरफ कैम्पेन डिजाईन करती हैं. वो कैम्पेन फेल इसलिए हो जाते हैं क्योंकि सेलेब्रिटी ब्रांड के साथ रियल कनेक्शन नहीं बनाते हैं.
मज़बूत ब्रांड पर्सनालिटी बनाने की कोशिश करिए, इसके लिए कई सिंपल टूल्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं
किसी भी ब्रांड का मुख्य उद्देश्य क्या होना चाहिए? वो ये होना चाहिए कि अपने कस्टमर का ध्यान खींच सके? लेकिन ऐसा कैसे किया जा सकता है?
कई कम्पनियां कस्टमर का ध्यान खींचने के लिए कई मार्केटिंग टूल्स का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन ये टूल्स ज्यादा समय तक नहीं रह पाते हैं.
आसान भाषा में लेखक बताना चाहते हैं कि कस्टमर के दिल में छाने के लिए आपको मार्केटिंग टूल्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
इसके अलावा कुछ सिम्पल टूल्स हैं. जिनकी मदद आप ले सकते हैं. जैसे कि अथेंटिक, ओरिजिनल, यूनिक और टॉकेबल रहना चाहिए.
सबसे पहले अपने ब्रांड को यूनिक रखिए. ऐसे प्रोडक्ट का निर्माण करिए जिसकी मदद से आप मार्केट में सबसे अलग दिख सकें.
दूसरा क्वालिटी इतनी अच्छी होनी चाहिए कि आपकी अथेंटीसिटी बन जाए.
तीसरा कस्टमर के साथ बातचीत बनाकर रखिएगा. इससे आपके प्रोडक्ट की वर्ड ऑफ़ माउथ की मदद से बहुत ज्यादा पब्लिसिटी होगी.
अपने व्यवसाय को एक बैकस्टोरी देने से ग्राहकों के बीच इमोशनल कनेक्शन को बढ़ावा मिलेगा
अच्छी कहानी सभी को पसंद होती है. कहानी के माध्यम से आप लोगों का खुद के ब्रांड के प्रति भरोसा जीत सकते हैं.
बिजनेस की बैक स्टोरी एक बहुत अच्छी टूल साबित हो सकती है.
5 मॉडल्स की मदद से आप खुद के बिजनेस की बैक स्टोरी बना सकते हैं.
अपने बिजनेस में पैशन को लाने की कोशिश करिए. इसके लिए आप StoryvilleCoffee की कहानी पढ़ सकते हैं.
दूसरा मॉडल है कि आपको स्मार्ट लिसनर बनना होगा. अपने प्रोडक्ट को कस्टमर के हिसाब से डिजाईन करना होगा. सर्विस के बाद कस्टमर के रिव्यु को समझने की कोशिश करिएगा.
तीसरा मॉडल है कि अपने दिमाग को साइंटिस्ट की तरह चलाने की कोशिश किया करिए. अपने प्रोडक्ट में नया क्या कर सकते हैं? ये आपको पता होना चाहिए. इन्वेंशन की खूबी अपने अंदर पैदा करने की कोशिश करिए.
चौथा मॉडल ये है कि आपको हीरो की तरह सभी मुश्किलों का सामना करना होगा. लोग बोलेंगे कि ऐसा नहीं हो सकता है. लेकिन आपको अपने विश्वास पर डटे रहना है.
पांचवा मॉडल है कि बाज़ार से डरना नहीं है. हर बिजनेस के बड़े ऑनर बैठे हुए हैं. जिनसे सीधा वास्ता आपका पड़ने वाला है. बस उस बैटल के लिए तैयार रहिएगा.
आपकी आर्गेनाईजेशन के सामने कई बैरियर आएंगे, सबका सामना दिलेरी से करना है
क्या आप कभी ऐसी जॉब में थे जिसे आप पसंद नहीं करते थे? लेकिन फिर भी आप उसे बदल नहीं पा रहे थे.वो बस इसलिए क्योंकि आपको चेंज करने से डर लग रहा था.
इसी तरह के डर की वजह से इंसान प्रोग्रेस नहीं कर पाता है.
यही चीज़ बिजनेस में भी लागु होती है.
कई कम्पनियों को थिंकर्स से डर लगता है. उन्हें ऐसा लगता है कि थिंकर्स उनकी सोच को चैलेंज करेंगे. यही वजह है कि वो लोगों को आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचने के लिए नहीं कहती हैं.
अगर आप भी कंपनी की शुरुआत करने वाले हैं. तो फिर आपको इस तरह की गलतियों से बचना ही चाहिए. आप अपने बिजनेस में ऐसी गलतियाँ नहीं कर सकते हैं.
आपको बता दें कि आपके बिजनेस के सामने 4 तरह के बैरियर्स आएंगे. जिनका सामना आपको अपनी सूझ बूझ से करना होगा.
पहला बैरियर है कि डेंजर ऑफ़ सक्सेस, जी हाँ कई लोग शुरूआती सफलता के बाद से ही कुछ भी इनोवेटिव करना बंद कर देते हैं. ऐसा आपको नहीं करना है.
दूसरा बैरियर अनसर्टेनिटी का आएगा, ये इनकम से लेकर किसी भी तरह की हो सकती है. इससे डील करना भी आपको सीखना होगा.
तीसरा बैरियर है ट्रेडिशन बैरियर, कई कम्पनियों में देखा जाता है कि वो ओल्ड ट्रेडिशन में अटकी रहती हैं. वो कुछ भी नया करने से डरती हैं. ऐसा आपको नहीं करना है.
चौथा बैरियर ये है कि कभी भी किसी दूसरी कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रेटजी की नकल नहीं करना है. आपको हर चीज़ में ओरिजिनल रहने की कोशिश करना है. इसलिए कहा गया है कि बिजनेस की दुनिया में यूनिक के साथ अथेंटिक रहना भी बहुत ज़रूरी है.
आपकी आर्गेनाईजेशन के सामने कई बैरियर आएंगे, सबका सामना दिलेरी से करना है
क्या आप कभी ऐसी जॉब में थे जिसे आप पसंद नहीं करते थे? लेकिन फिर भी आप उसे बदल नहीं पा रहे थे.वो बस इसलिए क्योंकि आपको चेंज करने से डर लग रहा था.
इसी तरह के डर की वजह से इंसान प्रोग्रेस नहीं कर पाता है.
यही चीज़ बिजनेस में भी लागु होती है.
कई कम्पनियों को थिंकर्स से डर लगता है. उन्हें ऐसा लगता है कि थिंकर्स उनकी सोच को चैलेंज करेंगे. यही वजह है कि वो लोगों को आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचने के लिए नहीं कहती हैं.
अगर आप भी कंपनी की शुरुआत करने वाले हैं. तो फिर आपको इस तरह की गलतियों से बचना ही चाहिए. आप अपने बिजनेस में ऐसी गलतियाँ नहीं कर सकते हैं.
आपको बता दें कि आपके बिजनेस के सामने 4 तरह के बैरियर्स आएंगे. जिनका सामना आपको अपनी सूझ बूझ से करना होगा.
पहला बैरियर है कि डेंजर ऑफ़ सक्सेस, जी हाँ कई लोग शुरूआती सफलता के बाद से ही कुछ भी इनोवेटिव करना बंद कर देते हैं. ऐसा आपको नहीं करना है.
दूसरा बैरियर अनसर्टेनिटी का आएगा, ये इनकम से लेकर किसी भी तरह की हो सकती है. इससे डील करना भी आपको सीखना होगा.
तीसरा बैरियर है ट्रेडिशन बैरियर, कई कम्पनियों में देखा जाता है कि वो ओल्ड ट्रेडिशन में अटकी रहती हैं. वो कुछ भी नया करने से डरती हैं. ऐसा आपको नहीं करना है.
चौथा बैरियर ये है कि कभी भी किसी दूसरी कंपनी की मार्केटिंग स्ट्रेटजी की नकल नहीं करना है. आपको हर चीज़ में ओरिजिनल रहने की कोशिश करना है. इसलिए कहा गया है कि बिजनेस की दुनिया में यूनिक के साथ अथेंटिक रहना भी बहुत ज़रूरी है.
कस्टमर से डील करते आपके ब्रांड से आना चाहिए, यहीं से आपकी पर्सनालिटी का निर्माण भी होगा
कस्टमर का आपके ब्रांड के साथ अच्छा अनुभव हो, ये इस बात पर डिपेंड करता है कि आप कस्टमर के साथ डील कैसे करते हैं? इस तरह की चीज़ों को पर्सनालिटी मोमेंट्स भी कहा जाता है.
इस तरह के मोमेंट्स छोटी-छोटी चीज़ों पर निर्भर करते हैं. पर्सनालिटी मोमेंट्स के लिए ज़रूरी नहीं है कि आपका कस्टमर के साथ सीधा संवाद हो.
इसे आप कस्टमर से डायरेक्ट कांटेक्ट के बिना भी क्रिएट कर सकते हैं. एग्जाम्पल के लिए जब भी कस्टमर आपके प्रोडक्ट को अनपैक करेगा तो उसे कुछ ऐसा लिखा हुआ मिले, जिससे उसका दिल खुश हो जाए.
या फिर उसे डिस्क्रिप्शन में हर छोटी-छोटी डिटेल दी हुई हो, जिससे उसका यूज़र एक्सपीरियंस बढ़ियां हों.
लेकिन इस तरह के मोमेंट्स को क्रिएट करने से पहले आपको कस्टमर का अटेंशन अपने ब्रांड की ओर खींचना होगा.
इसलिए कहा गया है कि अपने ब्रांड को कुछ इस तरह से डिजाईन करिएगा कि लोगों का ध्यान आपके ब्रांड की ओर जाना चाहिए. जब तक लोगों का अटेंशन आपके ब्रांड को नहीं मिलेगा. तब तक आप स्पेशल मोमेंट्स क्रिएट नहीं कर सकते हैं.
Volkswagen ने लोगों का ध्यान खींचा था कि अब उनकी कार से एक्सीडेंट नहीं होंगे. उन्होंने अपने ब्रांड की कार के सेफ्टी फीचर्स में बहुत ज्यादा ध्यान दिया था. जिसकी वजह से लोगों की अटेंशन इस कार कंपनी की तरफ गई थी. Volkswagen जैसी नामी कंपनी ने अपने प्रोडक्ट में क्वालिटी देते हुए कस्टमर के अटेंशन को ग्रैब किया था.
इस एग्जाम्पल से आपको समझ में आया होगा कि किसी भी बिजनेस में क्वालिटी का रोल कितना ज्यादा बढ़ जाता है.
कुल मिलाकर
सक्सेसफुल बिजनेस का मतलब क्या होता है? आपको कई बार इस सवाल से होकर गुज़रना पड़ता होगा. इसका जवाब ये है कि “एक ऐसे ब्रांड का निर्माण करना जिससे कस्टमर सीधे कनेक्ट हो सकें” इसी चीज़ को सक्सेसफुल बिजनेस के तौर पर देखा जाता है. इसके लिए आपको कुछ अलग करने के लिए तैयार रहना होगा. खुद की पर्सनालिटी से हारने के डर को हटा दीजिए. कस्टमर के साथ रियल कनेक्शन बनाने की कोशिश करिए.
क्या करें?
कम्पटीशन से डरना नहीं है. याद रखिए कि अगर कम्पटीशन नहीं होगा तो फिर किसी भी बिजनेस में मज़ा भी नहीं आएगा. अपने कम्पटीटर की नज़रों से खुद के बिजनेस को देखने की कोशिश करिए, अपने मज़बूत पॉइंट्स को समझने की कोशिश करिए. इसी के साथ अपने कमज़ोर पॉइंट्स के ऊपर काम करने की कोशिश करिए.
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