M. Tamra Chandler and Laura Dowling Grealish
आखिर हमें फीडबैक से डर क्यों लगता है और किस तरह से हम इस डर से खुद को दूर कर सकते हैं।
दो लफ्जों में
2019 में आई ये बुक एक गाइड की तरह वर्क करती है और हमें फीडबैक से लगने वाले डर के अगेंस्ट कैसे वर्क करना है वो बताती है। इस बुक में हम जानेंगे कि हम किस तरह से फीडबैक के लिए आने वाली नेगेटिव फीलिंग से बच सकते हैं। ये बुक हमें ये भी बताती है कि तरह से हम पॉजिटिव फीडबैक कल्चर डेवलप कर सकते हैं।
ये बुक किसके लिए है?
ये बुक उस व्यक्ति के लिए है जिसको फीडबैक देते टाइम और रिसीव करते टाइम अनकंफर्टेबल फील होता है।
ये बुक उन लीडर्स के लिए भी है जो चाहते हैं कि उनके साथ काम करने वाले लोग अच्छे फीडबैक कल्चर की हेल्प से अच्छी ग्रोथ कर सकें।
ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो वर्कप्लेस में इम्प्रूवमेंट चाहते हैं।
लेखक के बारे में
Tamra Chandler पीपल फर्म के फाउंडर और सीईओ हैं। फोर्ब्स मैगजीन के एकॉर्डिंग पीपल फर्म अमेरिका की बेस्ट मैनेजमेंट कन्सल्टेंसी है। Laura Dowling Grealish उसी फर्म में सीनियर कन्सलटेन्ट हैं। ये फर्म बड़ी बड़ी कम्पनी के इंटरनल कल्चर को बेटर करने में हेल्प करती है।
आज के टाइम में फीडबैक की इम्पोर्टेन्स थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन इम्प्रूवमेंट और ग्रोथ के लिए फीडबैक आज भी उतना ही इम्पोर्टेन्ट होता है।
अगर आपको भी फीडबैक के बारे में सुनते ही डर लगता है और आपकी हार्ट बीट बढ़ जाती है तो फिर आप ने फीडबैक को सही वे में आज तक समझा ही नहीं है। हम सभी फीडबैक को पनिशमेंट सेल्फ डाउट ऑकवर्डनेस की तरह देखते है। कभी कभी तो हम लोग पॉजिटिव फीडबैक को भी नेगेटिव कंसीडर कर लेते हैं। लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। फीडबैक हमें वो सब इन्फॉर्मेशन प्रोवाइड करता है जिसकी हेल्प से हम ग्रो कर सकते हैं। फीडबैक की हेल्प से हम समझ सकते हैं कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं। तो अभी ये राइट टाइम है कि हम सभी फीडबैक को पॉजिटिव तरीके से कंसीडर करें। और ये काफी इजी है। फीडबैक के प्रति अपनी अप्रोच बेटर करना काफी आसान है और इस बुक में हम यही जानेंगे कि आखिर इसे करना कैसे है। इस समरी में आप जानेंगे कि आखिर बेटर फीडबैक हमारे बिजनेस के फाइनेंसियल रिजल्ट को कैसे बेटर कर सकते हैं? पॉजिटिव कनेक्शन किस तरह से हेल्थी फीडबैक के फाउंडेशन को डेवलप कर सकते हैं? और फीडबैक के इम्पैक्ट को बेटर करने के लिए कौन कौन से आईडिया और सजेसन की हमें नीड है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
सोचिये की आप ऑफिस पहुंचकर अपना काम शुरू ही करने जा रहे थे कि तभी आपके बॉस आपके केबिन के पास आके कहते हैं कि आप मेरे ऑफिस में आइये मेरे पास आपके लिए फीडबैक है। ऐसा सुनकर लगभग हर व्यक्ति परेशान हो जाएगा। वो नर्वस फील करने लगेगा और सोचेगा की मैंने कुछ गलत तो नहीं कर दिया या फिर कुछ ऐसा तो नहीं कर दिया जो मुझे नहीं करना चाहिए था।
लेकिन हम कभी ये नहीं सोचते कि क्या पता फीडबैक पॉजिटिव हो। हम बस उसके बारे में सुनते ही नेगेटिविटी के बारे में सोचने लगते हैं और नर्वस हो जाते हैं।
फीडबैक को शुरू से ही गलत तरीके से हैंडल किया जा रहा है। जो खराब लीडर्स होते हैं वो फीडबैक को अपने अंडर काम करने वाले एम्पलॉय को पनिश करने के लिए यूज़ करते हैं। कभी कभी अच्छे लीडर्स भी फीडबैक को गलत तरीके से हैंडल करते हैं। वो लोग सारा फीडबैक इकट्ठा करके एक साथ एम्पलॉय के सामने पेश करते हैं। और यहाँ पर फाल्ट सिर्फ फीडबैक देने वाले व्यक्ति का नहीं है। हम सभी भी फीडबैक को हल्के में ले लेते हैं।
लेकिन ये सही नहीं है क्योंकि अगर फीडबैक को सही तरह से डिलीवर किया जाए तो उसकी हेल्प से बहुत इम्प्रूवमेंट किया जा सकता है। 2018 में यूनाइटेड स्टेट्स की 57 कम्पनी में ये रिसर्च की गई कि किस तरह से एम्पलॉय की परफॉर्मेंस को और ज्यादा बेटर किया जा सकता है। रिसर्च में ये सामने आया कि जिस भी कम्पनी के मैनेजर्स अपने एम्पलॉय को सही तरह से फीडबैक दे रहे थे उस कम्पनी में कंटीन्यू इम्प्रूवमेंट देखने को मिला। और तो और स्टडी में ये भी सामने आया कि अच्छा फीडबैक एम्पलॉय के लिए मोटिवेशन का काम भी करता है।
हालांकि लोग फीडबैक को नेगेटिविटी की तरह से देखते हैं लेकिन इसके बावजूद ऑथर के पास मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स इस बात की कंप्लेन लेकर आते हैं कि उन्हें उनके वर्क के रिगार्डिंग फीडबैक नहीं मिलता। एक और स्टडी के एकॉर्डिंग ये पाया गया है कि 63% एम्पलॉय चाहते हैं कि उनको और ज्यादा फीडबैक मिले और इनमें से लगभग 83% एम्पलॉय फीडबैक को अप्रिसिएट भी करते हैं चाहे वो फीडबैक पॉजिटिव हो या फिर नेगेटिव।
लोगों को अच्छा फीडबैक चाहिए होता है और किसी भी कम्पनी में अच्छा फीडबैक देने वाला कल्चर डेवलप करना इम्पोर्टेन्ट है। लेकिन इसके बारे में सोचने से पहले हमें ये जानना होगा कि हम गलती कहाँ कर रहे हैं।
फीडबैक हम सभी को डरवाने लगते हैं और कभी कभी ये हमारी नर्वसनेस और स्ट्रेस का कारण भी बन जाते हैं।
तो आखिर फीडबैक वर्ड हमें हॉन्ट क्यों करता है? इस सवाल का जवाब हमारे अपने माइंड और अपने पास्ट में छुपा है। अगर किसी व्यक्ति ने पास्ट में नेगेटिव फीडबैक प्राप्त किये हैं तो दोबारा जब उसको कोई फीडबैक देने जाएगा तो उसके मन में फियर यानी डर का रिसपॉन्स पैदा हो जाएगा चाहे उसे मिलने वाला फीडबैक बाद में पॉजिटिव ही क्यों न निकले। ये रिसपॉन्स हमारे पास्ट से आया है क्योंकि पहले के टाइम में जब हम कोई ऐसी चीज एक्सपीरियंस करते थे जो डर का अनुभव कराती थी तो हमारे हांथ पैर कांपने लगते थे, हमारा गला सूख जाता था, हमारी हार्ट बीट बढ़ जाती थी। उस टाइम की बात और थी और आज की बात और है। आज कल लोग फीडबैक के रिस्पांस में भी ऐसे बिहैव करते हैं जैसे उन्हें किसी चीज से डर लग रहा हो। और इस वजह से हम कभी फीडबैक को सही तरह से समझ नहीं पाते और उस फीडबैक का सही मतलब नहीं समझ पाते। आइये जानते हैं कि अगर फीडबैक के बारे में सुनते ही आपको भी डर लगने लगता है और आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती है तब आपको ऐसी सिचुएशन में क्या करना चाहिए।
सबसे पहली बात कोशिश करें की शांत रहें और सबकी बात को ध्यान से सुनें। हमारा माइंड एक टाइम पर एक ही काम कर सकता है। और अगर हम अपनी फिजिकल बॉडी पर फोकस करते हैं तो ऐसा करने से हम कुछ देर के लिए अपना फोकस किसी ऐसी चीज से शिफ्ट कर सकते हैं जो हमें डराती है।
इसलिए जब कभी आपको किसी चीज की वजह से स्ट्रेस फील हो रहा हो या फिर फीडबैक के बारे में सुनके थोड़ा अजीब लगे तो उस टाइम आप 4-7-8 रिलैक्सेशन की टेक्निक का यूज़ कर सकते हैं। फोर तक काउंट करते करते सांस लें और फिर 7 सेकंड तक अपनी सांस को रोक कर रखें। इससे होगा ये कि आपकी हार्ट बीट नार्मल हो जाएगी और आपको रिलैक्स फील होगा। और एन्ड में 8 सेकंड तक अपनी सांस को बाहर छोड़ें।
हालांकि इस टेक्निक की हेल्प से आप किसी प्रॉब्लम को लांग टर्म के लिए नहीं सॉल्व कर सकते लेकिन फीडबैक के अगेंस्ट आप अपनी अप्रोच को बेटर कर सकते हैं।
लाइफ में आगे बढ़ने के लिए हमें क्लियर और स्पेसिफिक फीडबैक के साथ ग्रोथ वाले माइंडसेट की नीड होती है। ऑथर के एकॉर्डिंग फीडबैक एक क्लियर और स्पेसिफिक इन्फॉर्मेशन की तरह डिफाइन किया जाना चाहिए। और जो भी व्यक्ति किसी दूसरे को फीडबैक देता है उसे हमेशा ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उसके द्वारा दिया जाने वाला फीडबैक ऐसा हो जो सामने वाले व्यक्ति की ग्रोथ में और उसे इम्प्रूव करने में हेल्प कर सके।
आइये डिटेल में इसको समझने की कोशिश करते हैं। सबसे पहली चीज फीडबैक स्पेसिफिक और क्लियर होना चाहिए। जैसे कभी कभी हम किसी से कहते हैं कि आप जो कर रहे हैं वही आगे भी करते रहिए या फिर हम कहते हैं कि उस व्यक्ति को देखो वो कितना अच्छा वर्क कर रह तुम भी उसी की तरह करो। तो इस तरह के फीडबैक का कुछ मतलब नहीं होता। किसी को किसी वर्क के लिए इन्सपायर करने का बेस्ट वे यही है कि उसको क्लियर इन्फॉर्मेशन प्रोवाइड की जाए। दूसरी इम्पोर्टेन्ट चीज ये कि हमें इस बात का वेट नहीं करना चाहिए की कोई आके हमें फीडबैक प्रोवाइड करेगा बल्कि कभी कभी हमें खुद ही दूसरों से अपने बारे में फीडबैक ले लेना चाहिए। और सबसे लास्ट चीज ये कि फीडबैक का यूज़ हमेशा ग्रोथ करने के लिए करना चाहिए। क्योंकि अगर फीडबैक की वजह से किसी व्यक्ति में इम्प्रूवमेंट नहीं होगा तो उस फीडबैक का क्या मतलब रह जाएगा। फीडबैक का यूज़ कभी दूसरों पर अपनी सुपिरियरटी शो करने के लिए नहीं करना चाहिए बल्कि फीडबैक का यूज़ दूसरों को इम्प्रूव करने में हेल्प करने के लिए करना चाहिए।
और अगर आपको फीडबैक के प्रति अपने एटीट्यूड को चेंज करना है तो उसके लिए ग्रोथ माइंडसेट का होना बहुत जरूरी है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजिस्ट कैरोल ड्वेक का मानना है कि जो लोग फिक्स्ड माइंडसेट के साथ लाइफ जीते हैं उनको लगता है कि उनका टैलेंट और और उनकी इंटेलीजेंस भी फिक्स्ड है। और इसी वजह से फिर वो लोग खुद को डेवलप करने के लिए कुछ और एफर्ट नहीं करते। लेकिन जिन लोगों के पास ग्रोथ माइंडसेट होता है उनको लगता है कि टैलेंट तो बस स्टार्टिंग पॉइंट है और उस टैलेंट का फुल यूज़ करने के लिए उनको और ज्यादा बेटर करने की जरूरत है। कैरोल ड्वेक का मानना है कि जो लोग फिक्स्ड माइंडसेट के साथ लाइफ जीते हैं वो लोग नेगेटिव फीडबैक को इग्नोर कर देते हैं चाहे वो कितना भी यूज़फुल हो जबकि ग्रोथ माइंडसेट वाले लोग फीडबैक और क्रिटिसिजम को लर्निंग एक्सपीरियंस की तरह देखते हैं।
इसलिए अगर आप ग्रोथ माइंडसेट को अक़्वायर करते हैं तो फीडबैक लिए आप अपनी अप्रोच को और बेटर कर पाएंगे और उससे कुछ सीख पाएंगे। अगर किसी चीज के लिए आपका माइंड कहता है कि आप उसे नहीं कर सकते तो अपने माइंड को ये समझाएं की अभी आप उस चीज को नहीं कर सकते लेकिन बाद में उसको आसानी से कर पाएंगे। इससे आप खुद को इम्प्रूव करने की ओर देखेंगे।
कनेक्शन और ट्रस्ट पॉजिटिव फीडबैक कल्चर का फाउंडेशन है।
किसी भी लांग लास्टिंग चीज को डेवलप करने के लिए सॉलिड फाउंडेशन की नीड होती है। पॉजिटिव फीडबैक कल्चर भी सॉलिड फाउंडेशन की तरह ही वर्क करता है। बेटर फीडबैक कल्चर के फाउंडेशन को डेवलप करने के लिए सबसे पहले आपको लोगों के साथ कनेक्शन एस्टेब्लिश करना होगा। क्योंकि लोगों के साथ बात करने से और उनकी बातें सुनने और समझने से ट्रस्ट डेवलप होता है जो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम उन लोगों के द्वारा दिये जाने वाले फीडबैक पर कम ध्यान देते हैं जिनपे हम कम ट्रस्ट करते हैं। इसलिए लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम स्पेंट करें और उनकी बातों को बिना जज किये सुनने की कोशिश करें।
अच्छे कनेक्शन को डेवलप करने के लिए आप जॉन गोटमैन के द्वारा बताया गया एक रूल फॉलो कर सकते हैं। इस रूल को 5:1 रूल के नाम से जाता है जिसका मतलब होता है कि किसी भी रिलेशनशिप में एक नेगेटिव इंटरैक्शन के लिए 5 पॉजिटिव इंटरैक्शन होने चाहिए तभी रिलेशनशिप बेटर रह सकता है। नेक्स्ट स्टेप जो कि काफी सिंपल है लेकिन सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट भी है वो है नोटिस करना। इसका मतलब ये कि किसी भी व्यक्ति को बिना किसी जजमेंट और इमोशन के ऑब्सर्व करना। कई बार ऐसा होता है कि हम लोग फीडबैक का वेट करते हैं जैसे की किसी कम्पनी में काम करने वाले एम्पलॉय इस बात का वेट करते हैं की बॉस के द्वारा दिए जाने वाले एनुअल परफॉर्मेंस रिव्यु में उनको उनके द्वारा किए गए काम के लिए फीडबैक मिलेगा लेकिन इससे होता ये है कि कभी कभी हम लोग लेट हो जाते हैं। इसलिए हमें हमारे कलीग्स को हमेशा नोटिस करते रहना चाहिए कि वो हमें किस तरह रिसपॉन्स कर रहे हैं। इससे हमें खुद को सुधारने के लिर एनुअल परफॉर्मेंस रिव्यु का वेट नहीं करना पड़ेगा। जब आप चीजों को नोटिस करने लग जाएंगे तो इससे आपकी हेल्पफुल फीडबैक देने की एबिलिटी भी बेहतर होगी।
अगर आप चाहते हैं कि आपको फीडबैक मिले तो उसके लिए आपको स्पेसिफिक होना पड़ेगा और मल्टीपल रिसोर्स पर फोकस करना होगा। अगर आप चाहते हैं कि आपकी परफॉर्मेंस इम्प्रूव हो तो इसके लिए जरूरी है कि आप लोगों से अपने वर्क के ऊपर फीडबैक लें। कभी कभी ऐसा होता है कि हम फीडबैक मिलने का वेट करते हैं लेकिन अगर हमको इम्प्रूव करना है तो हमे खुद लोगों से फीडबैक लेना चाहिए। लीडरशिप कन्सलटेन्ट जैक जेंगर ने हाल में एक आर्टिकल में ये बताया है कि रिसर्च के एकॉर्डिंग जिस कम्पनी में एम्पलॉय फीडबैक का वेट किये बिना जाके लोगों से अपने वर्क पर फीडबैक लेते हैं उस कम्पनी की ग्रोथ काफी अच्छी होती है।
तो क्यों न आप भी अपनी कम्पनी या फिर ऑर्गेनाइजेशन में ऐसा कल्चर डेवलप करें की एम्पलॉय खुद जाकर दूसरों से अपने वर्क पर फीडबैक ले सके। आइये आपको कुछ ऐसे आईडिया देते हैं जिनकी हेल्प से आप ऐसा कर सकते हैं। सबसे पहली चीज ये कि अगर आप किसी से फीडबैक लेने जाए तो उससे ऐसा कुछ न पूछें जो उस व्यक्ति को बोर करे। ज्यादा से ज्यादा स्पेसिफिक होने की कोशिश करें। जैसे की मान लीजिये आप कोई प्रेजेंटेशन डिलीवर करने जा रहे हैं लेकिन कभी कभी आप प्रेजेंटेशन के टाइम बोलने में हिचकिचा जाते हैं तो आप अपने मैनेजर से इस बात पर फीडबैक लेने के लिए ये बोल सकते हैं कि आज मेरी प्रेजेंटेशन है तो क्या आप मेरी बॉडी लैंग्वेज और ऑडियंस के आई कॉनटेक्ट पर नजर रख सकते हैं? इससे आपके मैनेजर को एक क्लेरिटी मिल जाएगी की आप चाहते क्या हैं और फिर वो रिटर्न में आपको अच्छी और स्पेसिफिक इंफॉर्मेशन दे पाएगा।
दूसरी सबसे इम्पोर्टेन्ट चीज जिस पर आपको ध्यान देना है वो ये की आप किस तरह से अलग अलग सोर्स से फीडबैक ले सकते हैं। क्योंकि आप जितने ज्यादा लोगों से फीडबैक लेंगे आपके पास लर्न करने का उतना ज्यादा मौका होगा। और इससे आपको अलग अलग लोगों का पर्सपेक्टिव जानने को मिलेगा। इसलिए सोचिये की कौन कौन आपको बेहतर फीडबैक दे सकता है। कभी कभी ऐसा होता है कि हमें लगता है कि हमसे सीनियर लोग ही हमें अच्छा फीडबैक दे सकते हैं लेकिन ये सोच बिल्कुल गलत है क्योंकि हमारे साथ काम करने वाले लोग हमें ज्यादा जानते हैं इसलिए वो हमें ज्यादा बेटर फीडबैक प्रोवाइड कर सकते हैं।
कोशिश करें की सही सवाल करें और अपने इमोशनल रिसपॉन्स पर कंट्रोल रखें जिससे की आप फीडबैक को पूरी तरह से यूटीलाइज कर पाएं।
जब आप फीडबैक सुनते हैं तो ऐसा नहीं है कि आपको चुपचाप बैठकर बस सामने वाले की बात को सुनना है। अगर आपको बेटर फीडबैक चाहिए तो आपको भी कुछ करना पड़ेगा। किसी भी फीडबैक सेशन को बेटर बनाने के लिए आपको बस एक चीज करनी है और वो ये है कि आपको फीडबैक देने वाले व्यक्ति से सही सवाल करने हैं। फीडबैक सुनते टाइम आप फीडबैक देने वाले व्यक्ति से पूछ सकते हैं कि "आप कोई ऐसा एग्जाम्पल देंगे जब आपने मेरे अंदर ये चीज नोटिस की थी?"इससे आपको उस चीज को डिटेल में और स्पेसिफिक तरीके से समझने का मौका मिलेगा। इसके अलावा आप पूछ सकते हैं कि -"मेरे इस बिहैवियर से टीम पर इसका क्या इम्पैक्ट हुआ है?"ऐसे सवाल से आपको ये पता चलेगा कि आपको अपना बिहैवियर क्यों चेंज करने की नीड है। कई बार ऐसा भी होता है कि फीडबैक देने वाला व्यक्ति एक साथ बहुत सी चीजों को बताने लगता है जिससे चीजें कॉम्प्लिकेट हो जाती है तो इसको काउंटर करने के लिए आप पूछ सकते हैं कि -"ऐसी कौन सी चीज है जिसको मुझे सबसे पहले इम्प्रूव करना चाहिए?"
ज्यादातर ऐसा होता है कि जब हम फीडबैक रिसीव करते हैं तो हमारा इमोशनल रिएक्शन सामने वाले व्यक्ति के इंटेंशन के बारे में परसेप्शन बनाने लगता है। जैसे की मान लीजिये आपने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन में कोई टाइपिंग मिस्टेक कर दी तो मैनेजर ने सबके सामने आपको उस मिस्टेक के लिए टोंक दिया। इससे आपको लगेगा की वो आपकी इन्सर्ट कर रहा है। लेकिन रियलिटी में आपके मैनेजर को इस बात का बिल्कुल आईडिया भी नहीं रहा होगा कि उसके मिस्टेक पॉइंट आउट करने से आप सबके सामने एम्बैरेस फील करेंगे। इस चीज को अवॉइड करने के लिए आपको ये सोच रखनी होगी कि फीडबैक देने वाला व्यक्ति हमेशा पॉजिटिव इंटेंट के साथ आपको फीडबैक देता है और वो आपकी हेल्प करने की कोशिश करता है। कभी कभी ऐसा भी होगा जब आपको फीडबैक सुन्ना काफी हार्ड लगेगा। लेकिन ये चीज भी आपके लिए हेल्पफुल हो सकती है क्योंकि सारी नेगेटिव चीजों के बीच में हमारा माइंड कुछ न कुछ पॉजिटिव ढूंढने की कोशिश जरूर करेगा। इसलिए जब आपको कोई हार्ड फीडबैक मिले तो सबसे पहले खुद से सवाल करें कि उसमें बताई गई बातें कितनी सही हैं? आप कैसे इन सब चीजों को पॉजिटिव वे में यूज़ कर सकते हैं? ऐसे सवालों पर फोकस करने से आप प्रोग्रेस कर पाएंगे।
अपने आप को अच्छे से जानने से और छोटी छोटी चीजों पर फोकस करने से आप वैलुएबल फीडबैक देने में सफल हो सकेंगे। अगर आप काफी स्ट्रेटफॉरवर्ड हैं और फ्रैंकली बात करते हैं तो शायद इस बात से आपको गर्व फील होता होगा लेकिन आपकी यही बातें कभी कभी उन लोगों को हर्ट कर सकती हैं जो ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। इसलिए अच्छे फीडबैक का लास्ट स्टेप यही है कि आप खुद को अच्छी तरह से जान लें। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी पर्सनालिटी, आपके कम्युनिकेशन करने का तरीका आपके द्वारा दिए जाने वाले फीडबैक को इन्फ्लुएंस करता है।
इसलिए कोशिश करें कि आप जिस तरह से चीजों को करते हैं उसी तरह से उसको लोगों के सामने पेश करें। और जब जरूरत हो तब अपनी टोन को और अपनी अप्रोच को एडजस्ट करें।
ये भी मेक स्योर करें कि फीडबैक देते टाइम आप अपनी इंटेंशन को लेके एकदम क्लियर रहें। कभी कभी ऐसा होता है कि हम लोगों की हेल्प तो करना चाहते हैं लेकिन पूरी तरह से अपनी इंटेंशन क्लियर करने में असफल रहते हैं। जैसे कि अगर आपको कभी किसी कलीग के ऊपर गुस्सा आ रहा है क्योंकि उसने टाइम पर काम नहीं खत्म किया तो थोड़ा रुककर ये सोचिये की आपके ऐसा करने से क्या वो इंडिविजुअल ग्रोथ कर पायेगा। आखिर उसपर आपके द्वारा दिए जाने वाला गुस्से वाला फीडबैक कैसा इम्पैक्ट करेगा।
आइये जानते हैं कि किस तरह से आप लोगों को टॉप नॉच फीडबैक प्रोवाइड कर सकते हैं। अच्छा फीडबैक देने के लिए सबसे जरूरी यही है कि आप छोटी से छोटी चीज पर ध्यान दें।
हम जितना ज्यादा शेयर करते हैं उतना ही ज्यादा लर्न भी करते हैं। एक स्टडी के एकॉर्डिंग स्कूल स्टूडेंट्स ने तब बेहतर परफॉर्म किया जब उनको किसी प्रोसेस से पहले, प्रोसेस के दौरान और प्रोसेस के बाद टाइम टू टाइम फीडबैक दिया गया। और उन स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस में कोई इम्प्रूवमेंट नहीं था जिनको किसी प्रोसेस के लास्ट में फीडबैक दिया गया। और बिल्कुल उसी तरह एडल्ट्स भी हैं। हमें भी टाइम टू टाइम फीडबैक की नीड होती है। रिसर्च के एकॉर्डिंग दो वीक में एक बार फीडबैक मिलना काफी इम्प्रूवमेंट कर सकता है।
हो सकता है कि आपको लगे की आप हर दो वीक में फीडबैक के लिए टाइम नहीं निकाल सकते हैं तो कोशिश करें कि रिसीवर को किसी एक चीज पर फोकस करने के लिए कहें और फिर उसके एकॉर्डिंग वो आपको फीडबैक प्रोवाइड कर सकता है। चीजों को स्माल रखने से हम मिलने वाले फीडबैक पर अच्छे से एक्ट कर सकते हैं। और इसको शुरू करने का सबसे अच्छा वे है कि आप अपने आस पास होने वाली हर इम्पोर्टेन्ट चीज पर ध्यान दें।
फाइनल एडवाइस आपके लिए यही है कि ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव फीडबैक देने की कोशिश करें। रिसर्च के एकॉर्डिंग आजकल के मैनेजर्स पॉजिटिव फीडबैक देने में काफी पीछे रह जाते हैं इसलिए अगर आपको लगता है कि आप पॉजिटिव फीडबैक दे रहे हैं तो उसको और ज्यादा पॉजिटिव बनाने की कोशिश करें।
कुल मिलाकर
हम में से बहुत से लोगों के लिए फीडबैक एक खराब वर्ड है। जब हम फीडबैक के बारे में सुनते हैं तो हमें डर का एक्सपीरियंस होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर फीडबैक को पॉजिटिव तरीके से पेश किया जाए तो वो हमारी पर्सनल ग्रोथ में हमारी हेल्प कर सकता है। फ्रीक्वेंट फीडबैक की हेल्प से हम फीडबैक के प्रति अपना डर खत्म कर सकते हैं।
क्या करें
जब हम कभी किसी को फीडबैक देते हैं तो हमारे द्वारा दिया जाने वाला फीडबैक हमारे अपने स्टीरियोटाइप से इंफ्लुएंस होता है। इस बात को चेक करने के लिए की हमारे द्वारा दिया जाने वाला फीडबैक हमारे इमोशन और हमारे एटीट्यूड से कितना इंफ्लुएंस है हमें इंप्लीसिट टेस्ट देना चाहिए जोकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Feedback by M. Tamra Chandler and Laura Dowling Grealish
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.