David Cohen and Brad Feld
स्टार्ट-अप को कामयाब बनाने का तरीका
दो लफ्जों में
अगर आप खुद के नये स्टार्ट-अप की शुरुआत करना चाहते हैं. तो फिर साल 2011 में रिलीज हुई किताब “Do More Faster” आपके लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड के रूप में साबित होगी. अपने करियर के दौरान जब आप सक्सेस की तरफ बढ़ रहे हों. तो सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि आप सही ट्रैक में रहें. इस किताब के माध्यम से आपको उस ट्रैक के बारे में सारी जानकारी हो जायेगी. इन सबके साथ इस किताब से आपको ये भी पता चलेगा कि वर्क और जिंदगी को सही हिसाब से बैलेंस कैसे किया जा सकता है.
ये किताब किसके लिए है?
· ऐसे लोग जो बिजनेस की शुरुआत करना चाहते हों
· ऐसे लोग जिन्हें स्टार्ट-अप कल्चर में इंटरेस्ट हो
लेखक के बारे में
David Cohenकंपनी टेक स्टार्स के ओनर हैं. इसी के साथ उन्होंने कई स्टार्ट-अप की भी शुरुआत की है. अब डेविड मुख्यतः इंटरनेट स्टार्ट-अप पर इन्वेस्ट करते हैं. अब अगर Brad Feldकी बात करें तो उन्हें 25 सालों से भी ज्यादा का अनुभव इन्वेस्टमेंट की फील्ड में है. उन्होंने कई सारे स्टार्ट-अप को फंड किया है.
पैशन का होना बहुत ज़रूरी है
अगर आपके पास ग्रेट बिजनेस आईडिया है? अगर आप अपने आईडिया को लेकर पैशन से भरे हुए हैं? तो फिर आप सही ट्रैक में चल रहे हैं. आप अपने बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं.
लेकिन एक बात सत्य है कि आईडिया होना सक्सेस की गारंटी नहीं है. सक्सेस पाने के लिए कुछ और महत्वपूर्ण चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है.
इस किताब के अध्यायों में आपको पता चलेगा कि किसी भी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है? अगर आपको अपने बिजनेस को आगे ले जाना है तो ये किताब आपके लिए बिल्कुल सही है.
क्या आपको भी ऐसा लगता है कि अगर मेरे पास एक ग्रेट आईडिया होता तो मेरा बिजनेस भी कमाल कर सकता है. अगर आपको भी ऐसा लगता है. तो आपको गलत लगता है. आईडिया बस काफी नहीं होता है किसी भी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए.
इसके पीछे का कारण ये है कि जो भी आईडिया आपके पास है. वो आईडिया और भी लोगों के पास है. क्या पता कोई आपसे पहले उस आईडिया को अप्लाई कर दे. इसलिए हमेशा दिमाग में बैठाकर रखिये कि आईडिया बस से कुछ नहीं होता है. गुड आईडिया से ये भी मतलब नहीं होता है कि आपके स्टार्ट-अप के लिए इन्वेस्टमेंट आने वाला है.
आईडिया पावरफुल होते हैं. लेकिन सबकुछ नहीं होते हैं. इसी के साथ आईडिया को इम्प्रूवमेंट की भी ज़रूरत पड़ती है. इसलिए अगर आप किसी प्रोजेक्ट के ऊपर काम कर रहे हैं. तो आपको उस प्रोजेक्ट के आईडिया को लेकर कई सारे लोगों से बातचीत करते रहना चाहिए.
अगर आप सोचते हैं कि आपके पास बेस्ट आईडिया है. तो आपको याद रखना चाहिए कि बेस्ट आईडिया भी कई पैशन वाले लोगों के लिए सेकंड्री होते हैं. इसलिए हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट से राय लेते रहिये.
अगर आपके पास आईडिया है. तो सबसे पहले खुद से सवाल करिए कि क्या वाकई आपको इस फील्ड को लेकर पैशन भी है? पैशन का ये मतलब नहीं होता है कि आपके पास डिटेल में बिजनेस प्लान हो. पैशन का मतलब होता है कि क्या आप कई दिनों तक उस काम में डूब सकते हैं. क्या आप उस आईडिया के बारे में भरपूर रिसर्च कर सकते हैं? अगर आप अच्छे से रिसर्च कर सकते हों तभी उस आईडिया को लेकर आगे का सफर तय करने का सोचियेगा.
अकेले पहाड़ तोड़ने मत निकल पड़िए
इंसान एक सामजिक प्राणी होता है. जब कभी आप अपनी कंपनी को बनाने के बारे में सोचियेगा तो ये बात मत भूलियेगा.
कभी भी अकेले खुद से बिजनेस को स्टार्ट करने का मत सोचियेगा. अगर आपके पास सभी स्किल्स हैं. तब भी ये पॉसिबल नहीं है.
पहली बात, इस बात को आपको याद रखना है. अपने बिजनेस के शुरूआती दौर में आपको काफी ज्यादा बुरा समय भी देखने को मिलेगा. उसके लिए तैयार रहिएगा. ऐसा भी हो सकता है कि आपके महत्वपूर्ण इन्वेस्टर अपना हाँथ पीछे खींच लें. कई बार आपको नेगेटिव मार्केट ग्रोथ भी देखने को मिल सकता है. अगर आपके पास एक पॉजिटिव टीम रहेगी तो आप कभी निराश नहीं होंगे. आपकी टीम ऐसे समय में आपका साथ देगी.
जब कभी भी कोई बिजनेस की शुरुआत होती है. शुरूआती दौर में उस बिजनेस में बहुत सारे काम होते हैं. इन कामों को अकेले मैनेज करना मुमकिन नहीं होता है. उस दौर में आपको अपना ऑफिस सेट अप करना पड़ता है. कई बार इन्वेस्टर को अपनी ओर आकर्षित करना होता है. कस्टमर के लिए स्ट्रेटजी तैयार करनी पड़ती है. इसलिए कभी भी अकेले स्टार्ट-अप करने के बारे में मत सोचियेगा. एक अच्छी टीम को हायर करना भी आपकी ही जिम्मेदारी है.
एक अच्छी टीम होने का फायदा ये भी होगा कि आपका काम बिल्कुल समय से पूरा हो जायेगा. जब काम समय से पूरा होगा तो आपका प्रोडक्ट भी मार्केट में सही समय से दस्तक देगा. लेकिन अच्छी टीम तभी हो सकती है. जब आप सही टीम का चुनाव करेंगे. अब सवाल ये उठता है कि सही टीम का चुनाव किया कैसे जाता है? इसके लिए एक सिंपल रूल है. ये रूल है कि हमेशा अपने से बेहतर इंसान का चुनाव करिये. जब आप खुद से बेहतर लोगों को अपने बोर्ड में शामिल करेंगे तो आपकी टीम भी बेहतर होती चली जाएगी.
एक बात और ध्यान रखियेगा कि लोगों के चुनाव के समय काफी सावधानी रखियेगा. सावधानी ही बचाव है. यही वो टीम होगी. आपको जिसके साथ लंबे समय के लिए काम करना है.
स्टार्ट-अप सक्सेसफुल कैसे होता है?
आपको क्या लगता है? फैसले छोटे ग्रुप में आसानी से लिए जाते हैं या फिर बड़े ग्रुप में? अगर आपको दोनों तरह की सिचुएशन का एक्सपीरियंस है. तो फिर, आपको पता ही होगा कि छोटे ग्रुप में फैसले आसानी से लिए जाते हैं. इसके पीछे का कारण ये है कि छोटे ग्रुप ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं.
आपको भले ही लगता हो कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों में तो फैसले लेने वाले बहुत सारे लोग होते हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. किसी भी सफल कंपनी को देखिए. उस कम्पनी में फैसले लेने वाले एक या दो लोग ही होते हैं.
इसलिए कई छोटे स्टार्ट-अप भी बहुत बढ़िया करते हैं. क्योंकि छोटे ग्रुप में लोग बेहतर फैसला ले सकते हैं.
फ्लेक्सिबिलिटी ही सबकुछ नहीं है. सबसे बड़ी बात है कि आपका प्रोडक्ट कैसा है? क्योंकि अल्टीमेटली प्रोडक्ट इज द किंग. इस बात को हमेशा याद रखियेगा. इसलिए अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी में कभी भी कमी मत लाइयेगा.
सिंपल बात याद रखिये. अगर आप अपने प्रोडक्ट में बहुत सारे फीचर एड करेंगे तो इसका मतलब साफ़ है कि आप उसको कठिन बना रहे हैं. इससे अच्छा होगा कि क्वालिटी के साथ उसमे कम फीचर एड करिए. जब आप ऐसा कुछ करेंगे तो वो यूज करने में भी आसान होगा.
इसको आप इस तरह भी सोच सकते हैं कि कस्टमर क्या चाहता है? हर कस्टमर यही चाहता है कि आसानी से उसका काम हो जाए. बजाय कि उस प्रोडक्ट में बहुत सारे फीचर हों.
आप जितना ज्यादा अपने कस्टमर का ध्यान रखेंगे. उतना ही सरल और सुविधाजनक आपका प्रोडक्ट तैयार होगा.
फाइनेंस का ध्यान ज़रूर रखना है
सबसे पहले इस बात का ख्याल रखिये कि आपको अपने आईडिया को सही ढ़ंग से पेश करना है. हर स्टार्ट-अप का मोटिव यही होता है कि उसे सही इन्वेस्टर मिल सके. इन्वेस्टर तभी मिलेगा जब उसे आपका बिजनेस आईडिया समझ में आएगा. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि सही तरीके से अपने बिजनेस को सामने वाले के सामने पेश कर सकें.
निवेशक तब निवेश करते हैं जब एक स्टार्ट-अप टीम उन्हें आश्वस्त करती है कि वह अपने विचार को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं. इसका कोई हार्ड एंड फ़ास्ट रुल नहीं है. इन्वेस्टर सबसे पहले आईडिया लाने वाले की पूरी टीम को देखते हैं. वो इस बात का अंदाज़ा लगाते हैं कि इस टीम के अंदर पैशन कितना है? जब उनको पैशन के साथ-साथ काम के प्रति ईमानदारी नज़र आती है. तभी वो किसी बिजनेस आईडिया के ऊपर विचार करते हैं. निवेशक आमतौर पर जुनून, बुद्धि, सहानुभूति वाले लोगों की तलाश करते हैं.
इसके बाद अगर आप सोच रहे हों कि इन्वेस्टर बस टीम को ही देखकर फैसला ले लेते हैं. तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इन्वेस्टर अपने पैसों को इन्वेस्ट करने से पहले प्रोडक्ट को भी देखते हैं. प्रोडक्ट देखकर वो इस बात का अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं कि इस प्रोडक्ट से कस्टमर कितने खुश होंगे?
इसलिए अब ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप खुद के प्रोडक्ट को कितने बेहतर तरीके से सामने वाले के सामने पेश कर सकते हैं? कोशिश करिए कि वीडियो फॉर्मेट में प्रेजेंटेशन बनाकर इन्वेस्टर को दिखा सकें.
इसके साथ ही साथ ये भी कोशिश करिए कि आपके पास मार्केट को लेकर भरपूर नॉलेज होना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि आज कल ट्रेंड में क्या चल रहा है? इसके साथ ही साथ आपको ये भी पता होना चाहिए कि कस्टमर क्या चाहता है? इन्वेस्टर आपके रिसर्च को भी पढ़ते हैं. उन्हें दिखना चाहिए कि आप एक इंटेलिजेंट इंसान हो.
अगर आप टेक्नोलॉजी के सेक्टर में स्टार्ट-अप करना चाहते हैं. तो आपका आर.एंड.डी डिपार्टमेंट बहुत मज़बूत होना चाहिए.
इसके अलावा आपको कानून के के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए.
क्या आपको बिजनेस लॉ के बारे में सबकुछ पता है? अगर नहीं पता है, तो भी घबराने की बात नहीं है. आपको बस कुछ चीज़ों के बारे में पता होना चाहिए. दो मेन बातें हैं. जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए.
पहली बात- आपकी कम्पनी किस प्रकार की है? कई तरह की कम्पनियां होती हैं. हर देश में अलग-अलग तरह की होती हैं. सभी के अपने अलग-अलग एडवांटेज और डिस एडवांटेज है.
दूसरी बात- आपको पता होना चाहिए कि आपकी कम्पनी में शेयर्स कैसे डिवाइड होंगे. ये पहलु ज़रूरी है कि शुरूआती दौर में ही इस बात को और लोगों के साथ आप क्लियर कर लें.
इसके लिए एक टेकनिक होती है. जिसका नाम है ‘वेस्टिंग’. इस टेकनिक का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं. इस टेकनिक के इस्तेमाल से आपको फायदा होगा. फाउंडर मेंबर्स में से अगर कोई जल्दी कम्पनी को छोड़ने का फैसला करता है तो इस टेकनिक की वजह से दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है.
इसी के साथ हमेशा ध्यान रखिये कि आपको एक सही वकील को हायर करके रखना चाहिए. लेकिन वकील को हायर करने से पहले ये देख लीजिएगा कि उसे आपकी फील्ड के बारे में पता होना चाहिए. किसी भी लीगल इशू से खुद को बचाने के लिए आपके पास एक समझदार वकील ज़रूर होना चाहिए. इसी के साथ अगर आपका टेक स्टार्ट-अप है. तो पहले से ही कई चीज़ों को आप पेटेंट करवाकर रख लीजिये. अपनी कम्पनी के नाम के ऊपर भी आपका अधिकार होना चाहिए. अगर आपके पास आपका नाम नहीं है तो आपको इसका बड़ा जुर्माना देना पड़ सकता है. इसलिए पहले तो अपने नाम का सही से पेटेंट करवा लीजिये.
वर्क लाइफ बैलेंस को मेंटेन रखने की कोशिश करिए
अगर आपका काम ही आपका पैशन है. तो ये एक मजेदार जर्नी बन सकता है. लेकिन फिर भी हमेशा याद रखियेगा कि जीवन अलग है और काम अलग है. काम ही जीवन नहीं है.
वर्क लाइफ बैलेंस को समझना ज़रूरी है. इसके पीछे दो कारण हैं. पहला- अगर आप बहुत ज्यादा काम करते हैं. उस काम की वजह से अगर आप खुद को समय नहीं दे पाते हैं तो इसका मतलब है कि आप जल्द ही बर्न आउट होने वाले हैं.
दूसरा कारण ये है कि- अगर आप दिन रात बस काम ही काम करते हैं. तो इसका मतलब ये हैं कि आप अपने रिश्तों को दांव में लगा रहे हैं. इसका परिणाम बहुत ही ज्यादा घातक होने वाला है. इसलिए वर्क लाइफ बैलेंस को समझिये और अपने रिश्तों को समय दीजिये. काम तो ज़रूरी है. लेकिन इतना भी ज़रूरी नहीं है कि आप अपने करीबियों को ही भूल जाएँ.
इसके लिए आप कोशिश कर सकते हैं कि आप काम और जीवन को क्रिएटिव तरीके से जोड़ दें. अगर आप अपने काम और जीवन को जोड़ देते हैं. तो ये और भी ज्यादा मजेदार हो सकता है.
अपने आपको रिफ्रेश रखने का एक और तरीका है. वो तरीका है वेकेशन. खुद को परिवार या दोस्तों के साथ हफ्ते भर का वेकेशन देना भी आपके मूड के लिए काफी अच्छा रहेगा. इससे आपके काम करने क्षमता भी बढ़ेगी. अगर आपका दिमाग स्वस्थ रहेगा तो फिर आपका वर्क लाइफ भी मस्त रहेगा. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि आपकी मेंटल हेल्थ बढ़िया रहे.
वर्क लाइफ बैलेंस का महत्त्व बहुत ज्यादा है. अगर आपके ऊपर वर्क लोड बहुत ज्यादा है. तब भी आपको वर्क लाइफ बैलेंस को नहीं भूलना है.
कुल मिलाकर
बिजनेस की शुरुआत करने का मतलब ये तो बिल्कुल नहीं होता है कि दिन भर बस गणित का हल करते रहो. बिजनेस शुरू करने का मतलब ये होता है कि आप अपने पैशन को फॉलो करने जा रहे हो. कोई भी काम शुरू करने से पहले खुद से सवाल ज़रूर करियेगा कि क्या आप इस काम से प्यार करते हैं? अगर प्यार करते होंगे. तभी आगे की तरफ अपने पाँव को लेकर जाइएगा. क्योंकि जहाँ इश्क होगा वहीं शिद्दत आएगी. जब तक शिद्दत नहीं आएगी तो सिर्फ और सिर्फ समझौता ही होगा. इसलिए ग्रेट चीज़ों का निर्माण समझौता से नहीं होता है.
अगर बड़ी कम्पनियां प्रोडक्टिव नहीं हैं तो उनसे अपने संबंध को आज ही खत्म करिए. बड़े ब्रांड से जुड़ने से पहले सावधान रहिएगा. ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई सारे स्टार्ट-अप अपना काफी समय इसी में बर्बाद करते हैं. अगर आप आगे आसानी से बढ़ सकते हैं. तो किसी का इन्तेजार करने की ज़रूरत नहीं है. आगे बढ़ते रहिये.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Do More Faster By David Cohen and Brad Feld
ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com पर ईमेल करके ज़रूर बताइये.
आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे.
अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं.
और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें.
Keep reading, keep learning, keep growing.