Daring to Trust...... ♥️😇

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Daring to Trust

खुद को सच्चे और गहरे प्यार के लिए तैयार कीजिए।

दो लफ्जों में 
डेयरिंग टू ट्रस्ट (Daring to Trust) में हम देखेंगे कि किस तरह से हम लोगों पर भरोसा करना सीख सकते हैं। यह किताब हमें बताती है कि किन वजहों से हम लोगों पर भरोसा नहीं कर पाते। साथ ही, यह किताब हमें बताती है कि भरोसा करना और रिश्ते बनाना हमारे लिए क्यों जरूरी है। 

यह किसके लिए है 
-वे जो दूसरों पर आसानी से भरोसा नहीं कर पाते।
-वे जो रिश्ते में भरोसे की अहमियत को जानना चाहते हैं।
-वे जो साइकोलाजी के स्टूडेंट हैं।

लेखक के बारे में 
डेविड रीको (David Richo) एक साइकोथेरापिस्ट, टीचर और लेखक हैं। वे पर्सनल ग्रोथ में माइंडफुलनेस के महत्व के बारे में लोगों को बताते हैं। माइंडफुलनेस और ईमोशनल वेल-बीइंग पर उनके बहुत से वर्कशाप भी चलते हैं। उन्होंने बहुत सी किताबें लिखीं हैं और वे अपनी किताब "हाउ टु बी ऐन एडल्ट" के लिए जाने जाते हैं। 

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
भरोसा करना आज एक कमजोरी की निशानी हो गई है। फिल्मों में वो विलन सबसे शातिर माना जाता है जो किसी पर भरोसा नहीं करता। असल जिन्दगी में भी वो लोग जो दूसरों पर कम भरोसा करते हैं, अच्छे माने जाते हैं। लेकिन क्या इस तरह के समाज में कोई रहना पसंद करेगा जहां पर कोई किसी पर भरोसा न करे?

भरोसा करना जिन्दगी में हमारे बढ़ने के लिए और हमारे रिश्ते बनाने के लिए बहुत जरूरी है। हम उन नए पार्टनर्स से मिलते हैं, नए दोस्तों से मिलते हैं और नए लोगों से मिलते हैं जिनकी मदद हमें अपनी जिन्दगी के हर कदम पर पड़ती है। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम अपनी भावनाओं को काबू कर के लोगों पर भरोसा करना सीख सकते हैं। 

 

-किस तरह से हमारा बचपन हमारे भरोसा करने की क्षमता को बनाता या बिगाड़ता है।

-किन वजहों से हम लोगों पर भरोसा नहीं कर पाते।

-माइंडफुलनेस किस तरह से भरोसा करने में आपकी मदद कर सकता है।



हमारे बचपन के रिश्ते हमारे भरोसा करने की क्षमता पर असर डालते हैं।
इस दुनिया में दो किस्म के लोग रहते हैं। एक वो जिन्हें लगता है कि दुनिया अच्छी और सुरक्षित जगह है और हम यहाँ लोगों पर भरोसा कर सकते हैं। दूसरे वो जिन्हें हर अजनबी से बात करते वक्त लगता है - कहीं ये आतंकवादी तो नहीं है? कहीं मुझे किडनैप तो नहीं कर लेगा?

जब बच्चों के माता-पिता उन्हें बचपन में प्यार देते हैं और बच्चा अपने माता-पिता के साथ अच्छे रिश्ते बना पाता है, तो वो दुनिया पर आसानी से भरोसा कर पाता है। लेकिन इस दुनिया में सबके माता-पिता उन्हें प्यार देकर बड़ा नहीं करते। कुछ बच्चे जब बीमार हो जाते हैं, तो उन्हें इलाज से पहले अपने पापा की डाँट मिलती है - बोला था तुझे बाहर का मत खा!

इस तरह के बच्चों को समय के साथ यह लगने लगता है कि इस दुनिया में सबके साथ अपनी भावनाओं को बाँटना अच्छा नहीं है। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से लोग उनकी कमजोरी जान जाएंगे और उन्हें तकलीफ पहुंचा सकेंगे। लेकिन दूसरी तरफ, जब बच्चों को प्यार मिलता है, तो वे भरोसा करना सीख जाते हैं।

लेकिन कभी कभी अपने बच्चों की ज्यादा परवाह करना भी उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। ज्यादा परवाह करने से या अपने बच्चे पर बहुत ज्यादा लगाम लगाने से वे आजाद रहना नहीं सीख पाते। इस तरह के बच्चे हमेशा अपने माता-पिता पर निर्भर रहते हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि छोटे रहने पर आप बच्चों की देखभाल अच्छे से करें और जैसे जैसे वे बड़े हों, आप उन्हें खुद से दुनिया देखने की आजादी दें, ताकि वे खुद से चीजों समझ सकें और आजाद रहना सीख सकें।

अच्छे रिश्ते भरोसे पर बने होते हैं, लेकिन आप अपने पार्टनर के भरोसे मत रहिए।
असल जिन्दगी का प्यार फिल्मों की तरह नहीं होता, जहाँ दो लोगों का मिलना उनकी किस्मत में लिखा होता है। यहाँ पर आप एक व्यक्ति से मिलने पर सबसे पहले यह देखते हैं कि आप उसपर कितना भरोसा कर सकते हैं। भरोसा ही हर रिश्ते की जड़ है और सबसे पहले आपको यही देखना होगा कि आपका पार्टनर कितना भरोसेमंद है।

एक भरोसेमंद व्यक्ति की खास बात होती है कि वो रिश्ते को जिन्दा रखने की हर कोशिश करता है। वो आपकी जरूरतों को पूरी करता है और आपको खुश रखने की कोशिश करता है। आपको एक ऐस व्यक्ति चाहिए जो कि आपकी 5 जरूरतों को पूरा कर सके। वो आप पर ध्यान दे, आपको पसंद करे, आपको अपनाए, आप से प्यार करे और आपको इतनी आजादी दे कि आप अपनी तरह अपनी जिन्दगी जी सके।

लेकिन यह जरूरी नहीं है कि एक व्यक्ति आपकी यह सारी जरूरतें पूरी कर दे। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि दुनिया में हर चीज़ बदल रही है और वक्त आने पर आपका पार्टनर भी बदल सकता है। इस बात को अपना लेने से आपको आगे चलकर तकलीफ नहीं होगी।

जिस पार्टनर पर आप भरोसा नहीं कर सकते, वो आपकी जरूरत पूरी नहीं कर सकता और इस तरह के व्यक्ति के साथ आप खुश नहीं रह सकते। बहुत से लोग अपने ही खयालों को लेकर उलझे रहते हैं और खुद पर ही भरोसा नहीं कर पाते। इस तरह के लोगों पर आप भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि इन लोगों के साथ बनाए गए रिश्ते समय के साथ बोझ बन जाते हैं। वे आपको अपने हिसाब से रखने की कोशिश कर सकते हैं और आपको हर वक्त अपने साथ रहने रखने की कोशिश भी कर सकते हैं। इस तरह से वे आपकी आजादी आप से छीन सकते हैं।

बचपन में घटी घटनाओं का हमारे ऊपर बहुत गहरा असर पड़ सकता है।
बहुत से लोगों का पार्टनर जब खराब मूड में होता है या फिर गुस्से में होता है, तो वे बहुत डर जाते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उनके पैरेंट्स गुस्सैल स्वभाव के रहे हों और गुस्सा होने पर वो उन्हें मारने लगते हों। इस तरह के पैरेंट्स के बच्चे या तो आगे चलकर सहमे सहमे से रहने लगते हैं या फिर अपने पार्टनर को भी मारने-पीटने लगते हैं।

साथ ही, जब कोई एक ऐसे माहौल में बड़े होते हैं जहां पर बहुत गाली-गलौज या मारपीट होती है, तो ऐसे बच्चों को यह सब आम बातें लगने लगती है। आगे चलकर जब उनके रिश्ते में उनका पार्टनर भी उन्हें गाली देता है या उन्हें मारता है, तो भी वे उसके साथ रहते हैं, क्योंकि उन्हें यह सब खराब लगता ही नहीं है।

इस तरह से हमारे बचपन की घटनाएं हमारे ऊपर बहुत गहरे असर डाल सकती हैं। बहुत से लोगों को छोटी उम्र में ही प्यार हो जाता है और उनका दिल भी टूट जाता है। इस तरह के बच्चों को एक सदमा लग जाता है और आगे चलकर वे अपनी भावनाओं को किसी से बाँटते नहीं हैं और खुद को रिश्ते बनाने से रोकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके साथ फिर से होगा जो बचपन में हुआ था।

इसके अलावा कुछ लोग अपने लिए खुद से ही दुख पैदा करने लग जाते हैं। जब उन्हें उनका पार्टनर छोड़कर चला जाता है, तो वे खुद से कहने लगते हैं कि वो प्यार के लायक हैं ही नहीं। इस तरह से वे खुद से एक झूठ बोलते हैं जिस वजह से उन्हें तकलीफ होती है। 

बहुत बार हम अपने पार्टनर को खोने के डर से उससे झूठ बोलते हैं। कुछ लोगों को ड्रग्स की लत होती है और वो इस बात को अपने पार्टनर से छुपाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका पार्टनर उन्हें छोड़कर चला जाएगा। इस तरह से झूठ बोलना भी आपके पार्टनर के भरोसे को कमजोर बना सकता है।

शांति और आजादी पाने के लिए आपको सबसे पहले खुद को अपनाना होगा।
कहते हैं नेगेटिव ईमोशन्स का होना बुरी बात नहीं है। लेकिन नेगेटिव ईमोशन्स का होना और उन्हें अनदेखा बहुत बुरी करना है। बहुत से लोग वो बनने की कोशिश करते हैं जो वे नहीं हैं। वे अपने पार्टनर को खुश करने के लिए अपने ऊपर एक मास्क लगा लेते हैं, जिससे आगे चलकर वे खुद ही उसमें फँस जाते हैं।

सबसे पहले आपको खुद को अपनाना होगा। आपको अपनी भावनाओं को अपना कर यह जानना होगा कि आप एक दिए गए हालात में कैसा महसूस करते हैं। इसके बाद ही आप यह पता कर पाएंगे कि आपको क्या पसंद है और आप किस तरह की जिन्दगी चाहते हैं।

साथ ही, आप अपनी भावनाओं को दबा कर रखना बंद कीजिए। भावनाओं को दबा कर रखने से वो खत्म नहीं हो जाती। वो भावनाएं आपके अंदर ही रहती हैं और किसी दूसरे रूप में बाहर निकलती हैं। एक्ज़ाम्पल के लिए, अगर आप अपने दुख को अपने अंदर दबा कर रखते हैं और उसे किसी के साथ बाँटते नहीं होता, तो आप समय केसाथ डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। 

इसलिए आप तभी एक अच्छी जिन्दगी हासिल कर पाएंगे जब आप खुद को अपनाएंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि आपको क्या पसंद है। इससे आपको आजादी महसूस होगी, क्योंकि अब आप अपने ऊपर लगाए गए मास्क के हिसाब से नहीं, बल्कि अपने हिसाब से काम करेंगे। अब आप वो बनने की कोशिश नहीं करेंगे जो आप नहीं हैं।

इसके अलावा आपका शरीर भी आपको आपकी भावनाओं के बारे में बताता है। जब आप घबराए हुए होते हैं, तो आपके पैर काँपने लगते हैं, आपको पसीना आने लगता है और साँसें तेज हो जाती हैं। इसे अनदेखा मत कीजिए, बल्कि इसे अपनाना सीखिए। इसे छिपाने की कोशिश भी मत कीजिए। अगर आप इससे भागने की कोशिश करेंगे, तो इसका सामना कर के इसे हराना कभी नहीं सीख पाएंगे। इसलिए, इसे अपना कर खुद को समझने की कोशिश कीजिए।

भरोसा करने से ही आप खुद को पहले से बेहतर बना पाएंगे और अपने से बेहतर "सेल्फ" को खोज पाएंगे।
अब तक हमने देखा कि किस तरह से भरोसा करना बहुत जरूरी होता है और किन वजहों से एक व्यक्ति दूसरों पर भरोसा नहीं कर पाता। बहुत से लोगों को धोखा खाने से डर लगता है और इस वजह से वो किसी पर भरोसा ही नहीं करते। लेकिन आपकी जिन्दगी का हर अनुभव आपको पहले से बेहतर बनाता है। 

हमें इस अनुभव को लेने से खुद को बचाना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से हम सीखने और बढ़ने के मौके खो देते हैं। आपको चीजों को बदलने की कोशिश ना कर के उसे अपनाना सीखना चाहिए। हर चीज़ में माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के आप खुद को अपने से बेहतर "सेल्फ"के साथ जोड़ सकते हैं। 

जब आप बुरे हालात को खुद पर हावी होने से रोक कर उसे समझने की कोशिश करेंगे, तो आपको लगेगा कि यह वक्त आपको कुछ सिखा रहा है। आपको यह भी लग सकता है कि कोई ताकत है जो आपको इस बारे वक्त से निकालने की कोशिश कर रही है। लेकिन असल में यह ताकत आपके अंदर से ही आती है।

कार्ल जंग नाम के एक साइकोलाजिस्ट से इसे "हाइयर सेल्फ" का नाम दिया। यह हमारी वो पर्सनैलिटी है जो बुरे वक्त में हमें संभालती है। हम जितना ज्यादा खुद को माफ करना और लोगों पर भरोसा करना सीखेंगे, हमारा "हाइयर सेल्फ" उतना मजबूत होता जाएगा। माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के भी हम इस हाइयर सेल्फ को मजबूत बना सकते हैं।

हाइयर सेल्फ का मतलब हमारे बेहतर सेल्फ से है। यह हम से बेहतर इसलिए है क्योंकि हम डर कर वो काम करने लगते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए। लेकिन हमारा हाइयर सेल्फ हमेशा सही काम करता है। हम भावनाओं को खुद पर हावी होने दे सकते हैं, लेकिन हमारा हाइयर सेल्फ हमेशा हमें सही रास्ता दिखाता है।

हमने देखा कि किस तरह से हम अपने हाइयर सेल्फ के साथ खुद को जोड़कर खुद पर काबू पा सकते हैं। माइंडफुलनेस की मदद से हम इस हाइयर सेल्फ को मजबूत बना सकते हैं, क्योंकि इसकी मदद से हम अपनी भावनाओं को खुद पर हावी होने से रोकते हैं और चीजों पर ध्यान देकर उन्हें समझने की कोशिश करते हैं।

जब हम भावनाओं में बहने लगते हैं, तो हमारा खुद पर से काबू छूट जाता है। हम यह तय नहीं कर पाते कि हम सही कर रहे हैं या गलत। लेकिन जब हम खुद के साथ जुड़ने की कोशिश करते हैं और रुक कर चीजों को समझने की कोशिश करते हैं, तो हम बेहतर फैसले ले पाते हैं।

माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के आप भरोसा करना सीख सकते हैं। आप अपनी भावनाओं को सही या गलत ना कहकर सिर्फ उनपर ध्यान दीजिए। जब आप अपनी कुछ भावनाओं को गलत कहते हैं, तो आप उन्हें अपनाने से पीछे हट जाते हैं। इसलिए उन्हें अच्छा या बुरा मत कहिए। इस तरह से आप अपनी भावनाओं को अपना कर उन्हें काबू करना सीख पाएंगे। 

इसके साथ ही आप अच्छा सोचकर खुद को खुश रख सकते हैं। जब हालात खराब हो जाएं, तो आप खुद से यह मत कहिए कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है। आप खुद से कहिए कि मैंने पहले भी इस तरह के हालात का सामना किया है और मैं अब भी कर सकता हूँ।

इस तरह से अच्छा सोचने पर आपको हालात से लड़ने की हिम्मत मिलती है और आप खुश रहते हैं। नेगेटिव खयाल अपने साथ और दुख लेकर आते हैं और साथ ही वो आपकी एनर्जी भी खा जाते हैं।


माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के और अच्छी बातों पर ध्यान देकर हम खुद को मुश्किल हालात से बाहर निकाल सकते हैं। 

कुल मिलाकर
हम बहुत सी वजहों से लोगों पर भरोसा नहीं कर पाते। कभी कभी हमें धोखा खाने का डर होता है, तो कभी कभी हमारे बचपन के कुछ अनुभव हमें लोगों से अलग कर के रखते हैं। लेकिन भरोसा करना और अच्छे रिश्ते बनाना हमारे बढ़ने के लिए और हमारी मानसिक सेहत के लिए जरूरी है। माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर के हम अपनी भावनाओं पर काबू पाना और लोगों पर भरोसा करना सीख सकते हैं।

 

अपने दर्द को अपना लीजिए।

बहुत बार हम दर्द भरी यादों को अपने दिमाग में दोहराते रहते हैं। ऐसा करने से वो और बढ़ जाते हैं और हमें तकलीफ देते हैं। आप अपनी भावनाओं को अपनाना सीखिए और उसके पीछे की वजह को भी अपना लीजिए। इस तरह से आप उससे उभर पाएंगे।


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