एक बिजनेस के लिए छोटा रहना बड़ी बात क्यों है।
दो लफ्जों में
कंपनी आफ वन ( Company of One ) में हम देखेंगे कि अपनी कंपनी को छोटा रखने के क्या फायदे होते हैं। "कंपनी आफ वन" एक ऐसी कंपनी होती है जिसमें आप पूरी तरह से अपनी शर्तों पर काम करते हैं और सबकी तरह रेस में ना भागकर सिर्फ उतना काम करते हैं जितना आप करना चाहते हैं। यह किताब बताती है कि किस तरह से आप अपनी "कंपनी आफ वन" बना सकते हैं।
यह किसके लिए है
-वे जो एक छोटा बिजनेस चलाते हैं।
-वे जो अपने बड़े बिजनेस से परेशान हो गए हैं क्योंकि उसमें उन्हें सुकून नहीं मिलता।
-वे जो अपनी कंपनी को छोटा रखने के फायदे के बारे में जानना चाहते हैं।
लेखक के बारे में
पाउल जार्विस ( Paul Jarvis ) एक कार्पोरेट टेक डिजाइनर और इंटरनेट कंसल्टेंट हैं। वे दुनिया भर के मशहूर एथलीट्स जैसे वैरेन सैप, स्टीव नैश और शकील ओ'नील के साथ काम कर चुके हैं। साथ ही वे याहू और माइक्रोसोफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के साथ भी काम कर चुके हैं।
"कंपनी ऑफ वन" खुद को बड़ा बनाने के ख्वाब नहीं देखती हैं, वे खुद को एक सीमा में रखने की कोशिश करतीं हैं।
आज के वक्त में हर किसी को ज्यादा चाहिए। एक तरह हमारा ग्राहक है जो लगातार ज्यादा से ज्यादा चीजें खरीदने की कोशिश कर रहा है और दूसरी तरफ हमारी कंपनियां हैं जो लगातार ज्यादा से ज्यादा सामान बेचने की कोशिश कर रही हैं। जब यह कंपनियां 1 करोड़ का बिजनेस करने लगती हैं, तो ये 10 करोड़ का टार्गेट ले लेती हैं। रुकने का मतलब इन्हें पता ही नहीं।
लेकिन सारी कंपनियां और सारे ग्राहक इस तरह से काम नहीं करती हैं। कुछ ग्राहक हैं जो एक हद में रहकर खर्च करते हैं। साथ ही कुछ कंपनियां भी हैं जो कि खुद को दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनाने की कोशिश नहीं कर रही हैं।
इस तरह की कंपनियां खुद पर रोक लगाकर हर साल एक सीमित फायदा कमाने की कोशिश करती हैं। उनका बहुत ही सिंपल सा गोल है - हर साल लगातार X रुपए प्राफिट में कमाना। अगर उनका टार्गेट साल में 1 करोड़ प्राफिट कमाना है, तो वे उतना प्राफिट ही कमाने पर फोकस करेंगी।
इस तरह से वे खुद के ऊपर के बोझ को कम कर पाती हैं। बड़ी कंपनियां ज्यादा प्राफिट कमाने में अपने लोगों का खयाल रखना भूल जाती हैं। वे अपना हर फैसला अपने प्राफिट को बढ़ाने के लिए लेती हैं। लेकिन छोटी कंपनियां अपने लोगों पर ज्यादा ध्यान देती हैं, क्योंकि उनका मकसद ज्यादा फायदा कमाने पर नहीं है। उनके लोग ही उनके बिजनेस के कामयाबी की युनिट बना जाते हैं।
ऐसा करने के पीछे एक और वजह यह है कि ज्यादा फायदे के साथ ज्यादा समस्याएं भी आती हैं। ज्यादा फायदे के लिए आपको ज्यादा सेल्स चाहिए होंगी, ज्यादा मार्केटिंग चाहिए होगी, ज्यादा कर्मचारी चाहिए होंगे, ज्यादा बड़ी बिल्डिंग चाहिए होगी। इस तरह से आपके पास ज्यादा काम, कम सुकून और कम समय होगा।
बहुत से लोग समय और सुकून पाने के लिए ही अपना बिजनेस शुरू करते हैं और ज्यादा बड़ा बनने के चक्कर में उन्हें वही चीज नहीं मिलती है। इससे बेहतर है आप हर साल निश्चित प्राफिट कमाइए और ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ सुकून से बिताइए।
"कंपनी ऑफ वन" एक छोटे बिजनेस या एक फ्रीलैंसर से बहुत अलग होती है।
अब आप यह सोच रहे होंगे कि "कंपनी ऑफ वन" का मतलब छोटे बिजनेस से हैं। अगर आप एक फ्रीलैंसर हैं, तो आप यह सोच रहे होंगे कि आप भी "कंपनी ऑफ वन" चला रहे हैं। लेकिन इन तीनों में बहुत अंतर है।
एक छोटा बिजनेस छोटा होता है, लेकिन वो छोटा रहना नहीं चाहता। अगर उसे बड़ा बनने का मौका मिल जाए तो वो तुरंत उस मौके का फायदा उठाकर पानी में कूद पड़ेगा। जबकि एक "कंपनी ऑफ वन" बड़ा बनने का ख्वाब नहीं देखता। वो जितना प्राफिट कमा रहा है, उतना ही प्राफिट लगातार कमाते रहना चाहता है।
"कंपनी ऑफ वन" और छोटे बिजनेस एक मामले में एक जैसे होते हैं - यह दोनों ही कंपनियां फायदा कमाने के पीछे भागती हैं। वे अपने समय और अपनी एनर्जी को एक प्रोडक्ट बनाने में इंवेस्ट करते हैं ताकि वे उससे ज्यादा प्राफिट कमा सकें। एक बार जब उनका प्रोडक्ट बनकर तैयार हो जाता है, तब उन्हें उसपर कुछ ज्यादा काम नहीं करना पड़ता।
दूसरी तरफ एक फ्रीलैंसर "कंपनी ऑफ वन" से काफी अलग होता है। वो तभी तक पैसे कमाएगा जब तक वो काम कर रहा है। जब वो काम करना बंद कर देगा, तब उसे पैसे नहीं आएंगे। वो अपना समय बेचकर पैसे कमाता है, अपना प्रोडक्ट बेचकर नहीं।
"कंपनी ऑफ वन" अपना प्रोडक्ट बेचकर पैसे कमाती है। एक बार उसका प्रोडक्ट बन गया, फिर उसे कुछ ज्यादा काम नहीं करना पड़ता। अगर उसे साल में सिर्फ 1 करोड़ का प्राफिट कमाना है और उसे एक प्रोडक्ट पर 100 रुपए का प्राफिट होता है, तो उसे हर साल वो प्रोडक्ट सिर्फ 1 लाख लोगों को बेचना होगा।
दूसरी तरफ एक फ्रीलैंसर अगर 100 क्लाइंट्स के लिए काम कर रहा है, तो उसे 100 बार काम करना पड़ेगा। वो एक वेबसाइट बनाकर उसे 100 क्लाइंट्स को नहीं बेच सकता। इस तरह से एक फ्रीलैंसर एक "कंपनी ऑफ वन" से काफी अलग है।
अपनी नौकरी को मत छोड़िए, बल्कि पार्ट टाइम में अपनी "कंपनी ऑफ वन" बनाइए।
अब हम यह देखेंगे कि किस तरह से आप अपनी कामयाब "कंपनी ऑफ वन" बना सकते हैं।
इसमें सबसे पहला स्टेप आता है पार्ट टाइम में काम करना शुरू करना। बहुत बार हम कामयाब लोगों से यह सुनते हैं कि कामयाब होने के लिए एक बड़ा कदम लेना जरूरी होता है। कामयाब होने के लिए रिस्क लेना जरूरी होता है। लेकिन आपको यह रिस्क लेने की जरूरत नहीं है।
आप पार्ट टाइम में अपने किसी मनपसंद प्रोजेक्ट पर काम करते रहिए और फुल-टाइम में अपनी नौकरी भी करते रहिए। जब आपके पार्ट टाइम बिजनेस से आपकी सैलरी के मुकाबले दोगुना प्राफिट आने लगे, तब कहीं जाकर आप अपनी नौकरी छोड़िए। इस तरह से अगर आपकी "कंपनी ऑफ वन" बुरे वक्त में आधा प्राफिट कमाएगी, तो भी आप उतना पैसा कमाएंगे जितना आप इस समय अपनी नौकरी से कमा रहे हैं।
एग्ज़ाम्पल के लिए टाम फिशबर्न को ले लीजिए जो कि 20 साल से एक मार्केटर थे। वे पार्ट टाइम में अपने कार्टून बनाने की हाबी पर काम करते रहते थे। छुट्टियों के वक्त वो कुछ क्लाइंट्स के लिए कार्टून बनाने का काम करते रहते थे। लेकिन उन्होंने अपनी नौकरी नहीं छोड़ी।
एक वक्त आया जब उनके पास बहुत से क्लाइंट हो गए और साथ ही उन्होंने बुरे वक्त के लिए बहुत सा पैसा बचा कर रख लिया। यह वो वक्त था जब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इस बात को अब 7 साल हो गए हैं और टाम अब अपनी पत्नी के साथ मार्केटूनिस्ट नाम की एक कंपनी चलाते हैं। वे अब पहले से तीन गुना ज्यादा पैसे कमा रहे हैं और वे बहुत से क्लाइंट्स को वेटिंग लिस्ट में रखते हैं।
वे ज्यादा क्लाइंट्स को नहीं ले रहे हैं क्योंकि वे ज्यादा काम नहीं करना चाहते और अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं। समय समय पर वे कुछ फ्रीलैंसर्स से काम करवा लेते हैं।
अगर अपनी कंपनी को बड़ा करने पर आपको वो कुर्बानियां देनी पड़ रही है जो आप नहीं चाहते हैं, तो आपको अपनी कंपनी को बड़ा नहीं करना चाहिए। टाम "कंपनी ऑफ वन" के अच्छे एग्ज़ाम्पल हैं।
यह जरूरी नहीं है कि अपने पैशन पर काम करने से आप कामयाब हो जाएं।
हर कोई यह कहता है कि कामयाब होने के लिए हमें अपने पैशन पर काम करना चाहिए। लेकिन इस सलाह में समस्या यह है कि यह जरूरी नहीं है कि हमारे पैशन का एक बहुत बड़ा मार्केट हो। यह जरूरी नहीं है कि हम अपने पैशन से लोगों की जरूरतों को पूरा कर पाएं।
ज्यादातर लोगों को स्पोर्ट्स, म्यूज़िक और आर्ट का शौक है, लेकिन इनसे संबंधित नौकरियाँ दुनिया भर की नौकरियों का सिर्फ 3% हैं। चाहे जो हो जाए, यह सारे लोग अपने पैशन से पैसे नहीं कमा सकते। इसलिए आपको अपने पैशन को अपने काम में नहीं, बल्कि अपने काम को अपने पैशन में बदलने के बारे में सोचना चाहिए। हो सकता है आपको क्रिकेट खेलना पसंद हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आप अगले तेंदुलकर या कोहली बन जाएं। इसलिए थोड़े से प्रैक्टिकल होकर खुद से सवाल पूछिए - आपको इस समय ऐसा क्या आता है जिसके लिए लोग आपको पैसे दे सकते हैं? मार्केट में लोगों की ऐसी कौन सी जरूरत है जो आप पूरा कर सकते हैं?
इस सवाल का आपको जो भी जवाब मिले, आपको उस एक स्किल में माहिर बनना होगा। लेखक को वेब-डिज़ाइनिंग का शौक नहीं था। वे सिर्फ एक वेब-डिज़ाइन एजेंसी में काम करते थे और उस काम में माहिर बन गए। उन्होंने अपनी इस स्किल पर काम किया और फिर इसकी मदद से अच्छे पैसे कमाने लगे। समय के साथ उन्हें इस काम से प्यार हो गया।
इसलिए आप एक ऐसी स्किल सीखिए जिसकी मार्केट में डिमान्ड हो। समय के साथ आप उस काम से प्यार करने लगेंगे।
हर किसी को खुश करने की कोशिश मत कीजिए, बल्कि कुछ खास तरह के ग्राहकों पर ध्यान दीजिए।
अपना नया बिजनेस शुरू करते वक्त बहुत से लोग यह देखते हैं कि कौन सा मार्केट सबसे बड़ा है। उनका यह सोचना होता है कि अगर वे बड़े मार्केट में जाएंगे तो वे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच पाएंगे और ज्यादा से ज्यादा फायदा कमा पाएंगे। लेकिन उनका यह सोचना बहुत गलत है।
सबसे पहली बात कि आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते। आपको एक खास तरह के ग्राहकों को चुनना होगा जो कि एक खास तरह की समस्या से परेशान हैं। अगर आप हर किसी के पीछे भागेंगे तो आप मार्केट में अपनी पहचान कभी नहीं बना पाएंगे।
एग्ज़ाम्पल के लिए डॉक्टर्स को ले लीजिए। एक डॉक्टर वो होता है जो कि आपकी सारी बीमारियों का इलाज करता है। आपको जब भी कुछ परेशानी आती है, आप इस डाक्टर के पास जाते हैं। दूसरी तरफ एक डाॅक्टर वो होता है जो सिर्फ दिल की बीमारियों का इलाज करता है। आपके हिसाब से कौन सा डॉक्टर ज्यादा पैसे कमाता होगा? कार्डियोलाजिस्ट या जनरल प्रैक्टिशनर? कार्डियोलाजिस्ट हमेशा ज्यादा पैसे कमाता है।
दूसरी बात यह कि जब आप एक बड़े मार्केट में जाते हैं, तो आपको बहुत कॉम्पटीशन का सामना करना पड़ता है। बड़े मार्केट में अक्सर बहुत से लोग फायदा कमाने के लिए जाते हैं, जिस वजह से वहाँ पर इतनी सारी कंपनियां हो जाती हैं कि खुद के लिए जगह बना पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए आप हमेशा छोटे निच में जाइए। हमेशा एक खास तरह के लोगों की एक खास तरह की समस्या सुलझाने की कोशिश कीजिए।
अगर आप एक मार्केटर हैं, तो आप एक खास निच, जैसे टेक्नोलॉजी या फिर पर्सनल डेवेलपमेंट में स्पेशलाइज़ करने की कोशिश कीजिए। स्पेशलिस्ट की कीमत हमेशा ज्यादा होती है। एक स्पेशलिस्ट बनकर आप अपनी सर्विस के लिए ज्यादा पैसे चार्ज कर पाएंगे।
खुद की अलग पहचान बनाने के लिए चीजों को सिंपल रखिए और अपनी पर्सनैलिटी के हिसाब से काम कीजिए।
चाहे आप जिस भी फील्ड में जाएं, मार्केट में बहुत से लोग होंगे जो कि पहले से वो कर रहे होंगे जो आप करने के बारे में सोच रहे हैं। तो फिर आप कैसे खुद को सबसे अलग कर सकते हैं? इसका जवाब है चीजों को सिंपल रख कर और अपनी पर्सनैलिटी के हिसाब से काम कर कर।
एग्ज़ाम्पल के लिए कैस्टर को ले लीजिए, जो कि चटाई बेचता है। मार्केट में बहुत सारे ब्रैंड हैं जो कि 20 से ज्यादा तरह की चटाइयाँ बेचते हैं, लेकिन कैस्टर सिर्फ तीन तरह की चटाई बेचता है। जब आप अपने सामने 20 चटाइयों के आप्शन को देखते हैं, तो आप यह फैसला ही नहीं कर पाते कि इसमें से आपको कौन सा चाहिए। लेकिन जब चीजें कम रहती हैं, तो फैसला लेना आसान हो जाता है।
साथ ही कैस्टर चटाई को आनलाइन बेचता है जिससे उसके ग्राहक घर बैठे ही अपनी चटाई आर्डर कर सकें। वे अपने ग्राहक को यह आफर देते हैं कि अगर उन्हें चटाई पसंद नहीं आई, तो वे उसे 100 दिन के बाद वापस कर सकते हैं। इस तरह से उन्होंने ग्राहक की जिन्दगी बिल्कुल आसान बना कर खुद की अलग पहचान बनाई है।
दूसरा तरीका यह है कि आप अपनी पर्सनैलिटी के हिसाब से अपना ब्रैंड बिल्ड कर सकते हैं। लोगों को लोग अच्छे लगते हैं, बड़े बड़े कार्पोरेट नहीं। कार्पोरेट की कोई शकल-सूरत नहीं होती है, लेकिन आपकी है। आप अपने हर प्रोडक्ट में अपनी फोटो लगाइए, ताकि ग्राहक आपको आपके हर मार्केटिंग मैसेज, हर एड और हर ईमेल में देख सके। जब वो आपको ज्यादा देखेगा, तो वो आपको एक अच्छा दोस्त समझने लगेगा। इस तरह से उनके दिमाग में आपके लिए एक अलग इमेज बन जाएगी।
साथ ही आप अपनी पर्सनैलिटी को बिल्ड करते रहिए। खुद को एक खास तरह के इंसान की तरह लोगों को दिखाइए। एग्ज़ाम्पल के लिए - आप खुद को "अलग सोच रखने वाला", "नियमों को तोड़ने वाला" और "बाघी" इंसान की तरह बिल्ड कर सकते हैं। इस तरह से जो लोग आपकी तरह ही नियमों से नफरत करते हैं, वो तुरंत आपको पसंद करने लगेंगे।
अपनी पर्सनैलिटी बिल्ड करने का एक फायदा यह है कि आपका कॉम्पटीशन आपके प्रोडक्ट की नकल कर सकता है, लेकिन वो आपकी पर्सनैलिटी नहीं चुरा सकता।
अपने ग्राहकों को और आडिएंस को पहचानकर उनसे अच्छे रिश्ते बनाइए।
अब जब आपने अपने मार्केट को चुन लिया है और एक In-Demand स्किल में माहिर बन गए हैं, तो वक्त आता है अपनी आडिएंस के नजदीक जाकर उनके बारे में जानने का।
सबसे पहले आपको अपनी आडिएंस की जरूरतों के बारे में जानना होगा। आपको यह जानना होगा कि किस तरह से आप उसको पूरा कर सकते हैं। इसे पता करने के लिए आप उन्हें फ्री में कुछ सर्विस दे सकते हैं।
एग्ज़ाम्पल के लिए अगर आप एक मार्केट हैं, तो सबसे पहले यह खोजिए कि आपके ग्राहक आपको कहाँ मिलेंगे। एक बार वे आपको मिल जाएं, तो आप उनसे बात करके यह पता कीजिए कि उनकी जरूरतें क्या हैं। इसके बाद अपने क्लाइंट के लिए आप फ्री में कुछ मार्केटिंग कर सकते हैं। या अगर आप एक वेब-डिज़ाइनर हैं, तो आप क्लाइंट के लिए फ्री में वेब-डिज़ाइन कर सकते हैं।
इस तरह से आपको खुद को साबित करने का मौका मिलेगा। लेकिन इस दौरान आप उनसे पैसे मत मांगिए और ना ही अपनी सर्विस को प्रमोट कीजिए। पूरी तरह से उनकी मदद करने के इरादे से जाइए।
साथ ही एक बात का और ध्यान रखिए कि आप उनकी छोटी सी मदद कीजिए। उनकी वेबसाइट डिज़ाइन में थोड़ा बहुत बदलाव कीजिए या फिर उन्हें कुछ फ्री में सलाह दीजिए, ताकि उनकी जरूरत पूरी तरह से पूरी ना हो।
इस तरह से आप उनके बारे में जान भी जाएंगे, उनकी मदद भी कर देंगे और उन्हें यह दिखा भी देंगे कि आप कितने काबिल हैं। अगर उन्हें वाकई आपके सर्विस की जरूरत होगी, तो वे आपको जरूर याद करेंगे।
बड़े स्टार्ट अप्स की तरह ज्यादा इंवेस्टमेंट मत कीजिए और जल्दी से जल्दी फायदा कमाने के बारे में सोचिए।
जहाँ बिजनेस की बात होती है, वहाँ पर इंवेस्टमेंट भी होता है। इंवेस्टमेंट का नाम सुनते ही आपके दिमाग में बहुत ज्यादा पैसों का नाम आता होगा। आपको लगता होगा कि एक बिजनेस को कामयाब बनाने के लिए बहुत ज्यादा इंवेस्टमेंट की जरूरत होती होगी।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। दुनिया के मशहूर स्टार्ट अप्स के पीछे बहुत से इंवेस्टर होते हैं जो कि उन्हें लगातार पैसे देते रहते हैं। वे स्टार्ट अप्स पानी की तरफ पैसा बहा कर काम कर सकते हैं और आगे चलकर उससे भी ज्यादा फायदे कमा सकते हैं। लेकिन आपके पास उतने पैसे नहीं होंगे और ना ही आपके पास कोई इंवेस्टर होगा जो कि आपको सहारा दे सके।
इसलिए आपको अपनी नौकरी नहीं छोड़नी चाहिए। साथ ही आपको अपने बिजनेस में सोच समझ कर पैसा लगाना चाहिए। इंटरनेट पर बहुत से फ्री टूल्स मौजूद हैं जिनकी मदद से आप अपने बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआत में जब आपके पास बहुत कम ग्राहक होंगे, तब आपको बहुत ज्यादा टूल्स या वेबसाइट की जरूरत नहीं होगी। साथ ही इस समय आपको खुद का आफिस या फिर अपने चमकदार बिजनेस कार्ड छपवाने की भी जरूरत नहीं है।
आप सारे काम खुद से अपने घर पर ही कीजिए। आपके पास जितने साधन इस समय हैं उतने का इस्तेमाल कर के ही अपने बिजनेस को चलाने की कोशिश कीजिए। जब आपके पास कुछ पैसे आने लगे और आपके ग्राहक बढ़ने लगें, तो आप उन टूल्स का सहारा लेकर अपने काम को आसान बनाने की कोशिश कीजिए।
यह जरूरी नहीं है कि बिजनेस के शुरू होते ही आप उसे परफ़ेक्ट बनाने में लग जाएं। शुरू में आप अपने बिजनेस से जल्दी से जल्दी प्रॉफिट कमाने के बारे में सोचिए। ऐसा कर के ही आप उसे चलाते रह पाएंगे और खुद के ऊपर के बोझ को कम रख पाएंगे।
जिन स्टार्ट अप्स के पास इंवेस्टर्स होते हैं, वे कभी पूरी तरह से अपनी मर्जी से काम नहीं कर पाते क्योंकि उनके इंवेस्टर्स को जल्दी से जल्दी प्रॉफिट चाहिए होता है। आपके पास इंवेस्टर्स नहीं हैं और यह आपके लिए अच्छी बात हो सकती है। आप अपने हिसाब से काम कर सकते हैं और जितना चाहे उतना समय ले सकते हैं।
अपने बिजनेस को स्नोबाल एफेक्ट की मदद से ग्रो कीजिए और जरूरत पड़ने पर ही इंवेस्टमेंट कीजिए।
जेफ सेंल्डान ने अपनी कपड़े की कंपनी $2,000 का कर्ज लेकर शुरू की जिनका नाम उग्मौंक था। शुरुआत में उसने सिर्फ 4 तरह के टी-शर्ट डिजाइन बनाए और सिर्फ 200 टी-शर्ट प्रिंट किए। उसके यह सारे टी-वर्ष बहुत जल्दी बिक गए। इसके बाद उसने अपना यही काम तीन से चार बार दोहराया और उसे इससे तुरंत ही प्रॉफिट मिलने लगे।
वो दिन के समय में अपनी नौकरी करता और जो समय बच जाता उसमें अपनी कंपनी चलाकर टी-शर्ट बेचता। वो यह सारे काम अपने घर के अंदर ही करता था। 2 साल के बाद उसने खुद का एक वेयरहाउस लिया। फिर उसने अपने घर में काम करना बंद कर दिया और वेयरहाउस में काम करने लगा। इस समय तक उसकी कंपनी काफी प्रॉफिट कमा रही थी जिस वजह से वो उस वेयरहाउस के खर्चे को आसानी से देख पा रहा था।
इस एक्साम्पल से यह साफ पता लग रहा है कि शुरुआत में आपके पास कुछ ज्यादा क्लाइंट, ग्राहक फिर प्रोजेक्ट्स नहीं आएंगे। लेकिन अगर आप लोगों को अच्छी सर्विस देंगे, तो आपके ग्राहक और आपका बिजनेस बढ़ता चला जाएगा।
इसलिए शुरू में बहुत ज्यादा इंवेस्टमेंट मत कीजिए, बल्कि उस वक्त तक इंतजार कीजिए जब तक आपके पास अच्छे-खासे ग्राहक ना हो जाएं। जरूरत पड़ने पर ही आप अपने बिजनेस में भारी इंवेस्टमेंट कीजिए।
आपको शुरुआत में यह कभी पता नहीं लगेगा कि आपके बिजनेस से पैसे आने में कितना समय लग सकता है। इसलिए अगर आप शुरू में ही बहुत ज्यादा पैसा लगा देंगे, तो वो आपके लिए एक बोझ हो जाएगा क्योंकि बाद में उन सारी चीजों को आप संभाल नहीं पाएंगे। इसलिए अपने बिजनेस के कामयाब होने का इंतजार कीजिए और उसमें से मिलने वाले प्रॉफिट से ही उसमें नए इंवेस्टमेंट कीजिए।
क्योंकि आपकी कंपनी का साइज़ कभी बड़ा नहीं होगा, आपको अपनी कंपनी के बहुत से आपरेशन खुद ही संभालने होंगे। इसलिए आपको समय के साथ अपने बिजनेस के ज्यादातर कामों को करना सीखना होगा। जरूरत पड़ने पर और प्रॉफिट बढ़ने पर आप कर्मचारियों को काम पर रख सकते हैं, लेकिन शुरू में आपको ही सब कुछ करना होगा।
ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने के बजाय अपने इस वक्त के ग्राहकों को संभाल कर रखने की कोशिश कीजिए।
ज्यादातर कंपनियां अपने कस्टमर सर्विस पर उतना ध्यान नहीं देती हैं जितना वे मार्केटिंग और एडवर्टाइज़मेंट पर देती हैं। वे अपने इस समय के ग्राहकों खयाल ना रखकर हमेशा नए ग्राहकों को आकर्षित करने में लगी रहती हैं।
ज्यादातर कंपनियां कुछ इस तरह से काम करती हैं - ग्राहकों को सामान बेचने के लिए मार्केटिंग में पैसा लगाओ और जल्दी से जल्दी उन ग्राहकों से पैसा निकलवा लो। फिर अगर उनमें से कुछ लोगों को प्रोडक्ट पसंद ना आए और वो आपको छोड़कर जाने लगें, तो कोई बात नहीं! फिर से मार्केटिंग कर के नए ग्राहकों को ऐड कर लो और उनसे भी जल्दी से जल्दी पैसे निकलवा लो।
लेकिन ऐसा करना आपके लिए अच्छा नहीं होगा। हैरिस इंटरैक्टिव के मार्केटिंग रीसर्च सर्वे में यह बात पता लगी का 90% अमेरिकी उस कंपनी से प्रोडक्ट खरीदना चाहते हैं जिसकी कस्टमर सर्विस अच्छी हो। यहाँ तक कि 79% ग्राहकों ने उन कंपनियों से प्रोडक्ट लेने से मना कर दिया जिनकी सर्विस अच्छी नहीं थी।
ईकंसल्टेंसी एन्ड रीस्पान्सिस के सर्वे में पता लगा कि नए ग्राहकों को प्रोडक्ट बेचना पुराने ग्राहकों को प्रोडक्ट बेचने के मुकाबले 5 गुना ज्यादा महंगा पड़ता है। इसके अलावा जब एक ग्राहक आपको छोड़कर जाता है, तो वो आपके मार्केटिंग में लगाए गए पैसे को लेकर जाता है। आपने उस तक पहुंचने के लिए मार्केटिंग की थी और उसमें पैसे लगाए थे। अब अगर आप उसे संभाल कर नहीं रख पाएंगे, तो आप उन मार्केटिंग के पैसों को हमेशा के लिए खो देंगे।
इसके अलावा वाइट हाउस ऑफ कंज़्यूमर एफेयर्स की मानें तो एक ग्राहक अपनी पहली खरीद के मुकाबले 10 गुना ज्यादा कीमती होता है अगर आप उसे लम्बे समय तक अपने पास रख सकें तो। इसलिए आपको नए ग्राहकों के पीछे भागने के बजाय अपने इस समय के ग्राहकों का खयाल रखना चाहिए। क्योंकि अगर वे आप से खुश रहेंगे, तो वो अपने दोस्तों को आपके बारे में बताएंगे। इससे आपकी फ्री में मार्केटिंग होगी और आपको नए ग्राहक मिल जाएंगे। Word Of Mouth आज भी दुनिया का सबसे ताकतवर मार्केटिंग का जरिया है।
इसलिए अपने ग्राहकों के साथ एक अच्छा रिश्ता बना कर रखने की कोशिश कीजिए। यह आपके लिए 5 गुना सस्ता और 5 गुना ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।
"कंपनी ऑफ वन" एक ऐसी कंपनी होती है जो कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनने का ख्वाब नहीं देखती। यह कंपनी एक निश्चित प्रॉफिट कमाने का गोल रखती है और उसके आगे जाने की कोशिश नहीं करती है। आप अपनी "कंपनी ऑफ वन" पार्ट टाइम में शुरू कर सकते हैं। सबसे पहले एक ऐसी स्किल खोजिए जिसकी मार्केट में डिमान्ड हो और फिर उस स्किल में माहिर बनिए। पार्ट टाम में क्लाइंट्स के लिए काम करते रहिए और जब आपके पास अच्छे पैसे आने लगें तब आप अपनी नौकरी छोड़कर इसे अपना फुल-टाइम का काम बना लीजिए।
कुल मिलाकर
"कंपनी ऑफ वन" एक ऐसी कंपनी होती है जो कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनने का ख्वाब नहीं देखती। यह कंपनी एक निश्चित प्रॉफिट कमाने का गोल रखती है और उसके आगे जाने की कोशिश नहीं करती है। आप अपनी "कंपनी ऑफ वन" पार्ट टाइम में शुरू कर सकते हैं। सबसे पहले एक ऐसी स्किल खोजिए जिसकी मार्केट में डिमान्ड हो और फिर उस स्किल में माहिर बनिए। पार्ट टाम में क्लाइंट्स के लिए काम करते रहिए और जब आपके पास अच्छे पैसे आने लगें तब आप अपनी नौकरी छोड़कर इसे अपना फुल-टाइम का काम बना लीजिए।
"कंपनी ऑफ वन" के सिद्धांतों को अपनी जिन्दगी के दूसरे हिस्सों में भी अपनाइए।
"कंपनी ऑफ वन" के सिद्धांतों को अपनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप एक कंपनी ही हों। अगर आप एक कंपनी के लिए काम कर रहे हैं तो भी आप इन सिद्धांतों का इस्तेमाल कर सकते हैं। एग्ज़ाम्पल के लिए एक बड़ी टेक कंपनी एक वाएबल प्रोडक्ट को मार्केट में जल्दी से जल्दी उतार कर खुद भी फायदा कमा सकती है और साथ ही उन प्रोडक्ट को बनाने वाले इंजीनियर को भी जरूरी फीडबैक दे सकती है। इससे इंजीनियर को उस प्रोडक्ट को मार्केट की जरूरत के हिसाब से बेहतर बनाने के आइडियाज़ मिल सकते हैं।