7 Strategies For Wealth & Happiness..... ❤️🖐️_✌️__😊

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7 Strategies for Wealth & Happiness

Jim Rohn
सेल्फ मेड बिलेनियर की सलाह मानकर अपनी कामयाबी का सफर शुरू कीजिए

दो लफ़्ज़ों में
7 स्ट्रैटेजीस ऑफ वेल्थ एंड हैप्पीनेस (1985), हमें डिसिप्लिन और एक्शन के ज़रिए अपना पोटेंशियल बढ़ाने का इंस्पायरिंग नजरिया देती है। यह किताब जल्द दौलतमंद बनने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं बल्कि मेहनत को कामयाबी का रास्ता बताती है। सबसे जरूरी यह किताब हमें बताती है, कि खुशहाल जिंदगी के लिये पैसे ज़रुरी नहीं हैं, खुशी पॉजिटिव माइंड से आती है।

किनके लिये है?
- एंपलॉयज़, जो अपने कामों में फंसा हुआ महसूस करते हैं
- जिन्हें अपना गोल अचीव करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है
- जो अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने और कामयाबी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

लेखक के बारे में
जिम रॉन एक एंटरप्रेन्योर मोटिवेशनल स्पीकर, टीचर और राइटर थे। डायरेक्ट सेल बिजनेस में कामयाब होने के बाद उन्होंने अमेरिका सहित पूरी दुनिया में सेमिनार और पर्सनल डेवलपमेंट वर्कशॉप कंडक्ट करनी शुरू कर दी। उन्होंने आर्ट ऑफ एक्सेप्शनल लिविंग और द पावर ऑफ अचीवमेंट जैसी जिंदगी को बेहतर बनाने वाली कई किताबें लिखीं।

क्लियर टार्गेट, स्ट्रक्चर बनाने और डिसिप्लिंड बनने में आपकी मदद करता है।
क्या आप अक्सर पैसों की दिक्कतों से परेशान रहते हैं? क्या आपको कामयाबी ख्वाबों की बातें लगती है? अगर ऐसा है, तो यह सोचने वाले आप अकेले नहीं हैं। कॉलेज छोड़कर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर के तौर पर काम शुरू करते वक्त ऑथर को भी ऐसा ही लगता था। 6 साल मेहनत करने के बावजूद वह एक ही सैलरी और एक ही पोजीशन पर फंसे रहे। अपने मेंटर, अर्ल शॉफ से मिलने के बाद ऑथर के हालात बदल गए। उनकि गाइडेंस में उन्होंने मेहनत और डिसिप्लिन से कामयाब होने के असरदार तरीके सीखे। उन तरीकों को अप्लाई करके वह 31 साल की उम्र में करोड़पति बन गए थे।

लोगों के लिए दौलत और कामयाबी के अलग अलग मायने हो सकते हैं, लेकिन इस बुक में दिए गए 7 तरीकों पर चलकर आप कोई भी फाइनेंशियल गोल्स अचीव कर सकते हैं चाहे करोड़पति बनना हो या फिर कर्ज से आजाद होना हो। इसके अलावा इस समरी में आप जानेंगे कि किसी अमीर शख्स के लिए खाना खरीदना फायदेमंद कैसे हो सकता है? आपको टैक्स क्यों देना चाहिए? और टू-क्वार्टर माइंडसेट का क्या मतलब है?

याद कीजिए, पिछली बार जब आपने कोई काम कंप्लीट किया था तो उसके बाद क्या हुआ? यकीनन, किसी और काम ने उसकी जगह ले ली होगी। यह फ्रस्ट्रेटिंग लग सकता है, लेकिन यह एक अच्छी बात है। आप सिर्फ एक टार्गेट नहीं रख सकते क्योंकि उसे पूरा करने के बाद आपके पास कोई काम नहीं रहेगा और आप खो से जाएंगे।

चांद का सफर पूरा करके लौटने वाले अपोलो एस्ट्रोनॉट्स के बारे में सोचिए। अपना टारगेट अचीव करने के बाद ज्यादातर एस्ट्रोनॉट्स डिपरेस्ड हो जाते हैं, क्योंकि उनके पास जिंदगी का कोई मकसद ही नहीं बचता। आजकल, एस्ट्रोनॉट्स अपनी जरूरी ट्रेनिंग के दौरान उन टार्गेट को भी तय करते हैं, जिन पर मिशन कंप्लीट होने के बाद काम किया जा सके।

आपके पास भी गोल्स होने चाहिए। उन गोल्स को अचीव करने के लिए वक्त निकाल कर काम करना शुरू कीजिए। अपने लॉग टर्म गोल्स को विजुलाइज करने और उन्हें अचीव करने के आइडियाज़ लिए जर्नलिंग का तरीका अपनाए।

एक नोटबुक उठाइए और सोचिए कि अगले 1 से 10 साल में आप क्या क्या अचीव करना चाहते हैं। उन सभी घोल्स को लिख लीजिए। कुल मिलाकर लगभग 50 गोल्स के लिए कोशिश कीजिए। जब लिस्ट कंप्लीट हो जाए, तो उन्हें अजीव करने में लगने वाले वक्त के हिसाब से 4 कैटेगरी में बांट दीजिए- एक, तीन, पांच और 10 साल।

अब इस लिस्ट को ऐसे बैलेंस कीजिए कि किसी एक कैटेगरी में ज्यादा गोल्स ना आएं। लंबी लिस्ट वाली कैटेगरी से कुछ काम हटाकर कम गोल्स वाली कैटेगरी में डाल दीजिए। फिर हर कैटेगरी से सबसे जरूरी चार गोल्स को सर्कल कर लीजिए। अब कुल मिलाकर आपके पास 16 टारगेट्स होंगे।

आखिर में हर गोल के बारे में एक पैराग्राफ लिखिए। पैराग्राफ के पहले आधे हिस्से में अपने गोल के बारे में लिखिए, जैसे कि अगर आप कोई सामान खरीदना चाहते हैं, तो उसके मॉडल, कलर, कीमत या किसी दूसरी खासियत के बारे में लिखिए। अब दूसरे हिस्से में उस गोल के अपने लिस्ट में होने की वजह लिखिए। अगर आप कोई वाजिब वजह नहीं ढूंढ पा रहे हैं तो हो सकता है कि वह गोल आपके लिए इतना जरूरी ना हो। उसे किसी दूसरे गोल से रिप्लेस कर दीजिए।  अपनी लिस्ट सेट करने के बाद उसे दोबारा चेक कीजिए और डिसाइड कीजिए कि उनमें से क्या काम आपके लिए इंपोर्टेंट है और क्या नहीं।

सेल्फ-लर्निंग जिंदगी में आगे बढ़ने और कामयाब होने का सबसे कारगर तरीका है।
ज्यादातर फील्डस् में, बिना सालों की पढ़ाई और ट्रेनिंग के कामयाबी हासिल करने की उम्मीद नहीं रखी जा सकती। जैसे कि मेडिकल फील्ड, कोई भी शख्स सालों तक ह्यूमन हर्ट पढ़े बिना ट्रिपल बायपास सर्जरी नहीं कर सकता।  तो, कोई भी बिना पढ़े दौलतमंद और कामयाब बनने की उम्मीद कैसे रख सकता है। अपनी वेल्थ बढ़ाना सीखने के लिये आपको किसी यूनिवर्सिटी जाने की ज़रुरत नहीं है। बल्कि यह आप सेल्फ लर्निंग से भी कर सकते हैं। 

शुरू करने का पहला तरीका अपनी लाइफ से सीखना हो सकता है। दिन के आखिर में अपने लिए कुछ वक्त निकालिये और सोचिए, कि पूरे दिन में आपने क्या-क्या किया। हर काम डिटेल में याद करने की कोशिश कीजिए, खासतौर पर वह काम, जो बहुत अच्छा या बहुत खराब हुआ। इससे आपको अंदाजा होगा कि क्या काम करना चाहिए और क्या नहीं। दूसरा तरीका सेल्फ लर्निंग के ज़रिए, किताबों, वीडियो और ऑडियो से सक्सेस की स्ट्रैटेजीज़ सीखना हो सकता है। खास तौर पर कामयाब लोगों की ऑटो बायोग्राफी और नेपोलियन हिल की 'थिंक एंड ग्रो रिच'जैसी हाउ-टू बुक्स।

कामयाब लोगों के बारे में पढ़ते वक्त आपके बहुत सारे सवाल हो सकते हैं क्यों ना ऐसे सवाल उनसे करें जिनके पास बेहतर जवाब हो सकते हैं। इसका एक खास तरीका यह है, कि जिसे भी आप कामयाब समझते हैं, उसे अपने घर डिनर पर इनवाइट कर लीजिए। हां- आपको उन पर खर्च करना होगा, लेकिन अगर आप उनके साथ बिताए वक्त का इफेक्टिवली इस्तेमाल करें और उनसे अपनी वेल्थ बढ़ाने की स्ट्रैटिजीज़ के बारे में पूछें, तो आपके खर्च किये गये, पैसे बर्बाद नहीं होंगे।

जितना ज्यादा वक्त आप कामयाब लोगों के आसपास गुजारें उतना बेहतर है। ऐसे लोगों का बिहेवियर ऑब्जर्व करने के लिए सेमिनार वगैरह में हिस्सा लेने की कोशिश कीजिए। छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देने की कोशिश कीजिए जैसे कि एक बिजनेसमैन कैसे हैंड-शेक करता है। अगर आप कामयाब लोगों की आदतों को समझ लेंगे तो उन्हें अपनी जिंदगी में भी इस्तेमाल कर सकेंगे।

आप सीखने के लिए किसी भी तरीके का इस्तेमाल कीजिए, उस पर थोड़ा सा वक्त और पैसा खर्च किया जा सकता है। दिन का कम से कम 30 मिनट वक्त और महीने की इनकम का छोटा सा हिस्सा सीखने पर खर्च कीजिये। क्यों? क्योंकि सीखी हुयी जानकारी को आप अपने फ्यूचर में इन्वेस्ट कर सकते हैं और जल्द ही इनकम के अलावा कुछ ज्यादा पैसे कमा सकेंगे।

अपनी पर्सनल ग्रोथ में आने वाली रुकावटें को खत्म करके अपनी वैल्यू बढ़ाइए।

आपको कितनी बार लगता होगा, "मेरे लिए वक्त पर कोई काम करना नामुमकिन है, मैं ऐसा ही हूं, या "मैं अपनी पर्सनालिटी को बदल नहीं सकता"। इस तरह के स्टेटमेंट हमारी सेल्फस्टीम को ठेस पहुंचाते हैं और हमें एहसास दिलाते हैं कि हम अपनी आदतों को सुधार नहीं सकते। लेकिन असल में, बदली जा सकने वाली चन्द चीजों में हमारी पर्सनालिटी भी आती है। अपने आप को बेहतर बना कर के आप पार्टनर , फ्रेंड या फिर एंप्लॉय के तौर पर अपनी वैल्यू बढ़ा सकते हैं। ज्यादातर लोग अपने आप को बेहतर बनाने के बजाय अपने हालात को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। मिसाल के तौर पर आप अपनी सैलरी बढ़वाने के लिए अपने बॉस से बात कर सकते हैं या फिर स्ट्राइक पर जा सकते हैं। यह तरीका तब तक ही कारगर होगा जब तक आप को दोबारा सैलरी बढ़ाए जाने की जरूरत ना महसूस हो। इसके बजाय, क्यों ना, आप हाई प्रोडक्टिविटी, बेहतर परफॉर्मेंस और नई स्किल सीख कर कंपनी के लिए अपनी वैल्यू बढ़ाने की कोशिश करें? इस तरीके से आपके बॉस आपकी सैलरी खुद बढ़ाना चाहेंगे और हो सकता है कि आपकी स्किल मौजूदा जॉब के अलावा दूसरे काम में भी कारगर साबित हो सके। अपनी वैल्यू बढ़ाने के लिए सबसे पहले आपको अपनी पर्सनल ग्रोथ में आ रही रुकावटों को खत्म करना होगा।

काम को टाल देने की आदत आपकी ग्रोथ में सबसे बड़ी रुकावट है। आखिरकार, सेल्फ-इंप्रूवमेंट का मतलब, अपने लिए गोल सेट करना और उन्हें अचीव करना है। अपने काम के सबसे मुश्किल पहलू को आने वाले वक्त के लिए टाल देना बहुत आसान है, लेकिन काम को पूरा करने में की जा रही देरी की वजह से ही आप गोल अचीव नहीं कर पाते।

सेल्फ इंप्रूवमेंट की दूसरी रुकावटें, गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराना और बहाने बनाना है। जब कुछ गलत हो जाए, तो अपनी गलती मानने के बजाय दूसरों पर उंगली उठा देना बहुत आसान है। लेकिन ऐसा करके आप अपनी ग्रोथ रोक रहे होते हैं। आखिरकार, अगर अपनी नाकामी की वजह हम किसी और को समझते हों, तो उसे सुधारने की कोशिश नहीं कर सकते। 

अगर आप सेल्फ- इंप्रूवमेंट पर काम कर रहे हैं, तो याद रखिये, एक वक्त पर एक छोटी सी कोशिश काफी है। जैसे कि आप पंक्चुअल होने की कोशिश कर रहे हैं, तो हर रोज अपने अलार्म क्लॉक को कुछ मिनट पहले सेट कीजिए। ताकि, सुबह बिना जल्दबाजी किए आपके पास नाश्ता करने का वक्त हो। इस तरीके से धीरे-धीरे आप वक्त के पाबंद हो जाएंगे। अपनी लाइफ में कुछ भी सुधारना चाहते हैं, तो उसकी शुरुआत छोटे स्टेप से करें। छोटी-छोटी कामयाब कोशिश, आपको और मेहनत करने के लिए इन्करेज करेगी।

टैक्स के लिए अपना नजरिया बदल कर और 70/30 रूल अपनाकर आप ज्यादा खुशहाल बन सकते हैं।
टैक्स वर्ड सुनते ही, ज्यादातर लोगों के मन में खौफनाक तस्वीरों का भूचाल सा आ जाता है- ढेर सारे फॉर्म, खर्चों का रिकॉर्ड और उनमें कटौती, इनकम का एक हिस्सा इसी में चला जाता है। सबसे बुरा, टैक्स देना नाइंसाफी सा लगता है। आप सोचते होंगे, "हम अपनी मेहनत की पूरी कमाई अपने पास क्यों नहीं रख सकते"।

अपने करियर के शुरुआत में, ऑथर् के मन में भी यही सवाल था। लेकिन उनके मेंटर, अर्ल शॉफ, ने उन्हें खुशी से टैक्स देने के लिए कहा। क्यों? क्योंकि उन्होंने बताया, पैसों की तरफ आपका नज़रिया उतना ही मायने रखता है जितना कि उन्हें खर्च करना। पैसों को लेकर आप जितना पॉजिटिव एटीट्यूड रखेंगे उतना ही कम फ्रस्टेट होंगे और अपने फाइनेंसेज़ पर कंट्रोल पा सकेंगे, और टैक्स लेने के लिए आप गवर्नमेंट को बुरा भला कहने की जरूरत नहीं समझेंगे।

ऐसा माइंसेट पाने के लिए, टैक्स को सोसाइटी के लिए अपने कंट्रीब्यूशन के तौर पर समझें। अपने इनकम के कुछ हिस्से को देने के बदले आपको सेफ्टी, फ्रीडम और अपॉर्चुनिटी मिलती है।

क्या आप अपने इस पॉजिटिव एटीट्यूड को बढ़ाने के लिए तैयार हैं? कोशिश कीजिए कि आप अपने खर्चों के फायदों के बारे में सोचें। मिसाल के तौर पर, जब आप कुछ खरीद रहे होते हैं अपने पैसों के जरिए आप इकोनामी में कंट्रिब्यूट कर रहे होते हैं। जब भी आप कोई बिल पे करते हैं तो अपना कर्ज़ और लायबिलिटी कम कर रहे होते हैं।

टैक्स को लेकर सोच बदल जाने के बाद टैक्स के जरिए अपनी नेट इनकम भी बदली जा सकती है। इसके लिए आपको 70/30 रुल अपनाने की ज़रुरत है।

इसका कंसेप्ट बहुत आसान है। 70% इनकम को अपनी जरूरत और ख्वाहिश में इस्माल कीजिए। लेकिन उस पैसे को खर्च करने से पहले बाकी के 30 परसेंट को इस तरह डिवाइड कर लीजिये।

सबसे पहले 10 परसेंट का इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए चैरिटी में करें, दूसरे 10 परसेंट को सेव कर लें ताकि कुछ सालों के बाद आपके पास कुछ पैसे हों। आखिर में बचे हुए 10% परसेंट का इस्तेमाल इन्वेस्टमेंट में करें। इन्वेस्टमेंट के कई ट्रैडिशनल तरीके हैं, जैसे प्रॉपर्टी में निवेश करना। लेकिन इसके कई नॉन-ट्रैडिशनल तरीके भी हैं, जैसे कि अपनी किसी हॉबी को मोनेटाइज करना।

70/30 रूल और पॉजिटिव एटीट्यूड अडॉप्ट करने से, आपको अपनी मेहनत की कमाई का टैक्स देने में अफसोस नहीं होगा।

प्लानिंग करके अपने वक्त का सही इस्तेमाल करें।
आप अपनी पर्सनल लाइफ और काम को बैलेंस करने के लिए क्या करते हैं? क्या आप ड्रिफ्टर हैं, जो शख्स अपने वक्त पर किसी भी तरह की पाबंदी नहीं चाहता और सिर्फ टेंपरेरी जॉब की ख्वाहिश रखता है। या फिर वर्कोहोलिक जिसका सारा वक्त ऑफिस के काम में चला जाता है? हो सकता है आप बीच में हों, वह इंसान जो 9-5 जॉब करता है, लेकिन ज्यादा टाइम डिमांड वाले प्रोजेक्ट लेने से कत्राता है।

जैसा कि आपने अंदाजा लगा लिया होगा, इनमें से कोई भी तरीका सही नहीं है। आपको जरूरत से ज्यादा काम के साथ कामयाबी या फिर ढेर सारे फ्री वक्त के साथ ऐवरेज जिंदगी के बीच किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं है। हकीकत में, आपको जिंदगी के हर पहलू के लिए वक्त निकालने की जरूरत है- मेहनत से काम, फैमिली के साथ वक्त गुजारने या फिर कुछ भी ना करने के लिए। इनमें से किसी भी चीज़ को ज़रुरत से ज़्यादा वक्त देना आपकी जिंदगी को एकतरफा बना सकता है, जो लंबे वक्त तक नहीं चल सकता।

कोई सेल्समैन अपना खुद का बिजनेस शुरू करने की सोचता है। वह अपना आइडिया जमीन पर उतारता है, लेकिन जल्द ही उसे एहसास होता है कि जितना वक्त उसने एक एंप्लॉय की तौर पर नहीं गुजारा उससे ज्यादा वक्त उसे सीईओ की तौर पर ऑफिस में बिताना पड़ रहा है। वह ऑफिस जल्दी आता है और सबसे आखिर में वापस जाता है, यहां तक कि चौकीदार के बाद। जल्द ही उसे एहसास होगा कि अपनी खुद की कंपनी चलाना बेकार है, और वह अपनी पुरानी नौकरी में वापस आ जाएगा।

आप यह कैसे इंश्योर करेंगे कि आप अपने वक्त का सही और बैलेंस इस्तेमाल कर रहे हैं? ऑर्गेनाइज होना सबसे बेहतरीन तरीका है। अपने लिए एक प्रोजेक्ट बुक बनाइए, इससे आपकी सारी इन इंपॉर्टेंट इनफॉरमेशन एक ही जगह पर रहेगी, इस तरीके से आप अपने डॉक्यूमेंट ढूंढने में बहुत ज्यादा वक्त बर्बाद नहीं करेंगे। आप अपनी प्रोजेक्ट बुक का अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं, अगर आप लोगों के साथ काम करते हैं तो हर इंसान का अलग फोल्डर बनाकर। उससे रिलेटेड सारी इनफार्मेशन जैसे कि  परफॉर्मेंस, स्ट्रेन्थ, वीकनेस और फैमिली बैकग्राउंड वगैरह उसी फोल्डर में रखिए। इस तरह जब भी आपको जरूरत हो, आप फौरन उसे देख सकते हैं। टाइम मैनेजमेंट की दूसरी सबसे जरूरी स्ट्रैटेजी अपने दिन को शुरू होने से पहले प्लान करना है। अगर आपके पास कोई मास्टर प्लान नहीं है, तो आप यह कैसे इंश्योर करेंगे कि आप का टाइम बैलेंस है और आप डेडलाइन कंप्लीट करने के लिए सही ट्रैक पर हैं। इसलिए आपको एक ऐसे कैलेंडर की जरूरत है जिसमें शेड्यूल के बारे में लिखने के लिए काफी जगह हो। अपने इस शेड्यूल प्लान में हर रोज़ अपने लिए फ्री टाइम बचाना ना भूलें।

ऑर्गेनाइज्ड होने और अपने शेड्यूल के हिसाब से काम करने के लिए सख्त डिसिप्लिन की जरूरत होती है। खासतौर पर तब जब आपको टाइम के हिसाब से काम करने की आदत ना हो। लेकिन अगर आप कोशिश करेंगे तो आपको एहसास होगा कि कोई एक काम करने के लिए आपको दूसरे काम से कॉम्प्रोमाइज करने की जरूरत नहीं होगी।

कोशिश कीजिए कि आप अपना वक्त अच्छे लोगों के साथ गुजारें।

यह सच है कि हमारे ऊपर संगति का असर होता है, चाहे हम इस बात का एहसास करें या ना करें। अगर आप ऐसे लोगों के साथ वक्त गुजारते हैं जिन्हें पैसों की कदर नहीं है, तो हो सकता है आप भी फुज़ूल खर्ची करना शुरू कर दें। अगर आपके दोस्त हर हफ्ते मैच देखने जाया करते हैं, तो ज्यादा चांसेस हैं कि आप भी उनके साथ जाना शुरु कर दें।

यहां तक तो ठीक है, लेकिन आपके दोस्त गलत आदतों के शिकार हों तो? नतीजतन, आप भी उन अदतों को अपनी जिंदगी में एक्सेप्ट कर लेंगे । अगर आप झूठे और धोखेबाज लोगों के साथ रहते हैं, तो हो सकता है कि आप उनकी इन हरकतों को नॉर्मल समझना शुरू कर दें। जब तक आपको उनकी गलतियों का एहसास होगा। आप भी वही काम करना शुरु कर चुके होंगे। यह मानना मुश्किल हो सकता है कि आपके दोस्त आप पर गलत असर डाल सकते हैं, लेकिन अगर आप अपने साथ ईमानदार हैं, तो आप ऐसे रिश्तों से डील कर सकते हैं, इससे पहले कि इनसे आपको कोई नुकसान हो। अपने सबसे इंपॉर्टेंट रिश्तों के बारे में सोचने से शुरू करें, अपने आपसे कुछ जरूरी सवाल करें। जैसे कि किन लोगों के साथ अपना वक्त गुजारते हैं? उन वक्त में आप क्या करते हैं? क्या आपके लिए यह रिश्ते ठीक हैं? दोस्ती और रिश्तो का जिंदगी पर बहुत असर पड़ता है, इसलिए इसे नजरअंदाज न करें। अपने सवालों के जवाब मिलने के बाद अगर आपको रिश्तों में कुछ कमी का एहसास होता है, तो कुछ तफ डिसीजन लेने ही पड़ेंगे।

अगर आपकी जिंदगी में भी ऐसे लोग हैं, तो इस प्रॉब्लम को हल करने का एक तरीका, ऐसे लोगों से पूरी तरह दूर हो जाना है। अगर ऐसा करना नामुमकिन लगता है तो ऐसे लोगों से मिलना जुलना कम कर दीजिए। साथ ही उन कैजुअल रिलेशनशिप को भी वक्त देना कम कर दीजिये, जिनका आपकी जिंदगी में कोई खास कंट्रीब्यूशन नहीं है। हर शाम या हर वीकेंड दोस्तों के साथ बार जाना, सिर्फ वक्त की बर्बादी है। 

आप इन नेगेटिव रिलेशनशिप से निकल जाएं, तो पॉजिटिव रिलेशनशिप बनाने की कोशिश कीजिए। ऐसे लोगों के साथ वक्त गुजारना शुरू कीजिए जो डिसिप्लिन्ड हैं और अपने जिंदगी में कामयाब होना चाहते हैं- कोई भी, जिसका माइंडसेट आपको पॉजिटिव फील कराता हो। अपना सर्कल बढ़ाने के लिए कम्युनिटी में इंवॉल्व होना शुरू कीजिए। कोई कमिटी ज्वाइन कीजिए, हो सकता है इस तरह से आपको शहर के सबसे इनफ्लुएंशियल इंसान के साथ टेनिस खेलने का मौका मिल जाए।

बिना पैसों के खुश रहना सीखिए।
हम अक्सर ऐसे सेलिब्रिटीज और बिजनेस मालिकों के बारे में सुनते हैं, जो बेहद पैसा होने के बावजूद अपनी जिंदगी में दुखी हैं। इतना कामयाब होने के बावजूद, यह कैसे मुमकिन है? हालांकि, ऐसे लोगों ने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया होता है, लेकिन उनके पास जो भी है उसमें खुश रहना, उन्हें नहीं आता। 

जहां काफी लोग यकीन करते हैं, कि 'पैसों से खुशियां नहीं खरीदी जा सकती', वहीं ऐसे लोग सोचते हैं कि उनके पास जितना पैसा होगा वह उतने ही कॉन्फिडेंट और काइंड बनेंगे। लेकिन हकीकत में, पैसा ना तो आपका किरदार बदल सकता है और ना ही आपकी जिंदगी में सेटिस्फेक्शन ला सकता है। अगर आप अभी नाखुश और इनसिक्योर हैं, तो दौलत हासिल कर लेने के बाद आपकी खामियां अचानक से गायब नहीं हो जाएंगी।

एक लम्हे के लिए, सोचिए कि कोई कोई शख्स सोशल गेदरिंग में बहुत ज्यादा ड्रिंक करता है। क्या उसकी यह ड्रिंक करने की आदत कामयाब होने या अमीर बनने के बाद खत्म हो जाएगी? बल्कि, वह शराब में और ज्यादा पैसे खर्च करना शुरू कर देगा। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है, अगर आप आज अच्छी लाइफ स्टाइल अपनाते हैं तो यह आपके साथ पूरी जिंदगी रहेगी। और इसका आपके पैसों से कोई लेना देना नहीं है। अपनी लाइफ स्टाइल बेहतर करने का सबसे इफेक्टिव तरीका टू-क्वार्टर माइंडसेट है। सोचने का यह तरीका समझाने के लिए, ऑथर के मेंटर ने कहा, कि अगर वह शू पॉलिश करवा रहे हों और पॉलिश करने वाले ने बहुत अच्छा काम किया हो, अब ऑथर को यह डिसाइड करना है कि उसे क्या टिप देनी है, वन क्वार्टर या टू। लंबे वक्त हिसाब से क्या बेहतर होगा?

अगर आप 1 क्वाटर टिप देते हैं तो हो सकता है आप पैसे बचा लें, लेकिन कुछ देर बाद आपको गिल्ट सा फील होने लगेगा, लेकिन अगर आप 2 क्वार्टर टिप देते हैं, तो आपको रिच और कॉन्फिडेंट फील होगा।

ऑथर की सेमिनार अटेंड करने वाला एक शख्स, कंजूसी की बजाए जेनरॉसिटी चुन्ने के आइडिया से बहुत इंस्पायरर हुआ। जब भी उसकी बेटियाँ कान्सर्ट टिकट खरीदने के लिए पैसे मांगती, तो या वह मना कर देता या बहुत थोड़े पैसे देता। वन क्वार्टर माइंडसेट इसी को कहते हैं। हालांकि, सेमिनार अटेंड करने के बाद, उसने अपनी बेटियों को, कान्सर्ट टिकट देकर सरप्राइज करने का फैसला किया। इस टू-क्वाटर माइंडसेट से बाप-बेटी दोनों को फायदा हुआ। बेटियों को कान्सर्ट की टिकट मिल गई और फादर को बच्चों को खुश और एक्साइटेड देखने को मिला।

इसलिए, टू-क्वाटर माइंडसेट रखिये इससे बिना बहुत अमीर हुए आपको रिच फील होगा। अगर आप अभी से दरियादिली का फैसला करते हैं, तो सोचिए आप अमीर और कामयाब हो कर क्या कुछ नहीं कर सकेंगे।

कुल मिलाकर
पैसे और खुशियां कहीं से भी नहीं आ जाते, इन्हें पाने के लिए डिसिप्लिन और प्लानिंग की जरूरत है। हालाकी, एक बार अपने गोल को अचीव करने के लिए आप मेहनत कर लेंगे, तो इसका फल आपको पूरी जिंदगी मिलेगा।

 

अपने वक्त का सही इस्तेमाल और हर रोज अपने मकसद की तरफ बढ़ने के लिए, गेम प्लान पहले से तैयार रखिए। सबसे पहले, एक ग्राफ पेपर लीजिए। किसी भी गोल को पूरा करने में कितने दिन लगेंगे इस हिसाब से वर्टिकल कॉलम बनाइए। पेपर के बाएं तरफ एक मोटी हेडिंग में अपने टार्गेटेड काम लिखिए। अब, सभी काम की एक लिस्ट बनाइए, जिन्हें आप उन दिनों में कंप्लीट करना चाहते हैं। हर काम की डेडलाइन और करने का तरीका भी लिखिए। फिर, काम कंप्लीट करने में लगने वाले दिनों को कैलकुलेट कीजिए, और उन्हें ब्लॉक कर दीजिए। किसी भी गोल के लिए आपका गेम प्लान तैयार है। इस प्लान को फॉलो करना ही, आपकी कामयाबी का रास्ता है।

 

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