What Color is Your Parachute?

0
What Color is Your Parachute?

Richard N. Bolles
करियर बदलने और मनपसंद नौकरी पाने में मददगार किताब

दो लफ्जों में
व्हाट कलर इज योर पैराशूट (2017) आपको अपना करियर बदलने और मनपसंद नौकरी पाने में मदद करेगी। यह किताब पहली बार 1970 में पब्लिश हुई थी और तब से यह कई लोगों की नौकरी ढूंढ़ने में मदद कर चुकी है। इसमें शामिल बातों की मदद से आप अपनी इंटरव्यू स्किल्स को बढ़ा सकते हैं और काफी अच्छी सैलरी नेगोशिएट कर सकते हैं। इस नए एडिशन में कई सारे ऐसे सुझाव हैं जो आपको मौजूदा डिजिटल ऐज में सफल बनना सिखाएंगे।

यह किसके लिए है
- बेरोजगार लोग जिन्हे नौकरी ढूंढ़ने में दिक्कत आ रही है।
- एच आर मैनेजर्स जो मौजूदा समय की जॉब मार्केट को अच्छे से समझना चाहते हैं।
- जो बेहतर नौकरी की तलाश में है।  

लेखक के बारे में 
करियर डेवलपमेंट के क्षेत्र में रिचर्ड एन बॉल्स 40 साल से भी ज्यादा समय के लिए एक लीडर रह चुके थे। इस समय के दौरान वो हर साल अपनी बेस्ट सेलिंग किताब व्हाट कलर इस योर पैराशूट? का एक अपडेटेड वर्जन पब्लिश करते थे। वों मेन्सा के मेंबर और एक प्रसिद्ध कीनोट स्पीकर भी रह चुके हैं।

आज के समय में नौकरी ढूंढ़ने में काफी वक़्त लग सकता है, ख़ास तौर पर लॉन्ग टर्म और फुल टाइम नौकरी।
नौकरी ढूढ़ना बहुत ही मुश्किल और रोमांचक काम है। हो सकता है कि आप पहली बार कोई नौकरी ढूंढ रहे हैं या आप ये साहसी काम पहले भी कर चुके हैं पर अब चीजें पिछली बार से काफी बदल गयी हैं। आपकी स्थिति चाहे इन दोनों में से कुछ भी हो, आज की दुनिया में अच्छी नौकरी पाने के लिए आपको पोस्ट सोशल मीडिया और पोस्ट रिसेशन लैंडस्केप को अच्छे से नेविगेट करना आना चाहिए।

अच्छी नौकरी ढूंढना एक मैच की तरह है ना कि किसी लॉटरी की तरह, जहां आप सिर्फ एक टिकट खरीदकर जीतने की उम्मीद करते हैं। आप के पास भी बाकी पोटेंशियल एम्प्लाइज की तरह इस बात पर पूरा कंट्रोल है कि आप अपने बारे में कौन सी जानकारी शेयर करते हैं, उस जानकारी को किस तरह शेयर करते हैं और आपकी क्या आशाएं हैं। इसलिए एक गहरी साँस लीजिये, अपनी इंटरव्यू स्किल्स और नेगोशिएटिंग स्किल्स को बेहतर बनाइये और आप भी अपनी मनपसंद नौकरी पा सकेंगे। 

अगर आपको अच्छी नौकरी ढूंढ़ने में काफी मुश्किलें हो रही हैं, तो भी आप हार ना मानें। आजकल के जॉब मार्केट में कई तरह की मुश्किलें आ सकती हैं इसलिए आपके टूलबॉक्स में अच्छे टूल्स का होना बहुत जरूरी है। आज के समय में हम बढ़ते हुए इकनोमिक रिसेशन का सामना कर रहे हैं, जिसकी वजह से एम्प्लॉयर्स द्वारा कैंडिडेट्स को चुनने के तरीके में काफी बदलाव आया है। जब किसी देश के आर्थिक हालात अच्छे होते हैं तो एम्प्लॉयर्स को अच्छे एम्प्लाइज ढूंढ़ने में दिक्कत होती है जिसकी वजह से एम्प्लॉयर को नौकरी ढूंढ रहे लोगों की जरूरतों और इच्छाओं के प्रति खुद को ढालना पड़ता है। ऐसे समय में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोगों के रिज्यूमे को अच्छे से पढ़ा जाता है और कंपनी के वेबसाइट्स पर भी नियमित रूप से नई जॉब पोस्टिंग्स अपडेट होती हैं। 

पर 2020 ऐसा समय नहीं है। 2008 के इकनोमिक मेल्टडाउन के बाद और फिर कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद से लोगों के लिए नौकरियां ढूंढ़ना काफी मुश्किल हो चुका है। आज के समय में एम्प्लॉयर्स के पास ज्यादा ताकत है क्योंकि उन्हें कई सारे बेरोजगार लोगों में से कुछ को चुनना है। इसलिए अब वों नौकरी ढूँढ रहे लोगों के रिज्यूमे और उनकी जरूरतों पर भी कम ध्यान देते हैं।

इन्ही कारणों की वजह से आजकल लोगों को नयी नौकरियां पाने में बहुत समय लग जाता है।

1994 और 2008 के दौरान यूनाइटेड स्टेट्स में रहने वाले सभी बेरोजगार लोगों में से आधे लोगों को नौकरियां सिर्फ 5 हफ़्तों में मिल जाती पर 2008 के बाद सिर्फ 22 से 33 प्रतिसत बेरोजगार अमेरिकन्स को नौकरियां  मिलने में लगभग एक साल से ज्यादा का समय लग जाता है।

स्ट्रगलिंग इकॉनमी की वजह से एम्प्लॉयर्स अपनी लागत को कम करने के लिए नए नए रास्तें अपनाते रहते हैं। इस वजह से नौकरियां  अक्सर शॉर्ट टर्म होती हैं क्योंकि पार्ट टाइम और फ्रीलान्स जॉब्स देकर एम्प्लॉयर्स को फायदा होता है। 

इस तरह की नौकरियां  अक्सर प्रोजेक्ट बेस्ड होती है और इससे एम्प्लॉयर्स के भी पैसे बचते हैं क्योंकि उन्हें काम कर रहे लोगों के हेल्थ बेनिफिट्स और छुट्टिओं के पैसे नहीं देने पड़ते।

ब्यूरो ऑफ़ लेबर स्टेटिस्टिक्स की 2015 के एक रिपोर्ट के अनुसार 18 से 24 वर्ष की आयु वाले लोगों में से 69 प्रतिशत लोग किसी नौकरी को 1 साल से भी कम समय के लिए करते हैं और 93 प्रतिशत लोग एक नौकरी में 5 साल से कम समय काम करते हैं।

40 से 48 वर्ष के बीच आयु वाले लोगों के लिए भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इनमे से 32 प्रतिशत लोग 1 साल से भी कम समय के लिए एक नौकरी कर पाते हैं और 69 प्रतिशत लोग एक नौकरी को 5 साल से कम समय के लिए करते हैं।

गूगल की दुनिया में रिज्यूमे पहले जितना असरदार नहीं है। आजकल इंटरनेट की वजह से हर व्यक्ति के बारे में जानकारियाँ आसानी से उपलब्ध हो सकती है। पहले नौकरी तलाशने वाले व्यक्ति के पास पूरी छूट थी कि वो खुद को किस तरह पेश करता है खासकर अपने रिज्यूमे पर। 

पहले कई सारे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था जैसे कि जॉब हिस्ट्री को एनालाइज करके रिज्यूमे में कुछ लिखना या हटा देना जिससे अच्छा इम्प्रैशन बन पाए। ज्यादातर समय एम्प्लॉयर के पास रिज्यूमे में लिखी बातों को कन्फर्म करने के लिए पोटेंशियल एम्प्लोयी के पीछे प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर लगाने के अलावा और कोई ख़ास तरीका नहीं था। प्राइवेट इन्वेस्टिगेटर को हायर करना एक प्रैक्टिकल ऑप्शन नहीं था इसलिए रिज्यूमे अपने आप को अच्छी तरह पेश करने के लिए एक बहुत ही अच्छा टूल था। 

पर आज के समय में आपको बहुत ही ज्यादा सावधान रहना होगा क्योंकि इंटरनेट पर आप से जुड़ी कई सारी जानकारियाँ हैं जो आपकी उस इमेज को कंट्राडिक्ट कर सकती है जो आप एम्प्लॉयर के सामने बनाना चाहते हैं। 

इसलिए थोड़ा सा समय निकाल के आप वो कीजिये जो कोई भी पोटेंशियल एम्प्लायर करेगा - अपने नाम का गूगल सर्च। बहुत ज्यादा संभावना है कि आपको अपना लिंक्डइन प्रोफाइल, फेसबुक प्रोफाइल, एक ब्लॉग या कुछ पिक्चर्स दिख जाएंगे। 

मुख्य बात यह है कि आप से जुड़ी कई सारी जानकारियां सिर्फ एक गूगल सर्च से ढूंढी जा सकती है पर इसका यह मतलब नहीं है कि आप इंटरनेट को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

सबसे पहले आप यह सुनिश्चित कीजिये कि कहीं इंटरनेट पर आप से जुड़ी कोई ऐसी जानकारियाँ तो नहीं है जो आपके रिज्यूमे में लिखी हुई बातों को कॉन्ट्रडिक्ट करती हो। उदाहरण के लिए क्या आपके ग्रेजुएशन डेट्स इंटरनेट और रिज्यूमे पर एक ही हैं?

अगर आपकी इंटरनेट पर कोई फोटो है जिसमे आप बहुत ही ज्यादा नशे में दिख रहें है तो आप उसे जल्दी से हटा लीजिये। इसी तरह अगर आपका कोई ट्वीट ऐसा है जो देखने में आसानी से सेक्सिस्ट या रेसिस्ट लग सकता है उसे भी जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी डिलेट कर दीजिये।

कई सारी स्टडीज से पता चला है कि 91 परसेंट यूएस एम्प्लॉयर्स पोटेंशियल जॉब एम्प्लाइज के सोशल मीडिया प्रोफाइल चेक करते हैं और लगभग 70 परसेंट एम्प्लॉयर्स, लोगों को सिर्फ उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल्स देखकर, नौकरी के लिए मना कर देते हैं।  

इसलिए आप अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स से वो चीजें हटा दीजिये जो एप्लॉयर्स के सामने आपकी छवि बिगाड़ सकती है। अपने सभी सोशल प्रोफाइल्स को कंसिस्टेंट और प्रोफेशनल दिखाने के लिए आप खुद को उन फोटोज से अनटैग कर लीजिये जो आपके प्रोफाइल्स को कॉन्स्टेंट और प्रोफेशनल दिखने से रोक सकता है।

अगर आपको ये सब करना बहुत मुश्किल लग रहा है तो भी घबराये नहीं। कई सारे तरीके हैं जिनकी मदद से आप अपने ऑनलाइन छवि को आसानी से मैनेज कर सकते हैं।

अपने ऑनलाइन प्रेसेंस को ऑप्टिमाइज़ और ज्यादा विज़िबल बनाने के लिए आप कीवर्ड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कीवर्ड्स इंटरनेट के लिए बहुत जरूरी है क्यूंकी गूगल सर्च इस्तेमाल करने के लिए भी आपको पहले कुछ लिखना पड़ता है और सर्च इंजन आपको आपके सर्च के हिसाब से सबसे अच्छे और रेलेवेंट रिजल्ट्स दिखाता है।

आप कीवर्ड्स के इस्तेमाल से उन सर्च रिजल्ट्स को कंट्रोल और इम्प्रूव कर सकते हैं जो तब आते हैं जब कोई आपका नाम या उन लोगों को सर्च करते हैं जिनके पास आप जैसी स्किल्स हैं। इसलिए आप ध्यान से सोचिये कि आप अपने नाम के साथ किस तरह के कीवर्ड्स जोड़ना चाहते हैं और किस तरह के रिक्रूटर्स का ध्यान आप अपनी ओर खींचना चाहते हैं। आप अपने आपको रिक्रूटर्स की जगह रखकर खुद से यह सवाल भी पूछ सकते हैं कि "इस काम को कर सकने वाले अच्छे कैंडिडेट्स ढूंढ़ने के लिए मैं क्या जॉब टाइटल्स और डेस्क्रिप्शन्स चुनूंगा?'' और फिर इसके जवाब में मिले हुए केवर्ड्स आपको अपने ऑनलाइन प्रोफाइल्स में अपने नाम के साथ इस्तेमाल करने हैं। 

इसलिए आप इस तरह के उन सभी कीवर्ड्स की एक लिस्ट बनाइये जो आपके दिमाग में आती है जैसे कि प्रोएक्टिव, हार्ड वर्किंग, फ्रेंडली, ऑनेस्ट, एंथोसिएस्टिक और एफिसिएंट। 

इन कीवर्ड्स को आप अपने लिंकडिन अकाउंट और अपने बायो में इस्तेमाल कर सकते हैं। ये कीवर्ड्स तब आपके प्रोफेशनल और नॉनप्रोफेशनल एक्टिविटीज को दर्शाएंगे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग आपके अकाउंट को नोटिस करें आप इंटरनेट पर अपनी विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए भी कई कदम उठा सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि लोग आपको अपनी फील्ड में स्पेशिलिस्ट या एक्सपर्ट की तरह देखें तो आप अपने फील्ड से जुड़ा कोई ब्लॉग लिखना शुरू कर सकते हैं। इससे लोगों को आपके ज्ञान और रूचि के बारे में पता चल जाएगा।

उदाहरण के लिए अगर आप एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर हैं तो आप इससे जुड़े हुए आर्टिकल्स और इंटरव्यूज पर कोई ब्लॉग लिख सकते हैं। ऐसा करने से लोगों को पता चलेगा की आप अपने फील्ड से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं और उसमे हुए नए डेवलपमेन्ट्स से परिचित हैं। इसके अलावा आप अपने ब्लॉग में कमेंट्री और कुछ उदाहरण भी पेश कर सकते हैं जो यह दिखायेगा कि आप अपने विषय के बारे में कितना ज्यादा जानते हैं। लिंकडिन ग्रुप्स में अपनी प्रजेंस बढाकर भी आप अपने फिल्ड में लोगों का ध्यान खींच सकते हैं। 

ऐसा करने के लिए आप लिंकडिन पर अलग अलग ग्राफ़िक डिज़ाइनइंग ग्रुप्स को ढूंढ कर ज्वाइन कीजिये और थोड़े थोड़े समय पर चेक इन करके ग्रुप्स के पोस्ट्स पर कमैंट्स और उन्हें शेयर कीजिये ।

आप ट्विटर के इस्तेमाल से अपने फील्ड में होने वाले नए नए डेवलपनमेंट्स से जुड़े हुए पोस्ट्स पर कमेंट और उन्हें शेयर भी कर सकते हैं। ऐसा करते समय आपको रेलेवेंट हैशटैग्स का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे पोटेंशियल एम्प्लॉयर्स आपकी एक्टिविटी को आसानी से ढूंढ पाएंगे।  

आज के समय में नौकरी ढूंढ़ना पहले से बहुत ज्यादा अलग नहीं है, आज के समय में भी बहुत सारे अवसर उपलब्ध हैं। नौकरी तलाशना और डेटिंग करने में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। इन दोनों में दो सबसे जरूरी सवालों का जवाब देना होता है: "क्या आप मुझे पसंद करते हैं?" और "क्या मैं आपको पसंद करता हूँ?"

पिछले कुछ दशकों में इतने सारे बदलाव होने के बावजूद भी नौकरी तलाशना असल में पहले जैसा ही है।

अभी भी इस प्रक्रिआ में सबसे जरूरी चीज दो अलग अलग पार्टीज का मिलना होता है जिनके आपस में मिलने से दोनों पार्टीज को फायदा पहुंच सके।  

आप खुद को एम्प्लायर के सामने नौकरी के लिए एक लइकेबल और अट्रैक्टिव कैंडिडेट दिखाएँ। ऐसा आप अपने काम से जुड़ी स्किल्स, एक्सपीरियंस और पर्सनालिटी को दिखाकर कर सकते हैं जिसके लिए एम्प्लायर एम्प्लोयी ढूंढ रहा है। 

आप इस बात पर भी ध्यान दें कि कौन सा एम्प्लायर आपके लिए अच्छा है। आप खुद से पूछिए कि क्या वो आपको काम करने के लिए एक ऐसा एनवायरनमेंट दे रहे हैं जिसमे आप अपने स्किल्स को अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हैं। जब भी आप किसी नौकरी को चुनने या ना चुनने का निर्णय लेते हैं तो ये बात याद रखना जरूरी है कि आजकल के जॉब मार्केट में भी नौकरीओं के कई अवसर मौजूद हैं।

अक्सर मीडिया जॉब मार्केट में अवसरों की कमी को बढ़ चढ़ा कर बताती है और ऐसे दिखाती है जैसे कहीं कोई नौकरी उपलब्ध नहीं है। इन सब की वजह से आप दुखी और निराश हो सकते हैं पर आपको इस तरह की भावनाओं को पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। 

सच ये है कि परिस्थिति आपके हाथ से पूरी तरह बाहर नहीं है, आप हमेशा खुद को सफल बनाने के लिए कुछ ना कुछ कर सकते हैं। आप अपने रिज्यूमे में शब्दों को बदल कर रिज्यूमे को बेहतर बना सकते है और उसके कवर लेटर को भी सुधार सकते हैं। आप जॉब मार्केट को बेहतर तरीके से एनालाइज करके अपने लिए उचित नौकरियों को ढूंढ सकते हैं। याद रखिये की आपके सफल होने की संभावना बहुत ज्यादा है। 

आगे हम देखेंगे कि किस तरह से आप अपने जॉब इंटरव्यू में सफल होने की संभावना बढ़ा सकते हैं। 

एक अच्छे इंटरव्यू के लिए आपको प्रिपरेशन, फोकस और अच्छे पोर्टफोलियो की जरूरत होती है।
अगर हम डेटिंग एनालॉजी को थोड़ा और आगे बढ़ाते हैं तो हम पाएंगे कि अच्छा रिज्यूमे और वेब प्रेसेंस बिल्कुल फ्लर्टिंग स्टेज पर सफल होने की तरह ही होता है। हम सब जानते हैं कि फ्लर्टिंग डेटिंग में सिर्फ शुरूआती स्टेज है इसके बाद में होने वाली चीजों के लिए, जिसे नौकरी तलाशने की प्रक्रिया में इंटरव्यू स्टेज कहा जा सकता है।

आप इस स्टेज में भी कई तरीकों से अपने आपको सफल बनाने की संभावना को बढ़ा सकते हैं, ऐसा करने के लिए पहला स्टेप कंपनी के कल्चर के बारे में जानकारियाँ जुटाना है।  

आप ऐसा कंपनी के वेबसाइट पर जाकर, उनके कॉर्पोरेट गाइडलाइन्स और प्रेस रिलिसेस पढ़ कर और मीडिया में उनके बारे में क्या लिखा है ये जानकर कर सकते हैं। आप गिज़मोडो और टेकक्रंच जैसे बिजनेस ब्लोग्स और ऑनलाइन पब्लिकेशंस भी पढ़ सकते हैं, जो आपको नए नए डेवलपमेन्ट्स के बारे में बताएगी। 

इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने इंटरव्यू में एरोगेंट और पेट्रोनाइज़िंग ना दिखें, कभी कभी ऐसा लोगों के साथ तब होता है जब वों इंटरव्यू में पूछे जाने वालें सवालों के लिए सही से तैयारी नहीं करते हैं और बहुत ज्यादा बातें करते हैं। इंटरव्यू के दौरान खुद को प्रोमोट करते हुए नर्वस होना स्वाभाविक है। पर नर्वस सेल्फ प्रमोशन की वजह से आप सेल्फ एब्सॉर्ब्ड और अनफोकस्ड दिख सकते हैं। इसकी वजह से आप बहुत सी ऐसे बातें भी बोल सकते हैं जिसे बोलने की कोई जरूरत ना हो। इसलिए दूसरों को भी बोलने दें और जब वो बोल रहें हो तो उनकी बाते ध्यान से सुनिए।

सबसे अच्छे इंटरव्यू देने वाले वो लोग होते हैं जो सटीक होते हैं और हर सवाल का सोच समझ कर जवाब देते हैं। इस तरह के लोग अक्सर कंपनी के बारे में भी सवाल पूछते हैं जैसे कि "मैं किस तरह के लोगों के साथ काम करूँगा?" इस तरह के सवाल दर्शाते है कि आप जानते हैं लोग अलग अलग तरह के होते हैं और आप जानना चाहते हैं कि आप उन लोगों के साथ कैसे काम करेंगे। 

अब अगर आप अपने इंटरव्यू में बहुत ज्यादा अच्छा परफॉर्म करना चाहते हैं तो आप अपने एक्सपीरियंस और स्किल्स से जुड़े कुछ सबूत भी पेश कर सकते हैं। 

क्रिएटिव जॉब्स, जैसे कि ग्राफ़िक डिज़ाइन और आर्किटेक्चर, के लिए दिए गए इंटरव्यूज में अक्सर यही होता है। इन लोगों से उम्मीद की जाती है कि इंटरव्यू करने के साथ साथ ये अपने मॉडल्स और पोर्टफ़ोलिओस भी पेश करेंगे। 

इस पर विचार कीजिये कि आप किस तरह के पोर्टफ़ोलिओस पेश कर सकते हैं। आप खुद से जुड़ी जानकारियों से भरे एक टेबलेट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आपके पिछले सभी सफल प्रोजेक्ट्स की जानकारियां शामिल हो सकती है।

अच्छी तरह निगोशिएट करने के लिए आपको अपने काम से जुड़ी कुछ जरूरी बातें पहले से पता होनी चाहिए।
सैलरी नेगोसिएशन मार्केट में किसी चीज के मूल्य को दूकानदार से मोल भाव करने जैसा ही है। पर इसका मतलब यह नहीं कि नेगोसिएशन करना आसान है। 

अगर आप अपने एम्प्लायर को पहले सैलरी प्रोपोज़ल देने देंगे तो इससे आपको फायदा होगा। 

ऐसा करने के लिए आप तब तक सब्र रखें और इंतज़ार करे जब तक कि इंटरव्यू ख़तम होने का समय निकट ना आ जाए। जब आपको लगे कि वो आपको हायर करना चाहते हैं तब आप उनसे सैलरी प्रोपोज़ करने के लिए कह सकते हैं। अगर इंटरव्यू में कई सारे राउंड्स है तो आप को ये बात इंटरव्यू के आखिरी राउंड में बोलनी चाहिए। 

ये संभव है कि आपके इम्प्लॉयर्स को काउंटर प्रपोजल पेश करने के फायदे पहले से पता हो और वें आपको पहले सैलरी प्रोपोज़ करने के लिए बोल दें।

अगर ऐसा होता है तो भी आप पहले सैलरी प्रोपोज़ करने से बच सकते हैं, ऐसा करने के लिए आप उनसे कह सकते हैं कि "आप ये नौकरी पेश कर रहें हैं तो जरूर आपके मन में कोई ख़ास सैलरी पहले से निर्धारित होगी।"

अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको पहले ये पता करना होगा कि आप जिस पोस्ट पर काम कर रहें हैं उसी पोस्ट पर काम करने वाले कंपनी के दूसरे लोगों को कितनी सैलरी मिलती हैं।

ये बात आप गूगल के इस्तेमाल से भी पता कर सकते हैं। इंटरनेट पर कई सारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स हैं जो आपके लिए अलग अलग इंडस्ट्रीज, पोसिशन्स और जेओग्राफीस में मिलने वाली सैलरीस कम्पेयर कर सकते है, जैसे कि सैलरी डॉट कॉम और जॉब्स्टर डॉट कॉम। 

इन जानकारियों की मदद से आपको पता चल जाएगा कि आमतौर पर वहां काम कर रहे लोगों को एम्प्लॉयर्स कितने पैसे देते हैं। फिर आप सोच सकते हैं कि कितने पैसों से कम सैलरी पर आप काम नहीं करेंगे और कंपनी आपको कितने पैसों से ज्यादा सैलरी नहीं देगी। 

उदाहरण के लिए अगर कंपनी की सैलरी रेंज ३ लाख से ६ लाख है, तो आपको कोई ऐसी सैलरी चुननी चाहिए जो ३ लाख और ६ लाख के बीच में हो। 

आप ये सैलरी पाने कि सम्भावना बढ़ाने के लिए उनसे कह सकते हैं कि कैसे आपकी स्किल्स और एक्सपरटीस से लम्बे समय में उनके पैसों की बचत होगी और उनका फायदा होगा।

अगर आप इन बातों को समझ जाते हैं और इनका इस्तेमाल करते हैं तो आप नौकरी ढूंढ़ने के लिए अच्छी तरह तैयार है। अब आप कॉन्फिडेंस के साथ जॉब मार्केट में जा सकते हैं, जो आपका इंतज़ार कर रहा है।

कुल मिलाकर
आप जो नौकरी पाना चाहते हैं उसे पाने के लिए खुद को पहले अच्छी तरह तैयार करें। ऐसा आप इंटरव्यू से पहले अच्छी तरह रिसर्च करके कर सकते हैं। याद रखें कि ऐसी कई सारी नौकरियां उपलब्ध है जिसे करने के लिए आप ही कि तरह कोई क्वालिफाइड प्रोफेशनल चाहिए। इसलिए आप खुद को पोटेंशियल एम्प्लायर के लिए एक रिसोर्स समझे ना कि सिर्फ एक डेस्पेरेट व्यक्ति। 

कभी कभी दो स्टेप्स में करियर बदलना आसान होता है। 

अगर आप अपना करियर बदलना चाहते हैं तो आप वो नौकरी चुनिए जो आपको अपने नए करियर में आगे बढ़ने में मदद करेगी। अक्सर हमारे सपनों की नौकरी कुछ ऐसी होती है जिसे आमतौर पर पा सकना लगभग नामुमकिन होता है। इसलिए पहले कोई ऐसी नौकरी चुनिए जो आप आसानी से पा सकते हों और साथ ही जो आपको आपके सपनों के टाइटल के पास ले जायेगी। इस स्ट्रेटेजिक एप्रोच की मदद से आप सचमुच अपना ड्रीम जॉब पा सकेंगे।


Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

YEAR WISE BOOKS

Indeals

BAMS PDFS

How to download

Adsterra referal

Top post

marrow

Adsterra banner

Facebook

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Accept !