Return on Ambition

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Nicolai Chen Nielsen and Nicolai Tillisch
आपकी अचीवमेंट और गोल के लिए कंप्लीट अप्रोच

दो लफ़्ज़ों में
रिटर्न आन एम्बिशन (2021) सक्सेस पाने और गोल अचीव करने के लिये एक प्रैक्टिकल गाइड है. हाई पर्फॉर्मिंग लोगों द्वारा अपनाई गई आदत और स्ट्रैटेजी के आधार पर इस समरी में कुछ ऐसी जानकारियां बताई गई हैं जिन्हें आप अपनी लाइफ में फौरन अप्लाई कर सकते हैं.

किनके लिये है
- आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे एम्बिशियस लोग
- अपनी प्रोफेशनल लाइफ को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए
- कोई भी जो अपना वर्कफ्लो बेहतर करने की कोशिश कर रहा हो

लेखक के बारे में
Nicolai chen Nielsen पर्सनल डेवलपमेंट के थॉट लीडर और Mckinsey & company के एसोसिएट और वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के ग्लोबल शेपर्स कम्युनिटी के एल्युमिनाई हैं.
Nicolai Tillisch डेलिब्रेट डेवलपमेंट के फाउंडर हैं उन्होंने कल्टिवेटिंग लीडरशिप और DDB वर्ल्डवाइड के साथ काम कर रखा है.

अपने एंबिशन के नेचर को समझिये ताकि आपको पता हो आखिर आप अचीव क्या करना चाह रहे हैं
बड़े एंबीशंस में बहुत वक्त और मेहनत लगती है साथ ही यह हमें हमारा बेस्ट वर्जन बनने में मदद करते हैं. लेकिन ज्यादा से ज्यादा एंबिशियस लोगों को भी सेल्फ केयर के साथ अपना गोल अजीव करना बहुत मुश्किल लगता है. और अक्सर वो अपने आप से सवाल करते हैं कि क्या कभी उनके मेहनत का फल उन्हें मिलेगा.

एंबिशियस लोगों को इसलिए स्ट्रगल करना पड़ता है क्योंकि वह अपने एंबिशन का नेचर नहीं समझ पाते.  वह सोसाइटी के नियमों के खिलाफ जाने की हिम्मत दिखा लेते हैं क्योंकि वह अपना खुद का रास्ता बनाना चाहते हैं. साथ ही वह अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ दोनों में ही परफेक्ट होना चाहते हैं.

यह समरी आपको अपने एंबिशन का नेचर समझने में मदद करेगी. आप जानेंगे कि कैसे कुछ टेक्निक और तरीकों का इस्तेमाल करके अपने रिजल्ट को बढ़ाया जाए. इस समरी में आप जानेंगे, कि अपने एंबिशन कोखुद के अपने लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज से कैसे जोड़ें? अपने एंबिशन की डार्क साइड कैसे पहचानें, एंबिशन की अपनी पर्सनल फिलॉसफी कैसे बनाएं?

तो चलिए शुरू करते हैं!

आप अपने एंबिशन को कैसे डिफाइन करते हैं? यकीनन इसी के चलते आप  मेहनत और अचीव करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, आखिर आपको अचीव क्या करना है?

जब आप अपने गोल के बारे में सोच रहे हो तो यह बात दिमाग में रखिए कि एंबीशन पैसे की तरह है जरूरी नहीं है कि यह बुरा हो लेकिन इसकी एक हद होती है. जैसे पैसों की तरफ इर्रिस्पांसिबिलिटी खतरनाक हो सकती है, वैसे ही अगर एंबिशन को चैनेलाइज नहीं किया गया और ज्यादा से ज्यादा वक्त ऑफिस में गुजारने की कोशिश की गई तो यह आपकी पर्सनल लाइफ और हेल्थ को बर्बाद कर सकता है.

इसलिए अपने एंबिशन की हद तय कर लेना बहुत जरूरी है. मतलब आपको क्लियर होना चाहिए कि आप क्या चीज करना चाहते हैं और इसके लिए क्या करेंगे. क्योंकि अगर आपको नहीं पता कि आपको क्या चाहिए और कोई एंड प्वाइंट है ही नहीं तो आप अपनी लाइफ में कभी खुश हो ही नहीं सकते.

अगर आप अपने एंबिशन के नेचर को स्पेसिफाई कर लेते हैं तो अपने एस्पिरेशंस की हाइट, काम करने में लगने वाली स्पीड और एनर्जी और अपनी लाइफ को किस डायरेक्शन में ले जाना चाहते हैं, क्लियर कर लेंगे.

कुछ लोग अपने गोल को स्पेस्फाई करने के लिए अपने दिमाग पर बहुत ज्यादा प्रेशर डालते हैं. 17 साल की उम्र में लेबर पार्टी ज्वाइन करने वाली Jacinda Ardern ने अपने एंबीशन पर लेजर की तरह फोकस रखा. आखिरकार 28 साल की उम्र में वह न्यूजीलैंड की प्राइम मिनिस्टर बन गयीं. वहीं दूसरी तरफ बहुत सारे लोग बिना कोई गोल सेट किए अपने ड्रीम पूरा करने कोशिश करते हैं. Trevor Noah का करियर पाथ सेट नहीं था कॉमेडियन बनने से पहले वह कंप्यूटर फिक्स किया करते थे और धीरे-धीरे एक डेली शो के होस्ट बन गए.

अपने एंबीशन के साइज और अपनी लाइफ की प्रायोरिटीज़ के बारे में सोचिए. आपको अपनी मौजूदा सिचुएशन से कितना आगे जाना है? क्या आप jamie Oliver की तरह बनना चाहते हैं जो इंश्योर करते हैं कि वह अपनी फैमिली को वक्त दें? या Rihanna की तरह जो पिछले 14 साल से लगातार बस काम करते आ रही हैं?

चाहे आप पहले से बने रास्ते पर चलना चाहते हैं या अपना खुद का रास्ता बनाना चाहते हैं यह बात ध्यान में रखिए कि जितने बड़े एंबीशंस होंगे उनको पूरा करना भी उतना ही मुश्किल होगा. क्योंकि जितना बड़ा एंबिशन होता है रिटर्न भी उतना ही बड़ा चाहिए होता है अगर आप अगला फेसबुक बनाना चाहते हैं तो मिलियन यूज़र भी आपके एम्बिशन के लिये कम पड़ जाएंगे. इसलिए रियलिस्टिक एंबीशन से शुरुआत करना सबसे बेहतर है.

अपने एंबीशन के रिटर्न को बढ़ाने के लिए अपनी ग्रोथ और खुद को प्रायोरिटी दीजिए
यह जानने के लिए कि आपके एंबीशन रियलिस्टिक है या नहीं आप उनसे मिल रहे रिटर्न्स को एनालाइज़ कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी वेल बींग, ग्रोथ और अचीवमेंट्स का ट्रैक रखना होगा. यह मिशन को देखने का एक ऐसा नजरिया है जो आपकी जिंदगी के हर इम्पॉर्टेंट पहलू को नजर में रखता है.

अक्सर ज्यादा एंबिशियस लोग अपने करियर पर इतना ज्यादा फोकस करते हैं कि अपनी ग्रोथ, हेल्थ, कंफर्ट, खुशियां यह सब कॉम्प्रोमाइज़ करती हैं. मिसाल के लिए Sadaff Abid को ही ले लीजिए पाकिस्तान में माइक्रो फाइनेंसिंग प्रोवाइड करने वाली ऑर्गेनाइजेशन काश फाउंडेशन की शुरुआत करने के तुरंत बाद उन्होंने अपने आप को सीईओ के तौर पर आगे कर दिया. लेकिन वह सीईओ का रोल निभाने में नाकाम रही और उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े ताकि वह हावर्ड यूनिवर्सिटी से एंटरप्रेन्योरशिप पढ़ सकें. नतीजतन उन्हें खुद को ग्रो करने में बहुत मदद मिली अब वह सीईओ के चैलेंजेस को बड़ी आसानी से टैकल कर सकती हैं और अपना काम एक नए पैशन के साथ कर रही हैं.

असल में जब एंबिशन की बात की जाए तो well-being, ग्रोथ और अचीवमेंट्स ट्राइपॉड की तरह काम करते हैं जिनके तीनों पैरों पर एंबिशन खड़ा होता है. अगर इनमें से कोई एक भी गिरता है तो पूरा का पूरा स्ट्रक्चर ढह जाएगा. इसलिए इन तीनों चीजों के बीच में बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि यहां सिर्फ बात वर्क लाइफ बैलेंस की नहीं है, इंसान होने के नाते आप की सभी जरूरतों के पूरी होने की भी बात है.

चलिए सबसे पहले अपनी वेल-बींग के बारे में बात करते हैं हम सभी की जिंदगी में वह दौर जरूर आता है जब हम काम में इतने उलझे होते हैं कि सोशल गेदरिंग और एक्सरसाइज जैसी चीजें पोस्पोन कर देते हैं. अगर आप अपनी लाइफ के किसी ऐसे ही टाइम पीरियड की तरफ मुड़ कर देखेंगे, चाहे आप उसे स्पेशली प्रोडक्टिव टाइम का ही नाम क्यों ना दे दे लेकिन उसके बारे में सोच कर आप बर्न-आउट हो जाएंगे.

और बर्नआउट आपको एक सिचुएशन पर लाकर रोक देता है. एक ऐसी फीलिंग जिससे वह शख्स बहुत अच्छे से जानता है जो हर रोज बिना किसी ग्रोथ के एक ही काम करता चला जाता है. अपनी जिंदगी के कहीं रुक जाने से बचने के लिए ऐसा माइंडसेट डिवेलप कीजिए जो ग्रोथ को तरजीह दे. ग्रो वही लोग होते हैं जो चैलेंजेस लेते हैं, चाहे वह कुछ नया पढ़ने का चैलेंज हो या अपनी पुरानी स्किल को शार्प करने का.

आखिर में इंश्योर कीजिए कि आपके पास अचीवमेंट बेस्ड प्रायोरिटी लिस्ट है या नहीं. इसके लिए आपको स्पैसिफिक गोल रखने और उसे अचीव करने के लिए प्लान बनाने की जरूरत है. और जब आप गोल सेट कर रहे हो तो रियलिस्टिक एक्सपेक्टेशन और सेल्फ एसेसमेंट भी रखिए. ज्यादा एंबिशियस लोग खुद पर बहुत सख्त हो जाते हैं और कई बार अपनी बहुत सारी कामयाबी नजरअंदाज कर देते हैं.

किसी बड़े एंबिशन के लिए जरूरी स्किल आपका बेस्ट फ्रेंड भी हो सकती है और दुश्मन भी
21 साल की उम्र में डेनिश स्विमर pernille blume रिटायर होना चाहती थी क्योंकि वह खुद से यकीन खोती जा रही थीं. लेकिन अपने कोच से बात करने के बाद उन्होंने वापस कंप्टीट करने का फैसला किया. जल्द ही उन्होंने 2016 में रियो में होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया था, जहां उन्हें गोल्ड जीतने की उम्मीद थी, अपने काम की तरफ ईमानदारी की वजह से blume ने अपना यह सपना पूरा कर लिया था.

Blume के उलट स्नोबोर्डर Lindsey Jacobrllis के 2006 में Turin में हुए विंटर ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बहुत चांसेस थे. जब फाइनल्स हुए उन्होंने अपने आप को अपने कंप्टीटर्स से बहुत आगे पाया और कॉन्फिडेंस में "मेथड ग्रैप" अटेम्ट कर दिया. लेकिन वह अच्छे से लैंडिंग नहीं कर पाए और उनका गोल्ड मेडल एक झटके में चला गया.

कई बार आपका एंबिशन आपके लिए हेल्पफुल साबित होता है यह आपको सही डायरेक्शन में ले जाने और अपना ड्रीम अचीव करने में मदद करता है. लेकिन कभी कभी इसी एंबीशन के कुछ पहलू बेड़ियां बन आपको पीछे ढकेल सकते हैं.

हमने कुछ देर पहले भी यह बात की थी कि जरूरी नहीं कि एम्बिशन बुरा हो, लेकिन आप इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं यह बात बहुत मायने रखती है.

एम्बिशियस लोगों के माइंडसेट में कई चीजें एक जैसी होती हैं. वह इंडिपेंडेंट, सिचुएशन में ढल जाने वाले और कॉम्पिटेटिव नेचर के होते हैं मुसीबतों में डटे रहते हैं,  उनके नेचर में बोल्डनेस होती है. सबसे बड़ी बात की वह बहुत  मोटिवेटेड होते हैं.

लेकिन इन खूबियों का डार्क साइड भी है. एंबिशियस लोगों को आगे बढ़ाने वाला मोटिवेशन, उनकी स्पीड को इतना ज्यादा तेज कर सकता है कि वह अपनी गलतियां और अपने साथ काम करने वालों की फीलिंग नजरअंदाज कर देते हैं. फेसबुक ने अपने पुराने मोटो "मूव फास्ट एंड ब्रेक थिंग्स" को इसलिए चेंज कर दिया , क्योंकि उन्हें रियलाइज़ हुआ कि वह उन्हें अच्छे से सर्व नहीं कर रहा है.

इन खूबियों की एक और प्रॉब्लम यह है कि यह आपकी सोच को लिमिटेड कर देती हैं. बोल्डनेस को घमंड में बदलते वक्त नहीं लगता और कभी-कभी जब आप जरूरत से ज्यादा इंडिपेंडेंट हो जाते हैं तो अकेले पड़ जाते हैं. मेनेजेबल होने के बावजूद यह आपके एम्बिशन के रिटर्नस को लिमिटेड कर देते हैं.

यह खूबियां आपकी स्ट्रेंथ और वीकनेस दोनों हो सकते हैं अगे हम जानेंगे कि यह कहां से आती हैं ताकि आप इन के डार्क साइड से बच सकें.

अगर आप ज़्यादा तेज़ चलेंगे तो रास्ते से ध्यान हट जायेगा
1986 में आई फिल्म, टॉप गन का मेन कैरेक्टर Maverick  बोल्ड, इंडिपेंडेंट और कॉम्पिटेटिव नेचर का था वह फ्लाइट स्कूल में टॉप रैंक जीतने के लिए कंप्टीट कर रहा था. कई हद तक उसकी खूबियों ने उसे लाइफ में अच्छा परफॉर्म करने में मदद की, लेकिन सबसे बेस्ट बनने की उसकी सनक की वजह से प्लेन क्रैश हुआ और उसके को-पायलट Grooce की मौत हो गई.

हालांकि grooce की मौत एंबिशन के डार्क साइड का एक एक्सट्रीम पॉइंट है लेकिन फिर भी यह सच है. जब आप हद से ज्यादा एंबिशियस हो जाते हैं तो  आपके गलतियां करने के चांसेस बढ़ जाते हैं, आप लोगों से अलग होने लगते हैं और एक टाइम पर जाकर खुद को भी खो देते हैं. Grooce की मौत के बाद कुछ ऐसा ही Maverick के साथ हुआ.

चलिए बोल्डनेस से शुरुआत करते हैं यह ऐसी खूबी है जो एंबिशियस लोगों को बिना पूरी जानकारी इकट्ठा किए या जरूरत की स्किल सीखे किसी भी फील्ड में कूद जाने के लिए इंकरेज करती है. हो सकता है कि शुरुआत में वह कामयाब हो जाए लेकिन एक वक्त जरूर आएगा जब एंबीशंस के लिए उनके पास जरूरी स्किल्स होंगी ही नहीं. और जब वह वक्त आ जाएगा तो रिस्की शॉर्टकट लेने का रास्ता ही नजर आएगा. 

अक्सर एंबिशियस लोग अपना काम इंडिपेंडेंटली ही करना पसंद करते हैं क्योंकि दूसरे उनकी रफ्तार से काम नहीं कर पाते और उन्हें लगता है दूसरों की वजह से उनका काम स्लो हो जाएगा. हालांकि इंडिपेंडेंस एक बहुत अच्छी खूबी है लेकिन ऐसे लोगों को हेल्प मांगना नहीं आता और वह एक्सट्रीम लेवल के पर्फेक्शनिस्ट बन जाते हैं. अकेले काम कर करके ऐसे लोग बर्नआउट का शिकार हो सकते हैं, क्योंकि उनका काम कोई और कर ही नहीं सकता.

एम्बिशियस लोग कॉम्प्टेटिव नेचर के होते हैं, जिससे न सिर्फ आगे बढ़ते रहने के लिये उनमें डिटर्मिनेशन बनी रहती है बल्कि उन्हें पता होता है कि वह कौन हैं और क्या कर रहे हैं. लेकिन चीजें तब खराब होने लगती हैं जब वह सबसे बेहतर बनने की सनक में डूब जाते हैं. ऐसा करने से अपने गोल्स से उनका ध्यान भटक जाता है और हर चीज उनके लिए एक जंग सी बन जाती है, इस तरह उनकी अपनी पहचान दांव पर लग जाती है.

याद रखिए कि आप का असल मकसद अपने एंबिशन के रिटर्न्स को बढ़ाना होना चाहिए. यहां तक कि जिस शख्स ने "टूर डे फ्रांस" जीता था, उसके पीछे भी एक पूरी टीम काम कर रही थी. इसलिए बेहतर है कि आप कंपटीशन को सनक के बजाय हेल्थी कंपटीशन में बदलें और एक दूसरे पर डिपेंडेंट रहने या एक दूसरे का सपोर्ट लेने की इंपॉर्टेंट को समझें. और अपने अचीवमेंट्स को मेजर करने के लिए अपने आप को किसी दूसरे से नहीं बल्कि अपने 1 साल पुराने वाले वर्जन से कंपेयर कीजिए.

अगर एम्बिशन पर आपकी नज़र नहीं है तो आपकी रफ्तार कम हो जायेगी
जब एक ज़ेन टीचर से उसके स्टूडेंट ने पूछा कि ज्ञान प्राप्ति में कितना वक्त लगेगा तो उन्होंने जवाब दिया '10 साल.' फिर स्टूडेंट ने पूछा 'अगर मैं दोगुना मेहनत करूं और 2 गुना मेडिटेक करूं तो कितना वक्त लगेगा?' तो टीचर ने रिप्लाई किया '20 साल.'

मतलब यह कि दोगुना मेहनत करने के पीछे एंबिशियस होने के साथ-साथ बेसब्र होना भी एक वजह है. और अपने आप पर ज्यादा सख्त होने या ज्यादा जबरदस्ती करने के अपने नतीजे होते हैं. Huffington Post को लांच करने के 2 साल बाद Arianna Huffington 18 घंटे से ज्यादा काम करने की वजह से एग्जॉशन और स्लीप डिप्रिवेशन से जूझने लगीं. स्पेसएक्स और टेस्ला के फाउंडर एलोन मस्क ने न्यूयार्क टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में बताया कि हफ्ते में 120 घंटे काम करने की वजह से उन्हें  स्ट्रेस की प्रॉब्लम हो गई और सोने के लिए दवाइयां लेनी पड़ती थीं.

अपना गोला अचीव करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और एम्बिशियस लोग अपने आप को इस मेहनत में झोक देते हैं. लेकिन जब आपकी मेहनत आपकी बॉडी की कैपेसिटी के आगे बढ़ जाती है तो इसके बहुत सीरियस नतीजे होते हैं. और जब आप बहुत ज्यादा थक जाते हैं तो छोटा सा छोटा काम करना इंपॉसिबल सा हो जाता है और ऐसे में आपके रिटर्न में कमी आ जाती है. इसलिए अपनी कैपेसिटी से ज्यादा काम मत कीजिए. आप एंबिशियस हो सकते हैं, लेकिन हर काम को हां नहीं कह सकते.

ज्यादा ख्वाहिशें होने की वजह से एम्बीशियस लोगों को लगता है कि ज्यादा मेहनत करने से वह ज्यादा कामयाब भी हो जाएंगे. लेकिन जरूरत से ज्यादा काम आपको बर्न आउट और स्ट्रेस दे सकता है ऐसे में आप काम बेहतर तरीके से नहीं कर सकते. और ज्यादा एंबिशियस होने की वजह से जब आप बहुत ज्यादा काम करने लगते हैं तो अपने गोल से आपका ध्यान हट जाता है और सबसे बुरा तो तब होता है जब आप अपनी कामयाबी से ही अपनी वैल्यू तौलने लगते हैं.

जब आपको एहसास हो कि लगातार आपको अपने काम के लिए कुछ ना कुछ कुर्बान करते रहने की जरूरत पड़ रही है तो यह साइन है कि आप जरूरत से ज्यादा एंबिशियस हो रहे हैं. आपका एंबिशन इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि आप उस पर पकड़ नहीं बना पा रहे. दूसरा यह कि जब आप किसी की ओवरनाइट सक्सेस देखकर उससे जलने लगे और अपने आप को कमतर एहसास करने लगे कि अभी तक आपने ऐसा कुछ क्यों नहीं किया तो आपको मालूम होना चाहिए कि हर कोई स्ट्रगल के दौर से गुजरता है जिसे आप नहीं देख पाते. मतलब आपकी कामयाबी दूसरों के अकंप्लिशमेंट पर नहीं बल्कि आपकी जर्नी पर निर्भर करती है.

एम्बिशियस लोगों में एक चीज कॉमन होती है कि वह अपने गोल को अचीव करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं. जोकि अपनी प्रेजेंट सिचुएशन से तो बेहतर ही लगता है, क्योंकि इस रास्ते पर चलकर आप अपना गोल अचीव कर लेंगे तो क्यों ना ऐसा करने में जल्दबाजी की जाए? इसका जवाब सिंपल है ऐसा करने से आपकी सिचुएशन बहुत पेनफुल हो जाएगी.

अपने एंबिशन को बढ़ाने वाले कारण जानिए
Vivienne Ming ने अमेजॉन से मिले चीफ साइंटिस्ट के ऑफर को इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि यह उनके "दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए काम करने" के उसूल पर खरा नहीं उतर रहा था. इसके बजाय Ming ने Emozie में मोबाइल डाटा एनालाइज कर के लोगों का इमोशनल स्टेट समझने के काम को पसंद किया. उन्होंने यह नौकरी इसलिए भी एक्सेप्ट की थी क्योंकि कंपनी ने उन्हें इस डाटा का इस्तेमाल कर बाइपोलर का सामना कर रहे लोगों की मदद करने की इजाजत दी थी. अपने एंबिशन को प्रिंसिपल के साथ जोड़ करके Ming ने ऐसी पोजीशन हासिल की थी जो ना सिर्फ उनको जिंदगी में आगे लेकर गयी बल्कि उनकी पर्सनल लाइफ, हेल्थ और खुशियों पर भी कोई असर नहीं पड़ा.

अगर आपको लगता है कि आप अपने गोल से रास्ता भटक गए हैं, तो एंबिशन की अपनी परिभाषा पर एक बार नजर डाल कर देखिए. आपने जिन प्रिंसिपल्स पर एंबिशन की परिभाषा तय की है, वही आपको सक्सेस के लिये गाइड करने और करियर में आगे बढ़ने में मदद करेगी.

गोल होने और एम्बिशन की फिलॉसफी होने में क्या फर्क है? आप जो भी काम कर रहे हैं गोल उस काम के नतीजे को कहते हैं लेकिन फिलॉसफी यह बताती है कि आप वह काम क्यों कर रहे हैं. अपने गोल की वजह से आप नयी स्किल्स सीखते हैं, नए फील्ड्स में कदम रखते हैं. लेकिन आपकी फिलॉसफी आपको गाइड करती है कि आपकी खुशी किस चीज में है, आप के प्रिंसिपल क्या है और किस रास्ते पर चलकर आप फुलफिल्ड महसूस करेंगे.

इसलिए एंबिशन की अपने फिलॉसफी को समझने में कुछ घण्टे जरूर दीजिए. इस वक्त में समझने की कोशिश कीजिए कि आपके लिए इस वक्त क्या सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है और फ्यूचर में क्या इंपॉर्टेंट हो सकता है. किन चीजों के लिए आप शुक्रगुजार हैं? क्या आपको खुशी देता है?

अगर जरूरत पड़े तो नोट्स बनाइए और अपने थॉट्स को रिफ्लेक्ट कीजिए. क्या कोई कॉमन थीम बार-बार आ रही है? क्या इन सब चीजों के बीच में कोई गायडिंग ट्रुथ निकल कर आ रहा है? और यह आपको कैसे गाइड कर रहा है, आप अगले 10 साल में या अपनी पूरी जिंदगी में क्या चाहते हैं?

इस चीज को दिमाग में रखकर आप एक-एक सेंटेंस के कुछ प्रिंसिपल बना सकते हैं. मिसाल के तौर पर, क्या आप क्लाइमेट चेंज का सामना करने वाला कोई स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, या अपनी जिंदगी लविंग पार्टनर के साथ गुजारना चाहते हैं? यह गाइडिंग प्रिंसिपल के कुछ एग्जांपल्स हैं, जो बताते हैं कि हमारे एंबीशन के पीछे की वजह क्या है या क्या चीज इसे गाइड कर रही है. और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हुए कभी-कभी एंबिशन की अपनी फिलॉसफी पर ध्यान जरूर दीजिए और इंश्योर कीजिए कि आप सुकून में और खुश हैं.

कुल मिलाकर
एंबिशन ना अच्छा है ना बुरा. यह आपको अपना ड्रीम पूरा करने में मदद कर सकता है या फिर आप को बर्बादी के किनारे लाकर खड़ा कर सकता है. अपने एंबिशन का अच्छा रिटर्न पाने के लिए सिर्फ अचीवमेंट्स को ही नहीं बल्कि अपनी पर्सनल लाइफ, ग्रोथ और हेल्थ को भी मेजर कीजिए. जानने की कोशिश कीजिए कि आपका जो गोल है उसकी शुरुआत कहां से हुई और क्या सच में वह गोल आपका खुद का है या आप इंपल्सिविटी में आकर उसे अपना गोल समझ रहे हैं. अपने एंबिशन के डार्कर साइड पर भी नजर रखिए और इसकी अपनी खुद की डिफिशन बनाइए ताकि आप अपने हिसाब से अपना रास्ता चुन सके और उस पर चल सकें. ऐसा करके न सिर्फ आप अपने एंबिशन पर बेहतर रिटर्न पा सकेंगे बल्कि आपकी लाइफ भी खुशहाल हो जाएगी.

 

 

क्या करें

मौजूदा वक्त के लिये अपनी प्रायोरिटी सेट कीजिए

हो सकता है कि आपके एंबीशन की फिलॉसफी आपको लॉन्ग टर्म के लिए गाइड कर रही हो, लेकिन आपको शॉर्ट टर्म कि प्रायोरिटी सेट करना भी जरूरी है- एक ऐसी चीज जिस पर अगले 3 महीने आप पूरी तरीके से फोकस करना चाहते हैं. ऐसा कुछ चूस कीजिए जो एस्पिरेशनल होने के साथ-साथ आपके एंबिशन के रिटर्न्स को भी बढ़ाए. एक इंपॉर्टेंट चीज यह कि आपकी इमीडिएट प्रायोरिटी सिर्फ एक ही हो सकती है. आपकी इमीडिएट प्रायोरिटी एनर्जी को सही जगह चैनल करके आपके एंबिशन पर फोकस करने में मददगार होगी. आपको एंबिशन का रिटर्न देने वाला यह पहला गोल है और जैसे ही आप यह अचीव कर लें दूसरा गोल सेट करिए.

 

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