Seth Godin
सीखिए किसी काम को कब छोड़ना है और कब उस पर टिके रहना है
दो लफ्जों में
दि डिप (2007) किताब एक आम संघर्ष के बारे में बात करती है जिसका लगभग हमसब अपनी ज़िंदगी में सामना करते हैं जब हम कोई बड़ा प्रोजेक्ट लेते हैं या फिर उस वक्त जब हम एक नए रास्ते पर चलते हैं। जैसा कि लेखक सेथ गोड़िन बताते हैं कि अपने संघर्ष और संकट के समय में हम एक छोटी-सी अनिवार्य डुबकी लगाकर हम अपनी सफलता के मौकों को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। कठिन निर्णय लेकर, विचलनों से दूर रहकर और अपनी प्राथमिकताओं को समझ लेने से हम पहले से ज्यादा दृढ़ और मजबूत बन सकते हैं।
यह किताब किसके लिए है?
- उद्यमियों यानि आंत्रप्रिनयोरों के लिए ।
- महत्वकांक्षी लोगों के लिए।
- लोग जिन्हें प्रोजेक्टों को पूरा करने में दिक्कत होती है।
लेखक के बारे में
सेथ गोड़िन एक उद्यमी, लेखक और शिक्षक है। वे सेथ ब्लॉग के संस्थापक हैं, जहां पर वे लोगों को अंतर्जाल के माध्यम से टीम निर्माण, कार्य मूल्यों और मार्केटिंग जैसे विषयों पर राय देते हैं। वे कई लोकप्रिय पेशेवर पुस्तके जैसे- लिंचपिन(2010), ट्राइब्स: वे नीड़ यू टू लीड अस(2008) और पर्पल काऊ (2003) के लेखक रह चुके हैं।
यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
अंग्रेजी में एक पुरानी कहावत है कि, "आपको यह पता होना चाहिए कि कामों को हाथ में कब लेना और कब उन्हें खत्म करना चाहिए।" यह कहावत चाहे किसी भी प्रसंग में कही गई हो, लेकिन यह आज की दुनिया में कारोबार या फिर व्यक्तिगत जीवन से संबंधित कामों को कैसे निपटाना है इस पर अच्छी सलाह देती है। आपको यह भली-भांति पता होना चाहिए कि आपको कब किसी काम को करते रहना चाहिए और कब उसका पल्लू छोड़ देना चाहिए।
इससे फर्क नहीं पड़ता है कि आप अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं, क्या बनना चाहते हैं, इस बात की पूरी संभावना है कि कभी-न-कभी आपके जीवन में एक ऐसा मोड जरूर आएगा जहां पर आपकी सारी योजनाएं असफल हो जाएंगी और आपकी प्रगति एक बिन्दु पर आकर पूरी तरह रुक जाएंगी। हममें से अधिकांश लोगों के जीवन में एक ऐसा पल जरूर आता है जब कि हमारे दफ्तर के साथ हमसे पहले पदोनत्त हो जाते हैं, हमारे प्रदर्शन में सुधार नहीं आता है, हामारे व्यक्तिगत रिश्ते ठंडे पड जाते हैं और हमें लगता है कि हमारा काम बेहतर होने की जगह बेकार होता जा रहा है। लेखक सेथ अपने शब्दों में जीवन के इस कठिन समय को 'डिप' यानि डुबकी कहते हैं और यह जीवन के लगभग हर पहलू में पाया जा सकता है।
लेकिन इसमें निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह डिप (डुबकी) सबकी ज़िंदगी में अनिवार्य रूप से आती है। कोई भी बिना इस डिप के रह नहीं सकता। लेकिन इस डुबकी के दूसरे छोर पर अक्सर रोशनी मौजूद होती है। वे लोग जो इस डिप के समय में धैर्य और निश्चय दिखाते हैं, डिप के समाप्त हो जाने के पश्चात सम्मानित किये जाते हैं और प्रमोशन (पदोनती), ग्राहक और संबंध इसके बाद बेहतरी का रास्ता अपना लेते हैं। गोड़िन के अनुसार डिप किसी भी प्रयास से स्वाभाविक रूप से जुड़ी होती है और जैसे ही आप स्वयं को इसके लिए तैयार कर लेते हैं तो आपकी सफलता का रास्ता और अधिक स्पष्ट हो जाता है।
- डिप को एक मददगार साधन के रूप में कैसे उपयोग किया जा सकता है।
- कैसे इस 'डिप' ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी-कंपनियों को फायदा पहुंचाया है।
- क्यों आपको चिंता के बजाय डिप से प्रेम करना चाहिए।
इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपका लक्ष्य क्या है, आपको डिप यानि संघर्ष का अनुभव अनिवार्य रूप से करना ही होगा।
मान लीजिए कि आप फिगर स्केटिंग (शरीर की विभिन्न आकृतियाँ बनाने का एक खेल) में महारत हासिल करना चाहते हैं। सीखिए कि कैसे गंभीरता से सम्पूर्ण बर्फ में फिसलना है और कैसे तेजी से उल्टी दिशा में स्केटिंग करनी है। लेकिन यह सीखना कि एक शानदार चौगुनी छलांग कैसे लगाए, समय और बहुत ही शानदार प्रयासों की मांग करता है। यह वह समय है जब आप संघर्षमय हैं- डिप की गहराइयों में ।
इसी प्रकार का अनुभव तब हो सकता है जबकि आप अपने जीवन में एक नए कारोबार की शुरुआत करने जा रहे हों। पहले-पहल काम को शुरू करना बहुत आसान होता है कि क्योंकि आपका अपनी उत्तेजना और आविष्कारकीय विचारों के साथ लगाव हो जाता है। लेकिन इसके बाद कागजी कामों और समस्याओं को सुलझाने के तरीकों का वह भयानक पहाड़ टूट पड़ता है जिनके दम पर आपके कारोबार की गाड़ी आगे जाने वाली होती है। इस बात की बड़ी संभावना है कि आपको अपने जीवन के इस डिप (यानि संघर्ष के समय) से उभरने में ही कई वर्ष लग जाए और आप अपना सफल कारोबार चला सकें।
कभी-कभी यह डिप पूरे सोचो-समझ के साथ बनाई होती है सिर्फ यह ज्ञात करने के लिए कि सबसे ज्यादा मेहनती और समर्पित लोग कौन हैं।
मान लीजिए कि आप एक अमरीकी विद्यार्थी हैं और एक मेडिकल स्कूल जाने की सोच रहे हैं। कॉलेज के पहले वर्ष में आपको कार्बनिक रसायन का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना पड़ेगा- यह कठिन विषय आपके अध्ययन समय का एक बहुत बड़ा भाग खा लेगा। अब क्योंकि कार्बनिक रसायन पाठ्यक्रम का अधिक महत्वपूर्ण विषय नहीं है और यह संघर्ष यानि डिप पैदा करता है जिस कारण अधिकांश मेडिकल विद्यार्थी कुछ ही दिनों में इसे अपनी नियमित पढ़ाई की सूची से ही गायब कर देते हैं।
बहुत सारे लोगों का डॉक्टर बनने का सपना होता है इसलिए विश्वविद्यालय शुरुआत में ही एक डिप(संघर्ष) उत्पन्न कर देते हैं ताकि केवल वही विद्यार्थी अगली कक्षा में जा सकें जो पूरी तरह अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हों।
इससे तरह की एक रणनीति दुनियाभर में कंपनियो के द्वारा लोगों का नौकरी के लिए चुनाव करते वक्त अपनाई जाती है। कंपनी में केवल हुनरमंद अभ्यर्थि आए इसके लिए कंपनियां लोगों से बहुत अधिक कागजी कार्य और कई राउन्डों में साक्षात्कार करवाती हैं।
और अच्छी बात तो यह है कि इन डिपो के असली उद्देश्य जानकर आप अपने ज्ञान में आराम ढूंढ सकते हैं कि वे कठिन जरूर हैं लेकिन अगर आप उनसे चिपके रहें तो आप आसानी से सफल हों जाएंगे।
कुछ कम निश्चित अतिरिक्त फ़ायदों और बड़े इनामों से बड़ी सफलता मिलती है।
बचपन में जब आप नई-नई चीजें सीख रहे होते थे तो संभवत: आपको यह बात सिखाई गई होगी कि बड़ी तथा महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के बजाय आपको शालीन और वास्तविक लक्ष्य रखने चाहिए।
मगर सच्चाई तो यह है कि अगर आप अपने काम में सबसे बेहतर बनने की चाहत रखते हैं तो आप असाधारण सम्मान पा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, कुल्फी के विभिन्न स्वादों को ही ले लीजिए- सबसे पहले स्थान पर आती है वनीला । अमेरिका में बिकने वाली कुल आइसक्रीमों का 30 प्रतिशत वनीला होती हैं। इसी बीच, चॉकलेट 10% खरीद के साथ इस फेहरिस्त में दूसरे स्थान पर आती है।
आप पहले स्थान और दूसरे स्थान के बीच भारी अंतर को आसानी से पहचान सकते हैं। और यह बात खाने-पीने की चीजों के अलावा भी कई दूसरी चीजों पर लागू होती है। जीफ का नियम कहता है कि आप पहले और दूसरे स्थान की चीज के बीच में इस अंतर को हर जगह ढूंढ सकते हैं- यह अंतर रिकॉर्ड बिक्रियों से लेकर सबसे लोकप्रिय विश्वविध्यालयों की सूची में कहीं भी देखा जा सकता है।
स्वाभाविक रूप से जईफ के नियम का यह अर्थ भी है कि पहले स्थान पर आना हमें कई सारे फायदे देता है और साथ ही साथ अपने काम में सबसे बेहतरीन होने में कई सारे छुपे हुए छोटे-छोटे अनिश्चित फायदे भी शामिल होते हैं।
ऐसा ही एक फायदा है- मुहँ से की जाने वाली चर्चा, जिसे स्नोबॉल इफेक्ट के नाम से भी जाता है। कल्पना कीजिए कि आप विदेश में हैं और खाने के लिए एक उचित स्थान की खोज कर रहे हैं। तो इस बारे में अगर आप किसी स्थानीय व्यक्ति से पूछते हैं तो वह आपको उस जगह के सबसे बेहतरीन रेस्टरों में जाने की सलाह देता है। अगर आप उस रेस्टरों के मालिक हों, तो आप उन भूखे यात्रियों को उस मुह जबानी प्रशंसा का जिक्र करते हुए आसानी से सुन सकते हैं।
दूसरा फायदा यह है कि आप लोगों को उच्च दरों पर चीजें बेच सकते हैं। क्योंकि अपने क्षेत्र में सबसे बेहतरीन होना एक दुर्लभ चीज है जो आपको अपने अन्य प्रतिद्वंदीयों से अलग करती है। इसलिए आप अपने हिसाब से लोगों को मूल्य चार्ज कर सकते हैं। यह सिद्धांत प्रत्येक चीज पर काम करता है चाहे वह कोई लोकप्रिय अभिनेता हो, संगीतज्ञ हो, होटल हो, रेस्टोरेंट हो, ब्रांड हो या फिर अन्य कोई उत्पाद- सबसे शानदार होना हर लिहाज से फायदेमंद ही होता है।
कामयाबी के लिए विशेषज्ञता और यह साथ ही साथ यह जानना जरूरी है कि किसी चीज के लिए कब प्रयास करना बंद कर देना चाहिए।
स्कूल में पढ़ाई का मुख्य उद्देश्य बच्चे का सर्वांगीण विकास करना होता है जिसके लिए उसका परिचय लगभग प्रत्येक विषय से सामान्य रूप से कराया जाता है। इस प्रकार विद्यालय में उन बच्चों को अधिक लाभ और सम्मान मिलता है जो प्रत्येक विषय में अच्छे अंक लाते हैं।
लेकिन विद्यालय के बाद यानि महाविद्यालय में हर चीज में अच्छा होना उतना जरूरी नहीं होता है जितना कि किसी एक विषय में पूरी कक्षा के शीर्ष पर होना। दूसरे शब्दों में कहें तो सफलता किसी एक चीज में विशेषज्ञता हासिल कर लेने का नाम है।
विशेषज्ञता के कई सारे फायदे होते हैं। कई सारे लोग शुरुआत में इस बात को लेकर निश्चित नहीं होते हैं कि कौन-से करियर का चुनाव करना सही है । लेकिन अगर आपकी किस्मत अच्छी है और आप शुरुआत में ही जान जाते हैं कि कौन-से कौशल में आपको महारत हासिल है जिससे कि आपके करियर निर्णय अच्छे हो जाते हैं।
यदि आप पहले से ही अपना करियर शुरू कर चुके हैं तो आपको यह समझना चाहिए कि ग्राहक आम चीजों से संतुष्ट नहीं होते हैं- उन्हें कुछ असाधारण चाहिए होता है और विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान कराना विशेषज्ञता का ही एक रूप है।
अगर आप पेशे से एक अकाउंटंट हैं तो आपके अधिकतर ग्राहकों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कितना अच्छा गोल्फ खेल लेते हैं या कितना बेहतरीन गिटार बजाय लेते हैं। आपके संबंध में सिर्फ एक चीज है जो उनके लिए मायने रखती है और वह है कि क्या आप ही वह सबसे बेहतरीन अकाउंटेंट हो जो उन्हें मिल सकता है।
विशेषज्ञता हासिल करने का एक सबसे जरूरी हिस्सा यह जानना है कि कैसे और किस रणनीति से आप उन चीजों से छुटकारा पा सकते हैं जो आपके सबसे बेहतरीन बनने के रास्ते में आ रही हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को शिक्षा दी जाती है कि चीजों को छोड़ना गलत बात है और उन्हें अपने कामों के साथ तब तक जुड़ा रहना चाहिए जब तक कि वे पूरे ना हो जाएँ।
दुर्भाग्य से लोग पूरी तरह से असाधारण और बहुत सारे कौशलों के विशेषज्ञ नहीं हो सकते हैं। ज्यादा चीजों के हुनर को हासिल करने की कोशिश करने के बजाय लोगों को उन चीजों को त्यागने का प्रयास करना चाहिए जो कि आपके मुख्य उद्देश्य से संबंधित नहीं है।
उदाहरण के लिए, मान लेते हैं कि आप दुनिया की पहली उड़ने वाली कार बनाने के प्रति जुनून रखते हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ आप एक संगीत समूह में शहनाई बजाने और पर्यावरण-मैत्री बिजली उत्पादित करने वाले समूह को संचालित करने का शौक भी रखते हैं।
हो सकता है कि इनमें से सभी चीजें आपके लिए महत्वपूर्ण हों लेकिन इतनी सारी चीजें एक साथ करना और सारी चीजों में महारत हासिल करना कोई आसान बात नहीं है । किसी एक ही काम पर ध्यान लगाना, जिसके प्रति आपमें अधिक कौशल और जुनून है, ज्यादा बेहतर रणनीति है ।
आने वाले पाठों में हम जानेंगे कि अच्छी शुरुआत करने के बावजूद भी आपकी सफलता की यात्रा एक डिप में खत्म हो सकती है। किस्मत से आपके यह जानने से कि किस चीज की आशा करनी है आप फायदे में रह सकते हैं।
किसी कारोबार या फिर व्यक्तिगत प्रयास में आप डिप महसूस करेंगे।
कहते हैं कि किसी समस्या को जानने से ही वह समस्या आधी हल हो जाती है । और डिप को एक महत्वपूर्ण तथ्य के रूप में समझना जो आपको आगे की रणनीति तैयार करने का वक्त देती है। साथ ही साथ आप डिप को महसूस करने से उसके बाबत जान पाते हैं।
चूंकि अलग-अलग तरह के कारोबारों में अलग-अलग तरह की डिपे होती हैं। तो चलिए निर्माण से जुड़ी सबसे सामान्य डिप्स के बारे में चर्चा करते हैं।
अगर आपको चीजों को बनाने का जुनून है तो आपने चीजों को अपने गैराज में बैठकर आने वाले वाले आनंद को जरूर महसूस किया होगा। लेकिन अगर आप अपने इस जुनून को आगे ले जाना चाहते हैं तो आपको तकनीक और साधनों में कुछ निवेश की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही साथ आपको नए कौशलों जैसे- आई.सी बनाने का कौशल, में भी निवेश करना होगा।
तो इस केस में, डिप वह समय, प्रयास और पैसा होने वाला है जो कि आपके गैराज को एक पेशेवर उत्पादन इकाई बनाने में लगने वाला है। इस डिप के अंतर्गत आपको लंबे और अप्रसन्न कारोबारी फंड को उठाने, साथी ढूंढने, उत्पादन लाइन बनाने और अपने पहले कुछ ग्राहक ढूंढने जैसी चीजें आने वाली हैं। और इस धीमी और भयभीत कर देने वाली प्रक्रिया में आपको कई बार आपको चीजों को छोड़ देना ज्यादा उचित विकल्प लगेगा लेकिन आपको यह ध्यान में रखना है कि डिप उतनी जल्दी ही खत्म होगी जितनी देर तक आप इस पर ध्यान केंद्रित करके रहेंगे।
यदि आप सेवाओं या उत्पादों को बेचने के कारोबार में हैं तो आप जानते ही होंगे कि एक अच्छा आइडिया बनाना और उसके लिए निवेशकों को जमा करना कोई ज्यादा बड़ी बात नहीं है। इस तरह के कारोबार में डिप आगे के चरण में घटती है जबकि आप अपने कारोबार को बढ़ाने की सोचते हैं और उसके लिए एक प्रभावी सेल्स फोर्स बनाते हैं। यह वही समय होता है जबकि एम्प्लोइज़ को भर्ती करने का नया काम शुरू होता है क्योंकि इसके लिए आपको रोज के कार्यकारी संरचना बनाने और कानूनी कंपलायेंस की जरूरत पड़ती है।
यह जानना भी आवश्यक है कि व्यक्तिगत कार्यों में डिप कब उत्पन्न होती है।
मान लीजिए कि आप चीनी भाषा सीखना चाहते हैं । तो इस दौरान पहले-पहल आप असामान्य अक्षरों, उनके अर्थों और नए उच्चारणों और बोलने के तरीके के कारण उनकी ओर आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि वे आपके लिए नए होते हैं।
लेकिन कुछ ही समय बाद आपका ये शुरुआती आकर्षण फीका पड जाता है और फिर डिप शुरू हो जाती है जिसे पार करने में और उस बिन्दु तक पहुँचने में जहां आप फर्राटेदार चीनी बोल रहे होंगे, आपको महीनों या सालों का वक्त लग जाता है ।
इसके बाद आती है खतरनाक 'रिश्ते की डिप ।' यह डिप हनीमून के समय के बाद शुरू होती है जबकि विवाहित जोड़े में छोटी-छोटी बातों को लेकर बहस होना शुरू हो जाती है जिससे कि उनका रिश्ता मजबूत होता है और मनोरंजन होता है।
डिप की चुनौती को स्वीकार करने और स्वयं को अपनी सीमाओं से बाहर धकेलने से कामयाबी मिलती है।
यदि हवा के रुख की ठीक-ठीक भविष्यवाणी की जा सकती तो हवाओं के खेल खेलना काफी आसान काम हो जाते । यहाँ तक कि कई सारे लोग शुरुआत में हवा के खेलों की ओर आकर्षित होते हैं और उसका जरा-सा आनंद लेने के पश्चात उन्हें हवा की प्रकृति से भी लगने लगता है और इस तरह से आखिरकार वे प्रयास करना ही छोड़ देते हैं।
चाहे यह कभी-कभी कुछ छोटी-मोटी परेशानियाँ क्यों ना लाती हों मगर निश्चित रूप से आप हवा के बिना तो विंडसर्फिंग (हवा के खेल) नहीं खेल सकते हैं। वास्तव में हवा ही तो प्रमुख चीज है जो हमें डिप के समय में खड़े रहने की कुंजी प्रदान करती है, जो है- चुनौतियों को गले लगाना ।
अंतत: आपका उद्देश्य चाहे जो भी हो, सबसे संवेदित चीज जो आप कर सकते हैं वह है- इसमें आपने वाली चुनौतियों का स्वागत करना और उनका विरोध करने के बजाय उनके प्रति कृतज्ञता जाहिर करना ।
असल में चुनौतियों से पार पाने के लिए हम जो तरीके अपनाते हैं यही तरीके उस काम को उत्तेजनापूर्ण और फलदायी बनाते हैं। सोचिए कि हवा के साथ खेल खेलना अगर बहुत आसान होता तो क्या ये उतना ज्यादा रोमांचक हो पाता जितना कि आज यह है!
किसी काम को हाथ में लेने का मतलब चुनौतियों से मुलाकात करना और उनसे जीतना है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप एक दुकान में काम करते हैं जहां पर आपका काम सिर्फ ग्राहकों के द्वारा खरीदा गया सामान पैक करने का है। हालांकि आपके द्वारा किया जाने वाला यह काम बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण तो नहीं है लेकिन इस काम में इस बात की बहुत आशंका है कि आपका यह काम किसी अन्य व्यक्ति से करा दिया जाए और आप बेरोजगार हो जाएँ। वहीं दूसरी ओर, यदि आप दुकान में कुछ चुनौतीपूर्ण कार्य करते हैं, जैसे- ग्राहकों को उनकी जरूरत का सामान खरीदने में मदद करना या फिर दुकान का हिसाब किताब देखना, तो इस प्रकार आपके काम हालांकि अधिक चुनौतीपूर्ण होंगे मगर इनमें इस बात की भी बहुत कम संभावना रहेगी कि आपकी जगह किसी अन्य व्यक्ति को काम पर रखा जाए क्योंकि ऐसे कामों के लिए ऐसे कौशल की आवश्यकता होती है जो कि हर व्यक्ति में नहीं होता। इसलिए चुनौतियों को स्वीकार करना वृद्धि और विकास के लिए परमावश्यक है।
तो अगर आप अपने आप को अपनी सीमाओं से परे ले जाने का प्रयास करते हैं तो आप न सिर्फ अपने काम को पूरा कर पाते हैं बल्कि उसमें शानदार तरीके से कामयाब भी हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए शारीरिक अभ्यास को ही ले लीजिए। अगर आप एक आकर्षक शरीर पाना चाहते हैं तो आपको जानबूझकर डिप में जाना ही पड़ेगा और स्वयं को अपनी सीमाओं से परे धकेलना पड़ेगा हालांकि इस प्रक्रिया में कई सारे लोग बहुत ही जल्दी रुक जाएंगे; एक निश्चित आरामदायक स्तर (कम्फर्ट ज़ोन) पर पहुँचने के बाद वे स्वयं को आगे नहीं ले जा पाएंगे।
अगर आप वास्तव में अपनी मांसपेशियों को मजबूत बनाने की चाह रखते हैं तो आपको स्वयं को तब तक आगे धकेलना होगा जबतक कि आप पूरी तरह से थक नहीं जाते । केवल वही लोग एक पहलवान के जैसे गठीला बदन पा सकते हैं जो बार-बार स्वयं को अपनी सीमाओं के पार धकेलने का जज्बा रखते हैं। अपने आपको अपनी सीमाओं के पार धकेलने का यह सिद्धांत प्रत्येक प्रकार के प्रयासों के लिए सत्य है, चाहे वह प्रयास मानसिक हो या फिर शारीरिक।
आपके प्रतिद्वंदी डिप का उपयोग अपने फायदे के लिए करेंगे; मगर ध्यान रहे यह डिप आपको अपनी आम ज़िंदगी से ऊपर उठने का अवसर देगी।
शायद ही किसी व्यक्ति को प्रतिद्वंद करने में आनंद आता होगा। प्रतिद्वंदियों के साथ संघर्ष करना कई बार निराशापूर्ण हो सकता है।
प्राय: प्रतिद्वंदियों का प्रमुख काम आपकी डिप यानि संघर्ष के समय को बढ़ाना होता है। खासतौर पर किसी क्षेत्र में पहले से ही स्थापित एक शक्तिशाली प्रतिद्वंदी आपको उस क्षेत्र में पैर टिकाना भी कठिन बना देगा।
उदाहरण के तौर पर तकनीकी महाकंपनी माइक्रोसॉफ्ट को ही ले लीजिए जिसने अपने 'एम.एस वर्ड और एक्सेल' जैसे उत्पादों को सॉफ्टवेयर जगत में एक मानक के रूप में स्थापित कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप अन्य शब्द प्रक्रियात्मक और स्प्रेड्शीट सॉफ्टवेयरों के लिए बाजार के दरवाजे लगभग बंद ही हो चुके हैं। यह सोचकर ही कि उसे कितनी अधिक प्रतिद्वंदीता करनी पड़ेगी, कोई कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के इन दो उत्पादों के विरुद्ध बाजार में अपना कोई सॉफ्टवेयर नहीं उतारती है। इस प्रकार माइक्रोसॉफ्ट में अपने बहुत सारे प्रतिद्वंदियों को पैदा होने से पहले ही लंबी डिप में डाल दिया है।
माइक्रोसॉफ्ट को हरा पाना काफी कठिन जरूर है हालांकि यह असंभव नहीं है! 'इन्टूइट' नाम की एक कंपनी ने माइक्रोसॉफ्ट ऐक्सेल के जैसे काम करने वाला एक सॉफ्टवेयर बाजार में जारी किया और चूंकि यह माइक्रोसॉफ्ट के उत्पादों की तुलना में एक अतुलनीय सॉफ्टवेयर था, इसलिए वे अपने सॉफ्टवेयर की गुणवत्ता और सुरक्षा के गुण के कारण बाजार में टिके रहे।
कई सारे प्रतिद्वंदी अपनी सेवाएं प्रदान करने के प्लेटफॉर्म में बदलाव करने में भी सफल हुए हैं। माइक्रोसॉफ्ट के साथ प्रतिद्वंदीता करने के लिए गूगल ने भी अपने वेब-आधारित वर्ड-प्रोसेसिंग और स्प्रेड्शीट सॉफ्टवेयर बाजार में उतारे हैं जिन्हें कि गूगल उपयोगकर्ता अपने गूगल खाते के द्वारा चला सकते हैं।
किसी काम के साथ दृढ़ता से जुड़े रहने और स्वयं को डिप की चुनौती के पार ले जाने का अन्य फायदा यह है कि इससे आप मध्यमिता की ओर झुकने से बच जाते हैं।
कस्बे की किसी दुकान में एक खजांची के रूप में नौकरी करने में हालांकि कोई हर्ज तो नहीं है मगर इसमें दिक्कत यह है कि यह आपको अपनी असीम शक्ति तक पहुँचने में कोई सहायता नहीं प्रदान करती है। दूसरी तरफ अगर आप कोई ऐसी नौकरी करते हैं जिसमें आपको डिप की चुनौती का सामना करना पड़े तो आपमें जो बहुत ही शानदार चीजें छिपी हैं वे निखर कर बाहर आती हैं। इसके अलावा डिप का सामना करने से आप पहले से ज्यादा बेहतर तरीके से अपना काम कर पाते हैं।
उदाहरण के लिए अगर आपका नया फोटोग्राफी ब्लॉग जल्दी-से लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं हो रहा है तो यह आपके लिए एक डिप के जैसा है । इस डिप के समय का उपयोग आप अपने लेखन, फोटोग्राफी, वेब डिज़ाइनिंग के कौशल और अपनी वेबसाइट को अधिक आकर्षक बनाने में कर सकते हैं। इस तरह से यदि आपका ब्लॉग दुर्भाग्य से उतना लोकप्रिय नहीं हो पाता है जितना कि आपने उम्मीद की थी फिर भी आप कुछ ऐसे कौशल हासिल कर पाएंगे जिनका उपयोग आप अपने अगले ऑनलाइन प्रोजेक्ट पर कर सकते हैं।
डिप में डटे रहने के लिए आपको साहस और धैर्य जैसी चारित्रिक विशेषताओं की आवश्यकता पड़ती है
अगर आप कभी किसी सुपरमार्केट की लंबी लाइन फंसे हैं तो आप यह जरूर जानते होंगे कि किसी लंबी पंक्ति में अपनी बारी का इंतज़ार करते वक्त दूसरी पंक्ति में जाने का विचार हमारे जेहन में कितनी दफा आता है ताकि थोड़ी-सी जल्दी हम अपने घर पहुँच सके। लेकिन अगर आप दूसरी पंक्ति में जाने का फैसला करते हैं तो इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि दूसरी पंक्ति जल्दी-जल्दी से आगे बढ़े और आपको पहले से भी अधिक इंतज़ार करना पड़े।
इस सुपरमार्केट परिदृश्य को करिअर और व्यक्तिगत दोनों प्रकार के प्रोजेक्टों पर लागू किया जा सकता है। अगर आपको कोई चीज धीमी होती या फिर रुकी हुई प्रतीत होती है तो इस बात कि काफी संभावना है कि आपका मन दूसरा प्रयास करने का करे। लेकिन इस दौरान जिन चीजों की आपको सबसे अधिक जरूरत होती है वे हैं- धैर्य और साहस की चारित्रिक विशेषताएं ।
निश्चित रूप से सुपरमार्केट का यह सिद्धांत सेल्स (बिक्री) के क्षेत्र में भी काम आ सकता है: एक प्रभावी अध्ययन में ज्ञात हुआ है कि अगर कोई वस्तुविक्रेता(सेल्समैन) किसी ग्राहक को 5 बार प्रयास करने के बाद भी उसे सामान खरीदने के लिए संतुष्ट नहीं कर पाता है तो ज्यादातर मामलों में वस्तु विक्रेता खुद-ब-खुद हार मान जाता है। इसके अलावा अध्ययन में यह भी पता चला है कि कोई ग्राहक औसतन 7 बार वस्तु विक्रेता के प्रयास करने के बाद सामान खरीदने को तैयार होता है। इस हिसाब से ज्यादातर वस्तु विक्रेता बहुत जल्दी ही हार मान लेते हैं। अगर वस्तु विक्रेताओं में थोड़ा और अधिक धैर्य और साहस हो तो इस बात की काफी अधिक संभावना होती है कि ज्यादातर लोग आपका सामान खरीदकर ही घर जाएँ।
इससे पहले कि आपका उत्पाद चले, डिप में से बच निकालने के लिए धैर्य और दृढ़ निश्चय की सख्त जरूरत होगी ।
आपको ऐसा लग सकता है कि हम एक ऐसे वक्त में जी रहे हैं जहाँ पर लोग बाजार में जो भी चीज नई आती है उसे खरीदने के लिए बहुत अधिक तत्परता दिखाते हैं, लेकिन यह बात हमेशा सही नहीं होती। यहाँ तक कि अगर आपके पास कोई बहुत ही शानदार विचार या फिर कोई तख्तापलट करने वाला उत्पाद भी है तब भी आम जनता उसे खरीदने से पहले उसके ऊपर गुणवत्तापूर्ण, भरोसेमंद और प्रसिद्ध होने की मुहर लगने का इंतज़ार करती है।
यही कारण है कि कई बार महान आइडिया भी लोकप्रियता हासिल करने से पहले अपना लंबा वक्त डिप में बिताते हैं।
इसका एक अच्छा उदाहरण जूताकार जिमी कू है। साल 1948 में जन्में कू तब से बेहतरीन गुणवत्तापूर्ण का निर्माण कर रहे हैं जब वे केवल 11 बरस की उम्र के थे। लेकिन उनका करियर तब तक उड़ान नहीं भर सका जब तक कि वे अपनी उमर के चौथे दशक के आखिर में नहीं पहुँच गए। कुछ सालों बाद ही वे मलेशिया से लंदन आ गए जहाँ उन्होंने सन 1989 में अपना पहला अमेरिकी जूता स्टोर खोला। हालांकि वे हमेशा से ही एक अच्छे काश्तकार थे मगर डिप में उनके द्वारा रखे गए धैर्य और दृढ़ता ने उन्हें एक अन्तराष्ट्रीय फैशन ब्रांड बनने का सम्मान दिया।
कठिन समय में मिले तजुर्बों को कभी मत भूलिए और जितने भी विकल्प उपलब्ध हों सबको पहचाने।
निसन्देह रूप से दृढ़ साहस होना फायदेमंद है लेकिन यह जानना भी उतना ही फायदेमंद है कि कब किसी चीज से पीछा छुड़ाना है और कैसे व कब उस काम को छोड़ना है जो कतई नहीं हो सकता। लेकिन एक ऐसा तरीका भी मौजूद है जिसके द्वारा आप एक ही समय पर किसी काम को छोड़ भी सकते हैं और साथ ही साथ उससे जुड़े भी रह सकते हैं।
जब कोई चीज बिल्कुल भी काम न कर रही हो तो उसमें अपनी ऊर्जा, समय और संसाधन नष्ट करने का कोई सेन्स नहीं बनता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप वह बाजार/क्षेत्र ही छोड़ दें जिससे आप अच्छी तरह परिचित हैं और अनुभवी हैं। ऐसा करना भी आपके संसाधनों, ऊर्जा और समय का नाश होगा।
मान लेते हैं कि आपने एक ऐसी पत्रिका का प्रकाशन बंद करने का फैसला लिया है जिससे आपको आर्थिक रूप से अब कोई लाभ नहीं होता है। हो सकता है कि अपनी प्यारी पत्रिका को बंद करने पर आपको इतनी आत्मग्लानि हो कि आप अपना प्रकाशन का पूरा करियर ही छोड़ने का फैसला करने की सोचने लगे और एक रेस्तरां के कारोबार में किस्मत आजमाने का फैसला लेने लगें। इस परिस्थिति में एक बौद्धिक योजना यह हो सकती है कि आप जनसंचार माध्यम के क्षेत्र में बने रहें और अपने अनुभव का उपयोग किसी अन्य की पत्रिका का संपादक बनने में करें या फिर इसके अलावा आप अपना स्वयं का ऑनलाइन प्रकाशन का कारोबार भी शुरू कर सकते हैं।
तो अगली बार जब भी आप कोई काम छोड़ने का विचार करें तो उसे छोड़ने से पहले सारे विकल्प एक बार जरूर मनन कर लें। बेहतर होगा कि आप चीजों को एक रचनात्मक नजरिए से देखें- सारे निश्चित विकल्पों से परे।
डेविड लेखक गोडिन का एक मित्र है जो अपनी ज़िंदगी के एक मोड पर इतना निराश था कि वह अपना काम छोड़ देना चाहता था। नौकरी छोड़ने का कारण उसका मालिक था जो कि बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक प्रवत्ति का था जिस कारण डेविड अच्छा काम नहीं कर पाता था और अपनी नौकरी से बहुत ज्यादा असंतुष्ट था।
डेविड की अपने काम के प्रति निराशा अंतत: उस स्तर पर पहुँच गई जहाँ पर वह अपना इस्तीफा देने का विचार करने लगा। मगर इस स्थिति पर अति-प्रतिक्रिया दिखाने के बजाय, उसने अपनी इस्तीफे के बाद बच्चे सभी विकल्पों पर विचार किया। अंत: में उसकी अपने मालिक और उनके भी मालिक से उत्पादक बातचीत हुई।
इस बातचीत में डेविड ने अपने उदार अंदाज में समझाया कि क्यों वह वर्तमान परिस्थितियों में बेहतर काम नहीं कर पाता है? आखिरकार डेविड की तैनाती एक दूसरे विभाग में कर दी गई जहाँ पर उसे एक नया मालिक और पदोनति दोनों चीजें दी गई। निश्चित रूप से यह परिणाम नौकरी छोड़ने के बाद बेरोजगार रहने से बेहतर हैं!
इसलिए हमेशा याद रखिए कि जब भी आप डिप यानि संघर्ष में हों तो अपनी योग्यता, कमिट्मन्ट और स्वयं पर संदेह ना करें। बजाय इसके डिप के सामने नतमस्तक होकर खड़े हो जाएँ और इसका बजाय दुश्मन के एक दोस्त के जैसे स्वागत करें। इस प्रकार अंत में आप स्वयं को अवसरों में ऊपर उठने के कारण मजबूत और बेहतर स्थिति में पाएंगे।
कुल मिला कर
ज़िंदगी में आपको उस चीज में बहुत ही कुशल होना चाहिए जो कि आप करते हैं या कहें जो कि आपका पेशा है। और इस चीज को संभव बनाने के लिए अपना समय और ऊर्जा उस एक चीज पर लगाना बहुत ही आवश्यक है जिसके बारे में कि बहुत अधिक जुनूनी और कुशल हैं। इसके साथ ही साथ आपको उन कामों को छोड़ना भी सीखना चाहिए जो कि आपकी रुचि से बाहर के हैं। एक बार जब आप कोई काम शुरू कर देते हैं तो आप कभी-न-कभी एक डिप जरूर अनुभव करते हैं- ऐसा वक्त जिसमें प्रयास व संघर्ष तो बहुत अधिक होते हैं मगर फल उसकी तुलना में बहुत ही कम मिल पाता है। इस डिप के समय को पार करने के लिए आपमें अपरिहार्य रूप से धैर्य और साहस होना चाहिए। एक बार जब आप डिप से पार चले जाते हैं तो आप पाते हैं कि आपके कई सारे कौशल सुधर गए हैं और आप अपने अधिकांश प्रतिद्वंदियों की तुलना में अधिक अच्छी स्थिति में हैं। इसलिए डिप यानि संघर्ष का समय एक प्रकार से कामयाबी की ओर ले जाने वाला रास्ता है।
चलते रहिए, खासकर तब जब एक पैर भी आगे बढ़ाना अत्यधिक मुश्किल हो
आदमी किसी काम को अधिकांश बार तब छोड़ता है जबकि उसे चोट लगती है या वह खुद को साहसहीन महसूस करता है उदाहरण के लिए, साल 1988 में डेमक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार 'जो बीडेन' अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए एक पक्के दावेदार थे। लेकिन तभी बीडेन के भाषण के एक कथन को तोड़-मरोड़कर उसे एक गलत आदमी के प्रति प्रचारित किया गया। इस गलत खबर के खुलासे के बाद बिडेन के खिलाफ आक्रोश बढ़ने लगा। बीडेन इस बात से इतना निराश हुए कि उन्होंने राष्ट्रपति पद की दावेदारी से अपना नाम वापस ले लिया। हालांकि माना जाता है कि अगर बीडेन इस झूटे-छोटे से कलंक पर ध्यान न देते तो वे उस वर्ष का जीत गए होते।
तो जब आप किसी काम से चोटिल या फिर घायल महसूस कर रहे हों तो अगर उस काम को छोड़ने का विचार आए तो उसपर दो बार मनन करें। यह एक अच्छी चीज है कि आप रुककर अपने घावों पर मरहम पट्टी करें और फिर आगे बढ़ना जारी रखें।
