Brant Pinvidic
आईडिया को पिच करने का सही तरीका
दो लफ़्ज़ों में
क्या आप कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करते हैं? या फिर आप कोई बिजनेस करते हैं? आप जो भी करते हों, लेकिन आपके मन में एक ख्याल ज़रूर आता होगा कि किसी भी आईडिया या फिर प्रेजेंटेशन को पिच कैसे किया जाता है? अगर आपको भी क्रिएटिव आईडिया को पिच करने के तरीके के बारे में जानना है तो फिर साल 2019 में रिलीज हुई किताब ‘The 3-Minute Rule’ को पढ़ने के बाद आपकी इस दिक्कत का समाधान हो जायेगा. इस किताब में बताया गया है कि किसी को भी अपने आईडिया की तरफ इंटरेस्टेड करने के लिए 3 मिनट ही काफी होते हैं. आपको इस समरी को पढ़ने के बाद पता चल जायेगा कि शुरूआती 3 मिनट को बेस्ट मिनट में कैसे बदला जा सकता है?
ये किताब किसके लिए है?
- बिजनेस से जुड़े हुए लोगों के लिए
- कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े हुए लोगों के लिए
- ऐसे लोग जिन्हें क्रिएटिविटी में इंटरेस्ट हो
- ऐसा कोई भी जिसे अपने आईडिया को पिच करने की ज़रूरत हो
लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक ‘Brant Pinvidic’ हैं. लेखन के अलावा इस किताब के लेखक मशहूर टेलीविज़न प्रोडयूसर भी रह चुके हैं. इन सबके साथ ये सी लेवल कॉर्पोरेट कन्सल्टेंट और अवॉर्ड विनिंग डाक्यूमेंट्री डायरेक्टर भी रह चुके हैं. ‘Brant Pinvidic’ने अपनी पिच डेवलपमेंट मेथड को 300 से ज्यादा टीवी शो के ऊपर यूज किया है.
आपके पिच के पास 3 मिनट का समय है
क्या आप जानते हैं कि 3 मिनट कितना होता है? ये ज्यादा समय नहीं होता है. इतने समय में आप बस एक कप कॉफ़ी ही बना सकते हैं. लेकिन अगर इस किताब के लेखक की बात माने तो इतने मिनट एक सक्सेसफुल पिच के लिए काफी हैं. लेखक ये भी कहते हैं कि मात्र 3 मिनटों में आप इस दुनिया के लोगों को कुछ भी बेच सकते हैं.
इस किताब के लेखक ‘Brant Pinvidic’ ने काफी कम समय में 100 से ज्यादा लोगों को ‘सही तरीके से पिच करने के तरीके’ को लेकर ट्रेन किया है. शुरुआत में उन सभी लोगों को लगता था कि ये नामुमकिन है. लेकिन समय के साथ और बार-बार लेखक ने उन सभी की धारणाओं को गलत साबित किया है.
इसलिए कहा भी गया है कि अगर आपके पास कहने का लहजा है. तो फिर कठिन से कठिन बात को भी सुना जाता है. लेकिन, अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि हम इस लहजे को कैसे अपने अंदर लेकर आयें? इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है. आपको बस इस समरी को पढ़ते और समझते जाना है. जैसे-जैसे आप इस समरी समझते जायेंगे. वैसे-वैसे ही आपको आपके सभी सवालों के जवाब भी मिलते जायेंगे. आखिरी चैप्टर में पहुँचते-पहुँचते आपको पता चल चुका होगा कि आखिर बस 3 मिनटों में किसी भी आईडिया को सही तरीके से पिच कैसे किया जा सकता है?
चलिए सोचने की दुनिया में कदम रखते हैं. सोचिये, कि आपकी आपके इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग होने वाली है. आपके पास एक शानदार आईडिया भी है. इसी आईडिया को आपको उनके सामने पिच करना है.
आप जानते हैं कि ये आईडिया बहुत ज्यादा शानदार है. लेकिन यहाँ पर एक दिक्कत भी है. वो दिक्कत ये है कि आपके इन्वेस्टर्स को इस आईडिया के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. उनके लिए आप बस एक सेल्स मैन ही हो. जिसे अपने प्रोडक्ट को अच्छा बताकर बेचना है.
अब आपको इस सिचुएशन में क्या करना चाहिए?
आप एक बढ़िया सी पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन तैयार करेंगे. उस प्रेजेंटेशन में आप हर छोटी से छोटी डिटेल को भरेंगे. इसी के साथ ही साथ आप उसमे कुछ जोक्स और वन लाइनर भी डालने की कोशिश करेंगे. आपकी ये कोशिश रहेगी कि आपकी प्रेजेंटेशन में सारी डिटेल आ जाये. अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर ये ट्रेडिशनल अप्रोच होगी.
आज के समय में ट्रेडिशनल अप्रोच को अपनाना बिल्कुल भी सही नहीं है. सच्चाई ये है कि आपको ट्रेडिशनल अप्रोच से जस्ट अपोजिट काम करना चाहिए. आप कोशिश करिए कि आपका पॉवर पॉइंट बिल्कुल सिम्पल बन सके. इसी के साथ पॉवर पॉइंट में दी जाने वाली इनफार्मेशन एक दम क्लीस्टर क्लियर होनी चाहिए.
आपका फोकस क्या होना चाहिए?
इसका सीधा सा जवाब है कि आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप अपनी मेन इनफार्मेशन को सटीक तरीके से शुरूआती 3 मिनट के अंदर सामने वाले को बता दीजिये.
कम समय में अपनी बात कहने की काबिलियत आपको कॉर्पोरेट सेक्टर में काफी दूर तक लेकर जायेगी. इसके पीछे का रीजन यही है कि आज की भागती दौड़ती दुनिया में सबके पास इनफार्मेशन की भंडार है. हर सेकंड सभी के मोबाइल स्क्रीन पर कोई ना कोई पॉप अप आता ही रहता है. इससे अब लोगों के टोलरेंस की क्षमता भी कम होती जा रही है.
आज के दौर में लोग भूमिकाओं को सुनना कम पसंद करते हैं. उन्हें सटीक और क्लियर बात सुनने में ज्यादा मजा आता है. इसलिए आगे से जब कभी भी आप कोई प्रेजेंटेशन देने वाले हो तो आपको पता होना चाहिए कि शुरूआती तीन मिनट ही किंग हैं. इन्ही में आपको सामने वाले के दिल और दिमाग पर कब्जा करना है.
अगर आपसे और ज्यादा आसान शब्दों में बात की जाए तो आपको ये बात पता होनी चाहिए कि तीन मिनट कोई सुझाव नहीं है. ये एक रूल की तरह है. आपको इस नियम का पालन करना ही चाहिए.
इस बात को आपको याद कर लेनी चाहिए कि ऑडियंस को जीतने के लिए आपके पास बस 3 मिनट ही हैं. इन्हीं 3 मिनटों में आपको सिकन्दर बनना है.
क्या 3 मिनट रूल आपकी ऑडियंस के ऊपर भी लागू होता है?
अगर आप थ्री मिनट रुल को तोड़ेंगे तो क्या होगा? वो होगा जिसे सोचकर भी बहुत बुरा लगता है. लेकिन अगर आप इस रूल को तोड़ेंगे तो फिर आप अपनी ऑडियंस को भी खो देंगे.
ऐसा क्यों? चलिए इसे दूसरे सीनेरियो से देखने की कोशिश करते हैं. मान लेते हैं कि आपने एक लम्बे समय का उपयोग करते हुए अपनी पिच को प्रेजेंटेशन के रूप में पेश किया है. आपकी प्रेजेंटेशन भी बहुत अच्छी गयी है. सबको आपकी लम्बी प्रेजेंटेशन काफी पसंद भी आई है.
मान लेते हैं आपने किसी बिजनेस वेंचर के लोगों के सामने अपने आईडिया को पिच किया है. उन्हे आपकी स्पीच भी काफी पसंद आई है और आपका आईडिया भी पसंद आया है. आपके पिच की टाइमिंग थोड़ी ज्यादा थी. लेकिन आपने किसी तरह मैनेज कर लिया और पूरे समय लोगों का इंटरेस्ट भी बना रहा था.
इतना सब कुछ अच्छा होने के बाद भी एक दिक्कत है. वो ये है कि आपने जिनके सामने अपनी इतनी लम्बी प्रेजेंटेशन दी है. क्या पता उनके पास फैसला लेने की पॉवर ही ना हो? वो लोग बस कम्पनी के प्रतिनधि थे. फैसला उनके ऊपर के लोग लेंगे. या फिर कोई लीगल टीम होगी.जिसके पास कन्फर्म करने की पॉवर होगी.
दिक्कत यहीं से शुरू होती है. आपने जितनी बढ़िया प्रेजेंटेशन प्रतिनिधियों के सामने दी है. ज़रूरी नहीं है कि प्रतिनिधि लोग भी आपकी बात को उतने ही अच्छे से अथॉरिटी के सामने पेश करेंगे. आपने अपनी प्रेजेंटेशन इतनी लम्बी कर दी थी कि प्रतिनिधि को भी याद नहीं रहेगा कि मेन पॉइंट क्या था?
इससे नुकसान किसका होगा? आपका होगा. इसलिए 3 मिनट का रूल सुनने वाले को भी अपनाना चाहिए. सुनने वाला जिसके भी आईडिया को सुन रहा है उससे उसे बोलना चाहिए कि आप अपने आईडिया का सार 3 मिनट के अंदर समझाइये. इससे ये होगा कि सुनने वाले को भी आईडिया की बारीकी के बारे में पता चल जायेगा. वो जब आगे अपनी अथॉरिटी से डिसकस करेगा तो उसे पता होगा कि एक्साक्ट कौन से पॉइंट को आगे बताना है?
इसलिए कहा गया है कि इस थ्री मिनट रूल से दोनों तरफ की कम्युनिकेशन बेहतर होती है.
ऊपर आपकी एक घंटे की लम्बी प्रेजेंटेशन बहुत अच्छी थी. लेकिन आपकी ऑडियंस उस प्रेजेंटेशन को अथॉरिटी के सामने सही से प्रेजेंट करने में नाकाम रही. जिसका असर ये हुआ कि जिस पिच को पास हो जाना चाहिए था. वो फेल हो गयी थी. अगर आपने अपनी बात को 3 मिनट के रूल के अंदर खत्म कर दी होती तो फिर इस कहानी का अंजाम कुछ और ही होता.
आपके आईडिया को सफल होने के लिए मात्र 3 मिनट ही काफी हैं. क्या आपको उन 3 मिनट का सही से यूज करना आता है?
आप सोचिये कि चलो लेखक की बात मान ही लेते हैं कि 3 मिनट का रूल फॉलो किया जायेगा. लेकिन हम इतनी सारी इनफार्मेशन को 3 मिनट में कैसे बता पायेंगे?
इसका सीधा सा जवाब है कि आपको सारी जानकारी देने की ज़रूरत ही नहीं है. आपको बहुत ज्यादा सेलेक्टिव होना ही पड़ेगा. अपने कंटेंट को लेकर आपको बेस्ट सेलेक्ट करना पड़ेगा. क्या आपको बेस्ट सेलेक्ट करना आता है?
किसी भी पिच को पेश करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आप क्या चाहते हैं बोलना? और सही में क्या बोलना चाहिए? इन दोनों में फर्क होता है. अगर आप इस फर्क को समझ जायेंगे. तो फिर आप अपने कंटेंट में से सही को सेलेक्ट करना भी सीख जायेंगे.
जितने भी लोग अपने आईडिया को पिच करते हैं. उनके अंदर सबसे बड़ी दिक्कत ये देखने को मिलती है कि वो सब कुछ कह देना चाहते हैं. उन्हें ये पता होना चाहिए कि सामने वाले को सब कुछ नहीं सुनना है.
एग्जाम्पल के लिए मान लीजिये कि आपका कोई स्टार्ट अप है. आप उसे बढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए आप इन्वेस्टर्स के सामने पिच कर रहे हैं. अब इस समय आप चाहेंगे कि आप इन्वेस्टर को अपने स्टार्ट अप के बारे में बढ़िया सी पीपीटी बनाकर सब बता दें. आपके दिल में बड़े-बड़े ख्याल आ रहे होंगे.
इस ख्याल में आप इतने उतावले हो जायेंगे कि अपने स्टार्ट अप की बात आप एक-दो घंटे तक करते रहेंगे. तब आपको ऐसा लगेगा कि सामने वाला आपकी बातों को एन्जॉय कर रहा है. लेकिन रियलिटी में ऐसा कुछ भी नहीं है. जब आप किसी के सामने 2 घंटे का प्रेजेंटेशन देंगे. तो फिर उसे नींद आने लगेगी.
आपकी प्रेजेंटेशन के बीच में ही उसका ध्यान कहीं और चला जायेगा.
अगर रियलिटी की बात करें तो 2 घंटे में जो भी डिटेल्स आपने अपने क्लाइंट के साथ शेयर की है उनमे से कई डिटेल्स की तो ज़रूरत ही नहीं थी.
आप अगर अभी भी स्टेज पर हैं और अपनी ऑडियंस के सामने कुछ पिच कर रहे हैं. तो फिर अब आपकी कोशिश होनी चाहिए कि बेसिक और जनरल डिटेल उनको बता दी जाए. इन डिटेल्स को आपको ऐसे बतानी है कि उनको आगे की बात सुनने के लिए इंटरेस्ट पैदा हो सके.
आने वाले चैप्टर्स की मदद से हम समझने की कोशिश करेंगे कि एक बार फिर से कैसे घोड़े को सही ट्रैक में दौड़ाने के लिए तैयार किया जाए?
क्या आपके पास इन चार सवालों के जवाब हैं?
थ्री मिनट पिच का कांसेप्ट बड़ा ही सिम्पल है. आपको बेसिक्स को याद रखना है. आपको अपने पिचिंग के दौरान अपने कम्युनिकेशन को बड़ा ही सिम्पल और असरदार रखना है.
ये बात भी सही है कि ये सब कहने में ज्यादा आसान है. अब सवाल ये उठता है कि आप ऐसा करेंगे कैसे?
इसके जवाब की डिटेल आपकी ऑडियंस और टॉपिक पर डिपेंड करता है. फिर भी कुछ बेसिक चीज़ें होती हैं. जिन्हें आपको फॉलो करने की ज़रूरत है. याद रखिये कि आपको अपने आईडिया को पिच के लास्ट में बताना है. इसी के साथ आपको अपनी पिचिंग के दौरान 4 सवालों के जवाब भी दे देना है.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये सवाल हैं क्या?
आपको बता दें कि पहले दो सवाल हैं कि आखिर ये क्या है? और ये काम कैसे करेगा?
ये दो सबसे महत्वपूर्ण बेसिक सवाल हैं. जिनका जवाब आपको देना चाहिए. इसके जवाब के साथ ही आप अपनी ऑडियंस को ये मौका भी दे देंगे कि वो आपकी पिचिंग के बारे में कुछ इमेजिन कर सकें. मान लीजिये कि आप इन्वेस्टर से किसी नये प्रोजेक्ट के ऊपर इन्वेस्टमेंट करने के लिए बोल रहे हैं . अब आपके इन्वेस्टर्स को कम से कम ये तो पता ही होना चाहिए कि आपका प्रोजेक्ट क्या है? और ये काम कैसे करने वाला है? इसी के साथ ही साथ उन्हें ये भी पता होना चाहिए कि इस प्रोजेक्ट की मार्केट में क्या डिमांड होने वाली है? अगर आप ये बेसिक सी डिटेल शेयर कर देते हैं तो फिर आपके इन्वेस्टर्स का माइंड काफी क्लियर हो जायेगा.
अब जब आपने दो बेसिक सवालों का जवाब दे दिया है कि ये क्या है और ये काम कैसे करेगा, तो फिर अब समय आता है कि आप अपने जवाब के ऊपर कुछ कॉन्फिडेंस भी दिखाइये. इसी कॉन्फिडेंस से तीसरे सवाल का भी जन्म होता है. ये सवाल है कि क्या आप श्योर हैं? इस सवाल के जवाब के लिए आपको कुछ फैक्ट्स और फिगर भी दिखाने चाहए. अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर सामने वाले को ये एहसास हो जाएगा कि आप अपने आईडिया को लेकर काफी ज्यादा सीरियस हैं. इसी के साथ ही साथ उसे ये भी पता चल जायेगा कि आपने अपने प्रोजेक्ट के ऊपर काफी ज्यादा रिसर्च भी की हुई है.
जब आपने इतने सवालों का जवाब दे दिया है तो इस समय तक आपकी ऑडियंस को ये पता चल चुका है कि आप किस चीज़ के बारे में पिच कर रहे हैं. इसी के साथ ही साथ उन्हें ये पता चल गया है कि इस पिचिंग से उन्हें क्या फायदा होने वाला है? अब बस एक सवाल और बचा हुआ है. वो सवाल है कि क्या आप ये कर सकते हैं?
आपके पिछले सवालों के जवाब से ये तो पता चल चुका है कि आपके प्रोडक्ट में काफी ज्यादा दम है. लेकिन क्या आपके अंदर इतनी काबिलियत है कि आप उसे मार्केट में उतार सकें? अब समय आ गया है कि आप इस सवाल का जवाब भी दीजिये. इस जवाब से आप अपनी ऑडियंस को ये कॉन्फिडेंस दे पायेंगे कि आपके प्रोजेक्ट में काफी ज्यादा दम है.
अब तक आप ये जान चुके हैं कि कौन से 4 सवाल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं? अब हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि उनका जवाब कैसे देना है?
चलिए एक बार फिर से ख़्वाबों की दुनिया में चलते हैं. मान लीजिये कि आपका किसी मैगजीन के लिए इंटरव्यू चल रहा हो. उस इंटरव्यू के दौरान आपसे पहला सवाल पूछा जाए कि आप कौन हैं? इसके जवाब के तौर पर आप सिर्फ और सिर्फ आपका नाम भी बता सकते हैं. लेकिन वो जवाब काफी आम सा और बोरिंग भी होगा.
इंटरव्यू लेने वाला भी सोचेगा कि ये आदमी क्रिएटिविटी के नाम पर जीरो है. लेकिन अगर आप उसी सवाल के जवाब को थोड़ा इंट्रेस्टिंग ढ़ंग से देने की कोशिश करेंगे. तो फिर उस मैगजीन के पढ़ने वाले को भी आपके इंटरव्यू में इंटरेस्ट आएगा.
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इतने छोटे से सवाल का क्या जवाब दिया जाए? इसका जवाब आप अपनी पर्सनालिटी को अच्छे से बताते हुए भी दे सकते हैं.
सेम कांसेप्ट आपको वहां भी अप्लाई करना है. जहाँ पर आप अपनी पिचिंग कर रहे हो. सवालों के जवाब को लेकर आपको थोड़ा सा क्रिएटिव बनने की कोशिश करनी है.
चीज़ों को देखने का आपके पास दूसरा नज़रिया होना चाहिए, एक ऐसा नज़रिया जिसकी मदद से आप वो चीज़ देख सकें जिसे दूसरे नहीं देख पा रहे हैं.
चलिए पहले सवाल के ऊपर आते हैं कि आपका प्रोडक्ट क्या है? इस पर आपको ध्यान देना पड़ेगा कि आपके प्रोडक्ट का नेचर क्या है? इस सवाल के जवाब के दौरान आप प्रोडक्ट के सामने आने वाली परेशानियों के साथ ही साथ उसके सलूशन के बारे में भी बात करेंगे. इसी सवाल के जवाब में आपको बताना चाहिए कि ये प्रोडक्ट यूनिक क्यों है?
इसी के साथ अब दूसरे सवाल के ऊपर आते हैं. दूसरा सवाल है कि ये काम कैसे करेगा? इस सवाल के जवाब के समय आपको ध्यान रखना है कि आप इस प्रोडक्ट के माध्यम से प्रॉमिस क्या कर रहे हैं? इसी के साथ ही साथ आप उस प्रॉमिस को पूरा कैसे करेंगे? इसी सवाल के जवाब के दौरान आपको अपने मास्टर प्लान के बारे में भी बता देना है. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी ऑडियंस काफी सरप्राइज हो जायेगी. उसे पता चलेगा कि आप अपने प्रोडक्ट या आईडिया को लेकर काफी ज्यादा सीरियस हैं.
इसके बाद नम्बर आता है कि क्या आप अपने आईडिया को लेकर श्योर हैं? इस सवाल के जवाब के समय आपको देखना है कि क्या आपके पास स्टैटिक्स हैं? मान लीजिये कि आपने कहा है कि आपका आईडिया बेस्ट है. अब आपको प्रूफ करना है कि आपने ये बात किस बेसिस पर कही हैं.
फाइनली सवाल आता है कि क्या आप ये कर सकते हैं? ये सवाल सीधे तौर पर आपकी काबिलियत के ऊपर है. इस सवाल के जवाब को देते समय आपको बताना चाहिए कि क्या आपने पास्ट में ऐसे किसी प्रोजेक्ट को सफलता पूर्वक कम्प्लीट किया है?
इस चैप्टर में आपने समझा है कि अपनी पिचिंग के दौरान आउट ऑफ़ द बॉक्स कैसे सोचना है. आगे आने वाले चैप्टर में आप समझेंगे कि अपने जवाब को लेकर आप और ज्यादा क्रिएटिव कैसे बन सकते हैं?
आपकी पिच इंट्रेस्टिंग होनी चाहिए
खुद को साल 2000 में ले चलने की कोशिश करिए. मान लीजिये कि उसी दौर में आप हॉलीवुड में काम कर रहे हैं. आपके दिमाग में एक टीवी शो को लेकर आईडिया आया है उसका नाम है पाइरेट मास्टर.
अब आपको इस आईडिया को नेटवर्क अधिकारियों के सामने पिच करना है. एक सिम्पल तरीका है कि आप बोलेंगे कि ये एक शो है जिसमे सर्वाइवर होंगे. इसी को आप दूसरे तरीके से भी बोल सकते हैं. वो तरीका थोड़ा सा क्रिएटिव है. वो है कि- प्रोड्यूसर ‘Mark Burnett’ को लेटेस्ट आईडिया आया है और वो सोचते हैं कि ये शो स्मैश हिट होने वाला है. ये टीवी के सभी रिकॉर्ड तोड़ सकता है.
जब आपने दूसरे तरीके से ‘Mark Burnett’ का नाम लिया तो नेटवर्क अधिकारियों के दिमाग में गाने बजने लगेंगे. इसके पीछे का कारण है कि ‘Mark Burnett’टीवी इंडस्ट्री के बड़े प्रोड्यूसर हैं.
ऊपर बात एक ही बोली गयी है लेकिन उन्हें दो तरीकों से बोली गयी है. तरीके में फर्क आने से आपकी कहानी ही बदल सकती है. जब आपने दूसरे तरीके से बोला तो अधिकारियों को लगा कि इस आईडिया में बहुत ज्यादा दम है. इसं शो के बाद से हमारे चैनल की किस्मत ही बदल जाएगी.
इसलिए जब कभी भी आप अपनी पिचिंग के दौरान सवालों के जवाब दे रहे हों तो फिर आपको सबसे इंट्रेस्टिंग सीनेरियो से अपनी बात को ऑडियंस तक पहुंचाने की कोशिश करनी है.
इस पॉइंट ऑफ़ टाइम तक आपके पास 25 सेंटेंस हैं. जिनके अंदर काफी ज्यादा जानकारी है. इन्ही सेंटेंस को आपको पिच करना है.
अगर आप सही ढ़ंग से इन सेंटेंस को पिच करेंगे तो आपका काम काफी ज्यादा आसान हो जाएगा. लेकिन अगर आप लेखक की बात माने तो अभी भी आपको कुछ और चीज़ों की ज़रूरत है.
सबसे पहली चीज़ है आपके पिच की ओपनिंग. शुरुआत में ही आपको अपनी ऑडियंस को एहसास दिलाना पड़ेगा कि आप यहाँ पर क्यों हैं? ये ओपनिंग बताएगी कि आपकी पर्सनालिटी और आपके आईडिया में कितना दम है? क्या आपका आईडिया इतना इंट्रेस्टिंग है कि लोग उसको सुनने के लिए अपना समय दे सकें?
आपको इस बात का ख्याल रखना है कि ओपनिंग के दौरान आपको पूरी कहानी नहीं बतानी है. आपको अपनी ओपनिंग को एक या फिर लाइन के अंदर खत्म करना चाहिए. ये एक या दो लाइन काफी ज्यादा इंट्रेस्टिंग होनी चाहिए. अगर आपकी ओपनिंग इंट्रेस्टिंग रहेगी तो फिर आप 3 मिनट पिच का खेल जीत ही जायेंगे.
एक लाइन में आपको बताएं तो फिर आपको अपनी ओपनिंग से ‘वाह’ मोमेंट को क्रिएट करना है.
एग्जाम्पल के लिए आपको ‘बार रेस्क्यू’ से समझाते हैं. अगर आप ‘बार रेस्क्यू’ के बारे में नहीं जानते हैं. तो जान लीजिये कि एक हिट टीवी शो था.
इस हिट टीवी शो के आईडिया को जब निर्देशक ने पिच किया था. तो फिर पूरा खेल ही ओपनिंग लाइन्स ने खेला था. उन्होंने अपनी ओपनिंग लाइन्स को इतने प्रभावी ढ़ंग से ऑडियंस के सामने रखा था कि सभी इम्प्रेस्ड हो गये थे.
सब नज़र और ओपनिंग का ही खेल है
कब आपको ऐसा लगने लगा था कि आपके पास विनिंग आईडिया है? और कब आपको ये विश्वास हो गया था कि आप सही सोच रहे हैं?
आपको पहले सवाल का जवाब ही आपको आपकी पिच की ओपनिंग तक लेकर जायेगा. उसी जवाब से आप अपनी ऑडियंस को बतायेंगे कि आप यहाँ पर क्यों हैं? वहीं दूसरे सवाल का जवाब आपको आपकी पिच के दूसरे एलिमेंट की तरफ लेकर जायेगा. ये एलिमेंट है ‘कॉल बैक’.
यही वो समय है जब आप अपनी ओपनिंग की तरफ लौटकर आयेंगे और अपनी ऑडियंस को ये भरोसा दिलाएंगे कि आप सही सोच रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि आपका काम आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है? भले ही आप इसका सटीक उत्तर जानते हों, या फिर आपने कभी इसके बारे में ना सोचा हो, लेकिन जो भी आपका जवाब होगा वही बतायेगा कि आपका काम आपके लिए कितना ज़रूरी है.
आम तौर पर देखा गया है कि लोग अपने काम को तीन पहलु से देखते हैं. पहला- कई सारे लोग तो काम बस इसलिए करते हैं कि उन्हें पैसा मिल सके, उन पैसों से वो अपने बिल्स का भुगतान करते हैं. मतलब, वो काम को सिर्फ एक जॉब की तरह मानते हैं.
दूसरे नंबर में उस तरह के लोग आते हैं जो अपने काम को करियर की तरह लेते हैं. उनका उद्देश्य ये होता है कि काम में प्रोग्रेस होना चाहिए. अधिकतर देखा गया है कि करियर माइंडेड लोग प्रमोशन के लिए काम करते हैं.
तीसरे तरह के लोग थोड़े अलग दिमाग के होते हैं. वो काम को ख़ुशी से जोड़ते हैं और देखते हैं कि उनके काम से इस सोसाइटी में क्या पॉजिटिव चेंज आ रहा है.
अब आते हैं मेन मुद्दे पर, आपने भी अपने चारों तरफ बहुत से ऐसे लोगों को देखा होगा जो इन कैटेगरी में फिट होते हैं. लेकिन क्या आपने ओब्सर्व किया कि इनमे से आप किस कैटेगरी में फिट होते हैं? खैर इस सवाल का जवाब तो आपको मिल ही जाएगा.
अब हम एक रिसर्च को भी समझ लेते हैं. अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट ने एक रिसर्च की, इस रिसर्च में उन्होंने ये जानने की कोशिश की किस तरह के लोग ख़ुशी के ज्यादा नज़दीक हैं. इस अध्ययन में उन्होंने कई काम काजी लोगों से बात भी की, रिजल्ट में ये निकलकर सामने आया कि जिन लोगों के काम से दूसरों की जिंदगी में पॉजिटिव बदलाव आ रहे हैं. वो लोग अपने काम से ज्यादा खुश भी हैं. ऐसे लोगों को जिंदगी की समझ भी बेहतर है.
क्या आपको मूवी देखने का शौक है? अगर है तो आप जानते होंगे कि मूवी में वो हिस्सा भी आता है जब हीरो हार की कगार पर खड़ा हुआ होता है. उस मोमेंट को ‘ऑल इज लॉस्ट’ मोमेंट भी कहा जाता है.
इसी से अब आपको अपनी पिच का नेक्स्ट एलिमेंट भी मिलने वाला है. इससे आपकी पिच का एक अलग ही लेवल हो जायेगा.
अपना ‘ऑल इज लॉस्ट’ मोमेंट तैयार करने के लिए आपको अपनी ऑडियंस से अपने आईडिया के खतरे के बारे में भी बात करनी पड़ेगी. प्रॉब्लम बताने के बाद आप उनसे बतायेंगे कि आप उस प्रॉब्लम से बाहर कैसे आयेंगे?
एग्जाम्पल के तौर पर समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिये कि आप उनसे किसी एप के बारे में बात कर रहे हैं. तो फिर आपको उनको बताना पड़ेगा कि डेवलपमेंट फेज में कौन-कौन सी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है? इसी के साथ ही साथ आप ये भी बताएँगे कि जब आपके सामने वो सारी दिक्कतें आएँगी तो आप उनका सामना कैसे करेंगे?
जब आप अपनी ऑडियंस से इस तरह का अप्रोच रख कर बात करेंगे. तो उनको पता चलेगा कि आपके अंदर वाकई में प्रॉब्लम सॉल्विंग काबिलियत भी है.
हमेशा अपनी पिचिंग के दौरान इस बात का ख्याल रखियेगा कि आपको उनसे खुल कर बात करनी है. अगर आपके प्रोजेक्ट में किसी तरह की दिक्कत आ सकती है तो फिर उसको भी आप खुल कर बताने की कोशिश करिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो सामने वाले को भी आपके ऊपर भरोसा ज्यादा होगा.
सामने वाले के सामने आपकी क्रेडिबिलिटी भी बढ़ेगी. याद रखिये कि किसी भी प्रॉब्लम को छुपाने से कुछ भी हासिल नहीं होता है. अगर आप प्रॉब्लम को छुपाने की कोशिश करेंगे तो फिर प्रॉब्लम भी बढ़ती ही जाएगी. इसलिए इसका सबसे सटीक जवाब यही होता है कि प्रॉब्लम की डिस्कशन खुल कर करिए.
इस एलिमेंट का फायदा आपकी पिच को बहुत ज्यादा हो सकता है. इसका कितना फायदा होगा? ये निर्भर आपके ऊपर ही करता है. क्या आपने इस एलिमेंट को ढ़ंग से समझने की कोशिश की है? अगर आपने ऐसा किया है तो फिर आपकी पिच को फायदा ही फायदा होगा.
इसलिए अपने आपको ‘ऑल इज लॉस्ट’ मोमेंट में डालने से भी डरना नहीं है.
अपनी पिच को शानदार अंदाज़ से खत्म करने की कोशिश करिए
अब तक आपने ओपनिंग सीखी, कॉल बैक सीखा और ऑल इज लास्ट मोमेंट भी सीख लिया है. अब आपके सामने चैलेन्ज है कि आप अपनी पिच को खत्म कैसे करेंगे? इसके लिए आपके पास दो हथियार हैं. पहला है ‘हुक’ और दूसरा है ‘एज’.
हुक आपकी पिच का वो एलिमेंट होता है जो आपकी ऑडियंस को सोचने पर मजबूर करता है. जब आपकी ऑडियंस सोचती है कि वाह ये आईडिया तो कूल है. तब एज उनको कहता है कि इस आईडिया के ऊपर काम किया जा सकता है. अब सवाल ये उठता है कि आपको आपका हुक कैसे मिलेगा?
इसका जवाब आपके पास ही है. आपके अपने 25 सेंटेंस की तरफ ही देखना चाहिए. उन 25 सेंटेंस में उस सेंटेंस को ढूंढिए जिससे आप एक्साइट होते हों. इसके बाद आप उसे समझाइये. यही आपका एज भी है.
हर किसी के दिमाग में थॉट्स की ट्रेन चलती है. अब आप सोचिये कि अगर वो सच में ट्रेन ही होती तो फिर आप पैसेंजर होते या फिर कन्डक्टर?
ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने थॉट्स के ऊपर कंट्रोल लेना भी चाहते हैं या फिर नहीं लेना चाहते हैं.
एक सिम्पल सी समझ अपने अंदर स्थापित करने की कोशिश करिए. वो ये है कि कोशिश करिए कि आप फैमिलियर से कनेक्ट रहें. ऐसा करने से आपको अच्छा महसूस होगा.
इंसानी मन की रूप रेखा ही ऐसी होती है कि वो मौजूदा सेट ऑफ़ बॉक्स से चिपकना चाहता है. उसे ज्यादा बदलाव पसंद नहीं होते हैं. इसको दूसरे तरीके से ऐसा भी कहा जा सकता है कि मन को हमेशा ही सरल की तलाश रहती है. वो संघर्ष करने से हमेशा ही पीछे हटने की कोशिश करता रहता है. इंसान के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यहीं आती है कि वो आपने मन को कैसे काबू में कर सके? काबू का मतलब है कि सही दिशा में दौड़ा सके. आपने ये ओब्सर्व किया ही होगा कि सही लक्ष्य की तरफ भागने से मन हमेशा ही डरता रहता है. उसे पता होता है कि कौन सी राह सही है? लेकिन फिर भी वो पीछे हटता है.
अब समय आ गया है कि आप अपने हुक और एज की मदद से अपनी पिचिंग को प्रभावी ढ़ंग से खत्म कर सकें. आपने अभी तक जैसी भी पिचिंग दी है. उसका असर आपकी ऑडियंस के दिमाग में काफी ज्यादा प्रभावी ढ़ंग से हुआ होगा.
कुल मिलाकर
आपको याद रखना चाहिए कि आज की भागती दौड़ती जिंदगी में आपकी ऑडियंस के पास पेशन्स की कमी है. इसलिए आपको ऊपर बताई गयी सभी बातों का ध्यान रखते हुए अपनी पिच को 3 मिनट के अंदर ही खत्म करना चाहिए.
सभी को एक साथ जोड़ दीजिये. अगर आपने ऊपर लिखे अध्यायों को अच्छे से पढ़ा है तो आपकी 3 मिनट की पिच बहुत ही शानदार तरीके से तैयार होगी. सभी सलाह को साथ में लाने के लिए आपको बेसिक्स का ख्याल रखना पड़ेगा. ओपनिंग से शुरुआत करिए. फिर सबसे महत्वपूर्ण डिटेल को साझा करिए. इंट्रेस्टिंग तरीके से प्रेजेंट करने की कोशिश करिए. मेन पॉइंट्स को हाई लाइट्स करके बोलने की कोशिश करिए.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे The 3-Minute Rule By Brant Pinvidic
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