Kaiser Fung
The Hidden Influence of Probability and Statistics on Everything You Do (नम्बर्स आपकी दुनिया में राज़ कर रहे हैं, इनके महत्व को समझिए)
दो लफ्ज़ों में
साल 2010 में रिलीज़ हुई किताब “Numbers Rule Your World” एक statistical गाइड है. आपको जिसकी मदद से नम्बर्स के महत्त्व के बारे में पता चलेगा. इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता चलेगा कि कैसे statistic’s की मदद से आप अपनी लाइफ को बेहतर से बेहतरीन बना सकते हैं. इस किताब के चैप्टर्स में statistics के महत्व को 5 प्रिंसिपल की मदद से समझाया गया है. इसी के साथ ये भी बताया गया है इनकी मदद से आप अपनी डिसीज़न मेकिंग कैपाबिलिटी को कैसे बेह्तर कर सकते हैं?
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसे लोग जिन्हें statistics से प्यार हो
- ऐसे लोग जिन्हें कुछ नया सीखना हो
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन “Kaiser Fung” ने किया है. ये पेशे से ऑथर और statistician हैं. इन्होने अपने सालों के एक्सपीरियंस का सार इस किताब में उतार दिया है. Junk Charts और Big Data जैसे दो प्रसिद्ध ब्लॉग के ये फाउंडर भी हैं.
इस किताब में मेरे लिए क्या है?
आपको समझना चाहिए कि एक इनविजिबल फ़ोर्स है, जो आपकी लाइफ से कनेक्ट रहती है. लेकिन ये ना ही भगवान है और ना ही कोई केमिकल. यही statistics की छुपी हुई दुनिया है. आपको पता होना चाहिए कि इस दुनिया के रूल आपकी हेल्थ से लेकर वैकेशन तक अप्लाई होते हैं.
अब सवाल ये उठता है कि जब ये नम्बर्स हमारी लाइफ में इतने महत्वपूर्ण हैं. तो हम इन्हें इम्पोर्टेंस क्यों नहीं देते हैं? इन चैप्टर्स से हमें पता चलेगा कि कैसे हम नम्बर्स गेम को समझकर अपनी लाइफ को बेहतर बना सकते हैं? इसी के साथ इस किताब की मदद से हमारी statistical thinking भी बेहतर होगी.
हमें इन चैप्टर्स में ये भी सीखने को मिलेगा
- statistical thinking को समझना क्यों ज़रूरी है?
- statistic’sके सही यूज़ से कितने बदलाव आ सकते हैंस्टैटिक्स के इस कांसेप्ट को भी समझना ज़रूरी है
क्या आप कभी amusement park गए हैं? अगर गए हैं तो आपने भी अपनी राइड का इंतज़ार लंबी-लंबी लाइंस में खड़े होकर किया होगा. कई बार तो आप कड़ी धूप में भी लाइन में खड़े हुए होंगे? तब आपके दिमाग में ये ख्याल भी आया होगा कि अगर इनके पास एक दो और रोलर कोस्टर होते तो ये कतारे छोटी हो सकती थीं?
लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होगा. इसके पीछे भी statisticians कई कारण बताते हैं. वो डिज़्नी वर्ल्ड का एग्जाम्पल लेते हुए बताते हैं कि “किसी भी पार्क में गेस्ट के आने का कोई फिक्स्ड टाइम नहीं होता है. और ना ही किसी को ये अंदाज़ा रहता है कि कितने नंबर ऑफ़ गेस्ट आने वाले हैं. इसलिए जब-जब कैपासिटी से डिमांड ज्यादा होती है. तब-तब लाइन्स भी ज्यादा लगने लगती है. ये भी सोचने में लॉजिकल लग सकता है कि अगर डिज़्नी वर्ल्ड डिमांड के बारे में पता कर ले तो वो अपनी कैपासिटी बढ़ा सकता है.
लेकिन दुःख की बात तो ये है कि इस काम में भी कई परेशानियां हैं.
इस बारे में बात करते हुए statisticians कहते हैं कि ‘अगर डिज़्नी वर्ल्ड को पता चल जाए कि पार्क में कितने विसिटर आने वाले हैं? तब भी लाइंस लगेंगी. इसके पीछे का रीज़न ये है कि विजिटर्स डिज़्नी वर्ल्ड के हिसाब से पार्क में नहीं आएंगे. बल्कि वो अपनी सहूलियत के हिसाब से आएंगे. इसलिए ज़रूरी नहीं है कि एक ही समय में सभी विजिटर्स पार्क में आ जाएँ.
इसलिए ‘planning for capacity’ तकनीक केवल एवरेज राईस इन डिमांड ही बता सकती है. ये कभी भी fluctuating demand के बारे में नहीं बता सकती है.
‘Statistics work’ को समझने की कोशिश करिए
Statisticsप्रिंसिपल को साइंटिफिक रूप में लाने का श्रेय जर्मनी के विद्वान और जाने माने मैथमैटिशियन गाटफ्रायड एचेनवाला को जाता है. इन्होंने सन् 1749 मे Statistics के कांसेप्ट को दुनिया के सामने लाया था.
लेकिन भारतीय Statistics का गुरु प्रशांत चंद्र महालनोबिस को को माना जाता है. उनका जन्म 29 जून, साल 1893 में कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था. इसी के साथ 29 जून को NationalStatisticsDayभी मनाया जाता है.
ऑथर कहते हैं कि एक कांसेप्ट statistical reasoning होता है. जिसकी मदद से रियल लाइफ सिचुएशन को बेहतर बनाया जा सकता है. एग्जाम्पल के लिए एक प्रोसेस होती है, जिसे epidemiologistsकहते हैं. इसमें किसी भी बीमारी के रूट कॉज के बारे में पता लगाया जाता है.
सितम्बर 2007 की बात है, अमेरिका में कई पेशंट E.COLI नाम की बीमारी से पॉजिटिव पाए गए थे. इस बीमारी से की बैक्टेरिया से किडनी की समस्या तक हो सकती है. इससे कई लोगों की मौत भी हो सकती है. फिर डॉक्टर्स की टीम statistical reasoningकी मदद से बीमारी के सोर्स के बारे में पता लगाया, जिससे कई और लोगों की मदद की जा सकी..
आपको बता दें कि epidemiologistsकी पूरी प्रोसेस में statistical reasoningकी ही हेल्प ली जाती है. E.COLI वाले केसेज़ में डॉक्टर्स की टीम ने कुछ पेशंट्स के खान पीन की हिस्ट्री को नोट डाउन करने की शुरुआत की, तब उन्होंने ओब्सर्व किया कि ज्यादातर लोगों ने खाने में स्पिनच की सब्जी खाई थी. जिससे उन्हें अंदाज़ा लगा कि हो सकता है कि स्पिनच की वजह से ही ये बीमारी हो रही हो. फिर उन्होंने तुरंत एडवाईजरी रिलीज़ कर दी कि कुछ समय के लिए स्पीनच का सेवन लोग ना करें.
इस प्रोसेस से आप समझ गए होंगे कि Statisticsकी मदद से आम लोगों की जान भी बचाई जा सकती है. इसलिए हमें इस पॉवर के बारे में पता होना चाहिए. हमें पता होना चाहिए कि हमारी दुनिया के राजा नम्बर्स ही हैं. हम दिन भर नम्बर्स के खेल में उलझे रहते हैं. हमें सीखना होगा कि कैसे हम नम्बर्स को अपने पक्ष में कर सकते हैं?
इस खेल को और बेहतर ढ़ंग से समझने के लिए, अब हम अगले चैप्टर की तरफ बढ़ रहे हैं. जहाँ हम Statistics को करीब से देखने की कोशिश करेंगे.
अब समय Statistics को और करीब से जानने का आ गया है
पिछले कुछ वक्त से भारत में डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. देश में कोविड की मौतों से लेकर नौकरियों पर जुटाए गए आंकड़ों की विश्वसनीयता को इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स ने चुनौतियां दी हैं. लेकिन एक ज़माना था जब भारत को डेटा कलेक्शन के मामले में वर्ल्ड लीडर माना जाता था.
ब्रिटिश राज से आजाद होने के बाद भारत ने यूरोपियन देशों से प्रेरणा लेते हुए सेन्ट्रल Statistics पालिसी के मुताबिक अपनी इकॉनमी को खड़ा करने का काम शुरू किया था. लिहाजा भारत के पॉलिसी मेकर्स के लिए ये जरूरी हो गया था कि कि उनके हाथ में इकॉनमी के बारे में सटीक और बारीक जानकारियाँ आएँ.
ऐसा सिर्फ और सिर्फ इसलिए हुआ था, क्योंकि उन्हें Statistics के महत्व के बारे में अच्छे से जानकारी थी. उन्हें मालुम था कि Statistics की मदद से कुछ भी बेहतर हासिल किया जा सकता है.
इसलिए ऑथर भी कहते हैं कि “क्या आपने सोचा है कि जनरेशन गैप आ जाने के साथ सोच में भी बदलाव क्यों आ जाता है? या फिर पढ़े लिखे लोगों की सोच अनपढ़ लोगों से बेहतर क्यों होती है? ऐसा सिर्फ और सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि पढ़ाई लिखाई के साथ इंसान के अंदर statistical reasoning को समझने की क्षमता विकसित हो जाती है. इसलिए कहा भी जाता है कि पढ़े लिखे लोग नम्बर्स के गेम को बेहतर समझ सकते हैं.”
अगर आपको भी अपनी लाइफ में अच्छी तरक्की करनी है तो आपको भी नम्बर्स के खेल में आगे रहना सीखना होगा. आपको भी statistical reasoning के महत्व को सीखना होगा. इसलिए जब भी समय मिले तो Statistics को और ज्यादा करीब से जानने की कोशिश करिए, ऐसा करने से आप अपनी लाइफ को बेहतर से बेहतरीन बनाने की कोशिश करेंगे.
“Decisions based on statistics” के क्या मायने हैं?
ऐसा लग सकता है कि आधुनिक समय में सच्चाई को सामने आने से रोकना मुश्किल है. आखिरकार लोगों ने फैक्ट्स को बाहर लाने के लिए, कई तरह की मेथड का इन्वेंशन किया है. भले ही किसी बीमारी का पता लगाना हो या किसी एथलीट का झूठ पकड़ना हो, आज कल हर चीज़ के फैक्ट्स का पता लगाया जा सकता है.
लेकिन हमें पता होना चाहिए कि “Decisions based on statistics” पूरी तरह से इरर प्रूफ नहीं है. मतलब इस तरह के फैसलों में भी दो तरह की गलतियाँ हो सकती हैं. जिनके बारे में हमें पता होना बहुत ज़रूरी है.
मान लीजिए की ड्रग की टेस्टिंग चल रही है. इसमें दो तरह की गलतियाँ हो सकती हैं. पहली गलती- फाल्स पॉजिटिव.. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी एथलीट की ड्रग्स की रिपोर्ट ही गलत आ जाए. मतलब अगर किसी ने ड्रग का सेवन नहीं किया है. फिर भी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है.
या फिर फाल्स नेगेटिव रिपोर्ट भी आ सकती है. मतलब साफ़ है कि दो तरह की गलतियाँ हो सकती हैं.
इसी तरह की गलतियाँ Lie detector tests में भी देखने को मिलती हैं. इसलिए ये मान लेना कि statistics के आधार पर लिए गए फैसले सही ही साबित होंगे, ये बिल्कुल भी सही नहीं है.
इन फैक्टर्स के बारे में ऑथर इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि हमें किसी भी चीज़ के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. आधी-अधूरी जानकारी किसी ज़हर से कम नहीं होती है. इसलिए अगर हम डेटा और नम्बर्स की बात कर रहे हैं. तो हमें पता होना चाहिए कि कई बार नम्बर्स भी पूरी कहानी बयाँ नहीं कर पाते हैं. उनके पीछे भी कई तरह के रीज़न होते हैं. लेकिन ये बात सच है कि किसी भी टेस्ट की रिपोर्ट को 100 प्रतीशत सच नहीं मान लेना चाहिए.
ऑथर के हिसाब से हमें नम्बर्स और statistics को लेकर हमेशा सावधान रहने की कोशिश करनी चाहिए.
अब बारी ‘Statistical thinking’ के बारे में जानने की आ गई है
आपको बता दें कि “Statistical thinking”हमें किसी भी पैटर्न पर सवाल उठाना सिखाती है. हम किसी भी सिचुएशन पर सवाल कर सकें, इस ख़ूबी को हम स्टैटिसटिक्स के दम पर सीख सकते हैं.
31 अक्टूबर 1999 की बात है, उस दिन एक भयानक दुर्घटना हुई थी. एकइजिप्टएयर जेटलाइनर नान्टाकेट द्वीप के तट पर अटलांटिक महासागर में गिर गया था. उस भयानक हवाई दुर्घटना में कोई भी ज़िन्दा नहीं बचा था.
लेकिन ध्यान देने वाली बात थे कि पिछले 3 सालों में सेम जगह इसको मिलाकर 4 प्लेन क्रैश हो चुके थे. जिसका नतीजा ये हुआ कि लोगों ने उस एरिया में हवाई सफर करना ही बंद सा कर दिया. इसके पीछे उनका लॉजिक ये था कि 4 सालों में 4 प्लेन क्रैश कोई को-इन्सीडेंस नहीं हो सकता है. लोग मानने लगे कि इस तरह के क्रैश बिना किसी वजह के नहीं हो सकते.
लेकिन हादसों के बाद statisticians को एक बड़ी तस्वीर नज़र आ रही थी. उन्हें भी 4 सालों में 4 प्लेन क्रैश नज़र आ रहे थे. जिनको कोई भी नज़रंदाज़ नहीं कर सकता है. लेकिन उन्हें साथ में वो हज़ारों हवाई यात्रा भी नज़र आ रहीं थीं. जो कि इन 4 सालों में सफलतापूर्वक हुई हैं. इसलिए statisticians इस पैटर्न से सवाल करना चाहते थे. Statisticians ने बताया कि अगर आप ध्यान देंगे तो आपको पता चलेगा कि मरने वालों की संख्या 10 मिलियन में से एक की है. जो कि करोड़ों की लॉटरी की PROBABLITY से भी कम है.
statistical thinking हमें बताती है कि जो चीज़ें लोगों को आम सी लगें, उनसे आप सवाल किया करिए. statistical thinking की मदद से हम फैक्ट्स के नज़दीक पहुँच सकते हैं.
स्टैटिसटिक्स के बारे में बात करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था-'' जिन लोगों के पास डेटा नहीं होता है, वो लोग अंधेरे में काम करते हैं''. इसलिए किसी भी सिचुएशन को सही ढ़ंग से देखने के लिए आपके पास पर्याप्त डेटा ज़रूर होना चाहिए.
आपको पता होना चाहिए कि एक बड़ा डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर ही इस अंधेरे को रोशनी में तब्दील कर सकता है. इसलिए किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले डेटा को मज़बूत करने की कोशिश करिए. statistical thinking के हिसाब को खुद को विकसित करने की कोशिश करिए.
कुल मिलाकर
आपको पता होना चाहिए कि Statistics हवा बाज़ी का काम नहीं है. इसमें पूरी रिसर्च लगती है. इसलिए आज से ही अपनी लाइफ में रिसर्च को एड ऑन करिए और हवा बाज़ी की बातों से दूर रहने की कोशिश करिए. आपको पता होना चाहिए कि इंसान की लाइफ में डेटा और नम्बर्स का रोल काफी ज्यादा है.
क्या करें?
कई तरह के डर से बाहर आने के लिए statistical thinking को अपनाने की कोशिश करिए. किसी भी सिचुएशन को statistical logic की मदद से देखने की कोशिश करिए. जहाँ लॉजिक है, वहीं फैक्ट्स भी होगा.
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