John C. Maxwell
सेल्फ डेवलपमेंट के 15 नियम
दो लफ्ज़ों में
साल 2012 में लीडरशिप गुरु “John C. Maxwell” ने अपने एक्सपीरियंस को किताब “The 15 Invaluable Laws of Growth” में शेयर किया है. उन्होंने इस किताब में सेल्फ डेवलपमेंट के लिए कई सीक्रेट टूल्स के बारे में बताया है. उन्होंने बताया है कि पर्सनल ग्रोथ को कल्टीवेट करने की ज़रूरत होती है. अपने से ही पर्सनल ग्रोथ नहीं हो सकती है. इसके लिए आपको कई एफर्ट्स करने होते हैं. इसके लिए आपको कुछ बड़ा करने की अपेक्षा हर दिन छोटे-छोटे स्टेप्स लेने होते हैं. आपको पता होना चाहिए कि पर्सनल ग्रोथ की मदद से आप अपनी लाइफ को पूरी तरह से एन्जॉय कर सकते हैं.
ये किताब किसके लिए है
· ऐसे प्रोफेशनल जिन्हें लीडरशिप स्किल की ज़रूरत हो
· सभी फील्ड के स्टूडेंट्स
· ऐसे लोग जिन्हें पर्सनल ग्रोथ के बारे में जानना हो
· ऐसा कोई भी जिसे नई चीज़ों के बारे में जानना अच्छा लगता हो
· पर्सनल ग्रोथ प्रोफेशनल
लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक ‘John C. Maxwell’ हैं. इन्होने अपने करियर में 70 किताबों से ज्यादा का लेखन किया है. लेखन के साथ-साथ ‘John C. Maxwell’ एक जाने माने पब्लिक स्पीकर भी हैं.
अपनी जर्नी की शुरुआत कैसे करनी चाहिए?
आपको मालुम ही होगा कि हर किसी को लाइफ में कभी ना कभी ऐसा लगता है कि उन्हें पर्सनल डेवलपमेंट की ज़रूरत है. ये एक ऐसा फैक्टर जिसकी मदद से आप पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों लाइफ में बेहतर कर सकते हैं. लेकिन सवाल यही उठता है कि पर्सनल डेवलपमेंट के लिए क्या किया जा सकता है?
उसका जवाब है कि अगर आपको पर्सनल ग्रोथ चाहिए तो फिर आपको कम्फर्ट ज़ोन को छोड़ना पड़ेगा. इसी के साथ-साथ आपको इनोवेटिव भी बनना पड़ेगा. ये सब कैसे होगा? ये सब आप अपने नज़रिए को बदलकर हासिल कर सकते हैं.कई लोग ऐसा भी कहते हैं कि पर्सनल डेवलपमेंट के लिए आपके सपने हमेशा बड़े होने चाहिए. काफी हद तक ये बात सही भी है. लेकिन सिर्फ और सिर्फ सपने देखने से कुछ नहीं होता है. आपको पता होना चाहिए कि सपनों के इम्प्लीमेंटेशन में समय लगता है. ये एक स्लो प्रोसेस है. जिसमे आपको खुद की स्किल्स के ऊपर भी काम करना होता है. लेकिन आप अपने बड़े से बड़े सपने को रोज़ के एफर्ट्स से हासिल कर सकते हैं.
इस किताब के चैप्टर्स से आप यही सब बेहतर तरीके से सीखने वाले हैं. आपको पता चलेगा कि चुनौतियों का सामना कैसे किया जाता है? इसी के साथ आपको ये भी पता चलेगा कि अपने गोल की तरफ डेडीकेशन के साथ आगे कैसे बढ़ सकते हैं? इस किताब से आपको ये भी पता चलेगा कि मुश्किल दौर का सामना कैसे किया जाता है? आपको ये बात पता होगी कि लाइफ में कभी-कभी ऐसी सिचुएशन आ जाती है. जो आपके कंट्रोल के बाहर की होती है. उस समय आपको ऐसा लग सकता है कि कुछ भी आपकी तरफ नहीं जा रहा है. अब उस सिचुएशन से डील करने के टूल्स भी आपको पता चल जाएंगे.
बहुत कम शब्दों में कहा जाए तो अगर आपको खुद के अंदर बदलाव लाना है तो इस किताब को ज़रूर सुनिए या फिर पढ़िए. इस समरी में आपको ये भी सीखने को मिलेगा किपर्सनल ग्रोथ का मतलब क्या होता है? ड्रीम बिग के साथ रीयलिस्टिक होना क्यों ज़रूरी है? और ग्रोथ के लिए सबसे ज़रूरी क्या होता है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
सोचिए कि आप एक जंगल के बीचों बीच फंसे हुए हैं. आपको डेस्टिनेशन तक पहुंचना है. लेकिन आपके पास सबसे ज़रूरी चीज़ नहीं है. वो ज़रूरी चीज़ क्या है? उस चीज़ का नाम मैप है. अब आप खुद ही सोचिए कि बिना मैप के जंगल को पार करते हुए डेस्टिनेशन तक पहुँचना कैसे मुमकिन है? ये मुमकिन नहीं है.
यही थ्योरी इस बात पर भी चलती है कि आप जब तक गोल तक नहीं पहुँच सकते हैं जब तक आपको पता ही ना हो कि आपको जाना कहाँ है? इसलिए आपको कहाँ जाना है? ये आपको पता ही होना चाहिए.
बिना लक्ष्य के सफर करना कभी भी सही नहीं हो सकता है. ये आप कैसे पता लगा सकते हैं? इस बात का पता लगाना कि आप कहाँ हैं और आपको जाना कहाँ है? इतना आसान नहीं है. इसके लिए आपको खुद से कुछ सख्त सवाल पूछने ही होंगे. क्या आप इन सवालों के लिए तैयार हैं?
आपको खुद से पूछना चाहिए कि जो भी आप कर रहे हैं, क्या आप उस काम से खुश हैं? क्या आप अपने काम के लिए पैशनेट हैं? क्या आप अपने काम को करने के लिए खुद को फ़ोर्स करते हैं? इन सवालों से आपको पता चल जाएगा कि आप अपने काम से खुश हैं या नहीं हैं?
अब सवाल ये उठता है कि आप खुश कैसे रह सकते हैं? इस सवाल का जवाब आपकी उँगलियों में हो सकता है. लेकिन इसका जवाब डिपेंड करता है कि आपके सपने और वैल्यूज कैसे हैं?
इन सवालों के जवाब के लिए आपको खुद को ओब्सर्व करना होगा. नोटिस करने की कोशिश करिए कि ऐसी क्या चीज़ें हैं जिससे आप खुश होते हैं? उस समय के बारे में सोचने की कोशिश करिए जब आप काफी ज्यादा खुश रहे होंगे. इसके लिए आप उन लोगों को भी याद कर सकते हैं. जिनके साथ आप काफी ज्यादा खुश रहा करते थे.
एक बार जब आपको पता चल जाए कि आपको क्या करना है? इसके बाद रियलिटी चेक का टाइम आ जाता है. आपको पता ही होगा कि कई सपने ऐसे होते हैं. जिनकी वजह से आप रियलिटी से दूर चले जाते हैं. इसलिए ही उन्हें ड्रीम कहा जाता है. उदाहरण के लिए अगर आपका सपना टेनिस खिलाड़ी बनने का है और आपको एक्सरसाइज करने से नफरत है. तो फिर आपका ड्रीम बस छलावा ही है. वो बस एक फैंटेसी है और कुछ भी नहीं है. अचीव करने वाले ड्रीम क्या होते हैं? वो आपकी काबिलियत से मैच करते हैं. उनके लिए आपको मेहनत करनी पड़ती है. जब आपको पता चल जाए कि आपका ड्रीम रियलिटी में कन्वर्ट हो सकता है. तब भी आपको खुद से एक सवाल करना चाहिए कि आप उस ड्रीम को क्यों पूरा करना चाहते हैं? ये सवाल बहुत ज़रूरी है. इस सवाल के जवाब के समय आपको पता चलेगा कि क्या आप किसी भी चीज़ को सच में पाना चाहते हैं. या फिर उसके पीछे कोई हिडेन एजेंडा हैं.उदाहरण के लिए अगर आप पी.एच.डी करना चाहते हैं. तो क्या आपको पढ़ाई से लगाव है? या फिर आप लोगों को इम्प्रेस करने के लिए ऐसा करना चाहते हैं.
लोगों को इम्प्रेस करने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन ये कोई मज़बूत मोटिवेशन भी नहीं है. जिसकी वजह से आप किसी भी गोल की तरफ बढ़ेंगे. अगर आप किसी भी गोल को बस किसी को इम्प्रेस करने के लिए अचीव करेंगे. तो फिर आप बहुत लंबे समय तक के लिए खुश नहीं रह सकते हैं. इसलिए आपको अपने पैशन की तलाश में जुट जाना चाहिए. पैशन ही वो चीज़ है जो आपको लंबे समय तक के लिए खुश कर सकती है.
पर्सनल ग्रोथ अपने आप नहीं हो सकती है
आपका शरीर खुद ब खुद बढ़ सकता है. लेकिन पर्सनल, इमोशनल, अध्यात्मिक ग्रोथ अलग चीज़ है. ये अपने आप नहीं होती हैं. जिस तरह पेड़ों को बढ़ने के लिए सन लाइट की ज़रूरत होती है. उसी तरह पर्सनल ग्रोथ के लिए इंटेंशन की ज़रूरत पड़ती है. आपको बहुत ध्यान से ये सोचने की ज़रूरत होती है कि आप क्या चाहते हैं? उसके लिए आपको किस दिशा में बढ़ना है? इसी के साथ उसे पाने के लिए आप कौन से स्टेप उठा रहे हैं?
लेकिन अच्छी इंटेंशन बस से कुछ नहीं होता है. उसके लिए आपको एफर्ट्स भी करने होते हैं. पूरा खेल ही सही दिशा में एक्शन का है. यहीं पर अधिकत्तर लोग मात खा जाते हैं. वो सही टाइम का इंतज़ार करते रहते हैं. वो सोचते हैं कि जब उनके पास साधन होंगे तब वो अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने की शुरुआत करेंगे. आपको पता होना चाहिए कि ये अप्रोच बिल्कुल ही गलत है.
ऐसा हो सकता है कि अभी शुरुआत करने के बाद आप बहुत गलतियाँ भी कर दें. लेकिन अच्छे भविष्य के लिए वो गलतियाँ भी ज़रूरी है. इसलिए शुरुआत करनी बहुत ज़रूरी है.
सक्सेसफुल बनने के लिए मदद भी मांगनी पड़ सकती है, ये भी एक तरह का आर्ट है।
आप क्या चाहते हैं? ये जानने का मतलब ये नहीं है कि आपको उसे पाने की राह भी पता है. ये दोनों पहलू बिल्कुल अलग-अलग हैं. आपको खुद का एक घर बनाना है. ये जानना अच्छी बात है. लेकिन उसे बनाने के लिए आपके पास स्ट्रेटजी के साथ प्लान भी तो होना चाहिए. जब आपको पता चल जाए कि आप क्या चाहते हैं? उसके बाद पता करिए कि उस मंज़िल तक कैसे पहुंचा जा सकता है? उस राह का पता करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आपको पता होना चाहिए कि मदद कैसे मांगी जाती है. आप जिस राह में चलने वाले हैं. वहां पहले भी कई लोगों ने स्ट्रगल किया होगा. उनसे आप सलाह ले सकते हैं.
आपको पता होना चाहिए कि दूसरों की गलतियों से सीखना बेहतर होता है. इससे आप खुद वो गलती करने से बच सकते हैं. मदद मांगने की कला में सबसे ज़रूरी बात ये है कि आपको पता होना चाहिए कि आप सलाह किसकी ले रहे हैं? क्या वो भी आपकी ही तरह पैशनेट था. इसलिए अपने आस-पास के लोगों से सतर्क रहकर चलना चाहिए. सेम फील्ड के लोगों के साथ रहने की कोशिश करिएगा. आपके आस-पास के लोग ही आपको ऊपर भी उठा सकते हैं और नीचे भी गिरा सकते हैं. इसलिए ऐसे लोगों की तलाश करिए, जिनके अंदर सफलता के लिए जुनून रहा हो. ऐसे लोग आपकी काफी ज्यादा मदद कर सकते हैं.
इसके बाद ऐसे लोगों से मिलने की कोशिश करिए जो वो मुकाम हासिल कर चुके हैं. जो आप हासिल करना चाहते हैं. ऐसे लोग आपके लिए प्रेरणा बन सकते हैं. अगर ऐसे लोग ना मिल पाएं तो फिर उनके बारे में जानकारी इकठ्ठा करने की कोशिश करिएगा. उनके बारे में जितना पढ़ सकें उतना पढ़ने की कोशिश करिएगा. इस प्रोसेस से आपको पता चलेगा कि लाइफ में सभी स्ट्रगल को पार करते हुए सफलता हासिल की जा सकती है.
आपको खुद के लिए खुद ही चियरलीडर बनना पड़ेगा
जब दूसरे आपकी मदद करेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा. लेकिन आपको ये याद रखना चाहिए कि अंत में आपके पास बस आप ही रहेंगे. इसलिए आपको बस आप ही मोटिवेट कर सकते हैं. इसी के साथ खुद का क्रिटिक भी बनिएगा. खुद का आंकलन करना बहुत ज़रूरी होता है. खुद का आंकलन करना और खुद के प्रति ईमानदार रहना इतना आसान भी नहीं होता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके अंदर आत्म विश्वास की कमी होती है. इसके पीछे का रीज़न उनकी पास्ट कहानियों में छिपा हुआ होता है. लेकिन ऐसे लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि खुद के ऊपर विश्वास किया जा सकता है. जिस दिन आप खुद के ऊपर विश्वास करने लगेंगे. उस दिन आप अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए कदम भी बढ़ा देंगे. सबसे पहले आप खुद को बेहतर से समझने की कोशिश करिए. खुद से पूछिए कि क्या आप खुद के टीचर बन सकते हैं? क्या आप ईमानदारी से खुद का आंकलन कर सकते हैं? इसका जवाब देते समय भी ईमानदार रहिएगा. इसके लिए आपको खुद के साथ काफी ज्यादा टाइम बिताने की कोशिश करनी चाहिए.
जब आप खुद की बिलीफ को समझने लगेंगे तो फिर आप बदलने के लिए भी तैयार हो जाएंगे. इसके बाद दूसरे स्टेप की बारी आती है. अब आपको चेंज की शुरुआत कर देनी है. खुद को बताना है कि आप से मिस्टेक्स हो रही हैं. आपको अपनी अप्रोच को बदलने की ज़रूरत है. तीसरे स्टेप में खुद को दूसरों के साथ कम्पेयर करिए. आपकी जर्नी आपकी ही है. लेकिन इस तरह से आपको पता चलेगा कि क्या आप गोल की तरफ सही स्पीड से जा रहे हैं? अपनी लाइफ की पेंटिंग को आपको खुद ही बनाना है. इसलिए आपको सजग रहने की भी ज़रूरत है. फोर्थ और फाइनल स्टेप ये है कि सब कुछ समझने के बाद अपनी स्किल के ऊपर काम करने की शुरुआत कर दीजिए. आपकी स्किल ही आपको बेहतर प्रोफेशनल बनाएगी. इसलिए याद रखिए कि खुद का चियरलीडर आपको खुद ही बनना है. चुनौतियों का सामना करिए और धैर्य के साथ अपनी काबिलियत को बढ़ाते जाइए। अगर आप फिल्मों और टीवी की दुनिया में रहते हैं. तब आप ये सोच सकते हैं कि बदलाव और ग्रोथ तो काफी ड्रामा के साथ होते हैं.
फिल्मों में आपको बदलाव या ग्रोथ काफी ड्रामा के साथ देखने को मिलते होंगे. भले ही आप हॉलीवुड मूवी देखें या फिर बॉलीवुड मूवी, दोनों में सिचुएशन एक ही तरह से दिखाई जाती हैं.
फिल्मों में ये दिखाया जाता है कि एक औरत का रियल लव का एहसास हुआ तो फिर वो अपने प्यार का पीछा करते हुए एयरपोर्ट पहुंच गई. बात बस यहीं खत्म नहीं होती है. उस एयरपोर्ट में वो लड़की 500 लोगों के सामने अपने प्यार को प्रपोज़ भी कर देती है.
लेकिन आपको ये पता होना चाहिए कि ड्रामा के साथ बदलाव या ग्रोथ बस मूवीज में ही दिखाया जाता है. असल जिंदगी में ऐसा हो सकता है कि उस प्रपोजल के पहले पता कितनी बोरिंग डेट्स में जाना पड़ेगा. ये सब मूवीज में नहीं दिखाया जा सकता है. इसलिए लेखक बताते हैं कि रियल लाइफ में ग्रोथ काफी स्लो और ऊबाऊ होती हैं. इसलिए आपके अंदर सबसे पहले भर-भरकर पेशंस होना चाहिए. अपने एम्बीशन तक पहुँचने के लिए आपको हर रोज़ छोटे-छोटे कदम उठाने पड़ेंगे. ये छोटे-छोटे कदम बड़ी ईमारत की नींव का काम करेंगे. इसलिए कभी भी हर रोज़ प्रयास करने से पीछे मत हटियेगा. कई बार तो ऐसा होगा कि लगातार मेहनत के बाद भी आपको रिज़ल्ट नज़र नहीं आएगा. उस समय आपको धैर्य रखना है. पेशंस की ही मदद से आप अपनी जर्नी को सफल होते हुए देख पाएंगे. लर्निंग की प्रोसेस को हमेशा याद रखना चाहिए. आप जैसे-जैसे बढ़ते जाएंगे, वैसे-वैसे ही आपको सीखते जाना है. इसके लिए मज़बूत माइंड सेट की ज़रूरत होती है. इसलिए हर समय आपको बस रिज़ल्ट के बारे में ही नहीं सोचना है. आपको ये सोचना है कि आज आपने क्या-क्या नया सीखा है. इसके लिए आप सक्सेसफुल लोगों की बायोग्राफी भी पढ़ सकते हैं. उसे पढ़कर आपको पता चलेगा कि सक्सेस के पीछे लर्निंग का कितना बड़ा योगदान होता है? दिमाग में विजन और गोल को रखकर आगे बढ़ते रहिएगा. इससे आप ज्यादातर समय मोटिवेट रह पाएंगे. याद रखिएगा कि प्रोग्रेस स्लो ही होती है. इससे भले ही आपको ड्रामा ना मिले लेकिन सुकून हर रोज़ मिलेगा.
गोल को अचीव करने के लिए आपके पास स्ट्रेटजी होनी बहुत ज़रूरी है
हार्ड वर्क बहुत अच्छी चीज़ है. लेकिन ये सब कुछ नहीं है. अगर आपको किताब पढ़ने की आदत होगी. तो आपने कई ऐसे लोगों के बारे में भी पढ़ा ही होगा. जिनको बहुत मेहनत के बाद भी विफलता ही मिली थी. इसलिए सिर्फ जानवरों की तरह मेहनत करने से भी बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है. गोल को अचीव करने के लिए आपके पास सही स्ट्रेटजी होनी बहुत ज़रूरी है. आपको किसी भी डेस्टिनेशन में पहुँचने के लिए उसके रास्ते का पता होना बहुत ज़रूरी है. सक्सेसफुल बनने के लिए हमें अपने गोल की तरफ प्रॉपर स्ट्रेटजी के साथ बढ़ना चाहिए. सिस्टेमेटिक काम से आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं. ऐसा करने के लिए हमें बिज़ी स्केड्यूल से कुछ समय निकालना चाहिए. हमें सोचना चाहिए, हमें ये फैसला करना चाहिए कि गोल तक पहुँचने के लिए हम कैसी स्ट्रेटजी बना सकते हैं?
एग्जाम्पल के तौर पर आप लेखक के स्केड्यूल को भी समझ सकते हैं. वो बताते हैं कि हर साल के अंत में वो पिछले 365 दिनों का आंकलन करते हैं. वो ये देखते हैं कि कहीं उन्होंने इस साल को बर्बाद तो नहीं कर दिया है. इसी के साथ वो ये भी आंकलन करते हैं कि क्या उन्होंने परिवार और दोस्तों के लिए समय निकाला था?
उन्हें पता है कि परिवार और दोस्त ही आपको असली ख़ुशी दे सकते हैं. इसलिए आपको इन दोनों पहलुओं का बहुत ख्याल रखना चाहिए.
इससे आपका मानसिक स्वास्थ भी बेहतर रहेगा. सक्सेसफुल होने के लिए आपको साल के हर दिन के हिसाब की ज़रूरत नहीं होती है. आपको बस अपने स्टेप्स का आंकलन करना चाहिए. इसलिए गौर करते रहिए कि क्या आप ड्रीम्स की तरफ सही रफ्तार से बढ़ रहे हैं.
सपनों की तरफ बढ़ते समय कई कठिनाइयों का सामना करना होगा, उनसे डरना नहीं है। हम सबको पता है कि लाइफ में उतार-चढ़ाव लगा रहता है. लेकिन फिर भी लोग उतार का सामना करने के लिए तैयार नहीं रहते हैं.
लोग हमेशा सिर्फ और सिर्फ सक्सेस ही चाहते हैं. उन्हें विफलताओं से डर लगता है. हमें पता होना चाहिए कि पेन फुल एक्सपीरियंस से हमें आगे बढ़ने में काफी मदद भी मिल सकती है. ऑथर जब 51 साल के थे. तब उन्हें हर्ट अटैक का सामना करना पड़ा था.
ये उनकी लाइफ का काफी खराब समय था. लेकिन इसी बिमारी की वजह से उनके अंदर एक्सरसाइज करने की हैबिट का जन्म भी हो गया था. अब वो अपनी सेहत का पहले से ज्यादा ध्यान रखने लगे थे. ऑथर के अंदर रियल चेंज हर्ट अटैक की वजह से नहीं आया था. बल्कि वो इसलिए आया था कि उन्होंने उस सिचुएशन से डील कैसे किया था? तब उन्हें पता चल गया था कि लाइफ से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है. हार्ट अटैक के बाद वो समय को दोष देते हुए ये भी सोच सकते थे कि अब जितना समय बचा है. उसको एन्जॉय किया जाए. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था. उन्होंने सिचुएशन से सही से डील करने का फैसला किया था. हम आने वाली सिचुएशन या पेन के ऊपर कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. लेकिन हम उसके साथ डील कैसे करने वाले हैं? इसके ऊपर हम कंट्रोल कर सकते हैं. इसी को सेल्फ कंट्रोल भी कहा जाता है. लाइफ में सक्सेसफुल होने के लिए सेल्फ कंट्रोल का होना बहुत ज़रूरी होता है. इस एक स्किल को आपको खुद की पर्सनालिटी में एड ऑन करना ही चाहिए. इस एक स्किल की मदद से आप लाइफ में काफी आगे तक जा सकते हैं. भले ही हमारा बुरा समय चल रहा हो,फिर भी हमें विक्टिम बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. बल्कि हमें खुद से कुछ सवाल करना चाहिए. हमें खुद से पूछना चाहिए कि इस मुश्किल से अब तक मैंने क्या सीखा है? पहले मुझसे कौन सी गलती हुई थी? मैं खुद को और ज्यादा मज़बूत कैसे बना सकता हूँ?
इन सवालों के जवाब से आपके अंदर एक अलग नज़रिए का जन्म होगा. जिसकी मदद से आप किसी भी सिचुएशन को बेहतर ढ़ंग से हैंडल कर लेंगे. इसलिए लाइफ में हमेशा खुद से सवाल करते रहिएगा.
फोकस के महत्व को समझना बहुत ज़रूरी है, इसकी मदद से आप कैरेक्टर डेवलप कर सकते हैं
मान लीजिए कि आपका सपना है कि आप एक अच्छे बिजनेस की शुरुआत करें. इसके लिए ज़रूरी है कि आपके पास फंड्स होने चाहिए. आपको भी ये मालुम है. इसलिए आप फंड की अरेंजमेंट में लगे हुए हैं. इस समय आपके दिमाग में पर्सनल डेवलपमेंट की बात आ ही नहीं रही होगी. अगर किसी के दिमाग में आ भी रही होगी तो उसकी वैल्यू सबसे कम होगी. लेकिन क्या आपको पता है कि पर्सनल डेवलपमेंट में कैरेक्टर भी आता है. इसमें एथिक्स, ईमानदारी, मेहनत, लगन सभी पहलू शामिल होते हैं. अब आप सोचिए कि अगर आप अपनी पर्सनालिटी को डेवलप नहीं करेंगे. तो फिर ये सब क्वालिटी भी आपके अंदर नहीं आएगी. फिर कोई ऐसे इंसान के बिजनेस में क्यों ही पैसा लगाना चाहेगा? अगर किसी ने पैसा लगा भी दिया तो जैसे ही उसे पता चलेगा कि आपके अंदर बिजनेस एथिक्स ही नहीं है. वो अपने फैसले को बदल देगा. अगर आप सोचते हैं कि कैरिक्टर तो आपको जन्म से ही मिलता है. तो फिर आपको बता दें कि आपको आधी ही सच्चाई मालुम है. आपको पता होना चाहिए कि रियल कैरेक्टर को लगातार डेवलप किया जाता है. इसलिए आपको खुद से अंदरूनी बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए. इसी से आपके कैरक्टर का सही मायनों में जन्म होगा. आपके कपड़े और फोन आपको बाहर से बदलते हैं. ये परमानेंट नहीं है. आपको अपनी रूह से पूछना पड़ेगा कि क्या उसे बदलाव की ज़रूरत है. इसलिए कहा जाता है कि आपको अपने कैरेक्टर को हमेशा डेवलप करने की कोशिश करते रहना चाहिए.
इनर लाइफ को बदलने के लिए आप प्रोफेशनल की मदद भी ले सकते हैं. इसके अलावा आप ट्रेवलिंग का सहारा भी ले सकते हैं. म्यूजिक से भी आपकी इनर लाइफ बेहतर हो सकती है. मेडीटेशन और योग भी आपकी काफी मदद कर सकते हैं. इन सब तकनीकों से आप खुद की आत्मा को बेहतर बना सकते हैं. आसानी से कहा जाए तो आपको बेहतर इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए. सक्सेसफुल होने के लिए ये क्वालिटी भी बहुत ज़रूरी होती है. इस खूबी के बगैर आपको सफलता मिलना मुश्किल है. इसलिए इसके पहले के चैप्टर में भी कहा गया था कि आपको खुद के अलावा भी दूसरों की मदद भी करनी चाहिए. रियल कैरेक्टर डेवलप करने के लिए फीडबैक लेते रहना चाहिए. नेगेटिव फीडबैक का इस्तेमाल भी खुद के अंदर बदलाव लाने के लिए करना चाहिए.
जीतने के लिए हार को स्वीकार करना आना ही चाहिए।
हम सबको मालुम है कि टाइम और रिसोर्स सीमित हैं. इसलिए हाँ के साथ-साथ ना की उपयोगिता भी बहुत ज्यादा है. लाइफ में हर चीज़ को ‘हाँ’ नहीं कह सकते हैं. इसलिए आपको जीत का इंतज़ार तो होना चाहिए लेकिन हार से भी दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. अगर कभी हार का सामना करना पड़ जाए. तो उसे भी स्वीकार करिए और आगे का सफर जारी रखिए. ऑथर ने अपनी लाइफ में 7 बार करियर में बड़े बदलाव किए हैं. उनमे से 5 बार उन्हें पैसों का लॉस हुआ है. मतलब उन्होंने आगे का सफर कम पैसों में तय किया था. लेकिन उन्हें मालुम था कि पैसों के बदले उन्हें अवसर बहुत ज्यादा मिलने वाले हैं. उन्हें पता था कि उन अवसरों की वजह से ही उनके रियल कैरेक्टर का निर्माण होगा. उन्हें ये भी पता था कि कैरेक्टर की वैल्यू किसी भी पैसों से ज्यादा है.
अगर उस समय वो उन घाटों को एक्सेप्ट नहीं किए होते तो वो आज इस मुकाम में नहीं पहुंचे होते. इसलिए हार को स्वीकार करना बहुत ज़रूरी होता है. इससे आपको आगे के समय में कई अवसर मिल सकते हैं. इसलिए फैसलों को बड़ी समझदारी से लेना चाहिए. आपके आज के फैसले ही तय करेंगे कि आपका फ्यूचर कैसा होने वाला है? इसलिए फैसलों के केंद्र में बस पैसा ही नहीं होना चाहिए. ऑथर के फैसलों से आपको समझ में आया होगा कि उन्होंने अवसर को पैसों से ऊपर रखा था. उन्होंने अपनी प्रोफेशनल जर्नी को कभी भी सिर्फ पैसों से नहीं तौला था. लेखक कहते हैं कि अगर आप सही मौके को पकड़ लिए, तो फिर उसी के दम में आगे बहुत पैसे भी कमा सकते हैं. इसलिए मौकों की तलाश करते रहिए, जिनकी मदद से आप अलग-अलग स्किल को सीख सकें और आगे बढ़ सकें. अपनी प्रोफेशनल जर्नी के दौरान आपको अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते रहना है. इससे आपकी मेंटल हेल्थ अच्छी रहेगी. लाइफ को पूरी तरह से जीने के लिए मेंटल हेल्थ का अच्छा होना बहुत ही ज़रूरी है. इसलिए लेखक कहते हैं कि कभी भी अपने परिवार को नज़र अंदाज़ करते हुए कोई भी प्रोफेशनल फैसला मत करिएगा. लाइफ में कोई साथ दे या ना दे, परिवार हमेशा ही आपके साथ खड़ा रहता है. इसलिए उनका ख्याल रखना भी आपकी ज़िम्मेदारी है. परिवार के साथ अवसर और मौकों को भी कभी मत नज़र अंदाज़ करिएगा. लाइफ को सक्सेसफुल बनाने में मौकों का बहुत बड़ा योगदान होता है.
रियल ग्रोथ के लिए दूसरों की लाइफ को भी बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए
आप भी कई बार सुने होंगे कि कोई भी इंसान आइलैंड नहीं है. ये सही भी है क्योंकि इंसान की जिंदगी लोग और समूह के बीच में बीतती है. चाहे वो आपके दोस्त हों, परिवार हो या प्रोफेशनल लाइफ हो, हर समय आप लोगों के बीच में ही रहते हैं. इसलिए ही इंसान को सामाजिक प्राणी भी कहा जाता है. आपको बता दें कि लोगों के बीच में रहते हुए आपका रियल कैरेक्टर भी डेवलप हो सकता है.
हमें लाइफ में बस खुद ही मदद नहीं लेते रहना चाहिए. हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि हम दूसरों की लाइफ में भी वैल्यू एड कर सकें. अगर आप दूसरे की मदद करते हैं. तो फिर आपको पता होगा कि उससे काफी ख़ुशी भी मिलती है. दूसरों की हेल्प करने से हमारा रियल कैरेक्टर भी डेवलप होता रहता है. याद रखिएगा कि रियल कैरेक्टर रियल इंसानों के बीच में ही डेवलप होता है. इसलिए खुद को डेवलप करते रहिए और दूसरों की मदद भी करते रहिए. इस प्रोसेस को करते-करते आपको पता ही नहीं चलेगा कि कब आप बेहतर से बेहतर इंसान बनते चले जाएंगे. इसकी शुरुआत कैसे की जाए?
इसके लिए आप खुद से सवाल कर सकते हैं कि आप क्या चाहते हैं कि लोग आपके साथ करें? लोग आपकी कैसे मदद करें तो आपको अच्छा लगेगा? उसी तरह आपको दूसरों के साथ भी करते रहना है.
इसकी शुरुआत आप अपने घर से ही कर सकते हैं. जैसा ट्रीटमेंट आप अपनी बीवी से चाहते हैं. वैसा ही उन्हें ट्रीट करने की शुरुआत कर दीजिए. आप ओब्सर्व करेंगे कि घर का माहौल बेहतर होने से आपकी लाइफ में काफी अच्छे चेंज देखने को मिलेंगे.
जैसा आपके घर का माहौल होगा, वैसा ही माहौल आपके दिमाग का भी होगा. ठीक वैसा ही कुछ माहौल आपके काम का भी होगा. इसलिए सबसे पहले अपने घर के माहौल को बेहतर करने की कोशिश करिएगा. अगर आप लीडर हैं तो आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आप कर्मचारियों के लिए बेहतर वर्किंग माहौल बना सकें. आपकी इस क्वालिटी से दूसरे लोग सीख पाएंगे. जिससे उनकी लाइफ में भी वैल्यू एड होगी. हमको पर्सनल ग्रोथ को भी पैसों की तरह ही समझना चाहिए. जिसको कमाने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए. पर्सनल डेवलपमेंट खुद से ही नहीं मिल जाएगी. इसके लिए आपको काफी मेहनत करने की ज़रूरत होती है. रियल पर्सनल ग्रोथ और पैसों में अंतर ये है कि इसे आपको पैसों की तरह बचाने की ज़रूरत नहीं है. इसे आप वर्ल्ड के लोगों के साथ शेयर करते रहिए. जितना आप लोगों के साथ शेयर करेंगे उतनी ही ये बढ़ती जाएगी. आपकी हमेशा एक ही कोशिश रहनी चाहिए कि आप दूसरों की लाइफ में वैल्यू एड कर सकें. दूसरों की लाइफ को बेहतर करने से ही आपकी लाइफ भी बेहतर होगी. इसलिए समझ लीजिए कि शेयरिंग करने से ही पर्सनालिटी डेवलप हो सकती है.
आपको याद रखना है कि पर्सनल ग्रोथ से आपकी लाइफ बदल सकती है. आप बहुत ज्यादा सक्सेसफुल हो सकते हैं.
कुल मिलाकर
लाइफ में ऐसी कई सिचुएशन आती हैं. जो कि हमारी कंट्रोल से बाहर होती है. लेकिन पर्सनल ग्रोथ हमेशा आपके कंट्रोल में ही रहती है. इसलिए इसको अचीव करने के लिए एफर्ट्स लगाते रहिएगा.
क्या करें?
हमेशा खुद को चैलेंज करते रहिएगा, कुछ ना कुछ नया सीखते रहना चाहिए. एक्सरसाइज के ऊपर ध्यान देना भी बहुत ज़रूरी होता है. नई-नई स्किल भी आपकी पर्सनल ग्रोथ को स्पीड प्रोवाइड कर सकती हैं. इसलिए कभी भी कुछ भी नया सीखने को मिले तो पीछे नहीं हटियेगा.
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