Super Attractor

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Super Attractoro

Gabrielle Bernstein
अपने सबसे बड़े सपनों से परे एक जीवन को सही तरीके से जीने का फार्मूला

दो लफ्जों में
साल 2019 में रिलीज हुई किताब ‘Super Attractor’ स्पिरिचुअल गाइड की तरह है. भले ही आपने इस जिंदगी को काफी देख लिया हो, या फिर आप नौ-जवान हो. इस किताब को पढ़ने के बाद आपको अध्यात्मिक शांति ज़रूर मिलेगी. इसी के साथ आपको पता चलेगा कि जिंदगी को अंदर से खुश रहकर कैसे जिया जा सकता है? साथ ही साथ जिंदगी में डर को भगाकर खुल कर जीने का तरीका भी आपको इस किताब के अध्यायों को पढ़कर पता चल जायेगा. 

ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसे लोग जिन्हें अपनी जिंदगी में सच की तलाश है 
- ऐसे लोग जिन्हें स्पिरिचुअली मज़बूत होना हो 
- ऐसे लोग जिन्हें ख़ुशी के साथ अपने गोल्स तक पहुंचना है 

लेखक के बारे में
इस किताब की लेखक ‘Gabrielle Bernstein’ हैं. लेखक राइटिंग के साथ ही साथ मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं. राइटिंग और पब्लिक स्पीकिंग का लेखक को एक दशक से भी ज्यादा का अनुभव हो चुका है. इसी के साथ लेखक ने बेस्ट सेलिंग नॉवेल ‘The Universe Has Your Back’ और ‘Miracles Now’ जैसी किताबों का भी लेखन किया है.

आपके हर विचार का कोई ना कोई मैसेज होता है जो कि यूनिवर्स को जाता है
अगर आपसे आपकी जिंदगी के बारे में सवाल किया जाए तो आपका भी जवाब होगा कि जिंदगी खुद ही संभल और बिगड़ भी जाती है. इस किताब की लेखक का मानना है कि कोई ना कोई सुप्रीम पॉवर है जो इस दुनिया को कंट्रोल करता है. अपने इन्ही विचारों के साथ लेखक ने पिछले 10 सालों में कई लोगों की मदद भी की है. उन्हें बताया है कि कैसे वो अपनी जिंदगी के गोल्स को पा सकते हैं. गोल्स को पाने के लिए उन्हें अपने सपनों से भी समझौता नहीं करना पड़ेगा. 

इस किताब में लेखक ने बताया है कि कैसे आप सुपर अट्रैक्टर पॉवर को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं. एक बार जब आप ऐसा कर लेंगे. तब आपको जिंदगी में असली ख़ुशी का मतलब समझ में आएगा. ऐसा करने के बाद ही आप अपनी जिंदगी को पूरी तरह से जी सकते हैं. तब आपके सभी सपने भी पूरे होंगे.  

क्या कुछ दिक्कतें आपके सामने भी हैं. जैसे कि क्या आप थकान में रहते हैं? क्या आप अनमोटिवेटेड रहते हैं? क्या आपको भी अपने भविष्य की चिंता रहती है? अगर ये सब आपके साथ भी हो रहा है. तो फिर इस किताब की लेखक के हिसाब से ये सब सामान्य बात ही है. लेखक के अनुसार आपके आस पास जो सबसे सफल आदमी होगा. यहाँ तक कि लाइफ कोच और सेलेब्रिटी भी अपनी जिंदगी में कई दफा ऐसा ही महसूस करते हैं. बस फर्क यहाँ आता है कि आपको समझना पड़ेगा कि इस तरह की सिचुएशन परमानेंट नहीं है. ये सब टेम्परेरी है. इस सिचुएशन को आप खत्म तब कर देंगे जब आप खुद का रिश्ता यूनिवर्स के साथ कायम कर लेंगे.

अब यहाँ एक सामान्य सा सवाल है जो आपके दिमाग में आ रहा होगा कि आखिर हम यूनिवर्स के साथ रिश्ता कायम कैसे करें? इसकी शुरुआत तभी हो जाती है. जब आप सबसे पहले अपने दिमाग की शक्ति को पहचानने की कोशिश करेंगे. क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट का मानना है कि ऐसी कोई सोच नहीं होती है. जिसे हम आइडल सोच कह सकें. जैसा भी थॉट हमारे दिमाग में आता है. हर थॉट्स के पास एक खुद की एनर्जी होती है. यही एनर्जी से एक मैसेज यूनिवर्स के पास भी जाता है. यूनिवर्स उस एनर्जी को रिवर्ट भी करता है. उसी को कई लोग कर्म-फल के नाम से जानते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि हमेशा पॉजिटिव थॉट्स के आस-पास रहना चाहिए. अगर आप लगातार नेगेटिव थॉट्स के आस-पास रहने लगेंगे तो फिर आपको महसूस भी होगा कि आपके चारों तरफ काफी ज्यादा नेगेटिव एनर्जी आ चुकी है. इसके पीछे का रीजन यही है कि जैसी एनर्जी हम यूनिवर्स को देंगे. यूनिवर्स भी हमें वैसी ही एनर्जी देगा. 

उदाहरण के लिए, जब बर्नस्टीन ने अपनी पिछली किताब, जजमेंट डेटॉक्स लॉन्च की, तो उसने खुद को पूरी तरह उदास पाया. उसे अपने काम से उदासी थी. वह सोचती रहीं, "अगर मैं ऐसा नहीं करती, तो कोई और नहीं करता." यह नेगेटिव सोच आखिरकार सच हो गई. बर्नस्टीन की लाइफ में सब गलत ही गलत होने लगा. उनका काम में मन लगना भी बंद हो गया था. वो किसी से भी बात नहीं करती थीं. इस नेगेटिव एनर्जी की साइकिल तब टूटी जब उन्होंने खुद को यूनिवर्स से कनेक्ट किया और खुद के अंदर पॉजिटिव थॉट्स लेकर आईं. उसके बाद सबकुछ पहले जैसा सही और अच्छा होने लगा था. 

लेखक बताती हैं कि अपनी एनर्जी को बदलकर अपनी आत्मा को बेहतर करना कोई मुश्किल काम नहीं है. हमारी सोच ने उसे मुश्किल बना दिया है. हमे याद रखना चाहिए कि अगर आप अपनी रात को बदल देंगे तो फिर आपकी सुबह अपने आप ही बदल जायेगी. इसलिए नेगेटिव थॉट्स को आज ही उखाड़कर बाहर फेकने की कोशिश में लग जाइए. ये काम जितनी जल्दी आप कर देंगे आपकी सुबह भी उतनी ही जल्दी आपको नज़र आ जाएगी. इस किताब को पढ़ने के साथ ही साथ आपने एक पॉजिटिव मैसेज यूनिवर्स को भेज दिया है. वो मैसेज ये है कि आप अब बदलना चाहते हैं.  आपको अपनी जिंदगी को नई उचाइयां देना है. इस मैथड को दोहराने के लिए आपको पॉजिटिव रहने की आदत डालनी पड़ेगी. 

इसके लिए लेखक कुछ तरीके भी बताना चाहती हैं.

सबसे पहले अपने थॉट्स के पीछे की फीलिंग को पहचानने की कोशिश करिए. खुद से सवाल करिए कि आप अभी क्या चाहते हैं? क्या आप चिंता में हैं? क्या आप डरे हुए हैं? अपने इमोशन को समझने की कोशिश करिए. फिर नोट डाउन करिए कि कैसी एनर्जी आप यूनिवर्स को दे रहे हैं? 

इसके बाद अपने थॉट्स को माफ़ करना सीखिए. भले ही आपको नेगेटिव थॉट आ रहे हैं लेकिन उन्हें माफ़ करिए. नेगेटिव थॉट आपको सिखाते हैं कि आपकी जिंदगी में दिक्कत क्या है? अगर आपको पैसों की टेंशन है. तो इसका मतलब साफ़ है कि आपकी फाइनेंशियल स्थिति सही नहीं है. 

इसके बाद यूनिवर्स से बोलिए कि वो आपको लाइफ में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे. इसी के साथ आप ये भी बोलिए कि यूनिवर्स आपको सही रास्ता दिखाए. आपके दिमाग में सही थॉट्स भेजे. सही थॉट्स से यहाँ मतलब पॉजिटिव रहने से है. 

इस मेथड का उपयोग करके आप अपनी एनर्जी और यूनिवर्स का मिलन करवा सकते हैं. इतना समझ लीजिये कि सुप्रीम एनर्जी आपको कभी भी प्रॉब्लम को इग्नोर करना नहीं सिखाएगी. वो हमेशा ही आपको नए सोल्यूशन ढूंढना सिखाएगी.

सुपर अट्रैक्टर कैसे बनना है?
सुपर अट्रैक्टर बनने के लिए आपको ये समझना पड़ेगा कि हैप्पीनेस का कोई रीजन नहीं होता है. दिक्कत ये है कि हम लोगों को ये बता दिया गया है कि हैप्पीनेस एक रिवार्ड की तरह है. ये आपको तभी मिल सकती है. जब आपने कुछ अचीव किया हो. लेकिन सच इससे बिल्कुल अलग है. सच ये है कि हैप्पीनेस कोई रिवार्ड नहीं है. इस रिवार्ड सिस्टम के कारण ही हम लोगों में से कई लोग ये सोचने लगते हैं कि वो तो हैप्पीनेस डिजर्व ही नहीं करते हैं. लेकिन इससे  लेखक ये बताना चाहती हैं कि इस दुनिया में हर इंसान खुश होना डिजर्व करता है. यही कारण है कि पॉजिटिव फीलिंग के लिए लोगों को कई बार सैक्रिफाइस करना पड़ता है. लोग ये सोचने लगे हैं कि पॉजिटिव फीलिंग को पाना बहुत कठिन है. आपको ये पता होना चाहिए कि अच्छी चीज़ें बड़ी ही आसानी से आ जाती हैं. हमारे पास बस वो सिम्पल सी कला होनी चाहिए जिससे हम अच्छी चीजों को ग्रहण कर सकें. 

तो अब ये सवाल उठता है कि हम अच्छा महसूस करना कैसे शुरू करें? लेखक यहाँ बताना चाहती हैं कि अच्छा महसूस करना बहुत आसान है. ये उससे भी ज्यादा आसान है जितना ये नज़र आता है. इसके लिए बस अपने आपको यूनिवर्स की पॉजिटिव लव एनर्जी के सामने सौपना पड़ता है. 

एक मेथड है, जिसका नाम है ‘थिंक इट टू फील इट’. इस मेथड के लिए बस आपको फील करना होता है, आपको जो भी चाहिए जिससे आपको ख़ुशी मिले. बस आप उसे फील करिए. फील करते समय अपने इमोशन को भी साथ में रखने की कोशिश करियेगा. 

एग्जाम्पल के लिए अगर आपको सेफ फील करना है. तो फिर ऐसी मेमोरी को याद करने की कोशिश करिए. जिससे आपको शांति मिल रही  हो. 

इस बात को एक्सेप्ट करिए कि आपको कैसा फील करना अच्छा लगता है. खुद के इमोशन से शर्म मत करिए. इसी के साथ ही साथ ना ही खुद की बॉडी से शरमाइये. आपको पता होना चाहिए कि आपका मन और आपका शरीर आपसे क्या चाहता है? इस मन्त्र को कहीं नोट डाउन कर लीजिये. जब कभी भी आपके ऊपर नेगेटिव थॉट्स हावी हों. तब इस मन्त्र को याद करिये. 

हर दिन कोशिश करिए कि आप खुद के लिए समय निकाल सकें. खुद के समय में खुद से बात करने की कोशिश करिए. इसी के साथ ही साथ कुछ लिखने की भी कोशिश करिए. 

ये कदम जो आपको बताये गये हैं. अगर आप इन्हें प्रैक्टिस में लेकर आते हैं. तो आपको काफी ज्यादा फायदा होगा. साथ ही साथ आप इमोशनली मज़बूत भी हो जायेंगे. याद रखिये, सबसे ज़रूरी है कि आप खुद को अच्छा महसूस करने की परमीशन दे दीजिये. अगर आपकी ख़ुशी के बीच में कोई रोड़ा है तो वो आप खुद हैं. जैसे-जैसे एक-एक दिन बीतता जायेगा. आप खुद महसूस करने लगेंगे कि आप पॉजिटिव थिंकिंग के काफी नज़दीक आते जा रहे हैं.

इसी के साथ लेखक ये भी बता देना चाहते हैं कि चेंज तुरंत नहीं आएगा. लेकिन धीरे-धीरे यूनिवर्स आपके एक्शन का रिएक्शन देने लगेगा. जब यूनिवर्स तक आपके पॉजिटिव मैसेज पहुँचने लगेंगे तब आपकी जिंदगी में भी पॉजिटिव बदलाव आने लगेगा. 

अच्छा महसूस करने की प्रैक्टिस में जलन और कम्पटीशन जैसी बुरी आदतों को तोड़ने की ज़रुरत होती है. 

आगे हम सुपर अट्रैक्टर पावर में आने वाली इन मुश्किलों को दूर करने के कुछ तरीके जानेंगे. 

कई सालों से लेखक टैलेंटेड स्टूडेंट्स को लाइफ कोचिंग दे रही हैं. उनके सामने एक सवाल बार-बार आता है. ये सवाल उनसे स्टूडेंट्स ही पूछते हैं. वो सवाल है कि ‘आखिर मैं कौन हूँ ये सब करने के लिए?’

लेखक के अनुसार इस तरह का सवाल आने के पीछे मुख्य कारण डर होता है. बच्चों के अंदर डर होता है कि उनके पास स्किल्स की कमी है. उनको ये भी डर रहता है कि दूसरों के पास उनसे ज्यादा काबिलियत है. लेखक बताती हैं कि अगर आपके दिमाग में इस तरह का माइंड सेट गढ़ कर जाता है तो फिर आप अपने लक्ष्य तक कभी नहीं पहुँच सकते हैं. इससे बाहर आने के लिए आपको ये मानना पड़ेगा कि डर से आपकी प्रोग्रेस खत्म हो जायेगी. 

ये समझना चाहिए कि डर इंसान के अंदर कई रूप में आ सकता है. जब डर आता है तब आपके अंदर की एनर्जेटिक वाइब्रेशन भी कम हो जाती है. डर जलन की फीलिंग के रूप में भी आ सकता है. जब जलन आती है. तब आपको दूसरों की सक्सेस से दुःख होने लगता है. आपको ऐसा लगने लगता है जैसे दूसरे की सफलता से आपका लॉस हो रहा हो. इसलिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि दूसरे की सक्सेस से दुखी होने से बचा जाए. इस तरह की फीलिंग का जन्म तभी होता है जब आप दिमागी रूप से खुद को समझा लेते हैं कि अब मैं कुछ ज्यादा अचीव नहीं कर सकता हूँ. या फिर जब आपको लगने लग जाता है कि आपके अंदर अब ज्यदा स्किल नहीं बची है. जब खुद को लेकर आपके अंदर आत्म विश्वास खत्म होने लगता है. तब दूसरों की सफलता से जलन की भावना का आपके अंदर जन्म होता है.

अगली बार जब कभी आपको ऐसा लगे तो याद रखियेगा कि डर से आपकी एनर्जी खत्म हो जायेगी. इसी के साथ ये भी याद रखियेगा कि यूनिवर्स ने आपके लिए और दूसरों के लिए भी बेहतर प्लान्स बनाकर रखे हुए हैं. इसलिए यूनिवर्स के प्लान पर अडिग रहने की कोशिश करिए. याद रखिये कि जब सिचुएशन आपके हांथों में नहीं रहती है तब सिचुएशन को वो सुप्रीम एनर्जी हैंडल करती है. जब सुप्रीम एनर्जी आपकी सिचुएशन को हैंडल कर ही रही है तब आपको परेशान होने की कोई ज़रूरत है ही नहीं. इसलिए हमेशा स्ट्रगल के रास्ते पर चलने के लिए तैयार रहिये. जब तक आप स्ट्रगल के रास्ते पर चलते रहेंगे तब तक सफलता भी आपके कदम चूमती रहेगी.

ख़ुशी पाने के लिए आप अपनी इच्छा को लेकर प्रोटेक्टिव भी हो सकते हैं. कोशिश करिए कि अपने गोल्स को तब तक शेयर मत करिए जब तक आप श्योर ना हो जाएँ. एग्जाम्पल के लिए अगर आप प्यार के लिए कदम बढ़ा रहे हैं. तो कोशिश करिए कि जब तक आपकी रिलेशनशिप किसी मोड़ तक ना पहुँच जाए. तब तक उस बात को आप अपने दोस्तों के साथ शेयर मत करियेगा. ख़ासकर उन लोगों से शेयर बिल्कुल मत करियेगा जिनकी लव रिलेशनशिप खराब चल रही हो. 

यहाँ पर इस किताब की लेखक अपने ड्रीम्स को लेकर प्राइवेट रखने की सलाह दे रही हैं. कम से कम अपनी चीज़ों को तब तक प्राइवेट रखने की कोशिश करिए. जब तक मुमकिन हो सके. 

अगला कदम खुशियों की तरफ ये हो सकता है कि हमेशा अपने अंदर देने का एटीट्यूड लाने की कोशिश करिए. दूसरों की खुशियों में खुश होने की आदत डालिए. यूनिवर्स की तरफ पॉजिटिव रहने की कोशिश करिए. जिस तरह की एनर्जी आप यूनिवर्स को देंगे. आपकी जिंदगी में भी उसी तरह का रंग नजर आने लगेगा. 

ऊपर बताई गयीं तकनीक से आपका माइंड सेट डर से प्यार की तरफ शिफ्ट होने लगेगा. इससे आपको काफी ज्यादा फायदा भी नज़र आने लगेगा. आप खुद ओब्सर्व करेंगे कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ों से जिंदगी में बड़े-बड़े बदलाव हो जाते हैं.

पॉजिटिव रहिये और ख़ुशी की तलाश ज़ारी रखिये
यहाँ पर आपका खुद से एक सवाल करना बहुत ज़रूरी है. वो ये है कि क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपका दिन खराब शुरू हुआ हो और धीरे-धीरे वो और ज्यादा खराब हो गया हो? ऐसा हुआ है. तो फिर आपको समझना चाहिए कि नेगेटिव एनर्जी और ज्यादा नेगेटिव एनर्जी को अपनी तरफ खींचने का काम करती हैं.

लेकिन जो लोग सुपर अट्रैक्टर बनना चाहते हैं. उन्हें अपने इमोशनल एंगल पर कंट्रोल करना आना ही चाहिए. स्पिरिचुअल गुरु अब्राहम हिक कहते हैं कि इंसानी फीलिंग एक स्पेक्ट्रम के चारो तरफ घूमती है. उसे इमोशनल गाईडेंस स्केल कहा जाता है. इसमें लो वाइब्रेशन इमोशन भी होते हैं. साथ ही साथ इस स्केल में हाई वाइब्रेशन इमोशन भी होते हैं. अगर आप अभी लो साइड में हैं तो तुरंत हाई साइड में आना मुश्किल रहता है. लेकिन अगर आप रेगुलर प्रैक्टिस करें तो फिर लो इमोशन से हाई इमोशन यानी कि जॉय और आनंद की तरफ आ सकते हैं.   

किस तरह के पॉजिटिव अनुभव आपको ख़ुशी तक लेकर जा सकते हैं? इस सवाल के जवाब के लिए लेखक कई कहानी लेकर आए हैं. 

इन कहानियों में आपको स्टेट्स से लेकर प्यार और रिलेशनशिप से होकर गुजरना पड़ेगा. 

सबसे पहले ऐसा करिए कि खुदे से सवाल करना शुरू करिए, जब आप खुद से सवाल करने की शुरुआत कर देंगे तो साफ़ है कि आप पहला कदम ख़ुशी की तरफ बढ़ा देंगे,आप खुद को एक लेखक समझिये अपनी ज़िन्दगी की कहानी का, अब इस कहानी का आप कुछ भी कर सकते हैं, अपने अनुभव से सवाल करिए कि क्या आपको ये अनुभव ख़ुशी तक लेकर जाने वाला  हैं? जवाब आपके सामने आ जाएगा. 

एग्जाम्पल के लिए आप इस किताब के लेखक की जिन्दगी को ही देख सकते हैं, उन्होंने पहचाना की भारत की योग प्रणाली से उन्हें ख़ुशी मिलती है. इन्ही सब चीजों से उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में बदलाव लाने की शुरुआत की थी. 

किसी भी अच्छी कहानी के दो वर्जन होते हैं, पहला हीरो खुद एक कहानी हो, जैसा कि उस कहानी के बारे अमेरिकन लेखक कर्ट जूनियर बताते हैं कि उस कहानी में हीरो की जिन्दगी अच्छे से शुरू होती है फिर उसको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और आखिरी में सब सही हो जाता है. 

इसी कहानी का दूसरा वर्जन जोसेफ बताते हैं कि हीरो का सफर बिल्कुल आम जिन्दगी से शुरू होता है, फिर वो एक्शन में आता है और उसकी जिंदगी में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं. 

इस पूरी प्रक्रिया में ध्यान देने वाली बात ये है कि हीरो को बहुत कुछ सीखने को मिलता है और वो अपनी पूरी शख्सियत को बदलकर रख देता है, अंत में वो अपने आस-पास के माहौल को भी बदल देता है. 

अब अगर आप अपने आपको हीरो की जगह रखते हैं तो आपको देखने को मिलेगा कि आपकी जिंदगी में बहुत सारे बदलाव आएंगे, कई मुश्किलें आएँगी, लेकिन उन मुश्किलों से आपको डरना नहीं है, बल्कि उनका सामना करना है, अंत में जीत आपकी होनी पक्की है. 

अब हम आगे पढ़ेंगे कि हीरो बनने के और बहुत सारे कारण हैं. 

 ‘A Course in Miracles’ किताब के अनुसार हम अध्यात्मिक दुनिया से अपना टच इसलिए खोने लगते हैं क्योंकि हम ‘टिनी मैड आईडिया’ पर भरोसा करने लगते हैं. हम मानने लगते हैं कि हम अलग हैं और अध्यात्मिक दुनिया अलग है. इस किताब की लेखक के अनुसार इस अलगाव की वजह हमारी जिंदगी का संघर्ष है. हमारी जिंदगी में इतना ज्यादा स्ट्रगल रहता है कि हम बाकी सब कुछ भूल जाते हैं. इसी के साथ लेखक कहती हैं कि जब हम खुद को स्पिरिचुअल वर्ल्ड से अलग कर लेते हैं. तो फिर हम खुद को अपनी आत्मा से भी अलग करने का काम कर लेते हैं. हम भूल जाते हैं कि आज हम जो कुछ भी हैं वो इस यूनिवर्स की वजह से ही हैं. अगर ये यूनिवर्स ही नहीं होता तो हमारी भी कोई औकात नहीं होती. इसलिए लेखक के अनुसार हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम इस यूनिवर्स का हिस्सा हैं. 

इसी के साथ लेखक ये भी कहती हैं कि ऐसे कई सपने होंगे जिन्हें आपने पीछे छोड़ दिया है. उन्हें आपने पीछे क्यों छोड़ा है? इसका कारण है कि आप सोचते हैं कि उन सपनो को हासिल करना नामुमकिन है. 

इस सोच को अपर लिमिट माइंड सेट कहते हैं. अब आपके सामने अगली कठिनाई यही है. इसी से आपको बाहर आना है. 

अब आप सोचते होंगे कि ये अपर लिमिट माइंडसेट होता क्या है? आपको बता दें कि ये माइंड सेट आपको बताता रहता है कि आप सिर्फ थोड़ी सी खुशियों के लिए ही बने हुए हैं. जब आपके पास इस तरह का माइंड सेट होता है. तो फिर भले ही आप कितनी भी सक्सेस अचीव कर लें लेकिन आप कभी खुश नहीं रह सकते हैं. उसमे आपकी गलती से ज्यादा दोष आपके माइंड सेट का होता है. काफी ज्यादा सक्सेस पा लेने के बाद भी जब आप खुश नहीं होते हैं. तो फिर आपको चीज़ों को नार्मल करने के लिए फिर से कई सारा ड्रामा क्रिएट करना पड़ता है. 

उन्ही ड्रामा के कारण आपकी जिंदगी में उथल पुथल मची रहती है. 

एक बात ध्यान देने वाली बात होती है. वो ये है कि अपर लिमिट माइंड सेट तभी प्रॉब्लम क्रिएट करता है. जब आपकी लाइफ के किसी हिस्से में खुशियाँ आती हैं. उदाहरण के लिए लेखक बताती हैं कि अगर आपकी लव लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. तब आपके दिमाग में आपकी फाइनेंशियल लाइफ को लेकर टेंशन होने लगेगी. अगर आपकी फाइनेंसियल लाइफ बहुत बढ़िया चल रही है. तो फिर आपकी लव लाइफ को लेकर प्रॉब्लम क्रिएट होने लगेंगी. 

कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि ये सब प्रॉब्लम हाइपोथेटीकल होती हैं. इसका मतलब साफ़ है कि अपर लिमिट माइंड सेट आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है. इस दिक्कत को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.

अगर ऐसा आपके साथ भी होता हो तो सबसे पहले खुद के दिमाग की साइकोलॉजी को समझने की कोशिश करिए. लाइफ में घबराने से कुछ भी हासिल नहीं होता है. ऐसे कई सारे केस आये हैं. जिन लोगों ने खुद को इस दिक्कत से मुक्ति दिलवाई है.

स्पिरिचुअल किताबों की बात मानना शुरू कर दीजिये
प्यार में धोखा पाना, ब्रेक अप होना, अपने चाहने वालों को खो देना, फाइनेंसियल परेशानी, इस तरह की सिचुएशन अच्छे से अच्छे इंसान को अंदर से तोड़ सकती है. जब इंसान इस तरह की सिचुएशन में होता है. तो फिर कई सारे सवालों की तलाश भी करता है. कई बार तो वो ये सवाल पूछता है कि आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? मैंने ऐसी क्या गलती की थी कि ये मेरे साथ हुआ है? जब कभी आप ऐसी सिचुएशन में हों तो एक बार अपना रुख स्पिरिचुअल गाइड की तरफ भी करने की कोशिश करियेगा. तब जाकर आपको जो शान्ति मिलेगी वो शांति आपको कहीं और नहीं मिली होगी. 

स्पिरिचुअल गाइड का मतलब क्या है? अगर आपके मन में भी ऐसा सवाल है तो फिर लेखक इसके बारे में बताते हुए कहती कि स्पिरिचुअल गाइड कई तरह से हो सकती है. ऐसी कोई भी चीज़ जो आपको ऊपर वाले से जोड़ने का काम करे. वो आपके लिए स्पिरिचुअल गाइड है. स्पिरिचुअल गाइड आपको रास्ता दिखाएगी. वो बताएगी कि आपका और यूनिवर्स का एक बहुत प्यारा सा रिश्ता है जिस रिश्ते को आपने अभी तक नज़र अंदाज़ किया है. 

इस बारे में लेखक अपना किस्सा सुनाती हैं. वो बताती हैं साल 2005 में उनका समय बहुत बुरा चल रहा था. वो डिपरेशन से जूझ रही थीं. उन्हें ड्रग्स की आदत लग चुकी थी. वो बस ये सोचती थीं कि अब कोई जादू ही उनकी जिंदगी को बदल सकता है लेकिन फिर उनके अंदर से आवाज़ आई कि अब बहुत हो गया, वह तुम्ही हो जो अपनी जिंदगी को बदल सकती हो. ये इनर आवाज़ लेखक के लिए स्पिरिचुअल गाइड के समान थी. इसके बाद लेखक ने ऊपर वाले से प्राथना की और खुद को रास्ता दिखाने की बात कही. उसके बाद का आज सब इतिहास है.

लेखक कहती हैं कि आप भी अपने अंदर की आवाज़ को सुन सकते हैं. आप भी उस आवाज़ को यूनिवर्स के कनेक्ट कर सकते हैं. यूनिवर्स कभी भी आपको कोई गलत सलाह नहीं देगा. इसलिए खुद को दुखों के आगे सौपने से अच्छा है कि आप खुद को उस सुप्रीम एनर्जी के आगे सौंप दीजिये. आप देखते रह जायेंगे और बदलाव आपको नज़र भी आने लगेगा. 

आपको ये समझना पड़ेगा कि जिंदगी में चैलेन्ज की कमी नहीं है. अगर आपको जिंदगी को मजे से जीना है तो फिर आपको चैलेन्ज का सामना तो करना ही पड़ेगा. यहाँ पर लेखक ये बता देना चाहती हैं कि स्पिरिचुअल गुरु की जिंदगी में भी चैलेन्ज की कमी नहीं होती है. यहाँ तक कि स्पिरिचुअल गुरु को भी स्ट्रगल करना पड़ता है. 

उसे ये पता होता है कि ज़िदगी में कभी-कभी पीछे की सीट में भी बैठना पड़ता है. उस समय उसे मालुम होता है कि अभी उसे पीछे की सीट में बैठना है. इसी के साथ वो पूरा कंट्रोल यूनिवर्स को दे देता है. फिर उसे चिंता करने की ज़रूरत ही नहीं होती है. इसके पीछे का रीजन साफ़  है. उसे पता होता है कि उसकी गाड़ी तो दुनिया को बनाने वाला चला रहा है. अब चाहे अच्छा हो या फिर गलत हो. जो कुछ भी होगा. ऊपर वाले की इच्छा के अनुसार ही होगा. 

इसलिए लेखक सलाह देती हैं कि अब समय आ गया है. जब आप अपनी स्पिरिचुअल गाइड से कनेक्ट करने की कोशिश करिए. इसी के साथ ये भी देखिये कि कैसे उसकी एनर्जी आपकी गाड़ी को चलाती है? 

इसके बाद आपको पता चलेगा कि कैसे आप बहुत ज्यादा रिलैक्स महसूस करने लगेंगे. आपको पता चलेगा कि सच में कोई एनर्जी होती है. जो इस दुनिया को चला रही है. 

‘A Course in Miracles’ किताब कहती है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेरा भगवान नहीं कर सकता है. इसलिए एक बार खुद को उस यूनिवर्स के सामने सौंप दीजिये. आपको खुद ही महसूस होगा कि चमत्कार इसी दुनिया में होते हैं. 

अपनी इच्छा को हकीकत में बदलने के लिए ये करिए. सबसे पहले खुद से सवाल करिए कि आपकी इच्छा के पीछे इंसपिरेशन क्या है? आप खुद से पूछिए कि आप ये क्यों चाहते हैं? अगर आपकी इच्छा से आपके साथ ही साथ दूसरों का भी भला होगा. तो फिर अपने फैसले को बैक करिए और आगे बढ़िए. 

दूसरा – अपने अंदर इस बात का भरोसा रखिये कि यूनिवर्स सब कुछ सही कर देगा. एक बार जब आप जान गये कि आपकी इच्छा सही है. तो फिर काम की शुरुआत कर दीजिये. जब आप कर्म करने लगेंगे तो देखेंगे कि यूनिवर्स भी आपका साथ दे रहा है. धीरे-धीरे आपका काम कब खत्म हो जायेगा. आपको पता भी नहीं चलेगा. 

इसके बाद स्पिरिचुअल गाइडेंस के साथ ही साथ अपने गोल्स की तरफ एक-एक कदम भी बढ़ाते जाइए. इसी के साथ ही साथ खुद से सवाल भी करते रहिएगा कि कहीं आप से कुछ गलत तो नहीं हो रहा है?

जब आपकी इच्छा सही है. कर्म सही है. यूनिवर्स के ऊपर आपको भरोसा है. अब आप बस सब्र रखिये. जब आपने चीज़ों को ऊपर वाले के भरोसे छोड़ा है. तो विश्वास रखिये कि सफलता भी आपको ज़रूर मिलेगी. 

सफलता मिलने में कुछ देर हो सकती है. लेकिन वो मिलेगी ज़रूर. 

अगर आप इन सब बातों को फॉलो करेंगे तो फिर आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि लाइफ में आप कितना कुछ अचीव करने वाले हैं. आपने जितना सोचा होगा ऊपर वाला आपको उससे कई ज्यादा देगा.

आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए यूनिवर्स को थैंक यू बोलना चाहिए
 इस अध्याय में लेखक बताती हैं कि आपके पास जो कुछ भी है. उसको अप्रीशिएट करिए और यूनिवर्स के प्रति शुक्रिया प्रकट करिये. इस आदत से आपके अंदर सुकून की भावना का जन्म होगा. 

आज से ही इस एक्सरसाइज की शुरुआत कर दीजिये. आपके पास जो कुछ भी है. भले ही वो आपकी जॉब हो, या फिर कोई रिलेशनशिप हो. भले ही अभी तक आप उस जॉब को बदलना चाह रहे हों. लेकिन अभी से ये सोचिये कि आप कितने लकी हैं? कि इतने मुश्किल दिनों में भी आपके पास पैसों का सोर्स है. 

जब पूरी दुनिया में जॉब की कमी है. कई लोगों के पास कोई प्यार करने वाला नहीं है. तब आपके पास जॉब भी है और एक प्यारा सा रिश्ता भी है. 

आप खुद ओब्सर्व करेंगे कि आपका माइंड सेट चेंज हो गया है. आपको अभी तक जो चीज़ें अच्छी नहीं लग रही थीं. अब उनसे आपको प्यार हो रहा है.  इस प्रैक्टिस से आपके अंदर ख़ुशी और सुकून का जन्म होगा.

अध्यात्मिक गुरु अब्राहम हिक्स बताते हैं कि हर दिन आपको एक डायरी में उन चीज़ों के बारे में कुछ ना कुछ लिखना चाहिए जिनसे आपको ख़ुशी मिलती हों. इसी के साथ ही साथ उन चीज़ों के लिए आपको ऊपर वाले को शुक्रिया भी कहना चाहिए. 

कई लोगों की तरह लेखक बर्नस्टीन के जीवन में सबसे बड़ी इच्छाओं में से ये थी कि उनका भी एक बच्चा हो,  हालाँकि, तीन साल की कोशिश के बाद भी उन्हें निराशा ही मिल रही थी.  सबसे पहले, यह एक बड़ी निराशा थी. लेकिन उन्होंने इससे एक शक्तिशाली सबक सीखा: कभी-कभी आपके लिए यूनिवर्स कुछ अच्छा ही प्लान कर रहा होता है लेकिन सिचुएशन को आप कंट्रोल करना चाहते हैं जिससे अच्छी चीज़ों में समय लगने लगता है. 

लेखक भी अपने बच्चे की चाह में सब कुछ खुद ही कंट्रोल करना चाह रही थीं. हालाँकि, बाद में उन्हें ये बात समझ में आ गयी. इसके बाद उन्होंने प्रेयर और ध्यान से खुद को शांत करने की कोशिश की थी. बाद में उन्होंने खुद को यूनिवर्स के भरोसे छोड़ दिया था.

इसके बाद उन्हें पॉजिटिव साइन नज़र आये. ऊपर वाले ने कृपा भी की और साल 2018 में वो प्रेग्नेंट भी हो गयीं.

इस कहानी से लेखक बताती हैं कि इंसान को पेशन्स रखना ही चाहिए. यूनिवर्स आपके लिए कुछ अच्छा ही प्लान कर रहा होता है. देर बस इस बात की रहती है कि आपको यूनिवर्स के ऊपर भरोसा कम रहता है. चीज़ों को आप अपने कंट्रोल में लेना चाहते हैं.

हमें ये याद रखना चाहिए कि कभी-कभी कार की सीट के पीछे भी बैठना अच्छा ही होता है.

इसी के साथ लेखक बताती हैं. सबसे पहले आपको अपनी इच्छा को लेकर क्लियर होना पड़ेगा. इसके बाद आपको ध्यान और प्रेयर की मदद से कुदरत  से कम्युनिकेशन बनाने की कोशिश करनी चाहिए.

एक बार जब आपका कम्युनिकेशन सुप्रीम एनर्जी से होने लगेगा तो फिर क्लियर और अच्छे साइन आपको खुद ही नज़र आने लगेंगे. इसलिए भरोसा रखिये और पेशन्स तो बहुत ज्यादा रखिये.

सुपर अट्रैक्टर पावर्स को अन लॉक कर लीजिये
पहले के चैप्टर्स से आपको समझ में आ गया होगा कि सुपर अट्रैक्टर पॉवर इंसान के अंदर हर रोज़ डेवलप हो सकता है. इसी के साथ ही साथ इस पॉवर को आप बढ़ा भी सकते हैं. 

अगर आपको अभी कोई डर सताता है. तो याद रखिये कि जिस तरह खुशियों की जगह होती है. उसी तरह डर भी आपकी जिंदगी का हिस्सा है.

डर से आप ये कह सकते हैं कि जिंदगी में आपको क्या नहीं चाहिए? जब आपका माइंड सेट इस हिसाब से सेट हो जायेगा. तो फिर आपको डर से भी डर नहीं लगेगा. 

इसके बाद आपकी लाइफ में जो कुछ भी पॉजिटिव है. उस फ्लो को समझने की कोशिश करिए.

यूनिवर्स के साथ कम्युनिकेशन के दौरान कोशिश करिए कि पॉजिटिव फ्लो में रहें. आप जैसी एनर्जी इस यूनिवर्स को देते हैं. वैसी ही जिंदगी आपकी हो जाती है. 

इसलिए जितनी अच्छी एनर्जी आप यूनिवर्स को देंगे. आपकी जिंदगी के रंग भी उतने ही रंगीन होंगे. 

लेखक बताती हैं कि आपको कुछ सवाल रोज़ सुबह खुद से करने चाहिए. आपको पूछना चाहिए कि आज का दिन आपको कैसे जीना है? आज के दिन आप क्या नया सीखना चाहते हैं? आज के दिन आपके पास ऐसा क्या है जो आप लोगों को दे सकते हैं? आज के दिन आप कितना खुश होना चाहते हैं? 

ऐसे सवालों से आपका माइंड सेट क्लियर और सही होगा.

सही माइंड सेट से बिताया हुआ हर दिन काफी सुंदर और खुशियों से भरा हुआ हो सकता है. 

हर दिन की शुरुआत के साथ ही आपके पास आप्शन है कि आपको कैसे जीना है. डर, संकोच और दुःख के साथ या फिर ख़ुशी, प्यार और मोहब्बत के साथ. अपने रास्ते का चुनाव करिए. पेशन्स रखिये और यूनिवर्स के ऊपर भरोसा करिए.

आपने जितना सोचा भी नहीं होगा. ऊपर वाला उससे कई गुना ज्यादा आपकी झोली में डाल देगा.

कुल मिलाकर
सुपर अट्रैक्टर बनने का सीधा मतलब यही है कि आपकी एनर्जी का मैच यूनिवर्स से होना चाहिए. अगर आपके पास हाई एनर्जी होगी तो यूनिवर्स भी आपकी जिंदगी में वैसी ही एनर्जी देगा. इसलिए हमेशा कोशिश करिए कि खुद के साथ ही साथ दूसरों की जिंदगी में भी खुशियाँ लेकर आ सकें. 

 

सवाल पूछना बहुत ज़रूरी है. सिस्टम से भी और अपने आप से भी, इसलिए हमेशा सवाल करते रहिये. खुद को चैलेन्ज भी करते रहिये. आपकी ग्रोथ आपके हांथों में है. स्पिरिचुअल गाइड की मदद से आप जिंदगी में खुश और सफल हो सकते हैं. 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Super Attractor By Gabrielle Bernstein

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