Stephen Guise
छोटी छोटी आदतों से बड़े बड़े नतीजे पाइए
दो लफ़्ज़ों में
मिनी हैबिटस (Mini Habits) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक नए दृष्टिकोण के पीछे का तर्क बताती है। जरूरी नहीं कि प्रेरणा और महत्वाकांक्षा ही आपको सफलता ओर ले जाएं. बल्कि, यह आपकी छोटी-छोटी दिन-प्रतिदिन की आदतें हैं जो असल में आपको सही रास्ते पर ले जाएँगी। आप इन लेसंस से मिनी हैबिट्स की शक्ति को इस्तेमाल करना सीखेंगे ।
यह किसके लिए है?
- जो लोग अपने जीवन में परिवर्तन करने की उम्मीद करते हैं, लेकिन यह नहीं पता कि कहां से शुरू करना है
- जो लोग कम से कम कोशिश करके नयी स्किल्स बनाने के तरीके ढून्ढ रहे हैं
- उन लोगों के लिए जिन्हें अपने स्वास्थ्य या वजन घटाने के लक्ष्यों को पाने में मुश्किल हो रही है
लेखक के बारे में
स्टीफन गाइस एक लेखक, ब्लॉगर और शोधकर्ता हैं, जो पर्सनल ग्रोथ और फन ल्रनिंनग में विशेषज्ञ हैं। उनकी नई किताब का नाम है - हाऊ टु बी एन इमप्रफेक्टनिश्ट (How to Be an Imperfectionist) ।
सीखें कि कैसे बनाएँ और कैसे पालन करें अच्छी आदतों का
क्या आप अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंटस बिना कुछ सोंचे सुबह सुबह ही चेक कर लेतें हैं? या क्या पिछले हफ्ते से आप हर सुबह अपने लिए स्वीट पेस्ट्री खरीदने की आदत में ढल रहें हैं, और रोज यह चिंता कर रहें हैं कि डोनट आपके दिन का हिस्सा बन रहा है? आदतें हमारे जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा है; हम सब कुछ हद तक आदतों के साथ रहते हैं। उनमें से कुछ अच्छी होती हैं, कुछ बुरी होती हैं और कुछ बहुत बुरी हो सकती हैं - जैसे डोनट्स.
मिनी हैबिटस के साथ, लेखक ना सिर्फ कुछ अच्छी सलाह और तरकीबें देतें है, कि कैसे बुरी आदतों को काबू में लाया जाए और कैसे और अच्छी आदतें बनाईं जाएँ; लेखक आदतों के बारे में कुछ ज़रूरी ज्ञान भी देतें हैं - वे कैसे उभरती हैं, कैसे बदलतीं हैं और कैसे आपके लक्ष्यों को पाने में आपकी सहायता कर सकतीं हैं।
- अच्छी आदतें बनाने का एक तरीका, जैसे कि सुबह जल्दी उठना;
- जब आप तनाव में होते हैं तो ज़्यादा मिठाई क्यों खाते हैं; और
- आपकी अच्छी आदतों को बनाए रखने में कौन सी स्मार्टफोन ऐप्स आपकी सहायता कर सकतीं हैं।
हमारा ज़्यादातर जीवन हमारी आदतों से चलता है।
क्या आप जानते हैं कि ऑटोपायलट पर होना कैसा लगता है? जब हम सुबह नहा रहे होते हैं या अपने दांतों को साफ कर रहे होते हैं, तब हमें यह सोचने की ज़रूरत नहीं होती कि हम क्या कर रहे हैं। क्यों? क्योंकि हम इन ज़रूरी रोज़ के कामों को आदतों में बदल चुके हैं - यानी, वो काम जो हमने इतनी बार किऐ हैं कि हम उन्हें खुद ब खुद कर सकते हैं। असल में, हमारे बहुत से रोज़ के काम हमारी आदतों से होतें हैं। ड्यूक विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार, हमारा 45 फीसदी व्यवहार हमारी आदत होता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारा व्यवहार हमारी आदत बनने की ज़्यादा संभावना होती है।
यूसीएलए (UCLA) में एक दूसरे शोध में दिखाया गया था कि तनाव में, थकावट में या चकित होने पर हमारा व्यवहार हमारी आदत बनता है। दुर्भाग्यवश, यह होता है, चाहे आदत हमारे लिए अच्छी हो या बुरी। तनाव इस तरह से हम पर असर क्यों करता है? असल में, अक्सर तनाव इसलिए होता है क्योंकि हम कुछ फैसला नहीं ले पाते।
हालांकि, आदतें एसी चीज़ हैं जिनके बारे में हमें फैसला लेने की ज़रूरत नहीं है। आदतें हमारे रोज़ के जीवन में पहले से ही प्रोग्रामड (programmed) हैं ।जब हम तनाव में होते हैं और फैसला नहीं ले पाते, हम अपनी आदतों का सहारा लेते हैं। यदि आप अक्सर अपने आप को तनाव में होने के समय ऑनलाइन चैट (online chat) करते या डोनटस (donuts) खाता पाते हैं तो संभावना है कि ये हैबिटूयल बिहेवियरस (habitual behaviors) हैं। शायद आप चाहें कि यह नहीं होते!
यदि एसा है, तो एक अच्छी खबर है: बुरी आदतों को बदला जा सकता है। आखिरकार, आदतें मस्तिष्क में न्यूरल पाथवेज़ (neural pathways) के सिवा कुछ भी नहीं है। उन्हें जितना अधिक इस्तेमाल किया जाए, वे उतने मोटे होते हैं, और जब इस्तेमाल ना करें तो खराब हो जातें हैं। आप अपनी खुद की गतिविधियों को इतना दोहरातें हैं कि वे आसान से भी आसान हो जाएँ और आदत बन जाएँ।
तो अगर आप सुबह जल्दी उठना शुरू करना चाहते हैं, तो पहले कुछ हफ्ते मुश्किल होगा क्योंकि वो न्यूरल पाथवेज़ (neural pathways) अभी भी कमजोर हैं। लेकिन जल्द ही, आपका मस्तिष्क जागने और बिस्तर से निकलने के बीच संबंध को मजबूत करेगा, जबकि फिर से सोने की आदत कमजोर हो जाएगी।
जल्दी ही आपके वो न्यूरल पाथवेज़ (neural pathways)आपके लिए काम कर रहे होंगे, और आप सुबह अपने आप को ताज़गी से उठा पाओगे।
हमारे दिमाग में एक शक्तिशाली हैबिट-फौरमिँग सिस्टम (habit-forming system) है।
कल्पना करें कि सुपरमार्केट (supermarket) में से खरीदी गई हर एक चीज़ के बारे में एक इन्फ्रोमंड डेसिजन (informed decision) लेना हो। किराने का सामान लेने में बहुत समय लग जाएगा! यहीं से आदतों की शुरुआत होती है।
हमारे मस्तिष्क के एक भाग, बेसल गैन्ग्लिया (basal ganglia), का काम होता है हमारे बार-बार करे जाने वाले व्यवहारों को प्रोग्राम करना, ताकि हम उनके बारे में खास ना सोचें। एक आइसक्रीम फ्लेवर चुनने के प्रोग्रामड बिहेवियर (programmed behavior) के बारें में सोचें ।
क्यूं? खैर, हमारे बेसल गैन्ग्लिया (basal ganglia) की वजह से यह कुछ ऐसा है जिसकी हमें आदत है,और इसे हम ऑटोमेटिकली करते हैं। जितना अधिक हम एक आदत को दोहराते हैं, बेसल गैन्ग्लिया में इसका रिकॉर्ड उतना अच्छा होता है।
जैसे, लगातार अपने कंप्यूटर को चालू करने और अपने फेसबुक अकाउंट में लॉग इन के काम को लगातार दोहराए जाने के बाद, आपका दिमाग ऑटोपायलट पर आ जाएगा - इस तरह हम बिना जाने फेसबुक पर पहुंच जाते हैं!
बेसल गैन्ग्लिया अक्सर इतना शक्तिशाली होता है कि यह हमारे मस्तिष्क के हिस्से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (prefrontal cortex) को काबू कर लेता है जिसका काम सचेत रहना और उचित फैसला लेना है. बेसल गैन्ग्लिया के विपरीत, हमारे मस्तिष्क का यह हिस्सा हमारे काम केे आगे केे परिणाम, साथ ही साथ अबस्ट्रेक्ट कोंन्सेपट (abstract concepts) जैसे कि नैतिकता को भी ध्यान में रखता है।
लेकिन प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में एक बड़ा दोष है: यह जल्दी थक जाता है।
सही निर्णय करने में बहुत ताकत जाती है। हालांकि, हमें यह आसान लग सकता है कि हम दिन के ज़्यादातर समय फ्रीजर में राखी आइसक्रीम के टब से दूर रहें, पर संभावना है कि आपका प्रीफ़्रैंटल कॉर्टेक्स (prefrontal cortex) एक बार थकने पर हार मान लेगा। इस समय, आपका बेसल गैन्ग्लिया (basal ganglia) जीतेगा और आप अचानक अपने आप को कुकीज़ और आइसक्रीम का एक बड़ा कटोरा पकड़े पाऐंगें!
अच्छी आदत बनाने के लिए सबसे अच्छा साधन है इच्छाशक्ति, ना कि प्रेरणा.
प्रेरणा बेशक एक अच्छी चीज है - लेकिन आमतौर पर हम उन चीजों को करने के लिए प्रेरित होते हैं , जो हमें असल में पसंद हो, जैसे - फिल्म देखने जाना। लेकिन जब हमें कसरत करना होती है, तब प्रेरणा कहीं नहीं मिलती है। प्रेरणा के भी अपने नुकसान हैं, क्योंकि हम जैसा महसूस करते है उसके अनुसार यह बदलती है। सुबह जब आपको अच्छा महसूस होता है, तब नाश्ते से पहले 20 पुश-अप का एक सेटकरना आसान होता है - लेकिन जब आपको हैंगओवर होता है, तो यह इतना आसान नहीं होता!
इसके अलावा, हम जितना ज़्यादा कुछ करते हैं, प्रेरणा उतनी कम हो जाती है क्योंकि यह उबाऊ हो जाता है। कल्पना कीजिए अगर आप हर दिन अपने दांतों को ब्रश करने के लिए केवल प्रेरणा पर भरोसा करें - आपका मुंह केविटीज़ से भर जाएगा. असल में, प्रेरणा अच्छी आदतों को बनाने के लिए काफी नहीं है। सौभाग्य से, एक और चीज़ है जो हमारे जीवन में परिवर्तन लाने में हमारी सहायता करने के लिए बेहतर है। बार-बार करने के साथ कमजोर होने के बजाय, यह चीज़ केवल मजबूत हो सकती है। तो क्या है यह? इच्छा शक्ति।
मनोवैज्ञानिक अच्छी तरह से इच्छाशक्ति के लाभों को जानते हैं। एक प्रोफेसर ने अपने छात्रों के पोशचर (posture) में सुधार करने के लिए दो सप्ताह के लिए उनसे अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग करवाया। न केवल वे छात्र अपने लेक्चरस में सीधे बैठे, उन्होंने अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आत्म-नियंत्रण दिखाया!
हर बार जब आप एक नई अच्छी आदत बनाते हैं, जैसे कि हर दिन ध्यान करना, आप अपने खुद की इच्छाशक्ति की मांसपेशियों को इस्तेमाल करते हैं। आप इस मांसपेशी को अन्य कामों के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि हर रोज ताज़ा खाना पकाना, अपने परिवार के संपर्क में रहना और जो भी आप पाना चाहते हैं। इच्छा शक्ति, प्रेरणा के जैसी नहीं हैं, और, भरोसे के लायक है। आप इसे बना सकते हैं, और एक बार आप ऐसा करें तो आप इस पर निर्भर हो सकते हैं।
मिनी हैबिटस आपकी सीमित इच्छाशक्ति के लिए सबसे अच्छा निवेश है।
आप हर सुबह 100 पुश-अपस करने की आदत ढालने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन यह हो सकता है कि आप 20 तक करने के बाद अपनी इच्छाशक्ति खो दें, और फिर आपको कुकी का हर खोलने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। इच्छाशक्ति बहुत अच्छी है, लेकिन ऐसा तब नहीं लगता जब हम इसे काम में लेतें हैं। तो शुरूआत से शुरू करने पर हम अपनी इच्छा शक्ति कैसे मजबूत कर सकते हैं?
यहां समाधान है मिनी हैबिटस। आप छोटे, बहुत लघु लक्ष्यों के साथ इच्छाशक्ति के खत्म होने से बच सकते हैं। हमारी इच्छाशक्ति के लिए कुछ खतरे हैं - प्रयास, कठिनाई होने का वहम् और थकावट - क्यों ना कोई ऐसा लक्ष्य चुनें जिसमें केवल थोड़ा प्रयास करना हो?
एक आसान लक्ष्य को चुनना, किसी भी कठिनाई के वहम् को समाप्त करता है और यह इतना मुश्किल नहीं है कि आप थका हुआ महसूस करें । यह कहा जा सकता है कि कमजोर इच्छाशक्ति के लिए यह एक पूरा इलाज है।
मिनी हैबिटस आपको आगे बढ़ाती हैं, और एक बार जब आप आगे बढ़तें हैं, तो आपको आगे बढ़ते रहने के लिए कम इच्छाशक्ति ज़रूरी होती है। जैसा कि न्यूटन के पहले लॉ में कहा गया है, एक वस्तु जो मोशन में है वो अपनी वेलोसिटी तब तक नहीं बदलेगी जब तक कि एक बाहरी ताकत उस पर काम ना करे।
यह कहा जा सकता है कि, आम तौर पर पहली बाधा ही सबसे बड़ी होती है: इनरशिया (inertia) से मोबिलिटी (mobility) की तरफ जाना। जो मिनी हैबिट आपकी मदद करती है छोटे से शुरू करने में, आप ज़रूर आसानी से शुरूआत कर सकते हैं । वास्तव में, आपके साथ यह भी हो सकता है कि आपने जितना सोचा हो उससे ज़्यादा पा लें!
जैसे, आप पांच पुश-अपस लगाने का सोचे, भले ही आपने केवल एक करने का लक्ष्य तय किया हो। ज़रूर, यह बोलने में ज़्यादा नहीं लगता है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि आप अपने आप से कितना प्रसन्न महसूस करेंगें!
मिनी हैबिटस के और भी फायदे हैं।
आपको वो इंसान याद है जिसे आप हमेशा से डेट करना चाहते थे, लेकिन कभी पूछने का साहस नहीं था? उनकी दिशा में एक कदम उठाने की कोशिश करें - और फिर एक और। इसे और बार दोहराएं। जल्द ही, आप अपने आप को अपने स्नेह के पात्र का सामना करता पाएंगे, जो शायद आपसे पूछें कि डांस फ्लोर के दूसरे तरफ आने में आपको इतने समय क्यों लगा। देखा? आप बातें भी करने लग गए। ऐसी चीजें करने से जो आपमें पहले करने की हिम्मत नहीं थी, आप देख सकते हैं कि कैसे मिनी हैबिटस आपके आत्मसम्मान को बढ़ा सकती हैं। दुर्भाग्य से अपने आप में विश्वास करने की क्षमता धीरे-धीरे हमारे माता-पिता, शिक्षकों और स्वयं से वर्षों से बढी उम्मीदें रखने से कमजोर हो जाती हैं। शुक्र है, दिन में कई बार मिनी हैबिटस आपको असफलता के बजाय सफलता पाने का अलग अवसर देती है। जब आप ऐसे लक्ष्य तय करते हैं जिन्हें आप आसानी से पूरा कर सकते हैं, तो आपको बहुत अच्छा लगेगा, चाहे आपकी सफलता कितनी छोटी हों।
इसके तुलना इस चीज़ से करें कि आप हर दिन का अपना एक बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए हैं। यह देखना आसान है कि आप किस दृष्टिकोण से अच्छा महसूस करेंगे! यह लक्ष्य मत रखें कि कल आप एक प्रसिद्ध पॉप स्टार बनेंगे; बस पियानो का हर दिन पांच मिनट के लिए अभ्यास करें। मिनी हैबिटस आपको एसा महसूस कराती हैं कि आप नियंत्रण में हैं । मनुष्य नियंत्रण से बाहर होने की भावना से नफरत करता है, या उससे भी बदतर है, दूसरों के द्वारा नियंत्रित किया जाना। हम अपने खुद के निर्णय लेना चाहते हैं, जो कि हमें सबसे खुशहाल बनाते हैं। डेनमार्क में एक शोध ने यह दिखाया कि 90 प्रतिशत कर्मचारी तब ज्यादा खुश होते हैं जब उनका अपने काम पर नियंत्रण होता है और वे कार्यकारी फैसले (executive decisions) ले सकते हैं।
एक बड़ा लक्ष्य, जैसे कि अपने आप को पूरी तरह गरीबों और जरुरतमंदों के लिए समर्पित करना, आपका समय और ताकत चूस सकता है जब तक कि आपको स्वयं लक्ष्य बुरा लगने लग जाए। इसके विपरीत, एक मिनी हैबिट, जैसे कि हर व्यक्ति जो आपको दान के लिए पूछता है, उसे एक सिक्का देना आसान है, इससे अच्छा व्यक्तिगत संपर्क बनाता है और आपको अपने जीवन को जीने के लिए स्वतंत्र छोड़ देता है, और फिर भी दानी व्यक्ति होने के रास्ते पर होते हैं।
अपनी मिनी हैबिटस सावधानी से सोचें और विकसित करें।
अब जब हमने मिनी हैबिटसके लाभ पता किए हैं, तो आपके लिए अपना स्वयं का एक्शन प्लान बनाने का समय आ गया है। तो आपको कहां से शुरू करनी चाहिए?
सबसे पहले, अपनी आदतों को समझदारी से चुनें। आप उन आदतों की एक सूची के साथ शुरू कर सकते हैं जो आप अपने जीवन में एक समय पर चाहते हैं। आप एक नई भाषा का अभ्यास करना चाह सकते हैं, अधिक पढ़ सकते हैं, अपने गणित में सुधार कर सकते हैं या फिट बन सकते हैं।
इसके बाद, खुद से पूछिए कि ये आदतें आपको क्यूं अच्छी लग रही हैं; यह इसलिये जिससे आपको सही प्रेरणा मिल सके। उदाहरण के लिए, आप अधिक भाषाऐं सीखना चाहते हैं? यदि आप विभिन्न देशों में जाना चाहते हैं, तो आपके पास बहुत अच्छे कारण हैंl
लेकिन अगर आप केवल सहकर्मियों और मित्रों को प्रभावित करना चाहते हैं तो ध्यान से विचार करें कि कहीं आप केवल सामाजिक दबाव के तहत तो एसा नहीं कर रहे हैं। इसे अपनी आदतों को प्रभावित ना करने दें! आदतें केवल इससे बननी चाहिए कि आपको वास्तव में क्या हासिल करना है।
पता की गई प्रेरित आदतों की एक सूची के साथ, यह मैच के लिए मिनी हैबिटस बनाने का समय है। अगर आप स्पैनिश (Spanish) सीखना चाहते हैं, तो एक स्पैनिश (Spanish) शब्द एक दिन में सीखने की मिनी हैबिट बनाएं। यदि आपकी मिनी आदत इतनी छोटी है कि यह आपको मूर्खतापूर्ण लगती है, तो बहुत अच्छा है! उन्हें एसा ही होना चाहिए।
मिनी हैबिटस मुश्किल नहीं होनी चाहिए। वे इतनी छोटी होनी चाहिए कि आप उनमें से कई को अपनी रोज़ की दिनचर्या में शामिल कर सकें, दो या तीन प्रति दिन से शुरूआत कर के। अपनी मिनी हैबिटस को पता करने के बाद, अपनी हैबिट क्यूज़ (habit cues) को परिभाषित करें और लिखेंl
हैबिट क्यूज़ (habit cues) संकेत होते हैं जो आपको याद दिलातें हैं कि यह आपका मिनी हैबिट करने का समय है। जैसे कि आप नाश्ते से पहले एक योग मुद्रा करना चाहते हैं; दिन का समय, या यह चीज़ कि आपको भूख लगी है, आपकी मिनी हैबिट करने का संकेत हो सकता हैl
अपनी प्रगति को देखें और खुद को इनाम देना मत भूलिएl
मिनी हैबिटस को पाना आसान है, इसलिए आपको सिर्फ 95 प्रतिशत क्मपलीशन रेट (completion rate) का लक्ष्य नहीं रखना चाहिए - सीधे 100 प्रतिशत का सोचेंl सब कुछ लिखें और रिकॉर्ड बनाएँ, मिनी हैबिटस छोड़ने या बदलने से बचने का यह सबसे आसान तरीका हैl 2013 में किए गए एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि जब आप अपने विचारों को लिखते हैं, तो आपके दिमाग में उनकी एक मजबूत उपस्थिति होती है। नए ऐप्स (apps), जैसे कि लिफ़्ट (Lift) या हैबिट स्ट्रीक प्लान (Habit Streak Plan) आपकी आदतों को लिखने में आपकी मदद करने के लिए एकदम सही हैं, या आप अपनी प्रगति पर नजर रखने के लिए एक बड़े कैलेंडर का उपयोग कर सकते हैं।
जो भी विधि आप चुनें, वह ऐसी होनी चाहिए जो आप हर दिन देख सकें। इस तरह, आप अपनी आदतों को पूरा करने, अपनी प्रगति को बनाए रखने औरअधिक सकारात्मक आदतों को भी बनाने के लिए खुद को याद दिलाते रह सकेंगे। जल्द ही, आप आगे बढ़ेंगे l आप यह भी पा सकते हैं कि पहले जो सोचा था, उसके के मुकाबले अपनी आदत के साथ आप कहीं अधिक प्राप्त कर चुके हैं। अगर आप 50 शब्द लिखने के अपने लक्ष्य से आगे जाकर 500 शब्द लिखतें हैं, तो यह ऊर्जा अच्छी है, लेकिन इसे आपको भ्रमित ना करने दें!
अचानक 500 शब्दों को लिखने की आपकी आदत कुछ अच्छा नहीं करेगी, और आपको इसे बनाए रखना मुश्किल होगा, भले ही यह पहली बार आसान लगा हो। यदि आप अपने लक्ष्यों को पार करने में कामयाब हो जाते हैं, तो अपनी पीठ थपथपाऐं, लेकिन इसे बोनस के रूप में देखें, और अपने आप को और आगे बढ़ाने का संकेत नहीं। लेकिन अगर सिर्फ 50 शब्दों को लिखना उबाऊ लगे तो क्या? यह अच्छी बात है! यह संकेत है कि आपकी मिनी हैबिट एक सच्ची आदत हैl यह ऐसा कुछ है जो आप ऑटोमेटिकली करते हैं, किसी भी विरोध के बिना। यह खुश होने की चीज़ है, तो खुद को इनाम दें!
याद रखें, सिर्फ उस लक्ष्य तक पहुंचना जरूरी नहीं है जिसकी तरफ आपकी आदतें ले जाऐं। एक दिनचर्या बनाना जिसमें सहायक अनुष्ठान हों वो भी बहुत गर्व की बात हैl
कुल मिला कर
मुश्किल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खुद को प्रेरित करने की कोशिश करने के बजाय, एक समय में एक कदम उठाएं। सकारात्मक मिनी हैबिटस की एक नियमितता को बनाकर, आप अपनी असली आकांक्षाओं की ओर प्रगति करते हुए, अपने आप को हर दिन छोटी सफलता का आनंद लेने का मौका दे सकेंगे।
प्रेरित हों!
अपनी खुद की मिनी हैबिटस बनाना चाहते हैं, लेकिन विचारों के लिए अटक गऐं हैं? क्यों ना कुछ प्रेरणा के लिए minihabits.com देखें। एक बार जब आपने दो या तीन आदतों का चयन कर लिया, तो उन्हें मत भूलें - फ्रिज पर या अपने बिस्तर के ऊपर एक रिमाइंडर चिपका दें। फिर, एक सप्ताह के लिए वह आदतें करें और देखें कि आप अधिक सक्रिय कैसे होते हैं!