Great Leader Have No Rule.... ___

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Great Leaders Have No Rules

Kevin Kruse
Contrarian Leadership Principles to Transform Your Team and Business

दो लफ़्ज़ों में
साल 2019 में रिलीज़ हुई किताब ‘ग्रेट लीडर्स हैव नो रूल्स’ लीडर्स को विरोधाभाषी अप्रोच अपनाने के लिए चैलेंज करती है. इस किताब को पढ़ने के बाद आपको उसी नई अप्रोच के बारे में पता चलेगा. जिसकी मदद से लीडर्स जल्द से जल्द सफल हो सकते हैं. आज तक आपने ट्रेडिशनल लीडरशिप प्रैक्टिस के बारे में सुना होगा. उस अप्रोच में कई सारी कमियां हैं. इस किताब में आपको उन कमियों के बारे में भी पता चलेगा. इस किताब में नई अप्रोच के बारे में खुलकर डिस्कशन किया गया है. जिसकी मदद से बेहतर रिज़ल्ट हासिल किए जा सकते हैं.

  ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसे लीडर्स जिन्हें अपनी परफॉरमेंस को एनालाईज़ करना है 
- सभी फील्ड के स्टूडेंट्स के लिए 
- ऐसे मैनेजर्स जिनको अपनी टीम को मोटिवेट रखना हो 
-  ऐसे लोग जिन्हें कुछ नया सीखने में मज़ा आता हो 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब को लेखक “Kevin Kruse” ने लिखा है. इन्होने अब 6 बेस्ट सेलिंग किताबों का लेखन किया है. “15 Secrets Successful People Know About Time Management” भी इन्हीं की लिखी हुई किताब है. “Kevin Kruse” 192 देशों में लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोवाइड करवाते हैं.

अपनी ओपन डोर पॉलिसी को त्यागें और अपने गोल्स के बारे में ज्यादा विचार-विमर्श करें
2017 में, टॉक-शो होस्ट स्टीव हार्वे द्वारा लिखा गया एक मेमो वायरल हुआ था. उस मेमो को देखकर उनकी टीम में भी नाराज़गी थी. मेमो में काफी सीधे तरीके से लिखा हुआ था कि अभी से स्टीव से कोई भी बिना अपोइंटमेंट के नहीं मिल सकता है. बिना अनुमति के किसी को मिलने के लिए बुलाया नहीं जाएगा. लेखक को लोगों की नाराज़गी देखकर काफी आश्चर्य भी हुआ था. वो ये मानते हैं कि मेमो की लैंग्वेज को विनम्रता से लिखा जा सकता था. लेकिन उसमें लिखी गई बात गलत नहीं है. आखिरकार पिछले काफी वर्षों से स्टीव होस्टिंग कर रहे हैं. उनसे कई लोग मिलना चाहते हैं. लेकिन उन्हें भी कुछ पीस को तो ज़रूरत है. इसलिए इस तरह का मेमो सही है.

लेखक के अनुसार स्टीव को बुरा भला कहने के बजाए, हमें उन्हें फॉलो करने की कोशिश करनी चाहिए. कई आर्गेनाइजेशनने ट्रस्ट, कम्युनिकेशन, पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए ओपन डोर कल्चर को अपना लिया है. इस कल्चर में टीम मेम्बर्स कभी भी हेड्स से मिल सकते हैं. लेकिन होता कुछ ऐसा है कि कम्युनिकेशन को अचीव करने के चक्कर में लीडर्स के काम की प्रोडक्टिविटी काफी कम हो जाती है. इसी के साथ-साथ टीम की डिसीजन मेकिंग कैपाबिलिटी भी कम हो जाती है. 

कई रिसर्च भी कहती है कि भले ही आप ओपन डोर पॉलिसी को बढ़ावा कितना भी दें? लेकिन 50 प्रतीशत से ज्यादा कर्मचारी इस पॉलिसी में कम्फर्टेबल नहीं होते हैं. जब उन्हें रियल इश्यु होते हैं. वो इस पॉलिसी के अंतर्गत काम नहीं करते हैं. उन्हें कई तरह के डर रहते हैं. उन्हें लगता है कि पता नहीं ये बात कहाँ तक जाएगी? कहीं उनकी जॉब में तो कोई दिक्कत नहीं आने लगेगी? कई लोग तो बॉस को परेशान ही नहीं करना चाहते हैं. 

इस बात का सार ये है कि इस पॉलिसी से रियल इश्यु का समाधान नहीं निकल रहा है. बल्कि वर्क डे में लोग फ़िज़ूल की बातें करने ज़रूर चले आते हैं. जिससे लीडर्स के काम में तो प्रभाव पड़ता ही है. टीम की फैसले लेने क्षमता भी लगातार कम होती जा रही है. इस पॉलिसी के कारण टीम अप्रूवल का इंतज़ार ही करती रहती है. उनके अंदर ये विश्वास ही नहीं आता है कि वो खुद से भी कुछ फैसला ले सकते हैं. 

दूसरों के ऊपर निर्भरता इसी पॉलिसी की वजह से बढ़ रही है. लोग अप्रूवल का इंतज़ार करते रहते हैं. जिसकी वजह से जो काम आज खत्म हो जाना चाहिए. वो काम कई दिनों के बाद जाकर खत्म होता है. 

अगर टीम खुद से फैसला करेगी तो हो सकता है कि उससे कई बार गलती हो जाए. लेकिन धीरे-धीरे उन्ही गलतियों के ऊपर काम करते हुए आपकी टीम नंबर 1 बन जाएगी. इसलिए लेखक कहते हैं कि लीडर्स को ओपन डोर पॉलिसी और क्लोज्ड डोर पॉलिसी के बीच में बैलेंस बनाकर चलना चाहिए. 

आपको लीडर के तौर पर कर्मचारियों को बताना चाहिए कि हफ्ते के किस दिन फ्री हैं. इसके लिए आप रोज़ का एक घंटा भी उनकी दिक्कतों को सुनने के लिए दे सकते हैं. ऐसा करने से आपके काम में भी कोई गलत असर नहीं पड़ेगा.

लीडर के तौर पर निडर होना भी ज़रूरी है, बहुत ज्यादा रूल्स के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए
इमैजिन करिए कि आप ओवर नाईट बिजनेस ट्रिप कंपनी में काम करते हैं. काम के सिलसिले में आप और लोगों के साथ बाहर गए हुए हैं. वहां जाकर आपको पता चलता है कि होटल में आपके लिए रूम ही अवलेबल नहीं है. आपको कंपनी जिस रेंज के कमरे में ठहरने के लिए अनुमति देती है. उस रेंज के कमरे फुल हो चुके हैं. 

अब जो कमरे बचे हुए हैं. वो आपके रेंज से 10 डॉलर महंगे हैं. अब ऐसे में आप क्या करेंगे? कई लोग तो नियम को मानते हुए ट्रेवल का खर्चा लगाकर 4 घंटे का सफर करके दूसरे होटल में रहने जाएंगे. 

अधिकत्तर यही देखने को मिलता है. लेकिन आप खुद सोचिए कि इसमें कॉमन सेन्स की कितनी कमी है? लेकिन जिस वर्क कल्चर में सिर्फ और सिर्फ रूल्स को महत्त्व दिया जाता है. वहां कॉमन सेन्स की भारी कमी आ जाती है. 

अधिकांश तौर पर ये देखा जाता है कि जितनी बड़ी कंपनी होती है. वहां के रूल्स भी उतने ही ज्यादा होते हैं. जिस कंपनी में कर्मचारी और मैनेजमेंट के बीच में डायरेक्ट कांटेक्ट नहीं होता है. वहां पर कर्मचारी रूल्स का ही सहारा लेते हैं. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि रूल्स से ट्रस्ट में कमी आ जाती है. 

ट्रस्ट की कमी के कारण कभी कर्मचारी अच्छा परफॉर्म नहीं कर सकते हैं. 

वर्कप्लेस में बहुत ज्यादा नियम होने की वजह से कई दिक्कतें भी सामने आ सकती हैं. 

पहली दिक्कत ये आती है कि कर्मचारी ज़िम्मेदारी लेना बंद कर देते हैं. वो सोचते हैं कि जब नियम ही सबकुछ है तो वो मेहनत क्यों करें? इससे कंपनी की साख को काफी ज्यादा नुकसान होता है. 

दूसरी और बहुत बड़ी दिक्कते ये आती है कि रूल्स के कारण कंपनी में मेजोर्टी परेशान होती है. 

रूल्स की वजह से टीम का ध्यान और फोकस भी भटक जाता है. उनका ध्यान एक्टिविटी में लगने लगता है. उन्हें ध्यान ही नहीं रहता है कि आउटकम की तरफ भी ध्यान देना है. किसी भी कंपनी के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ आउटकम ही होता है. 

इसलिए लेखक सलाह देते हैं कि आपको रूल्स की बजाए स्टैण्डर्ड पर ध्यान देना चाहिए. स्टैण्डर्ड सेट करने से आप बेहतर आउटकम अचीव कर सकते हैं. इससे टीम के अंदर काम के प्रति मोटिवेशन भी पैदा होगा. जिसका फायदा आपकी कंपनी को ही मिलेगा.

किसी को इम्प्रेस करने के लिए लीडरशिप मत करिएगा, सही लीडरशिप के गुण सीखना बहुत ज़रूरी है
इंसान का दिमाग कुछ इस तरह से काम करता है कि वो चाहता है कि लोग उसे पसंद करें. मैस्लो हाईरेकी ऑफ़ नीड्स में बताया गया है कि घर, कपड़ा और मकान के बाद इंसान अच्छा कहलाना चाहता है. 

2017 के गैलप सर्वे में भी बताया गया था कि सेन्स ऑफ़ बीलॉन्गिंग से वर्क प्लेस में पॉजिटिव माहौल बनता है. यही कारण है कि सब बड़ी-बड़ी आर्गेनाइजेशन सोशल गैदरिंग में ज़ोर देती रहती हैं. 

लेकिन लेखक बता देना चाहते हैं कि सेम रूल लीडर्स के लिए अप्लाई नहीं होता है. अगर आप शानदार और प्रभावी लीडर बनना चाहते हैं. तो फिर आपको पसंद किए जाने के मोह से बाहर आना पड़ेगा. आपको अपने फोकस को काम की तरफ शिफ्ट करना ही होगा. आपको ध्यान देना होगा कि टीम के लिए सही क्या है? 

ये सोचना अच्छा है कि आप लीडर और टीम बराबर होती हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. ऐसी जगह में बराबरी मुमकिन ही नहीं है. जहाँ पर किसी एक के पास ये पॉवर हो कि वो किसी को भी जॉब से निकाल सके. अगर आप इस सत्य को इग्नोर करेंगे और पसंद आ जाने के लिए काम करेंगे. तो फिर आप खुद के भविष्य को बर्बाद करने का काम करेंगे. 

आपको लोग सिर्फ और सिर्फ पसंद ही करें, इस तरह की चाहत रखना ही गलत है. इससे आप अपनी कंपनी को खत्म करने की शुरुआत कर रहे हैं. इसलिए आपको सही लीडरशिप के गुण सीखने की बहुत ज्यादा ज़रूरत है. 

अपने कर्मचारियों से सद्भावना रखिए लेकिन उनकी गलती भी आपको नज़र आनी चाहिए. आपको पता रहना चाहिए कि आप एक लीडर हैं और इस कंपनी की ज़िम्मेदारी आपके ही कंधों पर है. कंपनी की सफलता और विफलता आपके ही अप्रोच पर डिपेंड करती है. 

अपनी लीडरशिप को वैल्यूज के आधार पर मेज़र करने की आदत डालियेगा. कोई भी बड़ा लीडर पॉपुलैरिटी के आधार पर नहीं बनता है. आपके काम कंपनी के लिए कितने फायदेमंद हैं. यही बताएंगे कि आप सफल लीडर थे कि नहीं थे.

इफेक्टिव वर्कप्लेस क्या होता है? इसे तैयार करने के गुण इस चैप्टर में हैं
इटालियन डिप्लोमेट हुआ करते थे. जिनका नाम Niccolò Machiavelli था. उन्होंने 1513 में आने वाले शाही राजकुमारों के लिए एक इंस्ट्रक्शन गाइड तैयार की थी. उस गाइड में उन्होंने लिखा था कि “आप जिनको मैनेज करते हैं, अगर उनके अंदर आपके लिए डर है. तो ये ज्यादा प्रभावी है बशर्ते वो आपको प्यार करें.” आज के दौर में भी कई बिजनेस लीडर्स इस तकनीक को फॉलो करते हैं. 

लेकिन लेखक मानते हैं कि फियर बेस्ड माहौल से प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है. कर्मचारियों का इससे शोषण होता है. डर से क्रिएटिविटी, इनोवेशन और कम्युनिकेशन कम हो जाता है. 

“Machiavelli” फिलॉसफ़ी के शताब्दी पहले चाइनीज़ फिलॉसफर Lao Tzu का ओपिनियन काफी वर्कर्स फ्रेंडली था. उनका मानना था कि लीडर्स को अपनी टीम को सपोर्ट करना चाहिए. उन्हें टीम को मैनेज करना चाहिए. टास्क तो अपने आप ही मैनेज हो जाएगा. 

क्या आपको प्यार से लीड करना सुनकर अजीब लग रहा है? लेकिन ये इतना अजीब नहीं है. जितना लग रहा है. 

गैलप सर्वे में भी निकलकर सामने आया है कि केयर और प्यार के माहौल में लोग ज्यादा बेहतर काम कर पाते हैं. 

कर्मचारियों को स्पेशल फील कराना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है. इसे आप सुबह-सुबह सिम्पल हैलो से भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आपका तो बहुत कुछ नहीं जाएगा लेकिन सामने वाले को ऐसा लगेगा कि उसकी कंपनी में कुछ ख़ास वैल्यू है. 

सिम्पली ऑय कांटेक्ट भी काफी ज्यादा प्रभावी साबित हो सकती है. इस तरीके से भी टीम के साथ कनेक्ट बनाया जा सकता है. 

ये बस कुछ तरीके हैं. जिससे आप सामने वाले को ये एहसास दिला सकते हैं कि उसकी कंपनी के अंदर कुछ वैल्यू है. 

समय बहुत बलवान है इसलिए टाइम के महत्व को समझना बहुत ज़रूरी है
लेखक जब अपनी किताब “15 सीक्रेट्स सक्सेसफुल पीपल नो अबाउट टाइम मैनेजमेंट” के बारे में रिसर्च कर रहे थे. तो उन्होंने 280 से ज्यादा ग्रेट अचीवर्स से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने एक खूबी का अनुभव किया था. जिससे उन्हें काफी आश्चर्य भी हुआ था. 

उन्हें पता चला था कि किसी ने भी टाइम को मैनेज करने के लिए टू डू लिस्ट नहीं बनाई थी. 

हम लोग टू डू लिस्ट बनाते हैं. लेकिन हमको भी लगता है कि इसका तो फायदा होता नहीं है. रिसर्च बताती है कि टू डू लिस्ट में लिखे गए अधिकत्तर काम अधूरे ही रह जाते हैं. इसके साथ ही साथ जो-जो काम पूरे नहीं होते हैं. उनकी वजह से हमारा स्ट्रेस लेवल भी बढ़ता रहता है. 

इसलिए लेखक बताते हैं कि लीडर के तौर पर आपको टू डू लिस्ट के ऊपर ध्यान नहीं देना चाहिए. आपका ध्यान इस तरफ होना चाहिए कि कैसे आप आपने एक-एक मिनट का सही इस्तेमाल कर पाएं? 

लिस्ट बनाने से अच्छा है कि अपने टाइम को ब्लॉक करने की कोशिश करिए. आपके कैलंडर में तय होना चाहिए कि किस डेट पर आपको क्या करना है? उस काम को खत्म करने में आपका ध्यान रहना चाहिए. 

ग्रेट अचीवर बनने की यही क्वालिटी है कि आपको टाइम के महत्व के बारे में पता होना चाहिए. लेखक कहते हैं कि टाइम बहुत बलवान होता है. इसलिए समय रहते हुए इसको वैल्यू करना सीख जाइए. 

टाइम को काम के लिए स्केड्यूल करिए लेकिन परिवार और अपनी खुशियों के लिए टाइम निकालना भी बहुत ज़रूरी है. 

टाइम को ब्लॉक करने से आपका स्ट्रेस कम होगा. आपको पता रहेगा कि आपका ध्यान टास्क को खत्म करने के ऊपर है. इससे आपको ये भी पता रहेगा कि लाइफ को टाइम के साथ एन्जॉय कैसे करना है? 

अपनी प्रियोर्टी को तय करिए, आपको पता होना चाहिए कि समय की डिमांड अभी क्या है? इसी टाइम में आपको आपनी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखना है. 

इस चैप्टर का सार ये है कि आपको लीडर के तौर पर टाइम को यूज़ करते आना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ को मैनेज कैसे करना है? यही एक सही लीडर के गुण और पहचान भी होती है.

सभी को एक तरह से ट्रीट करना सही नहीं है, लीडर बनने के लिए राईट अप्रोच को फॉलो करने की कोशिश करिए
आपको पता होना चाहिए कि इस किताब के लेखक एक सुपरहिट पॉडकास्ट भी चलाते हैं. उनके पॉडकास्ट में साल 2017 में एन.ऍफ़.एल सुपर बॉल चैम्पियन ‘Gary Brackett’ गेस्ट के तौर पर शामिल हुए थे. 

रिटायरमेंट के बाद ‘Gary Brackett’ ने एक रेस्त्रां की शुरुआत की थी. उनसे सवाल किया गया था कि वो भविष्य के मैनेजर्स को क्या सलाह देना चाहते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि लोगों को एक जैसे ट्रीट मत करिए, उन्हें सही से यानी फेयर ट्रीट करिए. 

‘Gary Brackett’ का मतलब था कि आपका नज़रिया हमेशा ही बड़ा होना चाहिए. जब कभी भी कर्मचारियों की परफॉरमेंस जज करनी हो तो आपका फेयर होना बहुत ज़रूरी है. उदाहरण के लिए अगर कोई कर्मचारी हमेशा टाइम से आता है. लेकिन एक हफ्ते वो किसी वजह से लेट आ रहा है. तो फिर उसे हमेशा लेट आने वाले कर्मचारी की तरह ट्रीट नहीं कर सकते हैं. 

रूल सबके लिए एक जैसा होना चाहिए. लेकिन उसे लोगों के हिसाब से अडजस्ट करते आपको आना चाहिए. 

कई मैनेजर्स ब्लैंकट रूल तय करते हैं. ये उनके लिए आसान हो जाता है. उन्हें सिचुएशन के हिसाब से अडजस्ट नहीं करना पड़ता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इस रूल के हिसाब से लिए गए फैसले सही ही होते हैं. 

इसलिए लीडर के तौर पर आपको फ्लेक्सिबल रहना चाहिए. आपको ट्रस्टड कर्मचारियों को लिबर्टी देना चाहिए. आपको नए कर्मचारियों के प्रति पुराने के बदले ज्यादा सख्त होना चाहिए. इससे पुराने कर्मचारियों के अंदर आपके प्रति ट्रस्ट डेवलप होता रहेगा. 

इसी तरह अपने समय को सभी कर्मचारियों को बराबर देने की ज़रूरत नहीं है. ‘Cy Wakefield’ के अनुसार हमेशा पुराने और भरोसेमंद लोगों को ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करिएगा. यही वो कर्मचारी हैं जो आपका आगे चलकर भी साथ देने वाले हैं. 

इस स्ट्रेटजी की मदद से नए कर्मचारी के अंदर भी मोटिवेशन आएगा कि वो भी मेहनत के दम पर उस पोजीशन तक पहुँच सकता है. इसलिए आपको समझना पड़ेगा कि लीडर के तौर पर आपके टाइम की वैल्यू बहुत अधिक है. इस टाइम को आपको काफी ज्यादा सोच समझकर खर्च करना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि किस कर्मचारी के समय की क्या वैल्यू है? आपको ये भी पता होना चाहिए कि किस इंसान को कितनी ज़िम्मेदारी देनी है. 

लेकिन आम तौर पर इसका उल्टा ही देखने को मिलता है. जो कर्मचारी कम उपयोगी होता है. वही आपका ज्यादा समय खाता रहता है. वेकफिल्ड ने ओब्सर्व किया था कि कम उपयोगी कर्मचारी लीडर्स का 80 प्रतीशत समय खा लेते हैं. 

वो लीडर्स के पास इसलिए रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें अपने टैलेंट पर भरोसा नहीं रहता है. वो लीडर्स की आँखों में अच्छा बनना चाहते हैं. लेकिन लीडर होने के नाते ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप टैलेंट की परख करना जान जाएँ. आपको पता होना चाहिए कि टैलेंटेड इंसान का व्यवहार कैसा रहता है?

ट्रांसपैरेंसी के महत्व को समझिए भी और इसे गले से लगाने की कोशिश भी करिए
अगर आपके पास एक मेल आए और उस मेल में आपका कर्मचारी आपको फटकार लगाए कि अगली बार मीटिंग में तैयारी के साथ आइएगा. वो बताए की आप कहाँ-कहाँ अंडर परफॉर्म कर रहे हैं. इसी के साथ वो चेतावनी दे कि ऐसा आगे नहीं चलेगा.

ऐसी सिचुएशन में आप कैसे रियेक्ट करेंगे? 

ऐसा कुछ ब्रिज वाटर के फाउंडर और सी.ई.ओ रे डेलियो के साथ हुआ था. लेकिन उस मेल के बाद डेलियो को गुस्सा नहीं आया था. फिर उन्होंने अपनी कंपनी में ट्रांसपैरेंसी को लागु किया था. उनके हिसाब से सी.ई.ओ को भी अंडर परफॉर्म नहीं करना चाहिए. 

इस पॉलिसी की वजह से उनकी कंपनी को काफी ज्यादा फंडिंग भी मिली थी. जिसकी कीमत 160 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा थी. 

रे डेलियो ने रैडिकल ट्रांसपैरेंसी का यूज़ किया था. कई रिसर्च में ये बताया गया है कि इस तरह की पारदर्शिता से कंपनी के कर्मचारी बेहतर काम करते हैं. रिसर्च में ये भी निकलकर सामने आया है कि इस तरह के कल्चर से टीम परफॉरमेंस भी बेहतर होती है. 

इसलिए आज के दौर में बहुत ज़रूरी है कि एक लीडर के तौर पर आपको इस खूबी को अपनाना चाहिए. 

वर्क प्लेस को बेहतर करने के लिए सक्सेस के साथ- साथ असफलता को भी अपनी टीम के साथ बांटना चाहिए. ऐसा करने से आप टीम को बेहतर समझ सकते हैं. आपको पता चलेगा कि आपकी टीम के अंदर कठिन सिचुएशन में काम करने का माद्दा है कि नहीं है. 

इस तरह के अप्रोच से टीम एफर्ट्स भी देखने को मिलता है. इसलिए इस बात को समझना बहुत ज़रूरी है कि पूरा खेल ही अप्रोच का है. 

टीम के प्रति आपका व्यवहार पॉजिटिव रहना चाहिए.

कनेक्शन का महत्त्व बहुत अधिक होता है, मज़बूत लीडर के पास मज़बूत कनेक्शन होने चाहिए
इस किताब के लेखक के पॉडकास्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कौन सा होता था? वो ये नहीं होता था जब ग्रेट अचीवर्स अपने सक्सेस की बात करते थे. वो होता था जब अचीवर्स अपने फेलियर की बात करते थे. 

तब आम लोग ज्यादा सुनना पसंद करते थे. उन्हें सुनना होता था कि फेल होकर कोई इतना सफल कैसे हो सकता है? उन्हें पता करना होता था कि ग्रेट लीडर्स भी क्या गलतियाँ करते हैं? उन गलतियों से आम लोग खुद को रिलेट करते थे. 

क्या कमज़ोर होना भी क्वालिटी हो सकती है? 

वलनरेबिलिटी इंसान के अंदर समय के साथ आती है. सिचुएशन उसे ऐसा बना देती हैं. 

पहले लोग वर्क प्लेस में अपनी कमजोरी को दिखाना पसंद नहीं करते थे. ऐसा करने से उनकी नौकरी भी जा सकती थी. इसलिए तब कोई भी अपनी पर्सनल दिक्कत वर्क प्लेस में बताना नहीं चाहता था. लेकिन अब समय बदल चुका है. 

अब वर्क प्लेस का माहौल भी बदल गया है. अब वलनरेबिलिटी लीडरशिप की एक क्वालिटी के रूप में जानी जाती है. 

अब सवाल उठता है कि वलनरेबिलिटी से वर्क प्लेस में मदद कैसे मिलती है? इसका जवाब है कि इससे ट्रस्ट पैदा होता है. न्यूरोसाइंस के अनुसार ट्रस्ट के साथ लोगों के अंदर दोस्ती का भाव आता है. ऐसे माहौल में काम और बेहतर तरीके से किया जा सकता है. 

कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि लोग ट्रस्ट वाली जगह में ही काम करना पसंद करते हैं. 

वलनरेबिलिटी से कर्मचारियों का कंपनी के प्रति इमोशनल इंगेजमेंट भी बढ़ता है. जहाँ से इंसान इमोशनल तौर पर जुड़ा होता है. वहां के प्रति वो ईमानदार भी होता है. इसलिए इस क्वालिटी की मदद से आप ईमानदार कर्मचारी पा सकते हैं. 

इससे लोगों के अंदर सेन्स ऑफ़ ओनरशिप का भी जन्म होता है. लीडर के लिए कनेक्शन का होना बहुत ज़रूरी होता है. लोगों का आपके प्रति एक मज़बूत कनेक्ट होना ही चाहिए. वो तभी होगा जब आप उनसे जुड़ाव महसूस करेंगे. 

इसके लिए आपकी मदद वलनरेबिलिटी ही कर सकती है. इसलिए आज से खुद को कमजोर समझने की गलती मत करिएगा. 

आज के नए दौर में कमज़ोरी भी ताकत का रूप ले सकती है. वलनरेबिलिटी लीडरशिप के लिए बहुत ज़रूरी है. एक लीडर के तौर पर आपको लोगों की भावनाओं को समझना होता है. इसलिए आपको भी इमोशनल होना ज़रूरी है. 

वलनरेबिलिटी से कनेक्शन मज़बूत होते हैं. लीडर के लिए मज़बूत कनेक्शन किसी वरदान से कम नहीं हैं.

कुल मिलाकर
अब समय आ गया है कि आप अपनी लीडरशिप स्टाइल के ऊपर गौर करें. कोशिश करें कि आप उसी तरह से लोगों को लीड करें. जैसा आप करना चाहते हैं. लोगों की बात में आना बंद करें और खुद की पर्सनालिटी को समझने का प्रयास करें. 

 

क्या करें? 

‘नो स्मार्ट फोन पॉलिसी’ से भी आपको मदद मिल सकती है. इसे ट्राय करने की कोशिश करिएगा. फ्लोरिडा स्टेट की रिसर्च में ये बात निकलकर सामने आई है कि स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन की वजह से आपके काम पर बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह से गलतियाँ ज्यादा होती हैं. भले ही आप उन नोटिफिकेशन का जवाब नहीं देते हैं. फिर भी उनका असर आपके ऊपर पड़ता है. इसलिए ये नियम आपको फायदा पहुंचा सकता है. 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Great Leaders Have No Rules  by Kevin Kruse

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