Emotional Intelligence...... ___🥺___😎

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Emotional Intelligence

Daniel Goleman
ईमोशनल इंटेलिजेंस की एहमीयत के बारे में जानें।

दो लफ़्ज़ों में
ईमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) में हम देखेंगे कि कैसे हम अपने आप को एक अच्छे, समझदार और बेहतर इंसान में बदल सकते हैं। हम देखेंगे कि ईमोशनल इंटेलिजेंस क्या है, इसका होना क्यों जरूरी है, हम कैसे इसे बढ़ा सकते हैं और इसका इस्तेमाल अपनी जिन्दगी में कहाँ कर सकते हैं।

यह किसके लिए है
- वे जो भावनाओं के बारे में जानना चाहते हैं और उन पर काबू पाना चाहते हैं।
- वे जो एक अच्छा लीडर या मैनेजर बनना चाहते हैं।
- वे जो सफलता, सेहत और ईमोशनल इंटेलिजेंस के बीच के संबंध के बारे में जानना चाहते हैं।

लेखक के बारे में
डेनियल गोलमैन (Daniel Goleman) एक लेखक और एक साइंस जर्नलिस्ट हैं। वे पिछले कई सालों से दिमाग और व्यवहार से संबंधित बातों के बारे में रिपोर्ट कर रहे हैं। उनकी लिखी गयी यह किताब अब तक 40 भाषाओं में ट्रांस्लेट की जा चुकी है और कई देशों में यह बेस्ट सेलर है।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?
बरसों से हम किसी के IQ से उसकी सफलता के बारे में अनुमान लगाते आएँ हैं। लेकिन क्या ऐसा सच में होता है कि तेज़ दिमाग वाले लोग ही जिन्दगी में कुछ बड़ा काम करते हैं? नहीं। IQ से हम किसी कि सफलता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

ईमोशनल इंटेलिजेंस हमारे दिमाग कि वह क्षमता है जिसकी मदद से हम अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझ पाते हैं और उसके हिसाब से काम कर पाते हैं। यह किताब हमें ईमोशनल इंटेलिजेंस के महत्व के बारे में बताती है। इसके अलावा इस किताब से हम यह सीखेंगे कि कैसे हम अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से एक अच्छा समाज बना सकते हैं और अपने बच्चों को समझदार बना सकते हैं।

इस किताब में हम देखेंगे कि हम कैसे अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकते हैं। हम देखेंगे कि इसका सफलता से क्या लेना देना है और इसकी हमें क्या जरूरत है।

 

भावनाएं आपकी जिन्दगी को एक नया रूप देती हैं।
ज्यादातर लोगों को लगता है कि भावनाएं सिर्फ रिश्ते बनाने के काम में आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके पास भावनाएं नहीं होती तो आपकी जिन्दगी कैसी होती। आइए देखें कि भावनाओं का हमारी जिन्दगी में क्या काम होता है जिससे हम इसकी एहमियत को समझ सकें।

- भावनाओं से हम बहुत सी चीजें सीखते हैं -: क्या आपने कभी किसी बच्चे को सीढ़ी के पास खेलने से मना किया है और उसने आपकी बात नहीं मानी जिससे वह नीचे गिर गया हो? अगर हाँ तो आप ने यह देखा होगा कि वह बच्चा गिरने के बाद सीढ़ी के पास कभी नहीं खेलने गया होगा। 

भावनाएं हमारे अंदर अनुभव पैदा करती हैं और अनुभव से हम बहुत सी बातें सीखते हैं। जब वह लड़का सीढ़ी के पास खेलते वक्त गिर गया तब उसे दर्द हुआ। यह दर्द उसके दिमाग में एक याद और एक अनुभव की तरह बस गया। इसलिए इस घटना के बाद वह कभी भी सीढ़ी पर खेलने नहीं गया क्योंकि वहाँ खेलने का उसका अनुभव अच्छा नहीं था।

- भावनाओं की मदद से हम दूसरों को समझ पाते हैं -: अगर आप किसी को चुप चाप , सिर झुकाए और भीगी आँखों के साथ बैठा देखें तो आप उस व्यक्ति के बारे में क्या कहेंगे? आप अंदर ही अंदर समझ जाएंगे कि वह व्यक्ति उदास है या किसी चीज़ को लेकर बहुत परेशान है। ऐसा भी हो सकता है कि आप यह बता दें कि वह इसके बाद क्या करेगा।

- भावनाएं हमें कोई काम करने पर मजबूर करती हैं -: जब आपने उस रोते हुए आदमी को देखा तो शायद आप भी दुखी हो गए होंगे। शायद आप जाकर उससे बात करें और उसकी मदद करने की कोशिश करें। आपकी भावनाएं ही आपके काम करने की वजह हैं।

20वीं शताब्दी में कुछ दिमागी मरीजों का आपरेशन किया गया था जिसका नाम लोबोटोमी था। इस आपरेशन में उनके दिमान के दोनों हिस्सों को अलग कर दिया गया था जिससे उनके अंदर भावनाएं पैदा नहीं हो पा रही थीं। आपरेशन के बाद इन मरीजों की यह सोचने की क्षमता खत्म हो गई कि उन्हें क्या काम करना है।

भावनाएं हमारी अजीबो-गरीब हरकतों के लिए भी जिम्मेदार हैं।
भावनाओं को अगर सही तरह से ना संभाला जाए तो ये हम से बहुत सारी गलतियाँ भी करा सकते हैं। आइए देखें ऐसा कब होता है।

- जब आप ज्यादा ईमोशनल होते हैं : अगर आपके अंदर ज्यादा भावनाएं पैदा हो रही हैं तो आपके सोचने की क्षमता कम हो जाती हैं और आप अजीब सी हरकतें करने लगते हैं। जैसे अगर आप रात में कहीं अकेले जा रहे हों और अचानक आपका भाई आपके सामने आकर खड़ा हो जाए तो शायद आप डर के मारे चिल्लाने लगें। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप पहले से डरे होते हैं और ऐसे में आपका दिमाग सही से नहीं सोच पाता।

- जब आप जल्दबाजी में कोई काम करते हैं : कभी कभी आपका दिमाग आपके अंदर कुछ ऐसी भावनाएं पैदा कर सकता है जिससे आप कोई फैसला बिना सोचे समझे वे लेते हैं। दिमाग के एक हिस्से का नाम नीओकार्टेक्स है जो सोचने में हमारी मदद करता है। अगर आपके दिमाग में कुछ ऐसे संदेश जाएँ जिससे आपका दिमाग खतरे को भाँप ले तो आपका ईमोशनल ब्रेन नीओकार्टेक्स की सलाह लिए बगैर तुरंत कोई हरकत कर देगा। शायद इसलिए आप अंधेरे में रखी गई कुर्सी को भूत समझ कर भाग जाएँ।

- जब पुरानी भावनाओं का असर दिमाग में हमेशा के लिए रह जाए : क्या आपको वह बच्चा याद है जो सीढ़ी पर खेलते वक्त गिर गया था? गिरने पर शायद उस बच्चे के दिमाग में गिरने का डर हमेशा के लिए बैठ जाए और वह सीढ़ियों से उतरते वक्त भी डरे। 

इस तरह कभी कभी हमारी भावनाएं हम पर हावी हो जाती हैं और हम अनजाने में ही कुछ गलतियां कर बैठते हैं।

 

ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से हम अपनी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं।
अब आप जान गए हैं कि भावनाओं को काबू करना क्यों जरूरी है। आइए देखें कि ईमोशनल इंटेलिजेंस क्या है और भावनाओं को काबू करने में यह आपकी मदद कैसे कर सकता है।

भावनाओं को काबू करने से पहले आपको अपनी भावनाओं को समझना होगा। आपको यह जानना होगा कि उन भावनाओं के नाम क्या हैं और क्यों वे आपके अंदर पैदा हो रही हैं। इस तरह से आप उनके बारे में और उनके पैदा होने की वजह के बारे में जान सकते हैं और उन पर आसानी से काबू पा सकते हैं।

हमारी भावनाएं हमारी सोच पर निर्भर करती हैं। अगर आप किसी चीज़ के बारे में अच्छा सोचने की कोशिश करें तो आपके अंदर उसके लिए अच्छी भावनाएं पैदा होंगी। लेकिन अगर आप उसी चीज़ के गाढ़े हिस्से को देखना शुरू करें तो उसके बारे में सोचकर आप गुस्सा हो जाएंगे। इसलिए आप अपनी भावनाओं को जिस तरह से काबू करना चाहते हैं सबसे पहले आप उसी तरह से सोचिए।

जब आप अपनी भावनाओं को काबू करते हैं तब ईमोशनल इंटेलिजेंस इसमें आपकी मदद करता है। यह आपको अपनी भावनाओं को सही दिशा में ले जाने का काम करता है।

मान लीजिए आप सुबह उठते हैं और आपका काम पर जाने का मन नहीं करता। आप के मन में आता है कि आज आप काम पर न जाकर कहीं घूमने चले जाएं। ऐसे में ईमोशनल इंटेलिजेंस आपकी मदद कर सकता है।

अगर आप अपने काम की अच्छी चीज़ों पर नजर डालें तो आपका कम करने का मन करेगा। इस तरह से आप अपने घूमने की इच्छा को कम कर सकते हैं।

यह देखा गया है कि जो बच्चे अपने काम को मैनेज करना जानते हैं वे कम IQ के होने के बाद भी स्कूल में और अपनी जिन्दगी में अच्छा कर पाते हैं।

 

ईमोशनल इंटेलिजेंस समाज के लोगों से घुलने मिलने में हमारी मदद करता है।
समाज और लोगों का हमारी जिन्दगी में एक बहुत अहम हिस्सा होता है। ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से हम लोगों को समझ पाते हैं और इस तरह से उन्हें आसानी से काबू कर पाते हैं। इससे हम अपनी और दूसरों की भावनाओं में ताल मेल बैठा कर उनसे अच्छे संबंध बना पाते हैं।

ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से हम लोगों के चेहरे के भाव और उनकी हरकतों को देख कर उनके मूड के बारे में बहुत सी बाते बता सकते हैं। इससे हम यह भी तय कर सकते हैं कि हमें उनके साथ या उनके सामने कैसा व्यवहार करना है। जैसे अगर आप किसी को गुस्से में देखें तो आप यह तय कर सकते हैं कि आपको उसका गुस्सा शांत करने के लिए क्या काम करना है।

इस तरह से आप लोगों को उनके स्वभाव और उनके मूड के हिसाब से संभालना सीख सकते हैं और उनसे अच्छे संबंध बना सकते हैं। अच्छे संबंध बनाने के बहुत सारे फायदे होते हैं। अगर आप एक टीचर हैं और बच्चों के साथ आपके संबंध अच्छे हैं तो वे आपका कहा मानेंगे और आपकी इज्जत करेंगे।

जिन लोगों का ईमोशनल इंटेलिजेंस मजबूत होता है वे दूसरे लोगों को अच्छे से समझा पाते हैं, झगड़ों को आसानी से सुलझा पाते हैं और एक अच्छे लीडर बन कर अपने लोगों को अच्छे से मैनेज कर पाते हैं।

मान लीजिए कि आप किसी कंपनी के मैनेजर हैं जहाँ पर एक कर्मचारी बार बार एक ही गलती कर रहा है। अगर आप उसे उसकी गलती के लिए डाँटेंगे तो शायद वह बुरा मान जाए और आपकी बात ना माने। लेकिन अगर आप उसके स्वभाव के हिसाब से उसे समझाएँ तो वह आपकी बात मान लेगा और अपने काम को अच्छे से करेगा।

 

दिमाग के सोचने वाले और महसूस करने वाले हिस्से के बीच का कनेक्शन जितना मजबूत होगा, आपका ईमोशनल इंटेलिजेंस उतना ज्यादा होगा।
हम अपनी सोचने समझने की क्षमता से अपने भावनाओं को काबू कर सकते हैं। जब हमारे दिमाग का सोचने वाला हिस्सा हमारे दिमाग के महसूस करने वाले हिस्से से मजबूती से जुड़ा होता है तब हम अपने फैसलों को अच्छे से ले पाते हैं और अपनी भावनाओं को जरूरत के हिसाब से काबू कर पाते हैं।

अगर आपके इन दो दिमागी हिस्सों के बीच का कनेक्शन ठीक नहीं है तो आप कमजोर या खराब ईमोशनल इंटेलिजेंस के हो सकते हैं। लोबोटोमी के मरीजों में यही खराबी थी। उनके दिमाग के दो हिस्सों को जब अलग कर दिया गया तब उनके फैसले ले कर काम करने की क्षमता खत्म हो गई। अगर आप किसी तरह अपने इन दो दिमागों के बीच का कनेक्शन तोड़ दें तो आप चीजों को सही से महसूस नहीं कर पाएंगे। 

हमारे दिमाग का महसूस करने वाला हिस्सा अपने आस पास के माहौल को भाँप कर उसके हिसाब से काम करता है जब की हमारे दिमाग का सोचने वाला हिस्सा आस पास के माहौल को जाँच कर उसके हिसाब से काम करता है। जब ये दोनों हिस्से बैलेंस में रहते हैं तब हम सही तरह काम कर पाते हैं। और हम इमोशनल इंटेलीजेंट बन जाते हैं।

अगर आप कहीं ज़ोर से धमाके की आवाज सुनें तो आपका ईमोशनल ब्रेन खतरे को तुरंत भाँप लेगा और आप पता नहीं क्या क्या सोच लोगे, कहीं ये गोली चलने की आवाज़ तो नहीं, कहीं गैस सिलेंडर में विस्फोट तो नहीं हुआ? लेकिन अगर आप एक बार अपने आस पास नज़र घुमा कर देखें कि यह आवाज कहाँ से आई और आपको पता लगे कि यह पटाखे की आवाज़ थी तो आप नहीं डरेंगे। इस तरह से हम सही फैसले ले पाते हैं।

 

अगर आपका ईमोशनल इंटेलिजेंस ज़्यादा है तो आपके कामयाब होने की संभावना भी ज्यादा हैं।
आपने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मार्शमैलो टेस्ट के बारे में सुना होगा। इस टेस्ट में कुछ चार साल के बच्चों को एक कमरे में मार्शमैलो के साथ बैठा दिया गया और उनसे कहा गया कि अगर वे अपने आप को मार्शमैलो खाने से 30 मिनट तक रोक लेंगे तो उन्हें 30 मिनट के बाद दो मार्शमैलो दिए जाएंगे। जिन बच्चों ने अपने आप पर काबू पा लिया वे आगे चलकर हर तरह से कामयाब हुए।

जिन लोगों के पास ईमोशनल इंटेलिजेंस ज्यादा होता है वे अक्सर सफल होते हैं। इससे वे एक अच्छे मैनेजर बन सकते हैं और लोगों को अच्छे से काबू कर पाते हैं। लेकिन जो लोग खुद पर काबू नहीं कर पाते वे सफल नहीं हो पाते। सफलता के लिए अनुशासन जरूरी है और अनुशासन को बनाए रखने के लिए खुद पर काबू पाना जरूरी है।

इसके अलावा ईमोशनल इंटेलिजेंस आपको सेहतमंद भी रख सकता है। ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से आप अपने गुस्से और बेचैनी को काबू कर सकते हैं। अगर आप अपने अंदर की नेगेटिव भावनाओं को काबू कर लें तो आप अपने आप को तनाव से बचा सकते हैं और अपने दिमाग को खुश रख कर आप एक सेहतमंद जिन्दगी जी सकते हैं।

एक स्टडी में यह पाया गया कि जो लोग तनाव में रहते हैं दे बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। इस तरह से हम कह सकते हैं कि तनाव हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है जिससे हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

इसके अलावा तनाव की वजह से हाइ ब्लड प्रेशर का खतरा होता है जो हर्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देता है। अगर आप गुस्से, तनाव और बेचैनी जैसी भावनाओं पर काबू पाना सीख लें तो आप एक सेहतमंद जिन्दगी जी सकते हैं।

 

किसी देश का भविष्य वहाँ के बच्चों के ईमोशनल इंटेलिजेंस पर निर्भर करता है।
अब तक हमने देखा कि  किस तरह से अच्छे ईमोशनल इंटेलिजेंस से हम एक बेहतर और कामयाब इंसान बन सकते हैं। ईमोशनल इंटेलिजेंस की मदद से हम दूसरों की भावनाओं को अच्छे से समझ पाते हैं और उसी के हिसाब से काम कर पाते हैं। इसका मतलब अगर आपका ईमोशनल इंटेलिजेंस ज्यादा है तो आप डकैती, मर्डर या रेप जैसे अपराध नहीं करेंगे।

जो अपराधी किसी के साथ बेरहमी करते हैं उनमें ईमोशनल इंटेलिजेंस बहुत कम होता है। अगर हम अपने बच्चों में ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ावा दें तो व आगे चलकर एक अच्छे नागरिक बन सकते हैं।

कम ईमोशनल इंटेलिजेंस से अपराध के अलावा शराब और ड्रग्स की लत भी बढ़ती है। जो लोग नशा करते हैं वे भी अपनी भावनाओं को अच्छे से काबू नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह से वे अपने तनाव या अपनी बेचैनी से छुटकारा पाने के लिए इन चीजों का इस्तेमाल करते हैं।

अगर एक बच्चा ज्यादा ईमोशनली इंटेलीजेंट लोगों के बीच पले बढ़े तो उसमे भी ज्यादा ईमोशनल इंटेलिजेंस होता है। इसलिए यह जरूरी है कि पैरेंट्स अपने अंदर के ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाएँ जिससे उनका बच्चा आगे चलकर एक अच्छे नागरिक में बदल सके।

जिन बच्चों के अंदर ईमोशनल इंटेलिजेंस ज्यादा होता है वे दूसरों को चिढ़ाते नहीं हैं, वे अपने टीचर के और अपने आस पाम के लोगों की भावनाओं को समझ पाते हैं जिसकी वजह से लोग उन्हें पसंद करते हैं और अगर सभी बच्चों में ज्यादा ईमोशनल इंटेलिजेंस हो तो वे आपस में प्यार से रह कर अपने झगड़े खुद ही सुलझा सकते हैं या झगड़ा होने से पहले ही उसे रोक सकते हैं।

अपने देश के बेहतर भविष्य के लिए हमें अपने बच्चों को ईमोशनल इंटेलीजेंट बनाना बहुत ज़रूरी है।

 

ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाने के बहुत से रास्ते हैं।
अब आप यह सोच रहे होंगे कि क्या आप अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकते हैं। इसका जवाब हाँ है। बहुत सारे ऐसे एक्सरसाइज़ हैं जिनकी मदद से आप अपने ईमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ा सकते हैं। आइए उनमें से कुछ पर नजर डालें।

आप सबसे पहले अपने अंदर की भावनाओं को सवाल कर के उन्हें पहचानिए। जैसे अगर आपके किसी दोस्त ने आपको अंदेखा कर दिया जिसकी वजह से आप परेशान हैं तो आप अपने आप से यह सवाल कीजिए कि आप परेशान क्यों हैं। अब इसका जवाब आपको मिलेगा कि आपके दोस्त ने आपको अन्देखा किया जिसकी वजह से आप परेशान हैं।

अब जब आपने अपनी भावना और उसकी वजह को पहचान लिया है तो आप उसे किसी और दिशा में ले जाइए। आप खुद से पूछिए कि उसने आपको अन्देखा क्यों किया। इसका जवाब आपको मिल सकते है कि शायद वह किसी गहरी सोच में रहा होगा जिसकी वजह से उसने मुझे नहीं देखा। इस तरह से आप अपने तनाव पर काबू पा सकते हैं।

अगर आप किसी को सांत्वना देना चाहते हैं तो उनकी नकल कीजिए। इससे आप उसकी भावनाओं को महसूस कर पाएंगे और उसे समझ कर आप अपने अंदर से उसे राहत पहुंचाने के लिए कुछ शब्द निकाल पाएंगे।

अगर आप खुद को हमेशा प्रेरित रखना चाहते हैं तो आप अपने सोचने का तरीका बदलिए। हमारे सोचने का तरीका हमारी भावनाओं से जुड़ा होता है। अगर आप अच्छा महसूस करना चाहते हैं तो आप अच्छा सोचिए।

अगर आप हार गए हैं तो आप अपने आप से पूछिए कि जीतने वाले ने ऐसा क्या किया जो वह जीत गया। या आप खुद से पूछिए कि आप क्या कर देते जिससे आप जीत जाते। इससे आपको अपने अंदर सुधार करने के अलग अलग रास्ते मिल सकते हैं जिसका इस्तेमाल कर आप फिर से कोशिश करेंगे और जीत हासिल कर सकेंगे।

लेकिन अगर आप हारने पर सोचते हैं कि यह आपकी किस्मत में नहीं था या आपकी किस्मत खराब है तो आप कभी दोबारा कोशिश ही नहीं करोगे।

 

ईमोशनल इंटेलिजेंस से आप अपनी ज़िन्दगी में काफी अच्छे बदलाव कर सकते हैं।
अब आप यह सवाल पूछ रहे होंगे कि ईमोशनल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल आप अपनी जिन्दगी में कहाँ कर सकते हैं। इसका सबसे अच्छा जवाब है अपने रिश्तों को बनाए रखने में।

अगर आप ईमोशनली इंटेलीजेंट हैं तो आप अपने परिवार वालों की समस्याएं सुनेंगे और कुछ ऐसा काम करेंगे जिससे उन्हें राहत मिले। अक्सर यह माना जाता है कि लड़कियाँ भावनाओं से भरी होती हैं और लड़कों के अंदर भावनाएं कम होती हैं या वे अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करते हैं। ऐसे में अगर लड़कियां कोई परेशानी लेकर आएं तो लड़के उसका समाधान बताने लगते हैं जब कि यह सही नहीं है। समस्या का समाधान हर कोई ढूंढ सकता है। वह आपको अपनी समस्या इसलिए बता रही है ताकि आप उसकी भावनाओं को समझ कर उसे सांत्वना दें जिससे वह अच्छा महसूस कर सके। इस तरह से आप अपने पार्टनर को अच्छे से समझ सकते हैं।

इसके अलावा जब आपका किसी से झगड़ा हो रहा हो तो बेहतर है कि आप शांत हो जाएं जिससे झगड़ा सुलझ जाए। कभी कभी शांति से से जिन्दगी जीना अपने आप को सही साबित करने से ज्यादा अच्छा होता है। झगड़ा करने के बाद आप तनाव में जा सकते हैं इसलिए बेहतर है कि उसे पहले ही सुलझा दें।

अगर आपको किसी की गलती के लिए उसकी बुराई कर रहे हो तो रुकिए, आप गलती की बुराई पर ध्यान दीजिए ना कि उस व्यक्ति की बुराई पर। आप उसे बताइए कि उसने क्या गलत किया और उसे सुझाव दीजिए कि वह उस गलती को सुधारने के लिए क्या कर सकता है। इस तरह से वह व्यक्ति अपनी आप को गिरा हुआ महसूस नहीं करेगा और ना ही वह आपके लिए अपने अंदर गलत भावनाओं को पैदा करेगा।

 

कुल मिला कर
अपनी और दूसरों की भावनाओं को अच्छे से समझ कर उसके हिसाब से सही फैसले ले पाना ही ईमोशनल इंटेलिजेंस है। इसकी मदद से हम बढ़ते अपराधों को रोक सकते हैं, एक अच्छा समाज बना सकते हैं, सफलता पा सकते हैं और खुद को एक खुश इंसान में बदल सकते हैं। हम खुद से सवाल कर के इसे बढ़ा सकते हैं और इससे अपने रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं।

- अपने बच्चों से कहिए कि वे अपनी भावनाओं को आपके साथ बाँटें।

आपके बच्चों को अपनी भावनाओं की सही समझ नहीं होगी। इसलिए आप उनसे बातें कर के उनकी भावनाओं को नाम दीजिए और उस भावना को इस्तेमाल करना सिखाइए।

- उनकी तारीफ कीजिए।

अगर आपका बच्चा कोई अच्छा काम कर के आता है या फिर अच्छे नंबर ले कर आता है तो आप उसकी मेहनत और उसकी सफलता के लिए उसकी तारीफ कीजिए। ऐसा करने से उसका हौसला बढ़ेगा। और अगर आप उसकी मेहनत की तारीफ करोगे तो वो भविष्य में और ज़्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित होगा. 

- दूसरों की गलतियों की बुराई कीजिए, ना कि उस व्यक्ति की.

आप दूसरों की गलतियों में खराबी निकालिए ना कि उस व्यक्ति में। आप उन्हें बताइए कि वे किस तरह से अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं। ऐसा करने पर आप उनके आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुँचाएंगे जिससे वे आपकी इज्जत करेंगे।

- झगड़े के वक्त शांत रहना सीखें।

शांति से जिन्दगी जीना खुद को सही साबित करने से ज्यादा जरूरी है। इसलिए आप झगड़े के वक्त शांत हो जाइए। इससे झगड़ा तुरंत ही खत्म हो जाएगा।


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