Eat Better, Feel Better

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Eat Better, Feel Better

Giada De Laurentiis
फिट रहने के लिए एक सेलिब्रिटी शेफ की सलाह और कुछ रेसिपीज

दो लफ्जों में
2021 में आई इस किताब को संतुलित आहार की जानकारी देने वाली गाइड कहा जाना ज्यादा सही है जो
Giada De Laurentiis के अनुभवों पर आधारित है। ये किताब बताती है कि गिआडा को अपनी सेहत से जुड़ी क्या परेशानियां आईं और उन्होंने कैसे अपने खान-पान और जीवनशैली को बदलकर उनको दूर किया। इन बातों को जानकर आपको भी ऐसे बदलाव करने में मदद मिलती है जो इन्फ्लामेशन को कम करके आपको स्वस्थ रखते हैं। 

ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
- जो लोग फूडी हैं पर अपनी सेहत को लेकर सजग भी रहते हैं
- जो लोग बर्नआउट, डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स या कमजोरी से परेशान हैं
- गिआडा डी लॉरेंटिस के प्रशंसक 

लेखिका के बारे में
गिआडा, इटालियन-अमेरिकन मूल की शेफ और लेखिका हैं। उनको अक्सर टीवी पर देखा जा सकता है। जहां वे नियमित रूप से फूड नेटवर्क के एवरीडे इटालियन, गिआडाज वीकेंड गेटवेज और गिआडा इन पैराडाइज जैसे शो में नजर आती हैं। वे एनबीसी के टुडे नामक शो पर भी गेस्ट को होस्ट के रूप में दिखाई देती हैं।मॉडर्न डाइट हमारे पाचन पर बुरा असर डालती है।
एक सिंगल मदर और कई कुकिंग शो के होस्ट की भूमिका निभाते हुए गिआडा का ज्यादातर वक्त भागमभाग में गुजरा। उनको अपनी नींद से समझौता करना पड़ा, एनर्जेटिक बने रहने के लिए कैफीन और चीनी पर निर्भर रहना पड़ा। बिजी शेड्यूल की वजह से उनके पास आराम से खाने-पीने का वक्त भी नहीं होता था। इसलिए उनको जो कुछ मिल जाता वो खाना पड़ता। आनुवंशिक रूप से वो दुबली-पतली थीं। लेकिन गलत खानपान ने उनके शरीर पर अपना बुरा असर दिखाना शुरु कर दिया। 

पेट में भारीपन, दर्द और एसिड रिफ्लेक्स उनके लिए रोज की बात हो गई थी। उनकी आंखों के नीचे सूजन आ गई और वे रोजेशिया से भी पीड़ित हो गईं। इससे उनके चेहरे पर लालिमा आ गई। इसके बाद उनको क्रॉनिक साइनुसाइटिस ने भी जकड़ लिया। अब पानी सर से ऊपर जा चुका था। उन्होंने तय किया कि अगर खुद को ठीक रखना है तो अपने खान-पान पर पूरी तरह से ध्यान देना जरूरी होगा। यहीं से क्लीन डाइट की शुरुआत हुई। आगे आने वाले लेसन्स उनके सालों के अनुभवों का निचोड़ हैं। इनसे आप सीख सकते हैं कि किस तरह अपने खान-पान में थोड़े बदलाव करके उसे संतुलित किया जा सकता है। जिससे आप पहले से कहीं ज्यादा हेल्दी और फिट रह सकते हैं। इस समरी को पढ़ कर आप जानेंगे कि बिना पांच मिनट भी लगाए हेल्दी फूड कैसे बनाएं? हेल्दी डाइट में पास्ता किस तरह शामिल किया जा सकता है और • तीन दिन की क्लीन डाइट के साथ कैसे अपनी सेहत को सुधारने की गति बढ़ाई जा सकती है?

तो चलिए शुरू करते हैं!

मॉडर्न डाइट हमारे पाचन पर बुरा असर डालती है। मान लीजिए कल आपकी एक इम्पॉर्टन्ट मीटिंग है। तो आज रात आप कैसा खाना पसंद करेंगे? तली और मसालेदार चीज या सूप जैसी कोई हल्की चीज? सूप की संभावना ही ज्यादा होगी। क्योंकि आप इतने जरूरी दिन से पहले पाचन संबंधी कोई रिस्क नहीं लेना चाहेंगे। यानि इस बात को आप भी मानते हैं कि हैवी और प्रोसेस्ड फूड नुकसानदायक होते हैं। फिर भी रोजमर्रा के भोजन में आप जी भर के यही सब खाते हैं। ज्यादातर लोगों को इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि कब अनहेल्दी फूड हमारे शरीर को नुकसान पंहुचाना शुरु कर देता है। गिआडा एक बार अपनी एक दोस्त की गोद भराई में गईं। वहां मौजूद लगभग आधे लोग पेट या पाचनतंत्र की समस्याओं से पीड़ित थे और इसके लिए दवाइयां ले रहे थे। जबकि वे उम्र के बीसवें और तीसवें दशक में थे। पाचन में आपके गट माइक्रोबायोम की मुख्य भूमिका रहती है। ये और कुछ नहीं बल्कि आपकी आंत में मौजूद सूक्ष्मजीवों की एक कॉलोनी ही है। जब आपका माइक्रोबायोम हेल्दी होता है तो ये आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन को छोटे कणों में तोड़ देता है। ताकि पोषक तत्व आपके शरीर में मिल सकें। ये माइक्रोबायोम आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत और आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जब आप कुछ ऐसा भोजन खाते हैं जिसे शरीर हानिकारक मानता है तो आपका इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है। इसकी वजह कोई ऐसा प्रोटीन या टॉक्सिन हो सकता है जिसे शरीर आसानी से तोड़ नहीं पाता है। जैसे कि डेयरी प्रोडक्ट या ग्लूटेन में पाया जाता है। ऐसे में आंत के बैक्टीरिया इस दुश्मन को खत्म करने के लिए जी जान लगा देते हैं। ये सिचुएशन इन्फ्लामेशन को जन्म देती है और आपको तरह-तरह की परेशानियां होती हैं। 

इसे ऐसे समझ लीजिए कि आप जो उल्टा-सीधा खा रहे हैं वो एक बाल्टी में इकट्ठा होता जा रहा है। ये बाल्टी और कहीं नहीं आपके शरीर में ही है। जब कभी ये बाल्टी भर जाएगी तो ये सब बाहर निकलकर शरीर में इधर-उधर फैलने लगेगा और जहां-जहां फैलेगा वहां नुकसान दिखाएगा। जब शरीर को लगातार टॉक्सिक चीजों का सामना करना पड़ता है तो इन्फ्लामेशन बढ़ने लगता है। इसकी वजह से इम्यून सिस्टम सही तरह से काम नहीं कर पाता और हेल्दी सेल्स को भी टार्गेट करने लग जाता है। आपने सुना होगा कि पेट ठीक तो सब ठीक। जब पाचन बिगड़ता है तो तरह-तरह की परेशानियां आती हैं। जैसे थकान, कमजोरी, तरह-तरह के दर्द, स्किन प्रॉब्लम्स और यहां तक ​​कि कैंसर, डायबिटीज या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। अधिकांश लोग लक्षणों के आधार पर दवा लेकर पाचन संबंधी तकलीफों को दूर कर लेते हैं। लेकिन अगर आप गंभीर बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आपको जड़ तक पहुंचने की जरूरत है और इसके लिए अपनी डाइट में बदलाव करना पड़ता है।

इस बात का पता लगाएं कि कौन सा भोजन आपको नुकसान पंहुचाता है।
अगर आप डॉक्टर के नाम से डरते हैं तो थोड़ा बहादुर बनिए। गिआडा रूटीन हेल्थ चेकअप को बहुत जरूरी मानती हैं। वे नियमित रूप से किडनी, थायरॉइड और लीवर की जांच कराती हैं। ब्लड टेस्ट भी कराती हैं। इससे ये समझने में आसानी होती है कि उनके शरीर को सही पोषण मिल रहा है और टॉक्सिन का लेवल कंट्रोल में है। अपने भोजन में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले वो अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लेती हैं। अगर आपको पेट दर्द, वजन अचानक कम या ज्यादा होना या दस्त जैसी परेशानियां हों तो डाइट चेंज से बात नहीं बनती। यहां डॉक्टर की सलाह सबसे जरूरी होती है। लेकिन अगर आपको डॉक्टर ने डाइट प्लान बदलने को कहा है तो सबसे पहले ये पता लगाना जरूरी होता है  कि कौन सी चीजों को शामिल करना है और किन से दूरी बनानी है। यानि आपको अपने शरीर के सिग्नल्स को सुनना और समझना है। एक ही तरह के भोजन का असर हर व्यक्ति में अलग हो सकता है। किसी के लिए मूंगफली जैसी छोटी सी चीज भी इन्फ्लामेशन की वजह बन सकती है। हो सकता है कुछ चीजों का आपको पहले से पता हो। उदाहरण के दिए अगर आप ग्लूटेन या डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए इन टॉलरेंट हैं और ये बात आपकी समझ में आ गई है तो आपने पहले से ही इन खाद्य पदार्थों से दूरी बना ली होगी। पर हमें हर चीज का अंदाजा होना मुश्किल है। 

अगर आप नहीं जानते कि कौन सी चीजें आपका नुकसान करती हैं तो एलिमिनेशन का तरीका अपनाकर देखिए। भोजन से कुछ खाद्य पदार्थों को हटा दें और देखें कि क्या होता है। अगर आपको कुछ राहत महसूस होती है तो इस बात की पूरी संभावना बनती है कि ये भोजन आपमें इन्फ्लामेशन पैदा कर रहा था। ऐसे भी कई खाद्य पदार्थ हैं जो सबको नुकसान पंहुचाते हैं। इनमें शराब, प्रोसेस्ड फूड, कैफीन, रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, ग्लूटेन, चीनी, रिफाइंड अनाज और कार्ब्स आते हैं। आपको बहुत सोच समझकर इनका इस्तेमाल करना चाहिए। यानि कम से कम इस्तेमाल। टॉक्सिन का लेवल कम करने के लिए आपको कमर्शियली तैयार किया गया मीट, टूना या स्वोर्डफिश जैसी कुछ खास तरह की मछलियां और पैकेज्ड फूड में भी कटौती करनी चाहिए। पैकेज्ड चिकन ब्रोथ या मेवों के दूध जैसे उत्पादों में रसायन या एडिटिव्स हो सकते हैं जो आपकी सेहत ठीक होने में बड़ी रुकावट बन जाते हैं। आप भोजन में टमाटर, मिर्च, आलू और बैंगन को भी कम कर सकते हैं। ये फल और सब्जियां नाइटशेड कैटेगरी में आती हैं। कुछ लोगों को अजीब लग सकता है कि ये सब चीजें भी नुकसानदायक हो सकती हैं। लेकिन नाइटशेड में मौजूद एल्केलॉइड, इन्फ्लामेशन की वजह बनते हैं। इटालियन भोजन में टमाटर तो बहुत जरूरी चीज है। इसलिए एक इटालियन शेफ के रूप में गिआडा टमाटर से पूरी तरह से परहेज नहीं करती हैं। लेकिन उन्होंने इसकी कटौती करना सीख लिया है। 

भोजन में ऐसी चीजों को शामिल करें जो आंतों को हेल्दी रखती हैं। आपके लिए सबसे अच्छी बात ये है कि अपनी डाइट को बदलने का मतलब यह नहीं है कि आपको अपने पसंदीदा भोजन को भूलना होगा। यहां तक कि अगर आप ग्लूटेन इन टॉलरेंट नहीं हैं तो पिज्जा या पास्ता छोड़ने की भी जरूरत नहीं है। अगर आप ज्यादातर हेल्दी फूड खाते हैं तो आपका शरीर कभी-कभार इन्फ्लामेशन पैदा करने वाले भोजन को भी सह जाएगा। डाइट प्लान बदलने की शुरुआत उन चीजों से की जानी चाहिए जो हेल्दी भी हों और टेस्टी भी। जब आप इसके अच्छे नतीजे देखते हैं तो आप खुद ब खुद हेल्दी फूड की तरफ बढ़ने लगते हैं। आपको ऐसी चीजें खानी चाहिए जो पोषक तत्वों से भरपूर हों, टॉक्सिन और दूषित पदार्थों से मुक्त हों। ताकि ये आपके इम्यून सिस्टम पर बोझ न बनें। ऐसे भोजन में सब्जियां, साग, शकरकंद, चिकन, टर्की या लैंब जैसे लीन मीट शामिल किए जा सकते हैं। आपको ऐसे पशु उत्पाद खरीदने चाहिए जो क्लीन, फ्री-रेंज या ग्रास फेड आधारित हों और उनमें कीटनाशक और हार्मोन कम से कम हों। गिआडा के पास इटालियन व्यंजनों की लंबी लिस्ट है जो आंतों को स्वस्थ रखती है। पहले जहां उनके हर भोजन में पास्ता की चार सर्विंग रहती थी अब वो घटकर दो या तीन पर आ गई है। इस तरह खाने में दूसरी पौष्टिक चीजों की मात्रा बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए चिकन और ब्रॉकली राब के साथ फुसिली पास्ता की डिश लें। इस रेसिपी को हेल्दी बनाने के लिए वो सॉसेज बदल देती हैं और पास्ता कम कर देती हैं। 

अब हम इसकी रेसिपी बताते हैं। ब्रॉकली राब को 1 इंच के टुकड़ों में काट लीजिए। अब इसमें कोषेर नमक मिलाकर उबलते पानी में एक मिनट के लिए ब्लांच करें। अब इसे पानी से निकाल लें। इसी पानी में 1/2 पाउंड रेग्युलर या ग्लुटेन फ्री फुसिली डालें। जब पास्ता पक जाए तो इसे पानी से निकालकर छान लें। इस पानी की आधा कप जितनी मात्रा अलग रख लें। एक कड़ाही में तीन बड़े चम्मच ऑलिव ऑयल गर्म करें। फिर उसमें बारीक काटकर दो लहसुन की कलियां, एक कटा हुआ प्याज, आधा छोटा चम्मच नमक और कुटी लाल मिर्च डालें। इसे बीच में चलाते रहें। दो मिनट पकाने के बाद दो कप पहले से पका हुआ चिकन डालें। ब्रॉकली राब और 1/2 छोटा चम्मच नमक मिलाएं और ब्रॉकली राब के गलने तक पकाते रहें। ऊपर से पका हुआ पास्ता और आधा कप पार्मिगियानो-रेजिग्यानो चीज़ (Parmigiano-Reggiano) डालें। इसे थोड़ा पतला करने के लिए पास्ता पकाते हुए बचे पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सॉस की तरह बन जाता है।

क्लीन ईटिंग का 80/20 रूल अपनाने से पहले तीन हफ्तों का इंटेंस डाइट प्लान फॉलो करके खुद को तैयार करिए।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कोई नई आदत बनाने में तीन सप्ताह का समय लगता है। लोग डाइट प्लान से जल्दी ही ऊब जाते हैं। आप ऐसा न करें इसलिए गिआडा का कहना है कि आप 21 दिनों के लिए स्ट्रिक्ट होकर उनका डाइट प्लान फॉलो करें। शुरुआती तीन हफ्तों के लिए अगर आपके पास एक मेन्यू होगा तो आपको इसमें बहुत आसानी होगी। इससे आपके शरीर में हुए डैमेज को ठीक होने के लिए वक्त भी मिल जाएगा और ऐसे खान-पान का असर भी अधिक से अधिक मिल पाएगा। जैसे-जैसे आपको इस क्लीन डाइट के फायदे नजर आने लगेंगे इस पर डटे रहने के लिए आपका मोटिवेशन बढ़ने लगेगा। इसका पहला कदम है कि आप किचन में सही चीजें ले आएं। हरे पत्तेदार साग, मछली, लीन मीट खरीदें। ये तो मेन कोर्स की तैयारी हो जाती है। कुछ साइड आइटम भी स्टोर किए जा सकते हैं। इनसे आपके भोजन में और स्वाद आ जाएगा। केपर्स, ऑलिव, सौंफ, एंकोवी और पेकोरीनो चीज़ आपके पेट को नुकसान किए बिना भोजन में बेहतरीन स्वाद भर देंगे। आप गिआडा की रेसिपीज को तीन हफ्तों तक फॉलो करके अपना क्लीन डाइट प्लान जारी रख सकते हैं। लेकिन अगर आप थोड़ा फ्रीस्टाइल रहना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। पहला नियम है कि दिन में कम से कम दो बार पत्तेदार साग भोजन में शामिल करें। अनाज, पास्ता, पैनकेक जैसे कार्ब वाले भोजन एक बार लें। यह नियम एनिमल प्रोटीन पर भी लागू होता है। अंडे के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। दूसरा नियम है कि शराब या डिजर्ट को सप्ताह में दो सर्विंग्स से ज्यादा न लें। डेयरी प्रोडक्ट्स रोज आधा कप ही लें और अगले कुछ दिनों में इनको पूरी तरह से छोड़ दें। तीसरा नियम कहता है कि हर हफ्ते कुछ दिन शाकाहारी भोजन लें जिससे एनिमल प्रोटीन पचाने के बाद शरीर को थोड़ा आराम मिल जाए। 

तीन सप्ताह के कठोर नियम का पालन करने के बाद आप गिआडा की 80/20 वाली अप्रोच शुरु कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आपके भोजन में 80 प्रतिशत हेल्दी और क्लीन चीजें शामिल हों और 20 प्रतिशत में आप बाकी सब चीजें शामिल कर सकते हैं जो आपकी जीभ को मजा देती हैं। आगे कभी भी आपको लगता है कि किसी चीज से आपको इन्फ्लामेशन हो रहा है या आपके शरीर के लिए सूटेबल नहीं तो आप उससे दूरी बना सकते हैं। 

एक ही चीज को बनाने के कई तरीके होते हैं। इसी तरह उसमें पड़ने वाले इन्ग्रीडिएंट्स की भी बहुत सी चॉइस हो सकती है। जब आप घर पर खाना बनाते हैं तो आप तय कर सकते हैं कि आपके खाने में कौन सी चीज मिलाई जाएगी और कौन सी नहीं। मान लीजिए आपको पास्ता में कोई सॉस नहीं डालना तो आप नहीं डालेंगे। ऑमलेट को कौन से तेल में पकाना है ये आपका फैसला होगा। पर बाहर खाना खाने पर इतनी आजादी नहीं होती। इसलिए घर का खाना हमेशा अच्छा होता है। लेकिन ज्यादातर लोगों के पास दिन में तीन बार खाना बनाने का समय नहीं होता। क्योंकि इसकी बेसिक तैयारी जैसे कटिंग और चॉपिंग ही बहुत टाइम ले लेती है। गिआडा खुद भी इस गिनती में आती हैं। इसलिए इम्प्रोव मील एक अच्छा सॉल्यूशन हो सकता है। इसमें फटाफट तैयार हो जाने वाली चीजें शामिल हैं। इनको बनाने में आप पहले से बची हुई या पकी हुई चीजों का इस्तेमाल करते हैं। इस कैटेगरी में सूप, सलाद या ग्रेन बोल सभी आ जाते हैं। इस तरह के भोजन का उद्देश्य ये है कि पांच मिनट के अंदर आपके पास हेल्दी खाना तैयार हो जाए। इसका तरीका ये है कि आप वीकेंड पर पहले ही कुछ चीजें तैयार करके रख लें। जब आपके पास पहले से पकी हुई चीजें होती हैं तो आप इनको मिलाकर कुछ ही मिनटों में एक स्वादिष्ट भोजन तैयार कर सकते हैं। इस तरह आपको रेसिपी फ्री मील की सुविधा मिल जाती है।

जैसे कि आप सूप, रिजोटो और सॉस के लिए चिकन ब्रोथ तैयार कर सकते हैं। आप अनाज, फलियां और दालें पकाकर रख सकते हैं। कुछ सब्जियां तैयार कर सकते हैं। मीट बनाकर रख सकते हैं। लेकिन इसमें और मजा लाने के लिए गिआडा के पास बहुत आसान से उपाय हैं। इसमें पहला नंबर आता है केल पेस्तो सॉस का। ये किसी भी खाने का स्वाद बढ़ा देता है। 1/3 कप अखरोट काट लें। अब इसमें केल के पत्ते, आधा कप एक्स्ट्रा-वर्जिन ऑलिव ऑयल, आधा टीस्पून लाइम जेस्ट, 2 टीस्पून ताजा नींबू का रस और 1 टीस्पून कोषेर नमक डालकर पीस लें। इसे आप प्लास्टिक रैप से कवर करके फ्रिज में रख दें तो पांच दिनों तक ये सही रहता है। इम्प्रोव डिश में थोड़े से अरुगुला और एक बड़ा चम्मच पका अनाज मिला लें। बचा हुआ चिकन डालें और अब डिश के ऊपर एक चम्मच केल पेस्तो डालें। आप एक बोल ब्रोथ में एक चौथाई कप पका हुआ अनाज, थोड़ा साग और ऊपर से पेस्तो का एक चम्मच एड कर सकते हैं। स्वाद और फ्लेवर भरा ये रंग-बिरंगा बोल जीभ के साथ आंखों को भी अपील करेगा।

तीन दिन के मिनी क्लीन प्लान से आप एक नई एनर्जी पा सकते हैं।
आपके इरादे कितने भी पक्के क्यों न हों कभी न कभी आप कुछ गड़बड़ खा ही लेंगे। ऐसे में आप ये सोच लेते हैं कि आज की कसर कल पूरी कर लेंगे। लेकिन अपने पुराने ट्रैक पर वापस आने के लिए आपको खास तरीके की जरूरत होती है। आपको कभी-कभार एक मिनी-क्लीन प्लान की जरूरत होती है। गिआडा आमतौर पर किसी त्यौहार और लंबी छुट्टियों के बाद तीन दिन का स्पेशल डाइट प्लान लेती हैं। अगर उनको लगता है कि तीन दिन काफी नहीं हैं तो वह अपने इस रूटीन को को चार या पांच दिनों का कर देती हैं। मिनी-क्लीन को सही समय पर प्लान करना सबसे जरूरी है। इसे तभी लें जब आपके पास पूरा टाइम हो जिसे आप एक अलग तरह का भोजन बनाने में दे सकें। साथ ही इस दौरान कोई सोशल गेदरिंग जैसा इवेंट बीच में न आ रहा हो। वरना आपका खान-पान फिर गड़बड़ हो जाएगा। गिआडा को सोमवार से बुधवार का टाइम सबसे अच्छा लगता है। वे रविवार को जरूरी चीजों की खरीदारी और भोजन की तैयारी कर लेती हैं। वीकेंड आते-आते अपनी रेग्युलर डाइट पर भी वापस आ जाती हैं। 

मिनी क्लीन का मतलब है कुछ चीजों से पूरी तरह परहेज करना। इस दौरान प्रोसेस्ड फूड को तो भूल ही जाइए। पास्ता, पैकेज्ड फूड, रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, बेक की हुई चीजें, मिठाई, मसालेदार भोजन, शराब, नाइटशेड सब्जियां, अनानास और केले जैसे हाई  ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल, आलू और मटर जैसी स्टार्च वाली सब्जियां भी इतने दिन नहीं लेनी हैं। रोजाना चीनी की मात्रा घटाकर एक चम्मच तक लानी होगी। इसमें एगेव या शहद जैसे विकल्प भी शामिल हैं। एवोकेडो जैसी हाई फैट चीजों से भी बचना चाहिए। अगर आप कॉफी के बिना नहीं रह सकते हैं तो दिन में एक कप ही लें। 

इस दौरान आपको भोजन में ढेर सारे साग, सब्जियां खानी हैं। थोड़ी मात्रा में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कुछ फल जैसे कि बेरीज और क्विनोआ और बाजरा जैसे साबुत अनाज लेने हैं। मछली और अंडे जैसी लीन प्रोटीन दिन में एक बार लेनी है। गाजर और शकरकंद जैसी रूट वेजिटेबल को भी दिन में एक बार लेना चाहिए। 

इस रूटीन के बाद अगर आपको सकारात्मक बदलाव महसूस नहीं होते हैं तो परेशान न हों। कुछ लोगों को पहले से ज्यादा थकावट, बेचैनी या कमजोरी महसूस हो सकती है। क्योंकि इस दौरान आपका शरीर टॉक्सिक चीजों को बाहर करता है। अगर आप मीठी चीजों के शौकीन हैं तो आपको सिरदर्द जैसे विड्रॉल सिम्पटम्स हो सकते हैं। ऐसे में थोड़ी नरमी बरतें। एकदम से सारी चीजें छोड़ देने की जगह एक-एक करके इनसे दूरी बनाते जाएं। 

व्यायाम और सप्लिमेंट्स को अपनी दिनचर्या में जगह जरूर दें।
गिआडा को पेट में मरोड़ और एसिड रिफ्लेक्स जैसी परेशानियां थीं। लेकिन जब उन्होंने अपना खान-पान बदला तो ये सब जल्दी ही खत्म होने लगीं। इसने न सिर्फ उनकी सेहत में सुधार हुआ बल्कि इससे उनको दूसरी हेल्दी आदतों को अपनाने के लिए एनर्जी और मोटिवेशन भी मिला। उनको एक्यूपंक्चर कराते हुए एक दशक से ज्यादा समय हो गया है। वो नियमित रूप से इन्फ्रारेड सॉना लेती हैं। हर रोज सोने से पहले कम से कम पांच से दस मिनट तक ध्यान करती हैं। 

वह नियमित रूप से व्यायाम भी करती हैं और अपने न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह से सप्लिमेंट्स भी लेती हैं। आप अपनी सेहत के लिए कौन से तरीके अपनाते हैं यह आप पर निर्भर है। लेकिन अगर आप शुरुआत कर रहे हैं तो व्यायाम और सप्लिमेंट्स अच्छी चॉइस हो सकते हैं। हम सब जानते हैं कि स्वस्थ जीवन शैली के लिए व्यायाम की क्या भूमिका है। लेकिन ये समझने में कुछ समय लग सकता है कि आपके लिए कौन सा व्यायाम सबसे अच्छा रहेगा। गिआडा ने योग करना तब शुरु किया में जब उनकी बेटी गर्भ में थी। उनको योग करके बहुत अच्छा लगा और तब से लगातार योग अभ्यास कर रही हैं। गिआडा की व्यस्त जिंदगी के लिए योग बहुत सूटेबल है। क्योंकि वे ट्रेवल करते हुए भी इसे कर सकती हैं। 

अगर आपको जिम या किसी सेंटर में जाना पसंद नहीं है तो ऑनलाइन स्ट्रीमिंग या YouTube की मदद ले सकते हैं। आपको अपने घर के कंफर्ट से थोड़ा तो बाहर निकलना होगा। गिआडा नियमित रूप से न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट्स लेती हैं ताकि उनकी सेहत के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व उनको मिलते रहें। वे बदल बदलकर इन्हें लेती हैं ताकि बैलेंस बना रहे। लेकिन वे प्री और प्रोबायोटिक्स, आईब्राइट और एंड्रोग्राफिस (कालमेघ) जैसी इम्यूनिटी बूस्टर और अश्वगंधा या बाकोपा (ब्राम्ही) जैसी गट माइक्रोबायोम को हेल्दी रखने वाली चीजें हमेशा लेती हैं। 

आपके मन में सवाल आ सकता है कि आपको पोषक तत्वों के सप्लीमेंट्स अलग से लेने की क्या जरूरत है। आखिर आप पहले से ही एक सुपरक्लीन और हेल्दी डाइट ले तो रहे हैं। इसकी वजह ये है कि इस तरह के भोजन के बावजूद हमारा आहार हमारे पूर्वजों यहां तक कि हमारे दादा-दादी के जमाने के भोजन तक की क्वालिटी नहीं दे पाता। इसकी एक वजह ये है कि हमारे पूर्वज जानवरों के लीवर, दिल या अन्य अंगों को नियमित रूप से खाते थे। लेकिन हम नहीं। इसलिए बहुत से पोषक तत्वों की कमी रह जाती है। ऊपर से इंडस्ट्रियल फार्मिंग ने चीजों की वेरायटी और पोषण को कम कर दिया है। इसलिए न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह से ये पता लगाना जरूरी है कि आपको कौन से सप्लिमेंट्स की जरूरत है। भले ही आप सुपरक्लीन फूड खा रहे हों। इस किताब में मिली अब तक की जानकारी इकट्ठी करें और एक नए, स्वस्थ्य और पहले से बेहतर जीवन की तरफ बढ़ चलें।

कुल मिलाकर
ज्यादातर मॉडर्न फूड आपको इन्फ्लामेशन और तरह-तरह की बीमारियों की तरफ ढकेलने का काम करते हैं। इसलिए आपको अपना खान-पान बदलने की जरूरत है। एक सुपरक्लीन आहार में उन खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें जो आपके पेट, गट और शरीर को स्वस्थ रखें न कि इन्फ्लामेशन की वजह बनें। आप आसानी से और कम चीजों का इस्तेमाल करके पांच मिनट से भी कम समय में बिना किसी रेसिपी के हेल्दी भोजन तैयार सकते हैं। नियमित व्यायाम, न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट्स और कभी-कभार के मिनी क्लीन्स की मदद से अपनी सेहत बनाए रखें और उसे बेहतर करते रहें। 

 

क्या करें

अगली बार जब आप बाहर खाना खा रहे हों तो ये ट्रिक आजमाएं।

बाहर खाने का मतलब अपनी ये नहीं है कि आपको अपनी हेल्दी ईटिंग हैबिट को छोड़ना पड़े। अगली बार जब आप किसी रेस्टोरेंट में जाएं तो दो या तीन वेजिटेबल साइड डिश या स्टार्टर ऑर्डर करें। आप तली हुई या स्टार्च वाली डिश के बदले सलाद ले सकते हैं। रेस्टोरेंट में भोजन का पोर्शन बड़ा होता है। ये दो बार के लिए काफी होता है। इसलिए बचे हुए भोजन को इम्प्रोव मील में इस्तेमाल करने के लिए घर लेकर आ जाइए। 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Eat Better, Feel Better By Giada De Laurentiis. 

ये समरी आप को कैसी लगी हमें yebook.in@gmail.com  पर ईमेल करके ज़रूर बताइये. 

आप और कौनसी समरी सुनना चाहते हैं ये भी बताएं. हम आप की बताई गई समरी एड करने की पूरी कोशिश करेंगे. 

अगर आप का कोई सवाल, सुझाव या समस्या हो तो वो भी हमें ईमेल करके ज़रूर बताएं. 

और गूगल प्ले स्टोर पर ५ स्टार रेटिंग दे कर अपना प्यार बनाएं रखें. 

Keep reading, keep learning, keep growing.


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