Don't Go Back To School

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Don't Go Back To School

Kio Stark
कॉलेज एजुकेशन के बिना भी आपको अपना रास्ता कैसे बनाना है?

दो लफ़्ज़ों में
Don't Go Back To School हमें दिखाती है कि किस प्रकार से हमारे पास कोई भी डिग्री ना होना हमारी  अनसक्सेसफुल लाइफ का प्रमाण नहीं होता है। असल में यह किताब रियल लाइफ एग्जांपल के साथ हमें इंडिपेंडेंट लर्निंग और प्रिंसिपल सिखाती है जिन्हें आप तुरंत ही अपनी लाइफ का हिस्सा बना सकते हैं। 

यह किसके लिए है? 
- कोई भी ऐसे व्यक्ति जो कि स्कूल  के अलावा भी कुछ सीखना चाहते हैं। 
- कोई भी ऐसे लड़के/लड़कियां जो अपने नॉलेज और स्किल्स को इंप्रूव करना चाहते हैं। 
- कोई भी ऐसा व्यक्ति जो यह तय ना कर पा रहे हो कि उन्हें कॉलेज में एडमिशन लेना चाहिए या यूनिवर्सिटी में।

 
लेखक के बारे में
Kio Stark एक लेखिका और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।उन्होंने इंटरएक्टिव टेलीकम्युनिकेशंस में ग्रेजुएशन किया है। इसके साथ ही उन्होंने लर्निंग और टीचिंग की रिसर्च भी कंडक्ट की थी। उन्होंने अपना एक नोवेल भी पब्लिश किया है जिसका टाइटल है Follow Me Down.

कॉलेज एजुकेशन की वैल्यू हमेशा स्थिर रहती है।
हाई स्कूल पास कीजिए,  ग्रेजुएशन की डिग्री लीजिए, एक अच्छा जॉब ढूंढिए, तो आप एक सिक्योरिटी साथ रिटायर हो सकते हैं। यह एक ऐसा रास्ता है जो हम में से लगभग सभी लोग फॉलो करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि इन स्टेप्स को फॉलो करने के बाद भी हम एक सक्सेसफुल लाइफ नहीं जी पाते हैं। 

असल में इस सदी की जनरेशन के लिए फॉर्मल एजुकेशन एक विशेषता बन गयी है। उनके हिसाब से फॉर्मल एजुकेशन लेना ही सफलता की गारंटी है। एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो आज के जॉब मार्केट के हिसाब से सक्सेस होने के लिए खुद की अलग स्किल और कनेक्शन को डिस्कवर करना जरूरी समझ रहे हैं। इस समरी में आप सीखेंगे किस तरह से आपको डिग्री के लिए लड़ना भूल जाना है और खुद को एक अलग रास्ता दिखा कर एक भेड़ चाल से बाहर कैसे निकालना है और वह अलग रास्ता है इंडिपेंडेंट लर्निंग। इसके अलावा आप जानेंगे कि किस तरह से एक एंटरप्रेन्योर बिना कोई हाईस्कूल का डिप्लोमा हासिल किए हाई स्कूल का टीचर बना? कैसे एक छोटी सी गुस्ताखी आने वाले समय में एक बड़ा रिवार्ड बन जाती है? और किस तरह से कॉलेज के एक प्रोफेसर को लंच पर ले जाना आपको कॉलेज शिक्षा के ऋण से बचा सकता है?

आज के समय में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो कॉलेज एजुकेशन के लिए बहुत सारा पैसा लगाते हैं या फिर उधार लेकर भी कॉलेज एजुकेशन को पूरा करते हैं। ऐसा इस उम्मीद में करते हैं कि कॉलेज एजुकेशन लेने के बाद उन्हें एक अच्छा जॉब मिलेगा, जिससे वह अपने इस लगाए हुए पैसे की भरपाई कर लेंगे। लेकिन ऐसा भी होता है जब इनमें से बहुत सारे लोगों को एक अच्छी अपॉर्चुनिटी नहीं मिल पाती है। कॉलेज डिग्री की वैल्यू खत्म होती जा रही है और यह हमेशा भी सच नहीं होता है कि इस डिग्री के साथ लोगों को पूरी जिंदगी के लिए अच्छी अर्निंग हो। वर्ल्ड वॉर सेकंड के समय तक कॉलेज डिग्री ने अपनी वैल्यू को प्रूफ किया है लेकिन अब ट्रेंड बदल चुका है। 

जब वर्ल्ड वॉर सेकंड के बाद जीआई बिल पास हुआ तब जो पुराने सैनिक वर्ल्ड वॉर के बाद अपने घर वापस आए थे उनके पास एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए अपॉर्चुनिटी थी कि उन्होंने गवर्नमेंट को जो कॉलेज ट्यूशन फीस दी है उसके अनुसार वे नया जॉब कर सकते हैं। उस समय यूएस में कॉलेज डिग्री हासिल करने वाले लोगों का परसेंटेज बहुत बढ़ गया था।

उस दौरान, जर्नलिज्म और पब्लिक रिलेशन फील्ड की जॉब के लिए कॉलेज डिग्री को एक शर्त की तरह लिया जाने लगा। कि अगर आपको यह जॉब चाहिए, तो आपके पास डिग्री होना ही चाहिए। इसके साथ ही अच्छी जॉब पाने के लिए महिलाओं ने भी कॉलेज एजुकेशन लेना शुरू कर दिया। पहले से ही एंप्लॉयमेंट मार्केट में असुविधाजनक स्थिति में भी,यूएस की महिलाएं नई अपॉर्चुनिटी को अपनी योग्यता के प्रदर्शन से डिग्री के साथ हासिल करने में सक्षम थी। 

उस समय कॉलेज की डिग्री लाइफ टाइम अर्निंग की गारंटी होती थी क्योंकि तब डिग्री के दम पर आसानी से जॉब मिल जाता था। लेकिन अब वह समय खत्म हो चुका है, अब वह दौर जा चुका है जब कॉलेज डिग्री ही सब कुछ होती थी। सिर्फ डिग्री हासिल कर लेना भविष्य सिक्योर करने का कोई सुरक्षित रास्ता नहीं है। एक ही तरह की डिग्री और पहचान के लोगों से जॉब मार्केट भरा पड़ा है, शिक्षा की कीमत बढ़ चुकी है, कंपटीशन बढ़ चुका है और वेतन का कम होना कॉलेज की फीस देने को और मुश्किल बना रहा है। 

अब हुआ यह है कि सिर्फ डिग्री किसी तरह का परिचय पत्र नहीं रही है और इसकी जरूरत कम होती जा रही है। जबकि दूसरे इंट्रोड्यूस करने वाले डाक्यूमेंट्स जैसे कि पोर्टफोलियो और रिकमेंडेशन तेजी से जरूरी होते जा रहे हैं। 

उदाहरण के लिए वर्क पोर्टफोलियो किसी डिग्री की तरह ही काम करता है जब कोई एंपलॉयर आप को हायर करने के लिए बुलाता है। अक्सर ऐसा ही होता है जब कोई जॉब ऑफर आपको किसी नेटवर्क या कनेक्शन के थ्रू ही पता चलता है तब हमें यह पता होना कि कौन हमें हायर करने वाला है हमें उसी तरह हेल्प कर सकता है जैसे कि कोई डिग्री करती है।

ट्रेडिशनल स्कूल की शिक्षा के मुकाबले इंडिपेंडेंट लर्निंग, बहुत ज्यादा संतोषजनक होती है।
जब आप स्कूल जाते हैं तब टीचर के साथ पढाई के सिलसिले में कुछ बातें होती है, टेस्ट होते हैं, करेक्ट आंसर होते हैं, आपको ज्यादा मार्क्स के साथ ग्रेड प्राप्त होते हैं और उसके बाद आपको डिग्री मिल जाती है। लेकिन व्यक्तिगत रूप से रिपोर्ट देने के लिए यह मेथड शायद ही कंसीडर किया जाता है। असल में बहुत से लोगों के लिए यह रिवॉर्ड डिमोटिवेट करने जैसा होता है और स्कूल के लिए उनके जुनून और क्यूरियोसिटी को भी खत्म करने का कारण बनता है। पढ़ाई को लेकर एक्सपेक्टेशन और उसका स्ट्रक्चर साथ में ग्रेड और नंबर्स को लेकर कंपटीशन हमारी क्यूरियोसिटी को दबा देता है और स्कूल के प्रति हमारे मन में डर भी पैदा करता है। जो रिवार्ड्स स्कूल की तरफ से ऑफर किए जाते हैं वह एक्सटर्नल मोटिवेशन का एक तरीका होता है। आपके ग्रेड, आंसर सही करने पर तारीफ मिलना और डिग्री यह सभी एक्सटर्नल रिवॉर्ड होते हैं।

जबकि हम लोग आंतरिक मोटिवेशन से ज्यादा मोटिवेट फील करते हैं। जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें रिवॉर्ड कहीं बाहर से नहीं खुद से ही मिलता है। अगर आपने कभी बहुत अच्छा फील किया हो खुद के अचीवमेंट को लेकर या किसी चीज पर मास्टरी को लेकर तब आपको यह इंट्रिसिक मोटिवेशन फील कराता है। जब आप कोई अच्छा काम करते हैं और कोई आपके इस काम को देखकर आपकी तारीफ करता है और आपको एडमायर करता है, तब आपको यह मोटिवेशन खुद से फील होता है और  तब आप इंट्रिसिक मोटिवेशन को एक्सपीरियंस करते हैं। 

वही ट्रेडिशनल स्कूल सिस्टम इंट्रिसिक मोटिवेशन की अपॉर्चुनिटी बहुत कम ही देता है। सेल्फ ऑर्गेनाइज्ड इंडिपेंडेंट लर्निंग पहल करती है और स्किल लर्निंग स्टाइल के बेनिफिट भी बहुत अमेजिंग होते हैं। असल में वही सीखना जो आप सीखना चाहते हैं हमें जल्दी और बेहतर सफलता दिलाते हैं और यह अचीवमेंट लॉन्ग टर्म के लिए होता है। 

हालांकि इंडिपेंडेंट लर्निंग का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप खुद से ही सब कुछ कर सकते हैं। इसके बजाय आपको ग्रुप ज्वाइन करके अपने लर्निंग एक्सपीरियंस को लोगों के साथ शेयर करना चाहिए, साथ ही सेल्फ मोटिवेटेड और सेल्फ ऑर्गेनाइज्ड रहना चाहिए। 

कुछ मॉडर्न तरीके हैं लर्निंग के जो एजुकेशन को ओपन अप करने के लिए टेक्नोलॉजी का यूज करते हैं। जैसे कि मैसिव ओपन ऑनलाइन क्लासेस (MOOC) हालांकि यह सक्सेसफुल नहीं हुआ है, क्योंकि यह स्कूली शिक्षा को ही दोहरा रहा है। उदाहरण के लिए कॉलेज के प्रोफेसर अपनी टीचिंग स्किल का उपयोग करके काफी विस्तार पूर्वक समझाते हैं साथ ही ग्रेडिंग सिस्टम, टेस्ट और क्विज पर बेस्ड होता है बिना किसी प्रॉपर फीडबैक के।  MOOCs  टीचिंग को आगे रखते हैं ना कि लर्निंग को यह ऑनलाइन है ,लेकिन टोटली बैकवर्ड होता है । इस तरह के फॉर्म की टीचिंग से हमे लर्निंग नहीं मिलती है क्योंकि यह स्कूल सिस्टम फॉलो करते हैं। 

इंडिपेंडेंट लर्निंग की बहुत ज्यादा जरूरत होने के बावजूद भी हम अभी तक स्कूली शिक्षा से बाहर नहीं निकल पाए है। इंडिपेंडेंट लर्निंग भले ही हमें बहुत कुछ सिखाती है फिर भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो स्कूल की शिक्षा पर ही डिपेंडेंट है। लेकिन इंडिपेंडेंट लर्निंग भी स्कूल और यूनिवर्सिटी के प्रोड्यूस मटेरियल पर ही निर्भर करता है। 

इंडिपेंडेंट लर्नर्स को यह सीखना होगा कि उनके खुद के मटेरियल और इंफॉर्मेशन को कैसे ऑब्टेन करना है और लोगों के सेंटरलाइज़्ड़ स्कूल पर भरोसे को कैसे शिफ्ट करके खुद की लर्निंग की तरफ लाना है। अगर आपको कुछ नया सीखने की जरूरत लग रही है तो इंटरलाइब्रेरी लोंस एक अच्छा तरीका है। इंडिपेंडेंट लर्नर्स फेडरल डॉक्यूमेंट की कॉपी, गवर्नमेंट डॉक्युमेंट सेंटर और साथ ही यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में भी फाइंड कर सकते हैं। 

साइंटिफिक आर्टिकल्स को फाइंड करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अक्सर यह एक्सपेंसिव जर्नल्स होते हैं और यह ट्रेंड ओपन एक्सेस के लिए होता है। ओपन एक्सेस इंडिपेंडेंट लर्नर्स को एक मौका देता है इनफार्मेशन को एक्सेस करने का जो कि नॉर्मली ना तो अवेलेबल होती है ना ही पैसा देकर खरीदी जा सकती है। इसके साथ ही यह इस बात का भी सिग्नल होता है कि इंफॉर्मेशन खोजने के लिए यूनिवर्सिटी हमेशा ही एक इंपॉर्टेंट सोर्स रहेगी।

 बहुत सारे साइंटिस्ट यह चाहते हैं कि वह अपने आइडिया और रिजल्ट एक बहुत बड़े लोगों के ग्रुप में शेयर करें। जब यह किताब लिखी जा रही थी तब 13000 रिसर्चर स्ट्राइक पर चले गए थे और पत्रिकाओं को लेकर उन्होंने अपने काम को रोक दिया था। उनके काम की कदर करने की जगह, उनके काम को लेकर डिस्कशन और क्रिटिसाइज किया जाने लगा।  यही नहीं उनके आर्टिकल और रिव्यूज के लिए उन्हें कुछ पेमेंट भी नहीं दिया गया और पत्रिकाओं की कॉस्ट पर भी रोक लगा दी गई।  कुछ बुद्धिजीवियों ने उनके आर्टिकल्स और आइडिया को दूसरे ही प्लेटफार्म पर शो करना शुरू कर दिया। पब्लिक लेक्चरर्स में, पब्लिकेशंस में और यहां तक कि ट्यूटोरियल्स पर भी उनके आइडिया का यूज किया जाने लगा। 

अगर यह ट्रेन्ड चलता रहता है तो और भी बुद्धिमान और एकेडमी इसे फॉलो करेंगे और फ्री में अवेलेबल नॉलेज इंडिपेंडेंट लर्निंग को आने वाले समय में और भी इजी बना देगा। तो अभी आपने सीखा इंडिपेंडेंट लर्निंग की वैल्यू के बारे में आगे आप पढ़ेंगे कि किस तरह से इंडिपेंडेंट लर्निंग से आप रिवॉर्डज पा सकते हैं।

अकेले मत सीखिए, इंडिपेंडेंट रहिए लेकिन खुद ही खुद को मत सिखाइए।
बहुत से लोग यह सोचते हैं कि इंडिपेंडेंट लर्नर ऑटो डिक्टेट होते हैं यानी कि वे खुद ही खुद को सिखाते हैं। बंद कमरे में एक किताब लेकर बैठ जाना उसे पढ़ते रहना और उससे सीखना इंडिपेंडेंट लर्निंग नहीं होती है। हमें इंडिपेंडेंट लर्नर बनना है लेकिन ऑटो डिक्टेटटर नहीं बनना है। किसी कम्युनिटी के बिना self-teaching करना सीखने का एक बेहतर तरीका नहीं हो सकता है। जितने भी सक्सेसफुल इंडिपेंडेंट लर्नर हुए हैं वह लोगों के साथ कनेक्ट होते हैं, इंटरेक्ट करते हैं और शेयर करते हैं और इसी प्रोसेस के द्वारा सीखते हैं।

क्वालिटी लर्निंग को ना सिर्फ लर्निंग मटेरियल का सपोर्ट चाहिए होता है लेकिन उन्हें दूसरे लर्नर्स का भी साथ चाहिए होता है। दूसरों से सीखने के साथ ही आपके पास एक यह अपॉर्चुनिटी भी होती है कि आप अपना नॉलेज और एक्सपीरियंस भी उन लोगों के साथ शेयर करें और सामने वाले भी यही करें। इंफॉर्मेशन एक्सचेंज करने का यह तरीका आपको इस बात के लिए भी हाँ करता है कि आप फीडबैक ले और दें कि किस तरह से और ज्यादा इंप्रूवमेंट किया जा सकता है।

Quinn Norton एक राइटर और फोटोग्राफर हैं, इस बात पर जोर देती हैं कि बेस्ट लर्निंग तभी हो सकती है जब हम दूसरों को कुछ बताते हैं और उनसे कुछ जानते हैं। हमारे पास जो नॉलेज है उसे हम दूसरों के साथ शेयर करें और उनके पास जो नालेज है वह हमारे साथ शेयर करें। चाहे यह कोई छोटा सा कम्युनिकेशन हो या लोंग टर्म कंमुनिकेशंस रिलेशनशिप असल में आप इंटरेक्ट करने के लिए अपने नॉलेज का उपयोग कर रहे हैं। इसके उलट स्कूल के सहयोग की बात की जाए तो स्कूल में आप एक स्पंज की तरह नॉलेज को अब्सॉर्ब करने वाले इंसान होते हैं। पैसिव लर्निंग को लेक्चर अटेंड करके शुरू करना बहुत से लोगों के लिए बेहतर स्टार्ट होता है। क्योंकि यहां न्यू मैटेरियल से एनकाउंटर करने का एक अच्छा मौका होता है और साथ ही यह भी फाइंड आउट किया जाता है कि आपका इंटरेस्ट कौन सी स्पेसिफिक फील्ड में है। 

हालांकि टीचिंग भी एक जरूरी हिस्सा होती है। असल में आपके पास जो नॉलेज है उसे किसी और के सामने प्रजेंट करना फंडामेंटल होता है जिसमें सक्सेसफुल लर्निंग के दो रीजन होते हैं आप ना सिर्फ अपने नॉलेज को टेस्ट करके प्राप्त करते हैं लेकिन इसके साथ ही आप ऐसा भी फील करते हैं कि आपने कुछ हासिल किया है। 

जब आप स्कूल में थे तब आपने क्या वह सीखा था जिसमें आपका इंटरेस्ट था या फिर किसी और ने डिसाइड किया था कि आपके लिए इंपॉर्टेंट क्या है? शायद बाद वाला कारण ही रहा होगा, लेकिन अगर आपको डिसीजन लेने के लिए फ्री कर दिया जाता तो आप क्या सीखना पसंद करते? एक इंडिपेंडेंट लर्नर बनने पर अपनी एजुकेशन का रास्ता खुद चुनने के लिए आप फ्री हो जाते हैं। यहां आपको एक बात के लिए श्योर हो जाना चाहिए कि आप जो सीख रहे हैं एक्चुअली में आप वही सीखना चाहते हैं। आपकी लर्निंग किसी अभियान की तरह होना चाहिए और आपके अंदर सीखने की लालसा होनी चाहिए। 

जैसा कि हम पहले देख चुके हैं लर्निंग इंट्रिसिक मोटिवेशन से ज्यादा सेटिस्फाइंग और इंस्पायर होती है बजाएं एक्सटर्नल मोटिवेशन के। क्रिएटिव राइटर Dan Sinker इंट्रिसिक मोटिवेशन को अपने अंदर एक प्रेशर की तरह डिस्क्राइब किया है। कुछ ऐसा जिसे वह अर्जेंटली जानना चाहते हैं, समझना चाहते हो और उसे करने के लिए योग्य होना चाहते हो। 

इसके पहले कि आप इस मोटिवेशन का उपयोग करें सबसे पहले आपको इसको आईडेंटिफाई करना होगा साथ ही इसकी प्रोसेस और मेथड को जानना होगा, जो आपको हेल्प करेगी बेस्ट लर्निंग में। हो सकता है आपको इस बीच में थोड़ा फ्रस्ट्रेटिंग फील हो लेकिन आखिर में आप देखेंगे कि आपकी लर्निंग स्ट्रेटजी आपके लिए बेहतर काम कर रही है। 

आप कोई एक नई लैंग्वेज सीखना चाहते हैं। आप इसे एक सिस्टमैटिक वे मे ग्रामर बुक के सभी चैप्टर फॉलो करते हुए सीखना चाहते हैं या फिर आप एक केओटीक अप्रोच से इसे सीखना चाहते हैं जैसे कि अलग-अलग सोर्सेस के साथ, उन लोगों के साथ इंटरेक्ट करके जो यह लैंग्वेज बोलते हैं। आप इसे जिस भी तरह सीखते हैं अपने इंटरेस्ट को फॉलो करके अपना रास्ता चुनिए। लेकिन आप जो भी मेथड उपयोग में लाते हैं इस बात के लिए श्योर रहे की रियल लाइफ कॉन्टेक्स्ट को इंवॉल्व करना है यह आपकी लर्निंग में काफी इंप्रूवमेंट लाएगी। लर्निंग एक रियल लाइफ कांटेक्ट है जो कि पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह के कंसीक्वेंसेस रखती हैं। आप खुद को मॉरली डाउन भी महसूस कर सकते हैं लेकिन यह फैल्यूअर ग्रेटर मोटिवेशन और पर्सनल रिवॉर्ड के साथ आता है, साथ ही आप जो सीखते हैं उसका बैटर रिटेंशन भी लाता है। 

इंडी कल्चर टेस्ट मेकर Jim Munroe हमेशा से ही कुछ प्रैक्टिकल करके सीखना चाहते थे जो सिर्फ रियल वर्ल्ड कॉन्टेक्स्ट से ही पॉसिबल हो पाता। उनका ऐसा मानना है कि ऑडियंस के सामने अपने वर्क को रखने से वह क्रिटिसिज्म, नॉलेज और स्किल्स को पूरी तरह से इंटरनलाइज कर सकते हैं।

बिना किसी डिग्री के जॉब ढूंढने में सक्सेसफुल होना है तो आपको थोड़ा दुस्साहस दिखाना पड़ेगा।
बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि बिना किसी डिग्री या सर्टिफिकेट के जॉब को ढूंढ पाना इंपॉसिबल है। डिग्री ना होने की वजह से बहुत से लोग ऐसे जॉब के लिए ट्राई नहीं करते हैं जो वह चाहते हैं। लेकिन इस तरह के ऑप्शन पूरी तरह से गलत है। अगर आपके पास किसी तरह की डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं है तो आपको जरूरत है थोड़ा दुस्साहस करने की, कॉन्फिडेंट एटीट्यूड की और एक जिद की और इसके लिए आपको पहले से प्रिपेयर भी होना होगा। 

यहां पर दुस्साहस का मतलब यह है कि आपको थोड़ा सा लीक से हटकर काम करना होगा। जहां आप जॉब के लिए जा रहे हैं वहां पर दूसरे सभी लोग अपने सारे डाक्यूमेंट्स डिग्री और सर्टिफिकेट लेकर आएंगे लेकिन आपके पास कोई डिग्री या सर्टिफिकेट ना होने, उसके बावजूद भी जॉब इंटरव्यू के लिए जाना एक तरह का दुस्साहस ही कहलाएगा। लेकिन आपको इस बात से डरना नहीं है और पूरी तरह से कॉन्फिडेंट होकर और प्रिपेयर होकर उस इंटरव्यू के लिए जाना है। क्योंकि किसी भी जॉब को पाने के लिए कोई डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं बल्कि नॉलेज, स्किल्स और लर्निंग चाहिए होती है। 

और अगर आपका एंपलॉयर जो चाहता है आपके पास वह पर्टीक्युलर नॉलेज और स्किल नहीं भी है तब भी आप अपने पोटेंशियल और खुद को लेकर भरोसा रखिए। अगर आप बिलीव करते हैं कि आप इस नॉलेज और स्किल को आसानी से हासिल कर लेंगे तो आपको जरूर जाना चाहिए। 

किसी नौकरी को हासिल करने के लिए और एंपलॉयर को यह भरोसा दिलाने के लिए कि आप इस नौकरी के लायक है, आपको सच्चाई को थोड़ा तोड़ मरोड़ कर पेश करना पड़ सकता है। ऑथर और जर्नलिस्ट Quinn Norton दिखाती है कि किस तरह से हम एबल होते हैं, "फेक इट यू मेक इट" हमें बेहतर अपॉर्चुनिटी दिला सकते हैं। उदाहरण के लिए यह जानते हुए भी कि उनके पास कोई हाईस्कूल डिप्लोमा नहीं है उन्होंने एक जॉब के लिए अप्लाई किया क्योंकि उन में जॉब को हासिल करने की काबिलियत थी। उन्होंने बिना हाई स्कूल डिप्लोमा लिए हाई स्कूल में कंप्यूटर टीचर का जॉब किया। 

गुस्ताखी भी तब तक इंपॉर्टेंट होती है जब तक आप क्या कर रहे हैं यह ना जान लें जैसे कि रिकमेंडेशन बहुत सारे अपॉर्चुनिटी इसके दरवाजे खोल सकता है। 

जॉब ढूँढने का एक बहुत इंपॉर्टेंट रिसोर्स होता है जनेरियोसिटी यानी उदारता। उदारता हमेशा दो रास्ते लेकर आती है। यह हमेशा सुविधाजनक होती है क्योंकि जब आप कोई जॉब सर्च कर रहे होते हैं या जॉब के बारे में नॉलेज या इंफॉर्मेशन ले रहे होते हैं तब आपको मदद की जरूरत होती है। एग्जांपल के लिए आपको यह जानने की जरूरत है कि वह कौन इंसान है जो आपका पोर्टफोलियो आगे पास करने वाला है। हो सकता है। आप भी दूसरों की मदद करने के लिए एबल हो। आप उनकी मदद कर सके जॉब फाइंड करने में और  वे लोग भी आने वाले समय में आप से नई अपॉर्चुनिटी के लिए कनेक्ट होंगे। 

कॉम्बोस कप ऑर्गेनाइजर Simon Davalos ने एक्सप्लेन किया कि वह अपना रोबोटिक्स का बिजनेस सिर्फ इसीलिए स्टार्ट कर सकीं क्योंकि उनके इसी फील्ड में काम करने वाले बहुत सारे लोगों के साथ कनेक्शन थे। जिन्होंने प्लेस फाइंड करने में और प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग करने में सिमोन की हेल्प की। अब वे भी उन लोगों के लिए ऐसा ही करने की कोशिश करती हैं। जिस तरह से लोगों ने उनकी मदद की वह भी इसी तरह से उन लोगों की मदद करती हैं। 

आप अपना खुद का एक सॉलिड प्रोफेशनल नेटवर्क बनाइए।

वे लोग जिन्होंने एमबीए किया है उन्हें आपको यह बताते हुए खुशी महसूस होगी। आप जो अपना नेटवर्क बनाते हैं उसकी वर्थ आपकी एजुकेशन में लगाए गए पैसे के बराबर होती है। साथ ही आप एक इंडिपेंडेंट लर्नर रहकर भी अपना प्रोफेशनल नेटवर्क बना सकते हैं।

अगर आप इंडिपेंडेंट लर्निंग के शुरुआती दौर में है तो आपको यह गोल सेट करना चाहिए कि ऐसे लोगों के साथ टच में रहना है और कनेक्शन बनाना है जो लोग कि आपकी तरह ही सेम टॉपिक्स में इंटरेस्ट लेते हो। जैसे कि इस तरह के माइंडेड लोगों से कनेक्शन बनाइए जो कि आपको आपके गोल अचिव करने में और प्रोग्रेस करने में हेल्प कर सकते हैं। ना सिर्फ आपका पैशन आप को मोटिवेट करने में हेल्प करेगा लेकिन दूसरे लोगों के साथ अपने वर्क के बारे में कम्युनिकेट करना भी आपको एक तरह से मोटिवेटेड रखेगा। ऐसा करने से वे भी आपको रिकमेंडेशंस देंगे और साथ ही उनके कनेक्शंस के साथ भी आपको कनेक्शन बनाने में मदद करेंगे। 

सीरियल एंटरप्रेन्योर Caterina Rindi बिजनेस के बारे में और ज्यादा नॉलेज लेने की प्रोसेस में हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक दूसरा बिजनेस नेटवर्क भी सेटअप किया है जो कि म्यूच्यूअल इंप्रूवमेंट पर बेस्ड है। इस ग्रुप में सभी ग्रुप मेंबर आपस में अपने एक्सपीरियंस को शेयर करते हैं, फंड के लिए एक दूसरे का सपोर्ट करते हैं और एक दूसरे के बिजनेस को भी सपोर्ट करते हैं। वह अपने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के बारे में जितना भी जानती हैं, वह सारा नॉलेज और लर्निंग उन्हें अपनी कम्युनिटी और दोस्तों से ही मिली है। लेकिन एक्सपर्ट आपको बिना किसी फॉर्मल एजुकेशन के भी एक अच्छे नेटवर्क के साथ कनेक्ट करा सकते हैं। क्योंकि ज्यादातर एक्सपर्ट उनकी स्पेशलिटी के बारे में डिस्कस करना और शेयर करना पसंद करते हैं ऐसे में अगर आप उनके साथ कम्युनिकेट कर पाए तो आपको नॉलेज और इंफॉर्मेशन का एक अच्छा एक्सपीरियंस मिल सकता है। 

प्रोफेसर और दूसरे एक्सपर्ट के साथ टच में बने रहना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं है लेकिन यह प्लानिंग के साथ होना चाहिए। उन्हें एक सिंपल ईमेल कीजिए जिसमें ऐसे क्वेश्चन पूछे गए हो, जो कि इंटरेस्टिंग हो और जिसका जवाब देने में उन्हें अच्छा महसूस हो और इस तरह की क्वेश्चन ना हो जो कि आसानी से इंटरनेट के द्वारा सर्च किए जा सकते हैं। साथ ही आप इस तरह के मैटर में अपना भी इंटरेस्ट दिखाएं।

साथ ही यह भी याद रखें कि प्रोफेसर या एक्सपर्ट बहुत बिजी होते हैं इसलिए आपका इमेल बहुत ही क्लियर होना चाहिए। अपने क्वेश्चन या पॉइंट को बुलेट पॉइंट्स के साथ लिखें जिससे कि उन्हें पढ़ने समझने में और जवाब देने में आसानी हो।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर Zack Booth Simpson ने यही अप्रोच यूज़ किया । उन्होंने प्रोफेसर से लंच और टेक्स्ट बुक रीडिंग के दौरान काफी लर्निंग ली। उनके साथ कुछ लंच की कॉस्ट कॉलेज की ट्यूशन फीस से बहुत ज्यादा कम थी और जो सीखने को मिला वह कॉलेज स्टडी से बहुत ज्यादा था।

जॉब करना बेहद जरूरी है और यह सीखने की अनमोल जगह है।
जॉब सिर्फ पैसे कमाने का एक जरिया नहीं है बल्कि सीखने की बेस्ट जगह है। यहां पर आप अपने टास्क और दूसरे लोगों के काम से सीखते हैं साथ ही आपको एक वैल्युएबल नेटवर्क बनाने की अपॉर्चुनिटी भी मिलते हैं। लेकिन यह सिर्फ तब ही पॉसिबल है जब आपका उद्देश्य सिर्फ आपका काम हो। दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए तो आप लर्नर होते हुए भी अपने आप को उस काम का एक्सपर्ट मत बताइए। यह जानिए कि आपको कहां इंप्रूव करने की जरूरत है। ऑब्जेक्टिव होना आपको आपके काम के लिए फीडबैक लेने के काबिल बनाता है। कहने का मतलब है आप और आपके साथ काम करने वाले लोग सभी को कुछ ना कुछ नॉलेज मिलेगा। आप यह भी देखेंगे कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि अपने काम के लिए फीडबैक की तलाश करते हैं।

ऑथर और जर्नलिस्ट Dan Sinker ने यहां एक्सप्लेन किया है कि कोई बहुत बुरा काम भी किसी दूसरी फील्ड में एक अच्छा काम साबित हो सकता है। वे यह कभी नहीं जान पाए कि जो समय वह एक वीडियो एडिटिंग में आग लगा रहे हैं आने वाले समय में वहबऑनलाइन मैगजीन एडिटिंग के लिए। एक क्रुशल स्किल हो जाएगी और इससे अधिक आप यह जानेंगे कि वह कौन से बेस्ट सोर्स हैं जो कि इंफॉर्मेशन लेने और स्किल्स को डिवेलप करने में आपकी हेल्प करेंगे। 

अगर आप किसी अनफैमिलियर फील्ड में नया जॉब स्टार्ट करते हैं तो आपको यह पढ़ने की जरूरत है कि उस जॉब के लिए कौन से नॉलेज और नेसेसरी स्किल्स लगेंगे। लेकिन इसके साथ ही आपके को - वर्कर भी उनके स्किल्स को डेवलप करने में लगे होंगे। कहने का मतलब है कि यह कोलैबोरेशन एक अच्छा मौका है सीखने का भी और सिखाने का भी। और यह एक अच्छा इंफॉर्मेशन का सौर्स बन सकता है। 

और सच तो यही है कि बेस्ट जॉब वही है जिस में आप को सबसे ज्यादा सीखने को मिलता है। और यह अक्सर स्मॉल कंपनी के साथ देखने को मिलता है। स्मॉल कंपनी आपको नई चीजें सीखने के लिए रास्ता दिखाती हैं, नए काम के लिए इनफ्लुएंस करती हैं। अपनी जॉब से सीखना हमारी बेस्ट लर्निंग होती है। दूसरों की मदद करते रहिए क्वालिटी क्वेश्चन पूछते रहिए और रिस्क लेते रहिए।

कुल मिलाकर
कॉलेज और यूनिवर्सिटी जाना एक अच्छे फ्यूचर की गारंटी नहीं है जैसे कि पास्ट में हुआ करती थी। किस्मत से आज के इंडिपेंडेंट लर्नर कम पैसे में अच्छी एजुकेशन हासिल कर रहे हैं, ज्यादा अपॉर्चुनिटी उन्हें मिल रही है और इस प्रोसेस को वह एंजॉय भी कर रहे हैं।

 

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