Richard Sheridan
How Great Leaders Elevate Human Energy and Eliminate Fear
दो लफ्ज़ों में
साल 2018 में रिलीज़ हुई किताब ‘चीफ़ जॉय ऑफिसर’ में Richard Sheridan ने बताया है कि उन्होंने कैसे कंपनी के अंदर जॉयफुल कल्चर बनाया है. इस किताब में लेखक की लाइफ के अनेक किस्से बताए गएं हैं. अगर आप भी किसी वर्क कल्चर का निर्माण करना चाहते हैं. जिसे लोग प्यार करें तो फिर ये किताब आपके लिए मददगार साबित हो सकती है.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे बिजनेस फील्ड में इंटरेस्ट हो
- ऐसा कोई भी जिसे वर्क प्लेस में जॉय अच्छा लगता हो
- ऐसा कोई भी जिसे लीडर बनना हो
लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन ‘Richard Sheridan’ ने किया है. ये सॉफ्टवेयर डिजाईन कंपनी मेनलो इनोवेशन के फाउंडर हैं. इसी के साथ-साथ ये बेस्ट सेलिंग किताब जॉय के ऑथर भी हैं.
इस किताब में मेरे लिए क्या है?
हम लोगों में से कई लोग ऐसे होते हैं. जो सुबह उठते हैं और अपने काम के बारे में सोचकर ही डर जाते हैं. जब ऑथर, रिचर्ड शेरिडन, एक सॉफ्टवेयर कंपनी, इंटरफेस सिस्टम्स में प्रबंधक थे. तब वो अपने काम से इतना डरते थे कि ऑफिस जाने वाला रास्ता ही चेंज कर दिया करते थे. धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ था कि उन्हें अपनी अप्रोच को बदलने की ज़रूरत है.
ऑथर का सपना हुआ करता था कि वो एक ऐसी कंपनी के लीडर बनें, जहाँ लोग अपना काम एन्जॉय करते हों. उन्होंने अपने इस सपने को पूरा किया और मेनलो इनोवेशन की स्थापना की थी. इस कंपनी में लोग अपने काम को एन्जॉय करते हैं. इस कंपनी में लोगों को समय बिताना अच्छा लगता है.
इस समरी में आपको पता चलेगा कि लीडर के लिए सही अप्रोच क्या होता है? कैसे किसी भी कंपनी को सही वैल्यूज के साथ लीड किया जा सकता है. इसके अलावा आप जानेंगे कि ऑथर ने 10 सालों में बिजनेस के बारे में क्या सीखा था? और लीडरशिप की मेन क्वालिटी क्या होती है?जॉयफुल लीडर्स को truthfulness और humbleness के साथ रहना चाहिए, साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए
क्या आप वर्क प्लेस में भी अपनी वही इमेज शो करते हैं. जैसे आप घर में होते हैं. या फिर आप घर में कुछ और होते हैं और वर्क प्लेस में कुछ और ही नज़र आते हैं. ज्यादातर लोग वर्क प्लेस में अथेंटिक नहीं रहते हैं. एक लोकल नॉन प्रॉफिट आर्गेनाईजेशन है जिसका एले प्लेस है. इसके ऑनर एक बार मेनलो इनोवेशन ऑथर की कंपनी में घूमने के लिए आए हुए थे. वहां उन्होंने अपने एक्सपीरियंस को भी शेयर किया था. उन्होंने बताया था कि उनकी कंपनी लोगों को मूव ऑन करने में मदद करती है. जब लोग अपने करीबियों को खो देते हैं. तो वो अंदर से काफी ज्यादा टूट जाते हैं. ऐसे समय में हम उन्हें नार्मल होने में मदद करते हैं.
ज्यादा पूछने में उन्होंने अपनी प्रोसेस के बारे में बताया कि वो एक एक्सरसाइज करवाते हैं. इस एक्सरसाइज की मदद से आपकी रियल फीलिंग के बारे में पता चल पाता है. इस एक्सरसाइज में वाइट मास्क का यूज होता है. लोग ये मास्क पहन लेते हैं. इसके बाहर वो अपनी फीलिंग्स लिखते हैं जो कि वो दुनिया को बताना चाहते हैं. जैसे कि “अब वो ठीक हैं..”
इसी के साथ मास्क के अंदर साइड वो लिखते हैं. जो वो असल में सोच रहे होते हैं. जैसे कि “मैं डरा हुआ हूँ..”
इसके बाद उन मास्क को लोग आपस में एक्सचेंज करते हैं. तब उन्हें पता चलते हैं कि बाकी लोग भी उन्हीं की ही तरह हैं.
इस एक्सरसाइज से लोग सच से रूबरू होते हैं. उनके अंदर इमोशन की बाढ़ आ जाती है.
लीडर्स के लिए वर्क प्लेस में मास्क के अंदर वाली रियल फीलिंग जाहिर करना मुश्किल होता है. लोगों को बस मज़बूत लीडर नज़र आता है. जो कि मास्क के बाहर लिखा हुआ होता है. लेकिन लोगों को मास्क के अंदर की फीलिंग नहीं दिख पाती है. अभी तक हमनें truthfulness के बारे में बात की है. ये क्वालिटी लीडरशिप के लिए बहुत ज़रूरी होती है. अब बात दूसरी महत्वपूर्ण क्वालिटी के ऊपर आती है. इसका नाम हम्बलनेस यानी विनम्रता है. एक बिजनेस लीडर को काफी ज्यादा विनम्र रहना चाहिए.
अगर बिजनेस लीडर होने के नाते आप हम्बल हो, फिर आपको कोई भी पीछे नहीं छोड़ सकता है. आपका सफल होना तय है. सफलता मिलने में समय ज़रूर लग सकता है. लेकिन आपको सफलता मिलकर रहेगी.
ऑथर के लिए भी बिजनेस में विनम्रता का रोल काफी ज्यादा है. यही कारण है कि आज के दौर में भी लेखक के पास एक खुशहाल टीम है. जो उस बिजनेस को खुद का मानते हुए काम पूरी शिद्दत के साथ काम करती रहती है. ये सब चीज़ें ऐसे ही अचीव नहीं की जाती हैं. इनके लिए दिन रात की मेहनत होती है. आपकी टीम आपके लोग आपको इज्जत तभी देंगे जब आप खुद को विनम्र करेंगे. किसी भी बिजनेस में सफल होने के लिए विनम्र होना बहुत ज़रूरी होता है.
जॉयफुल लीडर्स आशावादी होते हैं, उन्हें खुद के ऊपर और अपनी टीम के ऊपर काफी ज्यादा भरोसा होता है.
आप किस रंग की हैट पहनते हैं? साइकोलॉजिस्ट और फिलॉसफर एडवर्ड डी बोनो ने साल 1985 में एक किताब लिखी थी. इस किताब को उन्होंने सिक्स थिंकिंग हैट नाम दिया था. उस किताब में उन्होंने 6 अलग-अलग तरह के अप्रोच के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया था कि कैसे इंसान एक ही सिचुएशन को 6 अलग-अलग तरीकों से देख सकता है. अगर किसी ने वाइट हैट पहनी है. तो वो किसी सिचुएशन को फैक्ट्स की तरह देखेगा. वहीं अगर किसी ने रेड हैट पहनी है तो वो उसी सिचुएशन को इमोशनल एंगल से देखने की कोशिश करेगा. इंजीनियरिंग माइंड सेट वालों के लिए ब्लैक हैट हुआ करती थी. हमें आज के दौर में भी कुछ इसी तरह के थिंकिंग की ज़रूरत है. लीडर्स को येलो हैट पहनी चाहिए. इस हैट का मतलब होता है कि आप आशावादी सोच के हैं और आपकी नज़र सक्सेस की तरफ है. आप एक लीडर हैं और आपकी एक कंपनी है. आपकी कंपनी में अलग-अलग माइंड सेट के आदमी काम करते हैं. किसी ने लाल हैट पहनी है तो किसी ने वाइट हैट पहनी हुई है. ऐसे समय में बहुत ज़रूरी हो जाता है कि आप येलो हैट पहने हुए हों. आपकी सोच आशावादी होनी ही चाहिए. सभी को सक्सेस की तरफ साथ लेकर चलना ही आपका मुख्य उद्देश्य है. प्रैक्टिकल टर्म में बात करें तो आपको बस अपनी टीम से इतना कहना होता है कि “वाह ये आईडिया अच्छा है. चलो इसके ऊपर मिलकर काम करते हैं.” इतना कहने बस से आप अपनी पूरी टीम का हौसला बढ़ा सकते हैं.
दुनिया भर की बड़ी-बड़ी कंपनी के सी.ई.ओ ऑथर से मिलने आया करते थे. उन्हें ऑथर से सीखना था कि जॉय फुल माहौल कैसे बनाया जा सकता है? दुनिया भर में बहुत सारे लोगों को ऑथर की टिप्स से फायदा हुआ है. बड़े-बड़े सी.ई.ओ ऑथर से यही पूछा करते थे कि वो ऐसा क्या करें? जिससे कुछ डिफ़रेंस क्रिएट हो सके?
इसके जवाब में ऑथर बस इतना कहा करते थे कि अपने ऑफिस को छोड़िये और पूरी टीम के साथ किसी छोटे से फ्लोर में शिफ्ट हो जाइए. इस सलाह को सुनने के बाद कई सी.ई.ओ मुस्कुरा दिया करते थे. लेकिन फॉलो रेयरली किसी ने किया था. जिसने भी किया था उसको रिज़ल्ट भी मिला था. न्यू यॉर्क से एक लीडर आए हुए थे. जिनका नाम रॉन सेल था. उन्होंने ऑथर की बात मान ली थी. उन्होंने अपने बड़े से लग्जरी ऑफिस को छोड़ दिया था. उन्होंने बीच की दीवार तोड़ दी थी और अपने टीम के साथ ही शिफ्ट हो गए थे. उनके इस तरकीब को उनकी टीम ने काफी ज्यादा पसंद भी किया था. इसका रिज़ल्ट क्या हुआ था? इसका रिज़ल्ट काफी फायदा वाला था. उनकी कंपनी का पूरा वर्क कल्चर ही बदल चुका था. अब उनसे अच्छे वर्क कल्चर की टिप भी लोग मान रहे थे.
यही फायदा होता है जब आप एक लीडर ही नहीं बल्कि जॉयफुल लीडर बनना चाहते हैं.
दूसरों को ग्रेटेस्ट जॉय सर्व करने की कोशिश करिए, जॉयफुल लीडर की ये भी एक क्वालिटी होती है
साल 1968 की बात है, ऑथर की माँ ने एक नया बुक शेल्फ आर्डर किया था. वो काफी खुश थीं, उस दौर में फर्नीचर खरीदना काफी बड़ी बात हुआ करती थी. इसलिए उनका परिवार काफी ज्यादा खुश था. एक शाम की बात है ऑथर के माता-पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे. तब उनके मन में आया कि वो अपनी माँ के लिए कुछ स्पेशल करते हैं. स्पेशल करने के लिए वो मार्केट जाकर आर्डर किया हुआ बुक शेल्फ लेकर आए और उसे सजाकर सेट कर दिया. उसके ऊपर उन्होंने टेप भी रख दिया था. जैसे ही उनके माता-पिता ने घर में इंटर किया. वैसे ही ऑथर ने अपनी माँ के पसंद का गाना प्ले कर दिया था. ये देखकर उनके पिता तो आश्चर्यचकित हो गए थे. उनकी माँ की आँखों से तो आंसू निकलने लगे थे. उस समय ऑथर की उम्र 10 साल की हुआ करती थी. उस उम्र में उन्हें पता चल गया था कि असली ख़ुशी तो दूसरों को खुश करने में ही है. उन्हें इस बात का एहसास हो गया था कि दूसरों को ग्रेटेस्ट जॉय सर्व करने में बहुत ज्यादा ख़ुशी मिलती है.
इसलिए बिजनेस की दुनिया में भी आपको ऐसे कल्चर का निर्माण करना चाहिए, जिसकी वजह से आप दूसरों की लाइफ में जॉय एड कर सकें. लेखक सलाह देते हैं कि आपका बिजनेस कोई भी हो लेकिन आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप दूसरों को कुछ ना कुछ सर्व कर सकें. इसी के साथ लेखक ये भी याद दिलाते हैं कि आप छोटा सा छोटा काम करते हुए भी दूसरों की लाइफ में जॉय एड कर सकते हैं.
ऑथर मैक डोनल्ड के एक ब्रांच का किस्सा शेयर करते हैं. वहां पर एक कर्मचारी हुआ करता था. जिसकी उम्र ज्यादा थी, उसका नाम माइक हुआ करता था. लेखक ने ओब्सर्व किया था कि वो कस्टमर को काफी प्यार और स्नेह से डील किया करता था.
उसकी कोशिश रहती थी कि किसी भी कस्टमर को कोई दिक्कत ना हो, अगर किसी के पास नैपकिन नहीं रहती थी. वो उन्हें नैपकिन ऑफर करता था. वो कस्टमर से थोड़ी बात चीत भी करता था. उसका उद्देश्य रहता था कि वो कस्टमर को स्पेशल फील करवा सके. फिर काफी दिनों बाद लेखक फिर से उस ब्रांच गए तो देखा कि अब उसने नौकरी छोड़ दी है. उसकी जगह एक जवान लड़के ने ले ली है.
लेकिन आश्चर्य की बात ये थी कि इसका भी व्यवहार उसी की तरह ही था. ये देखकर लेखक ने मैनेजर से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि ये वर्क कल्चर ही उन्होंने तैयार किया है. कल कोई और भी काम करेगा तो वो कस्टमर से ऐसे ही डील करेगा. हमारी प्रियोरिटी ही कस्टमर की मुस्कान है.
ये सुनकर लेखक काफी ज्यादा इम्प्रेस हुए, उन्हें तब पता चला कि ये कोई आम मैनेजर नहीं है. ये किसी लीडर से कम नहीं है. किसी भी बिजनेस को लीड करने के लिए इसी एटीट्यूड की ज़रूरत होती है.
बेहतरीन आर्गेनाइजेशन में लीडर्स की वैल्यू की जाती है, आर्गेनाईजेशन को बेहतर करने के लिए नॉन हायरार्कीयल कल्चर को अपनाना चाहिए
क्या आपको मालुम है कि लीडर और बॉस के बीच में अंतर क्या होता है? बॉस अपने पोजीशन का फायदा उठाते हुए आपको बताता है कि क्या करना है? वहीं लीडर आपको मोटिवेट करता है कि किसी भी काम को कैसे करना है? बॉस डेडलाइन के साथ काम बताता है तो लीडर कहता है कि चलो साथ में काम खत्म करते हैं. अधिकत्तर बॉस हाई पोस्ट में बैठे हुए होते हैं तो लीडर आपको किसी भी पद में मिल जाएंगे.
जो आर्गेनाईजेशन बॉस की जगह लीडर्स को बढ़ावा देती हैं वो कुछ ज्यादा सक्सेसफुल होती हैं. इस बात के पीछे भी कई कारण हैं. एक मुख्य कारण ये है कि उन आर्गेनाईजेशन में एक्सपेरिमेंट को ज्यादा बढ़ावा दिया जाता है.
बॉस ओरिएंटेड वर्क प्लेस में अगर आप कुछ नया करना चाहते हैं. तो फिर आपको बॉस से परमिशन लेनी पड़ती है. उसमे चांस ये भी रहता है कि कई बार आपकी परमिशन को नकार दिया जाएगा. इसकी वजह से इतनी फ्रस्टेशन होती है कि लोग परमिशन ही माँगना बंद कर देते हैं.
लेकिन लीडरशिप ओरिएंटेड आर्गेनाईजेशन में परमिशन का लफड़ा ही बहुत कम होता है. इन आर्गेनाईजेशन में अच्छे आईडियाज़ का हमेशा ही स्वागत किया जाता है.
इसलिए लेखक कहते हैं कि हमेशा लीडर्स को महत्त्व देना चाहिए. जब भी ऐसा होगा तो नॉन हायरार्कीयल कल्चर को भी बढ़ावा मिलेगा. जैसे कि ऑथर की संस्थान मेनलो इनोवेशन में पूरी टीम को इस तरह से तैयार किया गया था कि वो कोई भी फैसला लेने में समर्थ थी.
मेनलो इनोवेशन एक जीती जागती प्रूफ की तरह है कि बिना बॉस के भी आर्गेनाईजेशन अच्छा कर सकती है. लेकिन इस तरह के सिस्टम को अच्छे से चलाने के लिए आपके पास हौसले मज़बूत होना चाहिए.
जब भी आप सोचेंगे कि आपको जॉय कैसे मिलता है? तो फिर शायद ही आपके दिमाग में कभी सिस्टम का नाम भी आएगा. लेकिन अगर आपको आपके आर्गेनाईजेशन को जॉयफुल बनाना है. तो फिर आपको उसके सिस्टम को मज़बूत बनाना ही होगा.
दुःख की बात यही है कि लोग सिस्टम के ऊपर तभी ध्यान देते हैं. जब उनके बिजनेस में प्रॉब्लम आने लगतीं हैं. जब बिजनेस की सेल्स कम होने लगती है या फिर कस्टमर की कम्प्लेन आने लगती है.
लेकिन अगर आपको अच्छा लीडर बनना है तो फिर आपको अपने बिजनेस के सिस्टम पर शुरू से ही फोकस करना होगा.
ऐसे लीडर्स को सिस्टम थिंकर्स भी कहा जाता है. इनकी कोशिश हमेशा बिजनेस को बेहतर से बेहतर करने की होती है.
सिस्टम थिंकर्स चीज़ों को आसान तरीके से करने में विश्वास रखते हैं. एग्जमप्ल के लिए मेनलो इनोवेशन के बारे में सोच सकते हैं. वहां हर हफ्ते सभी को टाइम शीट देनी होती थी. उससे ये अंदाजा लगता था कि किसी टास्क में कितना समय लग रहा है. इससे उन्हें फ्यूचर के टास्क में लगने वाले समय के बारे में भी पता चल जाता था.
इसलिए लेखक कहते हैं कि सिस्टम ज़रूरी है. लेकिन आप उसे डिजाईन कैसे करते हैं? इससे पता चलेगा कि आपकी आर्गेनाइजेशन में जॉय आएगा कि नहीं आएगा. इसके लिए आप रिवार्ड पॉलिसी की शुरुआत करते हुए भी कर सकते हैं. इसके तहत पॉजिटिव बिहेवियर को रिवॉर्ड करिए जिसे आप कंपनी में बढ़ावा देना चाहते हैं.
किसी भी आर्गेनाइजेशन के लिए मज़बूत टीम का होना बहुत ज़रूरी है
क्या आपके आर्गेनाईजेशन में काम करने वाले लोग एक दूसरे की फ़िक्र करते हैं? अगर नहीं करते हैं, तो क्या आपने कभी सोचा है कि वो ऐसा करें तो माहौल में कितना बदलाव आ सकता है? इस तरह के छोटे-छोटे बदलाव से कंपनी के अंदर जॉय फुल बिहेवियर क्रिएट हो सकता है. आपको अपनी कंपनी के अंदर ऐसे माहौल की शुरुआत करनी चाहिए, जहाँ पर लोग एक दूसरे की फ़िक्र के साथ केयर भी करें. इससे कंपनी के अंदर जॉय की भावना एड ऑन होगी.
इसके लिए आप मेनलो इनोवेशन के रिक्रुटमेंट प्रोसेस को भी देख सकते हैं. कंपनी के फर्स्ट राउंड के इंटरव्यू में ही लोगों को जॉइंट टास्क दिए जाते हैं. इसके साथ ही साथ उन्हें बता भी दिया जाता है कि उन्हें एक दूसरे की मदद करनी है. तभी वो सेकंड राउंड में प्रवेश ले पाएंगे. ये कंपनी की बेसिक एथिक्स है. जो वहां के लोगों को फॉलो करनी होती है.
इस तरह के एक्सरसाइज से टीम में एकता की भावना का जन्म होता है. जिससे टीम के मेम्बर्स एक दूसरे के दोस्त भी बन जाते हैं. तब उन्हें एक दूसरे के साथ काम करने में मज़ा आने लगता है. यही कारण है कि मेनलो इनोवेशन में ज्यादातर लोग काफी जॉय फुल तरीके से अपने-अपने टास्क को पूरा करते हैं.
उदाहरण के लिए मेनलो इनोवेशन का एक कर्मचारी को ऑफिस में आने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. उसके पास खुद का साधन नहीं है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से देर हो जाती है. रोज़-रोज़ देर से आने से काफी दिक्कतें हो रही हैं. कोई दूसरी आर्गेनाईजेशन होती तो उस कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया जाता. लेकिन ये मेनलो इनोवेशन है, यहाँ कर्मचारी एक दूसरे को भाई मानते हैं. यहाँ पर अगर ऐसा हो रहा है तो उस कर्मचारी की मदद दूसरा कर्मचारी करेगा. वो उसे सुबह पिक अप करेगा और ऑफिस टाइम से लेकर आएगा.
इसके पीछे की वजह यही है कि यहाँ पर टीम भावना के साथ काम किया जाता है. यहाँ की टीम एक दूसरे के काम को खुद का काम समझती हैं. इसलिए सफल लीडर बनने के लिए आपको अपनी टीम के अंदर ऐसी ही भावना को पैदा करना होगा.
इसलिए लेखक कहते हैं कि एक दूसरे की फ़िक्र करने का मतलब ये होता है कि आपको दूसरे को सिर्फ कर्मचारी नहीं समझना है. आपको दूसरे व्यक्ति को इंसान समझना है. दुनिया में इंसानियत से बड़ी कोई दूसरी चीज़ नहीं होती है. इसलिए लीडर के अंदर इतनी काबिलियत तो होनी ही चाहिए कि उसे इंसानियत समझ में भी आए और दिखाई भी दे.
ऑथर कहते हैं कि केयरिंग बहुत ज़रूरी है. इसी के साथ-साथ इसे शेयर करना भी बहुत ज़रूरी है. कंपनी के अंदर सबके लिए इतनी आज़ादी रहनी चाहिए कि वो आप से अपनी दिक्कत को भी शेयर कर सकें.
इसलिए कहा जाता है कि बॉस तो कोई भी बन सकता है. लेकिन एक लीडर बनना सबके बस की बात नहीं होती है.
जिस आर्गेनाईजेशन में काम के साथ लर्निंग भी साथ में होती है, वहां का माहौल जॉयफुल ही होता है
बिजनेस की दुनिया में कुछ भी बहुत तेजी से बदल सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि आपका बिजनेस किसी बड़े थ्रेट में हो और आपको इसका अंदाज़ा भी ना हो. बॉर्डर बुक्स को साल 1971 में लॉन्च किया गया था. ये कंपनी काफी सफल कम्पनियों की लिस्ट में शामिल थी. इस कंपनी में 20 हज़ार से ज्यादा लोग काम किया करते थे. फिर 1994 में अमेज़न आई और इस कंपनी को खा गई. धीरे-धीर 2011 तक बॉर्डर बुक्स बंद हो गई.
बॉर्डर बुक्स के पास 17 सालों का समय था. ये समझने के लिए कि इंटरनेट की दुनिया में सर्वाइव कैसे करना है? लेकिन उसने नहीं समझा और रिज़ल्ट आपके सामने है. इस कहानी से हम एक चीज़ सीख सकते हैं. वो ये है कि हमें लगातार सीखते रहना चाहिए. लीडर के तौर पर आपको सीखना भी ज़रूरी है और अपनी टीम को सिखाते रहना भी ज़रूरी है. एम.आई.टी के साइंटिस्ट पीटर सेंज ने कहा था कि “लॉन्ग टर्म बिजनेस में वही आर्गेनाईजेशन सफल हो सकती है. जिसे लगातार सीखने में मज़ा आता हो, जो सीखना जानता हो, वही लॉन्ग टर्म में सर्वाइव भी कर सकता है.”
टीम के अंदर लर्निंग कल्चर डेवलप कैसे करेंगे? इसके लिए आपको टीम के अंदर रीडिंग कल्चर को डेवलप करना होगा. आपको टीम को बताना होगा कि हम आईडियाज़ के ऊपर वर्क करेंगे. लेकिन आईडियाज़ वेल रिसर्चड होने चाहिए. आपको जो बोलना है वो बोलिए लेकिन पहले उसको पढ़ने की कोशिश करिए.
इस कल्चर को डेवलप करने के बाद ही आपको अपनी कंपनी के अंदर कई सारे पॉजिटिव बदलाव नज़र आने लगेंगे. उन बदलाव को ओब्सर्व करते जाइए और टाइम के साथ-साथ खुद को बदलते जाइए. बदलना बहुत अच्छा होता है, ऐसा करने से आप टाइम के साथ आगे बढ़ते जाते हैं.
रीडिंग कल्चर को वर्किंग में शामिल करने के लिए आप कुछ चीज़ें कर सकते हैं. इसके लिए आप एक फ्री लाइब्रेरी की शुरुआत कर सकते हैं. भले ही आपकी कोई किताब गुम हो जाए, आपको परेशान नहीं होना है. उसकी दूसरी कॉपी खरीदने के लिए तैयार रहना है.
रीडिंग कल्चर के लिए आप कंपनी के अंदर ही इन हाउस बुक क्लब भी बना सकते हैं.
इन एक्सरसाइज का लॉन्ग टर्म में आपकी कंपनी को ही फायदा मिलने वाला है. आपको पता चलेगा कि कितने पढ़ने के शौक़ीन लोग आपके यहाँ काम करते हैं.
फ्यूचर से जुड़ा हुआ बिजनेस करिए और लीडर के तौर पर खुद को भी फ्यूचर में आने वाले बदलावों के लिए तैयार करिए.
कुल मिलाकर
कई लोग अपने काम की शुरुआत डर के साथ करते हैं. लेकिन अगर आप लीडर हैं, तो फिर आप इस चलन को बदल सकते हैं. आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है. बस वर्किंग में कल्चर में कुछ इनोवेशन करने हैं. ऐसा करने से आप दूसरों की लाइफ बेहतर कर सकते हैं.
क्या करें?
लाइफ में कुछ बढ़िया करिए और बढ़िया करने के लिए अपने वर्किंग कल्चर को बेस्ट बनाइए. एक लीडर के तौर पर खुद की पहचान बनाइए. लोगों को अच्छे से अच्छा ट्रीट करिए. उनकी लाइफ में कुछ वैल्यू एड ऑन करने की कोशिश करिए. सफल लीडर की यही पहचान है.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Chief Joy Officer By Richard Sheridan.
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