Betting on You

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Betting on You

Laurie Ruettimann
खुद को फर्स्ट पोजीशन में रखिए और अपने करियर को कंट्रोल करिए

दो लफ्ज़ों में
क्या आप भी किसी बड़े कॉर्पोरेशन के इम्पलॉई हैं? तब कई बार आपको भी ऐसा ही लगता होगा कि आपके काम के ऊपर आपका कोई अधिकार नहीं है. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आप माइंड सेट में बदलाव करते हुए खुद को सबसे पहले रख सकते हैं. इससे आपके वर्किंग कल्चर में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. कुछ इसी तरह के माइंड सेट से आपको साल 2021 में रिलीज़ हुई किताब Betting on Youरूबरू करवाती है. 

ये किताब किसके लिए है 
- ऐसे लोग जिन्हें अपने करियर में पर्पस की ज़रूरत है 
- ऐसे लोग जिन्हें सेल्फ इम्प्रूवमेंट की ज़रूरत है 
- सभी स्टूडेंट्स के लिए 
- ऐसे लोग जो अपने काम से परेशान हो चुके हों 

लेखिका के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब की लेखिका ‘Laurie Ruettimann’ हैं. इन्होने लेखिका बनने के लिए कॉर्पोरेट की जॉब को छोड़ दिया था. इसके बाद इन्होंने आंत्रप्रेन्योर और स्पीकर के तौर पर भी खुद को डेवलप किया है. सी.एन.एन ने इन्हें यूनाइटेड स्टेट्स की 5 प्रभावशाली करियर एडवाईसर में से एक माना है.

आपको आपके सिवा कोई और नहीं बचा सकता है
हम लोगों में से ज्यादातर लोग वर्क प्लेस में बहुत उत्साहित होकर जाते हैं. लेकिन कुछ समय बाद उसी जगह से हम बोर होने लगते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर मॉडर्न वर्क प्लेस खोखले हो चुके हैं. वो बस बाहर से ही सुंदर नज़र आते हैं. उनमें जान बची ही नहीं है. वहां बस इम्पलॉईज़ का शोषण होता है. अधिकांश जगह पर पैसों की तुलना में काम काफी ज्यादा करवाया जाता है. 

इन सब चीज़ों के बाद भी एक अच्छी खबर है. वो ये है कि ये मायने नहीं रखता है कि आप कहाँ पर काम कर रहे हैं? अगर आप अपने माइंड सेट को चेंज कर सकते हैं. तो फिर आपकी वर्क लाइफ में भी बहुत बदलाव आ सकता है. इस नए अप्रोच को आप कहीं भी लगा सकते हैं. 

क्या आपकी लाइफ में भी अमेरिकन्स की तरह बोरियत ने घर कर लिया है? क्या आप भी पूरे हफ्ते वीकेंड का इंतज़ार करते हैं? अगर ऐसा है तो फिर ये किताब आपके लिए ही लिखी गई है. देर मत करिए और इस किताब की समरी को सुनना या पढ़ना शुरू कर दीजिए. इस समरी में आपको पता चलेगा कि खुद की वैल्यू करने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं? वर्क प्लेस को मजेदार कैसे बनाया जा सकता है?किसी भी सिचुएशन को विनर की तरह कैसे हैंडल कर सकते हैं?

तो चलिए शुरू करते हैं!

आपको आपके सिवा कोई और नहीं बचा सकता है। 

इस किताब की लेखिका ‘Laurie Ruettimann’ फाईजर जैसी बड़ी कारपोरेशन में काम करती थीं. लेकिन वो अपने काम से बहुत ज्यादा डीमोटिवेट हो चुकी थीं. उनका डीमोटिवेशन इतना ज्यादा हो चुका था कि सुबह-सुबह वो अपने बिस्तर से नहीं उठ पाती थीं. उन्होंने अपने पूरे घर में अलार्म लगा दिया था. बस इसलिए कि वो सुबह टाइम से उठ सकें. 

फाईजर में वो एच.आर डिपार्टमेंट में काम किया करती थीं. जब उन्होंने इस कंपनी को ज्वाइन किया था. तब कंपनी के द्वारा उनसे वादा किया गया था कि यहाँ पर उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिलेगा. इसी के साथ यहाँ पर उन्हें ग्रोथ के अवसर भी काफी मिलेंगे. लेकिन जैसे-जैसे वो काम करती रहीं तो उन्हें एहसास हुआ कि उनका काम तो बस एक जगह से दूसरे जगह जाकर इम्पलॉईज़ को फायर करना है. इसी के साथ उनके डिपार्टमेंट का माहौल भी टॉक्सिक था. मतलब साफ़ है कि लेखिका ने जो सोचकर इस कंपनी को ज्वाइन किया था. वैसा कुछ भी कंपनी के अंदर उन्हें महसूस नहीं हुआ था.

धीरे-धीरे वो इमोशनल तौर पर टूट चुकी थीं. इस वजह से उनकी पूरी लाइफ डिस्टर्ब हो चुकी थी. उनको दिमागी तौर पर शांति नहीं मिल रही थी. इसका बुरा इफ़ेक्ट उनके हेल्थ पर भी पड़ रहा था क्योंकि उन्हें एक्सरसाइज के लिए थोड़ा सा भी टाइम नहीं मिलता था. उनके पति के साथ उनके संबंध भी खराब हो रहे थे. वो अपने पति को प्राइवेट समय नहीं दे पाती थीं. जिसकी वजह से दोनों के बीच में तनाव रहने लगा था. धीरे-धीरे लेखिका डिप्रेशन में जाने लगीं थीं. उन्हें महसूस होने लगा था कि उनकी लाइफ का कोई भी गोल नहीं है. लेकिन यो ऐसे ही अपनी लाइफ को बर्बाद होते नहीं देख सकती थीं. उन्हें एक उम्मीद की किरण की ज़रूरत थी.

एक दिन लेखिका एयरपोर्ट पर एक मैगजीन पढ़ रही थीं. तभी उनका ध्यान एक आर्टिकल की तरफ गया. इस आर्टिकल में Courtney Love की कहानी थी. जिन्होंने अपने इच्छा शक्ति से काफी वेट लॉस किया था. जिसकी वजह से उनकी लाइफ ट्रैक में आ गई थी. इस आर्टिकल को पढ़ते ही लेखिका के मन में भी सवाल आया था कि वो क्यों नहीं अपनी लाइफ को बदल सकती हैं?

इसके बाद उन्होंने फैसला किया था कि वो मैक्सिको जाकर मेडिकल सर्जरी की मदद से वेट लॉस करेंगी. इस फैसले ने उनकी लाइफ ही बदल दी थी. उनकी लाइफ बस इसलिए नहीं बदली थी कि उनका वजन कम हुआ था. उनकी लाइफ में ये बदलाव इसलिए आया था क्योंकि उन्होंने अपनी लाइफ का चार्ज खुद की हाथों में लिया था. उन्होंने खुद को महत्व देने की शुरुआत कर ली थी. उन्होंने फैसला कर लिया था कि अब से वो खुद का ख्याल रखेंगी. उन्हें पता चल गया था कि उनकी लाइफ को अगर कोई बदल सकता है. तो फिर वो खुद ही हैं. उनके दिल से ये आवाज़ आई थी कि अब उन्हें अपनी लाइफ की ड्राइविंग सीट पर खुद ही बैठना है. ना सिर्फ बैठना है बल्कि जिंदगी की गाड़ी को ड्राइव भी करना है. 

इसके बाद उन्होंने एक्सरसाइज करने की भी शुरुआत कर दी थी. फिर उन्होंने वो सब करने की शुरुआत कर दी थी. जो वो दिल से करना चाहती थीं. इसलिए आगे चलकर उन्होंने लिखने की भी शुरुआत कर दी थी. 

इसके बाद उन्होंने 6 महीनों के अंदर अपने ब्लॉग की भी शुरुआत कर दी थी. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ दिया और राइटर बनने के लिए आगे की राह की तलाश शुरू कर दी थी. जिसके बाद उन्होंने कन्सल्टेंट के तौर पर भी काम किया था.

अपने पेशे से अपनी पहचान को तय करना बंद कर दीजिए” ये चैप्टर आपके कन्फ्यूजन को दूर कर देगा
जब भी आप किसी नए आदमी से मिलते हैं तो फिर खुद की क्या पहचान बताते हैं? अगर आप आम लोगों की तरह बात करते हैं. तब आप अपने नाम के साथ ये बताते हैं कि आप कहाँ पर काम करते हैं? कुछ इसी तरह से लोग अपना परिचय देते हैं. इसे करियर आइडेंटिटी स्टेटमेंट भी कहा जाता है. इस तरह से ये जानने में सामने वाले को आसानी हो सकती है कि आप क्या करते हैं? लेकिन इस तरीके से आप अपनी पर्सनालिटी को लिमिट करते हैं. सच्चाई ये है कि हम अपने काम से बहुत अधिक होते हैं. हम एक बेहतरीन इंसान होते हैं. हम दोस्त, लवर या पैरेंट हो सकते हैं. आसानी से कहा जाए तो हमारी लाइफ में ऐसी बहुत सी चीज़ें होती हैं. जो कि हमारे काम से ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकती हैं. हमारी पर्सनालिटी फॉर्मल ड्रेस के अलावा भी बहुत कुछ होती है. हमारी पर्सनालिटी में इंद्रधनुष से भी ज्यादा रंग होते हैं. लेकिन हम खुद को बस उस चश्में से देखने की कोशिश करते रहते हैं. जिस चश्में में हमारी कारपोरेशन का ठप्पा लगा हुआ होता है. आज की भागा दौरी में हम हफ्ते में 60 घंटे से ज्यादा काम करते हैं. इसी के साथ हम अपनी कंपनी के लिए 24 घंटे अवलेबल रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि इसकी हमें क्या कीमत चुकानी पड़ती है? इतना ज्यादा काम करने का मतलब ये होता है कि आपके पास अपने दोस्तों और परिवार वालों के लिए समय ही नहीं रहता है. आपके पास अपनी सेहत के लिए समय नहीं रहता है. मतलब साफ़ है कि आपके पास अपनी खुशियों के लिए टाइम ही नहीं रहता है. आप खुद को मौत की तरफ ढकेल रहे होते हैं. इसलिए अब समय आ गया है कि आप अपने काम को थोड़ा सा लिमिट करने की कोशिश करिए. लेखिका यहाँ कहती हैं कि आपको थोड़ा सा प्रोफेशनल आलसी बनने की ज़रूरत है. एक्स्ट्रा टास्क को ‘ना’ कहने की ज़रूरत है. कुछ घंटे कम काम करने से आप लेस प्रोडक्टिव नहीं हो जाएंगे. आप कम घंटों में भी बेहतर काम कर सकते हैं. इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने काम को पूरी तरह  फोकस होकर करने की कोशिश किया करिए. अपनी लाइफ को लीड करने की कोशिश करिए, इससे आप कम समय में भी ज्यादा प्रोडक्टिव हो सकते हैं.

यहाँ पर Deanna का एग्जाम्पल ले सकते हैं. वो अपने काम में बहुत सक्सेसफुल थी. लेकिन धीरे-धीर वो बर्न आउट भी होती जा रही थी. इसकी वजह ये थी कि उसने अपनी टीम से कह दिया था कि वो उनके लिए हमेशा अवलेबल है. इस वजह से उसकी टीम को उसकी हमेशा ज़रूरत रहती थी. जब उसको अपने परिवार के साथ रहना चाहिए था. तब भी वो काम में व्यस्त रहती थी. जिसकी वजह से अब वो जॉब चेंज के बारे में सोचने लगी थी. लेकिन उसे जो आप्शन मिलते थे. वो भी इसी तरह के ही होते थे.

इस तरह की सिचुएशन से डील करने के लिए लेखिका ने उसे सलाह दी थी कि उसे जॉब छोड़ने की ज़रूरत नहीं है. वो बस अब से कम काम करने की शुरुआत कर दे. इसके बाद   उसने अपनी टीम से बात की थी कि अब से वो काम के समय के बाद अवलेबल नहीं रहेगी. इस नए अप्रोच से उसे काफी ज्यादा मदद मिलने लगी थी. अब वो अपने परिवार के साथ भी काफी टाइम बिताया करती थी. जिसके कारण उसकी लाइफ में खुशियों की दस्तक फिर से हो गई थी. 

एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले प्रीमॉर्टम करके विफलता को हराएं।

यूनाइटेड स्टेट्स की बात है. साल 1986 में वहां स्पेस शटल चैलेंजर लॉन्च होने वाला था. लोगों के अंदर काफी उत्साह देखने को मिल रहा था. लोग इसका इंतज़ार टीवी के सामने भी कर रहे थे. लेकिन जब ये लॉन्च हुआ तो कुछ दूर ही जाने के बाद राकेट क्रैश कर गया था. जिसकी वजह 7 लोगों की जान भी चली गई थी. 

ये एक ऐसी दुर्घटना थी जिसे टाला जा सकता था. कई रिसर्च में यी बात निकलकर सामने आई थी कि इंजिनियर ने पहले ही सुपर वाईजर को वार्न कर दिया था कि राकेट में कुछ बड़ी दिक्कत हो सकती है. लेकिन किसी ने भी इस वार्निंग के ऊपर ध्यान नहीं दिया था. नासा को भी राकेट को टाइम से लॉन्च करना था. सभी वाह वाही लेने के चक्कर में पड़े हुए थे. जिसकी वजह से सावधानी को नज़र अंदाज़ कर दिया गया था. 

इसलिए कहा भी गया है कि “दुर्घटना से देर भली”

कई वर्क प्लेस में रिज़ल्ट खराब ही आते हैं. अधिकत्तर हम रिज़ल्ट आने के बाद उसका पोस्ट मोरटम करते हैं. जो अप्रोच ही गलत है बल्कि हम पहले से पता कर सकते हैं कि प्रोजेक्ट में क्या-क्या गलतियाँ हैं. 

कई स्टडी भी बताती हैं कि अगर हम किसी भी प्रोजेक्ट का प्रीमॉर्टम करते हैं. जिससे ये पता चलता है कि इसमें क्या-क्या खामियां हैं. उस प्रोजेक्ट के सक्सेसफुल होने के चांस 30 प्रतीशत ज्यादा बढ़ जाते हैं. 

उदाहरण के लिए अगर आप नए बिजनेस की शुरुआत करने की सोच रहे हैं. इस बात को अगर आप पहले से परख लें तो आपको पता चल सकता है कि मार्केट की हालत अभी सही नहीं है. आपको ये भी पता चल सकता है कि आपके पास बैलेंस भी पर्याप्त नहीं है. इस तरह से आपको दिक्कत का पता चल जाएगा. इसके हल के लिए आपको ये पता चल जाएगा कि अभी हमें 6 महीने और रुक जाना चाहिए. 

इसलिए इसी के साथ आपको ये भी समझना चाहिए कि करियर में अच्छा करने के लिए ज़रूरी है कि आप ड्राइव खुद कर रहे हों. इसके लिए ये भी ज़रूरी है कि आप कुछ रिस्क भी लें. लेकिन करियर में अच्छा करना ही हैप्पीनेस नहीं होती है. हैप्पीनेस के कई माप दंड होते हैं. जिनके रास्ते आपके परिवार और दूस्तों के बीच से भी होकर गुज़रते हैं. इसलिए बनावटी खुशियों के पीछे भागना बंद कर दीजिए. असली ख़ुशी की तलाश करिए. वो आपके अंदर ही है.

अपने अंदर के सी.ई.ओ को जगाइए, उसको बताइए कि आपकी वर्थ बहुत अधिक है
हम सभी को पता है कि सैलरी के भरोसे लाइफ को जीना क्या होता है? ये भी पता है कि महीने की शुरुआत में जब पैसे बैंक में क्रेडिट होते हैं तो कैसा लगता है? लेकिन हमें ये भी पता है कि कैसे वो पैसे कुछ ज़रूरी खर्च में खत्म भी हो जाते हैं. इसमें भी दो राय नहीं है कि काफी मेहनत करने के बाद भी हम लोगों में से कई लोगों के पास हमेशा पैसों की कमी ही रहती है. इसकी वजह ये है कि हमे अपने काम के पैसे कम मिलते हैं. कारपोरेशन का पे स्ट्रक्चर कुछ ऐसा होता है कि टॉप के अधिकारियों को छोड़ दें तो किसी को भी अच्छी पेमेंट नहीं मिलती है. 

1970 के दशक में तो ये देखने को मिला था कि टॉप अधिकारियों की पेमेंट में 900 प्रतीशत की ग्रोथ हुई थी. वहीं बाकी वर्कर्स की पेमेंट कम हो गई थी. इससे हम दो चीज़ सीख सकते हैं. पहली टॉप अधिकारियों को ऐसा लगता है कि वो इतनी सैलरी, स्टॉक्स में हिस्सेदारी को कमाए हैं. वो ये डिजर्व करते हैं. इसी के साथ वो इसकी डिमांड भी लगातार करते रहते हैं. हमें भी इस तरह का कॉन्फिडेंस चाहिए. ये भी सच है कि अगर आप कभी किसी भी चीज़ की डिमांड नहीं करेंगे तो फिर आप कभी भी कुछ भी नहीं पा सकते हैं. इसलिए समय के साथ डिमांड करना भी बहुत ज़रूरी है. जब लेखिका ने कन्सल्टेंट के तौर पर काम करने की शुरुआत की थी. तब उन्हें उम्मीद थी कि वो वर्कर्स के हक के लिए काम करेंगी और प्रॉफिट भी कमा लेंगी. लेकिन कई एन.जी.ओ ने उनसे मदद ली और बदले में उन्हें पैसा भी नहीं दिया. जिसकी वजह से लेखिका की कंपनी के ऊपर कर्ज़ बढ़ने लगा था. उनका बिजनेस चल तो रहा था लेकिन पैसे नहीं आ रहे थे. उन्हें ऐसा लगने लगा था कि अब उन्हें स्टेबल फाउंडेशन की ज़रूरत है. इसके बाद उन्होंने फाइनेंशियल सलाहकार को हायर किया था. साथ ही साथ बजटिंग में भी ध्यान देने की शुरुआत कर दी थी. उन्होंने लग्जरी को लाइफ से कुछ समय के लिए काट दिया था. जिसकी वजह से वो अपने उधार खत्म कर पाई थीं. इसी के साथ-साथ उन्होंने क्लाइंट से नए काम और ज्यादा पैसे मांगने की भी शुरुआत कर दी थी. जो नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन उन्हें पैसे नहीं दे सकते थे. उन्हें उनकी पब्लिसिटी करनी पड़ती थी. जिससे देखते ही देखते लेखिका के बिजनेस में अच्छी ग्रोथ देखने को मिलने लगी थी. 

अब आपको सही अप्रोच की अहमियत पता चल गई होगी. कई बार डिमांड करना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है. 

कर्ज़ से मुक्ति के बाद उनके अंदर ये फ्रीडम आ गई थी कि अब वो अपना काम और आसानी से कर सकती हैं. इसी के साथ-साथ उन्हें अपने मन के प्रोजेक्ट का चुनाव करने की आज़ादी भी मिल गई थी. 

आपको जब भी ऐसा लगे कि आप फंस चुके हैं,उस सिचुएशन से कुछ नया सीखने की कोशिश करिए। इमैजिन करिए कि आप ऐसी जॉब में हैं. जहाँ करने के लिए कुछ ज्यादा नहीं है. ऐसा ही कुछ लेखिका के साथ हुआ था. जब वो शिकागो में थीं. वहां सुबह 10 बजे के बाद उनके पास करने के लिए कुछ ज्यादा नहीं हुआ करता था. 

ये आपको सुनकर सपनों के जैसा लग सकता है. लेकिन सच्चाई ये है कि इससे बुरा कुछ भी नहीं होता है. हर किसी को पर्पस की ज़रूरत होती ही है. तब लेखिका को अकेला महसूस होने लगा था. उनके पास कोई बात करने के लिए भी नहीं था. उन्हें ऐसा लगने लगा था कि वो अपना टाइम बर्बाद कर रही हैं. 

तभी किसी ने उन्हें सलाह दी थी कि उन्हें आगे की पढ़ाई कर लेनी चाहिए. तब उन्होने एच.आर सर्टिफिकेशन में एडमिशन ले लिया था. इससे उन्हें लाइफ में एक नई उम्मीद भी मिल गई थी. इसके अलावा उन्हें काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा था. 

इस नए अप्रोच से उनकी लाइफ फिर से बेहतर होने लगी थी. इसलिए लेखिका कहती हैं कि आगे बढ़ने का यही मतलब है कि आप हमेशा कुछ ना कुछ नया सीखते रहिए. लाइफ में रुकने की ज़रूरत नहीं है. जब भी लगे कि आप अटक रहे हैं. उसी स्टेज में कुछ भी नया सीखने की कोशिश करिए.

क्या आपको मालुम है कि स्मार्ट जॉब सीकर क्या होता है?
अगर आप राजे-रजवाड़ों के यहाँ नहीं पैदा हुए हैं. तो इसका मतलब साफ़ है कि लाइफ में कभी ना कभी आपको जॉब की तलाश करनी ही पड़ेगी?जॉब की तलाश करना कभी भी आसान काम नहीं होता है. ये आपके पूरे माइंड सेट को बदल देता है. जब भी आप जॉब की तलाश में निकलते हैं तो फिर आपको कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. लाइफ में पता नहीं कितनी बार तो आपको रिजेक्ट होना पड़ेगा. लेकिन ट्राय, रिजेक्ट, रिपीट का गोल्डन रूल याद रखिएगा. स्मार्ट जॉब सीकर किस चिड़िया का नाम है? 

आपको बता दें कि ये किसी चिड़िया का नाम नहीं है. बल्कि ये आप के और हमारे जैसे लोग ही होते हैं. बस इनके माइंड सेट अलग होते हैं. स्मार्ट जॉब सीकर रिजेक्ट होने के लिए तैयार रहता है. उसे पता होता है कि रिजेक्शन इज पार्ट ऑफ़ द गेम. उसे पता होता है कि वो बड़े खेल का खिलाड़ी है. छोटी-मोटी जगह तो उसे रिजेक्ट होना ही पड़ेगा. स्मार्ट जॉब सीकर बनने के लिए आपको खुद के ऊपर ध्यान देने की ज़रूरत है. अपने स्किल्स के ऊपर काम करिए. अपने परिवार के साथ वक्त बिताइए. एक्सरसाइज करिए और खुश रहिए. जब आप ये सब करेंगे तो फिर आपकी पर्सनालिटी डेवलप हो जाएगी. कोई भी कंपनी ऐसी ही पर्सनालिटी को जॉब देना चाहती है. खुद के अंदर विनर एटीटयूड को पैदा करिए, याद रखिए कि आप काम से बढ़कर हैं. आपसे काम है, काम से आप नहीं हैं. 

क्रोध को काबु में रखने की कोशिश करिए, गुस्से में कोई भी फैसला मत लीजिएगा। 

कभी ऐसी सिचुएशन भी आएगी कि किसी बहुत छोटी सी वजह के कारण आपको लगेगा कि अब कंपनी छोड़ने का वक्त आ गया है. ऐसा ही कुछ लेखिका के क्लाइंट के साथ हुआ था. जब उससे कैबिन ले लिया गया था. उसे कहा गया था कि अब उसे छोटी सी जगह में बैठकर काम करना पड़ेगा. 

आपके लिए ये सिचुएशन दूसरी हो सकती है. ऐसा भी हो सकता हो कि आपका प्रमोशन अटक गया हो या फिर आपको सैलरी में अच्छी हाइक ना दी जा रही हो. या फिर ऐसा भी हो सकता है कि आपको किसी बोरिंग प्रोजेक्ट में डाल दिया गया हो. सिचुएशन कोई भी हो, कई बार क्विट करना ही उसका हल होता है. लेकिन आपको क्विट भी ऐसे ही नहीं कर देनी चाहिए. ये करियर का सवाल है तो फिर इसके लिए भी बेहतरीन स्ट्रेटजी होनी चाहिए. 

सपने में ऐसा देखकर अच्छा लग सकता है कि आप बड़े एटीटयूड के साथ बॉस के ऑफिस में जाते हैं. उसकी डेस्क में लात रखकर कहते हैं कि “अब आपको इस नौकरी ज़रूरत नहीं है, आप इस नौकरी को और ऐसे बॉस को लात मारते हैं” ऐसी सिचुएशन बस फिल्मों में ही अच्छी लगती हैं. किसी भी ऑफिस को बैड टर्म्स में नहीं छोड़ना चाहिए. ये आईडिया बिल्कुल भी सही नहीं है. 

इसे आपको इस एग्जाम्पल के साथ समझना चाहिए कि एक बार एक कर्मचारी ने बड़े रयूड तरीके से इस्तीफ़ा दिया था. उसने कंपनी को काफी बुरा भला कहा था. फिर उसके बॉस ने उसी लेटर को उसकी अगली कंपनी के मैनेजमेंट को भेज दिया था. नेक्स्ट कंपनी ने भी अपने ऑफर लेटर को कैंसिल कर दिया था. जिसकी वजह से वो आदमी जॉब लेस हो गया था. इस तरह की हरकत आप तभी अफोर्ड कर सकते हैं. जब आपको भविष्य में कभी भी नौकरी ना करनी हो, लेकिन तब भी आप अच्छे नोट पर ही विदा हों तो बेहतर है. 

कभी भी अपने काम को छोड़ियेगा तो ये ध्यान रखिएगा कि आपके पास बैक अप प्लान होना ही चाहिए. आपके पास आगे कुछ महीनों के लिए पैसे भी होने ही चाहिए. बिना बैक अप प्लान के जॉब को नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो फिर आप बड़ी मुश्किल में पड़ सकते हैं. इसलिए नई जॉब की तलाश करने के बाद ही पुरानी जॉब को छोड़ियेगा. ये कुछ बेसिक सी बात होती हैं. जिनकी जानकारी आपको होनी ही चाहिए. इन टूल्स की मदद से आप करियर में काफी अच्छा कर सकते हैं. 

जब भी आप क्विट करने के बारे में सोचें तो एक बार पुरानी कंपनी से भी पॅकेज बढ़वाने के लिए बात कर लें, अगर आप अपने कार्ड्स अच्छे से खेलेंगे. तो फिर हो सकता है कि इसी कंपनी में आपको बढ़िया सैलरी मिल जाए. इसलिए नेगोशियेशन हमेशा ही दिमाग के साथ करना चाहिए. नई कंपनी के साथ भी आपको दिमाग के साथ डील करने की ज़रूरत होती है. 

पिछली कंपनी में आपको जिस चीज़ से दिक्कत थी. उसका डिस्कशन भी नई कंपनी में पहले से कर लीजिएगा. एच.आर डिपार्टमेंट से डील करना आपको आना ही चाहिए. अगर आप इस कला में माहिर हो जाएंगे. तो फिर आपका आगे का सफर बढ़िया से कटेगा. 

इस चैप्टर के पहले ही आपको बता दिया गया था कि खुद की वर्थ के बारे में आपको पता होना चाहिए. सामने वाली कंपनी आपको कम पैसे ऑफर करने की कोशिश करेगी. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आप कितना डिजर्व करते हैं. लाइफ में कभी भी कारपोरेशन के लिए कम पैसों में काम मत करिएगा. ना ही कंपनी के लिए बहुत ज्यादा वफादार बनने की कोशिश करिएगा, कंपनी आपकी रिप्लेसमेंट एक हफ्ते के अंदर ढूंढ लाएगी. इसलिए खुद की वर्थ की पहचान करना भी आपका ही काम है. 

खुद के अप्रोच में बदलाव लेकर आइए, आपके आसपास का वर्क कल्चर अपने आप ही बदल जाएगा. मेक श्योर करिए कि आपने अपनी तरफ से पूरी रिसर्च कर ली है. यही रिसर्च आपको आगे जाकर मदद करेगी. इसलिए खुद के ऊपर भरोसा रखिए और सफर की शुरुआत कर दीजिए. 

अपने अप्रोच और एटीटयूड में बदलाव लाकर आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं. इसलिए इस चैप्टर में लेखिका ने कहा है कि फैसला लेते समय इमोशन का यूज़ नहीं करना है. क्रोध से दूर रहने की कोशिश करनी है.

ऐसी एच.आर डिपार्टमेंट बनिए जैसी आप दुनिया में देखना चाहते हैं,खुद में बदलाव की शुरुआत कर दीजिए
एक दिन लेखिका ने ऑफिस में ही अपने बॉस को खुद की सेक्रेटरी के साथ सेक्स करते हुए देख लिया था. उस दिन से उन्हें पूरी दुनिया की एच.आर डिपार्टमेंट के प्रति गुस्सा आ गया था. उनका बॉस पर्दा लगाना भूल गया था. इसलिए उस सेक्स को पूरे ऑफिस ने देखा था. इसके बाद उन्होंने एच.आर मैनेजर से सवाल किया था कि अब एच.आर डिपार्टमेंट क्या करेगा? इस सवाल का जवाब मैनेजर के पास नहीं था. 

उसने कहा कि इस पर डिपार्टमेंट दखल नहीं देगा क्योंकि बॉस की सैलरी बहुत ज्यादा है. मतलब उसकी पोजीशन काफी ऊपर है. इसके बाद एच.आर डिपार्टमेंट ने कुछ नहीं किया था. हालाँकि,बाद में रीस्ट्रक्चरिंग के टाइम सेक्रेटरी की जॉब चली गई थी. बॉस के मजे और ज्यादा बढ़ गए थे. उन्हें एक नई सुंदर सी सेक्रेटरी मिल गई थी. 

असल में एच.आर डिपार्टमेंट का काम ही ये होता है कि वो कंपनी में कर्मचारियों के हित के लिए काम करें, उन्हें प्रोटेक्ट करने का काम करें. सभी के लिए एक जैसे नियम कायदों का पालन करवाएं. कुछ एच.आर ऐसा करते भी हैं. लेकिन दुःख की बात है कि ज्यादातर एच.आर डिपार्टमेंट बेईमान होते हैं. वो अपने काम को अच्छे से नहीं करते हैं. उन्हें बस आराम करने की आदत होती है. कई कम्पनियों में तो एच.आर बस फेस्टिवल में रंगोली बनाने के लिए होते हैं. इसलिए लेखिका कहती हैं कि अगली बार जब आप एच.आर की भूमिका में हों. तो खुद को ऐसे तैयार करिएगा जैसा आप दुनिया के एच.आर डिपार्टमेंट को देखना चाहते हैं. खुद से सवाल करिएगा कि क्या इस पोजीशन के हकदार हैं? आपकी क्या ज़िम्मेदारी है? क्या आप अपने रोल को पूरी तरह से निभा रही हैं? 

न सवालों के जवाब ही आपको सही दिशा की ओर बढ़ने में मदद करेंगे. लेखिका कहती हैं कि “भले ही कोई आपके ऊपर दांव ना लगाए, लेकिन यू कैन बेट ऑन योर सेल्फ.”

कुल मिलाकर
आपकी जॉब आपको थका देगी, लेकिन फिर भी आप अपनी लाइफ को बदल सकते हैं. खुद की लाइफ की सवारी खुद बनिए. जिस चीज़ में ख़ुशी मिलती है. उसे ही करने की कोशिश करिए. 

क्या करें?

खुद के वर्थ को पहचानिए और कंपनी से डिमांड करिए कि आपको उसी तरह से ट्रीट करे. जब तक आप डिमांड नहीं करेंगे, लाइफ में कुछ भी हासिल नहीं कर पाएंगे. खुद की लड़ाई को लड़िए और जीतने का प्रयास करिए.

 

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