Manoj Chenthamarakshan
Across 8 Dimensions For A New You!
दो लफ्जों में।
क्या आपने कभी कोई सवाल खुद किया है? शायद आपने कभी लाइफ में ये स्टेप नहीं लिया होगा। लेकिन आज हम आपको ये बता देना चाहते हैं कि अगर आप चाहते हैं कि लाइफ में लगातार आपकी एक पॉजिटिव ग्रोथ होती रहे तो इसके लिए ये बहुत ज्यादा जरूरी है कि समय समय पर आप खुद से सवाल करें कि किस एरिया में आप और ज्यादा इंप्रूव कर सकते हैं क्योंकि जब आप ऐसे सवाल अपने आप से करते हैं तो फिर आप ये सोचने लगते हैं कि आप कहां पर वीक है और जब आपको अपना वीक प्वाइंट पता होता है तो फिर आप खुद को और अच्छे से समझ कर इंप्रूव करने की कोशिश करने लगते हैं। इस बुक समरी में हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि ऐसे कौन-कौन से इंपोर्टेंट सवाल है जो कि इंसान को अपने आप से करने चाहिए।
ये बुक किसके लिए है?
ये बुक उन व्यक्तियों के लिए है जो अपनी लाइफ में बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन में रहते हैं।
ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो खुद पर काम बिलीव करते हैं।
ये बुक उन व्यक्तियों के लिए भी है जिन्हें खुद को बेहतर करना है।
लेखक के बारे में।
इस बुक के राइटर का नाम है Manoj Chenthamarakshan। मनोज एक इंडियन ऑथर हैं। बुक्स लिखने के अलावा उन्होंने साल २०१९ में द पॉजिटिव स्टोर नाम के एक ऑनलाइन प्लेटफार्म की शुरुआत भी की है जो कि लोगों को पॉजिटिव और प्रोडक्टिव लाइफ की तरफ ले जाने में हेल्प करता है।
Introduction
रोजाना की लाइफ में हम ना जाने कितने लोगों से मिलते हैं और ना जाने कितनी नई चीजें देखते हैं। और उन सभी चीजों से रिलेटेड हमारे मन में बहुत सारे सवाल पैदा होते हैं। दिमाग में सवाल आना कोई गलत बात नहीं है। आज इस बुक समरी में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि किस तरह से कुछ सवाल इतने अहम हो सकते हैं कि वो आपकी लाइफ को एक अच्छी डायरेक्शन प्रोवाइड कर सकते हैं।
दरअसल हम सभी ने नोटिस किया होगा कि हमारे मन में दूसरी चीजों से रिलेटेड हर समय कोई ना कोई सवाल जरूर रहता है। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि हम कभी खुद से कोई सवाल नहीं करते हैं। आखिर क्यों? क्या खुद से सवाल करना सही नहीं है?
इसका जवाब है खुद से सवाल करना चाहिए। खुद से सवाल नहीं बल्कि खुद के बारे में सवाल करना चाहिए। जब आप खुद से अपने बारे में सवाल करेंगे तो आपको एकदम सही जवाब हासिल होंगे और वो जवाब जब आपको समझ में आएंगे तब आपको एहसास होगा कि आप कहां पर वीक है और कहां पर आप अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं। इस बुक समरी में हम आपको बताने जा रहे हैं वो सारे सवाल जो कि आप खुद से पूछ सकते हैं और वो सवाल जो कि आपको लाइफ में अपने गोल तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं।
सेल्फ डिस्कवरी आपकी लाइफ को एक अच्छा मोटिव प्रोवाइड कर सकती हैं।
सबसे पहले बात करते हैं सेल्फ डिस्कवरी की। सेल्फ डिस्कवरी का मतलब होता है खुद को पहचानना। आजकल की इतनी भागदौड़ भरी जिंदगी में हम सभी खुद से दूर होते चले जा रहे हैं। हम अपनी बिजी लाइफ में इतना ज्यादा इंवॉल्व गए हैं कि हमारे पास खुद के ऊपर ध्यान देने के लिए समय ही नहीं बचा है। और ऐसे में हम गलत डायरेक्शन में बढ़ते चले जा रहे हैं। अपने ऊपर ध्यान देना और अपने आप को समझना एक बहुत इंपॉर्टेंट फैक्टर हो सकता होता है। लेकिन इंसानों के जीवन में ये फैक्टर कहीं गुम सा हो गया है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप अपनी लाइफ को समझ सकते हैं और अपनी पर्सनालिटी को डेवलप कर सकते हैं। सेल्फ डिस्कोजरी का मतलब होता है खुद को अच्छे से समझना यानी कि आपको क्या पसंद है, आपको क्या ना–पसंद है. आपकी स्ट्रेंथ क्या है और आपकी वीकनेस क्या है।
ये सब जब आपको पता होता है तब आपको ये आइडिया हो जाता है कि आपको लाइफ में करना क्या है। और अगर इन सब सवालों के जवाब आपके पास मौजूद नहीं है तो आप कोई भी काम करने जाएंगे तो आपका वो काम अधूरा ही रह जाएगा क्योंकि आपको यही नहीं पता होगा कि किस तरह से आप उस काम को सबसे बेस्ट तरीके से कर सकते हैं। जब आपके पास इन सब सवालों के जवाब होते हैं कि आपकी स्ट्रेंथ क्या है और आपकी वीकनेस क्या है तब आपको सही तरह से पता होता है कि आपको किस डायरेक्शन में कितना एफर्ट लगाना है। अगर आप उस डायरेक्शन में ज्यादा लगाएंगे जहां और आप वीक हैं तो उस एफर्ट का कोई मतलब नहीं होगा क्योंकि आपको मेन मकसद आपका होना चाहिए अपनी स्ट्रेंथ को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाना न की वेक प्वाइंट पर काम करते अपने स्ट्रेंथ खोना। इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप अपने आप को पहचाने और अपने आप को पहचानने के लिए जरूरी है कि आप पहले अपने आप से कुछ सवाल करें।
आइए हम ये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर अवेयरनेस होता क्या है? अवेयरनेस से हम सभी क्या समझते हैं? जरा अपने दिमाग पर जोर डालिये और सोचिये कि जब भी कोई आपके सामने अवेयरनेस जैसा वर्ड यूज़ करता है तो फिर सबसे पहले आपके दिमाग में क्या आता है। अवेयरनेस का मतलब होता है कि आप अपने आस पास की चीजों के बारे में कितना जानते हैं। जैसे कि अभी हम आपसे कहें कि बारिश होने वाली है तो ऐसी परिस्थिति में आप इस बात से अवेयर हैं कि बारिश होगी तो क्या होगा। अगर हम आपसे बोलते हैं कि आज बाहर मौसम बहुत गर्म है और कड़ी धूप हो रही है। तो ऐसे में आप इस बात परिचित हैं कि गर्म मौसम किस तरह से होते है और उसके परिणाम क्या क्या होते हैं।
अवेयरनेस का सिंपल शब्दों में मतलब यही है कि आप किसी भी चीज के बारे में कितनी नॉलेज रखते हैं। अगर आपको ये एक्सपीरिएंस करना है कि अवेयरनेस किसे कहते हैं तो जरा एक मिनट के लिए सब काम छोड़कर कर अपनी आंख बंद करिये और अपने आस पास हो रही चीजों को फील करिये। जब आप अपने आस पास के साउंड को सुनेंगे तो आपको तुरंत एहसास हो जाएगा कि वो साउंड किस चीज का है। यही होता है अवेयरनेस। आपने नोटिस किया होगा कि आप किसी भी टेस्ट को, साउंड को, मौसम को बड़ी आसानी से पहचान जाते हैं और उसके बारे में जितनी भी नॉलेज होती है वो तुरन्त आपके सामने आ जाती है। इसी को अवेयरनेस कहा जाता है।
अभी हो सकता है आपके माइंड में एक और शब्द आ रहा हो जोकि है सेल्फ अवेयरनेस। सेल्फ अवेयरनेस का मतलब होता है कि आप खुद अपने इमोशन्स को कितने अच्छे से समझते हैं। और आपके इमोशन्स का आपके आसपास मौजूद लोगों पर क्या असर होता है। सेल्फ अवेयरनेस तीन कंपोनेंट से कम्प्लीट होता है। पहला है इमोशनल सेल्फ अवेयरनेस, दूसरा है सेल्फ असेसमेंट और लास्ट है सेल्फ कॉन्फिडेंस।
इमोशनल सेल्फ अवेयरनेस का मतलब है कि आप अपनी फीलिंग्स को कितने अच्छे से समझ पा रहे हैं। अपनी फीलिंग्स को समझ पाना इतना आसान नहीं है जितना कि हमें लगता है। हम सभी अपने इमोशन्स को शो करने में काफी हिचकिचाते हैं और इसी वजह से ये आदतें हम बचपन से लेकर बड़े होने तक अपने साथ लेकर चलते हैं। और ये सही नहीं है क्योंकि इमोशन्स को हाईड करने से आपके और किसी दूसरे व्यक्ति के रिलेशन में क्लेरटी नहीं रहती। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने इमोशन्स को शो कर सकें।
सेल्फ अवेयरनेस को अचीव करने का सबसे जरूरी स्टेप ये है कि आपको सेल्फ असेसमेंट में मास्टर होना पड़ेगा। सेल्फ असेसमेंट का मतलब है कि आप किस तरह से अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस को एक्सप्लोर कर सकते हैं। सेल्फ असेसमेंट का मतलब ये भी होता है कि आप किस तरह से अपने बिहैवियर के बारे में फीडबैक सुनते हैं। और उसके बाद किस तरह से आप खुद को एडजस्ट करते हैं।
लास्ट में आपको सेल्फ कॉन्फिडेंस पर वर्क करना है। सेल्फ कॉन्फिडेंस का मतलब होता है कि आप हर तरह की सिचुएशन में अपना कम्पोजर बनाये रखें। जिस इंसान का सेल्फ कॉन्फिडेंस हाई होता है, लोग हमेशा उसको बेहतर समझते हैं। अगर आपको अपने ऊपर कॉन्फिडेंस है तो आपको कभी इस बात से फर्क नहीं पड़ेगा कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं।
परफेक्ट होना हमें इम्प्रूवमेंट और करेज की तरफ जाने से रोकता है। बचपन से हम लोग खुद को वल्नरेबल यानी की कमजोर कर देने वाले फीलिंग्स जैसे की डिसअपॉइंटमेंट, हर्ट से दूर रखने की कोशिश करते हैं। ऐसा करके हम खुद को इस बुरी दुनिया से बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन करेज के साथ लाइफ को जीने के लिए जरूरी है की हम खुद को वल्नरेबल बनाएं।
खुद को जानना बहुत ज्यादा इंपोर्टेंट है।
सबसे बड़ा सेल्फ प्रोटेक्शन जो हम लोग इस्तेमाल करते हैं वो है परफेक्ट होने का। एक बहादुर लीडर बनने के लिए हमें परफेक्सनिज्म से दूर हटना होगा। परफेक्सनिज्म के साथ जुड़ा हुआ सबसे बड़ा मिथ ये है की परफेक्सनिज्म पूरी तरह से सेल्फ इम्प्रूवमेंट और एक्सीलेंस के बारे में होता है। लेकिन परफेक्सनिज्म अप्रूवल को जीतने के बारे में होता है। ज्यादातर परफेक्शनिस्ट ऐसे माहौल में रहते हैं जहां उनके काम को सराहा जाता है। और इसलिए उनके दिमाग में ये बैठ जाता है की वो परफेक्ट बन चुके हैं जोकि लाइफ को डैमेज करने वाली चीज है।
लेकिन वो लोग जो सक्सेस के प्रति काफी डेडिकेटेड होते हैं वो काफी ज्यादा सेल्फ फोकस्ड होते हैं। वो समय समय पर खुद को इम्प्रूव करने की कोशिश करते हैं। और जो खुद को परफेक्शनिस्ट समझ लेते हैं उनको इस बात की फिक्र होती है की दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। ऐसे लीडर्स जो खुद को परफेक्शनिस्ट मानते हैं उन्हें लगता है की उन्हें इसी सोच के साथ सक्सेस मिल सकती है। लेकिन ऐसी सोच रखने की एक डार्क साइड भी है।
रिसर्च के मुताबिक परफेक्सनिज्म सीधा एडिक्शन, डिप्रेशन और एंग्जायटी एसोसिएट होता है। जो लोग परफेक्शनिस्ट होते हैं वो लोग मौकों को मिस कर देते हैं और मेन्टल पैरालाइसिस को एक्सपीरियंस करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी दूसरों की एक्सपेक्टेशन पर खरे उतरने की कोशिश उन्हें लाइफ की असलियत से दूर ले जाती है। तो एक डेरिंग लीडर बनने के लिए परफेक्सनिज्म को खुद से दूर कर दीजिए। हो सकता इस प्रोसेस के दौरान आप कुछ मिस्टेक करें लेकिन अंत में आपको सक्सेस मिलेगी।
सबसे पहले आपको ये जानना है कि आप अपनी नजर में खुद को कितनी इंपॉर्टेंस देते हैं। आज ही अपने आप से सवाल करिए कि आप हैं कौन, आखिर आपकी पहचान क्या है? दरअसल ये सवाल बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि जब तक आप खुद ही नहीं समझ पाएंगे कि आप की असली पहचान क्या है और आपका व्यक्तित्व क्या है तब तक आप अपने गोल तक नहीं पहुंच पाएंगे। अपनी पहचान को खुद समझना बहुत ज्यादा जरूरी है। जब आप अपनी पहचान खुद समझ जाएंगे और आप ये भी जान जाएंगे कि आप क्या पर्सनालिटी कैरी करते और आप की क्या वैल्यू है तभी तो आप दूसरों की नजरों में अपने आप को साबित कर पाएंगे।
इसलिए सबसे पहला सवाल आपके लिए यही होना चाहिए कि आप अपनी नजरों में खुद को कितनी वैल्यू करते हैं और आप खुद को किस तरह से देखते हैं। जो दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल है वो ये होना चाहिए कि आपके रोल मॉडल कौन है? हर व्यक्ति का लाइफ में कोई ना कोई रोल मॉडल जरूर होता है। एग्जांपल के लिए बात करते हैं इंडियन क्रिकेटर विराट कोहली की। विराट सचिन तेंदुलकर को अपना रोल मॉडल मानते हैं। उन्होंने सचिन को देखकर खेलना शुरू किया था और उनकी तरह बनने का उनका सपना था। जब तक आपका लाइफ में कोई रोल मॉडल नहीं होगा तब तक आप ये समझ ही नहीं पाएंगे आपको लाइफ में करना क्या है।
आप दो-तीन लोगों को रोल मॉडल के रूप में देख सकते हैं। विराट कोहली की ही बात करते हैं क्रिकेट में विराट कोहली के लिए रोल मॉडल थे सचिन तेंदुलकर और निजी जीवन में यानी की पर्सनल लाइफ में विराट कोहली अपने पिता को अपना रोल मॉडल मानते थे। उसी प्रकार से आप भी अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में अलग-अलग लोगों को देखकर सीखते हैं और लर्निंग लेते हैं और रोल मॉडल्स की लाइफ से आप जो लर्निंग लेते हैं उसे अपनी लाइफ में अप्लाई करने के बाद अब आप अपने गोल के और करीब पहुंच पाते हैं।
रोल मॉडल का लाइफ में होना बहुत ज्यादा जरूरी इसलिए भी है क्योंकि जब तक आपकी लाइफ में रोल मॉडल नहीं होगा तब आप को ये समझ में ही नहीं आएगा कि आप को किस दिशा में आगे बढ़ना है। तीसरा जो सवाल आपको खुद से करना है वो ये कि आप की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ क्या है यानी कि आप की सबसे बड़ी ताकत क्या है क्योंकि वो चीज आप को लाइफ में आगे जाएगी। अगर कोई आपसे कहता है कि अपनी कमजोरियों पर ध्यान दो और उसे अपनी ताकत बनाने की कोशिश करो तो ये कुछ हद तक सही है लेकिन अगर आप अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाने लगेंगे तो उस चक्कर में शायद आप अपनी ताकत को भूल जाएंगे। इसलिए जो आपकी ताकत है जो कि आपकी स्ट्रेंथ भी बोली जा सकती है आप उस पर फोकस करें और उसको और ज्यादा मजबूत करें जिससे कि आपको उस फील्ड में कोई पीछे ही ना कर सके।
हर इंसान के पास कोई ना कोई स्ट्रैंथ जरूर होती है। जब आप ये समझ जाते हैं कि आपकी लाइफ में आप की सबसे बड़ी ताकत क्या है तब उसके बाद आपको ये याद करना है कि आपने लाइफ में सबसे ज्यादा चैलेंजिंग क्या चीज एक्सपीरियंस की है। हर किसी की लाइफ में एक ऐसा मूमेंट जरूर आता है जब उसकी लाइफ में सब कुछ धुंधला नजर आ रहा होता है और उसे लग रहा होता है कि अब उसकी लाइफ में कुछ नहीं बचा है, लेकिन इंसान के अंदर एक काबिलियत होती है कि जब उसे सेट बैक मिलता है तो वो और अच्छी तरीके से कम बैक करता है।
लाइफ में आई टफ सिचुएशन से लर्निंग लेना इंपोर्टेंट है।
हर किसी की लाइफ में जब चैलेंजिंग सिचुएशन आती है तो वो काफी हिम्मत दिखाता है और अपनी स्ट्रेंथ को बैक करता है। ऐसे में आपको भी खुद से सवाल करना है कि जब आपकी लाइफ में कभी चैलेंजिंग सिचुएशन आई तो उस समय आपने किस तरह से उस सिचुएशन का सामना किया था। जब आप ये चीज याद करेंगे तो आपको इससे बहुत ज्यादा मोटिवेशन मिलेगा क्योंकि जब कोई इंसान अपनी लाइफ में चैलेंज फेस करके आ रहा होता है तो फिर उसको कोई भी सिचुएशन बहुत ज्यादा डिफिकल्ट नहीं लगती है। उसे लगता है कि अब वो हर सिचुएशन में खुद को सही साबित कर सकता है और खुद को ग्रो सकता है। ऐसे में ये बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाता है कि आप अपनी लाइफ की सबसे ज्यादा डिफिकल्ट सिचुएशन को याद करें और ये भी याद करने की कोशिश करें कि उस सिचुएशन में आपने किस तरह से चीजों को हैंडल किया था और किस तरह से अपने आप को संभाला था।
इसके बाद एक और चीज बहुत ज्यादा जरूरी है। अगर आप अपनी लाइफ में एंजॉय करना चाहते हैं तो जरूरी है कि आपकी कुछ हॉबीज हों। हर इंसान की कुछ ना कुछ अलग हॉबी या फिर कहें पसंद होती है। गोल और हॉबी दोनों अलग-अलग चीजें होती हैं। हॉबी वो चीज होती है जो कि आप कभी-कभी करना पसंद करते हैं और गोल या फिर कहें लक्ष्य वो होता है जो कि आप अपनी लाइफ में कैरियर की तरह से सेलेक्ट करते हैं। इसलिए कभी भी आपको गोल में और अपनी हॉबीज में कंफ्यूज नहीं होना है।
बात करते हैं महेंद्र सिंह धोनी की। शुरुआत में महेंद्र सिंह धोनी टाइम पास के लिए स्कूल में और घर पर फुटबॉल खेला करते थे लेकिन जब उन्हें उनके कोच के द्वारा गाइडेंस मिला तब उनको पता चला कि उनका कैरियर क्रिकेट की।फोल्ड में है। लेकिन क्रिकेट में कैरियर बनाने के बाद भी धोनी फुटबाल को नहीं भूले। और आज भी धोनी फुटबॉल खेलते हैं। हॉबी एक ऐसी चीज होती है जो कि आप की लाइफ में से टेंशन को दूर करती है और आपकी लाइफ से स्ट्रेस को कम करती है।
हर इंसान कुछ ना कुछ अलग क्वालिटी के साथ पैदा होता है। लेकिन किस इंसान में क्या खास बात है वो पता लगा पाना सभी के लिए बहुत ज्यादा मुश्किल है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो भी इंसान अपने अंदर की खास क्वालिटी को पहचान लेता है और उस पर वर्क करना शुरू कर देता है तो फिर उसके लिए लाइफ में आगे बढ़ना बहुत ज्यादा आसान हो जाता है और ऐसे ही लोग होते हैं जो कि लाइफ में सक्सेसफुल होते हैं। इसलिए ये बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आप अपनी बेस्ट क्वालिटीज को पहचाने और फिर उस पर वर्क करना स्टार्ट करें जिससे कि आपकी लाइफ में ग्रोथ तेजी से हो सके।
काफी लोग ऐसे होते हैं जो कि अपनी क्वालिटी पर फोकस ही नहीं करते। वो दूसरों को देखते रह जाते हैं कि दूसरे किस तरह से काम कर रहे हैं और किस तरह से अपनी लाइफ में आगे बढ़ रहे हैं। अगर आप भी दूसरों को देखकर अपनी लाइफ को उनके तरीके से जीने का प्रयास करते रहेंगे तो फिर एक बात आपको ये समझ लेनी चाहिए कि आप लाइफ में कभी आगे नहीं बढ़ सकते क्योंकि दूसरों को देखकर कभी कोई बड़ा आदमी नहीं बन पाया है। जब तक आप अपने ऊपर मेहनत नहीं करेंगे और अपनी स्पेशल क्वालिटी को इंप्रूव नहीं करेंगे तब तक आप की ग्रोथ निश्चित नहीं है। इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि जितनी ज्यादा जल्दी हो सके आप लाइफ में अपनी यूनिक और स्पेशल क्वालिटी को पहचाने और ये समझने की कोशिश करें कि लाइफ में आप किस तरह से आगे निकल सकते हैं क्योंकि अपनी क्वालिटी पहचान कर ही आप खुद को किसी एक डायरेक्शन में पूरी तरह से इंवॉल्व कर सकते हैं जिसके बाद आपको सक्सेस मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।
अपनी लिमिट को एक्सटेंड करिए।
एक और चीज जिस पर आपको बहुत ज्यादा ध्यान रखना है वो ये कि कभी भी कोई भी इंसान अपनी लिमिट से आगे नहीं सोचता है। हमेशा जो लोग लिमिट में सोचते हैं वो लिमिट में ही रह जाते हैं। अगर आपने बॉलीवुड की जन्नत मूवी देखी होगी तो उसमें इमरान हाशमी का एक डायलॉग था कि " जो आदमी लिमिट में सोचता है वो लिमिट में रह जाता है।" इसलिए अगर आपको अपनी लाइफ में कुछ बड़ा करना है और कुछ बड़ा बनना है तो उसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आप अपनी लिमिट को क्रॉस करना सीखे और ये भी जाने कि किस तरह से आप लिमिट क्रॉस करके अपनी लाइफ को एक अच्छा इंपैक्ट प्रोवाइड कर सकते हैं।
सोचिए कि अगर आपके पास दुनिया भर के सारे रिसोर्स होते तो आप क्या करते! यानी कि वो जो सभी रिसोर्स एक सक्सेसफुल आदमी के पास होते हैं, एक बार जरा ही अपने दिमाग में ख्याल लाइए कि अगर आपके पास वो सारे रिसोर्स होते तो आप उन रिसोर्स की मदद से किस तरह से अपनी लाइफ को और ज्यादा वैल्यूबल बना सकते थे। जब आपको इस बात का जवाब मिल जाएगा तो फिर आप उन रिसोर्सेज को पाने के लिए मेहनत करने लगेंगे क्योंकि तब आपको ये एहसास होगा कि वही रिसोर्स है जो कि आपको लाइफ में एक अच्छा प्लेटफार्म दे सकते हैं जिससे कि आपकी लाइफ अच्छी हो सकती है।
एक और इंपोर्टेंट चीज, लोग हमेशा ये सोचते रहते हैं कि अगर उनके पास बहुत सारे पैसे होते तो शायद वो ये कर लेते, अगर उनके पास एक अच्छा अमाउंट होता पैसों का तो वो अपनी लाइफ में एंजॉय कर सकते थे जो कि वो अभी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में ये सोचना है कि अगर आपके पास सारे पैसे आ भी जाएंगे तो क्या आप उन पैसों का सही उपयोग कर पाएंगे क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने पैसों को पूरी तरह से बर्बाद किया है। जरूरी नहीं कि पैसा ही आपको लाइफ में एक अच्छा प्लेटफार्म प्रोवाइड कर सकता है। पैसा तो आता जाता रहेगा लेकिन उस पैसे को कैसे इस्तेमाल करना है, उस पैसे को किस जगह पर अच्छी तरह से यूज करना है ये सीखना बहुत ज्यादा जरूरी है। और ये आप तभी सीखेंगे जब आप अपने अंदर की क्वालिटी को जानेंगे और अपने अंदर की क्वालिटी को बैक करेंगे।
लाइफस्टाइल को मैनेज करना इंसान के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। दुनिया भर में ज्यादातर लोग 60-70 की ऐज तक वर्क लड़ते हैं। लोगों को लगता है कि इतनी ऐज तक वर्क करना नार्मल है। और कुछ लोग रिटायरमेंट के बाद की लाइफ के बारे में भी सोचकर डर जाते हैं और ज्यादा ऐज तक वर्क करते रहते हैं। कभी कभी ऐसा होता है कि हम शौक शौक में कुछ ज्यादा ही लक्सरी लाइफस्टाइल एन्जॉय करने लगते हैं जिसकी वजह से हमें ज्यादा खर्चा करना पड़ता है लेकिन आज जो हम आपको एडवाइस देने जा रहे हैं उस की हेल्प से आज आप ये जानेंगे कि किस तरह से आप अपनी लाइफ से फालतू का खर्च हटाकर सिर्फ इम्पोर्टेन्ट चीजों पर कंसेंट्रेटेड रहकर अपनी लाइफ को आसान बना सकते हैं।
अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर हम सभी अपनी लाइफ को बदल सकते हैं। क्या अभी जिस तरह से आपकी लाइफ चल रही है उससे आप पूरी तरह से सैटिसफाइड हैं? क्या आप अपनी जॉब से सन्तुष्ट हैं? अगर इन दोनों सवालों के लिए आपका जवाब हां है तो फिर तो आपकी लाइफ में शायद ही कोई प्रॉबल्म हो। लेकिन अगर आपका जवाब न है तो आपको परेशान होने की नीड नहीं है क्योंकि इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो सेम आपकी जैसी प्रॉबलम्स के साथ लाइफ जी रहे हैं।
इम्पोर्टेन्ट बात ये है कि आप सब अपनी लाइफ में चेंज ला सकते हैं। हांलकि ये इतना आसान नहीं होने वाला है क्योंकि लाइफस्टाइल में चेंज लाने में काफी टाइम लगता है और काफी हार्ड वर्क करना पड़ता है। हम सभी लोग अपनी लाइफ के 20-30 साल फालतू चीजें जैसे कि ड्रिंकिंग, ओवर स्पेंडिंग में खर्च कर देते हैं। और बाद में हमें अपनी गलतियों का एहसास होता है। लेकिन हम आपको बता दें कि अभी भी आप इन सब चीजों को चेंज कर सकते हैं बस आपको अपना थोड़ा टाइम इंवेस्ट करना होगा।
अब सबसे बड़ा सवाल ये की आप स्टार्ट कैसे करेंगे? आपने एक बॉलीवुड सांग तो सुना होगा जिसके लिरिक्स हैं थोड़ा थोड़ा थोड़ा थोड़ा करके बहुत दूर जाना है। बिल्कुल इसी तरह इस प्रोसेस में भी आपको धीरे धीरे स्टार्ट करना है। सबसे पहला स्टेप आपको ये लेना है कि आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना है। कम्फर्ट जोन मतलब आपको अपना डेली बोरिंग रूटीन छोड़ना होगा।
सच्चाई तो यही है दुनिया में ज्यादातर लोग अपनी पूरी लाइफ कम्फर्ट जोन में ही स्पेंड कर देते हैं। ये वही लोग होते हैं जो अपने ओल्ड ड्रीम्स को भूल चुके होते हैं या फिर गिव अप कर चुके होते हैं। उन लोगों में इस बात की बिल्कुल होप नहीं होती कि अब वो लोग अपनी लाइफ में कुछ शानदार काम कर सकते हैं। बेंजामिन फ्रेंक्लिन ने कहा था कि ज्यादतर लोग 25 साल की ऐज में ही मर जाते हैं बस हम सभी उनको 70 साल तक दफनाते नहीं है। ये कहावत उन्होंने ऐसे लोगों के लिए ही की थी जोकि अपनी लाइफ कम्फर्ट जोन में बिताते हैं। आज ही आपको ये समझना होगा कि आपको ये जो लाइफ मिली है उसको किसी प्रोडक्टिव काम करने में इन्वेस्ट करिए।
पेन ही हमें खुशियों का महत्व समझाता है।
अगर आप एक ड्रीम लाइफ स्टाइल इंजॉय करना चाहते हैं तो उसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि आपकी लाइफ में ऐसे बहुत कम मूमेंट हो जब आपको पेन का एहसास हो। ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत बार होता है कि लोगों के जीवन में सिर्फ दर्द भरे रहते हैं। उन्हें जीवन के हर मोड़ पर सिर्फ दुख ही मिलता है और वो फिर अपनी लाइफ को अच्छी तरह से एंजॉय नहीं कर पाते। अच्छी लाइफ स्टाइल का मतलब यही होता है कि आपकी लाइफ में प्लेज़र ज्यादा हो और दर्द कम हो।
बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर हम आज अच्छी लाइफ स्टाइल इंजॉय करेंगे तो ये हमारे लिए प्रॉफिट रहेगा। लेकिन ये सोचना काफी गलत है क्योंकि आप जब तक अपने प्रॉफिट को सैक्रिफाइस नहीं करेंगे तब तक आप की लाइफ स्टाइल अपग्रेड ही नहीं होगी। अगर आप सोचते हैं कि आपकी इनकम बढ़ गई है तो आपको अपनी लाइफ स्टाइल भी अपग्रेड करने की जरूरत है तो ऐसा नहीं है। हर बार इनकम इनक्रीज होने पर अगर आप अपनी लाइफ स्टाइल अपग्रेड करते रहेंगे तो फिर आपके पास कभी पैसे बचेंगे नहीं और फिर आपको लास्ट में फाइनेंशियल फ्रीडम नहीं मिल पाएगी। आप हमेशा पैसे के लिए परेशान रहेंगे क्योंकि आप इनकम बढ़ने के साथ-साथ अपनी लाइफ स्टाइल भी अच्छी करना चाहेंगे और उस चक्कर में आपके पैसे ज्यादा खर्च होंगे।
क्या कभी आप किसी अनजान जंगल में गए हैं? अगर हां तो भी ठीक है और अगर नहीं तो फिर कोई प्रॉब्लम नहीं है। दरअसल हम अनजान जंगल की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पैसे को मैनेज करना और किसी अनजान जंगल में सफर पर जाने में काफी सिमिलैरिटी देखने को मिल जाती है। जिस प्रकार अनजान जंगल में हमें बहुत सी समस्यायों का सामना करना पड़ता है उसी प्रकार पैसे को मैनेज करने में भी हमें न जाने कितनी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ सकती है।
आज हम इस ऑडियो बुक समरी में आपको कुछ ऐसे टिप्स और ट्रिक्स बताने वाले हैं जिनकी हेल्प से आप अपने मनी गेम को स्ट्रांग कर सकते हैं। अगर आप किसी फील्ड में सक्सेसफुल होना चाहते हैं तो उसके लिए जरूरी है कि आप उस फील्ड में पहले से सक्सेस हो चुके लोगों को फॉलो करें। और इसी वजह से दुनिया भर के बेस्ट इन्वेस्टर्स की राय जानकर इस बुक के ऑथर ने हम सभी के लिए एक अच्छी स्ट्रैटेजी तैयार करने की कोशिश की है।
लाइफ में फ्रीडम के पांच लेवल होते हैं। जिस तरह किसी पहाड़ के टॉप पर पहुंचने के लिए हमें बीच में कुछ जगह कैम्प लगाकर रुकना पड़ता है उसी तरह लाइफ में फ्रीडम अचीव करने के लिए हमें पांच लेवल से होकर गुजरना पड़ता है। फर्स्ट लेवल होता है लाइफ में सिक्योरिटी। सेकंड लेवल है लाइफ में वाईटैलिटी। थर्ड लेवल है इंडिपेंडेंस। फोर्थ लेवल होता है फ्रीडम और फिर उसके बाद आप पीक पर पहुंचते हैं।
एक बात आपको हमेशा याद रखनी है कि क्लेरिटी इज पावर। आपको अपने माइंड में वो नम्बर क्लियर होना चाहिए जो आपको लाइफ में फ्रीडम तक पहुंचा सकता है। कम उम्र के लोग अपनी लाइफ को पूरी तरह इंजॉय करना चाहते है। वे दूसरे लोगों को देखकर उनकी तरह ही जीना चाहते हैं, जो दूसरे लोग खरीदते हैं वही खरीदना चाहते हैं। यंग लोग फैशन, स्टाइल, मस्ती जैसी चीजों के पीछे ज़्यादा भागते हैं। हालांकि फ़ैशन करने में और नई चीजें खरीदने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर ये सब चीजें आपको पूअर बनाती जा रही हैं तो ये सोचने वाली बात है।
एक युवा होने के नाते आप का पहला गोल अपनी लाइफ के लिए एक सॉलिड फाइनेंसियल फाउंडेशन तैयार करने का होना चाहिए। ऐसा करने के लिए आपको पैसे सेव करने की और उसको कहाँ इन्वेस्ट करना है इसकी कला सीखनी होगी। इसके बाद आप जो चाहे वो खरीद सकते हैं, लेकिन जब तक आप अपने फ्यूचर के लिए एक सॉलिड फाइनेंसियल फाउंडेशन तैयार नहीं कर लेते तब तक आपको इस चीज का ध्यान रखना होगा। काफी लोगों को ये लग रहा होगा कि अभी सेव करेंगे तो हमारी मौज मस्ती की लाइफ तो निकल ही जाएगी। खेर हम ये नहीं कह रहे कि एन्जॉय न करें, लेकिन आपको अपने फ्यूचर का भी ध्यान रखना चाहिए। 40 साल की ऐज में बिना पैसे के होने से बेहतर है कि अभी से इस चीज़ पे ध्यान दिया जाए।
किसी इंसान के जीवन में अगर सबसे ज्यादा कोई चीज मैटर करती है तो वो होती है उसकी पसंद और उसकी नापसंद। अगर इंसान को इस बात का अंदाजा रहता है कि उसे अपनी लाइफ में क्या चीजें पसंद आ रही है और क्या चीजें नहीं पसंद आ रही है तो फिर उसे इस बात की बहुत ज्यादा क्लेरिटी रहती है कि उसे अपनी लाइफ में अचीव क्या करना है। बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो कि पूरी लाइफ इसी कन्फ्यूजन में रह जाते हैं कि वो किसी चीज को पसंद करते हैं या नहीं। कन्फ्यूजन इंसान को ऐसी सिचुएशन में डाल देती है कि फिर वो खुद के बारे में सही प्रकार से अंदाजा नहीं लगा पाता और जब कोई इंसान खुद को सही तरह से नहीं समझ पाता है तो फिर आप ही सोचिए कि किस तरह से वो अपनी लाइफ में ग्रो कर सकता है।
एग्जांपल के लिए एक बार फिरसे क्रिकेट की बात करते हैं। क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर को भगवान माना जाता है। सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में लगभग 18000 रन बनाए हैं। टेस्ट क्रिकेट सिर्फ और सिर्फ इस बात को टेस्ट करता है कि आपके अंदर कितना ज्यादा पेशेंस है और आप कितना ज्यादा खुद के ऊपर भरोसा रखते हैं। जब कोई बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी करने जाता है तो सबसे पहली चीज जो उसे ध्यान में रखनी होती है वो ये कि उसे अपने ऑफ़ स्टंप के बारे में पता होना चाहिए कि उसका ऑफ स्टंप कहां पर है ताकि वो बाहर जाने वाली बॉल को आसानी से छोड़ सके। सचिन तेंदुलकर हमेशा से ही अपने ऑफ़ स्टंप को लेकर पूरी तरह से क्लियर रहते थे। उन्हें खुद पर इतना भरोसा था कि उन्हें पता होता था कि किस तरह के शॉट कौनसी पिच पर खेलने हैं। उन्हें पता था कि उन्हें कौन से शॉट पसंद है लेकिन उन्हें ये भी पता था कि किस पिच पर उन्हें अपने पसंदीदा शॉट अप्लाई नहीं करना है क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि अगर आप अपने पसंद की चीज लगातार करते रहते हैं तो फिर वो चीजें आपको नुकसान भी पहुंचाने लगती है। ऐसे में ये बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है कि समय आने पर आप उन चीजों को करना थोड़ी देर के लिए रोक दें जिससे कि आपका नुकसान ज्यादा ना हो।
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए हम आपको ये भी बताना चाहते हैं कि आप को इस बात का भी अंदाजा होना चाहिए कि आपकी सबसे इंपॉर्टेंट और जरूरी स्किल कौन सी है, क्योंकि अगर आप अपने स्किल को बहुत अच्छी तरह से जान लेंगे तो आप उसे बहुत अच्छी तरह से अप्लाई कर पाएंगे और हो सकेगा तो आप उसमें और ज्यादा बेहतर तरीके से खुद को एक्सेल भी कर सकते हैं। अपनी स्किल का अंदाजा होना एक बहुत इंपॉर्टेंट फैक्टर हो जाता है अगर आपको अपनी लाइफ में गोल अचीव करना है।
इसके बाद बात करते हैं कि आप के मोटिवेशन का कारण क्या होना चाहिए? मतलब आपको पता होना चाहिए कि क्या चीज आपको मोटिवेट करती है। क्या आपको पता है कि किसी भी चीज को हासिल करने के लिए जो सबसे बड़ा फैक्टर होता है वो मोटिवेशन है। जब तक आपके मन में मोटिवेशन नहीं रहेगा तब तक आप कोई भी चीज हासिल करने के काबिल नहीं बन पाएंगे। मोटिवेशन आपको अपना गोल अचीव करने के लिए रेडी करता है। जब भी आपको अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते हुए परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो मोटिवेशन ही वो एक ऐसी चीज होती है जो कि आपको उस रास्ते पर बनाए रखता है और आपको लगातार फोकस करने पर मजबूर करता है।
अगर आपने होमी जे भाभा का नाम सुना होगा तो आपको पता होगा कि उन्होंने भारत का पहला न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर शुरू किया था। तो आपको क्या लगता है कि उनकी इस शुरुआत के पीछे क्या मोटिवेशन रहा होगा? दरअसल वो हमेशा से चाहते थे कि भारत भी न्यूक्लियर के क्षेत्र में खूब तरक्की करे और आगे बढ़े। उन्हें लगता था कि अगर भारत न्यूक्लियर के क्षेत्र में कोई विकास नहीं देखेगा तो फिर और बाकी के देश उससे आगे निकल जाएंगे। और इस वजह से उन्होंने इस चीज को पाने के लिए कड़ी मेहनत करी। उन्होंने लगातार प्रधानमंत्री के संपर्क में रहकर इस चीज को सुनिश्चित किया कि भारत के पास जल्दी से जल्दी उसका पहला न्यूक्लियर पावर रिसर्च सेंटर हो और आज के समय में देखिए उन्हीं की वजह से भारत आज इतनी स्ट्रांग पोजीशन में है कि कोई भी देश भारत को कम नहीं समझता है।
इसी प्रकार का मोटिवेशन आपकी लाइफ में भी होना चाहिए और आपको इस सवाल का जवाब पता होना चाहिए कि आपका मोटिवेशन क्या है। और सबसे बड़ी बात अगर आपको अपना गोल अचीव करना है तो आपको लाइफ में डिसिप्लिन की बहुत ज्यादा जरूरत होगी। जो व्यक्ति लाइफ में डिसिप्लिन में नहीं रहता है वो अपने लक्ष्य को कभी प्राप्त नहीं कर पाता है। ये आपने लाइफ में बहुत सारे रियल एग्जांपल से समझ ही लिया होगा। अगर आपके पास स्किल कम है या फिर आपके पास मोटिवेशन नहीं है तो काम चल सकता है लेकिन आप अगर अपनी लाइफ में डिसिप्लिन है तो फिर ये पक्का है कि आप अपनी लाइफ में कुछ ना कुछ अच्छा कर लेंगे। लेकिन अगर आपकी लाइफ में आपके पास सब कुछ है, किसी चीज को हासिल करने के लिए मोटिवेशन भी है लेकिन आप अपनी लाइफ में बिल्कुल भी डिसिप्लिन नहीं है तो फिर आप अपनी लाइफ में कुछ भी बड़ा नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी चीज को पाने के लिए जो सबसे बड़ा फैक्टर और सबसे इंपॉर्टेंट फैक्टर होता है वो होता है डिसिप्लिन। डिसिप्लिन इंसान को ये सिखाता है कि किस तरह से अपनी लाइफ में आगे बढ़ना है और किस तरह से उसे अपने गोल की तरफ लगातार अपना फोकस बनाए रखना है।
कुल मिला कर।
इस बुक समरी में हमने जाना कि किस तरह से हम खुद से सवाल करके अपने आपको लाइफ में और ज्यादा बेहतर प्लेटफार्म प्रोवाइड कर सकते हैं। जब तक इंसान खुद से सवाल नहीं करता है तब तक वो रियलिटी को फेस नहीं कर पाता है और जब आप खुद से सवाल करने लगेंगे तो आपको अपने बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल होने लगेगी जिससे कि आप और ज्यादा बेहतर होते चले जाएंगे।
जो इंसान खुद से सवाल नहीं करता है वो हमेशा मृगतृष्णा में ही रह जाता है यानी कि उसे लगता है कि सारी की सारी चीजें सही चल रही है और फिर वो किसी भी चीज को इंप्रूव करने की कोशिश नहीं करता है। लेकिन जो इंसान लगातार खुद पर फोकस करता है और टाइम टू टाइम खुद से सवाल करता है कि किस तरह से खुद को इंप्रूव करना है तो फिर उस इंसान का जीवन में सक्सेसफुल होना काफी हद तक पक्का हो जाता है।
