Alastair Campbell
विनर्स के जीतने के राज
दो लफ़्ज़ों में
2015 में आई ये किताब "विनर्स"आपकी ज़िंदगी के सभी पहलुओं के जीतने के रास्ते खोलेगी। इसके अध्याय आपको बताएंगे कि कौन सी चीजें हैं जो आपको जिताती है। राजनीति, खेल और कारोबार की दुनियां के शीर्ष पर बैठे लोगों की असल ज़िंदगी की कहानियां, जो आपको सक्षम बनाएंगी बेकार आदतों से हटके सफल बनने के लिए।
ये है किसके लिए ?
- जो बनना चाहता हो - विजेता
- ऑन्त्रप्रेन्योर जो अपने बिज़नेस को रफ्तार देना चाहता हो
- राजनेता और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग
लेखक के बारे में
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के प्रेस सचिव रहे है अलस्टैर कैम्पबेल। बाद में लगभग एक दशक तक ब्लेयर के प्रशासन में संचार निदेशक के रूप में कार्य किया। उन्होंने ब्लेयर इयर्स जैसी कई पुस्तकें लिखी।यह किताब आप को क्यों पढ़नी चाहिए
बहुत से लोग होशियार, दक्ष और टैलेंटेड होते है, शायद आप भी उनमें से एक होंगे, फिर भी कुछ ही लोग बड़े लीडर्स, श्रेष्ठ खिलाड़ी या रॉक स्टार बनते है।कौन विनर नहीं बनना चाहता? प्रश्न ये है कि इसके राज क्या है? विनर ऐसा क्या करते है, जो दूसरे नहीं जानते?
ये विनर्स किताब की ये समरी आपको विजेताओं की सफल कहानियों के नज़दीक लेकर जायेगी, जिससे आप जान सकेंगे कि किन परिस्थितियों में भी वे शिखर पर पहुंचे।
- किस तरह एक ऑन्त्रप्रेन्योर ने एक एयरलाइंस शुरू की और तरक्की की
- क्यों एक बड़ी असफलता आपको जीवन में बड़ा बनाने में सहायक होगी
- कैसे परेशानियों में जीवन जीने से भी आप फायदा ले सकेंगे ?
मजबूत योजना ही आपके असली लक्ष्य को जीतने की सबसे पहली और ख़ास सीढ़ी है।
आप इसे पढ़ रहे है, मतलब आप कामयाब इंसान बनने का निश्चय कर चुके है। चाहे आप एक शानदार ऑफिस बनाना चाहते हों या सेलेब्रिटी जैसा फेमस होना चाहते हों, कुछ बातें आपको जाननी होगी। पहली बात है प्लान - ये प्लान कि कैसे जीता जाए? यही आपके लक्ष्य का रास्ता तय करता है। पूर्व विश्व शतरंज विजेता गैरी केस्परोव कहते है "अगर आप प्लान पर जमे नहीं रहते है तो इससे आपके विरोधी को खेल पर कंट्रोल करने का मौका मिल जाता है"।
आपको जीतना क्यों है? अच्छा प्लान बनाने से पहले आपको ये तय करना होगा कि आप सफलता में क्या पाना चाहते है?
जैसे अगर आप अपना वज़न कम करना चाहते हैं, तो आप 10 पाउंड कम करना तय कर सकते है। एक बार आप अगर आप अपना लक्ष्य बना लिया, तो प्लान बनाकर वहाँ तक पहुँचना सरल है।
लक्ष्य वही तय करें, जो प्राप्त किया जा सके। विनर्स ऐसा ही लक्ष्य तय कर उसकी योजना बनाते हैं। नवंबर 2013 में, टोनी पुलिस ने एक क्रिस्टल पैलेस क्लब (एक ब्रिटिश फुटबॉल टीम) जो कि प्रीमियर लीग में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही थी, उसको संभालना शुरू किया। टोनी ने पहले वर्ष में बड़ा लक्ष्य नहीं चुना और ना ही अपनी टीम को प्रीमियर लीग चैंपियन बनाने की कोशिश की। इसके बजाय, उन्होंने असली स्थिति को ध्यान में रखकर लीग में टीम को बनाये रखने का प्रयास किया, जिसमें वे सफल रहे।
अपनी स्किल्स और अलग अलग तरह की छोटी परेशानियों से अपने प्लान पर शक ना करें, ये सब आपको प्लान और लक्ष्य को समझने में मदद करेंगे।
आगर आपका प्लान 10 पाउंड वजन कम करने का है तो आप रोज डाइटिंग और कसरत शुरू करेंगे। लेकिन इसी बीच आपका ध्यान कैलोरी की मात्रा, लिफ्ट की जगह सीढ़ी से जाने और डाइट ग्रुप जॉइन करने पे भी रहेगी।
विनर बनने के लिए प्लान बनाना तीन चरणों में से केवल एक चरण है। लीडरशिप और टीमशिप दो अन्य चरण हैं। आइये इन्हें हम विस्तार से जानें।
लीडरशिप कई रूपों में सामने आती है; ऐसी कोई ख़ास विशेषता नहीं है, जो इतिहास के सभी महान लीडर्स को एक साथ कर सके।
तो एक महान लीडर बनने के लिए क्या चाहिए? इसकी कोई परिभाषा नहीं है, हर एक लीडर अपने आप में ख़ास होता है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल इस बात में निपुण है कि सामने आई स्थिति में कौनसा तरीका काम करेगा और करता रहेगा। वह बड़ी बड़ी बातें ना करके, वास्तविक कार्यों पर ध्यान देती हैं। इस कौशल के कारण ही वो आज यूरोपियन यूनियन के शक्तिशाली देशों में से एक जर्मनी का नेतृत्व करती हैं। अभी के यूरोज़ोन संकट के दौरान भी मार्केल स्थिर थीं, जबकि ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे राजनेताओं ने भी उनको जल्दी और ज्यादा साहसिक कदम उठाने के लिए बाध्य किया था। मार्केल ने अपने चौतरफा दबाव के बावजूद सजग होकर और अपने लंबे समय के बड़े लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुवे कभी जल्दबाजी नहीं की।
विंस्टन चर्चिल लोगों के सामने डंके की चोट पर नाज़ी जर्मनी को एक बड़ा खतरा बताकर जल्दी ही एक महान नेता कहलाए। जबकि विजेता के रूप में उनका रेकॉर्ड कुछ ख़ास नहीं कहता था, जब तक कि द्वितीय विश्व युद्ध नहीं हो गया था।
ये कहानी है उनकी :
सन 1899 में, चर्चिल जब युवा थे तब राजनीति में अपना हाथ आजमाया था, लेकिन वो चुनाव हार गए। दक्षिण अफ्रीका में युद्ध खबरी के रूप में काम करने के बाद, वे ब्रिटेन लौटे और संसद के सदस्य बने। लेकिन बाद के चुनावों में वे हारते गए, वे पूरी कोशिश में थे कि फिर से सरकार में आ जाएँ। वे 1920 के दशक तक ब्रिटेन के राजकोष के अधिपति रहे, और स्वर्ण मानकों के आधार पर देश के रिटर्न को संभाला, ये बहुत ही खतरनाक कदम था, जिसकी वजह से देश की मुद्रा दर नीचे और बेरोजगारी ऊँचे स्तर में चली गई।
बावजूद इन सभी के, चर्चिल आज भी इतिहास के महान नेताओं में से एक है। उन्होंने शुरू में ही एडोल्फ हिटलर और जर्मनी की नाज़ी सेना के खतरे और महत्वाकांक्षाओं को भांप लिया था। उन्होंने अपनी सारी ताकत नाजियों को हराने के तरीकों में लगा दी। ये चर्चिल के दृढ़ विचार और ब्रिटिश लोगों में उसकी गहरी पैठ ही थी, जिसकी वजह से दुनियां उन्हें महान नेता मानती है।
अब हम सफल टीमों की असली मज़बूती का पता लगाएंगे, जो कि विनर होने की राह का तीसरा पहलू है।
जीतने का मतलब ये है कि ऐसे लोग खोजो, जो उन क्षेत्रों में एक्सीलेंट हों जिनमें आप कमज़ोर पड़ते हो।
क्या आपको ये लगता है कि 11 एथलेटिक क्लोन से बनाया एक फुटबॉल क्लब एक विजेता टीम बनेगी? बिल्कुल नहीं। एक टीम जिसमें सभी लोगों के पास एक जैसा हूनर हो, वो कभी नहीं जीत सकती। खेल हो या बिजनेस, यदि आपको विजेता बनना है, तो जीतने वाले लोग हारने से नफरत करते हैं, इसलिए वो अपने आप पर परखने का दबाव ले आते हैं, ताकि वे अपनी आरामदायक स्थिति को छोड़ सकें।
ऐसा हमेशा कहा जाता है कि दिमाग की सोच ही जीत दिलाती है। पर इसकी वास्तविकता क्या है? क्या केवल विनर्स ही जितना चाहते है? क्या हर व्यक्ति जीतना नहीं चाहता?
हर कोई जितना चाहता है, बिल्कुल। पर हर कोई हारने से नहीं डरता। कुछ लोग इसलिए विनर बनते हैं क्यूँ कि वो हारने से डरते हैं। बहुत से विनर अपने हार के अनुभवों के कारण ही विनर बनते हैं, क्यूँ कि वह उन अनुभवों को अपने लक्ष्य के सफर में दोहराते नहीं है।
ओलम्पिक तैराक विजेता माइकल फेल्प्स ओलम्पिक खेलों के इतिहास में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी है।
सन 2000 के सिडनी समर ओलंपिक खेलों में उनकी अच्छी तैयारी के बावजूद, वे कोई पदक नहीं जीत पाये, इसी को मोटिवेशन मानकर तगड़ी तैयारी की, उन्होनें फिर कभी कोई रेस नहीं हारी।
जीतने के लिए अपने कम्फर्ट जोन को छोड़ना उतना ही जरूरी है, जितना कि मोटिवेशन।
आपको वो चीजें जरूर अच्छी लगेंगी, जो बहुत सरल और आपकी जानी पहचानी होंगी, इसी को कम्फर्ट जोन कहते हैं, ये हमेशा आपको बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में दिक्कत देगा।
गैरी केस्परोव हमेशा एक के बाद एक चैस की प्रतियोगिता जीतते रहे, इसे उन्होनें अपना कम्फर्ट जोन समझ लिया, क्योंकि कुछ फिक्स तरीकों से वे जीतते थे, उन्होनें नए प्रयोग और तरीके खोजना बंद कर दिया था।
इस तरह से वे एक खिलाड़ी की तरह नहीं बढ़ पाये, उनकी स्किल्स जंग खा चुकी थी। आखिरकार उनके एक विपक्षी खिलाड़ी व्लादिमीर क्रैमनिक ने हराकर चैम्पियन बन गए।
हमेशा जीतना है तो अपने आपको नया सीखने के लिए अपना कम्फर्ट जोन छोड़कर आगे जाना होगा। मतलब अपने आप को तपाना होगा, आप पर आया दबाव आपके दिमाग और शरीर को इतना सक्षम कर देगा कि आप अपने प्रदर्शन को बेहतर और लक्ष्य पर और अधिक ध्यान दे सकेंगे।
वो अलग अलग प्रतिभा वाले लोगों की टीम चाहिए, जो आपकी स्किल्स के खालीपन को भर सके।
अलग अलग प्रतिभा वाले लोगों की टीम ही एक विजयी योजना को संभाल सकती है। एक विजेता होने के नाते आपको ऐसे लोग खोजने होंगे, जो उन क्षेत्रों में एक्सीलेंट हो, जिनमें आप कमज़ोर पड़ते हो।
जैसे आप एक जबरदस्त स्ट्राइकर हो सकते हो, पर आप गोल कीपर कमज़ोर होंगे, तो आपको ऐसा व्यक्ति टीम में चाहिए, जो अपने गोल रोक सके।
ये लीडर की जिम्मेदारी है कि टीम के लक्ष्य, योजना और तरीके तय करे, साथ ही सबको उनके हिस्से के कार्य समझाये।
जैसे कि एक साइक्लिंग टीम में एथेलिट्स, मैकेनिक्स, खेल थेरेपिस्ट वगैरह होते है, लेकिन उन सबका जो लीडर होता है, वो वॉकी-टॉकी लेकर उनको फॉलो करने वाली कार से सबको निर्देश देता है।
कप्तान के पीछे ही खिलाड़ी खड़े होते है, बेशक वे कप्तान जितनी ख्याति नहीं पाते, लेकिन टीम को मुसीबत से वही निकालते है।
एग्ज़ाम्पल के लिए, चुनाव प्रचार के दौरान अगर एक बस ड्राइवर को लें, जिसकी ज़िम्मेदारी है नेता को एक बड़ी रैली में ले जाने की, इस स्थिति में अगर ड्राइवर विश्वासपात्र ना निकले, तो पूरा चुनाव प्रचार बिखर जाएगा।
योग्यता का मतलब उन लोगों से है, जिनकी पर्सनालिटी में ख़ास एक्स्ट्रा क्वालिटी होती है, जो उनको बाकी पूरी टीम से अलग बनाती है।
राजनीति में अक्सर नेता ही अपने आप को योग्य कहलाते हैं, जैसे अगर बात करें हिलेरी क्लिंटन की, तो वे अमेरिका के डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के चुनावों में बराक ओबामा को चुनौती देकर हार गईं, फिर भी उनकी विशेष प्रतिभा के कारण उनको राज्य सचिव का पद मिला।
एक विजेता होने के नाते आपके दिमाग मे क्या चलता है, ये भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना प्लान, मजबूत टीम और लीडरशिप।
जीतने वाले लोग हारने से नफरत करते हैं, इसलिए वो अपने आप पर परखने का दबाव ले आते हैं, ताकि वे अपनी आरामदायक स्थिति को छोड़ सकें।
ऐसा हमेशा कहा जाता है कि दिमाग की सोच ही जीत दिलाती है। पर इसकी वास्तविकता क्या है? क्या केवल विनर्स ही जितना चाहते है? क्या हर व्यक्ति जीतना नहीं चाहता?
हर कोई जितना चाहता है, बिल्कुल। पर हर कोई हारने से नहीं डरता। कुछ लोग इसलिए विनर बनते हैं क्यूँ कि वो हारने से डरते हैं। बहुत से विनर अपने हार के अनुभवों के कारण ही विनर बनते हैं, क्यूँ कि वह उन अनुभवों को अपने लक्ष्य के सफर में दोहराते नहीं है।
ओलम्पिक तैराक विजेता माइकल फेल्प्स ओलम्पिक खेलों के इतिहास में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी है।
सन 2000 के सिडनी समर ओलंपिक खेलों में उनकी अच्छी तैयारी के बावजूद, वे कोई पदक नहीं जीत पाये, इसी को मोटिवेशन मानकर तगड़ी तैयारी की, उन्होनें फिर कभी कोई रेस नहीं हारी।
जीतने के लिए अपने कम्फर्ट जोन को छोड़ना उतना ही जरूरी है, जितना कि मोटिवेशन।
आपको वो चीजें जरूर अच्छी लगेंगी, जो बहुत सरल और आपकी जानी पहचानी होंगी, इसी को कम्फर्ट जोन कहते हैं, ये हमेशा आपको बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में दिक्कत देगा।
गैरी केस्परोव हमेशा एक के बाद एक चैस की प्रतियोगिता जीतते रहे, इसे उन्होनें अपना कम्फर्ट जोन समझ लिया, क्योंकि कुछ फिक्स तरीकों से वे जीतते थे, उन्होनें नए प्रयोग और तरीके खोजना बंद कर दिया था।
इस तरह से वे एक खिलाड़ी की तरह नहीं बढ़ पाये, उनकी स्किल्स जंग खा चुकी थी। आखिरकार उनके एक विपक्षी खिलाड़ी व्लादिमीर क्रैमनिक ने हराकर चैम्पियन बन गए।
हमेशा जीतना है तो अपने आपको नया सीखने के लिए अपना कम्फर्ट जोन छोड़कर आगे जाना होगा। मतलब अपने आप को तपाना होगा, आप पर आया दबाव आपके दिमाग और शरीर को इतना सक्षम कर देगा कि आप अपने प्रदर्शन को बेहतर और लक्ष्य पर और अधिक ध्यान दे सकेंगे।
विनर्स हमेशा नई सोच और साहसी कार्यो की वजह से बाकी लोगों से अपने आप को अलग सिद्ध करते हैं।
क्या आप सुपरमैन के कपड़े पहन के अपने आप को सबसे ख़ास दिखाएँगे? नहीं, विनर्स अपनी अन्य योग्यताओं से ख़ास दिखते हैं।
लोगों की भीड़ में खास दिखने के लिए आपको पहले साहसिक होना होगा, ये साहस ही आपको चेलेंज लेने की हिम्मत देगा, जिसे दूसरे लोग डर की वजह से नहीं ले पाते।
साहसिक होने का एक फायदा ये होगा, कि आप अपने पुराने समय में अगर किसी क्षेत्र में कमज़ोर रहे होंगे, तो आप अब उसमें अच्छा परिणाम ला सकेंगे।
जैसे एग्ज़ाम्पल के तौर पर ऑन्त्रप्रिन्योर रिचर्ड ब्रैनसन ने एक स्टूडेंट अखबार शुरू किया, जब वे केवल 17 साल के थे, कुछ सालों बाद ही उन्होंने एक रिकॉर्ड नए बिजनेस वर्जिन एयरलाइंस की स्थापित किया।
रिचर्ड ब्रैनसन ने और भी बहुत कंपनियां शुरू की, और एक बात सबमें समान थी कि ब्रैनसन को उन सभी के फील्ड में कच्चा ज्ञान था, लेकिन विश्वास पक्का था।
ब्रैनसन को डिस्लेक्सिया था, जो बड़ी समस्या थी, वो भी तब जब वे समाचार एजेंसी चला रहे थे। वे संगीत व्यवसाय के बारे में भी कुछ नहीं जानते थे, लेकिन वे एक कस्टमर होने के नाते अच्छे संगीत का स्तर लगातार गिरने से परेशान थे। और ब्रैनसन एयरलाइंस व्यवसाय के बारे में भी कुछ नहीं जानते थे।
जब वे एक बार वर्जिन द्वीप पर हवाईजहाज से गए, लेकिन यात्रा में देरी और बेकार सर्विस होने की वजह से उन्होंने विमान क्षेत्र में हाथ आजमाने की ठान ली, इस कदम ने उन्हें विनर बनाया।
जिस तरह साहसिक कार्य आपको औरों से अलग करते है, वैसे ही कुछ नया परिवर्तन करने की इच्छा आपको जीत की तरफ खिंचती है। पर ये जरूरी नहीं कि नया परिवर्तन आपको कुछ नया देगा ही, इसलिए नई खोज से अच्छा है कि आप कोई वस्तु, सर्विस या कोई कार्यविधि लें और उसकी कमियां दूर कर अच्छा बनाएं। इसी तरह से विजेता लोग चीजों पर ध्यान केंद्रित कर संभावनाएं खोजते हैं। जैसे कि एप्पल, इसने पहले से मौजूद मोबाइल फोन को ले के उसमें सुधार किया, जो कि एक जबर्दस्त प्लान था।
जो चीजें बहुत आवश्यक है, अगर आप उनपे ध्यान नहीं देंगे तो इनकी क्राइसिस आपको हरा देंगी।
क्या आपने कभी गौर किया है कि आजकल बहुत सी चीजें क्राइसिस कहलाती है? राज्यों के प्रमुखों के बीच छोटी सी असहमति से लेकर किसी ब्लॉगर के बुरे दिन तक, ऐसा लगता है कि क्राइसिस हर चीज़ में और हर जगह है।
लेकिन ऊपर के किसी भी एग्ज़ाम्पल को क्राइसिस नहीं कहा जा सकता, क्राइसिस वो है अगर आप समय पर स्थिति के अनुसार सही निर्णय नहीं लेंगे तो आपको हरा देगी।
एक ओर अगर कोई फुटबॉल टीम कुछ मैच हार जाये तो वो क्राइसिस नहीं मानी जायेगी, वहीं दूसरी ओर अगर राजनीति में सत्ता का दुरुपयोग होता है, तो वो राजनीति में क्राइसिस पैदा कर देगी, जैसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और इंटर्न मोनिका लेविंस्की के अफेयर से पैदा हुआ था। इसे हम और गहराई से देखते है।
जब असली क्राइसिस सामने आती है, तो आपको इस बात पर ध्यान देना है कि जिन चीजों पर आपका नियंत्रण है उनमें से क्या क्या उस वक्त मायने रखती है, यही सबसे खास बात है।
जब लोगों को क्लिंटन और लेविंस्की के रिश्तों के बारे में पता चला, तब भी क्लिंटन ने अपने राजनीतिक हिस्सों को संभाला। उन्होंने इस संकट को किस तरह सम्भाला, इस बात का पता इससे चलता है कि जब मीडिया उनके रिश्तों के बारे में मामला उजागर कर चुकी थी, तब क्लिंटन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर से फोन पे रूस के परमाणु हथियारों के बारे में बात कर रहे थे।
क्लिंटन ये तो जानते थे कि उसी दिन प्रोसिक्यूटर की रिपोर्ट आएगी, लेकिन क्या आएगी? ये नहीं जानते थे। साथ ही ये भी नहीं कि उनके परिवार, दोस्त और साथी क्या कहेंगे।
इस स्थिति को कंट्रोल करना उनके बस में नहीं था, वो क्राइसिस को संभालने के लिए बस अपने काम पर ध्यान दे रहे थे, और आखिर में उन्होंने इस क्राइसिस से पार पाया और अपनी इज्जत भी।
कुल मिलाकर
विजेता अलग अलग तरह के गुणों और क्षमता वाले होते है।
विजेता जब भी अपनी विशेषताएँ बताते है, चाहे वो साहस हो या नई सोच, तो ये भी सत्य है कि उनकी जीत के पीछे उनकी बनाई टीम भी होती है, जो उनके लक्ष्य को संकट से उभारती है।
जब भी क्राइसिस का सामना करें, ईमानदारी से करें।
अगर आप अपने आप को संकट के बीच पायें, तो आप ऐसा ना सोचें कि आपके आँखे बंद कर लेने से संकट गायब हो जाएगा या फिर किसी और पर उंगली उठा देने से ये टल जाएगा। ये ना तो अच्छे उपाय है और ना ही इतने आसान। इसके बजाय ईमानदार रहकर साहस से उसका सामना करें।
अगर आपसे कहीं गलती हो रही है, तो कम से कम सच्चे मन से उस घटना की पारदर्शी जाँच शुरू करें। फिर भी आप ऐसा नहीं करते है, तो एक दिन सच्ची बातें सामने आएंगी ही, और हो सकता है कि वह आपका मान घटा दे।
