The Third Door... ❤️🚪🚪🚪

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The Third Door

Alex Banayan
दुनिया के सबसे महान लोगों ने किस तरह अपने कैरियर की शुरुआत की।

दो लफ्जों में 
द थर्ड डोर ( The Third Door ) हमें एलेक्स बनायन के अनोखे सफर के बारे में बताती है जिसमें उन्होंने दुनिया के कुछ महान लोगों का इंटरव्यू लेकर उनसे उनकी कामयाबी के राज के बारे में जाना और उसे हमारी पीढ़ी तक पहुँचाने का काम किया। यह किताब बिल गेट्स, टिम फेरिस और रे लियोनार्ड जैसे लोगों का इंटरव्यू लेने के बाद लिखी गई।

यह किसके लिए है 
-वे जो कामयाब लोगों के कामयाबी के सफर के बारे में जानना चाहते हैं।
-वे जो सोचते हैं कि कामयाब लोग या तो काबिल पैदा हुए थे या फिर पहले से अमीर थे।  
-वे जो प्रेरणा से भरी किताबें पढ़ना पसंद करते हैं।

लेखक के बारे में 
एलेक्स बनायन ( Alex Banayan ) अपने फ्रेशमैन इयर के एक्साम से ठीक पहले एक गेम में एक बोट जीतकर, उसे बेचकर एक रोमांचक सफर पर निकले पड़े। उन्होंने दुनिया के तमाम कामयाब हस्तियों का इंटरव्यू लिया और उनकी कामयाबी के बारे में उनसे पूछा और उन सारी बातों को लिखकर इस पीढ़ी के लोगों तक पहुंचाने का काम किया।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
कितना अच्छा होता अगर दुनिया के कुछ कामयाब लोग खुद आकर आपको सलाह दे सकते और फता सकते का कौन से राज थे जिनसे उन्होंने कामयाबी हासिल की। अगर आपके अंदर भी कभी इस तरह की ख्वाहिश पैदा हुई है तो आपकी खोज अब खत्म होने वाली है। 

यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम उन कामयाब लोगों से सीख सकते हैं जो मुश्किल हालातों से होकर कामयाबी तक गए हैं। यह,किताब हमें बताती है कि कामयाबी किस्मत की फिर नहीं होती, बल्कि एक काम को कुछ इस तरह से करने की बात होती है जिस तरह से करने के बारे में अब तक किसी ने नहीं सोचा था।

 

-बिल गेट्स ने किस तरह से एक मुश्किल कदम उठाकर अपने कैरियर की शुरुआत की।

-6 बार बाक्सिंग के वर्ल्ड चैंपियन के पास आपके लिए क्या सलाह है।

-कामयाब होने के लिए किन बातों को समझना जरूरी है।

बिल गेट्स के बारे में पढ़ने के बाद बनायन ने अपनी खोज की शुरुआत की।
बनायन के माता पिता चाहते थे कि वो एक डाक्टर बने, लेकिन 18 साल की उम्र में उन्हें लगा कि यह रास्ता उनके लिए नहीं बना है। एक दिन वे बिल गेट्स के बारे में पढ़ रहे थे और उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि किस तरह से 18 साल की उम्र में उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की और 15 साल के बाद दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। जिस तरह से उन्होंने साफ्टवेयर की दुनिया को बदलकर रख दिया, उससे बनायन को बहुत प्रेरणा मिली।

इसके बाद उन्होंने दूसरे कामयाब लोगों के बारे में पढ़ना शुरू किया। स्टीवेन स्पीलबर्ग को फिल्म स्कूल में एडमिशन नहीं  मिला था, लेकिन फिर भी वे दुनिया के सबसे अच्छे डाइरेक्टर्स की तरह जाने जाने लगे। उनकी टाइटैनिक मूवी के बारे में कौन नहीं जानता। लेडी गागा किस तरह दुनिया की सबसे होनहार सिंगर्स में से एक बन गई?

बनायन को इन सारे सवालों के जवाब कहीं नहीं मिले। तो वे खुद ही इन सवालों के जवाब खोजने के लिए निकल पड़े। उन्होंने फैसला किया कि वे इन सारे लोगों से मिलकर उनका इंटरव्यू लेंगे और यह पता करने की कोशिश करेंगे कि किस तरह से वे कामयाब हुए। लेकिन यहां पर उनके पास एक समस्या पैदा हुई।

यह बात एक बार के लिए समझ में आ रही थी कि वे इन कामयब लोगों तक पहुंच कर उनका इंटरव्यू लेंगे। लेकिन यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उन्हें पूरे अमेरिका भर में घूमकर इन सारे लोगों तक पहुंचने के लिए पैसे कहाँ से मिलेंगे। इसका जवाब उन्हें जल्दी ही मिल गया।

वे जहाँ रहते थे उससे कुछ दूरी पर एक गेम चल रहा था जिसका नाम द प्राइज़ इज़ राइट था। इस गेम को जीतने वाले को कुछ ईनाम मिलते थे। वे सार्फ उन लोगों को ले रहे थे जो कि दूसरे लोगों से बहुत घुल मिलकर बात कर सकते थे। बनायन को लगा कि इससे अच्छा मौका उन्हें नहीं मिल सकता।

बनायन वहाँ पहुँच कर वहाँ पर सफाई करने वाले लोगों से गले मिलने लगे, सिक्योरिटी गार्ड के साथ नाचने लगे और बूढ़ी महिलाओ के साथ फ्लर्ट करने लगे। उन्हें गेम में ले लिया गया। लेकिन दूसरी समस्या यह थी कि उन्हें वो गेम खेलना नहीं आता था। उन्होंने एक महिला से पूछा जो कि इस गेम को 40 साल से देख रही थी। उस महिला ने बनायन को सलाह दी कि वे कम नंबर्स गेस करें।

इसके बाद किस्मत ने उनका साथ दिया और वे एक सेलबोट जीत गए जिसकी कीमत उस समय लगभग 31000 डालर थे। कुछ दिन के बाद उन्होंने उस बोट को 16000 डालर में बेच दिया और इस तरह से उन्हें उनका सफर तय करने के पैसे मिल गए।

टिम फेरिस से मिलने के बाद बनायन को लगा कि उन्हें अभी बहुत कुछ सीखना है।
जब बनायन ने टिम फेरिस की फेमस किताब द फोर आवर वर्कवीक पढ़ी, तो वे उनके दिवाने हो गए और उन्होंने फैसला किया कि उन्हें उनसे मिलना है। उन्हें पता लगा कि फेरिस एक कान्फ्रेंस में बोलने के लिए आ रहे हैं। बनायन को लगा कि यह बहुत अच्छा मौका हो सकता है उनसे मिलने का।

बनायन बाथरूम में जाकर छिप गए क्योंकि उन्हें लगा कि वे इस तरह से उनसे बात कर पाएंगे। मौका देखते ही वे फेरिस के सामने कूद पड़े और उन्होंने कहा कि वे एक मिशन पर निकले हैं दुनिया के सभी कामयाब लोगों के सफर के बारे में जानने के लिए ताकि वे अपनी की पीढ़ी के लोगों को कामयाबी के बारे में बता सकें और यह बहुत अच्छा होगा अगर वे एक इंटरव्यू के लिए हाँ कह दें। फेरिस ने कहा कि उन्हें उनका आइडिया अच्छा लगा और वे उनसे बाद में बात करेंगे।

लेकिन फेरिस ने उनसे बात नहीं की। इसके बाद बनायन उन्हें ईमेल भेजने लगे। फेरिस के असिस्टेंट ने उन्हें इंटरव्यू के लिए ना कह दिया लेकिन फिर भी बनायन ने हार नहीं मानी। वे हर ईमेल में उनसे एक घंटे के इंटरव्यू की माँग करते और उनसे कहते कि यह उनकी सबसे अच्छी इंवेस्टमेंट होगी। वे उनसे इसके लिए एडवान्स में थैंक्यु कहते थे।

फिर एक दिन अचानक से फेरिस ने इंटरव्यू के लिए हामी भर दी। इसके बाद वे फेरिस से मिले और उनके सफर के बारे में उनसे पूछा।

फेरिस ने बताया कि जब वे शुरू कर रहे थे तो उन्होंने एक स्टार्ट अप सीईओ के साथ रिश्ता बनाने की कोशिश की। वे उस सीईओ से नौकरी की माँग कर रहे थे और उन्हें इसके लिए 12 बार मना कर दिया गया था। इसके बाद फेरिस ने उन्हें ईमेल किया कि अगले हफ्ते वो उस सीईओ के पड़ोस में रुकने वाले हैं और यह बहुत अच्छा होगा अगर वे एक बार उनसे मिल सकें। सीईओ ने इसके लिए हाँ कह दिया और इसके बाद उन्होंने फ्लाइट पकड़ी, उनसे मिलने के लिए अगले हफ्ते पहुंचे और इस तरह से उन्हें वो नौकरी मिल गई।

इसके बाद फेरिस ने बनायन के किसी काम के पीछे लगे रहने और जिद्दी होने के बीच का अंतर समझाया। फेरिस ने कहा कि किसी को इस तरह से ईमेल भेजते वक्त हमेशा अच्छे से बात करनी चाहिए और कभी भी एडवान्स में थैंक यू नहीं कहना चाहिए क्योंकि इससे लगता है कि सामने वाला जबरदस्ती बात कर रहा है। इसके अलावा कहना चाहिए कि - मैं समझ सकता हूँ अगर आपके पास जवाब देने का समय नहीं है तो।

कुछ महीने के बाद जब बनायन अपने पुराने ईमेल पढ़ रहे थे तो उन्हें लगा कि फेरिस बनायन से अपना पीछा छुड़ाने के लिए ऐसा कह रहे थे। उन्हें लगा कि उनके पास सीखने के लिए बहुत कुछ है।

शी लू की कामयाबी का राज़ है कम सोना और ज्यादा काम करना।
शी लू का नाम आप ने नहीं सुना होगा। बनायान ने भी नहीं सुना था। लेकिन माइक्रोसोफ्ट में काम करने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि वो इनके साथ उनका एक इंटरव्यू तय करवा सकता है। उन्हें बताया गया कि वे इस समय माइक्रोसोफ्ट के प्रेसिडेंट हैं और टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक उभरते सितारे हैं, तो बनायान को उनमें इंट्रेस्ट आने लगा।

शी लू चाइना के एक गरीब गाँव में पले बढ़े थे और 27 साल की उम्र तक सिर्फ 27 डालर एक महीने में कमाते थे। वो एक शिपबिल्डर बनना चाहते थे लेकिन उनके पास इतनी ताकत नहीं थी। इसलिए वे स्कूल में मन लगाकर पढ़ने लगे और बाद में फुडान यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस पढ़ने लगे।

इस बीच उन्हें जिन्दगी का एक बहुत ही आम और बहुत ही अनोखा सच पता लगा। एक चीज़ है जो कभी नहीं बदलती और वो है आपके 24 घंटे। एक दिन में आपके पास सिर्फ 24 घंटे ही हो सकते हैं। इसलिए लू ने सोचा कि क्यों ना वे अपना सोना कम कर के ज्यादा काम करें। उन्होंने अपने सोने का एक घंटा कम कर दिया। जब उन्हें इसकी आदत पड़ गई तो उन्होंने एक और घंटा कम कर दिया। इस तरह से वे एक एक घंटा कम करते गए और एक वक्त आया कि वे सिर्फ एक ही घंटा सोते थे। लेकिन यह बहुत कम था और उन्होंने अपने सोने के समय को बढ़ा कर चार घंटे तक कर दिया। आज भी वे इतना ही सोते हैं।

इस तरह से ज्यादा काम कर के उन्होंने अपने अकैडमिक इयर की शुरुआत में ही कंप्यूटर साइंस में माडल चेकिंग के ऊपर पाँच रीसर्च पेपर लिखे।

इसके बाद एक दिन वे अपने प्रोफेसर कार्नेगी मेलन से कुछ बात कर रहे थे और उन्होंने अपने रीसर्च पेपर से उन्हें खुश कर दिया। प्रोफेसर ने कहा कि लू को अमेरिका में जाकर पढ़ाई करनी चाहिए और वे उन्हें एप्लिकेशन के लिए 60 डालर दे देंगे। 

इसके बाद लू ने कुछ और घंटे निकाले और उन्होंने अपने रीसर्च पेपर अपने प्रोफेसर को दिया। आज वो माइक्रोसाफ्ट के प्रेसिडेंट हैं और उनके साथियों का उनके बारे में कहना है कि वे दूसरों के मुकाबले दोगुना तेज काम करते हैं।

शी लू से ने किस्मत के बारे में बहुत अच्छी बात कही। अच्छे मौके एक चलती बस की तरह होते हैं। वे एक के बाद एक आते रहते हैं, लेकिन अगर आप उसके लिए तैयार नहीं है तो आप उसपर चढ़ नहीं सकते।

रे लियोनार्ड ने बनायन को अपनी छिपी हुई ताकत का इस्तेमाल करने के लिए कहा।
दो कामयाब लोगों का इंटरव्यू लेने के बाद बनायन का सफर जैसे थम सा गया। वे किसी तरह से बिल गेट्स तक एक इंटरव्यू के लिए रेक्वेस्ट भेज चुके थे, लेकिन उन्हें बदले में सिर्फ ना ही सुनने को मिला। वे सुबह जल्दी उठकर खूबसूरत शब्दों में उनके लिए संदेश लिखा करते थे, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं होता था। इसके बाद उन्होंने रे लियोनार्ड को ईमेल भेजा कि उन्हें लगता है आज की पीढ़ी को उनके संदेश की जरूरत है। लियोनार्ड इसके लिए मान गए।

लियोनार्ड एक बाक्सर हैं जो कि 6 बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके हैं। जब वे छोटे थे तो वे दुबले पतले थे, छोटे थे और दूसरों के मुकाबले कम उम्र के थे। उन्हें पता था कि उन्हें इससे उभरने के लिए कुछ करना होगा। उन्हें स्कूल ले जाने के लिए एक बस आया करती थी। एक सुबह, उन्होंने जानबूझकर अपनी बस छोड़ दी और फिर उसके पीछे भागते भागते स्कूल तक गए। स्कूल से लौटते वक्त भी उन्होंने यही किया। वे इसे हर रोज करते गए और उस समय उन्होंने उस राज को खोजा जो आगे उनकी कामयाबी की वजह बना।

उन्होंने पाया कि हर व्यक्ति के अंदर एक छिपी हुई ताकत होती है। उसी ताकत की मदद से एक माँ गाड़ी के नीचे फँसे हुए बच्चे को निकालने के लिए गाड़ी उठा देती है। अगर वे किसी तरह से उस ताकत का इस्तेमाल कर सकें, तो वे सबसे आगे जा सकते हैं। उनके पास बाक्सिंग का अनुभव नहीं था, लेकिन खुद को पहले से बेहतर बनाने का जुनून था।

1981 में वे थामस हर्न्स के साथ 12 राउंड की चैंपियनशिप फाइट में थे। थामस हर्न्स को उस वक्त तक किसी से नहीं हराया था। उनसे लड़ते वक्त उन्हें बहुत चोटें आई थी और उनकी एक आँख इतनी सूज गई थी कि उन्हें दिखाई भी नहीं दे रहा था। लेकिन 13वें राउंड में वे अपने प्रतियोगी को थका चुके थे और 14वें राउंड में उन्होंने उसे हरा दिया और वे दुनिया के चैंपियन बन गए।

जब बनायन ने उनसे अपनी समस्या बताई कि किस तरह से उन्हें अपने इंटरव्यू के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं, तो उन्होंने बनायन से कहा - किसी को तुम से ये मत कहने दो कि तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं और पूरे नहीं हो सकते। लड़ते रहो, अपनी उस छिपी हुई ताकत को पहचानो और तुम वो सब कुछ कर सकते हो जो तुम करना चाहते हो।

एलियॅान बिस्नो की कामयाबी का राज था कि आप जितना चबा सकते हैं उससे ज्यादा मुँह में लीजिए।
आपका सफर बहुत आसान हो जाएगा अगर कोई व्यक्ति आपको रास्ता दिखाने के लिए आपके साथ खड़ा रहेगा। बनायन के लिए वो व्यक्ति बिस्नो निकले जो कि बिस्नो मीडिया के फाउंडर थे। बिस्नो ने बनायन को बहुत सारे आन्त्रप्रीन्योर से मिलवाया और उनके लिए बहुत से दरवाजे खोल दिए।

बिस्नो ने 2008 में कालेज छोड़कर अपने पिता के साथ बिस्नो मीडिया की शुरुआत की। इसके बाद उसी साल उन्होंने सम्मिट सिरीस की शुरुआत की जहां पर आन्त्रप्रीन्योर आकर अपना कुछ समय सुकून से बिता सकें। बनायन ने जब देखा कि वे इतनी कम उम्र में इतना ज्यादा हासिल कर गए, तो उन्होंने उनसे कान्टैक्ट किया। कुछ दिनों के बाद वे लॅास एंजेलेस में दोस्त बन गए।

बिस्नो ने इस कंपनी की शुरुआत बहुत सारे जवान आन्त्रप्रीन्योर को फोन लगाने से की। उन्होंने उन लोगों से पूछा कि क्या वे अपना वीकेंड दूसरे कामयाब आन्त्रप्रीन्योर्स के साथ बिताना चाहेंगे। लगभग 20 लोगों के हाँ बोलने के बाद , वे उन्हें अपने क्रेडिट कार्ड के 30,000 डालर अपफ्रंट कास्ट से उन सारे आन्त्रप्रीन्योर्स को स्कीईंग के लिए छुट्टियों पर लेकर गए। इसके बाद उन्होंने अलग अलग कंपनियों को फोन करना शुरू किया और उनसे पूछा कि क्या वे अमेरिका के सबसे अच्छे आन्त्रप्रीन्योर्स के साथ एक कान्फ्रेंस शो को स्पान्सर करना चाहेंगे। क्योंकि उनके पास पहले से बहुत से आन्त्रप्रीन्योर थे, कंपनियां मान गईं और इस तरह से सम्मिट सिरीस की खोज हुई।

इन 20 आन्त्रप्रीन्योर्स में टाम्स शूज़ के फाउंडर, थ्रिलिस्ट और कोलेजह्यूमर जैसी वेबसाइट्स के फाउंडर शामिल थे। जब इतने सारे आन्त्रप्रीन्योर उनके सम्मिट में आने लगे तो उन्हें यह भी नहीं समझ में आ रहा था कि वे उन्हें खाने के लिए क्या दें। उन्हें इसके लिए अपनी माँ से बात करना पड़ा। लेकिन अंत में जब सब कुछ ठीक हो गया तो उन्होंने राहत की साँस ली। उस दिन के बाद वे वे इसी फिलासफी से रहते आ रहे हैं कि जितना ज्यादा चबा सकते हो, उससे ज्यादा बड़ा बाइट लो। फैसला पहले कर लो, उसपर काम बाद में करना। 

सम्मिट सिरीज़ आज बहुत कामयाब शो है। यहाँ पर अब बहुत सारे आन्त्रप्रीन्योर आते हैं। कभी कभी रिचर्ड ब्रैंसन यहाँ पर अपनी कहानियां सुनाते हैं, कभी आइएन-क्यु राष्ट्रीय कविताएं सुनाते है और कभी एरिन ब्राकविच सोशल जस्टिस पर बात करते हैं।

बाद में बिस्नो और उनके को-फाउंडर्स ने उताह में एक स्की-रिसार्ट ला दिया जो कि अब उस सम्मिट के लिए एक बेस का काम करती है।

बिल गेट्स से मिलने के लिए बनायन को बहुत मेहनत करनी पड़ी।
जैसा कि हमने पहले ही कहा, बनायन को बिल गेट्स से इंटरव्यू का मौका नहीं मिल रहा था। उनके आफिस से बनायन को एक ईमेल आया कि जब तक उनके पास एक पब्लिशिंग डील नहीं होगी, तब तक उन्हें यह इंटरव्यू लेने का मौका कभी नहीं मिलेगा। इसके बाद बनायन अपना एक नारा लेकर अपनी किताब के लिए पब्लिशर खोजने के लिए निकल पड़े। उनका नारा था - पब्लिशर को खोजो और गेट्स को पाओ।

इसके बाद उन्होंने बहुत सारी किताबें पढ़ी कि किस तरह से उन्हें पब्लिशर मिल सकते हैं। बहुत सारे आन्त्रप्रीन्योर से मिलकर उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि किस तरह से वे एक पब्लिशर को खोज सकते हैं। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें बार बार हर पब्लिशर से ना का जवाब मिल रहा था। अब वे सारे पब्लिशर्स के पास जाकर थक चुके थे और उनके पास सिर्फ एक पब्लिशर बची थी। लेकिन बनायन को उसका एटिट्यूड अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उसने टिम फेरिस की भी एक किताब को छापने से मना कर दिया था। उस समय फेरिस इतने कामयाब नहीं हुए थे। इसलिए बनायन ने उसके पास जाने की कोशिश नहीं की।

इसके बाद बनायन अपने कालेज के दोस्त ब्रैंडन से मिले जो कि बहुत किताबें पढ़ता था। ब्रैंडन ने बनायन को वाल्मार्ट और अमेजॅान की कहानी सुनाई। उसने बताया कि 2000 में वाल्मार्ट को अमेजॅान के आने से बहुत परेशानी हो रही थी। तो उन्होंने अमेजॅान के तरीकों की नकल करना शुरू किया । लेकिन वे हर बार हार रहे थे। अंत में एक नए एक्सेक्युटिव ने अपने आफिस के बाहर बोर्ड लगा दिया कि वे अमेजॅान को कापी कर के उसे हरा नहीं सकते। इसके बाद हालात बदल गए और वाल्मार्ट आज दुनिया की सबसे बड़ी शापिंग मॅाल चेन है।

ब्रैंडन ने बताया कि बनायन दूसरे कामयाब लोगों की नकल तो कर रहे हैं, लेकिन उनके पास वो साधन और वो शौहरत नहीं है जो इन आन्त्रप्रीन्योर्स के पास है। वे दूसरों की कामयाबी पाने के तरीकों की नकल कर रहे थे और इसलिए नाकाम हो रह थे। दूसरों के काम को देखकर सीखना एक बात है और दूसरों की नकल करना दूसरी बात है।

बनायन को इस बात से समझ में आया कि अगर उन्हें कामयाब होना है तो उन्हें खुद के नियमों की एक किताब चाहिए होगी। उस रात बनायन से सारे नियमों को बगल में रखकर अपने उस आखिरी पब्लिशर को ईमेल लिखा। उनका ईमेल कुछ लव-लेटर जैसा लग रहा था जिसमें उनके मिशन के बारे में और उसकी अहमियत के लिखा था। उनका यह तरीका काम कर गया और वो इनकी किताब छापने के लिए मान गई।

बिल गेट्स से बनायन को शुरुआत करने के लिए बहुत अच्छी सलाह मिली।
इतनी मेहनत करने के बाद आखिर बिल गेट्स की टीम ने बिल गेट्स का बनायन के साथ एक इंटरव्यू का इंतजाम किया। बनायन ने उनसे मिलकर जाना कि किस तरह से हम अपने आराम के घोसले से निकलकर कामयाबी पा सकते हैं। बनायन को जब भी कोई जरूरी फोन लगाना होता था, उन्हें बहुत घबराहट होती थी। लेकिन इससे बाहर निकलकर ही वे कामयाबी हासिल कर सकते हैं।

जब बिल गेट्स और पाउल एलेन माइक्रोसोफ्ट की शुरुआत कर रहे थे तो एमआईटिएस नाम की एक कंपनी ने पहला मिनिकंप्यूटर बनाया था। बिल गेट्स ने उन्हें ईमेल भेजा कि वे उनके कंप्यूटर के लिए साफ्टवेयर बना सकते हैं। लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने उन्हें फोन लगाने के बारे में सोचा, लेकिन दोनों में से किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी। अंत में बिल गेट्स ने हिम्मत दिखा कर फोन लगाया और वे मान गए। लेकिन समस्या यह थी कि उनके पास वो साफ्टलेयर अब तक नहीं था।

उन्होंने 8 हफ्ते तक लगातार मेहनत की और उस साफ्टवेयर को एमआईटिएस को ले जाकर दिया। इसके बाद उन्हें इससे कई मिलियन का फायदा हुआ। बिल गेट्स की कहानी खत्म हो जाने के बाद बनायन ने उनसे पूछा कि वे आज के लोगों को क्या सलाह देंगे। बिल गेट्स ने दो सलाह दी।

सबसे पहला तो यह कि अगर आप अभी अभी शुरुआत कर रहे हैं तो आपको लोगों का शक मिटाने के लिए कुछ करना होगा। जब बिल गेट्स कम उम्र में सेल्स मीटिंग में जाते थे तो वे बहुत तेज और बहुत गहरी बातें करते थे जिससे लोगों को यह ना लगे कि वे कोई बेवकूफ लड़के हैं। इस तरह से लोगों ने उन पर भरोसा कर के उन्हें सहारा देना शुरू किया।

दूसरा यह कि लम्बे समय के फायदों को देखते हुए काम करो, भले ही छोटे समय में तुम्हें उससे कोई फायदा ना मिले। जब माइक्रोसोफ्ट ने आइबिएम को अपना प्रोडक्ट बेचना शुरू किया तो बिल गेट्स ने फायदों के बारे में नहीं सोचा। उन्हें पता था कि अगर वे कुछ ज्यादा पैसों की माँग करेंगे तो उनके प्रतियोगी उनसे आगे निकल जाएंगे। उन्हें यह भी पता था कि आइबिएम के साथ काम करने से उन्हें एक अच्छा पोजिशन मिल जाएगा जो कि उनकी कंपनी के लिए बहुत अच्छी बात साबित होगी। यह बात सच निकली और बाकी तो हम सभी को पता है।

अपने दोस्त की एक पार्टी में बनायन की मुलाकात टोनी शेह से हुई।
बनायन अपने दोस्त मिकी अग्रवाल की एक पार्टी में थे जहां पर उन्होंने आनलाइन शू रीटेलर कंपनी जैप्पोस के सीईओ टोनी शेह को देखा। टोनी अपने साथ एक विश लिस्ट लेकर घूम रहे थे। जब बनायन ने उनसे इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि आज के दिन वो हर किसी की एक ख्वाहिश पूरी कर देंगे। 

बनायन ने उनसे कहा कि वे उन्हें एक दिन के लिए जैप्पोस का सीईओ बना दें। उनका 20वाँ जन्मदिन आ रहा था और उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छा होगा अगर वे उनके साथ कुछ समय बिता सकें। टोनी इसके लिए मान गए।

इसके बाद टोनी ने बनायन को मार्केटिंग की सलाह के साथ साथ जिन्दगी के बारे में भी कुछ सलाह दी। उन्होंने कहा कि ईगो होने से भी बुरी बात है ईगो को अनदेखा करना। अगर आपके पास ईगो है और आप नाटक कर रहे हैं कि वो नहीं है, तो यह कुछ ज्यादा बुरी बात है। उन्होंने बनायन से कहा कि वे ईगो को गले लगाना सीखें। इसके अलावा उन्होंने बनायन से कहा कि वे अपनी किताब को अपने ईगो को शांत करने के लिए ना लिखें, वे उसे एक खास मकसद से लिखें। बहुत से लोगों को उनका मकसद नहीं पता और अगर उन्हें यह पता भी है तो उनका मकसद उनके ईखो से जुड़ा है। वे काम कर रहे हैं, सिर्फ खुद को साबित करने के लिए। 

टोनी ने कहा कि वे अपने ईगो को अपनाना सीखें क्योंकि यह इतनी भी बुरी चीज़ नहीं है। बस वे इसे खुद पर हावी ना होने दें।

इसके बाद टोनी ने कहा कि समय पड़ने पर मदद माँगने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। जब वे उन्हें जैप्पोस में यह सलाह दे रहे थे, तो बनायन ने देखा कि वहाँ के बहुत से कर्मचारी उनसे जल रहे थे। एक कर्मचारी उनके पास आकर उनसे कहने लगा कि वो टोनी के साथ समय बिता पाने के लिए कई सालों से वहाँ पर काम कर रहा था और बनायन इतनी जल्दी उन तक कैसे पहुंच गए।

जब बनायन ने टोनी से पूछा कि वे अपने कर्मचारियों को खुद से मिलने का मौका क्यों नहीं देते, तो एक बार के लिए टोनी सोच में पड़ गए। टोनी ने कहा कि वे ऐसा करना चाहेंगे, लेकिन कोई उनसे इस बारे में बात ही नहीं करता।

बनायन को वैरन बुफ्फे से मिलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उनकी कामयाबी का राज जरूर मिल गया।
वैरन बुफ्फे से मिलने की कोशिश बनायन कई महीनों तक करते रहे। वे उनसे मिलने के लिए उनके शहर ओहामा, नेब्रास्का भी गए, लेकिन बर्फ का तूफान आ जाने की वजह से उनके प्लान प्लान ही रह गए। वो उनसे मिलने की उम्मीद में अपने होटल रूम में ठंड के मारे काँपते रहे,लेकिन अंत में उन्होंने दूसरी तरह से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की।

वे वैरन बुफ्फे के बारे में पढ़ने लगे। उनके ऊपर लिखी गई बहुत सी किताबें पढ़ने के बाद उन्हें उनकी कामयाबी का राज मिल गया। जब वैरन 1951 में अपने कालेज की पढ़ाई पूरी कर के एक स्टाकब्रोकर बने, तो वे दूसरे बिजनेसमैन से मिलने की बहुत कोशिश किया करते थे। लेकिन वे किसी से नहीं मिल पाते थे। कोई भी कम उम्र बच्चे से बात करने के लिए तैयार नहीं था। बाद में, उन्होंने दूसरा तरीका अपनाया।

वे सभी बिजनेसमैन को फोन लगाने लगे और उनसे कहने लगे कि वे उनका टैक्स में जाने वाला बहुत सारा पैसा बचा सकते हैं। यह सुनकर बहुत से लोग उनसे बात करने के लिए राजी हो गए। यहाँ से वैरन बुफ्फे को एक बात समझ में आई कि - ऐसा नहीं है कि कोई आप से बात नहीं करना चाहता, उन्हें बस बात करने की एक वजह चाहिए। सबसे पहले लोगों की जरूरतों को समझो और फिर उनकी जरूरत को पूरा कर के  उन तक पहुंचो।

इसी तरह से उन्हें समस्या को दूसरी नजर से देखने का सबक सीगवे के इंवेंटर डीन कैमेन से मिला। कैमेन ने पहला ड्रग इंफ्यूज़न पंप बनाया था। उन्होंने बनायन से कहा कि समस्या को सुलझाने के लिए कभी कभी उसे अलग नजर से देखना पड़ता है। उन्होंने एक एक्साम्पल देकर इस बात को समझाने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले अमेरिका की साइंस और टेक्नोलॉजी के एजुकेशन सिस्टम में खराबी आ गई थी। बहुत से लोग उसमें सुधार करने की कोशिश कर रहे थे। वे कोर्स बदल रहे थे, टीचर्स बदल रहे थे और उन्हें ट्रेनिंग दे रहे थे। लेकिन कैमेन को लगा कि यह समस्या कल्चर में थी ना कि सिस्टम में। इसके बाद उन्होंने फर्स्ट नाम का एक काम्पटीशन बनाया जहाँ पर हाईस्कूल इंजीनियरिंग को एक स्पोर्ट की तरह खेला जाता था। नेशनल और इंटरनेशनल रोबोटिक्स को एनबीसी और नासाटीवी पर दिखाया जाने लगा  जिससे लाखों लोगों की जिन्दगी पर अच्छा असर पड़ा।

कैमेन ने कहा कि अगर हर कोशिश करने के बाद भी जवाब ना मिले, तो जवाब खोजने से ध्यान हटाकर सवाल को कुछ अलग नजर से देखने की कोशिश करनी चाहिए।

स्टीव वोज़निएक से मिलने के बाद बनायन को लगा कि जिन्दगी में कामयाबी खुशी तो नहीं है, लेकिन खुशी पा जाना कामयाबी जरूर है।
बनायन एक के बाद एक लोगों का इंटरव्यू लिए जा रहे थे और यह खबर स्टीव वोज़निएक के कानों में गई। उन्होंने बनायन से उनका इंटरव्यू लेने के लिए कहा। 

अगर आप नहीं जानते कि स्टीव वोज़निएक कौन हैं, तो वे एप्पल के को- फाउंडर और इस समय एप्पल के सीईओ हैं। 1985 में उन्होंने एप्पल छोड़ दिया था। जब एप्पल कामयाब होने लगा तो सबको पहले से पता था कि जाब्स सीईओ बनेंगे और वोज़निएक एक एक्सेक्युटिव। लेकिन वोज़निएक ने कहा कि उन्हें लोगों को मैनेज करना नहीं पसंद है और वे एक इंजीनियर ही रहना चाहेंगे। उन्हें यह काम बहुत अच्छा लगता था।

वोज़निएक बहुत खुश रहते थे। वे अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे और अपने कुत्तों के साथ रहकर बहुत खुश थे। जब बनायन ने उनसे इस खुशी का राज़ पूछा, तो वोज़निएक ने कहा कि वे अपने हिसाब से जिन्दगी जीते हैं, वो काम करते हैं जिससे वे खुश रहें, नाकि वो जिससे समाज खुश रहे। उनकी इसी मानसिकता की वजह से जाब्स से उनका बहुत झगड़ा होता था।

जब 1980 में एप्पल पब्लिक कंपनी बनने जा रही थी तो जाब्स और वोज़निएक को उससे बहुत पैसे मिलने वाले थे। लेकिन जब वोज़निएक को पता लगा कि जाब्स ने बहुत सारे एप्पल के कर्मचारियों को इस फायदे से निकाल दिया है, तो उन्हें अच्छा नहीं लगा। एप्पल की शुरुआत करने में उन कर्मचारियों का भी हाथ था। वोज़निएक के लिए वे सब एक परिवार की तरह थे और वे चाहते थे कि उन्हें भी इसका एक हिस्सा मिले। लेकिन जाब्स इसके लिए नहीं माने।

अंत में वोज़निएक ने अपने फायदे में से उन कर्मचारियों को कुछ पैसे और कुछ तोहफे दिए। इसके बाद जाब्स बिजनेस की दुनिया में इतिहास बनाने लगे और पूरी दुनिया उन्हें एक कामयाबी लीडर की तरह देखने लगी। यह सोचते वक्त जब बनायन ने वोज़निएक को मुस्कुराते हुए अपनी फार्च्यून कुकी खाते और अपनी जिन्दगी को अपने हिसाब से जीते हुए देखा, तो उन्होंने खुद से पूछा - क्या वोज़निएक कुछ कम कामयाब थे?

कुल मिलाकर
दुनिया के सभी कामयाब लोग काबिल पैदा नहीं हुए थे और ना ही शुरुआत के वक्त उनके पास सहारा देने के लिए बहुत से लोग थे। उन्होंने काम करते करते कुछ ऐसी बातें जानी जो उन्हें बहुत आगे तक लेकर गई। वे सभी एक आम व्यक्ति से अलग सोचते थे और उनसे अलग तरीके से काम करते थे। उनका यही तरीका उन्हें खास बनाता है।

 

एक पाइपलाइन बनाइए।

आप चाहे जो भी बनाने की कोशिश कर रहे हों, अपने साथ हमेशा बहुत सारे मौके रखे रहा कीजिए। सिर्फ एक या दो साधनों के भरोसे मत रहिए। इस तरह से आपके कामयाब होने की संभावना बढ़ जाएगी।


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