Talking to Crazy..... 😸🥵

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Talking to Crazy

Mark Goulston
How to Deal with the Irrational and Impossible People in Your Life

दो लफ्ज़ों में
साल 2015 में ए

क किताब रिलीज़ हुई जिसका नाम टॉकिंग टू क्रेज़ी था. इस किताब को लेखक Mark Goulston ने लिखा था. इस किताब के द्वारा लेखक ने माना है कि हर व्यक्ति में थोड़ा सा पागलपन होता है. इसी के साथ ही साथ इस किताब में बताया गया है कि कैसे मूड के स्ट्राइक करने पर कोई भी तक्रहीन बिहेवियर शो कर सकता है. इस किताब के चैप्टर्स को पढ़कर आपको पता चलेगा कि जब कोई पर्सन क्रेज़ी मोड में हो तो उससे कैसे डील किया जा सकता है?

ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसे लोग जिन्हें गुस्सा ज्यादा आता हो 
- ऐसे लोग जिनकी रिलेशनशिप में दिक्कत आ रही हो 
- पैरेंट्स और टीचर्स के लिए भी 

लेखक के बारे में
आपको बता दें कि इस किताब के लेखक “Mark Goulston” हैं. लेखक होने के साथ ही साथ “Mark Goulston” साईंकेट्रिस्ट, कोच और सलाहकार भी हैं. इन्होने एक बेस्ट सेलिंग किताब और भी लिखी है. जिसका नाम “Just Listen and Get Out of Your Own Way” है.
सुनियेइस बात को एक्सेप्ट करिए कि कभी-कभी कोई भी क्रेज़ी हो सकता है
क्या आप क्रेज़ी हैं? एक सीनेरियो को कंसीडर करने की कोशिश करिए कि आप अपने किसी चाहने वाले से बात कर रहें हैं. और उसने कुछ ऐसा कह दिया जो बात आपको थोड़ी सी चुभ गई. इसके बाद आपका रिएक्शन क्या होगा? आप बिना सोचे समझे चिल्लाने लगे और कहने लगे कि उसकी हिम्मत कैसे हुई? ये सब कहने की, ऐसी बात करने की उसकी हिम्मत भी कैसे हुई? लेकिन आपको ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर आप ऐसा गुस्सा करेंगे तो फिर उसके बाद आपको ही पछतावा भी होगा. गुस्से के बाद कम से कम एक घंटा तो आपको खुद को शांत रखने में जाएगा. तो फिर क्या आप श्योर हैं कि आप क्रेज़ी नहीं हैं? 

इस किताब के चैप्टर आपको क्रेज़ी बिहेवियर से मिलवाने के लिए ही बनाए गए हैं. अगर आप भी खुद को बहुत समझदार समझते हैं. तो फिर कभी-कभी पागलों वाली हरकत क्यों करते हैं? क्या आपके अंदर भी कोई छोटा सा बच्चा छुपा हुआ है. इसका पता लगाने के लिए इस किताब की समरी को सुनने और पढ़ने की प्रोसेस को शुरू करते हैं. क्या आप इस रोमांचक सफ़र के लिए बिल्कुल तैयार हैं?इस समरी में आप जानेंगे कि ऐसे लोगों से डील कैसे करें जिन्हें ‘ना’ सुनने की आदत नहीं है? कुछ लोग ज्यादा क्रेज़ी क्यों होते हैं? और कैसे क्रेज़ी बिहेवियर को पहचाना जा सकता है?

तो चलिए शुरू करते हैं!

ऐसा कई बार हुआ है और आप भी देखें होंगे कि काफी तर्क संगत लोग भी अजीब सा व्यवहार करते हैं. कई बार तो वो अपनी हरकतों से खुद को ही सरप्राइज़ कर देते हैं. ये भी सच है कि किसी के भी संदर्भ में ये शब्द “You’re crazy!” सच हो सकता है.

यहां पर क्रेज़ी शब्द के क्या मायने हैं? आपको बता दें कि यहां पर क्रेज़ी शब्द का ये मतलब नहीं है कि आप मेंटली बीमार हैं. अफ़सोस की बात यही है कि क्रेज़ी का मतलब लोग दिमागी बीमारी से लगाते हैं.  लेकिन आपको पता होना चाहिए कि क्रेज़ीनेस होने के लिए आपको दिमागी तौर पर बीमार होने की ज़रूरत नहीं है. 

इस समरी में क्रेज़ीनेस का मतलब ईरेशनल बिहेवियर है. जिसके असली में मायने क्या हैं? वो आपको इस किताब की समरी के साथ-साथ समझ में आ जाएगा. 

ऐसा हो सकता है कि क्रेज़ी पर्सन असलियत को अपने ही नज़रिए से देखता हो. ऐसा भी हो सकता है कि उसे आपकी तर्क से भरी हुई दुनिया से कोई लेना देना ही ना हो. कई बार आप क्रेज़ी पर्सन को काफी खुश और मस्त मौला भी देख सकते हैं. 

कई बार आप ओब्सर्व करेंगे कि क्रेज़ी पर्सन अपने मन मुताबिक़ कुछ भी बोल या फिर कर रहा है. कई बार आपको उसकी हरकतें अच्छी भी लग सकती हैं. 

अगर आप इस तरह के बिहेवियर को खुद के अंदर से कम करना चाहते हैं. तो फिर सबसे पहले तो आपको खुद की क्रेज़ीनेस के बारे में मालुम होना चाहिए. अपने अनुभव को आप पहचानिए, अगर आप ऐसा करते हैं तो फिर आप दूसरों से भी आसानी से डील कर पायेंगे. 

जब आप खुद के क्रेज़ीनेस को पहचानने लगेंगे तब आप दूसरों से भी डील करना सीख जायेंगे. इसलिए कहा गया है कि दुनिया को जीतने से पहले खुद को जीतने की कोशिश करनी चाहिए. 

इंसान का खुद से बड़ा दोस्त और दुश्मन कोई नहीं होता है. इसलिए खुद के प्रति ईमानदार रहने की कोशिश करिए. 

जब आप खुद की क्रेज़ीनेस को पहचान लेंगे तब आप दूसरों की क्रेज़ीनेस को भी पहचानने लगेंगे. अगर आप खुद की क्रेज़ीनेस को नहीं पहचान पाएंगे तो फिर आप बस दूसरों का मज़ाक ही बना सकते हैं. 

अगर आप दूसरों का मज़ाक उड़ायेंगे तो फिर खुद से सवाल करियेगा कि सबसे बड़ा क्रेज़ी कौन है? 

इसी के साथ ही साथ आपको कूल यानी शांत रहना भी सीखना चाहिए. जब भी कोई आपके सामने ईरेशनल बिहेव करे तो आपको उस जगह शांत रहना चाहिए. अगर आप शांत रहेंगे तो हो सकता है कि सामने वाला आदमी भी शांत हो जाए. 

इसी के उलट अगर आप तब शांत होने के बजाए गुस्सा करेंगे तो हो सकता है कि सामने वाले कि क्रेज़ीनेस और ज्यादा ट्रिगर कर जाए. 

क्रेज़ीनेस सभी के अंदर होती है. लेकिन आप उस क्रेज़ीनेस का कैसे इस्तेमाल करते हैं. यही बात आपको सबसे अलग बनाती है. ये बात भी सच है कि अगर किसी के अंदर क्रेज़ीनेस नहीं होगी तो फिर उनके अंदर क्रिएटिविटी भी नहीं होगी. क्रेज़ीनेस से ही क्रिएटिविटी का जन्म होता है. क्या आपके अंदर वो काबिलियत है? अगर है तो फिर देर मत करिए, उसका यूज़ करिए.

क्रेज़ी पर्सन के साथ सहानुभूति रखना आपकी ज़िम्मेदारी है, इसे भूलियेगा नहीं
ये हो सकता है कि आपको ना पता हो कि, जब कोई अज़ीब सा व्यवहार करे तो कैसा रियेक्ट करना है? लेकिन यहां महत्वपूर्ण पॉइंट यही है कि उस समय आपको उससे बहस नहीं करनी है. अगर आप बहस करते हैं तो हो सकता है कि बात बनने से पहले बिगड़ जाए. याद रखिए कि किसी भी सिचुएशन का समाधान बहस से नहीं निकल सकता है. हमें इस बात को भी समझना चाहिए कि किसी भी इंसान के क्रेज़ीनेस के पीछे कोई बड़ा रीज़न भी हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि क्रेज़ीनेस और उसके पास्ट लाइफ का कोई रिलेशन हो?

आपको इस बात को भी याद रखना चाहिए कि इंसान अजीब सा व्यवहार अपने चाइल्ड हुड एक्सपीरियंस के आधार पर भी करता है. कई बार ऐसा भी होता है कि जिस इंसान को बचपन में ज्यादा प्यार नहीं मिलता है. वो बड़े होने के बाद लोगों की अटेंशन पाने के लिए भी अजीब सा व्यवहार करने लगता है. 

हम सबके पास ऐसा कोई ना कोई बोझ होता है. इसलिए अगर हमारे सामने कोई ऐसा आदमी है तो हमें उससे सुनने की कोशिश करनी चाहिए. ना कि हमें हमारे जजमेंट के चश्में के साथ उसे देखना चाहिए. 

सामने वाले की दिक्कत को समझने की कोशिश करिए, आपको ये याद रखना चाहिए कि इस समय कोई भी लॉजिकल बहस उसे समझ में नहीं आयेगी. इसलिए उस दौरान बहस करने का कोई मतलब ही नहीं होता है. लाइफ में कभी-कभी हमें लॉजिक से हटकर भी काम करना चाहिए. एक फेज़ आपने बॉलीवुड मूवी में सुना ही होगा कि ‘जहाँ लॉजिक नहीं लगता है. वहां पर मैजिक लगता है.’

उसके सिम्पटम्स पर बहस करने के बजाए आपको उसके पीछे के रीज़न को पता करने की कोशिश करनी चाहिए. 

जब भी किसी आदमी को क्रेज़ीनेस किक करे, आप उसके व्यवहार को गौर से देखने की कोशिश करियेगा. याद रखियेगा कि आपको उसके पीछे के ट्रिगर पॉइंट का पता लगाना है. इसका पता आप अपने गौर करने की क्षमता से भी लगा सकते हैं. अगर आपको उसका ट्रिगर पॉइंट पता चल जाए तो फिर आपको उसके साथ सहानुभूति दिखानी चाहिए. इसी के साथ ही साथ आपको ये भी सोचना चाहिए कि अगर आप उसकी जगह होते तो क्या करते? ऐसा करने से आपको पता चलेगा कि उससे बात कैसे करनी है?

अगर आपके साथ कभी कोई इरेशनल बिहेव करे तो तुरंत उसका हल तलाश करने के बजाए खुद को उस सिचुएशन में रखियेगा. इससे आपकी थिंकिंग डेवलप होगी. आपके पास खुद का एक नज़रिया भी आएगा. जिसकी मदद से आप कठिन से कठिन सिचुएशन से भी आसानी से बाहर आ सकते हैं. क्रेज़ी सिचुएशन और क्रेजी पर्सन से डील करना मुश्किल होता है. लेकिन इस मुश्किल को आप बड़ी समझदारी से आसान भी बना सकते हैं.

क्रेज़ी पर्सन के साथ पॉवर की लड़ाई नहीं करनी चाहिए, सहानुभूति की भी लिमिट तय करिए
आपको इस चैप्टर की मदद से कंट्रोल के बारे में सीखने को मिलेगा. इसी के साथ ही साथ आपको याद रखना चाहिए कि किसी व्यक्ति का पागलपन उसके अतीत से हो सकता है. लेकिन ऐसे लोग अक्सर खुद को अभिनय करते हुए पाते हैं. इसी के साथ ही साथ वो ये भी चाहते हैं कि वो कंट्रोल में रहें. 

उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति कंट्रोल खो देता है या उसे बातचीत से बाहर कर दिया जाता है. तो वह चिल्लाना शुरू कर सकता है.

चिल्लाना सिर्फ एक रिएक्शन है. जिसमें, शामिल अन्य लोगों पर काबू पाने और नियंत्रण की भावना हासिल करने की कोशिश की जाती है.आप कोशिश करने के बजाय एक क्रेज़ी पर्सन के साथ सहयोग करके इस प्रकार के पॉवर की बहस से बच सकते हैं.

अपने आपको कंट्रोल में रखने की स्ट्रेटजी बनाएं. ऐसा करने के कुछ तरीके भी हैं-

पहली रणनीति है कि क्रेज़ी पर्सन को पॉवर दे देना चाहिए.  यदि आप उसे वह नियंत्रण रखने देते हैं जो वह चाहता है, तो वह पागलपन से काम करना बंद कर सकता है. उसे ऐसा लगेगा कि सभी लोग उसी की बात सुन रहे हैं. उस समय उसे ऐसा भी लगेगा कि सभी के लिए वो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. ऐसा लगने से उसे फील गुड फीलिंग आएगी. 

ऐसी फीलिंग उसके नेचर के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद भी साबित होगी. अभी तक आपने समझ लिया है कि क्रेज़ी लोगों के साथ पॉवर की लड़ाई क्यों नहीं करनी चाहिए. अब आपको ये भी जानने की ज़रूरत है कि उनसे दया भी एक लिमिट के साथ दिखानी चाहिए. किसी को भी उसके मन का करने के लिए उतनी ही छूट मिलनी चाहिए, जिससे सामने वाले का नुकसान ना हो. 

इसलिए लेखक ने बताया है कि क्रेज़ी लोगों के साथ क्लियर सीमा रेखा बनाकर रखना चाहिए. ये बात आपको उनको भी बता देना चाहिए कि देखो भाई, तुम्हारी सीमा यहीं तक है. कोशिश करना कि अपनी मर्यादा में ही रहो. 

सबके सामने क्रेज़ी पर्सन को नहीं डांटना चाहिए, उन्हें अकेले में समझाने की कोशिश करिए. आपका अगर कभी किसी क्रेज़ी पर्सन से सामना हो जाए. और वो आपके ऊपर चिल्लाने भी लगे. तो भी आपको याद रखना है कि क्रेज़ीनेस टेम्परेरी स्टेट है. इसी के साथ ही साथ आपको ये भी याद रखना है,कि भले ही वो अभी चिल्ला रहा है. बुरा बर्ताव कर रहा है. लेकिन उसकी पर्सनालिटी का ज्यादातर हिस्सा आज भी समझदार है. 

उसकी समझदारी को पहचानकर रियेक्ट करने की कोशिश करियेगा. इसके बाद आप देखेंगे कि सिचुएशन पहले से बेहतर हैंडल हुई है. जब कभी भी आपका कोई चाहने वाला पागलों जैसी हरकत करे, तो आपको याद रखना है कि अभी भी ये काफी अच्छा इंसान है. उसकी क्रेज़ीनेस उसके व्यक्तिव को डिफाइन नहीं करती है. इसलिए आप भी उसकी क्रेज़ीनेस की वजह से उससे बुरा बर्ताव मत करियेगा. 

क्रेज़ीनेस एक अस्थाई स्टेट ऑफ़ माइंड है. जो किसी को भी हिट कर सकती है. इसलिए हमेशा इंसान की समझदारी से बात करने की कोशिश करिए. ना कि उसके क्रेजीनेस से, क्रेज़ीनेस अभी है थोड़ी देर बाद नहीं होगी. 

आप किसी व्यक्ति को खाना पकाने जैसी सांसारिक चीज़ों की याद दिलाकर उसकी आंतरिक पवित्रता को संबोधित कर सकते हैं. ऐसा करने से आप उसका माइंड डाइवर्ट कर सकते हैं. इस समय वह जिस भी चीज पर जोर दे रहा है, उससे उसका दिमाग निकल सकता है.

इस प्रोसेस से आप सामने वाले की काफी ज्यादा मदद भी कर सकते हैं. इसी के साथ ही साथ एक सबसे बड़ी बात पर आपको ध्यान देना है. वो ये है कि सामने वाले के ऊपर आप कभी भी पब्लिक के सामने गुस्सा नहीं करेंगे. आप उसे हमेशा अकेले में ले जाकर ही समझाने का काम करेंगे. अगर आप ऐसा करते हैं तो उसकी नज़र में भी आपकी इज्ज़त काफी ज्यादा बढ़ जाएगी.

मैनीप्यूलेटर्स अक्सर निराशा या क्रोध से प्रेरित होते हैं, इसलिए इससे निपटने में उनकी मदद करें
पागलपन कई रूपों में प्रकट होता है. चीखना या रोना पहचानना आसान है, लेकिन मैनीप्यूलेट करना भी एक तरह का क्रेज़ीनेस है.कई बार देखने को मिलता है कि क्रेज़ी लोग दूसरों को मैनीप्यूलेट करने की कोशिश करते हैं. इसके पीछे का रीजन ये रहता है कि वो जवाब में ‘ना’ नहीं सुनना चाहते हैं. इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि वो दो लोगों के बीच में लड़ाई या विवाद करवा सकें. 

इस तरह का व्यवहार वो इसलिए ही करते हैं. क्योंकि वो ‘ना’ को ‘हाँ’ में बदलवाना चाहते हैं. लेकिन आपको इस बात का पता होना चाहिए. इसलिए आपको अपनी जेंटल अप्रोच को कायम रखना है. 

हेरफेर की कोशिश से निपटने का एक तरीका यह है कि आप उस क्रेज़ी व्यक्ति को बताएं जिसमें आप रुचि रखते हैं. उस बात को सबके सामने खुलकर कहिए. ना कि आप हेरा-फेरी की कोशिश करिए. 

इस तरह के क्रेज़ी पर्सन से डील करने के लिए उनसे सीधे बात करनी चाहिए. और कहना चाहिए कि अगर आपको किसी भी चीज़ की ज़रूरत है. तो खुलकर बात करिए. 

हमने अब पढ़ा है कि क्रेज़ीनेस का जन्म कंट्रोल करने की इच्छा से होता है. लेकिन पागलपन का एक और ग्रुप है. इसका नाम है ‘इन्हें सब पता है.’

इनसे डील कैसे करना है? ये समझ लीजिये कि इनके अंदर ईगो की दिक्कत है. ऐसे व्यक्ति को ग्रुप से अलग ना करें, बस वो जो चाहे उससे थोड़ा अलग करें. उसके ईगो को शांत करने के लिए उसकी भी  थोड़ी सी बात मान सकते हैं. उसको अपनी तरफ करते हुए समझाएं कि वो बहुत जानकार है. लेकिन इस तरह के व्यवहार से वो अच्छे दोस्त खो सकता है.इस तरह की बातों को समझाने के लिए आप थोड़ा सा सर्कास्टिक भी हो सकते हैं. उसे मजाक-मजाक में ही आपको बहुत बड़ी बात समझानी है. उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आपके पास एक व्यंग्यात्मक बॉस है जो हमेशा आपकी पेशेवर क्षमताओं पर सवाल उठाता रहता है.अगर वो ऐसा कुछ कहता है कि, "मुझे नहीं पता कि मैं तुमसे, ये सब क्यों पूछ रहा हूं," इसके साथ आप ये जवाब दें सकते हैं- "हाँ मै भी नही जानता.."

इस तरह की एक टिप्पणी उनका ध्यान खींच लेगी और शायद उनके पिंजरे को थोड़ा सा हिला भी देगी. तभी आप उससे समझदारी से बात भी कर सकते हैं.

अपने पार्टनर का सम्मान और सहयोग करें, तब भी जब आप अलग हो रहे हों
प्यार पाना मुश्किल है, लेकिन खोना आसान है. पागल व्यवहार से भी प्यार टूट सकता है. भाग्यवश, आपके रिश्ते को पागल, तर्कहीन कार्यों से बचाने के लिए कुछ तरीके मौजूद हैं. लोग अक्सर ब्रेकअप की व्याख्या ऑफ-हैंड टिप्पणियों के साथ करते हैं.जैसे "उसने बहुत ज्यादा मांग की," या "वह हमेशा देर तक बाहर रहता है." लेकिन ऐसी समस्याएं शायद ही कभी भी किसी भी रिश्ते के खत्म होने की वजह हो सकती हैं. रिश्ता खत्म होंने की असल वजह तो खुद कपल ही होता है. लोग प्रेम तो कर लेते हैं. लेकिन इतने सक्षम नहीं हो पाते हैं कि वो समस्याओं का सामना कर सकें. इसलिए जब आपका पार्टनर कोई गलती करे, तो गुस्सा न करें. इसके बजाय अपने साथी से प्रेम करने की कोशिश करें. उसके सलाहकार बनने की कोशिश करें. इसका अर्थ है अपने पार्टनर के साथ दैनिक कठिनाइयों, निराशाओं, असफलताओं और जीत को साझा करने के लिए प्रतिबध्द होना चाहिए.  अपने साथी का समर्थन करें चाहे कुछ भी हो. एक-दूसरे का साथ देना ही असली प्रेम है. इससे थोड़ा सा बुझ गया प्यार भी फिर से शुरू हो सकता है. अगर आप लोग अलग भी हो रहे हों और आपके बच्चे हों, तो फिर एक दूसरे का सम्मान करते रहिएगा. प्रोसेस को इतना आसान रखियेगा कि बच्चों को दुःख ना हो. कई कपल जब अलग होते हैं तो एक दूसरे से काफी बुरा बर्ताव करते हैं. कई बार तो बच्चों की कस्टडी के लिए सालों लड़ते रहते हैं. इसका सबसे बुरा असर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. इसलिए कोई भी फैसला सावधानी से लेने की कोशिश करियेगा. 

कम्युनिकेशन के महत्व को समझिये और अपने पार्टनर से लगातार बात करने की कोशिश करिये.  जैसा कि हम जानते हैं कि एक चिल्लाने वाले क्रेज़ी पर्सन से बात करना काफी मुश्किल होता है. उसी तरह उस इंसान से डील करना भी मुश्किल हो जाता है. जो कुछ भी बोलना नहीं चाहता है. 

जब कोई प्रिय व्यक्ति इस तरह का व्यवहार करता है. तो उन पागल विचारों को आवाज देना महत्वपूर्ण है जिन पर आपको संदेह है कि वह हो सकता है.

भावनाएं - विशेष रूप से नकारात्मक भावनाएं - भारी हो सकती हैं. हम अक्सर रास्ते तलाशते हैं. इसलिए भावनाओं को बाहर नहीं आने देना चाहते हैं. लेकिन हमें अपनी भावनाओं को बाहर आने देना चाहिए. 

कहा जाता है कि इस तरह से दिल में जो कुछ भी होता है. बाहर आ जाता है. कई बार इस तरह की चीज़ें किसी भी ख़ास रिश्ते के लिए अच्छी ही होती हैं. 

इस प्रोसेस से नेगेटिव थॉट्स और फीलिंग्स भी बाहर आ जाएँगी. कई बार पार्टनर्स के बीच में यही दिक्कत देखने को मिलती है. 

कभी भी अगर आपका पार्टनर क्रेज़ी जैसे बिहेव करे तो उनसे बात करने की कोशिश करिए. उन्हें प्यार से समझाइये, उनसे कुछ सवाल पूछने की कोशिश करिए. उनसे उनकी दिक्कत को पता करने की कोशिश करिए. 

ये तकनीक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई बार चुप्पी बहुत ज्यादा खतरनाक होती है. अगर ऐसा करेंगे तो आपके पार्टनर को महसूस होगा कि आप उनसे बहुत प्रेम करते हैं. फिर क्या पता करिश्मा हो जाए और आप दोनों का प्यार भी बच जाए. प्यार और रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए.

रियल मेंटल ईलनेस को प्रोफेशनल हेल्प की ज़रूरत होती है
हमनें अभी तक समझा है कि क्रेज़ी नेस यानी मूड्स को कैसे हैंडल किया जा सकता है. लेकिन हमें ये भी जानना चाहिए कि कई बार दिक्कत गम्भीर होती हैं. कई केस में मेंटल ईलनेस भी हो सकता है. उस केस में हमें खुद कोशिश नहीं करनी चाहिए. उस केस प्रोफेशनल हेल्प की ज़रूरत पड़ती है. अगर दिमागी बीमारी है तो आप उसे अपने व्यवहार से ठीक नहीं कर सकते हैं. उसके लिए आपको डॉक्टर के पास ही जाना पड़ेगा. कई बार मेंटल ईलनेस सिर्फ काउंसलिंग से ठीक हो जाती हैं. लेकिन उसके लिए भी प्रोफेशनल से मिलना पड़ता है. अगर केस ज्यादा बिगड़ा हुआ होता है तो फिर काउंसलिंग के साथ-साथ दवाइयों का भी सहारा लेना पड़ता है. मेंटल ईलनेस ही वो चीज़ है. जिसके बारे में बहुत कम बात होती है. लेकिन इसके बारे में बात होनी ही चाहिए. 

आपको पता होना चाहिए कि मेडिकल साइंस में मेंटल हेल्थ के लिए कई ट्रीटमेंट मौजूद हैं. जिससे बहुत कम समय में ही मरीज को आराम भी मिल जाता है. एक ज़रूरी बात और है. वो ये है कि मेंटल ईलनेस को पागलपन नहीं कहा जाता है. इसलिए कभी भी थोड़े से अलग इंसान से मिलिए तो उसे समझने की कोशिश करियेगा. उसकी नज़रों से दुनिया को देखने का प्रयास करियेगा. नज़र कोई भी हो ये दुनिया और यहां रहने वाले सभी लोग बहुत खूबसूरत हैं.

कुल मिलाकर
हर कोई क्रेज़ीनेस के मुकाबलों के आगे झुक जाता है. इसलिए जब आपको किसी क्रेज़ी व्यक्ति से निपटना हो, तो कोशिश करें सहानुभूति रखें और पॉवर संघर्ष से बचें. सम्मानजनक बने रहें, कटाक्ष से बचें और व्यक्ति को उसकी आवाज उठाने में मदद करें. क्रेज़ी व्यक्ति को प्यार से समझना ही उसका उपचार करना है. 

 

क्या करें?

जब कोई व्यक्ति क्रेज़ी हो, तो उसकी बाईं आंख को देखने की कोशिश करें.बाईं आंख मस्तिष्क के दाहिने हिस्से से जुड़ी होती है, जो मस्तिष्क का अधिक भावनात्मक पक्ष है.व्यक्ति के भावनात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित करने से आपको बेहतर संबंध बनाने में मदद मिल सकती है.

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Talking to Crazy by Mark Goulston

 

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