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Jon Acuff
सपने देखने से बस पूरे नहीं होते हैं
दो लफ्ज़ों में
आपको अभी खुद से एक सवाल करने की ज़रूरत है. वो सवाल ये है कि क्या आप एवरेज से ऊपर उठ सकते हैं? क्या आप अपने सपनों को जीने के लिए एफर्ट्स कर सकते हैं? क्या आप ऑसम बनने के लिए तैयार हैं? पर्पसफुल लाइफ जीने का रास्ता इस किताब के अध्यायों में बताया गया है. आपको याद रखना चाहिए कि किसी भी ग्रेट गोल को पाने के लिए कहीं ना कहीं से ‘स्टार्ट’ तो करना ही पड़ता है.
ये किताब किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे एवरेज नहीं रहना है
- ऐसा कोई भी जिसे सक्सेस की तलाश है
- स्टूडेंट्स के लिए
- ऐसा कोई भी जिसे सपना देखना और उसे पूरा करना पसंद हो ये किताब किसके लिए है?
- ऐसा कोई भी जिसे एवरेज नहीं रहना है
- ऐसा कोई भी जिसे सक्सेस की तलाश है
- स्टूडेंट्स के लिए
- ऐसा कोई भी जिसे सपना देखना और उसे पूरा करना पसंद हो
लेखक के बारे में
इस किताब के लेखक “Jon Acuff” हैं. आपको बता दें कि ये न्यू यॉर्क टाइम्स के बेस्ट सेलिंग लेखक हैं. आपको इनके लेखन को पढ़कर पता चल जाएगा कि डर को हराकर सपनों को कैसे पूरा किया जाता है?
‘डर’ का सामना दोस्त की तरह करने की कोशिश करिए
हम सभी एवरेज को पीछे छोड़ना चाहते हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते हैं क्योंकि हमारे अंदर डर होता है. अगर आप भी बेहतरीन बनना चाहते हैं तो फिर इस किताब की मदद से बहुत कुछ सीख सकते हैं. आपको इस किताब के चैप्टर्स ऑसम बनने की राह में आगे लेकर जाएंगे. इस किताब की मदद से आप अपने पास्ट को पीछे छोड़कर आगे मूव ऑन करना सीख जाएंगे. इसी के साथ-साथ आपको ये भी पता चलेगा कि वो ऐसा कौन सा डर है? जिसकी वजह से आप अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. अब समय आ गया है कि आप उस डर को पहचानिए और उसे पीछे छोड़ते हुए आगे का रास्ता तय करिए. इस समरी में आप जानेंगे कि क्यों ऑसम बनने के लिए कई बार आपको इलॉजिकल भी होना पड़ेगा? अपनी लाइफ को भी एडिट कैसे किया जा सकता है?खुशियों के दरवाज़े को खोलने की कुंजी कहाँ है? और आपको पीछे ले जाने वालों से डील कैसे किया जा सकता है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
‘डर’ का सामना दोस्त की तरह करने की कोशिश करिए।
क्या आप भी एवरेज से बाहर निकलना चाहते हैं? क्या आप भी ऑसम बनना चाहते हैं? लेकिन आपको मालुम नहीं है कि स्टार्ट कहाँ से करना है?यहाँ आपके लिए एक टिप भी है. वो ये है कि अगर आपको बेहतरीन बनना है तो फिर डर को फेस करिए.आपको पता होना चाहिए कि डर आपको आपके सपने से दूर कर सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि इस डर को दूर किया जाए. लेकिन सवाल वही है कि आखिर ये कैसे किया जाएगा? इसके लिए सबसे पहले आपको ये समझना चाहिए कि आखिर डर काम कैसे करता है? ये आपको आपके ड्रीम से दूर करता है. ये आपके दिमाग के साथ खेलता है. ये दिमाग को भरोसे में लेते हुए उसे समझाता है कि गोल में कोई दम नहीं है. आपके ये गोल्स प्रैक्टिकल नहीं हैं. डर आपके दिमाग में डाउट क्रिएट करता है. लेकिन आपको इस डाउट में आने की ज़रूरत नहीं है. आपको यहीं पर समझदारी से काम करने की ज़रूरत होती है. आपको अपने डर को नोट डाउन करना चाहिए. इसके बाद आपको ये सोचना चाहिए कि इन फीयर्स को दूर कैसे किया जा सकता है? इसी के साथ-साथ आपको खुद को एहसास दिलाते रहना चाहिए कि ये डर की कोई औकात नहीं है. एग्जाम्पल के लिए अगर आपको डर लग रहा है कि नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने की वजह से आपकी नौकरी छूट जाएगी. तो फिर उस डर को नोट डाउन करिए. इसके बाद आप इमेजिन करिए कि आपके साथ सबसे बुरा क्या हो सकता है? इसके लिए आप ऐसा भी सोच सकते हैं कि आपको सड़कों में सोना पड़ रहा है.
अब आप सोचिए कि क्या ऐसा हो सकता है? बहुत चांस है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता है. आपको इसलिए कहा गया था कि अपने डर को नोट डाउन करने की कोशिश करिए. अगर आप ऐसा करेंगे तो आपको पता चलेगा कि आपके डर में ज़रा सा भी दम नहीं था. इस तरह का बिना दम का डर आपको रोक रहा था. अगर आप इस डर के चक्कर में पड़ेंगे तो लाइफ में कुछ नहीं कर पाएंगे. इसलिए कहा भी गया है कि अगर फियर से डील करना है. तो फिर उसके साथ माइंड गेम खेलना पड़ेगा. अगर आप माइंड गेम खेलना सीख लेंगे तो फिर लाइफ आपके लिए काफी ज्यादा आसान हो जाएगी. आपको जिस भी चीज़ या सिचुएशन से डर लगता है. उसी को करने की कोशिश करिए, अपने डर का सामना करने की कोशिश करिए. फौलादी सीना है, वो किस लिए है? उसकी मदद लीजिए और डर के सामने जाकर उससे बोलिए कि “मैं यहीं हूँ, जो करना है कर लो.”
जैसा कि आपको पता ही होगा कि रिज़ल्ट के ऊपर आपका कंट्रोल नहीं है. लेकिन उस रिज़ल्ट के लिए एफर्ट करना आपके बस में है. हो सकता है कि एफर्ट्स से रिज़ल्ट में बदलाव आ जाए. इसलिए लाइफ में कभी भी एफर्ट्स करने से पीछे मत हटियेगा. आप नहीं जानते हैं कि आने वाले समय में क्या होने वाला है? लेकिन आप इस समय का फायदा ज़रूर उठा सकते हैं. इसलिए लेखक कहते हैं कि “आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसे ज़रूर करना चाहिए.” अपने ड्रीम्स का पीछा करना कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए. सपने देखिए और उन्हें पूरा करने के लिए एफर्ट्स लेना कभी नहीं भूलना चाहिए. यहाँ पर आप ‘सेगवे’ का एग्जाम्पल देख सकते हैं. जब ये कंपनी लॉन्च हुई थी. तब मार्केट में सभी को लगा था कि ये ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर को बदलकर रख देगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, ये स्टार्ट-अप बुरी तरह फ्लॉप हुआ था. लेकिन फिर भी कंपनी के ओनर्स की काफी इज्जत की जाती है. इसके पीछे का रीज़न यही है कि उन्होंने अपने सपने को पीछे नहीं छोड़ा था. रिस्क होने के बावजूद उन्होंने कंपनी को लॉन्च किया था. इसका पॉजिटिव रिज़ल्ट भी उन्हें बाद में देखने को मिला था. अगर आप सपना देख सकते हैं तो फिर उसे पूरा भी कर सकते हैं.
रियलिस्टिक रहना बहुत ज़रूरी है, लेकिन आपकी नज़र गोल पर होनी चाहिए
अगर आप ऑसम बनना चाहते हैं तो फिर आपको टेंशन से दोस्ती करनी पड़ेगी. आपको ड्रीमर, प्रैक्टिकल, इमप्रैक्टिकल, लॉजिकल और इललॉजिकल सभी पहलुओं को अपनी पर्सनालिटी में एड करना होगा. इस सफर की शुरुआत करने के लिए, आपको ये नापना पड़ेगा कि आपकी जिंदगी के किस पहलू में कमी है? आपको ये पता लगाना ही पड़ेगा कि कौन सा पहलू एवरेज है? जब पता चल जाए तो उसे नोट डाउन कर लीजिएगा. जब आपको टेंशन का पता चल जाए. तो फिर आपको रियलिस्टिक होने की ज़रूरत है. आपको एक्साक्ट डेटा के रूप में पता होना चाहिए कि आपकी फाइनेंशियल स्थति कैसी है? आपको ये भी पता होना चाहिए कि आपका इमोशनल एंगल कैसा है?
लाइफ में डेटा और फैक्ट्स का महत्त्व काफी ज्यादा है. इसके लिए लेखक खुद का एग्जाम्पल देते हुए बताते हैं कि “उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर एड एजेंसी का काम शुरू किया था. लेकिन कुछ ही दिनों में उन्हें पता चल गया था कि उन्हें और उनके फ्रेंड को तकनीकी ज्ञान नहीं है. जिसका नुकसान उन्हें बिजनेस में मिल रहा था. अंत में उन्हें अपने बिजनेस को बंद करना पड़ा था.”
लेखक के बिजनेस के साथ गलत क्या हुआ था? गलत ये था कि लेखक और उनके दोस्त रियल दुनिया से दूर थे. उन्हें सच्चाई का अंदाजा नहीं था. इसलिए ये अच्छा है कि आप लेखक की गलती से सीख ले लें. आने वाले चैप्टर में और भी बहुत कुछ नया आने वाला है.
लक्ष्य का इंतज़ार करना बंद करिए, पर्पस बनाइए और उसे पाने के लिए भीड़ जाइए। कई लोग बिना कुछ किए हुए ही लाइफ के पर्पस का इंतज़ार करते रहते हैं. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि ये अप्रोच सही नहीं है.
इसलिए बैठे-बैठे पर्पस का इंतज़ार करना बंद कर दीजिए. बाहर निकलिए और काम करने की शुरुआत कर दीजिए. जब आप थोड़ा प्रेशर लेकर काम करने लगेंगे तो फिर पर्पस भी मिल ही जाएगा. लाइफ को इस तरह से डिजाईन करिए कि दूसरे उसे देखकर प्रेरित हो जाएँ. आपकी लाइफ दूसरे की जिंदगी का पर्पस होना चाहिए.
ये सलाह जवानों के लिए भी है. अगर आप भी टीनेजर हैं. तो फिर देर मत करिए और अपने लक्ष्य की तलाश शुरू कर दीजिए. अगर गोल नहीं मिल रहा है. तो फिर खुद ही काम में लग जाइए. वैज्ञानिकों ने भी माना है कि इंसानी दिमाग सबसे ज्यादा जवानी में सीखता है. यही वो समय है, आपको जिसका फायदा उठाना है. अगर आप इस टाइम का सही से इस्तेमाल कर लेंगे तो फिर आगे की लाइफ एन्जॉयमेंट के साथ बीतेगी. इसलिए इंतज़ार करना बन कर दीजिए. अभी इसी वक्त आप जहाँ भी हों, वहीँ से पर्पसफुल लाइफ की शुरुआत कर दीजिए. सफलता भी उन्हीं का इंतज़ार करती है. जो पर्पस का इंतज़ार नहीं करते हैं.
पर्पस को एड करना अपनी आदत में शुमार करिए. छोटे से छोटे काम को डेडीकेशन के साथ करने की कोशिश करिएगा. पूरी ईमानदारी के साथ लाइफ को जीने की कोशिश करिए, पर्पस मिल जाएगा और ऑसम भी बन जाएंगे.
क्या आपको सक्सेस की पहली स्टेज के बारे में मालुम है? अगर नहीं, तो इस चैप्टर को पढ़िए
आप बेहतरीन कैसे बन सकते हैं? ऑसम बनने के लिए 5 स्टेज को पार करना पड़ेगा. फर्स्ट स्टेज का नाम ‘लर्निंग’ है. इसका ये मतलब है कि आपको कई अलग-अलग चीज़ों को ट्राय करते रहना चाहिए. आपको इससे काफी ज्यादा एक्सपीरियंस मिलेगा. आखिर जब तक आप अलग-अलग चीज़ों को ट्राय नहीं करेंगे. तो फिर आपको पता कैसे चलेगा कि आप क्या चाहते हैं? इसलिए लाइफ में जितना मौका मिल सके उतना एक्सपीरियंस लेने की कोशिश करिएगा. इसको इस तरह से भी सोच सकते हैं कि जब साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट फेल हो जाता है. तो फिर साइंटिस्ट घर नहीं बैठ जाते हैं. उन्हें पता होता है कि इससे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है. उन्हें ये भी भरोसा होता है कि इसी सीख की मदद से वो आगे सफल हो जाएंगे. होता भी कुछ ऐसा ही है. इसलिए अभी की असफलता से वो सीखना पसंद करते हैं. आपको भी बस यही करना है. इसे आप सक्सेस के गोल्डन रूल की तरह भी मान सकते हैं.
आप टाइगर वुड्स से भी सीख सकते हैं. जिन्होंने 21 साल की उम्र में मास्टर्स जीत लिया था. लेकिन उन्होंने सीखना 18 सालों तक जारी रखा था. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी बोलते हैं कि “वो आज भी क्रिकेट सीख ही रहे हैं.”
लर्निंग सीखने के लिए खुद से सवाल करिए कि “अगर आप कल मर गए तो किस चीज़ को ना करने का रिग्रेट होगा?” बस वहीँ से सीखने की शुरुआत कर दीजिए. देर तब तक ही हो रही है. जब तक आप सीखने की शुरुआत नहीं कर रहे हैं. इसलिए कहा भी गया है कि “सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.”
अपनी ज़िंदगी के एडिटर खुद बनिए, लाइफ को ऐसे एडिट करिए कि सब देखते ही रह जाएँ। जब आप सीखना सीख चुके हैं. तो फिर सेकंड स्टेज़ की बारी आती है. इसे एडिटिंग कहते हैं. अपनी लाइफ को खुद बैठकर एडिट करिए. ज़रा सोचिए कि ये सोचकर ही कितना अच्छा लग रहा है कि हम अपनी लाइफ को खुद एडिट कर सकते हैं. लेकिन ये कैसे होगा? ये सवाल भी आपको सता रहा होगा. बने रहिए इस किताब में लेखक इस सवाल का जवाब भी दे देंगे. पिछले चैप्टर में हमने सीखा कि अलग-अलग चीज़ों को ट्राय करने को ही सीखना कहते हैं. लेकिन सच्चाई ये भी है कि आप हर फील्ड के मास्टर नहीं बन सकते हैं. इसलिए अब रोल एडिटिंग का आ जाता है.
जो-जो आप सीख चुके हैं. उनकी तरफ देखिए और उस फील्ड को चूज़ करिए जिसमे आप मास्टर बन सकते हैं. इसी के साथ खुद से ये सवाल भी करिएगा कि क्या करने में आपको मज़ा भी आता है? सोचिए कि अगर काम में मज़ा आने लगेगा. तो फिर वो खेल बन जाएगा. जिससे आप कभी भी बोर नहीं हो सकते हैं. ऐसे काम का चुनाव करिए जिससे आपको प्रेरणा मिलती हो. अगर ऐसा होगा तो फिर आप पैसा भी कमा ही लेंगे. इसलिए काम को चुनने के पीछे का मोटिवेशन सिर्फ और सिर्फ पैसा नहीं होना चाहिए. अगर आप सही नियत से काम का चुनाव करेंगे तो फिर सफलता भी आपको ज़रूर मिलेगी. इसलिए कहा भी गया है कि खेल-खेल में भी सक्सेस को पाया जा सकता है. खुद के अंदर क्वालिटी स्किल को डेवलप करिए.
एग्जाम्पल के लिए अगर आप खुद को एडिट करते हैं. तब आपको पता चलता है कि आपको आईडिया शेयर करने में मज़ा आता है. फिर आप इसे प्रोफेशन बनाने के लिए ब्लॉगर, राइटर, स्पीकर, जर्नलिस्ट, स्टोरी टेलर जैसी किसी भी क्रिएटिव फील्ड में जा सकते हैं.
पैशन को फ़ॉलो करने के लिए एक्सपर्ट बनने की कोशिश करिए
आपको अब तक पता चल चुका है कि फोकस कहाँ करना है? इसलिए अब अगले स्टेज का वक्त आ चुका है. ये स्टेज का नाम ‘मास्टरी’ है. तो फिर सवाल ये उठता है कि एक्सपर्ट कैसे बना जा सकता है? इसके लिए सिम्पल सी शुरुआत करिए. जिस भी फील्ड में जाना हो. उसकी पहली सीढ़ी को चढ़ने की कोशिश करिए. वो ये है कि आप उस फील्ड को इन्टर्न के तौर पर भी ज्वाइन कर सकते हैं. अगर आप ऑसम लेखक या फिर ब्लॉगर बनना चाहते हैं. तो फिर दूसरों के लेख को पढ़ने की शुरुआत कर दीजिए. अच्छे-अच्छे ब्लॉग को फॉलो करिए. उनके नीचे कमेन्ट करने की कोशिश करिए. उनको फ्री राइटिंग सर्विस प्रोवाइड करने के लिए अप्रोच करिए. इससे आपको काफी ज्यादा फायदा होगा. उनके लिए लेख लिखिए और उनसे फीडबैक लेते रहिए. इससे आप देखेंगे कि आपके अंदर काफी ज्यादा बदलाव आ रहा है. इससे आपको फोकस करने में भी मदद होगी. फीडबैक नेगेटिव भी हो तो घबराइयेगा नहीं, बिना रिजेक्शन के कोई भी सफल नहीं हुआ है. ‘रीड, राईट, रिजेक्ट, रिपीट यही एक फार्मूला है, इसी के दम पर सक्सेस भी मिलेगी.’
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि अगर कमेन्ट में हेट मिले तो क्या करना चाहिए? सबसे पहले खुद से सवाल करिए कि ये कमेन्ट किसने किया है. इसे तो आप जानते तक नहीं है. अच्छी बात है कि ये आपको जानता है. इसलिए उसकी नफरत को उसके पास रहने दीजिए. उसे उसके ही हाल में छोड़ दीजिए. इसको आप दूसरे नज़रिए से भी देख सकते हैं. सोचिए कि उसने ऐसा कमेन्ट क्यों किया होगा? क्या पता उसे कुछ अटेंशन चाहिए होगी? वो अटेंशन आपको उसे नहीं देनी है. काम करते रहिए और आगे बढ़ते रहिए.
चौथा स्टेज बताता है कि “अब आप अपनी फसल की कटाई कैसे करेंगे?”
इस स्टेज को हार्वेस्टिंग कहा जाता है. ये समय बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय आप लक्ष्य के करीब पहुँच चुके होते हैं. अब आपको पता होता है कि क्या-क्या छूट चुका है? आपको इस समय फोकस लूज़ नहीं करना है. अगर आप इस स्टेज को संभाल सकते हैं. तो फिर सक्सेस आपको ही मिलेगी. ये स्टेज तय करेगा कि सफलता आपको मिलेगी कि नहीं मिलेगी?
उदाहरण के लिए एक किताब लिखना काफी कठिन काम है. कठिन टास्क होने के साथ-साथ इसमें काफी समय भी लगता है. कई बार तो एक साल भी लग जाते हैं. इसलिए इस काम को आप छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट सकते हैं. छोटे-छोटे टारगेट सेट कर सकते हैं. आप तय कर सकते हैं कि हर रोज़ आपको कितने शब्द लिखने हैं. जैसे-जैसे आपके टारगेट पूरे होते जाएंगे. वैसे-वैसे आप मोटिवेट भी होते जाएंगे. इसी के साथ-साथ आपको ये भी ट्राय करना है कि आपका फोकस लूज़ ना हो. उसी फोकस का ध्यान आपको इस स्टेज में रखना है. ट्रैक में रहने के लिए आपको अपनी जर्नी को याद रखना है. इसी के साथ-साथ आपको ये भी ध्यान रखना है कि आगे के लिए कौन से फैक्टर ज़रूरी नहीं हैं. उन फैक्टर्स का पता भी आपको इस स्टेज में ही लगाना है.
पांचवें और आखिरी स्टेज़ की बारी आ गई है, क्या आप तैयार हैं?
आपको अब तक ऑसम बनने की जर्नी के बारे में पता चल चुका है. फिर इस स्टेज में क्या है? इस स्टेज में गाइडेंस है. यही इस स्टेज का नाम भी है. आपको अभी तक जो कुछ भी सीखने को मिला है. उसे दूसरों के साथ शेयर करने की कोशिश करनी चाहिए. शेयरिंग द लव ही इस चैप्टर का कांसेप्ट है. इस प्रोसेस को पूरा कैसे करना है? इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए आपको दूसरों से बातचीत करनी पड़ेगी. इस बातचीत में आपको बस बोलना नहीं है.
असली गाइडेंस का मतलब ही ये होता है कि आप सामने वाले को कितने अच्छे से सुन रहे हैं. मतलब साफ़ है कि आपको अच्छी लिसनिंग स्किल को भी सीखना चाहिए. आपकी ग्रोथ में लिसनिंग स्किल का बहुत बड़ा योगदान होने वाला है. इसलिए नई-नई स्किल को सीखते जाइए और आगे की तरफ बढ़ते जाइए. गाइडिंग के रास्ते में अच्छे से चलने के लिए आपको उन चीज़ों से जुड़कर रहना चाहिए. जिनकी उपयोगिता आपकी जिंदगी में भी बहुत ज्यादा है. इसलिए इस रास्ते में चलते हुए एथिक्स से समझौता मत करिएगा.
एग्जाम्पल के लिए लेखक बताते हैं कि वो और उनका दोस्त एक दूसरे को गाइड करते थे. लेकिन समय कम होने की वजह से दोनों मिल नहीं पाते थे. तब उन्होंने साथ में जिम जाने का फैसला किया था. इसलिए अब वो हफ्ते में ज्यादा मिलते थे और एक दूसरे की बात के ज़रिये मदद भी करते थे. इससे लेखक बताना चाहते हैं कि अगर सिचुएशन बस में ना हो तो नज़रिया बदलने की कोशिश करनी चाहिए. आपको समझ लेना चाहिए कि अब ‘स्टार्ट’ करने का समय आ गया है.
कुल मिलाकर
आप अब एवरेज नहीं रहेंगे, आप ऑसम बन सकते हैं. लेकिन उसके लिए आपको अपने डर का सामना करना ही पड़ेगा. आँखे खोलिए डर को देखिए और टारगेट की तरफ चलने की शुरुआत कर दीजिए.
क्या करें?
आपके जितने भी सपने हों, उनकी एक लिस्ट बनाने की शुरुआत कर दीजिए. लिस्ट में अपने छोटे से बड़े सभी सपनों को जगह दीजिएगा. इसी के साथ-साथ उनको पाना कैसे है? उसकी भी एक लिस्ट ज़रूर तैयार करिएगा.
येबुक एप पर आप सुन रहे थे Startby Jon Acuff
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