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Meditations

Marcus Aurelius
The Stoic Thinking of a Philosopher-King

दो लफ्ज़ो में 
“हर मिनट को रोमन की तरह एकाग्र करो — एक आदमी की तरह — जो सटीक और वास्तविक गंभीरता के साथ, तुम्हारे सामने है, स्वेच्छा से, न्याय के साथऔर अपने आप को अन्य सभी डिसट्रेकशन से मुक्त करने पर..हां, आप कर सकते हैं – यदि आप सब कुछ करते हैं जैसे कि यह आपके जीवन की आखिरी चीज थी, और लक्ष्यहीन होना बंद करो…” ये शब्द रुपी बाण किसी और के नहीं बल्कि Roman emperor, “Marcus Aurelius” के हैं. (170-180 AD) के बीच लिखी गई किताब Meditations के चैप्टर्स आपको ज़िन्दगी के असली पहलू से मिलवाने का काम करेंगे.

  ये किताब किसके लिए है? 
- फिलॉसफ़ी के स्टूडेंट्स के लिए 
- ऐसा कोई भी जिसे नई चीज़ों को समझने में मज़ा आता हो 
- लाइफ की मीनिंग की तलाश करने वालों के लिए 
- ऐसा कोई भी जिसे मौत से डर लगता हो 

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि मार्कस ऑरेलियस एंटोनिनस (121-180 ईस्वी) 161 ईस्वी में रोम के सम्राट के रूप में सत्ता में आए.. उन्हें रोम के महानतम सम्राटों में से एक कहा जाता है. उन्हें एक ऐसे महान शासक के रूप में याद किया जाता है. जिनके जीवन में दर्शन यानि फिलॉसफ़ी का रोल काफी ज्यादा था.

इस किताब के पहले पड़ाव में ही पूरे यूनिवर्स की बात होगी
मार्कस का जन्म हेड्रियन के शासनकाल के दौरान सम्राट के भतीजे, प्राइटर मार्कस एनियस वेरस और उत्तराधिकारी डोमिटिया कैलविला के यहाँ हुआ था. जब वह तीन साल के थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई और उनकी माँ और दादा ने मार्कस की परवरिश की.. हैड्रियन के दत्तक पुत्र, एलियस सीज़र की 138 में मृत्यु हो जाने के बाद, सम्राट ने मार्कस के चाचा एंटोनिनस पायस को अपने नए उत्तराधिकारी के रूप में अपनाया.. बदले में, एंटोनिनस ने एलियस के बेटे मार्कस और लुसियस को गोद लिया.. उसी वर्ष हैड्रियन की मृत्यु हो गई और एंटोनिनस सम्राट बन गया। अब सिंहासन के उत्तराधिकारी, मार्कस ने हेरोड्स एटिकस और मार्कस कॉर्नेलियस फ्रोंटो जैसे ट्यूटर्स के तहत ग्रीक और लैटिन का अध्ययन किया था. 

आपको बता दें कि ऑरेलियस न केवल एक सम्राट थे, बल्कि एक दार्शनिक भी थे. वो Greek Stoicism, की विचारधारा को मानते थे. ऑरेलियस के दर्शन के कारण उन्हें दार्शनिक राजा की उपाधि मिली थी. तो अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर उनके विचार क्या थे? इसी सवाल का जवाब बड़ी बारीकी से इस किताब में बताने की कोशिश की गई है. 

तो चलिए शुरू करते हैं!

मार्क्रस ऑरेलियस एक रोमन सम्राट थे और वो हर दिन हर तरह के लोगो से मिलते थे. उनके बहुत सारे दुश्मन थे और काफी लोग चाहते थे कि उनकी मौत हो जाए. लेकिन इन सब चीजों के बावजूद मार्क्रस ऑरेलियस ने हमेशा यह कहा की हमे दूसरे लोगों को जज नही करना चाहिए और हमे दूसरे लोगों को बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए.

मार्क्रस ऑरेलियस कहते है की हाँ, हम ज़िन्दगी में काफी लोगों से मिलेंगे,  हम सब लोगों के अंदर गलतियां होती हैं. तो हम किस हक से दूसरों के ऊपर गुस्सा हो सकते हैं?

मार्क्रस यह कहते हैं की हम सब ऊपर से ही आते हैं और हम सब लोगों के अंदर अच्छाई और बुराई होती हैं, और हम सब लोग एक ही जगह से आए हैं. तो हम सब क्यों एक दूसरे से नफरत करे???

आपको बता दें कि मार्कस एक कांसेप्ट के बारे में बात करते हैं. जिसे ‘logos’ कहा जाता है. उनका विचार था कि ‘logos’ को हर जगह देखा जा सकता है; यह पृथ्वी, वृक्षों और यहां तक कि हमें भी बनाता है.

इसके आगे मार्कस कहते हैं कि ‘logos’ ने ही सोसाइटी में मापदंड तय किए हैं. इसी वजह से सम्राट को ज्यादा रिस्पेक्ट मिलती है और दासों को कम.. हमें समझना चाहिए कि हम एक सिस्टम के गुलाम बन चुके हैं.

मृत्यु सत्य है इसलिए इससे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है
प्राचीन काल में, मृत्यु जीवन का एक वर्तमान तथ्य था - मृत्यु दर बहुत अधिक थी और औसत जीवन रेट कम.. जिसकी वजह से मृत्यु से डर लगा करता था. 

लेकिन मार्क्रस ऑरेलियस को लगता है कि इंसान को मौत से कभी भी डरना नहीं चाहिए. उनका मानना था कि जब तक आत्मा शरीर को छोड़ेगी नहीं.. 

तब तक वो बेहतर बनने के लिए आगे नहीं बढ़ पाएगी. इसलिए इंसान की बेहतरी के लिए जीवन के साथ-साथ मौत भी ज़रूरी है. 

उनका मानना था कि जो भी इस दुनिया को चला रहा है. मान लेते हैं कि दुनिया को ‘logos’ चला रहे हैं. तो उनके पास आपके लिए बेहतर प्लान हैं. तभी आपके शरीर से आत्मा अलग होगी. 

इसलिए आपको पता होना चाहिए कि जब तक दुनिया चलाने वाला नहीं चाहेगा, तब तक मौत भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है. इसलिए किसी को भी मौत से डरने की ज़रूरत नहीं है.

ज़िन्दगी बहुत छोटी सी है, इसलिए कम्प्लेन करना बंद कर दीजिए
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोई भी कभी भी इस दुनिया को अलविदा कह सकता है. यहाँ किसी का जीवन गारन्टी कार्ड के साथ नहीं आया है. 

इसलिए हमेशा इंसान को खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए, ये भी सच है कि हर मिनट ख़ुश नहीं रहा जा सकता है. लेकिन हर मिनट अपना बेस्ट ज़रूर दिया जा सकता है. 

इसलिए आज से ही अपनी लाइफ को देखने का नज़रिया बदलने की शुरुआत कर दीजिए. ज़िन्दगी से शिकायत करना बंद कर दीजिए. 

कई लोगों की पूरी लाइफ ही शिकायत करने में खत्म हो जाती है. उन्हें इस बात की शिकायत लगी रहती है कि उनकी लाइफ में कितनी ज्यादा मुश्किलें हैं? लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि इन शिकायतों की वजह से उनकी लाइफ खर्च होती जा रही है. 

इसलिए आज से ही हम लोगों को अपनी लाइफ की वैल्यू करनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा बेहतर बनने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए.

लॉजिकल थिंकिंग के महत्व को समझने की कोशिश करिए, बहुत ज्यादा इमोशनल होना सही नहीं है
ऑथर Stoic school of philosophy, को काफी ज्यादा सम्मान दिया करते थे. इस स्कूल में लॉजिकल थिंकिंग के ऊपर काफी ज्यादा जोड़ दिया जाता था. 

वहां बताया गया था कि शांत दिमाग से बेहतर फैसले लिए जा सकते हैं. इसलिए कठिन से कठिन सिचुएशन में हमें अपने दिमाग को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए. 

ऐसा हम अपने दिमाग को ट्रेंड करके भी कर सकते हैं. इसलिए आज से ही अपने दिमाग के पॉवर को समझने की शुरुआत कर दीजिए. आपका दिमाग ही आपका सबसे अच्छा दोस्त है. इसकी मदद से आप लाइफ में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. 

अब सवाल उठता है कि दिमाग को कैसे ट्रेंड किया जा सकता है? आपको इस सवाल का जवाब इस आने वाली छोटी सी कहानी में मिल जाएगा. 

“1971 में अमरीकी सेना के जवान STEAFEN  ESLAS  VIETNAM  के युद्ध से घर लौटे तो काफ़ी परेशान थे. जंग ने उन्हें दिमाग़ी और जज़्बाती तौर पर तोड़कर रख दिया,  उन्हें अजीब बेचैनी ने घेर लिया. उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता, उन्हें बहुत ज्यादा घबराहट होने लगी थी. 

तभी किसी दोस्त ने उन्हें MEDITATION की सलाह दी. ध्यान करने से पहले उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया था. लेकिन फिर घर वालों की काफी मिन्नतों के बाद, उन्होंने MEDITATION  की शुरुआत की.”

धीरे-धीरे उनकी हालत में काफी सुधार देखने को मिलने लगा. लेकिन आज इतने साल बीत जाने के बाद भी जंग की भयानक यादें उन्हें गाहे-बगाहे परेशान करती रहती हैं. STEAFEN  ESLAS  कहते हैं कि “उन्हें ध्यान करने से उनके अंदर एक अलग ही शक्ति का समावेश हुआ है. उन्हें एहसास होता है कि उनका दिमाग पहले से बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो चुका है. उन्हें बिल्कुल नहीं लगता था कि MEDITATION  से उनकी LIFE में इतने अच्छे बदलाव आएंगे.”

अगर आप भी अपने दिमाग को बेहतर बनाना चाहते हैं तो मेडिटेशन को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाने की शुरुआत कर दीजिए.

कोई भी दर्द इतना बड़ा नहीं होता कि वो आपको दर्द दे सके
प्राचीन रोम खतरों से भरा था, खासकर एक सम्राट के लिए.. उन्हें कई साज़िशों का सामना करना पड़ता था. पता ही नहीं चलता था कि कब उनकी मौत हो जाएगी? 

ऑथर के सामने भी मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हुआ था. उन्हें कई बार भयानक दर्द का सामना करना पड़ा था. 

इसलिए उन्होंने अपने दर्द से सीखा था कि इस दुनिया में कोई दर्द आपका नुकसान नहीं कर सकता है. अगर आप अंदर से मज़बूत हैं, तो किसी भी दर्द के अंदर इतना दम नहीं होता कि वो आपको तोड़ सके. 

मार्कस कहते हैं कि “हमें समझना होगा कि दर्द भी ऊपर वाले ने तय किया है. अगर हमारी किस्मत में दर्द लिखा है. तो उसे आने दीजिए.. उसके सामने सीना तान कर खड़े हो जाइए. और कहिए कि दर्द तुम अपना काम करो... लेकिन तुम्हारे होने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. 

कोई अगर आपको अपमानित करने की कोशिश करता है. तो आप तब तक अपमानित नहीं हो सकते हैं. जब तक आप उस अपमान को एक्सेप्ट ना करें. इसलिए आपको तय करना होगा कि आपका दिमाग कौन सी चीज़ें एक्सेप्ट करेगा? और कौन सी चीज़ें एक्सेप्ट नहीं करेगा? 

लाइफ की जर्नी में अच्छी और बुरी चीज़ें आती रहेंगी. हमें दोनों ही तरह की सिचुएशन के लिए तैयार रहना चाहिए. हमें समझना होगा कि इस टेम्परेरी सी ज़िन्दगी में दुःख की ज्यादा जगह नहीं है. इसलिए खुद को खुश रखने की ज़िम्मेदारी हमारी ही है. कोई दूसरा हमारी ख़ुशियों की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता है. 

मार्कस कहते हैं कि ‘logos’ सभी के लाइफ का हिस्सा है. इसलिए हमें अपने दर्द को एक्सेप्ट करना सीखना होगा. बड़े से बड़े दर्द को एक्सेप्ट करिए और मूव ऑन करने की कोशिश करिए. इस बात को मान लीजिए कि आपको कोई दूसरा मूव ऑन कराने नहीं आएगा.

कुल मिलाकर
मार्कस कहते हैं कि “सुखी जीवन बनाने के लिए बहुत कम की आवश्यकता होती है; यह सब आपके भीतर है, आपके सोचने के तरीके में है..” इसी के साथ हमें ये समझ लेना चाहिए कि “दुनिया परिवर्तन के अलावा कुछ नहीं है.. हमारा जीवन केवल धारणा है.. ”

 

क्या करें? 

दूसरों से प्रेम करिए और लाइफ के प्रति भी थैंकफुल रहिए. ज़िन्दगी में खुशियाँ बांटने की कोशिश करिए.. इस लाइफ में दुःख की कोई जगह नहीं है. क्योंकि ज़िन्दगी बहुत छोटी सी है. और अजीब बात ये है कि जब ये समझ में आती है तो आधी से ज्यादा बीत चुकी होती है. इसलिए जल्द से जल्द अपनी लाइफ की मीनिंग को समझने की शुरुआत कर दीजिए. 

 

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