Love People Use Things

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Love People Use Thing

Because the Opposite Never Works

Joshua Fields Millburn, Ryan Nicodemus

दो लफ्ज़ों में 
साल 2021 में रिलीज़ हुई किताब “Love People, Use Things” बताती है कि कैसे कम से कम संसाधन में भी खुश रहा जा सकता है? कई लोगों के मन में ‘minimalism’ के कांसेप्ट को समझने की इच्छा रहती है. ये किताब इसी कांसेप्ट को बड़ी बारीकी से समझाने का काम करती है.


 ये किताब किसके लिए है? 
- ऐसा कोई भी जिसे सही ज़िन्दगी की तलाश हो 
- किसी भी फील्ड के स्टूडेंट्स 
- ऐसा कोई भी जिसे फिलॉसफ़ी में इंटरेस्ट हो

लेखक के बारे में 
आपको बता दें कि इस किताब का लेखन ‘Joshua Fields Millburn’और ‘Ryan Nicodemus’ ने मिलकर किया है. यही TheMinimalists.com के फाउंडर भी हैं. इस साईट का मकसद ही लोगों को minimal living के बारे में अवगत कराना है. 

इस किताब में मेरे लिए क्या है? 
आज के समय हर कोई सुकून की ज़िन्दगी चाहता है. ऐसा चाहना कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन क्या उनकी जीवन शैली भी इस ओर ईशारा करती है? ज्यादातर लोगों की लाइफ स्टाइल महंगे सामान को इकट्ठा करने में बीत रही है. उसके लिए बहुत सारे लोग बहुत ज्यादा कर्ज़ से भी परेशान हैं. अब सवाल यही उठता है कि क्या अच्छी ज़िन्दगी के लिए ज्यादा कर्ज़ होना ज़रूरी है? या फिर बहुत सारे क्रेडिट कार्ड्स के बिना कोई अच्छी लाइफ नहीं जी सकता है? इस किताब के चैप्टर्स हमें बताते हैं कि हमारी सोसाइटी को ही materialism के पीछे भागने के लिए तैयार किया गया है. मतलब साफ़ है कि अपने दिमाग और घर को महंगे सामान से भरते जाईये और आप इसी प्रोसेस को ख़ुशी का नाम देते जाएंगे. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि मटेरियल से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती है. तो अब सवाल ये उठता है कि क्या हम लाइफ के प्रति अपनी अप्रोच को बदल सकते हैं? अगर हाँ, तो कैसे.. उसका जवाब आपको इस बुक समरी में मिल जाएगा. 

आपको इन चैप्टर्स में ये भी सीखने को मिलेगा? 
-minimalism के कांसेप्ट की बारीकियां 
-minimalism क्यों ज़रूरी है? 
-लाइफ के असली मायने क्या हो सकते हैं?

बहुत ज्यादा कंज्यूमर गुड्स आपकी ख़ुशियों को छीन सकते हैं
अब आपकी मुलाक़ात एक कपल से होने वाली है, इस कपल का नाम Meet Jason  और  Jennifer Kirkendoll है. 30 साल की उम्र तक में इनके पास सबकुछ था. इनके दो बच्चे, घर, सामान, सारी सुख सुविधा इनके इर्द गिर्द ही रहा करती थीं. लेकिन इनके पास एक चीज़ की कमी थी, जिसका नाम ‘ख़ुशी’ है. 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इनके पास मटेरियल की कोई कमी नहीं थी. लेकिन इनके पास अपने परिवार के लिए बिल्कुल समय नहीं बचता था. इनके घर में इतना ज्यादा सामान हो चुका था कि इन्हें घर के ऊपर अलग से कमरा बनवाना पड़ा था. जिसमें वो एक्स्ट्रा सामान रख सकें. लेकिन एक दिन उस एक्स्ट्रा कमरे में आग लग गई और उस आग में उनके सामान के साथ घर भी जल गया. 

इस पूरी घटना में अच्छी बात ये हुई किसी इंसान को कोई नुकसान नहीं हुआ. इसी के साथ उन लोगों को मटेरियल्स से मुक्ति मिल गई. ऐसा कह सकते हैं कि उन्हें सेन्स ऑफ़ फ्रीडम का एहसास हुआ. 

ऑथर कहते हैं कि Minimalism एक आर्ट ऑफ़ लिविंग है. जिस आर्ट का मतलब ही यही है कि मस्त ज़िन्दगी कम चीज़ों के साथ कैसे जी जा सकती है? आप देख सकते हैं कि मॉडर्न वर्ल्ड में लोग चीज़ों को इकट्ठा करने को ही ख़ुशी समझ लेते हैं. अगर कोई दुखी होता है तो उसे कहा जाता है कि चलो शॉपिंग में चलते हैं? आपको पता होना चाहिए कि इस तरह का रवैया ख़ुशी का रास्ता तो बिल्कुल नहीं है. 

लोगों के मन में अक्सर एक सवाल उठता है कि आध्यात्मिकता और मटेरियलिस्टिक में क्या फर्क? दरअसल एक व्यक्ति है और दूसरी वस्तु है.. लेकिन वस्तु व्यक्ति के लिए है न कि व्यक्ति वस्तु के लिए.. व्यक्ति-व्यक्ति से प्रेम करे और व्यक्ति वस्तु का उपयोग करना सीखे, इससे समाज स्वस्थ रहेगा. पर आज समाज में इसकी परिभाषा बदल गई है.

 आज व्यक्ति-व्यक्ति का उपयोग करता है और वस्तु को प्रेम करता है. इसलिए उसमें भौतिकतावाद की गंध आ रही है. इंसान मिटकर पदार्थ बन गया है. पैसा उसके सिर चढ़कर बोल रहा है.

अब पैसे वालों के बेटे नहीं होते, वारिस होते हैं. पैसे वालों से मेरा अभिप्राय है- जैसे-तैसे या किसी भी तरीके से धनी बन जाना. अपने शास्त्रों में पुत्र शब्द का भावार्थ है- जो नर्क से तारे वह पुत्र. जिस पिता ने गलत तरीके से धन एकत्रित किया, उसके वारिस पिता को तो तारेंगे ही नहीं और वह खुद का भी कल्याण नहीं करेंगे.

वर्तमान समाज भौतिकता में जकड़कर ठस हो गया है. जहां तक नजर जाती है, हर क्षेत्र में जड़ता फैल रही है. जबकि आध्यात्मिकता में दिखावा नहीं है. आध्यात्मिक इंसान प्रदर्शनवादी या सुविधाभोगी नहीं होता. वह खुद के उत्थान के साथ-साथ समाज को जोड़ने की बात करता है। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहता है.

बहुत ज्यादा कंज्यूमर वादी लाइफ स्टाइल जीने से कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. उनमें से सबसे बड़ी दिक्कत कर्ज़ में फंसना है. लोग ज्यादा शॉपिंग के चक्कर में बड़े से बड़ा कर्ज़ लेने लगते हैं. उस कर्ज़ का बुरा असर उनके मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. इसलिए हमें अपनी ज़रूरतों को समझना चाहिए, हमें पता होना चाहिए कि असलियत में हमारी ज़रूरत क्या है? हमेशा अपनी लाइफ को अपने हिसाब से डिज़ाइन करने की कोशिश करिए. 

बेकार की शॉपिंग को रोकने से आपका बहुत पैसा और समय बच जाएगा, उसे आप कोई नई स्किल्स सीखने में खर्च करिए. और बचे हुए समय को अपने परिवार के साथ साझा करिए.

सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार रहिए
ऑथर Joshua Fields Millburn अपनी ज़िन्दगी की बातें शेयर करते हुए बताते हैं कि बाहर से देखने में उनकी लाइफ बहुत अच्छी थी. उनके पास अच्छी नौकरी थी, जिसमें उन्हें खूब पैसे भी मिल रहे थे. 

उनके पास अच्छी लोकेशन में घर भी था और उन्होंने अपने बचपन के प्यार केरी से शादी भी कर ली थी. लेकिन उन्हें एहसास होता था कि कुछ तो मिसिंग है. उन्हें पता चला कि उनकी रिलेशनशिप सही नहीं है. 

वो केरी से प्यार तो करते थे, लेकिन दोनों इंसान की शख्सियत बिल्कुल अलग-अलग थी. जिसकी वजह से समय के साथ दोनों के बीच की दूरियां और ज्यादा बढ़ चुकीं थीं. 

दोनों को पता था कि ये सच है, लेकिन दिक्कत इस बात की थी कि दोनों ही इस सच्चाई का सामना नहीं करना चाहते थे. जिसकी वजह से चीज़ें और ज्यादा खराब होने लगीं थीं. और उनकी शादी डायवोर्स तक पहुँच गई. 

ऑथर कहते हैं कि अगर आपके दिमाग में भी पुरानी यादें पड़ी हुईं हैं. तो minimalism कांसेप्ट की मदद से उन्हें बाहर फेंकने का वक्त आ चुका है. जिस तरह घर में पड़े पुराने समान घर को गंदा करते हैं. उसी तरह दिमाग की यादें भी आपको पीछे की ओर खींचने का काम करती हैं. इसलिए खुद को पुरानी यादों से दूर करने का काम शुरू कर दीजिए.

छोटी-छोटी ख़ुशियों को एन्जॉय करना सीखिए
Rob BellऔरSam Harris दो अलग-अलग नेचर के इंसान हैं. अधिकत्तर टॉपिक में दोनों की मानसिकता मेल नहीं खाती हैं. जहाँ बेल अध्यात्मिक किस्म का इंसान है, उसकी गॉड के ऊपर घोर श्रद्धा है, वहीं हैरिस पूरी तरह से नास्तिक है और पेशे से neuroscientist है. 

दोनों ही गज़ब के थिंकर्स हैं, दोनों के अपने मज़बूत ओपिनियन भी रहते हैं. लेकिन एक टॉपिक पर दोनों की सोच एक ही तरह की है. वो ये है कि इंसान की ख़ुशी उसके mindfulness पर डिपेंड करती है. मतलब साफ़ है कि जिसे the art of appreciating life अच्छी तरह से आती है. वो इंसान कम चीज़ों में भी काफी खुश रह सकता है. इंसान को हर छोटे से छोटे मोमेंट्स को भी appreciate करना चाहिए. 

दूसरी ओर ये बात भी सच है कि ये चीज़ बिल्कुल भी आसान नहीं है. ऐसा करने के लिए आपके दिमाग में स्पेस होना चाहिए, वो स्पेस तभी आएगा जब आप फ़ालतू की चीज़ों को अपने दिमाग से बाहर निकालेंगे. इसलिए इन्सान को बीच-बीच में अपने दिमाग की सफाई करते रहना चाहिए. 

इसलिए ऑथर कहते हैं कि minimalist lifestyle अपनाने से इंसान का पूरा एटीट्यूड चेंज हो जाता है. तब आपको पता चल जाता है कि लाइफ में पब से ज्यादा एजुकेशन मायने रखता है. इसी के साथ आपको ये भी एहसास होता है कि एजुकेशन का मतलब केवल डिग्री हासिल करना ही नहीं बल्कि तालीम और ज्ञान हासिल करना होता है. जिसके लिए महंगी फीस की ज़रूरत नहीं बल्कि अच्छी किताबों की ज़रूरत होती है. इसलिए आज से ही इस बात को समझ लीजिएगा कि आपको सफल डिग्रियां नहीं बल्कि आपका ज्ञान बनाएगा. इसलिए ज्ञान हासिल करने की कोशिश करिए.

वैल्यूज़ को समझने की शुरुआत कर दीजिए
याद रखिएगा कि Abraham Lincoln ने भी कहा था कि “अपने भविष्य के बारे में सबसे अच्छा अनुमान उसे क्रिएट करके ही लगाया जा सकता है.”

एक सच्चाई है कड़वी है लेकिन सच्चाई है, वो ये है कि लैक ऑफ़ वैल्यू सिस्टम  की वजह से मैकडोनल्ड ब्रदर्स अपने रेस्त्रां की एक फ्रेंचचाईजी नहीं खोल पा रहे थे. उसी मैकडोनल्ड रेस्त्रां को RAY KCROCK  ने लीडरशिप वैल्यूज की मदद से 119 देशों तक फैला दिया. आज के समय में मैकडोनल्ड की 31हज़ार से ज्यादा फ्रेंचचाईजी हैं. ऐसा बस इसलिए हो पाया है क्योंकि RAY को वैल्यूज सिस्टम के बारे में अच्छे से पता था. 

इस बारे में ऑथर कहते हैं कि “आप जीवन में जितनी ज्यादा सफलता हासिल करना चाहते हैं, आपको उतनी ज्यादा वैल्यू सिस्टम  की ज़रूरत पड़ेगी. इसलिए आज से ही समय को बर्बाद करना बंद करिए और वैल्यूज़ के गुणों को सीखना शुरू करिए.”

चलिए इमैजिन करिए, मान लीजिए कि आप ठाठ से सोफे में बैठकर ड्रिंक कर रहे हैं. साथ ही साथ आप सोशल मीडिया भी स्क्रॉल कर रहे हैं. आप थोड़े नशे में हैं, तभी आपको एक शॉपिंग की एड नज़र आती है. और आप नशे में ही काफी ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं. 

एक स्टडी बताती है कि हाल ही के सालों में 79 परसेंट एडल्ट्स ड्रंक स्टेट में शॉपिंग करते हैं. मतलब साफ़ है कि शराब हमारे फैसलों को कंट्रोल करने लगी है. अब सवाल ये भी उठता है कि क्या हमारा कंट्रोल हमारे ऊपर ही नहीं है? 

लाइफ को मीनिंगफुल बनाने का सिम्पल सा रूल यही है कि अपने फैसलों को वैल्यूज के आधार पर लेना चाहिए. अगर हम अपनी वैल्यूज को नज़रंदाज़ करना शुरू कर देंगे, तो हमारी लाइफ भी हमें नजरंदाज़ करने लगेगी. इसलिए हमेशा अपनी वैल्यू सिस्टम की इज्ज़त करना सीखिए.

अपने पैसों को मैनेज करना सीखिए और कर्ज़ से मुक्ति पाने की कोशिश करिए
मान लेते हैं कि रिया एक 26 साल की स्मार्ट युवा लड़की है. जो एक न्यूज फैक्ट चेकिंग एजेंसी के लिए काम करती है. कंपनी से उन्हें अच्छी सैलरी भी मिलती है. 

रिया अपनी सैलरी का ज्यादातर हिस्सा बाहर घूमने में, महंगे रेस्टोरेंट में खाना खाने और दोस्तों के साथ क्लब में पार्टी करने में खर्च कर देती है. महीने का अंत आने तक उनके अकाउंट में पैसे नाम मात्र के रहते है.

रिया अब इस बात को लेकर चिंतित रहती है कि अगर उसकी खर्च करने की स्थिति इसी तरह रही तो आने वाले भविष्य में उनका क्या होगा. 

रिया को अब समझ में नहीं आ रहा है कि उसे अपने पैसे को कैसे मैनेज करना चाहिए ताकि वह अपनी लाइफ को भी इंजॉय कर सके और फाइनेंशियल सिक्योरिटी भी बना रहे.

ये कहानी केवल रिया की नहीं है, बल्कि आज के समय अधिकत्तर युवाओं की है. तो आइए जानते हैं वह कुछ तरीके जिससे आप अपने पैसे को अच्छे से मैनेज करते हुए. अपनी लाइफ को एंजॉय कर सकते हैं.

अगर आप कुछ महीने पहले ही पैसा कमाना शुरू किया है. साथ ही आप अकेले रहते है. जिस वजह से आपको मंथली खर्च जैसे घर का किराया बिजली पानी का बिल, खाने पर खर्च, यात्रा भाड़ा का खर्च भी आवश्यक रूप से उठाना पड़ता होगा. देखा जाए तो आपकी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इन जरूरी खर्च में चला जाता है. आपको ध्यान रखने वाली बात यह है कि इन खर्चों के अलावा आप उन अनावश्यक बड़े खर्च को न कीजिए.जो आपके लिए जरूरी न हो. जैसे यात्रा करने के लिए महंगी गाड़ी खरीदना, महंगे अपार्टमेंट्स में रहना आदि को टाल दें. जब तक की ये बहुत जरूरी आपके लिए न हो जाएं.

दूसरी सलाह कमाने वाले युवाओं को यह है कि वह अपने रोजमर्रा के जीवन में होने वाले छोटे खर्चे पर ध्यान दें. हो सके तो अपने छोटे खर्चों को मंथली ट्रैक करें. ट्रैक करने के बाद देखें कि आपका मंथली खर्च कितना हो रहा है. उसके बाद उन खर्चों को बंद करने का प्रयास करें. छोटे खर्च को ट्रैक करने की आदत आपको बड़े सेविंग के रूप में दिखेगा.

इसी के साथ ऑथर सलाह देते हैं कि अगर आप कर्ज़ से परेशान हैं. तो आपको पैसों के साथ अपनी रिलेशनशिप को बेहतर करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए. खर्चों पर कंट्रोल करिए और सेविंग्स पर ध्यान बढ़ा दीजिए. जैसे ही आप सेविंग और इन्वेस्टमेंट मोड ऑन करेंगे, आपकी लाइफ ट्रैक में आने लगेगी.

इसी के साथ ध्यान रखिएगा कि आजकल के बैंक बड़ी ही आसानी से क्रेडिट कार्ड अपने ग्राहकों को उपलब्ध करवाते हैं. जिस वजह से युवा अपने पास कई सारे बैंक के क्रेडिट कार्ड रखे रहते हैं. जिसका इस्तेमाल वह अपने रोजाना के अनावश्यक खर्चों के भुगतान के लिए करते हैं. जिस वजह से महीने के अंत में उनके पास बड़ा क्रेडिट कार्ड का बिल आ जाता है. हाल में नौकरी शुरू किए हुए युवा को क्रेडिट कार्ड लेने से बचना चाहिए.

अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ाने की कोशिश करिए
अपने दिमाग को आदेश दीजिए कि किसी क्रिएटिव पर्सन के बारे में सोचे, आपके दिमाग में किसकी तस्वीर आ रही है? वो तस्वीर किसी भी बड़े कलाकार, पेंटर, डांसर या फिर किसी जादूगर की भी हो सकती है. 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आर्टिस्ट क्रिएटिव होते हैं. लेकिन ये बात भी सच है कि केवल आर्टिस्ट ही क्रिएटिव होंगे, ऐसा कहीं लिखा नहीं है. आप भी क्रिएटिव हो सकते हैं. 

अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि आखिर क्रिएटिव इंसान कौन होता है? इसका सीधा सा जवाब है कि कोई भी जो किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करता हो और दूसरों की लाइफ में वैल्यू एड करने की कोशिश करता हो. वो इंसान क्रिएटिव हो सकता है. 

क्रिएटिविटी के लिए आपको किसी डिग्री की ज़रूरत नहीं है. ये आपके अंदर की चीज़ है. इसके ऊपर काम करने से आपकी लाइफ में काफी खुशियाँ भी आ सकती हैं. 

ऑथर समझाते हुए कहते हैं कि जब हम कहते हैं कि ‘वो इंसान बहुत क्रिएटिव है’ तो इससे जयादातर यही मतलब निकलकर आता है कि उस इंसान की आर्ट और कला में काफी अच्छी समझ और रुचि है. लेकिन क्रिएटिव होने का अर्थ केवल इतना ही नहीं होता। क्रिएटिविटी या रचनात्मकता की परिभाषा इससे काफी बड़ी है.

दरअसल क्रिएटिव या रचनात्मक होना हमारी सोच पर निर्भर करता है और ऐसी सोच वाले हमारे आसपास कई लोग हो सकते हैं. लेकिन अगर आपको यह परखना हो कि आपने सामने वाला व्यक्ति या आप स्वयं ही कितने क्रिएटिव हैं तो चलिए आपको रचनात्मक लोगों के बारे में कुछ बातें बताते हैं.

रचनात्मक सोच वाले लोग किसी भी काम को करने से पहले घड़ी की ओर नहीं देखते हैं. काम को सही समय से पूरा करना एक अच्छी आदत होती है, लेकिन क्रिएटिव लोग हर काम को अपनी सहूलियत के अनुसार और समय लेकर करते हैं. ये लोग वक्त के पीछे कभी नहीं भागते हैं. 

किसी के साथ बैठे हुए भी उसके साथ नहीं होना, यानि ख्याली पुलाव बुनते हुए ना जाने कहां पहुंच जाते हैं क्रिएटिव दिमाग वाले लोग.. क्या आप भी ऐसा करते हैं?

हम सभी ने इस बात को ओब्सर्व किया होगा कि जब से इंटरनेट ने दस्तक दी है. तब से दुनिया में बड़ी तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं. साथ ही साथ आपको शायद ही ऐसा कोई देखने को मिले, जिसकी दुनिया को इंटरनेट ने नहीं छुआ हो. 

इसलिए इस नए जमाने को ओल्ड वर्ल्ड प्लस इंटरनेट कहना सही नहीं होगा बल्कि ये पूरा न्यू वर्ल्ड बन चुका है. इसलिए किसी को ये जानकर ताज्जुब भी हो सकता है कि आज के समय के इस डिजिटल युग ने ह्युम्न बॉडी की बेसिक चीज़ क्रिएटिविटी के मायनों को भी पूरी तरह से बदल दिया है. जी हाँ, डिजिटल युग में क्रिएटिविटी  की ORIGINALITY  बदल चुकी है.

इसलिए अगर हमें अपने अंदर की क्रिएटिविटी को फिर से ज़िन्दा करना है. तो हमें कुछ वक्त के लिए खुद को इस डिजिटल वर्ल्ड से दूर करना होगा और बेसिक लाइफ स्टाइल की तरफ लौटना होगा. 

बेसिक लाइफ स्टाइल को याद करते हुए ऑथर अपने बचपन की पुरानी यादों में चले जाते हैं और बताते हैं कि “बहुत अच्छा हुआ कि जब मैं बचपन के दौर से गुज़र रहा था. तो हर घर में इंटरनेट नाम का जादू मौजूद नहीं था. इसका ये कत्तई मतलब नहीं है कि मैं किसी और ज़माने का हूँ.. आपको बता दूं कि मेरी उम्र अभी 34 साल ही है. लेकिन जब मैं बच्चा था तो हर घर में इंटरनेट नहीं हुआ करता था. इसलिए मैं और मेरे समय के बाकी लोग ये कह सकते हैं कि हम किसी और दुनिया में बड़े हुए थे..” 

जब हम बड़े हो रहे थे तब लोग चिट्ठी लिखा करते थे, तब लोग एक दूसरे के घर में त्यौहार मनाने जाया करते थे. तब के बच्चों की दोस्ती पूरे मोहल्ले के बच्चों से हुआ करती थी. हाँ, तब टीनेजर्स भी हुआ करते थे और वो मोहब्बत भी करते थे. लेकिन उनकी मोहब्बत किसी ब्लू टिक की मोहताज नहीं रहती थी. 

इसलिए किसी ने बहुत ख़ूब कहा है कि “डाकिए के हाथों से लिया गया ख़त, व्हाट्स अप के ब्लू टिक पर हमेशा भारी रहेंगे..”

अपना समय सही और पॉजिटिव रिलेशनशिप में खर्च करिए
हर good minimalist जानता है कि ज़िन्दगी में किस चीज़ की कितनी ज़रूरत है? उसे इस बात का अंदाजा रहता है कि लाइफ में रिलेशनशिप का भी बहुत बड़ा रोल होता है. 

भले ही वो सेक्सुअल या रोमांटिक रिलेशनशिप हो या फिर पारिवारिक रिश्ते हों, हर रिलेशनशिप की बुनियाद मज़बूत और विश्वास भरी होनी चाहिए. 

इसलिए ऑथर सलाह देते हैं कि हमें अच्छे रिश्तों का चुनाव करना चाहिए, कभी भी जल्दबाजी में आकर अपने लाइफ पार्टनर का चयन नहीं करना चाहिए. क्योंकि पॉजिटिव रिलेशनशिप हमारी लाइफ को बेहतर दिशा दे सकते हैं. 

अगर आपको भी minimalist के तौर पर बेहतर लाइफ का चुनाव करना है तो आज से ही अपने रिश्तों पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए. कभी भी ऐसे रिश्तों को मत बनाइए जिनकी बुनियाद ही कमजोर हो. 

एक लाइन की टिप है कि अपना समय सही और पॉजिटिव रिलेशनशिप में खर्च करिए..इससे आपकी लाइफ में 360 डिग्री बेहतर बदलाव आएंगे.

कुल मिलाकर
कई लोगों के लिए पूरी ज़िन्दगी ही शॉपिंग बैग में समाई हुई होती है. लेकिन आपको समझना चाहिए कि ये लाइफ शॉपिंग बैग से बहुत अच्छी और बड़ी है. इसलिए इसकी खूबसूरती को पैसों के नज़रिए से मत तौलियेगा. खुले दिल से इस लाइफ को जीने की कोशिश करिए और खुश रहिए. 

क्या करें? 

खर्चा कम करिए क्योंकि कम चीज़ों के साथ भी लाइफ को ख़ूबसूरत बनाया जा सकता है. याद रखिए कि इस दुनिया से कोई भी कुछ नहीं साथ लेकर जाएगा. इसलिए पैसों के लिए लोगों से लड़ना बंद कर दीजिए. 

 

येबुक एप पर आप सुन रहे थे Love People, Use Things By Joshua Fields Millburn, Ryan Nicodemus

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