Fast Burn!.......... ___

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Fast Burn!

Ian K. Smith, MD
इंटरमिटेंट फास्टिंग पर एक नया नजरिया

दो लफ्जों में
साल 2021 में आई ये डाइटिंग गाइड वाकई आपको नतीजे दिखाती है। इसमें इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर ऐसा तरीका बताया गया है जिसको अपनाकर आप खुद में अनोखा बदलाव देख सकते हैं। 

  ये किताब किनको पढ़नी चाहिए?
• जो लोग फिटनेस को लेकर बहुत चौकन्ने रहते हैं
• जो लोग डाइटिंग करके थक चुके हैं पर उनको कोई फायदा नहीं हुआ
• हर वो इंसान जो इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में जानना चाहता है 

लेखक के बारे में
इयान ने शिकागो यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की डिग्री ली है। वे पॉप्युलर टीवी शो द डॉक्टर्स की होस्टिंग करते हैं और अब तक 16 किताबें लिख चुके हैं। द क्लीन 20, SHRED और द फैट स्मैश डाइट इनकी सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में शामिल हैं।

अच्छी सेहत के लिए सही मात्रा में अच्छी फैट की जरूरत भी होती है।
अगर आपने कभी भी डाइटिंग की है तो आपको पता होगा कि इस समय इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन है।  लेकिन इतने सारे अलग-अलग तरीकों की वजह से ये समझना मुश्किल हो सकता है कि कहां से शुरुआत करें। डॉ इयान स्मिथ आपको रास्ता दिखा सकते हैं। ये किताब इयान के खुद आजमाए तरीकों और इंटरमिटेंट फास्टिंग के पीछे छिपे साइंस को ध्यान में रखकर लिखी गई है। एक ऐसा तरीका जिसमें खाना खाने का सही समय तय किया जाता है। आप सीखेंगे कि ये रूटीन आपकी लाइफस्टाइल में कैसे फिट हो सकता है और आप कैसे इसमें महारत हासिल कर सकते हैं। 

इससे पहले कि हम शुरुआत करें हम ये बताना चाहते हैं कि इस किताब में हेल्थ और डाइट की एडवाइस दी गई है। अपने खानपान के तरीके में बड़े बदलाव करने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। 

इस समरी में आप जानेंगे कि कुछ फैट्स अच्छे क्यों होते हैं? हमारे पूर्वजों का फास्टिंग का तरीका बेहतर क्यों था? और एक परफेक्ट स्मूदी कैसे बनाएं?

तो चलिए शुरू करते हैं!

आप फैट के बारे में क्या जानते हैं? आप मीट के टुकड़ों में लिपटी फैट देख सकते हैं। आप ये भी समझते हैं कि ये मिल्कशेक और चॉकलेट की मिठास में भी छिपी है। आप ये भी जानते हैं कि आपके शरीर पर जमी फैट कैसी दिखती है। हमारी स्किन के नीचे भी फैट की एक लेयर होती है और ये अक्सर हमारे पेट, जांघों और बाहों के आसपास जमा हो जाती है। आपके लिए फैट का मतलब इनमें से जो कुछ भी हो हमें जीने के लिए फैट की जरूरत होती है। लेकिन फैट भी अलग तरह के होते हैं और इनका फर्क जानना डाइटिंग करने वाले किसी भी इंसान के लिए जरूरी है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के अलावा फैट उन तीन बड़े पोषक तत्वों में से एक है जिसकी जरूरत मनुष्यों को जीवित रहने के लिए होती है। इसलिए हमारा शरीर फैट के लिए ललचता भी है और इसका स्वाद आमतौर पर इतना अच्छा लगता है। जब हम फैट खाते हैं तो हमारा दिमाग डोपामाइन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज करता है जो हमें खुश होने का एहसास दिलाता है। लेकिन ये तो बस ऊपरी बात है। फैट की कहानी इतनी भी आसान नहीं है। 

फैट को चार तरह से बांटा गया है। मोनोअनसैचुरेटेड फैट, पॉलीअनसेचुरेटेड फैट, सैचुरेटेड फैटऔर ट्रांस फैट। मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैट को कभी-कभी "गुड फैट" कहा जाता है क्योंकि ये शरीर को हेल्दी रखने में मदद करते हैं जैसे inflammation और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करना। इस तरह की फैट सोयाबीन और ऑलिव ऑयल, सब्जियों, मेवे, सीड्स और मछली में पाई जाती है। जबकि सैचुरेटेड और और ट्रांस फैट इनसे बिल्कुल अलग हैं। इनको नुकसानदायक माना जाता है क्योंकि इनका डाइजेशन भी मुश्किल होता है और ये शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं जिसे कभी-कभी "बैड कोलेस्ट्रॉल" भी कहा जाता है क्योंकि ये समय के साथ आपकी ब्लड वैसल्स में जमकर दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है। बीफ, चिकन, लैंब, डेयरी प्रोडक्ट्स और नारियल जैसे तेलों में सैचुरेटेड फैट पाए जाते हैं। ट्रांस फैट आमतौर पर आर्टिफिशल होते हैं और ये हाइड्रोजनेटेड तेलों में पाए जाते हैं जिनको प्रोसेस्ड फूड्स में इस्तेमाल किया जाता है। 

जब आप फैट खाते हैं तो शरीर तो इसे अपनी जरूरत के लिए इस्तेमाल कर लेता है या फिर इसे फैट सेल्स में जमा कर देता है ताकि ये आने वाले कल में एनर्जी रिजर्व का काम करे। अगर आप जरूरत से ज्यादा फैट लेते हैं  तो ये सेल्स फैलती हैं जिससे वजन बढ़ता है। वजन को सही रखने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप जितनी कैलोरी खर्च करते हैं उससे कम इनटेक करें।  इस तरह आपका शरीर उस स्टोर की गई फैट को फ्यूल की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। आगे जानिए इसका सही तरीका क्या है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग की वजह से हमारा शरीर खानपान के रूटीन का आदी हो जाता है।
दुनिया के बहुत से लोगों के लिए जब चाहें तब खाने की अनगिनत वेरायटी मौजूद है। सही मायनों में कहा जाए तो जरूरत से ज्यादा ही मौजूद है। हमारे फ्रिज और किचन तरह-तरह के स्नैक्स से भरे हुए हैं। हर शहर की हर गली में रेस्तरां और किराना स्टोर मिल जाते हैं। अगर आपको बाहर से कुछ लाने में आलस महसूस होता हो  तो आप एक क्लिक करके अपने दरवाजे पर मनचाहा भोजन मंगवा सकते हैं। अब इस सुविधा की तुलना आदिकाल के लोगों की लाइफस्टाइल करें। उनके लिए भोजन का तरीका शिकार ही था। यानि जरूरत के मुताबिक भोजन रोज मिल जाए इसकी गारंटी नहीं थी और कभी-कभी तो बिल्कुल भी नहीं मिलता था। इस वजह से हमारा शरीर इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए ही इवॉल्व हुआ। हमारा शरीर सबसे अच्छी तरह तब काम कर सकता है जब उसमें लगातार खाना ठूंसा न जाए। इंटरमिटेंट फास्टिंग के पीछे भी यही थ्योरी काम करती है। इसे IF भी कहा जाता है। 

ये एक तरह का अभ्यास है जहां आप अपने खाने का सही समय और गैप तय करना सीखते हैं। इसकी जड़ें इतिहास में गहरी जुड़ी हुई हैं और आज के दौर में ये वजन कम करने और फिट रहने के लोकप्रिय तरीकों के रूप में फिर से उभरी है। IF के कई तरीके हैं और इनमें से कुछ दूसरों की तुलना में ज्यादा अच्छे साबित होते हैं। IF का सबसे बुनियादी रूप समय के हिसाब से खाना है यानि Time Restricted Feeding. TRF पर चलने वाले लोग दिन को दो भागों में बांटते हैं। पहला जब खाना खाया जाता है और दूसरा जब फास्ट किया जाता है। TRF के लिए एक आम प्रेक्टिस 12:12 है। यहां भोजन और फास्ट दोनों की विंडो 12 घंटे की होती हैं। इस नियम के हिसाब से अगर आपने पहला निवाला सुबह 8 बजे खा लिया है तो आप रात 8 बजे के बाद भोजन नहीं करते हैं। जो लोग थोड़ा सख्त रूटीन फॉलो करते हैं वो इस गैप को 14, 16 या 18 घंटे तक बढ़ा लेते हैं। 

IF के दूसरे फॉर्म में खाने के अलग-अलग शेड्यूल बनाना शामिल है। जैसे कि 5:2 मॉडल में आप हफ्ते में पांच दिन नियमित रूप से भोजन करते हैं लेकिन लगातार दो दिन की फास्टिंग में बस 500 कैलोरी लेते हैं। एक और तरीका है हर दूसरे दिन कैलोरी की लिमिट तय करना या हफ्ते में एक दिन पूरे 24 घंटे का फास्ट करना। इनमें से हर तरीका अपने साथ हेल्थ बेनिफिट लाता है जिनमें से एक है वजन कम करना। आप जो खाना खाते हैं वो आपके शरीर को फंक्शन करने की एनर्जी देता है। फास्टिंग के दौरान जब शरीर को एनर्जी नहीं मिलती है तो उसे अपना रिजर्व इस्तेमाल करना पड़ता है। आप जितनी ज्यादा देर तक फास्ट रखेंगे आपका शरीर फैट को एनर्जी के सोर्स के रूप में उतना ही ज्यादा इस्तेमाल करेगा। आगे हम डीटेल में एक इंटरमिटेंट फास्टिंग का शेड्यूल तैयार करेंगे जो आपके काम आ सकता है।

IF के हिसाब से खुद को तैयार करने के लिए चार हफ्ते वाले इग्नीशन प्रोग्राम से शुरुआत करें।
स्टडीज से ये पता चला है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फायदे हैं जैसे वजन कम करना, दिमाग की ताकत बढ़ाना और इन्फ्लामेशन कम करना। ये सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है। पर आपको शुरुआत कहां से करनी है? ये नौ हफ्ते का प्रोग्राम होगा जिसमें TRF,  5:2 का नियम और एक्सरसाइज शामिल होगी। ये सब चार हफ्ते के इग्नीशन से शुरू होता है जिसे इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि आपका शरीर IF के लिए खुद को तैयार कर सके। इसके बाद एक हफ्ते का ब्रेक और चार हफ्ते की मुश्किल प्रेक्टिस होती है। पहले तो ये नौ हफ्ते बहुत मुश्किल लग सकते हैं लेकिन अगर आप इस रूटीन के साथ बने रहते हैं तो आप आसानी से IF लाइफस्टाइल की आदत डाल लेंगे और खुद में बदलाव  देखेंगे। फास्ट बर्न प्रोग्राम का इग्निशन पीरियड आपके लिए IF लाइफस्टाइल को आसान बना देता है। 

पहले दो हफ्तों के लिए 12:12 TRF शेड्यूल के साथ शुरू करें। यानि 12 घंटे की फीडिंग विंडो और 12 घंटे की फास्टिंग विंडो। फीडिंग विंडो के दौरान अपने भोजन को ध्यान से चुनें और दो मील्स के बीच एक समान गैप रखें। पहले दो हफ्तों तक एक हफ्ते में लगभग चार बार 30 मिनट की हल्की फुल्की कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज करें वो भी खास तौर पर फास्टिंग विंडो के दौरान। तीसरे हफ्ते तक आपका शरीर 12:12 शेड्यूल के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाना चाहिए। इसलिए अब रूटीन को थोड़ा सख्त बनाने का वक्त आ जाता है। इस हफ्ते फीडिंग विंडो को थोड़ा छोटा कर दें ताकि आप 10:14 के शेड्यूल पर आ जाएं। इसी तरह आसान और धीमी एक्सरसाइज से थोड़ी मुश्किल और तेज एक्सरसाइज शुरू कर दें। इस हफ्ते सिर्फ एक दिन की छुट्टी करें। 

चौथे हफ्ते भी अपना 10:14 शेड्यूल जारी रखें। अब तक आपको फास्टिंग विंडो की और ज्यादा आदत पड़ जाएगी। इस हफ्ते आपको भोजन की चॉइस भी बदलनी है जैसे किसी दिन सामान्य भोजन और किसी दिन प्लांट बेस्ड डाइट। इस तरह के भोजन से आपको जरूरी पोषक तत्व मिलते रहेंगे। इग्नीशन पीरियड के दौरान  अपनी शुरुआत और स्टॉप टाइम को जितना हो सके उतना फिक्स रखने की कोशिश करें और अपने पहले भोजन से कम से कम दो घंटे पहले उठ जाएं। अगर  आपको फास्टिंग विंडो के दौरान खाना पड़ जाए तो कुछ ऐसा हल्का नाश्ता लें जिसमें 50 से कम कैलोरी हो। ढेर सारा पानी पीने से भी खाने की इच्छा कम या खत्म करने में मदद मिल सकती है। इस हफ्ते बस यही करें। अब बारी है अगले थोड़े मुश्किल हफ्तों के लिए खुद को तैयार करने की यानि ब्रेक वाला हफ्ता।

इस छुट्टी वाले हफ्ते का इस्तेमाल आराम और रिचार्ज होने के लिए करें।
अब तक आप ने फास्ट बर्न प्रोग्राम का इग्नीशन टाइम पूरा कर लिया है। पिछले चार हफ्तों में आपने अपने शरीर को खानपान और एक्सरसाइज के एक फिक्स रूटीन की झलक दिखा दी है। उम्मीद है कि अब आप पहले से ज्यादा शांत हो रहे हैं। आपके खाने की ललक कम हो रही है और आपको बेहतर महसूस होने लगा है। अब आप IF की धीमी रफ्तार को तेज करने के लिए  तैयार हो सकते हैं। हालांकि ये भी ध्यान रखिए कि एकदम से स्पीड नहीं पकड़नी है। इससे आपको फायदे की जगह नुकसान ही होगा। इसलिए आगे दौड़ लगाने की जगह पांचवा हफ्ता आराम कीजिए। ये वो हफ्ता है जब आप शरीर और दिमाग को कुछ आराम देते हैं ताकि ज्यादा मेहनत करने से पहले वो तैयार हो जाएं। लेकिन इस ब्रेक वाले हफ्ते में भी आपके सामने कोई बहुत नई वेरायटी का खानपान या बदलाव नहीं होता है। आपको उसी पर टिके रहना चाहिए जिससे इग्नीशन वाले हफ्तों में आपको फायदा हुआ था। आप 12:12 TRF वाला शेड्यूल फॉलो कर सकते हैं या अगर आप चाहें तो इससे थोड़ा मुश्किल यानि 10:14 वाला शेड्यूल बनाए रख सकते हैं। इस हफ्ते पांच बार एक्सरसाइज करनी है और तीसरे और छठे दिन आराम करना है। 

इस दौरान ये भी देखते रहें कि IF से आपको कोई फायदा भी हुआ है या नहीं। इसके बाद का पूरा फास्ट बर्न प्रोग्राम इस पर आधारित है कि हर हफ्ते क्या खाना चाहिए। आपको सब यही कहेंगे कि तय की गई गाइडलाइन्स पर चलिए लेकिन अपने मुताबिक थोड़ा बदलाव करने का स्कोप हमेशा रहेगा। कुछ खास बातें हमेशा याद रखें। हाई कैलोरी जंक फूड जैसे कोल्ड ड्रिंक, सफेद पास्ता, आलू, चीनी और हाई स्टार्च वाली चीजों से बचें। आपकी ईटिंग विंडो सही होने के बाद भी ये चीजें आपका काम बिगाड़ देंगी। फास्ट बर्न प्रोग्राम में अच्छी तरह कसरत करना भी शामिल हैं लेकिन इसे भी आपकी जरूरत के हिसाब से बदला जा सकता है। ये ध्यान दीजिए कि आपको कौन सी एक्सरसाइज अच्छी लगी और किनसे आपको दर्द या तकलीफ हुई। अगर आप जिम जा सकें तो स्टेयर क्लाइंबर, ट्रेडमिल और रोइंग मशीन जैसी मशीनें अच्छी रहेंगी। अगर ये न मिल पाएं तो रस्सी कूदना, जॉगिंग करना या लंबी सैर जैसे आसान तरीके भी हैं। जरूरी बात ये है कि आपको एक्टिव रहना है। यहां से आगे बढ़ने पर मुश्किल और बढ़ती जाएगी इसलिए शरीर से मिलने वाले सिग्नल्स समझना जरूरी है। ब्रेक के दौरान आप कैसा महसूस कर रहे हैं इस पर ध्यान दें ताकि आप प्रोग्राम के आखिरी स्टेप में होने वाले किसी भी तरह के बदलाव को अच्छी तरह समझ पाएं। अब देखते हैं अगले चार हफ्तों में क्या करना है।

अब चार हफ्ते के सख्त रूटीन की मदद से इंटरमिटेंट फास्टिंग की स्पीड बढ़ानी है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई छोटी मोटी रेस नहीं है। ये एक मैराथन है। मैराथन की तरह इसमें भी सेकंड हाफ पार करना पहले से ज्यादा मुश्किल होता है। इसके लिए आपको ज्यादा ताकत, ज्यादा एफर्ट और पक्के इरादे की जरूरत होती है। लेकिन ये आखिरी के चार हफ्ते आपको सबसे ज्यादा और अच्छे नतीजे भी देते हैं। फास्टिंग का समय बढ़ाकर और अपने खानपान पर ज्यादा ध्यान देकर आप अपने शरीर को फिर से उस दिशा में ले जाते हैं जहां ये एनर्जी के लिए फैट का इस्तेमाल करे। इन हफ्तों में 5:2 प्लान  भी शामिल है जो आपके शरीर को यहां तक पहुंचने के लिए तैयार करेगा। अब क्या आप फिनिश लाइन छूने के लिए तैयार हैं? चार हफ्तों का ये समय फास्ट बर्न प्रोग्राम का सबसे मुश्किल हिस्सा है। पिछले पांच हफ्तों में आपने जो सीखा और जो प्रेक्टिस की ये उससे आगे का रास्ता है। इसकी शुरुआत छठे हफ्ते से होती है। ये री लोड फेज है। इस हफ्ते आपको 10:14 वाला TRF शेड्यूल बनाए रखना है और रोज 30 से 45 मिनट कसरत करनी है और सिर्फ छठे दिन आराम करना है। 

सातवां हफ्ता फिर से मिला जुला हफ्ता है। यानि इसमें भी आपको अलग-अलग तरह के खानपान पर ध्यान देना है। इन सात दिनों के दौरान भी 10:14 का शेड्यूल ही रहेगा पर अपने भोजन में प्लांट बेस्ड डाइट को ज्यादा इस्तेमाल करें। पत्तेदार साग जैसे केल, पालक और चार्ड लें और साबुत अनाज जैसे कि क्विनोआ, फेरो और ब्राउन राइस का सेवन करें। अगर आपको कुछ मीठा खाने का मन हो तो फल और मेवे बढ़िया ऑप्शन हैं। आठवां हफ्ता है स्ट्रेच का जहां चीजें सच में मुश्किल हो जाती हैं। अगर आप कर पाएं तो 8:16 के प्लान से अपना TRF और सख्त कर दें। इस हफ्ते में डेली डबल भी शामिल है। यानि दो दिन आपको रोज से आधी कैलोरी खानी है। अगर आपको कमजोरी महसूस होने लगे तो चिंता न करें। अगर आपको जरूरत हो तो 100 कैलोरी तक का नाश्ता बोनस के तौर पर कर सकते हैं।  आखिरी यानि 9 वां हफ्ता और खास है। अगर आप इतनी ताकत महसूस कर रहे हैं तो TRF शेड्यूल को 6:18 पर ले आइए। हालांकि ये आसान तो नहीं होगा पर इस समय आपका शरीर इसके लिए तैयार हो चुका होगा। नौ हफ्ते पूरे होने तक आप हमेशा के लिए IF लाइफस्टाइल फॉलो करने के लिए भी तैयार हो सकते हैं।

अपनी ईटिंग विंडो में ताजा और हेल्दी भोजन लें।
जब इंटरमिटेंट फास्टिंग की बात आती है तो ज्यादातर  लोग फास्टिंग विंडो का सोचकर परेशान हो जाते हैं। लेकिन क्या आप उन्हें दोष दे सकते हैं? बिना खाए इतने लंबे समय तक रह पाना और वो भी एकदम अचानक सच में काफी बड़ा बदलाव है जिसके लिए विल पावर और पक्के इरादे की जरूरत होती है। फिर भी फास्टिंग वाला समय फास्ट बर्न प्रोग्राम का सिर्फ आधा हिस्सा है। आप कब खाते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है लेकिन ये देखना कि आप क्या खा रहे हैं उतना ही जरूरी है। अगर आप मिठाई, स्टार्च और प्रोसेस्ड चीजों को अपनी ईटिंग विंडो में शामिल कर लेते हैं तो सब बेकार चला जाएगा। भले ही आपको इस प्रोग्राम में ये बताया जाता है कि हर रोज क्या खाना चाहिए पर शुरुआत में अगर आपको कुछ आसान और हेल्दी ऑप्शन पता हों तो आपके लिए आसानी रहती है। सुबह उठने के दो घंटे बाद अपनी फीडिंग विंडो शुरू करना सबसे अच्छा रहता है। बर्नर स्मूदी आपका फास्ट तोड़ने और दिन की सही शुरुआत करने का एक बढ़िया तरीका है। 

तीन-चौथाई कप एप्पल जूस, थोड़ा पानी या दूध, एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर, एक चम्मच नारियल का तेल, एक कप ब्लूबेरी, एक सेब, एक केला और मुट्ठी भर पालक के साथ ये स्मूदी बनाएं। इसमें नींबू का रस और थोड़ी  बर्फ मिला दें। एक हेल्दी स्मूदी तैयार है। लंच के लिए ग्रीक एनर्जी बाउल आजमाएं। दो कप पके हुए ब्राउन राइस या क्विनोआ लें। नमक और काली मिर्च मिलाकर स्किन लेस चिकन ब्रेस्ट के दो छोटे टुकड़े एक या दो बड़े चम्मच ऑलिव ऑयल में पका लें। एक कप फेटा चीज, थोड़े एवोकाडो, अंगूर, टमाटर और ककड़ी काट लें। इनमें थोड़ा ऑलिव ऑयल और बालसमिक विनेग्रेट मिला दें। 

जब रात के खाने की बारी आती है तो चिकन की ये रेसिपी ट्राई करें। स्किन लेस चिकन के दो छोटे टुकड़े तल लें। इनको मोंटेरे जैक और चेडार चीज, थोड़े कटे हुए प्याज और आधा कप साल्सा मिलाकर टॉर्टिला में भर लें। इन पर हल्का सा ऑलिव ऑयल लगाकर 400 डिग्री पर पांच से आठ मिनट तक बेक करें। अपने लिए एक टेस्टी और हेल्दी खाना बनाने के ऐसे बहुत से तरीके आपको मिल जाएंगे। सही भोजन करना आपके फास्ट बर्न प्रोग्राम का एक जरूरी हिस्सा है। हालांकि इस रूटीन की शुरुआत मुश्किल लग सकती है पर नियमों  का पालन करने पर आपको अपने लिए जरूरी विटामिन, मिनरल और दूसरे पोषक तत्व मिलते रहेंगे। आप अच्छा खाना बनाना भी सीखेंगे जो स्किल आपको हमेशा काम आएगी।

कुल मिलाकर
इंटरमिटेंट फास्टिंग, डाइटिंग का एक तरीका है जिसमें एक दिन को ईटिंग और फास्टिंग विंडो में बांट दिया जाता है। इस तरह के रूटीन से शरीर स्टोर की गई फैट को एनर्जी के लिए इस्तेमाल करने लगता है। IF रूटीन जिसमें TRF, हेल्दी डाइट और कसरत करना शामिल है आपको अपना वजन सही रखने और एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने में मदद कर सकता है। 

 

क्या करें?

शराब छोड़ दें।

अल्कोहल में वैसे तो कोई बुराई नहीं है पर ये कभी भी किसी डाइटिंग प्रोग्राम के साथ अच्छी तरह से मेल नहीं खाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान अपने भोजन से शराब को पूरी तरह हटा देना बहुत फायदेमंद कदम हो सकता है। लेकिन आप चाहें तो रोज एक गिलास वाइन या बीयर ली जा सकती है पर इनको भी ईटिंग विंडो के दौरान ही पीना होगा। 

 

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Keep reading, keep learning, keep growing.


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