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24/6

Tiffany Shlain
हफ्ते में एक दिन ब्रेक लेने के फायदे

दो लफ्जों में। 
2019 में आई ये बुक 24/6 हमें बताती है कि हफ्ते में एक दिन अगर हम खुद को टेक्नोलॉजी से दूर रखते हैं तो उसके क्याकुल मिलाकर
पिछले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी ने हम पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। अगर हमें अपनी अच्छी हेल्थ चाहिए तो जरूरी है कि हम हफ्ते में एक दिन खुद को टेक्नोलॉजी से दूर रखें और एक ब्रेक लें। इससे न सिर्फ हमारी प्रोडक्टिविटी और एफेक्टिविटी इनक्रीज होगी बल्कि हम ज्यादा क्रिएटिव भी बनेंगे। 

 


 इनक्रीज होती है। 

ये बुक किसके लिए है? 
- ये बुक उन लोगों के लिए है जो स्क्रीन एडिक्ट हो चुके हैं और खुद की ये हैबिट सुधारना चाहते हैं। 
- ये बुक उन लोगों के लिए जो रात में नेटफ्लिक्स पर टाइम स्पेंट करते है।
- ये बुक उन लोगों के लिए भी है जो 24/7 बिजी रहते हैं। 

लेखिका के बारे में। 
Tiffany shlain एक एमी(Emmy) नॉमिनेटेड फ़िल्म मेकर हैं। उनकी बुक 24/6 नेशनल बेस्ट सेलिंग बुक रह चुकी है। वो पूरी दुनिया में इंसानों और टेक्नोलॉजी के रिश्ते के बारे में डिसकस करती हैं। उनका एक शो भी है द ह्यूमन जोकि म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट न्यूयॉर्क में प्रीमियर हुआ है। shlain को फिल्मों और उनके अलग अलग कामों के लिए लगभग 80 अवार्ड मिल चुके हैं।रेस्ट डेज हमारे इतिहास में काफी टाइम से मौजूद हैं।
अपना रिसेट बटन प्रेस करिये और खुद को और ज्यादा इफेक्टिव और प्रोडक्टिव बनाइये। 

क्या कभी आपने नोटिस किया है कि आपके आसपास सभी लोग हमेशा मोबाइल स्क्रीन पर लगे रहते हैं। आप नोटिस भी कैसे करेंगे आप खुद अपना ज्यादातर टाइम स्क्रीन पर फोकस करके व्यतीत करते हैं।  इस बुक में हम जानेंगें की किस तरह से हम इस एडिक्शन से बच सकते हैं। 

लेखिका के एकॉर्डिंग अगर आप हफ्ते में 24 घण्टे का एक ब्रेक लेते हैं तो उससे आपकी हेल्थ पर एक पॉजिटिव अफ़ेक्ट पड़ता है। इससे आप खुद को थोड़ा स्लो डाउन करते हैं और आपको थोड़ा रेस्ट मिलता है। आपको खुश रहने का एक जरिया मिलेगा और आपकी नींद बेटर होगी। 

तो आइए जानते हैं कि किस तरह से रिसेट बटन प्रेस करना है और किस तरह से खुद को स्क्रीन से दूर करना है। इस समरी में आप जानेंगे कि किस तरह से हिब्रू लोगों ने हफ्ते में एक रेस्ट डे की शुरुआत की?नेटफ्लिक्स का सबसे बड़ा कॉम्पीटिशन कौन है? और किस तरह से हम अपना फ्यूचर ठीक कर सकते हैं?

तो चलिए शुरू करते हैं!

रेस्ट डेज हम उन दिनों को कहते हैं जिस दिन हम अपने सभी कामों को साइड में रखकर सिर्फ आराम करते हैं। रेस्ट डेज की प्रथा हमारे लिए कोई नई नहीं है। रेस्ट डेज का चलन बहुत समय से चलता चला आ रहा है। हजारों साल पहले हिब्रू लोगों ने इस चीज की शुरुआत की थी कि हफ्ते में एक दिन ऐसा होना चाहिए जिस दिन लोगों को हर तरह के काम से छुट्टी मिले और वो आराम कर सकें। 

बाद में हर कल्चर के लोगों ने इस चीज को अपनाया। ईसाइयों के लिए हफ्ते में संडे का दिन रेस्ट डे होता है। मुस्लिम कम्युनिटी के लोगों के लिए फ्राइडे का दिन रेस्ट डे के रूप में मनाया जाता है। और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ रिलीजियस लोगों ने रेस्ट डे को अपनाया है। सेक्युलर ऑर्गेनाइजेशन ने भी रेस्ट डे जैसे कल्चर को अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 

बीसवीं सदी आते आते वीकेंड का कांसेप्ट आ गया। वीकेंड यानी कि एक हफ्ते में दो रेस्ट डे। शनिवार और रविवार को वीकेंड के रूप में देखा जाने लगा। दो दिन रेस्ट डे होने से लोगों को एजुकेशन, क्रिएटिविटी और फैमिली जैसी जरूरी जगह पर टाइम स्पेंट करने का मौका मिला। 

लेकिन अब धीरे धीरे काफी चेंज देखने को मिल रहे हैं। बहुत से लोगों को अब वीकेंड पर भी छुट्टी नहीं रहती है। अमेरिका में 63% लोगों का कहना है कि उनसे वीकेंड पर भी काम की एक्सपेक्टेशन रखी जाती है जोकि सही नहीं है। 

और ऐसा नहीं है कि सिर्फ वीकेंड के साथ ऐसा हो रहा है। टेक्नोलॉजी में हो रहे बदलाव ने हमारे टाइम को लेकर नजरिये को बदल कर रख दिया है। और इसी वजह से हमारे दिन का स्ट्रक्चर भी चेंज हो चुका है। एग्जाम्पल के लिए बात करते हैं न्यूज़ की। पहले क्या होता था कि सुबह और शाम में हम सभी कैसे भी करके अखबार की हेल्प से देश और दुनिया से रिलेटेड न्यूज़ देख लिया करते थे और खुद को अपडेट कर लेते थे। अब आलम ये है कि स्मार्टफोन और टीवी की वजह से हर टाइम हमारे सामने न्यूज़ ही चलती रहती है। 

पहले के टाइम बहुत से लोग सोने से पहले नॉवेल पढा करते थे और अब वही लोग रात में या तो सोशल मीडिया यूज़ करते हैं या फिर ईमेल्स का रिप्लाई करते हैं। आपको नहीं लगता कि टेक्नोलॉजी का विस्तार इसलिए हुआ था कि हम अपने काम को आसानी से और जल्दी खत्म कर सकें? लेकिन हुआ इसका उल्टा है। अब तो इंसान और भी ज्यादा व्यस्त रहने लगे गए हैं। और ये चीज हमारे और हमारे काम के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है। और तो और इस चीज से उस कम्पनी का भी कुछ खास फायदा नहीं होता जिसके लिए हम काम करते हैं। रिसर्च के एकॉर्डिंग हफ्ते में 40 घण्टे काम करने वाले वर्कर 60 घण्टे काम करने वाले वर्कर से ज्यादा प्रोडक्टिव होते हैं। और जो वर्कर ज्यादा काम करते हैं उनको दिल से सम्बंधित बीमारी के चांस काफी बढ़ जाते हैं। 

इसलिए अब टाइम आ चुका है कि हम सभी अपने अपने टाइम को कंट्रोल करें। समरी में हम आगे जानेंगे कि रेस्ट करना और सोना हमारे लिए कितना ज्यादा जरूरी है।

रेस्ट करना और सोना इंसान की हेल्थ के लिए सबसे जरुरी है।
आप शायद सोच रहे होंगे कि हफ्ते में पूरे एक दिन के लिए टेक्नोलॉजी और काम से खुद को दूर रखना एकदम इम्पॉसिबल है। लेकिन हम आपको एक बात बता देना चाहते हैं कि अगर आप हफ्ते में खुद को एक दिन का रेस्ट देते हैं तो बाकी के 6 दिन के लिए आपकी प्रोडक्टिविटी काफी इनक्रीज हो जाती है। इस बुक के लेखिका ने भी ये चीज एक्सपीरिएंस की हुई है। रेस्ट डे इसलिए भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि उस दिन आप एक अच्छी नींद लेते हैं। वैसे भी रिसर्च के एकॉर्डिंग अगर कोई व्यक्ति हर रात 8 घण्टे की पूरी नींद लेता है तो उसकी प्रोडक्टिविटी काफी हद तक बढ़ जाती है। सोने से सिर्फ आपकी प्रोफेशनल लाइफ बेटर नहीं होती बल्कि सोते टाइम ऐसे बहुत से प्रोसेस होते हैं जोकि आपको एक नई एनर्जी प्रोवाइड करते हैं। 

सोते टाइम आपके माइंड को रेस्ट मिल जाता है। अगर आप लगातार काम करते रहते हैं तो उससे आपके माइंड पर काफी खराब अफ़ेक्ट होता है जोकि आपकी हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है। 

जब आप गहरी नींद में होते हैं तो आपकी ब्रेन दिन भर की इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करती है और नए कनेक्शन क्रिएट करती है। इसलिए ही कभी कभी आपने नोटिस किया होगा कि आप किसी चीज का सॉल्यूशन ढूंढ रहे होते हैं और जैसे ही आप नींद में होते हैं उसका जवाब खुद आपके माइंड में आ जाता है। 

थॉमस एडिसन और अल्बर्ट आइंस्टीन जैसी महान हस्तियों ने अपनी क्रिएटिविटी को नया आयाम देने के लिए नींद का ही इस्तेमाल किया था। अल्बर्ट आइंस्टीन सोते टाइम अपने हांथ में एक चाभी लिए रहते थे और जैसे हो वो चाभी जमीन पर गिरती थी उनकी नींद खुल जाती थी। अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि यही वो टाइम होता है जब इंसान का माइंड सबसे बेस्ट तरीके से काम करता है। 

अगर आप सही तरह से नींद पूरी नहीं करेंगे तो ये आपकी हेल्थ के लिए ठीक नहीं होगा। साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर लैरी रोज़न के एकॉर्डिंग अगर आपके  बेदरूम में ब्लू लाइट मौजूद है तो वो आपके लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक है। इस लाइट की वजह से आपको नींद कम आएगी और आपको अल्झाइमर जैसी समस्या भी हो सकती है। 

हम जितना ज्यादा टाइम कम्प्यूटर स्क्रीन या फिर मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन पर व्यतीत करते हैं उतनी ही ज्यादा हम अपनी नींद को इससे इम्पैक्ट करते हैं। एक बार नेटफ्लिक्स कम्पनी के सीईओ से किसी ने पूछा कि उनकी कम्पनी के लिए सबसे बड़ा कॉम्पिटिशन क्या है तो उनका जवाब था नींद। उन्होंने कहा कि अमेज़न और एचबीओ जैसी कम्पनीज उनके लिए उतना बड़ा थ्रेट नहीं जितना कि नींद है। अगर इंसान रात में  सोने लगेंगे तो नेटफ्लिक्स कौन देखेगा? 

ऑथर के एकॉर्डिंग अगर आप एक पूरा दिन खुद को स्क्रीन से दूर रखते हैं तो इससे आप पर एक पॉजिटिव असर होगा। आप ज्यादा क्रिएटिव और प्रोडक्टिव हो जाएंगे।

एक सक्सेसफुल रेस्ट डे के लिए कुछ तैयारी जरूरी है। 

अगर आप टेक्नोलॉजी से खुद को एक दिन के दूर करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको पहले से कुछ तैयारी करनी होगी। परेशान होने की जरूरत नहीं है हम आपको ऐसा कुछ नहीं बताएंगे तो जोकि आपके लिए नामुमकिन हो। हो सकता है रेस्ट डे के टाइम आपको किसी व्यक्ति को कॉल करने हो या फिर कोई दूसरा व्यक्ति आपसे कनेक्ट होना चाहता हो। अब जबकि आप स्मार्टफोन यूज़ नहीं कर रहे होंगे तो आपसे कनेक्ट होने के लिए लैंड लाइन की सुविधा होनी जरूरी है। 

रेस्ट डे लिए एक प्रिंटर  भी काफी जरूरी है। रेस्ट डे से पहले रात में ही आप रेस्ट डे का सिड्यूल डिसाइड कर लें कि आपको अगले दिन क्या क्या करना है। अगर आपको कहीं जाना और उसके लिए मैप की नीड होगी तो पहले से ही मैप का प्रिंट अपने पास निकाल कर रख लें। जरूरी फ़ोन नम्बर्स का प्रिंट आउट भी अपने पास रख लें। अगर आपको रेस्ट डे के दिन म्यूजिक सुन्ना है तो रिकॉर्ड प्लेयर या फिर बूम बॉक्स जैसी चीजें पहले से तैयार रखें। इसके बाद आपको जरूरत होगी पेन और पेपर की। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपके मन मे कोई अच्छा आईडिया आता है तो उसको याद रखने के लिए आप कहीं लिख सकें। 

अगर बाई चांस आप रेस्ट डे के दिन कहीं घूमने जा रहे हैं और आपको इस बात की टेंशन है कि आप अच्छे सीन और मोमेंट्स को कैप्चर कैसे करेंगे तो इसके लिए आप एक डिजिटल कैमरा यूज़ कर सकते हैं या फिर अपने स्मार्टफोन को भी यूज़ कर सकते हैं लेकिन याद रहे कि स्मार्टफोन साइलेंट या फिर एयरप्लेन मोड पर हो जिससे आपको डिस्टर्ब न हो। 

एक और चीज जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो ये कि आप ये कैसे डिसाइड करेंगे कि किस दिन आपको रेस्ट लेना है। बहुत से लोगों के लिए वीकेंड बेस्ट रहता है। लेकिन आपके लिए ये जरूरी नहीं कि आप भी वीकेंड ही सेलेक्ट करें। आप अपने एकॉर्डिंग चूज कर सकते हैं। आप अपने मन से कोई भी एक दिन सेलेक्ट करिये और 24 घण्टे के लिए खुद को सब तरह की डिस्टरबेंस से दूर ले जाइए। 

और अगर किसी हफ्ते ऐसा हो कि जो दिन आपने सेलेक्ट किया है उस दिन आपको काम है तो आप कोई और दिन भी सेलेक्ट कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि आपने जिस दिन रेस्ट लेने का फैसला लिया है उसी दिन लेना जरूरी है। 

रेस्ट डे का दिन डिसाइड करने के बाद अपने दोस्तों और अपनी फैमिली को उसके बारे में बता दें ताकि वो लोग आपको किसी फालतू चीज के लिए डिस्टर्ब न करें। कोशिश करें कि अपने बॉस और अपने कलीग्स को भी इस दिन के बारे में बता दें। 

एक बार दिन डिसाइड करने के बाद उसको पूरी तरह यूज़ करें। आप फैमिली के साथ डिनर अरेंज कर सकते हैं या फिर उन लोगों से मिल सकते हैं जिनको आप एडमायर करते हैं।

आप कुछ भी काम कर रहे हों, आपकी कोशिश रहनी चाहिए कि आपकी स्क्रीन आपको डिस्ट्रैक्ट न कर सके।
कुछ लोगों की आदत होती है दिन में खुली आंखों से सपने देखने की। अगर आप भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं तो घबराने की बात नहीं है क्योंकि ये कोई गलत चीज नहीं है। इससे आप का माइंड काम करता रहता है और आप प्रेजेंट फ्यूचर और पास्ट के बारे में अच्छी तरह से सोच सकते हैं। 

अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी सिचुएशन में आखिर होता क्या है? असल में ऐसे टाइम पर आपका डिफ़ॉल्ट मोड नेटवर्क एक्टिव हो जाता है। इसमें आपकी ब्रेन का 80% पार्ट इन्वॉल्व होता है। और जब ऐसा होता है तब आप ज्यादा क्रिएटिव हो जाते हैं और नए कनेक्शन डेवलप करते है।। 

आपने नोटिस किया होगा कि आप जब कभी नॉर्मली बस स्टॉप पर होते हैं या फिर बाइक राइड कर रहे होते हैं तो फालतू की चीजों के बारे में सोचने लगते हैं। अब हालांकि ऐसा नहीं है क्योंकि आजकल लोग जब भी बोर होते हैं तो अपना स्मार्टफोन हांथ में ले लेते हैं और ऐसे में उन्हें किसी और चीज के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिलता। ऐसे में नए कनेक्शन डेवलप करने की जगह आप दूसरों के द्वारा बनाये गए कनेक्शन में इन्वॉल्व हो जाते हैं। 

नॉवेल पढ़ते टाइम या फिर मूवी देखते टाइम आप अपने माइंड को किसी और दिशा में जाने देते हैं। इन सब चीजों को करते टाइम आप दुनिया को किसी और कि नजरों से देखते हैं। हालांकि जब आप ऑनलाइन स्क्रॉलिंग कर रहे होते हैं तो फिर आप किसी  अच्छी कहानी का हिस्सा नहीं होते बल्कि किसी फालतू राजनैतिक या फिर किसी फालतू मुद्दे का शिकार हो जाते हैं। 

जब आप किसी काम को कम्प्लीट करना चाहते हैं तो आपके ब्रेन का पार्ट जोकि है पॉजिटिव नेटवर्क वो एक्टिवेट हो जाता है। ये तब होता है जब आपको प्रेजेंट में कोई प्रोजेक्ट कम्प्लीट करना होता है। हालांकि अगर आप ऐसे टाइम में भी मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप की स्क्रीन के सामने रहेंगे तो आप डिस्ट्रैक्ट हो सकते हैं। एक सिंपल फोन कॉल भी आपकी कॉनसन्ट्रेशन ब्रेक कर सकती है। 

इसलिए ये बहुत जरूरी है कि कुछ भी इम्पोर्टेन्ट काम करते वक्त अपने फ़ोन को खुद से दूर रखें जिससे आपको डिस्टर्ब न हो।

हम सभी को टेक्नोलॉजी के यूज़ को लेकर फिर से सोचना होगा और फ्यूचर के लिए खुद को प्रीपेयर करना होगा।
मोबाइल फोन ने दुनिया को बदल कर रख दिया। हम सभी एडिक्ट हो चुके है। हम सभी का मैक्सिमम टाइम स्क्रीन के सामने है वेस्ट हो जाता है। टेक्नोलॉजी में इतनी तेजी से बदलाव हो रहे हैं कि हमें ये सोचने का टाइम भी नहीं मिलता की इस सब से हम खुद को कैसे बचाएं। अब ये बहुत जरूरी है कि आप टेक्नोलॉजी के यूज़ को लेकर दोबारा से सोचें और उसके अफ़ेक्ट को भी कंसीडर करें। 

बात करते हैं  एडवरटाइजिंग की। आजकल हर जगह एडवरटाइजमेन्ट देखने को मिल जाता है चाहे वो मोबाइल फ़ोन हो, इंटरनेट हो या टीवी हो। साल 2006 में ब्राज़ील के एक इलाके के लोगों ने  आउट डोर एडवरटाइजिंग से परेशान होके उनपर बैन लगाने के लिए अपील की। और बैन लगने के बाद उस जगह पर काफी शांति देखने को मिली। 

अगर हमें कुछ बड़ा बदलाव लाना है तो उसके लिए जरूरी है कि अपने फ्यूचर के बारे में फिर से सोचें। अगर हम ऐसा करेंगे तो एक इंडिविजुअल और एक सोसाइटी दोनों ही तरीके से सब कुछ इम्प्रूव करने की कोशिश करेंगे। 24/6 आपका सबसे पहला स्टेप होगा। अगर आप हफ्ते में टेक्नोलॉजी से एक दिन पूरा ब्रेक लेते हैं तो आपको इस सब के बारे में सोचने का पूरा टाइम मिलेगा। आपको ये समझ आएगा कि आपको सोसाइटी को कैसे इनकरेज करना है।

फ्यूचर में टेक्नोलॉजी में ऐसे बहुत से बदलाव होंगे जिनकी हमने उम्मीद भी नहीं कि होगी। रिसर्च के अनुसार 2100 आते आते दुनिया के लगभग 11 बिलियन लोग एक दूसरे से सोशल मीडिया के जरिये कनेक्ट रहेंगे। उस टाइम जीवन बहुत बदल जायेगा। हमें आज ही फ्यूचर के बारे में सोचना होगा वरना काफी देर हो जाएगी। 

फ्यूचर आखिर कैसे होना चाहिए? ऑटोमैटिक चीजों में हो रही इंक्रीमेंट से इंसानों के ऊपर कुछ खास अफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा। अगर फ्यूचर में हमें इंसानों की वैल्यू इनक्रीज करनी है तो उनके अंदर क्रिएटिव थिंकिंग का होना बहुत जरूरी है। हमें अपने अंदर ऐसी स्किल्स डेवलप करनी होगी जोकि हमें वैल्युएबल बनाएं।

लेखिका के एकॉर्डिंग अगर हम आज के टाइम में खुद को स्क्रीन और टेक्नोलॉजी से दूर रख सकें तो हम खुद को बहुत अच्छे से इवॉल्व कर सकते हैं। आज से ही डिसाइड करिये की स्क्रीन पर टाइम वेस्ट करने की बजाए आप फैमिली और दोस्तों के साथ टाइम बिताएंगे।

कुल मिलाकर
पिछले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी ने हम पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। अगर हमें अपनी अच्छी हेल्थ चाहिए तो जरूरी है कि हम हफ्ते में एक दिन खुद को टेक्नोलॉजी से दूर रखें और एक ब्रेक लें। इससे न सिर्फ हमारी प्रोडक्टिविटी और एफेक्टिविटी इनक्रीज होगी बल्कि हम ज्यादा क्रिएटिव भी बनेंगे। 

 

क्या करें

ऐसी एक्टिविटी करिये जिसमें स्क्रीन यानी कि लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसी चीजों का इन्वॉल्वलमेंट न हो। 

उन कामों की लिस्ट बनाइये जिनको करने में आपको अच्छा लगता हो और जिसमें स्क्रीन का इन्वॉल्वमेन्ट न हो। हो सकता है आपको कोई आउट डोर गेम अच्छा लगता हो या फिर दोस्तों से मिलना पसन्द आता हो। यहां तक कि सोना भी एक अच्छी एक्टिविटी है।

 

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