The Subtle Art of Not Giving a F*uck

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The Subtle Art of Not Giving a F*uck

Mark Manson
जिन्दगी जीने का एक बेहतर तरीका।

दो लफ्जों में 
द सब्टल आर्ट आफ नॅाट गिविंग अ फक (The Subtle Art of Not Giving a F*uck) में हम देखेंगे कि हम किस तरह से बिना मतलब की चीज़ों पर अपना ध्यान लगाकर बिना मतलब के काम करते रहते हैं जिनसे हमारा तनाव बढ़ता जा रहा है। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह हम अपना ध्यान अब पर लगा कर वो कर सकते हैं जिसे करने में हमें खुशी मिलती है।

  यह किसके लिए है 
-वे जो तनाव में रहते हैं।
-वे जो नाम कमाने की या फेमस होने की ख्वाहिश रखते हैं।
-वे जो खुद को पहले से बेहतर बनाना चाहते हैं।

लेखक के बारे में 
मार्क मैंसन (Mark Manson) अमेरिका के एक लेखक और ब्लॉगर हैं। वे इनफिनिटि स्क्वैयर मीडिया के फाउंडर और सीइओ हैं। वे अपनी किताब द सब्टल आर्ट आफ नॅाट गिविंग अ फक के लिए जाने जाते हैं जो कि न्युयार्क टाइम्स की बेस्ट सेलर किताब है।

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए
क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो हर चीज पर ध्यान लगाते हैं पर कुछ भी नहीं कर पाते? क्या आप भी चाहते हैं कि आपकी जिन्दगी में सुकून हो आराम हो? कौन नहीं चाहेगा। लेकिन ऐसा लगता है कि बहुत से लोग यह चाहते तो हैं पर इने हासिल नहीं कर पा रहे हैं।

यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हमें हर चीज़ की फिक्र करना छोड़ देना चाहिए और वो करना चाहिए जिसमें हमें खुशी मिलती है। यह किताब हमें बताती है कि किस तरह सिर्फ कुछ चीज़ों पर अपना ध्यान लगाकर हम अपने काम को अच्छे से कर सकते हैं और खुश रह सकते हैं।

 

-आसानी से कामयाबी हासिल करने के बारे में सोचना क्यों गलत है।

-गलत वैल्यूज़ से हासिल की गई कामयाबी खुशी क्यों नहीं देती।

-अपनी जिन्दगी की जिम्मेदारी लेकर किस तरह आप उसे बदल सकते हैं।

संघर्ष का दूसरा नाम जिन्दगी है।
बॅाब मार्ली ने कहा था- अगर वो अच्छी है,तो वो आसानी से नहीं मिलेगी। अगर वो आसानी से मिल गई तो वो अच्छी नहीं होगी। अगर वो तुम्हारे प्यार के लायक है तो तुम उसे कभी नहीं छोड़ोगे और अगर तुम छोड़ देते हो तो तुम उसके लायक नहीं हो। सच्चाई यह है कि यहां हर कोई तुम्हें तकलीफ देगा , लेकिन तुम्हें किसी ऐसे को खोजना है जिसकी मोहब्बत में तुम्हें वो तकलीफें भी मंजूर हों।

अब अगर हम प्यार मोहब्बत की बातों से निकल काम की बात करें तो यह लाइनें कामयाबी के ऊपर भी लागू हो सकती है। आप चाहे जिस भी चीज को हासिल करने के पीछे भागें, वो आपको आसानी से नहीं मिलने वाली। लेकिन फिर भी आप किसी ऐसे सपने के पीछे भागिए जिसकी मोहब्बत में आपको वो तकलीफें भी मंजूर हों।

किसी भी काम को पूरा करने में मुश्किलें तो आएंगी ही। आप परेशानियों से भाग नहीं सकते। अगर आप उनसे भागते हैं तो हर वक्त उनसे भागते रहना  ही आपके लिए परेशानी बन जाएगी।

मान लीजिए कि आपका ख्वाब है कि आप एक बहुत बड़े लेखक बनेंगे। लेखक बनने के लिए एक लेखक की सोच होनी चाहिए। चीज़ों को अलग नजर से देख कर, उन्हें कुछ इस तरह से लिखने की कला होनी चाहिए जिसे पढ़ते वक्त मजा भी आए और लिखी गई बात समझ में भी आ जाए। इसके अलावा अपनी किताबों को बेस्ट सेलर बनाने के लिए आपको मार्केटिंग भी आनी चाहिए।

इतनी सारी समस्याओं से निपटते वक्त जाहिर सी बात है कि आप नाकाम भी होंगे। लेकिन आप इस बात से परेशान न हों क्योंकि इन सबसे बचा नहीं जा सकता। आप बस एक ऐसा ख्वाब देखिए जिसे हासिल करने की चाहत गिरने के खौफ से ज्यादा हो।

एक आसान जिन्दगी की तलाश करना बिल्कुल व्यर्थ है क्योंकि ऐसी जिन्दगी है ही नहीं। और अगर होगी भी तो उसे जीने में मजा नहीं आएगा। ये मंजिलें, मुश्किलें और चुनौतियां ही हैं जो इस जिन्दगी की कीमत बढ़ा देती हैं। इसलिए आप परेशानियों को ना कहिए और साथ ही उन सभी कामों को ना कहिए जिसे करने से आपको खुशी नहीं मिलती। सिर्फ कुछ चीज़ों को ही अपना ध्यान दीजिए क्योंकि सबके बारे में सोचने के लिए यह जिन्दगी बहुत छोटी है।

सही वैल्यूज़ के बिना कामयाबी आपको संतुष्ट नहीं कर सकती।
हम सभी के लिए कामयाबी के अलग अलग मायने हो सकते हैं। कोई एक अच्छा परिवार पाकर खुश हो जाता है तो कोई अच्छा बिजनेस बनाकर। आप खुद अपनी कामयाबी की परिभाषा बना सकते हैं। आप बस यह देखिए कि आपको क्या करने से खुशी मिलती है। लेकिन इसे साथ ही यह भी जरूरी है कि आप अपनी वैल्यूज़ पर ध्यान दें क्योंकि पानी चाहे साफ़ हो या गन्दा का , टूटे हुए मटके में नहीं रुक सकता। ठीक उसी तरह, कामयाबी चाहे छोटी हो या बड़ी, सही वैल्यूज़ के बिना वो आपके पास ज्यादा दिन नहीं रुकेगी।

बहुत से लोग होते हैं जो खुद को कामयाब तब मानते हैं जब उनसे आगे कोई ना हो। अगर उन्हें कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाता है जो उनसे ज्यादा कामयाब है तो वे उसका पीछा करने में लग जाते हैं। इन तरह के लोग चाहे कितने भी कामयाब हो जाएं, वे कभी खुश नहीं रह सकेंगे क्योंकि वो अपनी खुशी को बाहर खोज रहे हैं। 

दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें सिर्फ अपने काम से मतलब होता है। वे यह देखते हैं कि वे क्या हासिल करना चाहते हैं और जब वे उसे हासिल कर लेते हैं तो वे खुश हो जाते हैं। वे अपनी कामयाबी को दूसरों की कामयाबी से नहीं तौलते। 

एक्ज़ाम्पल के लिए आप बीटल्स बैंड के एक मेंबर पीट बेस्ट को ले लीजिए। जब उन्हें बीटल्स बैंड से बाहर निकाल दिया गया तब वे बहुत डिप्रेशन में चले गए थे। अपने साथ के लोगों को कामयाबी की ऊँचाइयों को छूते हुए देखना और खुद को नाकाम देखना उनसे बरदाश्त नहीं हो रहा था। लेकिन फिर उन्होंने खुद से सवाल किया कि वे असल में क्या चाहते हैं। उन्हें लगा कि एक अच्छा परिवार पाकर वे खुश हो जाएंगे। गाना बजाने का शौक तो उन्हें अब भी था लेकिन अब वे कम कामयाब बैंड्स के लिए काम कर कर भी खुश थे। उन्होंने बीटल्स को हराने के बारे में ना सोचकर अपनी वैल्यूज़ को बदला और खुद के शब्दों में कामयाबी हासिल की।

इसलिए यह जरूरी है कि कामयाबी हासिल करने के साथ साथ आप अपनी वैल्यूज़ पर भी ध्यान दें।

गलत वैल्यूज़ को छोड़कर अच्छी वैल्यूज़ को अपनाने से ही आप खुश रह सकते हैं।
बहुत से लोग इसलिए काम करते हैं क्योंकि उन्हें किसी को नीचा दिखाना होता है। वे खुद जीतने के लिए नहीं बल्कि दूसरों को हराने क लिए खेलते हैं। उनका मानना है कि किसी के जीतने के लिए किसी का हारना जरूरी है। इस तरह की सोच रखने वाले लोग शायद ही कभी खुश रहते होंगे। 

गलत वैल्यूज़ हमेशा एक नेगेटिव भावना पैदा करती है। अगर आपका मानना है कि जिन्दगी मजे करने के लिए मिली है और आप हर वक्त जरूरत के काम को छोड़कर मजा करते रहते हैं तो इस तरह की वैल्यु आपके लिए सजा बन सकती है। नशे में शायद मजा आता हो लेकिन नशे वाले सबसे ज्यादा तनाव में भी रहते हैं।

दूसरी गलत वैल्यु है महंगी चीज़ों में खुशी ढूँढना। बहुत से लोग मर्सिडीज लेने के बाद भी फरारी लेने के ख्वाब देखते हैं। उन्हें लगता है कि सफारी खरीदने से उन्हें खुशी मिल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है। जब हमारी सारी जरूरतें पूरी हो जाएंगी तब ज्यादा पैसे या ज्यादा सुख सुविधाएं खरीद लेने से हमें खुशी नहीं मिलेगी। अगर आप अपने परिवार और अपने शौक को छोड़कर  सिर्फ पैसे के पीछे भाग रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि ज्यादा पैसा या ज्यादा कामयाबी आपको ज्यादा खुश कर सकती है तो आप गलत सोच रहे हैं।

 इस तरह की गलत वैल्यूज़ से बचने के लिए आपको कुछ अच्छी वैल्यूज़ को अपनाना होगा। अच्छी वैल्यूज़ से हमारा मतलब है जो असलियत पर आधारित हो और जिनसे समाज का फायदा हो सके।

एक्ज़ाम्पल के लिए आप विनम्रता जैसी वैल्यु को ले लीजिए। विनम्रता से व्यवहार करने से आप दूसरों का मन जीत सकते हैं और साथ ही साथ इससे आप दूसरे को खुश रखकर समाज में खुद के और लोगों के बीच में एक प्यार का माहौल पैदा कर सकते हैं।

इस तरह की वैल्यूज़ को अपने अंदर जगह देने से आप गलत वैल्यूज़ से बच सकते हैं।

अपनी जिन्दगी की जिम्मेदारी लेना सीखिए।
कई बार हमें ऐसा लगने लगता है कि हम अपने हालात से मजबूर हो गए हैं और कुछ नहीं कर सकते। बहुत से लोग बुरे हालात में मजबूर हो जाते हैं और हार मान लेते हैं जब कि बहुत से लोग बुरे वक्त में मजबूत हो जाते हैं और कामयाबी की तरफ और तेजी से बढ़ने लगते हैं। 

मजबूत बनने वाले लोगों को पता है कि अगर वे बुरे हालात में हैं तो इसमें से उन्हें कोई निकालने के लिए नहीं आएगा। उन्हें पता है कि अगर वे कुछ नहीं करेंगे तो कुछ भी नहीं होगा। या तो वे जिन्दगी भर उन हालात के गुलाम बन कर रह सकते हैं या फिर अपनी हदों को बढ़ाकर उस हालत से निकल कर खुद को कामयाब बना सकते हैं। उन्हें दूसरा आप्शन ज्यादा अच्छा लगता है इसलिए जिम्मेदारी लेते हैं कि वे अपने बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदल कर रहेंगे। इस तरह से वे उसमें से निकलने में कामयाब होते हैं।

जब हम से कोई काम जबरदस्ती कराया जाए तो ना तो हम उस काम को अच्छे से कर पाते हैं और ना ही उसे करते वक्त खुश रह पाते हैं। जब बुरे वक्त में मजबूरियाँ आप से काम कराएगी तो आप अपना काम अच्छे से नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर आप यह ना सोचें कि यह सब काम आपको मजबूरी में करना पड़ रहा है, अगर आप यह सोचें कि आप यह काम खुद की जिम्मेदारी की वजह से कर रहे हैं तो वह काम आपको बोझ नहीं लगेगा। यह सोचना बंद कीजिए कि जिन्दगी ने आपको गुलाम बना लिया है।

इतिहास में बहुत से ऐसे लोग आपको मिलेंगे जिनके साथ इस जिन्दगी ने बिल्कुल अच्छा नहीं किया। लेकिन फिर भी उन्होंने बड़ी बड़ी कामयाबी हासिल की। एक्ज़ाम्पल के लिए आप हेलेन केलर (Helen Keller) को ले लीजिए।

हेलेन केलर को बहुत छोटी उम्र में बीमारी हुई जिसने उनसे उनकी देखने और सुनने की क्षमता छीन ली। सात साल की उम्र में उन्होंने पहला शब्द बोला था। इस बात उन्होंने अपने लिखने और बोलने की क्षमता को अपनी टीचर की मदद से सुधारा और एक स्कॅालर बनी। उनकी आत्मकथा का नाम - द स्टोरी आफ माय लाइफ है।

इनके अलावा बहुत से लोग हुए जिन्होंने आप से ज्यादा बुरे वक्त को देखा। लेकिन उस बुरे वक्त ने उन्हें पहले से ज्यादा मजबूत बनाया ना कि उन्हें मजबूर किया। अमेरिका के प्रेसिडेंट जॅान कैनेडी अपनी कुर्सी से खड़े नहीं हो पाते थे। लेकिन अपने खराब पैरों को उन्होंने अपनी कामयाबी के आड़े नहीं आने दिया।

तो अगर आपको किसी भी तरह की परेशानी है जिसकी वजह से आप अपना काम अच्छे से नहीं कर पा रहे हैं तो खुद से सवाल कीजिए कि क्या आप इसी तरह अपनी जिन्दगी बिताना चाहते हैं या कुछ बेहतर करना चाहते हैं? अगर आप खुद जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो आप कभी कामयाब नहीं हो सकते। इसलिए खुद को मजबूर नहीं मजबूत बनाइए।

हमारी पहचान से हमें बहुत लगाव होता है लेकिन यह लगाव हमारे तकलीफ की वजह भी है।
मान लीजिए कि आप एक कंपनी के लिए सीनियर मैनेजर की तरह काम कर रहे है। आपको आपके जूनियर्स से  इज्जत मिलती है, एक अच्छी सैलेरी मिलती है और साथ ही वो सब मिलता है जिनकी आप ख्वाहिश करते हैं। आप अपनी नौकरी से बहुत खुश हैं।

लेकिन एक दिन आपको मौका मिलता है कि आप एक रिस्क ले लें और उस रिस्क में अगर आप कामयाब हो गए तो आप कंपनी के सीईओ बन जाएंगे और अगर नाकाम हुए तो आपकी नौकरी जा सकती है। क्या आप यह रिस्क लेने के लिए तैयार हो जाएंगे?

बहुत से लोग इस तरह का रिस्क नहीं लेंगे क्योंकि जब बात उनके पहचान की आती है तो वे उसे बचाने के लिए कुछ भी करने लगते हैं। इस तरह से वे अपनी पहचान तो बचा लेते हैं लेकिन उस पहचान को बना नहीं पाते। वे रिस्क नहीं लेते और कभी कामयाब भी नहीं होते हैं।

 यह भावना आपको बहुत सारे छोटे आर्टिस्ट में देखने को मिलती है। वे अपने काम को बाहर नहीं निकालते क्योंकि उन्हें डर लगा रहता है कि कोई उनके काम की नकल कर लेगा और इससे उनकी पहचान छिन जाएगी। इस तरह से वे अपनी पहचान नहीं बना पाते।

लेखक इस तरह के बर्ताव को मैंसन्स ला आफ अवोइडेंस कहते हैं। अगर आपके अंदर भी यह भावना है तो आप इस बौद्ध धर्म की मदद से अपने अंदर से निकाल सकते हैं।

बौद्ध धर्म की मानें तो यह पहचान जिसे बचाने के लिए या बनाने के लिए लोग इतने परेशान रहते हैं, वो सिर्फ एक भ्रम है। हम उस पहचान को खुद से इस तरह से लगा कर बैठ जाते हैं कि समय के साथ वो हम पर राज करने लगती हैं। अमीर,गरीब, खुश, उदास या इन तरह का कोई भी शब्द सिर्फ एक भ्रम है जिसे हम हकीकत मान कर बैठे हैं।

अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो आपको खुद को इस भ्रम से आजाद करना होगा। आप वो कीजिए जिससे आपको खुशी मिलती हो। अगर आप अपनी पहचान बनाने के लिए काम कर रहे हैं या कोई काम करने से पहले अपनी पोजिशन के बारे में सोचते हैं तो जाहिर सी बात है कि आप खुद को वो करने से रोक रहे हैं जिससे आपको खुशी मिलती है।

अपनी गलतियों को मान लेने से आप खुद में अच्छे बदलाव ला सकते हैं।
बहुत से लोगों को लगता है कि उन्हें सब कुछ पता है। बहुत से लोग कभी अपनी गलती नहीं मानते। वे ना तो किसी की बात सुनते हैं और ना ही आगे बढ़ते हैं। उन्हें लगता है कि वे जो कर रहे हैं वो सही है। इस तरह का व्यवहार हम सभी में कहीं ना कहीं मौजूद है।

बहुत बार हम किसी चीज़ के लिए अच्छी या बुरी भावना अपने अंदर कुछ इस तरह से बसा लेते हैं कि बाद में उनसे छुटकारा नहीं पा पाते। अगर हम उन्हें समझाने की कोशिश करें तो वह बात नही मानेंगे। 

आप शायद अपनी सोसाइटी के किसी एक व्यक्ति से नफरत करते होंगे। आपको पता नहीं होगा कि आखिर उस व्यक्ति में ऐसी क्या बात है कि आप उसे नहीं पसंद करते। लेकिन जब वह व्यक्ति आपके सामने आता होगा तब अचानक से आप उसे देख कर चिढ़ जाते होंगे। आपको पता है कि आपको उससे नफरत नहीं करनी चाहिए लेकिन फिर भी आप खुद को रोक नहीं पाते होंगे।

इसी तरह कंपनी के मालिक कभी कभी एक खास प्रोडक्ट से लगाव कर जाते हैं और उसे समय के साथ नहीं बदलते। कोडक को मार्केट से यह ख़बर बारबार मिल रही थी कि लोग रील वाले कैमरे को छोड़कर डिजिटल कैमरे की तरफ जा रहे हैं। लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी गलती को नहीं माना और इसका नतीजा यह हुआ कि वो कंपनी बैंकरप्ट हो गई।

इस तरह से गलतियों पर पर्दा डालना एक बहुत गलत बात है। इससे ना तो आपको पता चलता है कि आप किस वजह से बार बार नाकाम हो रहे हैं और ना ही आप खुद को समय के साथ बेहतर बना पाते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि आप बार बार खुद से यह सवाल करें कि कहीं आप कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं। इस तरह अपने काम करने के तरीके पर बार बार सवाल कर के आप यह देख सकते हैं कि आप जो कर रहे हैं वो वाकई सही है या नहीं।

बहुत बार हम अपनी कमियों को छिपाने के लिए गलत विश्वास अपने अंदर पाल लेते हैं। हम यह नहीं मानना चाहते कि हमारे अंदर कुछ कमी है। जिस व्यक्ति से आप बेवजह नफरत करते हैं शायद वह आप से ज्यादा कामयाब हो या शायद उसके पास वो हो जो आप पहले से हासिल करना चाहते हैं। आप उसकी तरह कामयाब नहीं हो पा रहे हैं इसलिए वह व्यक्ति आपको अच्छा नहीं लगता। 

अपनी कमियों को पहचान कर और अपनी गलतियों को मानकर हम खुद को बेहतर बना सकते हैं।

किसी से ज्यादा प्यार करना नुकसानदायक हो सकता है।
हर कोई चाहता है कि उसे फिल्मों में दिखाया जाने वाला सच्चा प्यार मिले। लेकिन किसी से ज्याद प्यार करना असल जिंदगी में नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए देखें कैसे।

बहुत से लोग अपने पार्टनर को अपनी जिन्दगी की परेशानियों से बचने का जरिया बना लेते हैं।वे जब भी किसी बात से परेशान रहते हैं तो भाग कर अपने पार्टनर के पास चले जाते हैं। उन्हें अपने पार्टनर की जरूरत तभी पड़ती है जब वे उदास होते है। वे एक दूसरे को पेन किलर की तरह इस्तेमाल करते हैं। 

इस तरह के रिश्ते से कुछ समय के लिए फायदा तो हो सकता है लेकिन समय के साथ यह नुकसानदायक साबित हो सकता है। यह प्यार एक नशे की तरह होता है जो अगर समय समय पर ना मिले तो एक पागलपन पैदा होने लगता है जो कि अच्छी बात नहीं है। 

परेशानियों से भागना परेशानियों का हल नहीं है। जब आप अपनी परेशानी से बचने के लिए किसी का इस्तेमाल करते हैं तो आप अनजाने में अपनी परेशानी बढ़ा रहे हैं। जब वो सब परेशानियाँ एक साथ आपके ऊपर आएंगी तब आप पहले से ज्यादा तनाव में आ जाएंगे। इसलिए बेहतर है कि आप अपने प्यार को परेशानी से बचने का जरिया ना बनाएँ।

आप ने बचपन में लैला-मजनु, हीर-राँझा या रोमियो जूलिएट की कहानियाँ सुनी होंगी। इन सभी कहानियों का अंत अच्छा नहीं था। कोई भी चीज जब हद से बढ़ जाए तो नुकसान की वजह बनने लगती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने प्यार को काबू करना सीखें।

लेकिन एक अच्छे रिश्ते के लिए प्यार का होना तो जरूरी है। हमारे समाज में इस तरह के रिश्ते को ही आदर्श माना जाता है। तो क्या हमें प्यार करने का खयाल ही छोड़ देना चाहिए? नहीं।

प्यार में जब आप अपनी समस्याओं से भागने के लिए अपने पार्टनर का सहारा लेना बंद कर के अपने पार्टनर की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं तब आप उस रिश्ते को फायदेमंद बना सकते हैं। एक रिश्ते में दोनों लोग एक दूसरे की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करते हैं तब वो रिश्ता फायदेमंद बन जाता है। सिर्फ अपनी समस्याओं या अपनी भावनाओं की बात करना बंद कर के आप अपने पार्टनर की परेशानियों और जज़्बों के बारे में सोचिए। इस तरह से आप अपने रिश्ते को पहले से ज्यादा मजबूत बना सकते हैं।

मौत का खौफ कभी कभी हम से वो काम करवा देता है जिसे करने से हमें खुशी नहीं मिलती।
बहुत से लोगों के मन में अमर बनने की ख्वाहिश होती है। लेकिन उन्हें पता है कि वे एक ना एक दिन मर जाएंगे। इसलिए वे कुछ ऐसा काम करने की कोशिश करते हैं जिससे मरने के बाद भी लोग उन्हें याद रख सकें। दूसरे शब्दों में वे मरने के बाद इतिहास में अमर बनकर हमेशा के लिए जीना चाहते हैं।

अर्नेस्ट बेकर की किताब द डिनायल आफ डेथ में उन्होंने बताया कि इंसान के अंदर यह काबिलियत होती है कि वो उन हालातों की कल्पना कर सकता है जो ना कभी हुई थी और ना ही कभी होंगी। वे सोच सकते हैं कि उनकी जिन्दगी कैसी होती है अगर उन्होंने अपनी जिन्दगी में अलग फैसले लिए होते। इस तरह से वे यह भी सोच सकते हैं कि उनके मरने के बाद यह दुनिया कैसी हो जाएगी।

अब क्योंकि वे यह सोच सकते हैं कि उनके मरने के बाद यह दुनिया कैसी होगी तो वे उस दुनिया में जीने की तैयारी करने लगते हैं। वे कुछ ऐसा काम करने लगते हैं जिससे आने वाले समय में लोग उन्हें एक आदर्श या फिर एक महान व्यक्ति की तरह याद रखें।

इसलिए वे कुछ ऐसा करने लगते हैं जिससे वे फेमस हो जाएं और उनका नाम इतिहास में लिखा जाए। लेकिन अगर आप इतिहास उठा कर देखें तो आपको पता लगेगा कि बहुत सारे युद्ध सिर्फ इसलिए हुए क्योंकि लोग शक्ति हासिल करना चाहते हैं जिससे वे अमर हो सकें। दुनिया भर में इन युद्धों से ना जाने कितनी जानें गई होंगी और यह सब सिर्फ इसलिए क्योंकि एक व्यक्ति मरने के बाद भी जीना चाहता था।

इसलिए आप इस तरह की ख्वाहिश मत रखिए। आप बस यह देखिए कि आपको क्या काम करने में आपको खुशी मिलती है और इस समय आप क्या करना चाहते हैं। दौलत शोहरत और पावर के पीछे भागना बंद कर के खुशी और सुकून खोजने की कोशिश कीजिए।

उन सभी चीजों की फ़िक्र करना बंद कीजिए जिससे आपकी चिंता बढ़ती है। खुश रहना सीखिए और यह देखिए कि इस समय क्या करने से आप खुश रह सकेंगे।

कुल मिलाकर
आसानी से किसी चीज़ को हासिल करने के बारे में सोचना, गलत वैल्यूज़ के साथ कामयाबी के पीछे भागना, अपने अंदर की कमियों और गलतियों को ना मानना, मरने से पहले इतिहास बनाने के बारे में सोचना। यह कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें करने से हमारा तनाव बढ़ता है और खुशी कम होती है। इसलिए इन सब बातों पर से अपना ध्यान हटाकर आप यह सोचिए कि इस वक्त क्या करने से आपको खुशी मिलेगी।

 

मौके को गवाने के डर से खुद को आजाद कर के ना कहना सीखिए।

अगर आप चाहते हैं कि आप वो काम अच्छे से करें जिसमें आपको खुशी मिलती है तो आपको बहुत से कामों को ना कहना होगा। हम में से बहुत से लोग यह सोचकर काम करने लगते हैं कि कहीं जो मौका उन्हें मिला है वे उसे गवा ना दें। मौके के हाथ से निकल जाने का डर हमें परेशान करता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप इन सभी बातों को अनदेखा कीजिए।


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